Sanjana Kirodiwal

मैं तेरी हीर – 43

Main Teri Heer – 43

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 43

मुन्ना को जब पता चला वंश बीमार है तो वह उस से मिलने के लिये बैचैन हो उठा। शिवम् के घर से निकलकर मुन्ना अपने घर चला आया। घर आकर मुन्ना ने देखा अनु उदास सी घर के बगीचे में टहल रही है तो मुन्ना उस तरफ चला आया और कहा,”क्या हुआ माँ ? आप कुछ परेशान दिखाई दे रही है।”
“अरे मुन्ना ! तुम कब आये ? तुम्हे दी ने बुलाया था ना मिले उनसे ?’,अनु ने कहा


“हाँ ! उन्होंने बाजार से कुछ कपडे और सामान खरीदा था वही लेने बाजार जाना था हमे। बड़ी माँ ने अकेले ही हमारी सगाई की खरीदारी की आप उनके साथ नहीं गयी। क्या आप इस सगाई से खुश नहीं है माँ ?”,मुन्ना ने अनु की आँखों में देखते हुए पूछा
“मुन्ना ! कैसी बाते कर रहे हो बेटा ? मेरे बेटे की सगाई है मैं खुश क्यों नहीं होउंगी। मैं बहुत खुश हूँ मुन्ना और क्या दी तुम्हारी माँ नहीं है ? वो सगाई की शॉपिंग करे या मैं बात तो एक ही है।”,अनु ने मुन्ना के चेहरे को अपने हाथो में लेकर बड़े ही प्यार से कहा


मुन्ना ख़ामोशी से एक टक अनु को देखने लगा। अनु मुस्कुराई और कहा,”आओ अंदर चलते है।”
कहकर अनु जैसे ही जाने लगी मुन्ना ने अनु का हाथ पकड़ा और उसे रोकते हुए कहा,”माँ आप पापा की वजह से अपसेट है ना ? उर्वशी को घर बुलाकर उन्होंने आपको हर्ट किया पर आप शायद पापा को गलत समझ रही है। पापा मुंहफट है लेकिन वो आपकी जगह कभी किसी और को नहीं दे सकते।”


अनु ने सूना तो उसके चेहरे से मुस्कराहट गायब हो गयी वह मुन्ना की तरफ पलटी और कहा,”मैं जानती हूँ मुन्ना तभी तो इतने सालो से हम दोनों साथ है। शादीशुदा जिंदगी में भरोसा सबसे ज्यादा जरुरी है और वो मैं तुम्हारे पापा पर करती भी हूँ लेकिन इस बार तो मैंने उन्हें,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे सामने ये सब बातें करते हुए भी मुझे शर्म आ रही है मुन्ना,,,,,,,,,,,,,,,,मैं अपना सब कुछ बाँट सकती हूँ लेकिन मुरारी को किसी से नहीं बाँट सकती।”


कहते कहते अनु की आँखों में नमी तैर गयी। मुन्ना ने देखा तो उसे बहुत दुःख हुआ। मुन्ना मुरारी और अनु दोनों से ही बहुत प्यार करता था वह अपने माँ-पापा को ऐसी सिचुएशन में नहीं देखना चाहता था। मुन्ना ने आगे बढ़कर अनु को गले लगाया और कहा,”हमारी शेर माँ इमोशनल भी होती है हमने तो पहली बार देखा है , पहले कैसे आप हमेशा पापा को ऐसी चीजों से बाहर खींचकर ले आती थी वैसे ही इस बार भी ले आईये।

भूलिए मत आप अभी भी वही मुंबई वाली अनामिका शर्मा है माँ जो किसी से नहीं डरती और अपने हक़ के लिये किसी से भी भीड़ जाती है।”
अपने बेटे को इस तरह बातें करते देखकर अनु की आँखों में ठहरे आँसू गालों पर लुढ़क आये। मुन्ना ने बड़े ही प्यार से अनु को समझाया और फिर उसे लेकर अंदर चला आया।
“आप बैठो हम आपके लिये चाय बनाकर लाते है।”,मुन्ना ने कहा और किचन की तरफ चला गया।

इंदौर
विश्वास के कमरे से कुछ ही दूर अपनी जीप में बैठा शक्ति किसी का इंतजार कर रहा था। कॉलेज में शक्ति ने सुमन से जो कुछ कहा था उसके बाद शक्ति को यकीन था कोई ना कोई सबूत तो उसके हाथ जरूर लगेगा। इस केस को इन्वेस्टीगेट करते करते शक्ति इतना तो जान चुका था कि काशी , विश्वास , सुमन और कॉन्स्टेबल का लड़का विजय ये सब इस केस और एक दूसरे से जुड़े हुए है।

बिना किसी सबूत के शक्ति इन सबको गिरफ्तार भी नहीं कर सकता था। काफी टाइम हो गया लेकिन ना सुमन वहा आयी ना ही विश्वास,,,,,,,,शक्ति ने नजरे घर के बंद दरवाजे पर गड़ाए रखी।
शक्ति को एकदम से काशी का ख्याल आया और वह मन ही मन खुद से कहने लगा,”विश्वास काशी के कॉलेज में पढ़ा है फिर हमारे पूछने पर उनसे मना क्यों कर दिया कि वह विश्वास को नहीं जानती।

ये सब इन्वेस्टीगेट करने करने से अच्छा है हम पहले काशी से ही पूछताछ कर ले कि उसका विश्वास से क्या रिश्ता है ? हाँ ये थोड़ा मुश्किल है पर हमे ये करना ही पडेगा , काशी का भविष्य हम से जुड़ा है और हम उसे किसी तरह की मुसीबत में नहीं डाल सकते,,,,,,,,,,,,,हमे थोड़ा कठोर बनना ही पडेगा और काशी से पूछना ही होगा कि आखिर वो हम से क्या छुपा रही हैं।”


एक फैसला करके शक्ति ने जैसे ही वापस जाने के लिये गाड़ी स्टार्ट की उसे सामने दरवाजे पर खड़ा एक लड़का नजर आया। शक्ति की भँवे तन गयी वह गाड़ी से नीचे उतरा और चलते चलते अपनी गन निकाली। लड़के के सामने आकर शक्ति ने अपनी गन उस पर तान दी और कहा,”हमे पूरा यकीन था तुम यहाँ जरूर आओगे , विजय वर्मा,,,,,,,,,,,,,नाइस टू मीट यू।”


शक्ति को अपने सामने देख विजय के चेहरे पर हवइया उड़ने लगी और उसने हड़बड़ाते हुए कहा,”तुम जैसा सोच रहे हो वैसा कुछ नहीं है मैं यहाँ विश्वास से मिलने नहीं आया था।”
“पर हमने तो तुम से कुछ पूछा ही नहीं , चलो अच्छा है तुमने खुद ही बता दिया हमे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।”,शक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा


शक्ति की बात सुनकर विजय ने जैसे ही वहा से भागने की कोशिश की शक्ति ने अपने पैर से उसके पैर को उलझाकर उसे नीचे गिरा दिया और अपनी गन उस पर तानते हुए कहा,”अगर ज्यादा होशियारी की तो इस गन की सारी गोलिया तुम्हारे भेजे में उतार देंगे और ये गन भी हमारी नहीं है तुम्हारे पापा की है।”
“मेरे पापा की गन तुम्हारे पास ?”,विजय ने हैरानी से पूछा


शक्ति ने एक नजर गन को देखा और कहा,”हाँ वैसे ही जैसे तुमने हमारे केबिन से हमारी ही गन को गायब कर , उस से हम पर ही गोली चलाई।”
“मैंने तुम पर गोली नहीं चलाई,,,,,,,,,,,,,,!!”.विजय गुस्से से चिल्लाया
“ये सब सफाई अब तुम पुलिस स्टेशन जाकर देना।”,कहते हुए शक्ति ने विजय का कॉलर पकड़कर उसे उठाया और साथ लेकर अपनी जीप की तरफ बढ़ गया।


शक्ति ने विजय को जीप से बंधी हथकड़ी पहनाई और उसके बगल में बैठकर जीप स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी।
“शक्ति मेरी बात सुनो , मैंने तुम पर गोली,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,विजय ने इतना ही कहा कि शक्ति ने अपने हाथ में पकड़ी गन शक्ति की कनपटी पर तान दी। शक्ति को गुस्से में देखकर विजय ने चुप रहना ही बेहतर समझा।

जब से शक्ति ने काशी से विश्वास के बारे में पूछा था तब से काशी परेशान थी। उस सुबह के बाद से ना वह शक्ति से मिली थी ना ही उसकी शक्ति से ज्यादा बात हुई थी। काशी सोचना नहीं चाहती थी लेकिन पहली बार उसने शक्ति से झूठ कहा था और उसे अब बहुत बुरा लग रहा था लेकिन काशी नहीं चाहती थी शक्ति कॉलेज में हुए उस झगडे के बारे में जाने और उसे गलत समझे।


अपने कमरे में यहाँ वहा घूमते हुए काशी शक्ति के बारे में सोच रही थी तभी घर की डोरबेल बजी। दोपहर के 2 बज रहे थे घर में सिर्फ अम्बिका और काशी ही थे। अधिराज जी किसी काम से घर से बाहर गए हुए थे। डोरबेल फिर बजी काशी अपने कमरे से बाहर चली आयी।
“काशी ! बेटा देखना ज़रा दरवाजे पर कौन है ? कब से बेल बज रही है।”,अम्बिका जी ने कहा जो कि हॉल में बैठी टीवी पर अपना पसंदीदा शो देख रही थी।


“हाँ नानी !”,काशी ने कहा और दरवाजे की तरफ बढ़ गयी
काशी ने दरवाजा खोला और सामने खड़े शख्स को देखकर काशी खामोश हो गयी। उसके सामने खड़ा लड़का कोई और नहीं बल्कि विश्वास था विश्वास को अपने घर आया देखकर काशी को हैरानी हुई क्योकि आज से पहले विश्वास घर आना तो दूर काशी के बारे कुछ जानता तक नहीं था।
“हाय काशी ! अंदर आने को नहीं कहोगी ?”,काशी को खामोश देखकर विश्वास ने कहा


“तुम ? तुम यहाँ क्यों आये हो ? प्लीज जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,,,,,,,,हमें तुम से कोई बात नहीं करनी है।”,कहते हुए काशी ने दरवाजा बंद करना चाहा लेकिन विश्वास ने दरवाजे पर हाथ रखकर उसे बंद करने से रोक दिया और कहा,”काशी मुझे शक्ति के बारे में तुम से जरुरी बात करनी है।”
“हमे कुछ नहीं सुनना तुम जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए काशी ने एक बार फिर दरवाजा बंद करना चाहा लेकिन विश्वास के हाथ की पकड़ इतनी मजबूत थी कि काशी उसे बंद नहीं कर पायी


“काशी कौन है बेटा ?”,अम्बिका जी ने तेज आवाज में पूछा
काशी कुछ कहती इस से पहले ही विश्वास ने साइड से घर में आते हुए कहा,”नमस्ते नानी माँ , मैं हूँ विश्वास काशी का दोस्त , मैं और काशी कॉलेज में साथ पढ़े है। इधर से गुजर रहा था तो सोचा आप सब से मिलता चलू। कैसी है आप ?”
“मैं ठीक हूँ बेटा , आओ अंदर आओ।”,अम्बिका ने कहा


अम्बिका के सामने काशी विश्वास को भला क्या कहती इसलिए फीका सा मुस्कुरा दी। विश्वास अंदर आकर बैठ गया। अम्बिका जी ने रसोईये से चाय बनाने को कहा और काशी से कहा,”काशी बैठो अपने दोस्त से बात करो मैं अभी आती हूँ।”
अम्बिका के जाते ही काशी ने कहा,”विश्वास उठो यहाँ से और जाओ प्लीज,,,,,,,,,,!!”


“चला जाऊंगा काशी लेकिन उस से पहले मुझे तुम से कुछ कहना है।”,विश्वास ने काशी की तरफ देखकर कहा
“कहो क्या कहना है।”,काशी ने कहा
“शक्ति से शादी मत करो वो तुम्हारे लायक नहीं है,,,,,,,,,,,,!”,विश्वास ने काशी की आँखों में देखते हुए कहा
“ये कहने वाले तुम होते कौन हो ? हम शक्ति से प्यार करते है और उसी से शादी करेंगे तुम अपनी बकवास बंद करो और जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा


“शक्ति हमारे कॉलेज गया था मेरे बारे में पूछताछ करने , अब ज़रा सोचो काशी अगर शक्ति को ये पता चले कि तुम्हारे और मेरे बीच,,,,,,,,,,,,तुम तो बदनाम हो जाओगी काशी,,,,,,,,,,,!!”,विश्वास ने मुस्कुराते हुए कहा
“तुम इतना कैसे गिर सकते हो विश्वास , तुम जानते हो हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,पूरा कॉलेज जानता है उस दिन करण और तुम्हारे बीच झगड़ा इसलिये हुआ क्योकि तुमने करण की मरी हुई माँ को गाली दी थी

जब हमने तुम दोनों को दूर किया तो तुमने झूठ कहा कि करण हमारे बारे में गलत बोल रहा था इसलिए तुमने उसे मारा,,,,,,,,,,,,,,,पुरे कॉलेज को लगने लगा कि  तुम हम से प्यार करते हो इसलिए तुमने ऐसा किया और यही वजह थी कि हमे कॉलेज छोड़ना पड़ा।”,काशी ने कहा
“मैं तुम से अब भी प्यार करता हूँ काशी और पुरे कॉलेज को जो लगता है सही लगता है , तुम जानती हो ,

मैं जानता हूँ पर शक्ति तो ये सब नहीं जानता ना और अगर अब तुमने उस से ये सब कहा भी तो क्या वो तुम पर यकीन करेगा ? क्योकि तुम तो उसे पहले ही बोल चुकी हो कि तुम किसी विश्वास को नहीं जानती।”,विश्वास ने रहस्य्मयी मुस्कान के साथ कहा
काशी ने सूना तो हैरानी से विश्वास को देखने लगी। जिस विश्वास को उसने सीधा साधा समझा वो इतना घटिया निकलेगा काशी ने कभी सोचा नहीं था।

काशी को खामोश देखकर विश्वास उसके इर्द गिर्द घूमने लगा और कहा,”काशी काशी काशी , तुम इतनी मासूम कैसे हो सकती हो ? इंसान को इतना अच्छा भी नहीं होना चाहिए।”
काशी को इस वक्त कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह विश्वास से क्या कहे ? काशी डरी सहमी सी विश्वास को देखते रही तो विश्वास एकदम से उसके सामने आ खड़ा हुआ और कहने लगा,”सच काशी मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूँ , बहुत प्यार करता हूँ तुम से,,,,,,,,,,,,,,,,

वो शक्ति , वो मेरे सामने कुछ भी नहीं है , मैं तुम्हे उस से ज्यादा खुश रखूंगा। उसके पास तुम्हे देने के लिये है ही क्या ? छोड़ दो उसे और मुझसे शादी कर लो , मैं तुम्हे हर ख़ुशी दूंगा और खुश रखूंगा।”
काशी ने सूना तो हिम्मत करके एक थप्पड़ खींचकर विश्वास के गाल पर मारा और कहा,”बंद करो ये सब विश्वास , तुम्हे लगता है ये सब सुनने के बाद हम तुम्हारी किसी भी बात पर भरोसा करेंगे , हरगिज नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,

तुम और तुम्हारी सोच कितनी घटिया है हमे ये आज पता चला। हमे लगा तुम अच्छे लड़के हो इसलिये हम हमेशा तुम से अच्छे से पेश आये और तुम ये सब चाहते हो,,,,,,,,,,,,,चले जाओ यहाँ से इस से पहले हम तुम्हे पुलिस के हवाले कर दे जाओ यहाँ से,,,,,,,,!!”


थप्पड़ पड़ने से विश्वास का ईगो हर्ट हो गया और उसने काशी की कलाई पकडकर कहा,”तेरी इतनी हिम्मत की तू मुझे थप्पड़ मारे , तुम्हे क्या लगता है काशी तुम कहोगी और मैं इतनी आसानी से चला जाऊंगा , तुम्हारी वजह से मुझे कॉलेज छोड़ना पड़ा , अपना घर छोड़ना पड़ा , ना मेरे पास दोस्त रहे ना कोई काम , अब मेरी जिंदगी का बस एक ही मकसद है और वो है तुम्हे पाना,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”


 बाहर आवाज सुनकर अम्बिका काशी को आवाज देते हुए आयी,”काशी ! क्या हुआ बेटा ? ए ये क्या कर रहे हो तुम ? तुमने काशी का हाथ क्यों पकड़ा है छोडो उसे , मैंने कहा छोडो उसे,,,,,,,,,,,!!”
“हम दोनों के बीच मत आ बुढ़िया,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए विश्वास ने अम्बिका को साइड में धक्का दिया तो वे सोफे की तरफ जाकर गिरी
“नानी माँ,,,,,,,,,!!”,काशी ने घबरा कर कहा लेकिन विश्वास ने उसके हाथ को जकड़ा हुआ था। काशी ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन विश्वास के हाथ की पकड़ इतनी मजबूत थी कि काशी उस से अपना हाथ नहीं छुड़ा पायी।


विश्वास कुछ कहता इस से पहले ही दरवाजे पर खड़े शक्ति ने कहा,”अच्छा हुआ तुम दोनों यहाँ साथ ही मिल गए , अब हमे ज्यादा परेशान नहीं होना पडेगा।”
“शक्ति,,,,,,,,,, !!”,काशी ने आँखों में आँसू भरकर कहा
शक्ति को वहा देखकर विश्वास की आँखों में गुस्से के भाव तैरने लगे। उसने काशी के हाथ को और कसकर पकड़ लिया।


“शक्ति। अच्छा हुआ आप आ गये,,,,,,,,,,,,,,,ये लड़का , ये लड़का काशी के साथ बदतमीजी कर रहा है और जब मैंने इसे रोकने की कोशिश की तो इसने मुझे भी,,,,,,,,,,,!!”,अम्बिका ने घबराकर शक्ति से कहा
“घबराईये मत हम आ गए है ना,,,,,,,,,,,,,काशी को छोड़ दो।”,शक्ति ने विश्वास से कहा
“तुम हमारे कॉलेज गए थे ना ? वहा तुम्हे पता चल ही गया होगा काशी और मेरे रिश्ते के बारे में,,,,,,,,,!!”,विश्वास ने बेशर्मी से कहा


शक्ति विश्वास के पास आया और उसके हाथ से काशी की कलाई छुड़ाते हुए कहा,”हम तुम्हारे कॉलेज गए थे और काफी कुछ जानने को मिला है वहा और रही बात काशी और तुम्हारे रिश्ते के बारे में जानने की तो हमे वो इतना मजबूत नहीं लग रहा।”
काशी ने सूना तो उसकी आँखों में आँसू भर आये शक्ति की आँखों में उसे अपने लिये बेइंतहा प्यार और विश्वास नजर आ रहा था।  

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