Main Teri Heer – 41
Main Teri Heer – 41
मुंबई , वंश का फ्लेट
दोपहर में सोयी निशि जब उठी तो शाम के 4 बज रहे थे। निशि उठी और खुद में ही बड़बड़ायी,”लगता है मेरी आँख लग गयी थी , वंश भी सो रहा है उसे उठाऊ या नहीं,,,,,,,,,,,,एक काम करती हूँ उठा ही देती हूँ।”
निशि उठकर वंश के पास आयी और उसकी बाँह को थपथपाया वंश गहरी नींद में था इसलिये निशि के छूने का उसे कोई अहसास नहीं हुआ।
वंश अब भी ठंड से काँप रहा था। ये देखकर निशि ने वंश के माथे को छूकर देखा और कहा,”इसका बुखार तो उतरने के बजाय और बढ़ गया है , मुझे इसे हॉस्पिटल लेकर जाना होगा। वंश , वंश , वंश उठो,,,,,,,,,,!!”
निशि ने वंश को आवाज देते हुए थपथपाया। वंश नींद में कुनमुनाते हुए आँखे खोली और देखा निशि खड़ी है। निशि को देखकर वंश ने कहा,”मेरा सर बहुत दुःख रहा है और बदन भी बहुत दर्द कर रहा है।”
“चलो उठो हम डॉक्टर के पास चलते है।”,निशि ने कहा
“मुझमे वहा तक जाने की हिम्मत नहीं है।”वंश ने कहा
“तुम चिंता मत करो मैं हूँ ना तुम्हारे साथ चलो , तुम्हे बहुते तेज बुखार है बिना डॉक्टर को दिखाए ये ठीक नहीं होगा।”,निशि ने वंश की परवाह करते हुए कहा
निशि की बात सुनकर वंश उसकी तरफ देखने लगा तो निशि ने कहा,”अपना हाथ दो,,,,,!!”
वंश अब भी निशि को देखता रहा तो निशि ने अपना हाथ वंश की तरफ बढ़ाकर कहा,”मेरा भरोसा करो तुम्हे कुछ नहीं होगा।”
निशि के उन शब्दों में ना जाने कौनसा आकर्षण था जिस ने वंश को अपनी ओर खींच लिया और वंश ने अपना हाथ निशि की तरफ बढ़ा दिया। निशि ने वंश के हाथ को अपनी नाजुक उंगलियों में मजबूती से पकड़ लिया। वंश सोफे से उठ खड़ा हुआ।
वंश काफी थका हुआ और बीमार महसूस कर रहा था। निशि की दी दवाओं का उस पैर कोई असर नहीं हुआ था उलटा वह पहले से ज्यादा बीमार नजर आ रहा था। साथ ही उसे ठण्ड भी लग रही थी। ठण्ड की वजह से उसके होंठ लाल पड़ चुके थे और गर्माहट से चेहरा,,,,,,,,निशि ने देखा तो कहा,”तुम यही रुको मैं अभी आती हूँ।”
निशि अंदर कमरे में गयी उसने कबर्ड खोला और वंश के कपड़ो में कुछ ढूंढने लगी। कुछ देर बाद निशि को वंश का एक जैकेट मिला।
निशि ने उसे उठाया और उसे लेकर बाहर आयी। निशि ने वंश को वह जैकेट पहनाया और कहा,”इसे से तुम्हे ठण्ड नहीं लगेगी , आओ चलते है।”
वंश निशि का हाथ थामे उसके साथ चल पड़ा। इस वक्त इतना परेशान था कि ना तो उसे निशि पर गुस्सा आ रहा था न ही वह उस से चिढ रहा था बल्कि निशि को अपनी परवाह करते देखकर वंश को अच्छा लग रहा था।
मेघना ने घडी में देखा निशि अभी तक घर नहीं आयी थी। मेघना ने निशि का नंबर डॉयल किया लेकिन निशि ने फोन नहीं उठाया। मेघना को पूर्वी का ख्याल आया तो उसने पूर्वी का नंबर डॉयल किया। एक दो रिंग के बाद पूर्वी ने फोन उठाया और कहा,”हेलो !”
“हेलो ! पूर्वी बेटा निशि तुम्हारे साथ है क्या ? इतना टाइम हो गया अभी तक घर नहीं आयी वो,,,,,,,!!”,मेघना ने परेशानी भरे स्वर में कहा
मेघना ने निशि के बारे में पूछा तो पूर्वी को याद आया कि निशि वंश के साथ है इसलिए पूर्वी ने कहा,”हाँ आंटी निशि मेरे घर पर है उसने आपको बताया नहीं क्या आज हम मेरे घर पर लेट तक पढाई करने वाले है और वो कल घर आएगी,,,,,,,,,,,,,उसने तो कहा था वो आपको फोन कर देगी।”
“नहीं बेटा , उसने तो मुझसे ऐसा कुछ नहीं कहा ,, ज़रा मेरी बात करवाओ उस से,,,,,,,,,!!”,मेघना ने कहा
पूर्वी ने सूना तो फोन अपने सर पर मारा और वापस अपने कान से लगाते हुए कहा,”अह्ह्ह्ह आंटी वो निशि , अह्ह्ह निशि अभी वाशरूम में है , मैं थोड़ी देर में आपकी उस से बात करवाती हूँ ना।”
“ओहके बेटा उस से कहना मुझे फोन करे,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मेघना ने कहा और फोन रख दिया
पूर्वी ने चैन की साँस ली और कहा,”ये निशि भी ना पता नही और कितने झूठ बुलवायेगी ये मुझसे,,,,,,,,,,,खैर सबसे पहले मैं उसे आंटी को फोन करने के लिये कह दू कही वो किसी प्रॉब्लम में ना फंस जाये।”
पूर्वी ने निशि का नंबर डॉयल किया। एक दो रिंग के बाद निशि ने फोन उठाया और कहा,”हेलो ! हाँ पूर्वी , बताओ क्या हुआ ?”
“हुआ नहीं है बट हो जाएगा,,,,,,,,,,,,तुम अपनी मॉम का फोन क्यों नहीं उठा रही हो ? उनका फोन आया था उन्होंने कहा है तुम्हे फोन करने को,,,,,,,,,,,वैसे मैंने उन से कह दिया है कि तुम आज ग्रुप स्टडी के लिये मेरे यहाँ रुकी हो।”,पूर्वी एक साँस में सब कह गयी
“ओह्ह्ह थैंक्स , वैसे मैं थोड़ी देर में घर चली जाउंगी डोंट वरी,,,,,,,,,,,अभी मैं थोड़ा बिजी हूँ क्या मैं तुम्हे थोड़ी देर बाद फोन करू ?”,निशि ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“ठीक है अपना ख्याल रखना और हां घर पहुंचकर मुझे फोन करना,,,,,,,,,,,,,,बाय !”,पूर्वी ने कहा तो निशि ने कॉल कट कर दिया और वंश को साथ लेकर लिफ्ट से बाहर आयी। बाहर आकर निशि ने वंश को रुकने को कहा और खुद पार्किंग की तरफ चली गयी अपनी स्कूटी लेने।
निशि स्कूटी लेकर आयी और वंश को अपने पीछे बैठने को कहा। वंश निशि के पीछे आ बैठा। उदासी से उसका चेहरा घिरा हुआ था। वंश कही गिर ना जाये सोचकर निशि ने उसके दोनों हाथो को पकड़ा और अपनी कमर से लपेटकर कहा,”गलत मत समझना ये बस तुम्हारी सेफ्टी के लिये है।”
वंश ने कुछ नहीं कहा निशि की कमर थामे उसने अपना चेहरा निशि की पीठ पर टिका दिया। वंश निशि के बहुत करीब था और ये नजदीकियां निशि के दिल को धड़का रही थी। उसने अपनी धड़कनो को काबू में किया और स्कूटी स्टार्ट कर वहा से निकल गयी।
वंश को तेज बुखार है ये निशि अपनी पीठ पर उसकी गर्माहट से महसूस कर पा रही थी। वह वंश को लेकर पास ही के क्लिनिक पहुंची। वंश नीचे उतरा और निशि का हाथ थामे क्लिनिक के अंदर चला आया। निशि ने वंश को बैठाया और खुद रिसेप्शन की तरफ चली आयी। निशि ने देखा आज क्लिनिक में भीड़ कुछ ज्यादा ही थी उसका नंबर आने में थोड़ा टाइम लगा और इस बीच वह बार बार पलटकर वंश को देख रही थी
“वंश गुप्ता,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह उम्र 25 , थोड़ा जल्दी कीजिये प्लीज उसे बहुत तेज बुखार है,,,,,,,,,,,,,!”,निशि ने रिसेप्शन पर बैठी लड़की से कहा
“500 दे दीजिये,,,,,,,!”,लड़की ने फाइल निशि की तरफ बढ़ाकर कहा
निशि ने अपने पर्स से 500 रूपये निकाले और लड़की की तरफ बढ़ा दिए। लड़की ने पैसे लिये और कहा,”आप थोड़ा वेट कीजिये,,,,,,,,,!!”
“जी थैंक्यू !”,निशि ने कहा और वंश के पास चली आयी। निशि वंश के बगल में आकर बैठ गयी। वंश आँखे मूंदे अपना सर दिवार से लगाये हुए था। कुछ और पेशंट भी वहा थे और सब अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। निशि खामोश बैठी उन सबको देख रही थी। वंश को दर्द में देखकर निशि को अच्छा नहीं लग रहा था उसने धीरे से वंश का हाथ अपने दोनों हाथ के बीच रख लिया।
निशि की छुअन का अहसास वंश को हुआ तो वंश ने अपनी आँखे खोली और निशि को देखा तो निशि ने कहा,”तुम ठीक हो ना ?”
“हम्म्म !”,वंश ने हामी भर दी
वंश का हाथ अभी भी निशि के हाथो में था और बहुत ही प्यारा लग रहा था वंश ने भी निशि के हाथ से अपना हाथ नहीं छुड़ाया। इंतजार करते करते वंश थक गया तो उसने अपना सर एक बार फिर दिवार से लगा लिया।
निशि ने देखा तो उसने बड़े प्यार से वंश का सर अपने कंधे पर टिका दिया और कहा,”तुम अपना सर यहाँ रख सकते हो।”
वंश की हैरानी का ठिकाना नहीं था। वो निशि जो हमेशा उस से लड़ती झगड़ती है , उसे काटने को दौड़ती है और हमेशा उस पर चिल्लाती रहती है आज वो निशि उसकी इतनी परवाह कर रही थी। निशि का हाथ थामे , उसके कंधे पर सर टिकाये वंश ख़ामोशी से जमीन को देखे जा रहा था।
“वंश गुप्ता,,,,,,,,,,,,,,!”,वार्ड बॉय ने आवाज लगाई तो वंश उठा और निशि के साथ डॉक्टर के केबिन में चला आया।
डॉक्टर ने वंश को बैठने को कहा , उसका चेकअप किया और कुछ टेस्ट लिखकर लैब से टेस्ट करवाने को कहा। निशि ने फाइल उठाया और वंश के साथ क्लिनिक के लैब में चली आयी। लड़के ने वंश का सैंपल लिया और 1 घंटा इंतजार करने कहा।
सैंपल देने के बाद निशि वंश को लेकर वेटिंग एरिया आकर बैठ गयी। वंश को अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए वह वहा पड़ी बेंच पर लेट गया। उसका सर निशि की गोद में था और निशि एक माँ की तरह उसका सर सहला रही थी
बनारस , गोदौलिया मार्किट
शाम में सारिका ने मुन्ना को मार्किट के एक शॉप से कुछ सामान लेने भेजा था। मुन्ना जो कि अपनी बड़ी माँ को कभी किसी काम के लिये मना नहीं करता था सारिका के कहने भर से मार्किट चला आया। दुकान आकर मुन्ना ने उनको कुछ बिल दिये और सामान के लिये कहा।
“अरे मुन्ना भैया आपने क्यों जहमत की आने की ? हमसे कहा होता हम लड़का भेज देते,,,,,,,,,,,,,वैसे अब आप आ ही गए है तो थोड़ा बैठिये हम लड़के से कहकर अभी मंगवा देते है।”,दुकानवाले ने कहा
“कितना टाइम लग जाएगा ?”,मुन्ना ने पूछा
“यही कोई 30-40 मिनिट , तब तक आप बैठिये ना हम चाय मंगवा देते है।”,दुकानवाले ने कहा
“अरे नहीं शुक्रिया ! आप मंगवाइये तब तक हम आगे जाकर आते है।”,मुन्ना ने कहा
“ठीक है मुन्ना भैया,,,,,,,,,,,,!!”,दुकानवाले ने कहा और अपने काम में लग गया
मुन्ना दुकान से निकलकर आगे गली में बढ़ गया। बनारस के गोदौलिया मार्किट की वो संकरी गलियाँ दिखने में जितनी सुंदर दिखती है उस से कई ज्यादा आकर्षक उन दुकानों पर बिकने वाला सामान था।
उसी गली में एक लस्सी वाले भैया की दुकान थी जहा वंश और मुन्ना हमेशा लस्सी पीने आया करते थे। आज कई दिनों बाद मुन्ना उस दुकान के सामने से गुजरा था वो भी अकेले। दुकान वाले भैया ने देखा तो मुन्ना को आवाज दी,”अरे मुन्ना भैया , आज लस्सी ना पी हो ?”
मुन्ना रुका और दुकान की तरफ चला आया। उसे देखते ही लड़का लस्सी बनाने लगा।
“मुन्ना भैया बड़े दिनों बाद आये वंश भैया साथ दिखाई नहीं दे रहे , कही गए है क्या ?”,लस्सी वाले भैया ने मुन्ना की तरफ लस्सी का गिलास बढ़ाते हुए कहा
मुन्ना ने गिलास लिया और कहा,”वंश मुंबई में है , उसे सीरीज में काम मिला है।”
“अरे गंगा मैया ! जे कब हुआ ? वैसे हम उनके लिये बहुते खुश है।”,लड़के ने कहा
मुन्ना मुस्कुरा उठा और जैसे ही लस्सी को अपने होंठो से लगाया उसे एकदम से वंश की याद आ गयी। मुन्ना ने मन ही मन खुद से कहा,”लगता है इस बार वो हम से कुछ ज्यादा ही नाराज हो गया है तभी इतने दिन हो गए उसने ना हमे फोन किया ना मैसेज,,,,,,,,,,,,,,वो हमारा छोटा भाई है नाराज हो सकता है पर हम तो उसके बड़े भाई है ना , एक काम करते है हम उसे फोन कर लेते है।”
मुन्ना ने गिलास को साइड में रखा और अपना फोन निकालकर वंश का नंबर डॉयल किया लेकिन वंश का फोन बंद था। मुन्ना ने मायूस होकर फोन की स्क्रीन को देखा। वंश का फोन तो नहीं लगा इसलिए मुन्ना ने अपने फोन का वहस्टाप्प खोला और वंश को लस्सी के गिलास की फोटो भेजकर लिखा “तुम्हारे साथ के बिना हमारा बनारस अधूरा है। miss you”
मैसेज लिखते हुए मुन्ना की आँखों में नमी उतर आयी उसने लस्सी नहीं पी और काउंटर पर पैसे रखकर वहा से चला गया।
“अरे मुन्ना भैया आपकी लस्सी,,,,,,,,,,,,!!”,दुकान वाले भैया ने आवाज दी लेकिन मुन्ना ने नहीं सूना और वहा से निकल गया।
दुकान से निकलकर मुन्ना आगे बढ़ गया। अभी वह कुछ दूर ही चला था कि उसके कानो में आवाज पड़ी,”क्या कमाल चीज है यार , बनारस में ऐसी बला पहली बार देखी है।”
मुन्ना ने गर्दन घुमाकर देखा बगल वाली गली में कुछ ही दूर खड़े कुछ लड़को पर मुन्ना की नजर पड़ी जो कि बहुत ही गन्दी नजरो से सामने खड़ी उर्वशी को देख रहे थे।
उर्वशी लड़को की बातो पर कोई ध्यान नहीं दे रही थी बल्कि वह अपनी साड़ी को सही कर रही थी जिस पर गंदगी लगने से वह गंदी हो गयी थी। उर्वशी को देखकर मुन्ना का मन उचट गया वह जैसे ही आगे बढ़ने को हुआ एक लड़के की आवाज पड़ी,”भाई ऐसी हसीना के लिये तो मैं जोरू का गुलाम भी बन जाऊ , क्या लड़की है यार ? एक काम करता हु पास जाकर पूछता हूँ,,,,,!!”
उर्वशी किसी मुसीबत में न फंस जाए सोचकर मुन्ना के कदम खुद ब खुद लड़को की तरफ बढ़ गए। लड़का अपना हाथ आगे करते हुए उर्वशी की तरफ बढ़ रहा था। अपनी साड़ी ठीक करते हुए उर्वशी जैसे ही झुकी सारे लड़के लार टपकाते हुए उसे देखने लगे लेकिन वे लोग कुछ देख पाते इस से पहले ही मुन्ना एकदम से उर्वशी के सामने आ गया और लड़का जो उर्वशी की तरफ बढ़ रहा था हक्का बक्का रह गया।
“मुन्ना भैया आप,,,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने डरते हुए कहा
मुन्ना उसे ही घूरे जा रहा था मुन्ना को देखते ही बाकि लड़के वहा से भाग गए और वह लड़का भी वहा से खिसक गया। उर्वशी ने मुन्ना को वहा देखा तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और उसने कहा,”कुछ तो कनेक्शन है हमारा तभी तो जब भी मैं किसी मुसीबत में होती हूँ तुम मुझे बचाने चले आते हो।”
मुन्ना उर्वशी की तरफ पलटा और कहा,”कुछ लोग खुद ही अपने लिये मुसीबत होते है।”
“मैं कुछ समझी नहीं,,,,,,,,,!”,उर्वशी ने कहा
मुन्ना ने उर्वशी को एक नजर देखा और कहा,”अगर आप खुद पर ध्यान देंगी तो आप हमारी बात समझ जाएगी , चलते है।”
उर्वशी ने एक नजर अपने कपड़ो को देखा और उसे समझ आ गया मुन्ना क्या कहना चाह रहा था।
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