Main Teri Heer – 39
Main Teri Heer – 39
निशि को जब वंश के बारे में पता चला तो वह पूर्वी की स्कूटी लेकर फिल्मसिटी से निकल गयी। फिल्मसिटी से वंश का फ्लेट काफी दूर था लेकिन निशि को इसकी परवाह नहीं थी। वंश के बारे में सोचते हुए निशि बस चली जा रही थी। निशि बिल्डिंग के सामने पहुंची। गार्ड नवीन को जानता था इसलिए उस ने निशि को अंदर आने से नहीं रोका। निशि ने अपनी स्कूटी को पार्किंग में लगाया और लिफ्ट के सामने चली आयी।
लिफ्ट से निशि ऊपर आयी और बाहर निकलकर वंश के फ्लेट के सामने आकर डोरबेल बजा दी। निशि ने कुछ देर इंतजार किया लेकिन वंश ने दरवाजा नहीं खोला। किसी अनहोनी के डर से निशि का मन घबराने लगा। उसने एक बार फिर डोरबेल बजायी और तब तक बजाते रही जब तक वंश ने दरवाजा नहीं खोल दिया।
वंश ने दरवाजा खोला और कहा,”बस करो ये क्या कर रही हो तुम ? खू खु खू।”
वंश को अपने सामने देखकर निशि के मन को तसल्ली मिली लेकिन अगले ही पल उसका मन फिर चिंताओं से भर गया। सामने खड़ा वंश काफी बीमार दिख रहा था। निशि उसे देखने लगी तो वंश ने अंदर जाते हुए कहा,”तुम यहाँ क्या कर रही हो ?”
वंश की आवाज से निशि की तंद्रा टूटी और उसने अंदर आते हुए कहा,”तुम शूटिंग पर क्यों नहीं गये ?”
“मैं जब से यहाँ आया हूँ कुछ अच्छा नहीं लग रहा है। मैं काफी बीमार महसूस कर रहा हूँ।”,वंश ने सोफे पर बैठते हुए कहा
निशि वंश के पास आयी और उसका सर छूकर कहा,”तुम्हे तो बुखार है , क्या तुमने दवा ली ?”
वंश ने ना में सर हिला दिया तो निशि ने उसे घूरते हुए कहा,”तुम सच में अजीब हो , तुम्हारी तबियत इतनी खराब है तो तुमने किसी से कहा क्यों नहीं ? तुम डेड को कॉल कर सकते थे ना ?”
“मेरा फोन खराब हो चुका है , कहा से करता फोन ? 3 दिन से माँ से भी बात नहीं हुई है और इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं घर आ सकू।”,वंश ने बुझे मन से कहा और हाथ में पकडे रुमाल से अपना नाक पोछने लगा
“तुमने कुछ खाया ?”,निशि ने सवाल किया
वंश ने इस बार भी ना में सर हिला दिया। वंश को खाना बनाना नहीं आता था जैसे तैसे करके उसने दो दिन ब्रेड ,जेम और मैग्गी खाकर काम चलाया था। वैसे भी तबियत खराब होने की वजह से उसे भूख भी कम ही लगती थी। निशि ने सूना तो उसे दुःख भी हुआ और बुरा भी लगा। उसने अपने बैग से फोन निकाला और वंश की तरफ बढाकर कहा,”ये लो मेरे फोन से आंटी से बात कर लो , तुम्हारा फोन ना लगने से आंटी खामखा परेशान हो जाएगी।”
निशि को परवाह करते देखकर वंश को अच्छा लगा। उसने निशि के हाथ से फोन लिया और सारिका का नंबर डॉयल किया। वंश को अकेला छोड़कर निशि किचन की तरफ चली गयी। वंश ने सारिका से बात की लेकिन उसे अपने बीमार होने के बारे में नहीं बताया। सारिका को वंश की आवाज से अंदाजा हो गया लेकिन वंश ने सारिका से कहा कि वह ठीक है। सारिका से बातें करते हुए वंश बालकनी की तरफ चला आया।
बात करते हुए उसने एक बार किचन की तरफ देखा जहा निशि कुछ काम कर रही थी। वंश एकटक निशि को देखता रहा
“वंश ! तुम अपना ख्याल रख रहे हो ना ? देखो अगर किसी तरह की परेशानी हो तो तुम नवीन से कहना वो मदद कर देगा।”,सारिका ने कहा
“मेरा ख्याल रखने के लिए निशि यहाँ है माँ।”,निशि को देखते हुए वंश ने कहा
“कौन निशि ? क्या निशि वहा है ?”,सारिका ने पूछा
“निशि ? मैंने निशि कब कहा मैंने कहा मेरा ख्याल रखने के लिये आप यहाँ नहीं है माँ , मैं आपको बहुत मिस कर रहा हूँ।”,वंश ने एकदम से बात बदलते हुए कहा और वापस बालकनी की ओर पलट गया
“हम भी तुम्हे बहुत मिस करते है। अच्छा तुम्हारी मुन्ना से बात हुई ?”,सारिका ने पूछा
वंश को याद आया कई दिनों से उसने मुन्ना से बात ही नहीं की है लेकिन उसने सारिका को नहीं बताया और कहा,”हाँ माँ अभी 2 दिन पहले ही बात हुयी थी।”
“3 हफ्ते बाद मुन्ना और गौरी की सगाई है इंदौर में , तो तुम आ रहे हो ना बेटा ?”,सारिका ने पूछा
“माँ ये भी कोई पूछने की बात है भला , मुन्ना मेरा भाई है उसकी सगाई मेरे बिना कैसे हो सकती है ? मैं जरूर आऊंगा माँ।”,वंश ने कहा
“हम्म्म ठीक है बेटा अपना ख्याल रखना और हां जल्दी आना तुम्हारी बहुत याद आ रही है।”,सारिका ने कहा और कुछ देर बाद फोन रख दिया
सारिका से बात करके वंश को थोड़ा अच्छा लगा उसने फोन रखा और अगले ही पल जोर जोर से खांसने लगा। किचन में काम करती निशि ने सूना तो वह गिलास में गुनगुना पानी लेकर वंश की तरफ आयी और गिलास उसकी तरफ बढाकर कहा,”पानी पी लो।”
वंश ने गिलास लिया और पानी पीकर गिलास निशि की तरफ बढ़ाकर कहा,”अह्ह्ह थेंक्स”
“तुम ज्यादा घूमो मत वहा चलकर बैठो मैं तुम्हारे लिये कुछ खाने को ले आती हूँ।”,निशि ने किचन की तरफ जाते हुए कहा
“ये आज इस छिपकली को क्या हो गया है ? मेरे लिए खाना बना रही है , कही इसने मेरे खाने में कुछ मिला दिया तो,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह नहीं नहीं ये इतनी बुरी भी नहीं हो सकती। देखता हूँ क्या बनाया है उसने ? वैसे लगता तो नहीं उसे कुछ बनाना आता है।”,वंश बड़बड़ाया और हॉल में चला आया
निशि ने प्लेट लाकर टेबल पर रखा वंश ने देखा प्लेट में 2 ब्रेड के साथ ऑमलेट था जो कि दिखने में काफी अच्छा लग रहा था। साथ में गर्मागर्म चाय थी। ऑमलेट देखते ही वंश के मुँह में तो पानी आ गया। उसने जैसे ही खाने के लिये हाथ बढ़ाया निशि ने कहा,”रुको , इसे मत खाना !”
वंश ने सूना तो निशि की तरफ देखा और कहा,”देखा मैं जानता ही था तुमने जरूर इस में कुछ ना कुछ मिलाया है तभी मुझे इसे खाने से मना कर रही हो , है ना ? ओह्ह्ह निशि आखिर मैंने तुम्हारा क्या बिगड़ा है ?
क्यों तुम मुझे मारना चाहती हो , अब तो मैंने तुम्हारा घर भी छोड़ दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,बताओ क्या मिलाया है इस में , चूहे मारने की दवा या फिर डायरेक्ट कोई महंगा जहर,,,,,,,,,,,,,,,,,क्यों तुम मुझे भरी जवानी में मारने का सोच रही हो अभी तो मेरी शादी भी नहीं हुई है।”
“ओह्ह्ह जस्ट शट अप,,,,,,,,,,,,मैंने तुम्हे इसलिए रोका ताकि खाने से पहले तुम जाकर हाथ धो सको।”,निशि ने गुस्से से कहा
वंश ने सूना तो झेंप गया और वाशबेसिन की तरफ जाकर हाथ धोने लगा। हाथ धोते हुए वंश मन ही मन खुद से कहने लगा,”क्या हो गया है तुझे उस बेचारी ने इतनी मेहनत से तेरे लिये नाश्ता बनाया और तू उसे गलत समझ रहा है।”
हाथ धोकर वंश वापस हॉल में आया और सोफे पर बैठते हुए कहा,”आई ऍम सॉरी।”
निशि ने वंश को घूरकर देखा और कहा,”तुम नाश्ता करो तब तक मैं तुम्हारे लिये दवा लेकर आती हूँ।”
“मैं ठीक हूँ,,,,,,,,,,,,,अरे सुनो।”,वंश ने कहा लेकिन निशि तब तक वहा से जा चुकी थी।
निशि के जाने के बाद वंश नई नाश्ता किया , चाय पी और वही सोफे पर लेट गया। नाश्ता और चाय दोनों ही अच्छे थे। कुछ देर बाद निशि आयी उसके हाथ में दवा थी। उसने टेबल पर पड़ी प्लेट और चाय का कप उठाया और उन्हें किचन में रख दिया। निशि दवा और पानी का गिलास लेकर वंश के पास आयी और कहा,”वंश ये दवा ले लो इस से तुम्हारा बुखार ठीक हो जाएगा।”,निशि ने कहा
वंश उठकर बैठ गया। उसके बाल बिखरकर माथे पर आ रहे थे। निशि ने दवा निकालकर वंश की हथेली पर रखी और पानी का गिलास उसकी तरफ बढ़ा दिया। वंश ने दवा खायी , पानी पीया और वापस लेट गया। ठण्ड उसे अब भी लग रही थी ये देखकर निशि अंदर कमरे में गयी तो उसका सर चकरा गया। कमरे में वंश के कपडे और सामान यहाँ वहा फैला पड़ा था। निशि ने कबर्ड से कंबल निकाला और बाहर लाकर वंश को ओढ़ा दिया।
अगले ही पल निशि का फोन बजा उसने देखा फोन पूर्वी का है तो उसने फोन उठाया और वंश के कमरे में चली आयी। निशि ने फोन उठाया और कहा,”हेलो !
हाँ पूर्वी क्या हुआ ?”
“निशि कहा हो तुम ? मैं यहाँ कब से तुम्हारा वेट कर रही हूँ।”,पूर्वी ने पूछा
“अह्ह्ह मैं वंश के साथ हूँ आई मीन उसके फ्लेट पर,,,,,,,,,,,,,,,!”,निशि ने धीरे से कहा
“व्हाट ? तुम वंश के साथ उसके फ्लेट पर क्या कर रही हो ?”,पूर्वी ने हैरानी से पूछा
“वो सब मैं तुम्हे बाद में बताउंगी , और अगर मॉम का कॉल आये तो कहना मैं तुम्हारे साथ हूँ। थोड़ा सा सम्हाल लेना प्लीज,,,,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
“वो तो मैं सम्हाल लुंगी पर तुम वंश के साथ हो कही तुम्हे सच में उस से,,,,,,,,,,,,,!”,पूर्वी ने कहा और वह अपनी बात पूरी कर पाती इस से पहले ही निशि ने कहा,”शट अप पूर्वी ऐसा कुछ नहीं है अच्छा सुनो मैं तुम से बाद में बात करती हूँ। बाय बाय बाय।”
निशि ने फोन काट दिया और वही बैठकर मन ही मन खुद से कहने लगी,”वंश की तबियत खराब है और उस गधे ने किसी को बताया भी नहीं , इतने दिन से वह अकेला परेशान हो रहा था एटलीस्ट मुझे तो बता सकता था ना। उसे इस हाल में अकेले छोड़कर जाना भी सही नहीं होगा , जब तक वो ठीक नहीं जाता मुझे यही रुकना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन तब तक यहाँ रुककर मैं क्या करुँगी ? ओह्ह्ह करना क्या है जब तक वंश का बुखार सही नहीं होता तुम उसके इस कबाड़ख़ाने को इंसानो के रहने लायक बना सकती हो और क्या ?”
निशि उठी और कमरे में बिखरे वंश के सामान को समेटने लगी। निशि के मन में वंश को लेकर भावनाये तो थी इसलिए तो हर बार वंश से झगड़ने के बाद भी वह उसके पास चली आती थी। निशि ने वंश के सभी कपडे अच्छे से तह किये और उन्हें कबर्ड में रखने लगी। सभी जरुरी सामान सही जगह पर रखे और बेडशीट को सही किया। कमरे की सफाई कर निशि किचन में आयी जहा काफी सारे गंदे बर्तन रखे थे निशि ने उन्हें धोना शुरू किया।
इतना काम निशि ने कभी अपने घर में भी नहीं किया था इसलिये सब काम करने के बाद वह थक गयी और वंश के सोफे के सामने पड़े सोफे पर आकर बैठ गयी। थकान की वजह से निशि को नींद आ गयी और उसका सर सोफे के हत्थे से जा लगा। वह बैठे बैठे ही सो गयी।
बनारस , मुरारी का घर
दोपहर के खाने के समय मुन्ना और मुरारी बैठकर खाना खा रहे थे और वही बैठी अनु उन्हें खाना परोस रही थी। पिछले 3 दिन से मुरारी और अनु के बीच बातचीत बंद थी। अनु ने जब से मुरारी को उर्वशी के साथ देखा था तब से ही वह मुरारी से खासा नाराज थी। यहाँ तक कि अपने ही घर में मुरारी को अपने ऑफिस रूम में सोना पड़ता था। मुन्ना को इसकी खबर नहीं थी उसे लगा हमेशा की तरह उसके माँ पापा किसी बात पर नाराज होंगे।
अनु को खाना परोसते देखकर मुरारी ने धीरे से मुन्ना से कहा,”अपनी माँ से कहो खाना खा ले , परोसने का काम हम खुद कर लेंगे।”
“माँ,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने इतना ही कहा कि बोल पड़ी,”मुन्ना अपने पापा से कहो परवाह उनकी करे जिन्हे इनकी परवाह की जरूरत है।”
मुन्ना ने कुछ कहने के लिये मुरारी की तरफ देखा तो मुरारी पहले ही बोल पड़ा,”मुन्ना अपनी माँ से कहो हमको पुरे बनारस की परवाह है तो का सब का गुस्सा वो हम अकेले पर निकालेगी ?”
मुन्ना ने बेचारगी से अनु को देखा तो अनु ने कहा,”मुन्ना अपने पापा से कहो अगर आदमी की हरकते सही हो तो गुस्सा उतारने की जरूरत नहीं पड़ती।”
मुन्ना ने एक बार फिर मुरारी की तरफ देखा तो मुरारी ने उछलते हुए कहा,”अरे कौनसी हरकते ?
साला तुमहू तो ऐसे कह रही हो जैसे कोनो बहुते बड़ा कांड कर दिये हो हम,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना कहो इनसे ज़रा हमरी उम्र का तो लिहाज करे !!”
“बंदर कितना भी बूढ़ा हो जाये गुलाटी मारना नहीं भूलता,,,,,,,,,,,,,,,!”,कहकर अनु वहा से चली गयी तो मुरारी ने पीछे से कहा,”तुम का हमको बंदर कह रही हो ?”
“मुन्ना अपने पापा से कहो ये सिर्फ एक एग्जाम्पल था , बाकि वो खुद को ये समझना चाहे तो समझ सकते है वैसे भी दोनों में कोई ज्यादा फर्क नहीं है।”,अनु ने जाते जाते कहा और अपने कमरे में चली गयी
“हाँ तो तुमहू भी कोई कटरीना कैफ नहीं हो जो हम सलमान बनके तुम्हरे पीछे आएंगे,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने भी तैश में आकर कहा
अनु मुरारी की इन बातो से मुन्ना अच्छा खासा परेशान हो चुका था इसलिए उठा और जाने लगा तो मुरारी ने कहा,”का बेटा तुमहू कुछो कहोगे नाहीं ?”
मुन्ना ने एक गहरी साँस ली और कहा,”पापा बाकि सब तो ठीक है लेकिन आप सलमान तो किसी भी एंगल से नहीं लगते।”
“दफा हो जाओ हिया से , तुम भी अपनी माँ के साइड हो गए हो मुन्ना,,,,,,,,,,,!!,मुरारी ने कहा और उठकर वहा से चला गया। मुन्ना मुस्कुराया और मन ही मन कहा,”क्या पापा आप भी बड़े हो गए है लेकिन अभी तक बचपना नहीं गया है आपका।”
इंदौर , पुलिस स्टेशन
अपने केबिन में बैठा शक्ति किसी सोच में डूबा था। विश्वास गर्ग उस केस से जुड़ा था और वह काशी के कॉलेज से था लेकिन जब शक्ति ने काशी से विश्वास के बारे में पूछा तो काशी ने साफ़ मना कर दिया कि वह किसी विश्वास को नहीं जानती। यहाँ से शक्ति के लिये चीजे और मुश्किल हो गयी आखिर ऐसा क्या था जो काशी उस से छुपा रही थी। उनसे विश्वास को पहचानने से मना क्यों कर दिया ? बस यही बातें शक्ति को परेशान कर रही थी।
शक्ति अपने ख्यालो में डूबा था तभी कॉन्स्टेबल आया और कहा,”सर !”
कॉन्स्टेबल की आवाज से शक्ति की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”अह्ह्ह हां कहो क्या बात है ?”
“सर मुझे 2 घंटे की छुट्टी चाहिए , किसी जरुरी काम से बाहर जाना है।”,कॉन्स्टेबल ने कहा
“क्या हुआ सब ठीक है ?”,शक्ति ने पूछा
“पापा तुम चल रहे हो या मैं जाऊ ?”,कॉन्स्टेबल कुछ कहता इस से पहले ही एक 23-24 साला लड़के ने अंदर आते हुए कॉन्स्टेबल से कहा। शक्ति ने देखा लड़का नशे में था और उस से शराब की बदबू आ रही थी। शक्ति ने लड़के को देखा और कहा,”ए ! कौन हो तुम और अंदर कैसे आये ?”
“माफ करना सर ये मेरा बेटा है , इसने शराब पी रखी है आप इसके मुँह मत लगिये ,,
मैं इसे घर छोड़ने जा रहा था मैंने इसे बाहर रुकने को कहा लेकिन ये अंदर आ गया,,,,,,,,,,,,,,ए तू यहाँ क्या कर रहा है , मैं कहता हूँ बाहर चल यहाँ से,,,,,,,,,,,,,,ये बड़े साहब है तूने इन के सामने बदतमीजी कैसे की ? चल यहाँ से बाहर चल।”,कॉन्स्टेबल ने कहा
“एक मिनिट !”,शक्ति ने कहा और अपनी कुर्सी से उठकर लड़के के सामने चला आया
लड़के के मुंह से आती शराब की बदबू से शक्ति ने अपनी ऊँगली नाक के पास रखी और फिर अपना हाथ लड़के के कंधे पर रखकर कहा,”देखो इस उम्र में ये सब नशे करना सही नहीं है। तुम्हारे पापा यहाँ एक अच्छी पोस्ट पर है तुम्हे ऐसे सबके सामने उनकी इज्जत को मिटटी में नहीं मिलाना चाहिए।”
लड़के ने एक नजर शक्ति को देखा और अपने कंधे पर रखा उसका हाथ नीचे करके कहा,”ये लेक्चर किसी कॉलेज में जाकर दोगे तो ज्यादा सही रहेगा , ये मेरी लाइफ है मैं इसमें जो करू,,,,,, तुम होते कौन हो मुझे रोकने वाले ? जाकर उसे ढूंढो जिसने तुम पर गोली चलाई।”
लड़के के मुँह से गोली का नाम सुनकर शक्ति हैरान रह गया और अगले ही पल उसने लड़के की कॉलर पकड़ ली।
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