Sanjana Kirodiwal

“मैं तेरी हीर” – 38

Main Teri Heer – 38

Main Teri Heer

Main Teri Heer – 38

शक्ति वही था काशी ने जो देखा वो उसकी आँखों का धोखा नहीं बल्कि सच्चाई थी। काशी चली गई शक्ति जाती हुई गाड़ी को देखता रहा। वह काशी से क्यों छुपता फिर रहा था ये तो सिर्फ वही जानता था। शक्ति का मन बैचैन होने लगा दिनभर वह अपने कमरे में पड़ा रहा और शाम को घाट की तरफ चला आया। आज कही भी शक्ति का मन नहीं लग रहा था सीढ़ियों पर बैठा वह पानी में पत्थर फैंकता रहा और फिर उठकर वहा से बाहर चला आया चलते चलते वह काशी के बारे में ही सोच रहा था की बीती रात वह उसे अपने बारे में वो सब बाते क्यों बता रही थी ? क्या काशी से उसकी मुलाकात अब दोबारा कभी नहीं होगी ? शक्ति की आँखों के आगे काशी का प्यारा सा चेहरा आने लगा। उसकी बड़ी बड़ी आँखे , उसका मुस्कुराना , उसका मासूमियत से शक्ति को देखना सब एक एक करके किसी फिल्म के सीन की तरह शक्ति की आँखों के सामने चलने लगे। शक्ति को ध्यान ही नहीं रहा की कब सामने से आती बाइक ने अचानक से ब्रेक मारा और बाइक पर बैठे वंश ने कहा,”अबे अंधे हो क्या ? ब्रेक नहीं लगाते तो बाइक चढ़ गयी होती तुम पे”
शक्ति अपने ख्यालो से बाहर आया उस ने देखा सामने बाइक पर दो लड़के थे लेकिन शक्ति को ये नहीं पता था की ये दोनों काशी के भाई है उसने साइड होकर कहा,”माफ़ करना वो हमने ध्यान नहीं दिया”
“पता नहीं बनारस के लौंडो को हो क्या गया है ?”,वंश ने बाइक आगे बढ़ाते हुए कहा। मुन्ना ने एक नजर शक्ति को देखा उसे शक्ति थोड़ा अजीब लगा। बाइक आगे बढ़ गयी। शक्ति के पास किसी का फोन आया और वो वहा से चला गया। वंश के पीछे बाइक पास बैठे मुन्ना ने कहा,”इस वक्त कहा जा रहे है हम दोनों ?”
“सबूत लेने”,वंश ने कहा
“सबूत लेने,,,,,,,,,,,,,,,,,वंश पापा को पता चला तो घर से बाहर निकाल देंगे हम दोनों को”,मुन्ना ने कहा
“तेरी ना तेरे बाप से फटती बहुत है , जरा सोच हमारी जगह अगर पापा और मुरारी चाचा होते तो क्या करते ? खुद को सही साबित करने के लिए कुछ तो करते ना बस मैं भी वही कर रहा हूँ। अब तू चुप बैठ और चल”,वंश ने बाइक की स्पीड बढ़ाते हुए कहा
कुछ देर बाद दोनों बनारस से कुछ बाहर एक ढाबे जैसी जगह पहुंचे जहा पहले से कुछ लोग अपनी अपनी महफ़िल जमाये बैठे थे। वंश ने बाइक साइड में लगाई और मुन्ना से कहा,”चल आ तुझे बढ़िया मटर पनीर खिलाता हूँ”
“मटर पनीर ? किस ख़ुशी में ?”,मुन्ना ने साथ चलते हुए कहा
“वो भाभी के साथ तुम्हारे पोस्टर लगे है ना इस ख़ुशी में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या यार मुन्ना खाने के लिए मूड होना चाहिए ओकेजन नहीं , चल आ बैठ”,वंश ने एक खाली टेबल के पास पड़ी कुर्सी खिसका कर बैठते हुए कहा
मुन्ना भी वंश के सामने आ बैठा और कहा,”तेरे दिमाग में आजकल क्या चलता है कुछ समझ नहीं आता”
“चिल ना यार”,कहते हुए वंश ने ढाबे पर काम करने वाले लड़के को बुलाया। दो प्लेट मटर पनीर और 4 नान लेकर आने को कहा। मुन्ना के थोड़ा पीछे भूषण अपने लड़को के साथ बैठा था। वे सब भी यहाँ पार्टी करने आये हुए थे और वंश की नजर उन्ही पर थी। खाना आ गया वंश ने मुन्ना से खाने को कहा और उठकर जाने लगा तो मुन्ना ने कहा,”कहा चले ?”
“हल्के होकर आते है तुम शुरू करो”,कहकर वंश वहा से चला गया। मुन्ना को भनक तक नहीं थी क्या होने वाला है ? वंश का ध्यान भूषण पर था जो की किसी बात पर हंस रहा था चलते हुए उसने बगल वाली टेबल से बियर की बोतल उठायी जो की आधी भरी हुई थी। बोतल उसने भूषण के टेबल पर रखी। वंश को देखते ही भूषण के सामने बैठा लड़का उठ गया। भूषण के चेहरे से भी हंसी गायब हो गयी और वह वंश को देखने लगा। वंश सामने पड़ी खाली कुर्सी पर आकर बैठा और कहा,”क्या हुआ बैठो सब ?”
वंश को देखकर जो लड़के खड़े हुए थे वापस आ बैठे। वंश ने बियर की बोतल को भूषण के ग्लास से हल्का सा टकरा कर चियर्स कहा और थोड़ी सी बियर पी ली। भूषण को वंश का यू अचानक आना खटका तो उसने कहा,”यहाँ काहे आये हो ?”
वंश ने बोतल वापस रखी और कहा,”कॉलेज में पोस्टर किसने चिपकाये ?”
“का बकवास कर रहे हो ?”,भूषण ने कहा
“अभी प्यार से पूछ रहा हूँ बाद में दूसरे तरीके से पूछूंगा तो बताने का मौका भी नहीं दूंगा , चलो सवाल चेंज कर देता हु ये बताओ कॉलेज में पोस्टर क्यों लगाए ?”,वंश ने बियर का एक और घूंठ भरते हुए कहा
“ए भूषण भैया कह तो रहे है उनको नहीं पता फिर काहे इतना अकड़ रहे हो ?”,पास ही बैठे एक लड़के ने कहा तो वंश ने कुछ नहीं कहा बस हाथ में पकड़ी बियर की बोतल लड़के के सर पर दे मारी लड़के ने हाथ से अपना सर छुआ तो खून देखकर रो पड़ा। आस पास के लोगो ने देखा तो उठने को हुए लेकिन वंश ने हाथ के इशारे से उन्हें बैठने का इशारा किया।
“ए वंशवा का है जे सब हमको नहीं मालूम तुम किस पोस्टर की बात कर रहे हो ?”,भूषण ने कहा
वंश मुस्कुराया और कहने लगा,”तुमको क्या लगता है बे तुम मेरे कॉलेज से नहीं हो तो मैं तूमको पहचानूंगा नहीं। जे सब है पढ़े लिखे लौंडे और इन सब में तुम हो पांचवी फेल। अब साले तुमको जे नहीं पता की पूजा में दो बार ओ लगता है तुम छपवा दिए 3 बार ओ ,, और मैं कन्फर्म था जे काम तुमने ही इनको सौंपा है क्योकि तुम्हारे साथ रहकर इनकी अकल पर भी पत्थर पड़ गए है इन्होने भी डिट्टो छाप दिया। अब बताते है काम की बात तुम्हारे राजन भैया को मैंने पीटा है फिर तुम साले मुन्ना से बदला काहे ले रहे हो बे ?”
भूषण की एक गलती की वजह से उसका भांडा फूट गया। उसने इधर उधर देखा और कहने लगा,”देखो वंश हमको कुछो नहीं पता उह लड़की हमसे बोली जे सब करने को , हम लोग मुन्ना के साथ ऐसा क्यों करेंगे ?”
वंश थोड़ा सा भूषण के नजदीक गया और कहा,”देखो बेटा ऐसा है मैं मुन्ना नहीं हूँ जो तुम मुझे चाशनी में लपेटने का सोच रहे हो ,, तुम्हारी नियत से अच्छी तरह वाकिफ हूँ। तुम सबका भला इसी में है कल सुबह तुम्हारे ये चमचे जो उसी कॉलेज के स्टूडेंट है जाकर प्रिंसिपल को सब सच बताएँगे और मुन्ना से माफ़ी मांगेंगे”
“और अगर नहीं मांगे माफ़ी तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,भूषण ने वंश की आँखों में देखते हुए कहा
“तो तुम सबको इतना तोडूंगा की बनारस का कोई डॉक्टर जोड़ नहीं पायेगा”,वंश ने भी गुस्से से कहा
भूषण वंश से पहले से खार खाकर बैठा था और आज मौका अच्छा था इसलिए उसने आँखों से वंश के पास खड़े लड़के को इशारा किया। लड़के ने जैसे ही वंश को मारने के लिए हाथ उठाया वंश पीछे झुक गया और लड़के का वार खाली चला गया। वंश ने लड़के को सम्हलने का मौका ही नहीं दिया और एक घुसा उसके पेट में दे मारा। लड़का दर्द से कराहते हुए नीचे जा गिरा। भूषण ने दूसरे लड़के को इशारा किया तो वंश ने उसकी कनपटी पर अपना हाथ रखकर सर को जोर से टेबल पर दे मारा। तीसरे लड़के को भी वंश ने बिना वक्त गवाए घुसा दे मारा और वह भी नीचे गिर पड़ा।
मुन्ना इन सबसे बेख़कर दूर बैठा खाना खा रहा था। उसे वैसे भी किसी के झगडे में पड़ने का शौक नहीं था , एक बार उसने पलटकर देखा भी की कुछ लड़के आपस में लड़ रहे है पर रोशनी कम होने की वजह से उसे वंश दिखाई नहीं दिया और वह आराम से बैठकर अपना खाना खाने लगा।
भूषण ने देखा तो गुस्से से उठा और टेबल पर अपना हाथ मारते हुए कहा,”गलत पंगा ले रहे हो वंश”
वंश ने कुछ नहीं कहा अगले ही पल भूषण के चेहरे पर दर्द दिखाई देने लगा , वह चीख पड़ा। पास ही भूषण का आदमी खड़ा था ये वही था जिसने भूषण को वंश से पंगा लेने से बीती रात रोका था क्योकि ये लड़का वंश के ही कॉलेज से था और इसने कई बार वंश की लड़ाई देखी थी। उसने भूषण को रोते देखा तो हैरान हुआ लेकिन अगले ही पल उसकी नजर टेबल पर रखे भूषण के हाथ पर गयी जिसमे नूडल्स खाने वाला काँटा भोंका हुआ था।
वंश थोड़ा सा भूषण के पास आया और उसकी आँखो में देखते हुए कहने लगा,”मुन्ना सिर्फ मेरा भाई नहीं है मेरी पूरी दुनिया है और अगर किसी ने उसे ठेस पहुंचाने की कोशिश भी की तो उस साले की दुनिया बदल देंगे हम ,,, समझ रहे हो ? आईन्दा से अगर ऐसी कोई भी घटिया हरकत की और उसके पीछे तुम हुए तो जे कांटा हाथ का बजाय सीधा गले में घुसा देंगे याद रखना ये तुम”
कहते हुए वंश ने काँटा उसके हाथ से निकाला तो दर्द से बिलबिलाते हुए भूषण नीचे जा गिरा
वंश की धमकी से भूषण डर गया। वंश ने पलटकर लड़के को देखा तो लड़के ने कहा,”हम समझ गए भैया कल सुबह जाकर हम प्रिंसिपल सर को सब सच बता देंगे”
“समझदार हो ! अब ये जो नुकसान हुआ है उसका पैसा भरो और इनको लेकर निकलो यहाँ से,,,,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना ने देखा तो खामखा उसको लगेगा मैंने इनको पीटा है”,वंश ने अपने शर्त को सही करते हुए कहा
“लेकिन आपने ही तो,,,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने हैरानी से कहा
“ये तुमको और इनको पता है मुन्ना को नहीं,,,,,,,,,,,!!”,कहकर वंश वहा से चला गया। वंश की हिम्मत और उसके ऐटिटूड को देखकर लड़का मुस्कुराये बिना नहीं रह सका

वंश मुन्ना के पास आया और बैठते हुए कहा,”अबे ये क्या अकेले खा गया सब ?”
“तूने कुछ ज्यादा ही देर लगा दी और ये मटर पनीर अब तक का बेस्ट था तो हमसे रहा नहीं गया।”,मुन्ना ने आखरी निवाला खाते हुए कहा
“चल कोई ना मैं दुसरा मंगवा लेता हूँ”,वंश ने कहकर एक प्लेट और मंगवा ली और गुनगुनाते हुए खाना आने का वेट करने लगा
“अभी कुछ देर पहले वहा शोर कैसा था ?”,मुन्ना ने कहा
“कुछ लड़के थे दारू पीकर उत्पात मचा रहे थे”,वंश ने बेपरवाही से कहा
“तुमने तो कुछ नहीं किया ना ?”,मुन्ना ने पूछा
“मैं वहा क्यों जाऊंगा ? तू भी ना मुन्ना आजकल इतना शक करता है की बीवी की कमी महसूस ही नहीं होती”,वंश ने अफ़सोस जताते हुए कहा तो मुन्ना हंस पड़ा। वंश ने देखा वो लड़का भूषण को लेकर मुन्ना के बगल से ही गुजर रहा है तो वह जल्दी से मुन्ना के बगल में आया और उसके कंधे को हाथ से साफ करते हुए कहा,”कितना केयरलेस हो गया है तू मिटटी लगी है यहां”
लड़का भूषण को लेकर जा चुका था तो वंश आकर वापस अपनी जगह पर बैठ गया।
“क्या बात है आज तुझे बड़ा प्यार आ रहा है हम पे ?”,मुन्ना ने कहा
“अब लड़कियों का प्यार तो पता नहीं कब नसीब होगा तुझे ? क्यों ना तब तक इस भाई का ही प्यार मिल जाये”,वंश ने नौटंकी करते हुए कहा।
“अबे तेरा प्यार एक तरफ और दुनिया की सारी लड़कियों का प्यार एक तरफ”,मुन्ना ने कहा
“आह !! दिल खुश कर दिया यार , ये आज जो तूने कहा है ना इसको याद रखना कही लड़की मिलते ही भूल मत जाना”,वंश ने कहा
खाना आ गया वंश ने खाना खाया और फिर दोनों घर जाने के लिए निकल गए। मुन्ना ने बाइक स्टार्ट की इस बार वंश उसके पीछे आ बैठा। मुन्ना ने बाइक आगे बढ़ा दी। बाइक चलाते हुए उसने कहा,”अच्छा तू कुछ सबूत की बात कर रहा था मिला ?”
“वो तो मुझे नहीं मिला”,वंश ने कहा
“तो अब ?”,मुन्ना ने कहा।
“अब क्या ? कल सुबह कॉलेज जायेंगे , एक एक हफ्ते का सस्पेंशन लेंगे और घर में रहकर आराम करेंगे”,वंश ने कहा
“ये था तेरा प्लान ?”,मुन्ना ने चिढ़ते हुए कहा
“मुन्ना टेंशन मत ले , सब ठीक हो जाएगा”,वंश ने कहा इतने में मुन्ना का फोन बजा। वंश ने उसकी जेब से फोन निकालकर उसके कान से लगा दिया दूसरी तरफ मुरारी था उसने फोन उठाते ही कहा,”कहा हो बेटा ?”
“यही है पापा जगतगंज की तरफ , घर ही आ रहे है”,मुन्ना ने कहा
“वंश तुम्हारे साथ होगा एक काम करो वंश के साथ उसके घर चले जाओ , शिवम् भैया और भाभी घर में है नहीं तो जब तक उह नहीं आते तुमहू वंश के साथ उसी के घर में रहो”,मुरारी ने कहा
“ठीक है पापा , रखते है”,मुन्ना ने कहा और वंश से फोन काटने का इशारा किया
“क्या कह रहे थे मुरारी चाचा ?”,वंश ने फोन अपनी जेब में रखते हुए कहा
“कह रहे है की जब तक बड़े पापा नहीं आते हम तुम्हारे साथ रहे”,मुन्ना ने कहा
“ये तो और भी अच्छा है खूब जमेगा रंग जब तुम रहोगे हमारे साथ”,वंश ने कहा
“जे पापा को अचानक से का हो गया ?”,मुन्ना ने सोचते हुए कहा
“कुछ नहीं हुआ है घर चलो”,वंश ने मुन्ना की पीठ से अपना सर लगाकर आँखे मूंदते हुए कहा।

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क्या शक्ति काशी को भूल पायेगा ? वंश की धमकी से भूषण सुधरेगा या नहीं ? मुरारी ने मुन्ना को वंश के घर रुकने को क्यों कहा ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहिये मैं तेरी हीर

क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 39

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संजना किरोड़ीवाल

शक्ति वही था काशी ने जो देखा वो उसकी आँखों का धोखा नहीं बल्कि सच्चाई थी। काशी चली गई शक्ति जाती हुई गाड़ी को देखता रहा। वह काशी से क्यों छुपता फिर रहा था ये तो सिर्फ वही जानता था। शक्ति का मन बैचैन होने लगा दिनभर वह अपने कमरे में पड़ा रहा और शाम को घाट की तरफ चला आया। आज कही भी शक्ति का मन नहीं लग रहा था सीढ़ियों पर बैठा वह पानी में पत्थर फैंकता रहा और फिर उठकर वहा से बाहर चला आया चलते चलते वह काशी के बारे में ही सोच रहा था की बीती रात वह उसे अपने बारे में वो सब बाते क्यों बता रही थी ? क्या काशी से उसकी मुलाकात अब दोबारा कभी नहीं होगी ? शक्ति की आँखों के आगे काशी का प्यारा सा चेहरा आने लगा। उसकी बड़ी बड़ी आँखे , उसका मुस्कुराना , उसका मासूमियत से शक्ति को देखना सब एक एक करके किसी फिल्म के सीन की तरह शक्ति की आँखों के सामने चलने लगे। शक्ति को ध्यान ही नहीं रहा की कब सामने से आती बाइक ने अचानक से ब्रेक मारा और बाइक पर बैठे वंश ने कहा,”अबे अंधे हो क्या ? ब्रेक नहीं लगाते तो बाइक चढ़ गयी होती तुम पे”
शक्ति अपने ख्यालो से बाहर आया उस ने देखा सामने बाइक पर दो लड़के थे लेकिन शक्ति को ये नहीं पता था की ये दोनों काशी के भाई है उसने साइड होकर कहा,”माफ़ करना वो हमने ध्यान नहीं दिया”
“पता नहीं बनारस के लौंडो को हो क्या गया है ?”,वंश ने बाइक आगे बढ़ाते हुए कहा। मुन्ना ने एक नजर शक्ति को देखा उसे शक्ति थोड़ा अजीब लगा। बाइक आगे बढ़ गयी। शक्ति के पास किसी का फोन आया और वो वहा से चला गया। वंश के पीछे बाइक पास बैठे मुन्ना ने कहा,”इस वक्त कहा जा रहे है हम दोनों ?”
“सबूत लेने”,वंश ने कहा
“सबूत लेने,,,,,,,,,,,,,,,,,वंश पापा को पता चला तो घर से बाहर निकाल देंगे हम दोनों को”,मुन्ना ने कहा
“तेरी ना तेरे बाप से फटती बहुत है , जरा सोच हमारी जगह अगर पापा और मुरारी चाचा होते तो क्या करते ? खुद को सही साबित करने के लिए कुछ तो करते ना बस मैं भी वही कर रहा हूँ। अब तू चुप बैठ और चल”,वंश ने बाइक की स्पीड बढ़ाते हुए कहा
कुछ देर बाद दोनों बनारस से कुछ बाहर एक ढाबे जैसी जगह पहुंचे जहा पहले से कुछ लोग अपनी अपनी महफ़िल जमाये बैठे थे। वंश ने बाइक साइड में लगाई और मुन्ना से कहा,”चल आ तुझे बढ़िया मटर पनीर खिलाता हूँ”

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