Main Teri Heer – 25
Main Teri Heer – 25
मुरारी मुन्ना और वंश को लेकर अपने घर आया। शिवम् के घर पर ख़ुशी का माहौल था और ऐसे में मुरारी नहीं चाहता था की उनकी खुशियों में खलल पड़े। गाड़ी घर के अंदर आकर रुकी मुरारी नीचे उतरा और वंश मुन्ना को अंदर आने को कहा। वंश और मुन्ना दोनों ने ख़ामोशी से एक दूसरे को देखा और फिर मुरारी के पीछे चले आये। मुन्ना वंश को साथ देखते ही अनु ने कहा,”अरे वाह आज दोनों साथ साथ आये हो , जाओ जाकर हाथ मुंह धो लो मैं खाना लगवा देती हूँ”
“जे दोनों खाना नहीं खाएंगे”,मुरारी ने सख्त स्वर में कहा
“क्यों ? बाहर से खाकर आये है क्या ? अच्छा ठीक है तुम तो खाओगे ना ?”,अनु ने डायनिंग पर रखी प्लेट को सीधा करते हुए कहा
“नहीं हम बाद में खाएंगे , पहले हमे तुम्हारे हाथ से बनी एक कप चाय चाहिए लेकर आओगी”,मुरारी ने कहा
“ठीक है लाती हूँ”,कहकर अनु चली गयी आज मुरारी कुछ बदला बदला नजर आ रहा था
अनु के जाने बाद मुरारी सामने खड़े मुन्ना और वंश को घूरने लगा और कुछ देर बाद कहने लगा,”बाप की इज्जत को गंगा मैया में डूबाने का पूरा प्लान बना लिए हो तूम दोनों ,, हमको जे बताओ का कमी रखे है हम और शिवम् भैया तुम दोनों के जीवन में,,,,,,,,,,,,माना की जे उम्र में रंगबाजी करने की चूल सबको मचती है पर बेटा एक्को बात का ध्यान रखो तुम दोनों के जो बाप है ना उनकी बहुते इज्जत है बनारस में उसको ना मिटटी में ना मिलाओ।”
“पापा आप जो समझ रहे है वैसा कुछ भी नहीं हुआ है , वो इंस्पेक्टर ने गलत बात की तो वंश ने,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना कहते कहते रुक गया
“ए बेटा तुम दोनों ना जियादा होसियार ना बनो , तुम्हारे बाप है हम। बनारस की जितनी गलिया तुम दोनों ने देखी नहीं है उस से कई ज्यादा गलिया छान चुके है हम ,, शराब पीकर गाड़ी चलाओगे तो पुलिस वाला तो हॉन्कायेगा ना , और तुमहू का वकालत कर रहे हो वंश से बड़े हो समझा नहीं सकते इसको,,,,,,,!!”,मुरारी ने दोनों को डाँटते हुए कहा
“जे लाड़साहब सुनते कहा है हमारी जो हम समझायेंगे इन्हे”,मुन्ना बड़बड़ाया
मुरारी को गुस्से में देखकर वंश ने कहा,”अरे चाचा आप खामखा हम दोनों को डांट रहे है सारी गलती उस इंस्पेक्टर की है हम दोनों आराम से आ रहे थे उसी ने रोककर नाटक किया”
“बेटा शिवम् भैया को पता चला ना जे सब तो नाटक नहीं हम सबकी फिल्म बनाएंगे उह , जानते नहीं का तुम उनको अरे हमारी खुद उनसे फटती है यार काहे हमारी लंका लगाने पर तुले हो,,,,,,,,,,,,,,,और एक मिनिट देशी पिए हो का ?”,मुरारी ने सूंघते हुए कहा
“अरे यार चचा कुछ नहीं पिए है हम देखो,,,,,,,,,,,,,,,,हाह , इह तो एक शराबी लड़का हमारे अंदर आ गिरा इहलीये महक आ रही है। जे सब पीना तो दूर हम हाथ भी नहीं लगाते है कब का छोड़ दिए”,वंश ने कहा
“खाओ विदया कसम”,मुरारी ने कहा
“विदया कौन है ?”,वंश ने हैरानी से मुन्ना की तरफ देखकर कहा
“अबे पढाई की देवी की बात कर रहे है , कसम खाओ के आज के बाद जे सब नहीं करोगे”,मुरारी ने कहा
“आपकी कसम नहीं करेंगे”,वंश ने विश्वास दिलाते हुए कहा
“तुम्हारी कसम के चक्कर में कही हम ना निपट जाये वंशवा”,मुरारी ने कहा और देखा अनु चली आ रही है तो माहौल को सामान्य करते हुए मुन्ना और वंश से कहा,”चलो आओ खाना खा लो”
मुन्ना और वंश ने हाथ मुंह धोया और दोनों डायनिंग टेबल के पास पड़ी कुर्सियों पर आकर बैठ गए। अनु ने देखा तो मुस्कुराते हुए कहा,”अभी थोड़ी देर पहले तो तुम दोनों को भूख नहीं थी अब अचानक से,,,,,,,,,,,,,खैर कोई नहीं मैं किशना से कहकर गर्म चपाती बनवा देती हूँ”
अनु ने मुरारी को चाय दी और वापस चली गयी। मुरारी ने चाय का को उठाया और पीते हुए कहने लगा,”तुम दोनों को शायद पता नहीं है पर आज हम तुम दोनों को एक बात बताते है , आज शिवम् भैया जिस मुकाम पर है वहा पहुँचने में उन्होंने बहुत मेहनत की है। एक जमाना था जब बनारस में लोग हमारे नाम से डरते थे और एक जमाना आज है जब लोग हमसे प्यार करते है , रिस्पेक्ट करते है तो जे इमेज को बरकार रखना बहुते जरुरी है , और इसकी जिम्मेदारी जाती है तुम दोनों के कंधो पर,,,,,,,अब इसको कैसे सम्हालना है जे तुम तय कर लो”
“सॉरी पापा थोड़ी गलती हमारी भी है”,मुन्ना ने कहा जो की काफी देर से शांत बैठा था
मुन्ना को सॉरी बोलते देखकर वंश का भी मन पिघला और उसने कहा,”सॉरी चाचू आगे से हम लोग ध्यान रखेंगे”
“हम्म्म देखो बेटा हम तुम दोनों बाप है जल्लाद नहीं जो फांसी पर चढ़ा देंगे , तुमको कुछो चाहिए तो हमसे आकर कहो हम करेंगे अरेजमेंट , अच्छे घर के लड़के हो यार मतलब ठीक से रहो,,,,,,,,,,,का समझे ?”,मुरारी ने प्यार से समझाते हुए कहा
अनु गरमागरम खा ले आयी वंश और मुन्ना दोनों ने खाया और फिर मुन्ना के साथ उसके कमरे में चला आया। मुरारी ने सारिका को फोन कर दिया की वंश उनके यहाँ है। शिवम् को भी कोई ऐतराज नहीं था।
ऊपर कमरे में आकर वंश ने कपडे बदले और देखा मुन्ना अभी भी उन्ही कपड़ो में है और खिड़की के पास खड़ा है। वंश मुन्ना की तरफ आया तो देखा मुन्ना के होंठो के बीच बिना जली सिगरेट है और वह एकटक सड़क पर लगी स्ट्रीट लाइट को देख रहा है। वंश ने उसके मुंह से सिगरेट निकालते हुए कहा,”इसे जलाना भी पड़ता है”
“हाँ , हां”,कहते हुए मुन्ना ने उसे फिर होंठो के बीच रखा और जला ली। एक दो कश लगाने के बाद मुन्ना ने वंश को देखा और कहा,”क्या हुआ ?”
“मुझे छोड़ तू बता तुझे क्या हुआ ? आज से पहले तो तुझे इतना गुस्से में नहीं देखा कभी”,वंश ने मुन्ना को कुछ देर पहले घटी घटना के बारे में याद दिलाते हुए कहा
मुन्ना बाहर देखते हुए सिगरेट के कश लगाने लगा , वंश भी खिड़की के दूसरे सिरे पर खड़े होकर मुन्ना को देखते हुए कहने लगा,”क्या हुआ इतना टेंशन में क्यों है तू ? ओह्ह्ह अच्छा तू शायद सोच रहा होगा कही पापा को पता ना चल जाये,,,,,,,,,,,,,,डोंट वरी मुरारो चाचा उन्हें थोड़े ना बताएँगे। वैसे तेरे पापा बड़े कूल है यार , उनकी जगह पापा होते ना तो अब तक 3-4 बार सुताई हो चुकी होती हम दोनों की”
“वो दरोगा बनारस में क्यों आया है ?”,मुन्ना बड़बड़ाया
“उसकी यहाँ पोस्टिग है इसलिए आया है यार , हम लोग चाहे तो मुरारी चाचा से कहकर उसका ट्रांसफर करवा सकते है”,वंश ने कहा
“पापा की तरह बात मत करो वंश , हम बस ये सोच रहे है की आखिर वो इंस्पेक्टर हमसे चाहता क्या है ? वो हमारे सामने कुछ और था पापा के सामने कुछ और,,,,,,,,,,,,आखिर चल क्या रहा है उसके दिमाग में ?”,मुन्ना ने सिगरेट का आखरी कश लगाकर डंठल फेंकते हुए कहा
“मुन्ना तू ना ज्यादा सोच रहा है , अच्छा चलकर सो जा मुझे बहुत नींद आ रही है”,कहते हुए वंश बिस्तर पर चला आया। कुछ देर बाद मुन्ना भी चला आया और आकर वंश के बगल में लेट गया लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसो दूर वह समझ नहीं पा रहा था की आखिर किशोर और उसके बीच ये झगड़ा क्यों था ? खैर देर रात मुन्ना को नींद आ गयी
अगली सुबह दिवाली थी सुबह से ही घर में सजावट का काम चल रहा था। मुरारी फोन पर लगा हुआ था सी.एम. सर ने पर्सनली मुरारी को फोन करके दिवाली की बधाईया दी थी मुरारी तो ख़ुशी से फुला नहीं समा रहा था। अब चूँकि मुरारी विधायक था तो बड़े बड़े लोगो का उसके घर आना जाना लगा रहता था आज भी सुबह से ही मुरारी के घर जमघट लगा हुआ था। वही अनु से मिलने भी उसकी सहेलिया और आस पास की औरते आयी हुई थी। मुन्ना सुबह जल्दी उठकर महादेव के मंदिर चला गया था। वंश नींद से उठा और आँखे मसलते हुए बाहर आया तो मुरारी के घर में लोगो को देखकर थोड़ा हैरान हो गया , उसे सबके बीच जाना ठीक नहीं लगा तो वह वापस कमरे में चला आया और नहाने चला गया। उसने कबर्ड से मुन्ना के कपडे निकाले और पहन लिए ,, मुन्ना और वंश के कपड़ो में ज्यादा फर्क नहीं था। वंश नीचे आया और मुरारी से कहा,”चाचा हम घर जा रहे है और आप शाम में आ जाईयेगा याद से”
“ठीक है किशना को भेजता हूँ उह छोड़ आएगा”,मुरारी ने कहा
“अरे उन्हें क्यों परेशान करना पास ही में तो है दो गली छोड़कर मैं चला जाऊंगा”,वंश ने कहा और वहा से चला गया।
वंश घर आया घर का नक्शा ही बदल चुका था। घर को ऐसे सजाया गया था जैसे किसी को शादी हो। वंश अंदर आया देखा सारिका आंगन में रंगोली बना रही है और अंजलि उसकी मदद कर रही है। वंश ने अंजलि को देखा तो कहा,”और छिपकली ?”
अंजलि ने सूना तो वंश की ओर देखा और मुंह बनाकर वापस अपना ध्यान रंगोली में लगा लिया। सारिका ने वंश को देखा तो कहा,”मुरारी भैया और अनु आ रहे है ना शाम में ?”
“हाँ माँ मैंने उन्हें बोल दिया है और मुन्ना तो दोपहर में ही आ जाएगा”,वंश ने अंदर जाते हुए कहा। सामने से आई आती दिखी तो वंश ने उनके कंधो को पकड़कर घुमाते हुए कहा,”हाये क्या लग रही हो मेरी डार्लिंग , एकदम सुपर”
“अरे अरे बेटा गिर जायेगे हम , तुम्हारे लिए डायनिंग पर हलवा रखे है जाकर खा लो”,आई ने बाहर जाते हुए कहा
वंश कूदते उछलते अंदर चला आया उसने डायनिंग पर पड़ी हलवे की कटोरी उठाई और एक चम्मच खाया , हलवा बहुत टेस्टी था वह हॉल में घूमते हुए खाने लगा उसने देखा बाबा कुछ काम कर रहे है तो उसने कहा,”बाबा शाम का क्या प्रोग्राम है ?”
“शिवा ने कहा तो था नाच गाने का बंदोबस्त भी होगा उसी के लिए ऑर्केस्टा वालो का नंबर ढूंढ रहा हूँ मिल नहीं रहा है”,बाबा ने अपनी फोनबुक देखते हुए कहा
“अरे बाबा उसकी चिंता आप ना करो मैं करवा दूंगा”,वंश ने खाते हुए कहा
“शुक्रिया बेटा”,कहकर बाबा चले गए और वंश चला गया बाहर किसी काम से ,, शाम तक सारी तैयारियां हो चुकी थी मेहमान आने लगे थे सभी तैयार होने चले गए। शिवम् ने अच्छा बंदोबस्त किया था। वंश बाहर से आया तो सारिका ने उसे भी तैयार होकर आने को कहा
वंश ने देखा घर में सब है लेकिन काशी दिखाई नहीं दे रही। काशी को ढूंढते हुए वंश ऊपर कमरे में आया तो देखा काशी अपने कमरे में बिस्तर पर बैठी सामने पड़े कपड़ो को घूरे जा रही है। वंश आया और उसके सामने गिरते हुए कहा,”क्या हुआ ऐसे क्यों बैठी हो ?”
“वंश भैया देखो ना टेलर ने हमारे सारे कपडे बेनाप के सिल दिए है , कुछ को इतना टाइट किया है की हम साँस ना ले पाए और कुछ को इतना लूज की हमारे साथ अंजलि भी फिट हो जाये”,काशी ने अपनी दुविधा बताई
“बस इतनी सी बात चलो हम लेकर चलते है तुम्हे टेलर के पास , पहले उसे अच्छे से फटकार लगाएंगे फिर तुम्हारे कपडे सही करवा देंगे”,वंश ने लेटे लेटे कहा
“यहाँ का टेलर होता तो हम चले जाते ना , ये इंदौर के टेलर्स ने सिला है वो भी डिजायनर”,काशी ने कहा
“कोई बात नहीं मार्किट चलकर दुसरा खरीद लेते है”,वंश ने कहा
“नहीं हमे यही पहनना है”,काशी ने छोटी बच्ची की तरह मचलते हुए कहा
कुछ देर बाद मुन्ना वहा आया , उसने सफ़ेद रंग का कुरता पजामा पहना हुआ था। हाथ में घडी , दाढ़ी फिर से उग आयी थी उसे अच्छे से ट्रिम किया हुआ। मुन्ना बहुत ही प्यारा लग रहा था। मुन्ना ने काशी और वंश को ऐसे बैठे देखा तो कहा,”क्या हुआ तुम दोनों अभी तक तैयार नहीं हुए ?”
वंश ने मुन्ना को काशी की परेशानी बताई तो मुन्ना ने कहा,”हम्म्म तो ये बात है , अच्छा काशी बताओ तुम्हे कोनसा पहनना है ?”
काशी ने सामने पड़ा पिंक कलर का ब्लाउज उठाकर मुन्ना को देकर कहा,”ये लेकिन बहुत टाइट है”,काशी ने कहा
“अब क्या तू यहाँ बैठकर काशी का ब्लाउज सिलेगा ?”,वंश ने हैरानी से कहा
“तू अपने कमरे में जा और तैयार होकर नीचे चल हम काशी को लेकर आते है”,मुन्ना ने कहा और कुछ सामान ढूंढने लगा। वंश चला गया , मुन्ना ने कैंची ली और ब्लाउज को पीछे से काटकर दिया , काशी बस मुन्ना को देखते रही। मुन्ना ने कुछ जुगाड़ करके काशी के ब्लाउज को पहले से अच्छा बना दिया और उसे देते हुए कहा,”लो ये पहनकर देखो”
काशी ने ब्लाउज लहंगा लिया बाथरूम की तरफ गयी और पहनकर वापस चली आयी काशी भी हैरान थी की वो बलाउज उसे फिट आ रहा था। वह खुश हो गयी। उसने कमरे में इधर उधर घूमते हुए कहा,”अरे वाह मुन्ना भैया आपने तो कमाल कर दिया”
“इसे जुगाड़ कहते है , अच्छा हम चलते है तुम जल्दी से तैयार होकर नीचे चली आना”,मुन्ना ने मुस्कुरा कर कहा और जैसे ही जाने लगा काशी ने कहा,”मुन्ना भैया एक मिनिट”
काशी मुन्ना के सामने आयी और उसके कुर्ते की बाजु फोल्ड करते हुए बातें करने लगी। मुन्ना बस प्यार से काशी को देखता रहा और फिर एकदम से कहा,”काशी गलत कहते है लोग की पत्नी अपने पति के लिए सब करे तो बहुत खूबसूरत लगती है लेकिन जब एक बहन अपने भाई के लिये ऐसा करती है तो ज्यादा खूबसूरत लगती है”
“मुन्ना भैया आप बहुत अच्छे है इसलिए हमे आपके लिए ये सब करना अच्छा लगता है , अब आप नीचे जाईये हम थोड़ी देर में आते है”,काशी ने मुन्ना से कहा तो मुन्ना वहा से चला गया
मुन्ना के जाने के बाद काशी ने कमरे का दरवाजा बंद किया और शीशे के सामने आकर तैयार होने लगी। कमरे की खिड़की खुली थी जिस से ठंडी ठंडी हवाएं कमरे के अंदर आ रही थी। काशी ने अपने बाल बनाये , कानो में झुमके पहने , आँखों में काजल लगाया , होंठो पर लिपस्टिक , कंधे पर दुपट्टा लगाकर उसे पिन अप करने लगी। काशी तैयार थी तैयार होकर वह जैसे ही दरवाजे की तरफ बढ़ी उसे याद बिंदी तो उसने लगाई ही नहीं। बिंदी लगाने के लिए काशी वापस ड्रेसिंग के पास आयी , उसे बिंदी नहीं मिली वह ढूंढने लगी तभी काशी को अहसास हुआ जैसे कमरे में कोई आया है। वह पलटी एक अनजान शख्स देखकर काशी जैसे ही चिल्लाने को हुई उसने काशी के पास आकर जल्दी से अपना हाथ काशी के मुंह पर रखा। काशी की पीठ दिवार से जा लगी। काशी ने देखा वह लड़का कोई और नहीं बल्कि “शक्ति” था। उसकी गहरी आँखे , उसके सुर्ख होंठ , उसके माथे पर बिखरे बाल , उसका सांवला रंग सब देखकर काशी एक पल के लिए उसे देखते ही रह गयी। शक्ति से उसकी दूसरी मुलाकात ऐसे होगी उसने सोचा नहीं था। वह एकटक उसे देखे जा रही है ,, शक्ति ने भी उसकी आँखों को देखता रहा जो की इस वक्त किसी दिए सी दिखाई दे रही थी। काशी को कोई हलचल करते ना देखकर शक्ति ने धीरे से अपना हाथ उसके मुंह से हटाया। जब उसने काशी को देखा तो बस देखता ही रह गया , उसकी खूबसूरती , उसके नैन-नक्श , आज से पहले शक्ति ने किसी लड़की को इतने प्यार से नहीं देखा था। शक्ति ने देखा ये वही लड़की थी जो उस से घाट की सीढ़ियों पर टकराई थी। शक्ति को चुप देखकर काशी ने धीरे से कहा,”आप चोर हो ?”
“नहीं हम , हम चोर नहीं है”,शक्ति ने काशी से नजरे हटाकर साइड होते हुए कहा
“फिर आप ऐसे खिड़की से हमारे कमरे में,,,,,,,,,,!!”,काशी आगे कुछ कहती इस से पहले ही किसी ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया। काशी ने एक नजर शक्ति को देखा जिसके चेहरे पर बेचैनी नजर आ रही थी। काशी गेट के पास आयी और कमरे के दरवाजे को थोड़ा सा खोला , सामने अंजलि खड़ी थी शक्ति को लगा काशी सबको सच बता देगी , वह फंस चूका था उसने एक नजर काशी को देखा दोनों की नजरे एक दूसरे से जा मिली और दिल धड़क उठे। काशी ने शक्ति की परेशानी को भांप लिया था उसने अंजलि की तरफ देखा तो अंजलि ने कहा,”काशी नीचे सब तुम्हारा इंतजार कर रहे है , चलो ना”
“तुम चलो हम अभी आते है”,काशी ने कहा वह नहीं चाहती थी अंजलि कमरे में आये और शक्ति को वहा देखे
“नहीं मामाजी ने कहा है की हम तुम्हे साथ लेकर आये”,अंजलि ने कहा
“अच्छा ठीक है हम अपना दुपट्टा लेकर आते है”,कहते हुए काशी ने दरवाजा वापस बंद कर दिया और जैसे पलटी शक्ति वहा नहीं था। काशी कमरे में यहाँ वहां उसे ढूंढने लगी लेकिन शक्ति वहा नहीं था। काशी खिड़की के पास आयी और नीचे देखा शक्ति वहा से जा रहा था। जाते जाते शक्ति ने एक नजर काशी को देखा और वहा से चला गया।
आखिर काशी के घर में ऐसे चोरी छुपे क्यों आया था शक्ति ? दिवाली की शाम वंश क्या धूम मचाने वाला है ? क्या काशी शक्ति से दोबारा मिल पायेगी ? जानने के लिए पढ़ते सुनते रहे “मैं तेरी हीर”
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संजना किरोड़ीवाल