Sanjana Kirodiwal

“मैं तेरी हीर” – 10

Main Teri Heer – 10

SanjanaKirodiwal

Main Teri Heer – 10

25 साल बाद भी मुरारी में कोई सुधार नहीं था। वह अभी भी वैसा ही था मुंहफट और डरता तो वो किसी के से नहीं था हां पहले से ज्यादा कॉन्फिडेंस जरूर आ गया था उसमे। बनारस मे उसकी बड़ी इज्जत थी और साथ ही बनारस के लोग उसे मानते भी बहुत थे क्योकि 25 सालो में मुरारी ने कभी अपनी विधायकी का घमंड नहीं दिखाया वह हमेशा जमींन से जुड़ा रहा। शिवम् के सामने मुरारी बहुत शांत और गंभीर बनकर रहता था लेकिन जब शिवम् आस पास नहीं होता तब मुरारी अपने स्वैग में रहता था। मीटिंग खत्म होने के बाद शिवम और बाकि सब लोग बाहर चले आये। शिवम् अपनी गाड़ी के पास खड़ा मुरारी का इंतजार कर रहा था। प्रताप शिवम् के सामने आया और मुस्कुरा कर नमस्ते करते हुए कहा,”बनारस के हित में जो फैसला तुमने लिया है उह वाकई क़ाबिले तारीफ है , वैसे हम सोच रहे थे क्यों ना पुरानी बातो को भूलकर बनारस राहत कार्यो में साथ आगे बढ़ा जाये , वैसे भी 25 साल पुरानी दुश्मनी के रंग अब फीका पड़ चुका है और अब हमारी उम्र भी नहीं रही एक दूसरे से लड़ने झगड़ने की”
“बनारस हमारा घर है प्रताप इसके लिए जितना करे उतना कम होगा रही बात बनारस के अच्छे की तो हमे नहीं लगता तुम इतना सोच पाओगे”,शिवम् ने थोड़ा कठोरता से कहा
“लगता है नाराजगी अभी खत्म नहीं हुई है शिवा , मैं तो सब भूलकर तुमसे दोस्ती करने का हाथ बढ़ाने की सोच रहा हूँ और तुम हो के,,,,,,,,,,,,,,!!”,प्रताप ने कहा वह आगे कुछ कहता इस से पहले ही मुरारी ने शिवम् की तरफ आते हुए कहा,”तो का अब सांप से दोस्ती कर ले , ताकि कल को हमारे ही पिछवाड़े पर काट खाये”
“मुरारी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने मुरारी की तरफ देखकर कहा
“सॉरी भैया वो हम तो बस जे कह रहे है की सांप पालने के लिए नहीं होते है”,मुरारी ने कहा और प्रताप की तरफ देखने लगा।
“तुमको का हम सांप लग रहे है ?”,प्रताप ने गुस्से से मुरारी को घूरते हुए कहा
“अबे नहीं बे तुम तो नेवले हो और हम है अजगर ,, जिन्दा निगल जायेंगे और थूकेंगे भी नहीं का समझे ?”,मुरारी ने भी प्रताप को खा जाने वाली नजरो से देखते हुए कहा तो प्रताप को बुरा लग गया और उसने दांत पीसते हुए कहा,”जे विधायकी ना चार दिन की है मुरारी आम आदमी के हाथ से वक्त और नेता के हाथ से कुर्सी कब निकल जाये किसी को पता नहीं चलता है”
“फ़िलहाल तो हमारी खिसके उस से पहले तुम निकल लो , कौवा अगर मोर पंख लगा ले ना तो उह मोर नहीं बन जाता है प्रताप”,मुरारी ने कहा
“भले तुम विधायक बन गए मुरारी लेकिन तुम्हारे अंदर का गुंडा अब भी जिन्दा है , कहलाओगे तुम दोनों बनारस के गुंडे ही,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,प्रताप ने मुरारी का मजाक उड़ाते हुए कहा। मुरारी जैसे ही गुस्से में प्रताप की तरफ बढ़ा तो शिवम् ने रौबदार आवाज के साथ कहा,”मुरारी चलो यहाँ से”
“अरे भैया लेकिन जे कुछ भी बोले जा रहे है,,,,,,,,,,,,,,इसकी तो हम”,कहते हुए मुरारी ने अपना होंठ दाँतो तले दबा लिया
“मुरारी हमने कहा ना चलो यहाँ से”,शिवम् ने कहा तो मुरारी को अपने कदम पीछे लेने पड़े। शिवम् प्रताप के पास आया और सहजता से कहने लगा,”जिस गुंडागर्दी की तुम बात कर रहे हो प्रताप वो हमने 25 साल पहले ही छोड़ दी , जबसे वो हमारी जिंदगी में आयी थी हमारे जीने के तरीके बदल गए। हम बदल गए , जो बदल चुका है उसे फिर से जगाने की कोशिश मत करो वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा ,, हर हर महादेव ,, चलो मुरारी”
कहते हुए शिवम् मुरारी को लेकर गाड़ी की तरफ बढ़ जाता है और प्रताप बस गुस्से से उन दोनों को देखे जा रहा था। उसने सोचा वह नहर वाले प्रोजेक्ट में योगदान देकर शिवम् की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाएगा लेकिन शिवम् प्रताप की नियत से वाकिफ था।
शिवम् मुरारी को लेकर गाडी में आ बैठा मुरारी ने अपने ड्राइवर से गाड़ी आगे बढ़ाने का इशारा किया और फिर शिवम् की तरफ पलटकर कहा,”जे प्रताप कुछो ज्यादा ही फुदक रहा है”
“तुम्हारी उम्र क्या है ?”,शिवम् ने बिना किसी भाव के पूछा
“हमारी उम्र,,,,,,,,,,,,,वैसे तो 47 के हो गए है लेकिन लगते अभी भी 36 के है”,मुरारी ने खुश होकर कहा
“कुछ साल बाद 50 के हो जाओगे , बनारस के विधायक कहते हो खुद को और प्रताप से बच्चो की तरह लड़ते हो ,, और तुम्हारी जबान मुरारी दिन ब दिन और खराब होती जा रही है। सुधर जाओ सूना नहीं का कहा प्रताप ने “गुंडे” ,, जवानी में हमने भले कुछ भी किया हो लेकिन अब नहीं ,, बनारस के लोग भरोसा करते है हम पर उनके भरोसे का जे सीला दोगे। प्रताप के इरादों और बुरी नियत से अनजान नहीं है हम , उसका दोस्ती का हाथ बढ़ाना आने वाले नए खतरे का संकेत है इसलिए थोड़ा सम्हलकर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने मुरारी को समझाते हुए कहा
“समझ रहे है भैया , माफ़ी चाहते है वो हम जरा भावनाओ में बह गए”,मुरारी ने कहा
“मुरारी हम तुम्हे गलत नहीं ठहरा रहे , जिस ओहदे पर तुम हो उसमे संयम की जरूरत है ,, तुम अकेले नहीं हो तुम्हारे साथ अनु भी है , मुन्ना भी , उनकी जिम्मेदारियां भी है। प्रताप से हमारी दुश्मनी की वजह हम पहले भी एक बार सरू को मुसीबत में डाल चुके है लेकिन अब बच्चो को डालना नहीं चाहते”,शिवम् ने गंभीर होकर कहा
“समझ गए भैया , आगे से ध्यान रखेंगे”,मुरारी ने कहा
“आज के बाद प्रताप से दूर रहोगे तुम , जरूरत पड़ी तो हम उस से सुलह करेंगे तुम नहीं”,शिवम् ने कहा लेकिन मुरारी ने कोई जवाब नहीं दिया। शिवम् को कोई जवाब नहीं मिला तो उसने कहा,”मुरारी,,,,,,,,,,,,,,,,,मुरारी,,,,,,,,,,,,,,,,सुन रहे हो की नहीं ?”
“शिवम् भैया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,भाभी”,मुरारी ने खिड़की के बाहर देखते हुए कहा। सड़क किनारे ओल्डएज होम के लोगो के साथ बैठी सारिका ब्लड डोनेशन कैम्प के लिए लोगो को मोटीवेट कर रही थी। शिवम् प्यार से मुस्कुराते हुए सारिका को देखता रहा। जैसे ही सारिका ने शिवम् को देखा दोनों का दिल धड़क उठा। शादी के इतने साल बाद भी ये अहसास ज़िंदा थे। शिवम ने हाथ के अंगूठे से सारिका को बेस्ट ऑफ़ लक का इशारा किया और फिर वहा से निकल गया।
“भैया एक बात पूछे आपसे ?”,मुरारी ने कहा
“हां पूछो”,शिवम् ने कहा जो की सारिका के बारे में ही सोच रहा था।
“भाभी के लिए आपका प्यार बढ़ा या कम हुआ ?”,मुरारी ने अटपटा सा सवाल पूछा
“तुम ये काहे पूछ रहे हो ?”,शिवम् ने कहा
“इहलिये की थोड़ी देर पहले आप भाभी को उत्ते ही प्यार से देख रहे थे जैसे 25 साल पहले देखते थे”,मुरारी ने कहा
शिवम् मुस्कुराया और कहा,”क्या है ना मुरारी उनसे हमारा जो रिश्ता है ना वो बहुते ख़ास है , मतलब इतना खास के शब्दों में बताना थोड़ा मुश्किल होगा। जब भी हम उन्हें दुसरो की मदद करते देखते है , जब उन्हें किसी के हक़ के लिए आवाज उठाते देखते है तो ख़ुशी होती है। हमे बहुत गर्व है उन पर ,, 14 साल के उस वक्त में उनकी हमारे जीवन में जो कमी रही उन्ही लम्हो को जीने की कोशिश करते है मुरारी”
“हमारे वाली को तो लड़ने झगड़ने से फुर्सत नहीं है , विधायक है हम लेकिन अपने घर में सिर्फ उनकी चलती है”,मुरारी ने कहा
“चलाने दिया करो मुरारी , इनके बिना हमारा जीवन बेरंग है बेजान है ,, अच्छा हमे वो पंडित जी से मिलना है घाट की तरफ से निकलेंगे”,शिवम ने कहा
“ड्राइवर गाडी घाट की तरफ से ले लेना”,मुरारी ने कहा तो ड्राइवर ने गाडी घाट जाने वाले रास्ते की तरफ मोड़ दी। कुछ देर बाद गाड़ी घाट के सामने जाकर रुकी मुरारी और शिवम् गाडी से नीचे उतरे उन्हें देखते ही आस पास के लोग उन्हें देखकर नमस्ते करने लगे। शिवम् ने भी मुस्कुराकर सबका अभिवादन किया और फिर घाट की सीढ़ियों की तरफ बाद गया। मुरारी शिवम् के साथ ना जाकर पान वाले के पास चला आया और कहा,”कैसा चल रहा है सब ?”
“सब बढ़िया विधायक जी , पान लगाए आपके लिए ?”,पनवाड़ी ने पान के पत्ते पर कत्था मलते हुए कहा
“हां लगाओ , वैसे भी बनारस का पान खाये बहुते दिन हो गए है”,मुरारी ने अपने हाथो बांधकर सर के पीछे ले जाते हुए कहा। सफ़ेद रंग का कुरता पजामा , गले में नारंगी गमछा , आँखों पर धुप वाला चश्मा , पैरो को क्रॉस करके खड़ा था और हाथो के सर के पीछे लगाए आसमान में ना जाने क्या देख रहा था। पनवाड़ी ने पान बनाकर मुरारी को दिया मुरारी ने पान अपने मुंह में रखा और पैसे देने लगा तो पनवाड़ी ने कहा,”अरे रहने दीजिये ना विधायक जी आपसे पैसे थोड़े ना लेंगे”
“काहे ? रिश्तेदार लगते है तुम्हारे ,, लो रखो और हां दो पान और पैक कर देना”,मुरारी ने कहा
“भाभीजी के लिए,,,,,,,,,,,,,,,,?”,पनवाड़ी ने पूछा
“बेटा हम किसी के लिए भी ले तुम काहे इतना मिचमिचा रहे हो बे ? जितना कहा है उतना करो”,मुरारी ने कहा
मुरारी की फटकार सुनकर पनवाड़ी चुपचाप पान लगाने लगा। पान की पीक थूकने के लिए मुरारी ने जैसे ही साइड में गर्दन झुकाई नजर सामने से आती एक भारी भरकम महिला पर पड़ी जो की मुरारी को कुछ कुछ जानी पहचानी लगी। मुरारी बिना पीक थूके उसे देखने लगा और मन ही मन कहा,”अबे जे तो सविता है हमारा पुराना पासवर्ड , पर जे हिया ?”
मुरारी सोच ही रहा था की तभी सविता उसके सामने से गुजरी और उसने मुरारी को देखा तक नहीं। अब देखो आदमी कितना भी बड़ा हो जाये दिल हमेशा जवान रहता है और जब पुरानी मोहब्बत मुड़कर ना देखे तो ईगो हर्ट हो ही जाता है। मुरारी अपने पुराने पासवर्ड यानी सविता को जाते हुए देख ही रहा था की तभी सविता ने पलटकर कहा,”पान खाना छोड़ दिये मिश्रा जी”
बस इतना सुनते ही मुरारी की बाँछे खिल गयी और उसने गर्दन के पीछे से हाथ घुमाकर कहा,”नहीं , तुम खाओगी ?”
सविता ने कहा कुछ नहीं बस प्यार से मुरारी को देखते रही तो मुरारी ने पैक करवाए पान सविता की ओर बढाकर कहा,”जे लो हमारी तरफ से खा लेना। वैसे आज अचानक बनारस में ? सब ठीक तो है ?”
“हमारी बिटिया पढ़ती है यहाँ उसी के एडमिशन के लिए आये है”,सविता ने कहा
“सही है,,,,,,,,,!!!”,मुरारी ने कहा बेचारे के मुंह से बोल ही नहीं फूट रहे थे वह सविता से आगे बात कर पाता इस से पहले ही शिवम् आया और कहा,”चले मुरारी ?”
शिवम् को वहा देखकर सविता आगे बढ़ गयी। हालाँकि शिवम् ने उसे देख लिया था इसलिए मुरारी का कान खींचते हुए कहा,”अपनी भावनाओ को ना ज़रा काबू में रखो मुरारी , रंगबाजी के दिन गए तुम्हारे”
“अरे भैया हम तो बस ऐसे हाल चाल पूछ रहे थे , चलिए चलते है”,मुरारी ने झेंपते हुए कहा और शिवम् के साथ गाड़ी की तरफ बढ़ गया। शिवम् और मुरारी दोनों घर पहुंचे। आज बाबा और सारिका भी घर जल्दी आ गए थे। सारिका अंदर अपने कमरे में थी और आई दीना से कहकर अपने अचार के डिब्बों को रखवा रही थी। मुरारी और शिवम् साथ साथ अंदर आये तो बाबा ने मुस्कुराते हुए कहा,”का विधायक जी आज इधर की याद कैसे आ गयी तुमको ?”
“अरे का बाबा आपके लिए हम विधायक थोड़े ना है आपके और आई के लिए तो हम हमेशा वही पुराने मुरारी रहेंगे,,,,,,,,,,,,,क्यों आई ?”,मुरारी ने आकर बाबा के पैर छूते हुए कहा
“मक्खन बाजी बंद करो मुरारिया , अब तुमहू उह पहले वाले मुरारी ना रहे पहले वाला मुरारी हर वक्त यही पड़ा रहता था और अब तो तुमहू महीनो महीनो तक मिलने नहीं आते”,आई ने शिकायती लहजे में कहा
मुरारी आई के पास आया उनके हाथ से अचार का डिब्बा लेकर साइड में रखते हुए कहा,”ए आई हम और शिवम् भैया कितने भी बड़े हो जाये तुमको और बाबा को कभी ना भूल सके , अरे चाचा चाची से जियादा ख्याल रखी हो तुम हमारा ,, तुमको कैसे भूल जाये बोलो ?”
“बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे मुरारी , अकेले काहे चले आये ? अनु बिटिया को भी ले आते साथ”,आई ने कहा
“उह काशी बिटिया के स्वागत की तैयारी कर रही है , जबसे मुन्ना गया है पूछ पूछ कर हमे परेशान कर दिया है कब आयेगी काशी ?”,मुरारी ने बैठते हुए कहा लेकिन बेचारे की किस्मत जहा उसने अचार का डिब्बा रखा था उसी के बगल में जा बैठा और बातो बातो में उसका हाथ जा लगा अचार के डिब्बे पर और डिब्बा जा गिरा नीचे सर अचार फ़ैल गया। मुरारी ने खिंसियाते हुए आई की तरफ देखा तो पाया आई उसे खा जाने वाली नजरो से देख रही है। मुरारी समझ गया की अब उसकी खैर नहीं वह धीरे से उठा और बाबा की तरफ जाने लगा तो आई ने कहना शुरू किया,”मिल गयी तुम्हाये कलेजे को ठंडक , आ गया आराम ,, हमका जे ना समझ आता मुरारी तुम्हायी हमारे अचार से का दुश्मनी है। कित्ती मेहनत से हमने जे अचार तैयार किया पर तुम तो कसम खा के बैठे हो इसे बर्बाद करने की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अरे उम्र हो गयी है तुम्हारी लेकिन अक्ल नहीं आयी ,,,, एक डिब्बा तो सम्हाला नहीं जाता बनारस सम्हालेंगे जे बकलोल कही के”
बेचारा मुरारी आज इतने दिनों बाद शिवम् के घर आया था और आते ही गड़बड़ कर दी। शिवम् ने देखा तो मुस्कुराते हुए कहा,”कोई विशेष टिप्पणी विधायक जी”
अब मुरारी तो ठहरा मुरारी सीरियस रहना तो उसने कभी सीखा ही नहीं उसने आई को देखा और ऊँचे स्वर में गाने लगा,”अब जाके आया मेरे बैचैन दिल को करार”
आई ने सूना तो अपना सर पीट लिया और बाबा शिवम् हंस पड़े !!

Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10Main Teri Heer – 10

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क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 11

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