Sanjana Kirodiwal

Main Teri Heer – 3 ( Love Story )

Main Teri Heer – 3

Main Teri Heer – Season 4 by Sanjana Kirodiwal

के.डी. वंश को सीरीज में वापस लेने के लिये मान गया लेकिन उसने बदले में शर्त रख दी और वो थी निशि को इस सीरीज में काम करने के लिये मनाना। फिल्मसिटी से बाहर आकर वंश बेंच पर आ बैठा , मुन्ना भी उसके बगल में आकर बैठा और कहा,”परेशान क्यों हो ? निशि तुम्हे पसंद करती है हमे नहीं लगता वो तुम्हे मना करेगी”
“पसंद करती भी है तो उस छिपकली की दुम पर पैर रखेगा कौन ? सुबह ही मैंने उसे इतना सब सुनाया है उसके बाद अगर मैंने उस से हेल्प मांगी तो वो तो मेरा गला ही दबा देगी,,,,,,!!”,वंश ने रोआँसा होकर कहा


“हम निशि से बात करके देखे ? हमे यकीन है वो हमारी बात कभी नहीं टालेगी,,,,,,,!!”,मुन्ना ने वंश को उदास देखकर कहा
“आर यू स्योर ?”,वंश ने मुन्ना की तरफ पलटकर कहा
“हां , वैसे आज रात का क्या प्लान है ?”,मुन्ना ने पूछा
“क्यों ना आज रात हम लोग क्लब चले ? यहाँ के क्लब बहुत क्लासी और आलिशान है,,,,,,,,,,,,,,,,प्लीज मुन्ना मना मत करना यहाँ आने के बाद मैं क्लब नहीं गया हूँ ,,,, प्लीजजज्ज”,वंश ने हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट करते हुए कहा


“ठीक है , लेकिन क्यों ना तुम निशि को भी हमारे साथ आने के लिये इन्वाइट करो”,मुन्ना ने कहा
“अब उस छिपकली का वहा क्या,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने इतना ही कहा कि मुन्ना ने उसे घुरा तो वंश ने तुरंत अपने शब्दों को बदलते हुए कहा,”अह्ह्ह मेरा मतलब उस निशि का वहा क्या काम है ? हम दोनों भाई चलते है ना,,,,,,,,,,,,,वो रहेगी तो मैं अन्कॉमफोर्टेब्ल हो जाऊंगा”
“हम उसे अपनी कम्पनी के लिये लेकर जा रहे है , वैसे भी तुम्हे तो कोई भी लड़की मिल जाएगी,,,,,,,,,,,हमारे साथ भी तो कोई होना चाहिए ना,,,,,,,!”,मुन्ना ने कहा

हालाँकि वह चाहता था निशि भी उन लोगो के साथ आये ताकि वंश और निशि के बीच जो गलतफहमियां है वह दूर हो जाये।
“भाभी को पता है इस बारे में ?”,वंश ने अपनी भँवे चढ़ाकर पूछा
“तुम कब से गौरी की पैरवी करने लगे ?”,मुन्ना ने भी उसी अंदाज में पूछा
“मेरा इकलौता भाई है उसका ख्याल रखना मेरा काम है।”,वंश ने कहा
मुन्ना उठा और कहा,”चलो बहुत रख लिया ख्याल अब उठो और चलो कुछ खाते है हमे बहुत भूख लगी है।”


मुन्ना की बात से वंश को अहसास हुआ कि भूख तो उसे भी लगी है। वह उठा और मुन्ना के साथ वहा से चल पड़ा।इंदौर , पुलिस स्टेशन
शक्ति अपने हाथ बांधे कमिशनर साहब के सामने खड़ा था। कमिशनर साहब ख़ामोशी से शक्ति को देख रहे थे और फिर निराशा भरे स्वर में कहने लगे,”ACP शक्ति , आजकल आपके खिलाफ बहुत सी शिकायते आ रही है। मैंने आपको acp इसलिए नहीं बनाया कि आप कानून का अपने हिसाब से इस्तेमाल करे।

आपका काम है गुनहगारों को पकड़ना उन्हें सजा देने के लिये कानून है। आप बताईये इसे मैं आपकी लापरवाही समझू या फिर कानून के लिये अब आपके मन में अब कोई सम्मान नहीं रहा है।”
शक्ति ने कमिशनर साहब की तरफ देखा और बिना डरे कहने लगा,”सर ! हम कानून का सम्मान करते है लेकिन इन दिनों इंदौर की पुलिस अपना कर्तव्य भूल चुकी है , गुनहगारों को पकड़ना और किसी बड़े मंत्री या अधिकारी के कहने पर उन्हें अगले ही पल छोड़ देना पुलिस के लिये एक खेल बन चूका है।

हमे बड़े अफ़सोस के साथ ये कहना पड़ रहा है कि हमारी पुलिस ईमानदारी से अपना काम ना करके गुनाहो और गलत चीजों को इस शहर में बढ़ावा दे रही है। ऐसे में अगर हमने कानून का अपने तरीके से इस्तेमाल कर लिया तो हमे नहीं लगता हमने कुछ गलत किया है।”
कमिशनर साहब ने सुना और कहा,”बस आपकी यही बाते आपको इस डिपार्मेंट में सबसे अलग बनाती है। जब आपको कानून अपने हिसाब से ही इस्तेमाल करना है तो फिर जाईये कीजिये,,,,,,!!”


“हम कुछ समझे नहीं सर”,शक्ति ने असमझ की स्तिथि में कहा
“आज से आप मेरी जगह इस शहर के DCP है “डिप्टी कमिशनर ऑफ़ पुलिस” ,, आपकी मेहनत और काम को देखते हुए आपका प्रमोशन हुआ है। कोन्ग्रेचुलेशन,,,,,,,आज से ये जगह आपकी है।”,कमिशनर साहब ने उठते हुए कहा
शक्ति ने सुना तो ख़ुशी से उसकी आँखे चमकने लगी उसने कमिशनर साहब से हाथ मिलाया और कहा,”थैंक्यू सर , हम वादा करते है आगे भी पूरी ईमानदारी से अपना फर्ज निभाएंगे”


“मुझे आप पर गर्व है,,,,,,,,,,!!”,कमिशनर साहब ने मुस्कुरा कर कहा
शक्ति आगे कुछ कहता इस से पहले ही उसका फोन बजा। शक्ति ने स्क्रीन पर काशी का नाम देखा तो फोन काट दिया और जैसे ही कमिशनर साहब से कुछ कहने को हुआ उसका फोन फिर बजा इस बार भी फोन काशी का ही था और शक्ति जैसे ही काटने को हुआ कमिशनर साहब ने कहा,”अरे उठा लीजिये , आदमी कितना भी बड़ा पद हासिल कर ले उसके ऊपर सरकार हमेश बीवी की ही होती है।”


शक्ति ने सुना तो झेंप गया और कमिशनर साहब को सैल्यूट किया। कमिशनर साहब वहा से चले गये तब तक तीसरी बार काशी का फोन आ चुका था और इस बार शक्ति को उसका फोन उठाना पड़ा।
“शक्ति ! कहा हो तुम ? तुम हमारा फोन क्यों नहीं उठा रहे ?”,काशी ने खीजते हुए कहा
“कमिशनर साहब के साथ थे , सुनो काशी हमे तुम्हे कुछ बताना है,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने अपनी ख़ुशी को काबू करते हुए कहा


“वो सब बाद पहले ये बताओ तुम कहा हो हमे तुम से मिलना है,,,,,,,,,,,अभी इसी वक्त,,,,,,,!!”,काशी ने शक्ति की बात को नजरअंदाज करके कहा

“तुम कहा हो हमे बताओ हम आते है ?”,काशी को जल्दबाजी में देखकर शक्ति ने कहा
काशी ने उसे पुलिस स्टेशन से कुछ ही दूर बने कॉफी हॉउस मिलने को कहा और फोन काट दिया। शक्ति ने फोन रखा और कहा,”ये काशी को अचानक क्या हुआ है वो इतनी जल्दी में हमसे मिलना क्यों चाहती है ?”
शक्ति ने फोन जेब में रखा और केबिन से बाहर निकल गया।

जैसे ही शक्ति बाहर आया सभी उसे बधाईया देने लगे। शक्ति ने सबको थैंक्यू कहा और किसी से जरुरी काम से बाहर जाने का बोलकर बाहर चला आया।
बाहर आकर शक्ति अपनी जीप में बैठा और वहा से निकल गया।

कुछ देर बाद शक्ति कॉफी हॉउस पहुंचा। अंदर आकर देखा काशी पहले से वहा मौजूद थी। शक्ति आकर उसके सामने बैठा और कहा,”तुमने हमे इतनी जल्दी में यहाँ क्यों बुलाया ?”
काशी ने शक्ति को अपने सामने देखा तो उसकी बेचैनी कुछ कम हुई और उसने कहा,”क्या तुम्हे पता है अगले हफ्ते मुन्ना भैया की सगाई है ?”
“हाँ तुमने हमे बताया था,,,,,,,,,,,क्यों क्या हुआ ?”,शक्ति ने कहा
“क्या हुआ हमारे पास सगाई में पहनने के लिये कुछ भी अच्छा नहीं हैं।  

गौरी उसे अपने मान से फुर्सत नहीं है और तुम , तुम्हारे पास तो हम से मिलने का समय तक नहीं है,,,,,,,,,,,,तुम ही बताओ हम क्या करे ?”,काशी ने बच्चो की तरह खीजते हुए कहा
शक्ति ने सुना तो उसे थोड़ा अजीब लगा साथ ही काशी के इस बचकाना बर्ताव् पर थोड़ी खीज भी हुई। उसने टेबल पर दोनों बाँहे रखी और काशी की तरफ देखकर कहा,”तो क्या तुमने ये कहने के लिये हमे इतना अर्जेन्ट में बुलाया है ?”


“हाँ ,, तुम्हारी जिंदगी में हम से ज्यादा इम्पोर्टेन्ट भी कुछ है क्या शक्ति ?”,काशी ने कहा
“काशी , हम अपना बहुत जरूरी काम छोड़कर आये है , आज ही हमारा प्रमोशन हुआ है और अब से हम शहर के dcp है ,, प्रमोशन के साथ ही हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है ये जानती हो ना तुम और तुमने एक मामूली सी बात के लिये हमे यहाँ बुला लिया,,,,,,,,,,,,ये सब तुम हमे फोन पर भी बता सकती थी।”,शक्ति ने कहा


काशी ने सुना तो उसकी खीज गुस्से में बदल गयी और उसने चिढ़ते हुए कहा,”मतलब हमारी बाते अब मामूली हो गयी,,,,,,,,,हाँ सही है , आप ठहरे बड़े पुलिसवाले आप अकेले के पास ही दुनिया जहां का काम होता है हम सब तो बेकार है क्यों ?”
“काशी तुम गलत समझ रही हो हमारे कहने का मतलब,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने बस इतना ही कहा कि काशी अपनी जगह से उठी और अपना बैग उठाते हुए कहा,”जाईये DCP सर अपनी ड्यूटी कीजिये,,,,,,,हमने खामखा आपका वक्त बर्बाद किया।”


“काशी , काशी सुनो,,,,,,,, अरे हमारा वो मतलब,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह चली गयी।”,शक्ति ने काशी को आवाज दी और हताश होकर कहा

“सर आप कुछ लेंगे ?”,वेटर ने आकर शक्ति से पूछा
“एक सलाह लेना चाहेंगे”,शक्ति ने कहा
“क्या सर ?”,वेटर ने असमझ की स्तिथि में कहा
“सगाई के बाद ये लड़किया हम लड़को को समझना बंद क्यों कर देती है ?”,शक्ति ने वेटर की तरफ देखकर पूछा
“पता नहीं सर , मैं सिंगल हूँ मेरी अभी तक सगाई नहीं हुई है।”,वेटर ने कहा


“हम्म्म , एक कप कॉफी,,,,,,,,!”,शक्ति ने जाती हुई काशी को देखते हुए कहा
वेटर वहा से चला गया। शक्ति आज बहुत खुश था आखिर उसकी मेहनत का फल उसे जो मिल चुका था लेकिन वह अपनी ख़ुशी काशी के साथ बाँट पाता इस से पहले ही काशी उस से नाराज होकर वहा से चली गयी पर शक्ति जानता था काशी उस से ज्यादा देर नाराज नहीं रह सकती।

बनारस , शिवम् का घर
अपने कुर्ते का बटन हाथ में लिये शिवम् पुरे घर में सारिका को ढूँढ़ रहा था लेकिन सारिका उसे कही दिखाई नहीं दी। सामने से आती आई दिखी तो शिवम् ने कहा,”आई आपने सारिका को कही देखा क्या ?”
“उह पीछे आँगन मा है , और तुम इह का लेके घूम रहे हो हाथ मा ?”,आई ने शिवम् के हाथ में सुई धागा और बटन देखकर पूछा


“ये कुर्ते का बटन है निकल गया था इसलिए,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् बेचारा इतना ही कह पाया कि आई ने तनते हुए कहा,”और तुम चाहते हो हमरी बहू इह बटन लगाए , अरे उसको और कोई काम नहीं है का ? इतने बड़े ओल्ड ऐज होम की मालकिन होकर उह अब इह उम्र मा तुम्हरे कुर्ते के बटन लगायेगी,,,,,,,,,,तुम मर्दो का हम औरतो पर जे अत्याचार आखिर कब तक चली है ? हजारो सालो से तुम सारे मर्द हम औरतो से कभी बुर्शट तो कभी कुर्ते का बटन लगवाते आ रहे हो,,,,,,,,,,आखिर कब तक ?”


आई ने एकदम से फ़िल्मी डायलॉग मार दिया बेचारा शिवम् तो कुछ बोल ही नहीं पाया , बल्कि वह तो हैरान था कि सुबह सुबह ये आई को क्या हो गया है ? तभी वहा से निकलते हुए बाबा ने कहा,”अरे तो का हजार सालों का बदला तुम हमरे बेटे से लोगी,,,,,,,,शिवा सारिका बिटिया वहा है आंगन मा तुमहू जाओ”
“हाँ हाँ बाप बेटे मिल के हमरी बूटीफुल सी बहू से जे छोटे मोटे काम करवाओ”,आई ने बाबा की तरफ पलटकर कहा


“अरे शिवा की अम्मा बूटीफुल नहीं ब्यूटीफुल,,,,,,,,,,,,तुमहू भी ना पता नहीं टीवी में का का देखते रहती हो”,बाबा ने कहा और वहा से चले गए
“बूटी हो चाहे ब्यूटी हो है तो फुल ही ना,,,,,,,,और हमरी सारिका तो पूरा का पूरा गुलदस्ता है वो भी फूलो वाला”,आई ने कहा और वहा से चली गयी

शिवम् सारिका को ढूंढते हुए आँगन में आया तो देखा सारिका अपने लम्बे गीले बालों को धुप में सूखा रही थी। उसकी पीठ शिवम् की तरफ थी इसलिए वह उसे देख नहीं पायी। धुप में बाल सुखाने के साथ साथ सारिका आई के बताये नुस्खे को अपनाते हुए बालो में धुप {जिसे पूजा में इस्तेमाल किया जाता है} भी दे रही थी जिस से उसके बाल झड़े नहीं और मजबूत बने रहे। सारिका ने धुप वाला बर्तन साइड में रखा और जाने के लिये उठ खड़ी हुई।
“सरु,,,,,,,,!!”,शिवम् ने जैसे ही कहा


सारिका पलटी जिस से उसके लम्बे घने बाल उड़कर शिवम् के चेहरे को छूकर गुजरे ,, सुबह का समय था और सारिका के चेहरे पर एक अलग ही नूर था। उसने कोई मेकअप नहीं किया था वह सादगी में भी बहुत प्यारी दिखाई दे रही थी। शिवम् सारिका के पास आया और कहा,”बढ़ती उम्र के साथ कोई इतना खूबूसरत कैसे हो सकता है ?”
“वैसे ही जैसे बढती उम्र के साथ कोई ऐसी मीठी बातें कर सकता है।”,सारिका ने शिवम् की आँखों में झांकते हुए कहा तो शिवम् एकटक सारिका की आँखों में देखने लगा।

वही बरामदे से गुजरते हुए आयी ने दोनों को एक दूसरे में खोया देखा तो खांसते हुए आगे बढ़ गयी जिस से शिवम् की तंद्रा टूटी और उसने अपने हाथ में पकड़ा सुई धागा और बटन सारिका की तरफ करके कहा,”ये निकल गया है , आप लगा देंगी,,,,,,,,!!”
सारिका मुस्कुराई और शिवम के हाथ से बटन लेकर उसके थोड़ा करीब आयी और बटन लगाने लगी
सारिका के चेहरे की ओर देखते हुए शिवम् के हाथ कब सारिका की कमर से जा लगे शिवम को भी पता नहीं चला वह बस प्यार से सारिका को देखता रहा और सारिका उसके कुर्ते का बटन लगाती रही।


“आपने मुरारी भैया से बात की , मुन्ना की सगाई के लिए उन्हें किसी तरह की मदद की जरूरत हो और वे अकेले ही परेशान होते रहे,,,,,,,,,,शिवम् जी हम आपसे बात कर रहे है , आपका ध्यान कहा है ?”,सारिका ने कहा
“हाँ हाँ वो हमने कहा है मुरारी से आज शाम आकर हम से मिलने के लिये,,,,,,,,,,,चिंता मत करो हम सब इंतजाम कर देंगे , आपके मुन्ना की सगाई में किसी तरह की कोई कमी नहीं रहेगी। वैसे क्या आपने वंश से बात की ? वो मुन्ना की सगाई के लिये घर आ रहा है ना ?”,शिवम् ने कुर्ते का बटन बंद करते हुए कहा


“हाँ बात हुई थी उस से लेकिन आने के बारे में उसने कुछ नहीं कहा,,,,,,,,,,,,,ये लड़का भी ना मुंबई जाकर तो हमे जैसे भूल ही गया है।” ,सारिका ने कहा
“हाँ वैसे ही जैसे आजकल आप हमे भूल गयी है।”,कहते हुए शिवम ने जैसे ही सारिका के पास आने की कोशिश की सारिका ने साइड से निकलते हुए कहा,”इस उम्र में यादास्त धीरे धीरे कम जो होने लगती है।”
सारिका मुस्कुराते हुए वहा से चली गयी और शिवम् भी मुस्कुरा कर दूसरी तरफ चला गया।


मुरारी अपनी जीप लिये विधायक ऑफिस की तरफ जा रहा था। आज उसका मूड बहुत अच्छा था साथ ही कितने दिनों बाद वह अपने पुराने साथियो से मिलने वाला था इसलिए ख़ुशी उसके चेहरे से छुपाये ना छुप रही थी। ख़ुशी से खिला मुरारी गुनगुनाते हुए गाड़ी चला रहा था
“अरे जाके बबवा बन जा , बनारस मा पंडा
मिसिर जी तू त बारा बड़ी ठंढा…!!”


“ए इसकी जात का,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गाते हुए एकदम से मुरारी के मुंह से निकला और उसने सीधा ब्रेक लगाया। जीप के सामने एकदम से एक आदमी आ गया और नीचे गिर पड़ा। मुरारी नीचे उतरा और गुस्साते हुए आदमी की तरफ आते हुए कहा,”अबे ओह्ह , साले पगलाय गए हो का दिन दहाड़े मरने के लिये का हमरी ही जीप मिली है तुमको,,,,,,,,,,,,,अबे ओह्ह्ह लपड़झंटुस तुम से बात कर रहे,,,,,,,,,,,,,!!”


मुरारी ने झुकते हुए जैसे ही कहा आदमी ने मुरारी की गर्दन पर एकदम से छुरी रखी और कहा,”जियादा बोले ना बिधायक जी तो यही गला काट देब तोहरा और किसी को कानो कान खबर भी न पड़ी,,,,,,,,,,,,,!!”
मुरारी ने सुना तो आवाज उसके हलक में अटक गयी उसने आँखों से चश्मा हटाया और आदमी की तरफ देखने लगा।

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