Main Teri Heer – 61
अंजलि को कमरे में छोड़कर निशि चुपचाप घर से बाहर चली आयी। बाहर वंश बाइक के पास खड़ा निशि का इंतजार कर रहा था। उसके हाथ में एक हेलमेट था। निशि वंश के पास आयी तो वंश ने हेलमेट उसकी और बढाकर कहा,”इसे पहन लो”
वंश के साथ बाइक पर जाने के लिये निशि कुछ ज्यादा ही रोमांचित थी उसने हेलमेट सर पर लगाया और उसका हुक बंद करने लगी लेकिन नहीं कर पायी। वंश ने देखा तो निशि के सामने आया और हुक बंद करते हुए कहा,”तुम इतना छोटा सा हुक नहीं लगा पा रही , मैं नहीं रहूंगा तो क्या होगा तुम्हारा ?”
निशि ने सुना तो प्यार से वंश को देखने लगी। निशि को खोया हुआ देखकर वंश ने उसके सामने चुटकी बजाकर कहा,”चले ? वरना वो तुम्हारा हिटलर बाप आ जायेगा”
“हाँ चलो,,,,,,,,,,,,,,ए क्या तुमने मेरे पापा को हिटलर कहा ?”,निशि ने पहले प्यार से कहा और बाइक पर बैठ गयी लेकिन अगले ही पल उसने उतरते हुए गुस्से से कहा
“नहीं नहीं मैं ऐसा क्यों कहूंगा ? तुमने शायद गलत सुना मैंने कहा जल्दी चलो वापस भी तो आना है,,,,,,,!!”,वंश ने झूठ बोल दिया
“अह्ह्ह्ह क्या सच में मैंने गलत सुना ?”,निशि ने अपना सर खुजाते हुए कहा
“हाँ ! वैसे भी तुम्हारी नजर में तो मैं विलेन बन चूका हूँ मेरी कोई बात तुम्हे सही कैसे लग सकती है ?”,वंश ने मुंह बनाकर कहा
निशि उसके पीछे आ बैठी और उसकी पीठ पर हल्का सा मारते हुए कहा,”ऐसा कुछ भी नहीं है,,,,,,!!”
“क्या तुम तैयार हो एक मजेदार एक्सपीरियंस के लिये ?”,वंश ने बाइक स्टार्ट करते हुए कहा
“हाँ चलो,,,,,,,,,,!!”,निशि ने खुश होकर वंश की कमर में अपनी नाजुक बाँहे डालते हुए कहा।
एक झुरझरी सी वंश को महसूस हुई। उसने बाइक के शीशे में निशि का चेहरा देखा। बिना मेकअप के भी कितनी प्यारी लग रही थी वो। वंश धीरे से मुस्कुराया और बाइक आगे बढ़ा दी।
मेन सड़क पर आकर बाइक हवा से बातें करने लगी। वंश को इतनी अच्छी बाइक चलाते देखकर निशि हैरान थी और खुश भी थी। आज से पहले वह कभी ऐसे रात में बाइक पर नहीं घूमी थी। वंश निशि को लेकर काफी दूर निकल आया था। रात के 11 बज रहे थे , वापस लौटते हुए रास्ते में वंश को एक चाय की दुकान दिखी जहा काफी भीड़ थी। कुछ लड़के लड़किया वहा चाय पी रहे थे , कुछ कपल्स भी थे और कुछ फॅमिली भी,,,,,,,,!!
“चाय पिओगी ?”,वंश ने निशि से पूछा
“हाँ,,,,!!”,निशि ने कहा
वंश ने बाइक साइड में लगाई और उतरकर कहा,”तुम यही बैठो मैं लेकर आता हूँ,,,,,,,,,,,!!”
“हाँ क्या सच में ? तुम मेरे लिये चाय लेकर आओगे ?”,निशि ने वंश को ताना मारते हुए कहा क्योकि आज शाम से ही वंश उसके साथ कुछ ज्यादा ही अच्छे से पेश आ रहा था।
“ओह्ह्ह हेलो ! इतना शॉक होने की जरुरत नहीं है वहा भीड़ है कही तुम्हारी डुम उनके पैरो के नीचे आ गयी तो,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने निशि का मजाक उड़ाते हुए कहा तो निशि ने मुंह बना लिया और कहा,”मुझे भूख भी लगी है,,,,,,,,,,,!!”
“तुम्हारी आर्डर कुछ बढ़ते ही जा रहे है,,,,,,,,!”,वंश ने निशि को घूरकर कहा
“आर्डर नहीं है रिक्वेस्ट है,,,,,,,,,,,,प्लीजजजजजज !”,निशि ने कुछ ज्यादा ही क्यूट बनते हुए कहा और यहाँ हमारा वंश पिघल गया उसने हामी में सर हिलाया और वहा से चला गया
निशि बाइक पर बैठी उसका इंतजार करने लगी। वही पास ही में कुछ लड़के बैठे थे जो कि निशि को देख रहे थे। निशि ने प्लाजो और क्रॉप टॉप पहना था जिसमे से उसकी पतली कमर थोड़ी थोड़ी दिख रही थी लेकिन निशि को अहसास नहीं था वह तो बाइक पर बैठी दूर खड़े वंश को देख रही थी। जैसे वंश आज निशि की ज्यादा परवाह कर रहा था वैसे निशि भी आज कुछ ज्यादा ही प्यार से उसे देख रही थी।
“हाय ! इतने प्यार से ज़रा हमे भी देख लो,,,,,,,,,,,,इतने बुरे भी नहीं दिखते हम”,वहा बैठे लड़को में से एक ने कहा तो निशि की तंद्रा टूटी और उसने साइड में बैठे लड़को की तरफ देखा
“उफ़ क्या कातिल निगाहे है,,,,,,,,,,इसके सामने तो गर्म चाय भी ठंडी लगेगी”,दूसरे लड़के ने कहा तो निशि ने गुस्से से उन्हें देखा और फिर वापस वंश की तरफ देखने लगी , निशि चाहती थी कि वंश जल्दी से वहा आ जाए
“क्या बात है मैडम गुस्सा हो गयी क्या ? कहो तो मना ले आपको,,,,,,,,,,!!”,एक लड़के ने उठते हुए कहा और यहाँ निशि से बर्दास्त नहीं हुआ उसने पलटकर लड़के से कहा,”ये क्या बदतमीजी है ?”
“लो बदतमीजी तो हम लोगो ने की ही नहीं,,,,,,,,,,वैसे आप कहो तो करके दिखाए”,लड़के ने निशि की तरफ आते हुए कहा
निशि का दिल धड़कने लगा उसने सामने देखा वंश दिखाई नहीं दिया ये देखकर तो निशि अंदर ही अंदर और घबरा गयी लेकिन अपनी घबराहट को चेहरे पर आने नहीं दिया। निशि बाइक से नीचे उतर गयी और लड़के को घूरने लगी
“ऐसे मत देखो प्यार हो जायेगा मुझे आपसे,,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने कहते हुए जैसे ही निशि की तरफ हाथ बढ़ाया निशि ने एक लात लड़के के टाँगो के बीच दे मारी और लड़का दर्द से कराहते हुए नीचे गिर गया।
निशि ने देखा वंश उन्ही लड़को के पास पड़ी कुर्सी पर बैठा था। उसने लड़को को देखा और कहा,”अरे भाई ! किसको छेड़ रहे हो तुम लोग ? वो कराटे में चैम्पियन है,,,,,,,,,,!!”
लड़को ने सुना तो वहा से उठकर चले गए , जिस लड़के को लात पड़ी थी वो भी कराहते हुए वहा से निकल गया। निशि ने देखा वंश वही था और उसने लड़को से कुछ नहीं कहा तो वह गुस्से में उसके पास आयी और कहा,”हाह ! तुमने उन लोगो से कुछ कहा क्यों नहीं जब वो मुझे छेड़ रहे थे ,, मेरे साथ कोई हादसा हो जाता तो ?”
“मुझे तो उन लड़को की परवाह हो रही थी , अगर वो यहाँ रुकते तो अब तक उनके हाथ पैर टूट चुके होते,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने चाय का घूंठ भरते हए कहा
“अह्ह्ह्ह तुम कितने अजीब हो,,,,,,,,!!”,निशि ने झल्लाते हुए कहा
वंश ने निशि का हाथ पकड़कर उसे अपने बगल में बैठाया और चाय का कप उसके सामने रखते हुए कहा,”क्यों की मैं जानता था तुम उन लोगो को हेंडल कर लोगी,,,,,,,,,,!!”
“और अगर मैं नहीं करती तो ?”,निशि ने कहा
“तो फिर उनमे से कोई भी अपने पैरो पर घर नहीं जाता,,,,,,,,,,!!”,वंश ने निशि की आँखों में झांकते हुए कहा तो निशि मुस्कुरा उठी और फिर चाय पीने लगी।
चाय के साथ वंश चिप्स भी लेकर आया था निशि ने उसे फाड़ा और अकेले ही खाने लगी , वंश को भूख नहीं थी वह बस चाय पीते हुए निशि को देखता रहा। ये वही निशि थी जो कभी वंश को जहर लगती थी लेकिन आज चिप्स खाते हुए क्यूट लग रही थी।
गौरी से बात करने के बाद मुन्ना बिस्तर पर लेट गया। नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी और मन उलझन में था। वंश भी वहा नहीं था जिस से मुन्ना अपने दिल की बात कह सके। कुछ वक्त ही गुजरा होगा की मुन्ना के कमरे की खिड़की पर ठकठक हुई। मुन्ना को लगा हवा की वजह से है इसलिये उसने कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन अगले ही पल ठकठक फिर हुई और फिर होते ही चली गयी।
मुन्ना ने खिड़की की तरफ देखा तो उसे खिड़की के बाहर परछाई दिखाई दी , कोई चोर होगा सोचकर मुन्ना उठा और धीरे से खिड़की खोली लेकिन बाहर खड़ी गौरी को देखकर हैरान रह गया।
“तुम यहाँ क्या कर रही हो ? वो भी इतनी रात में,,,,,!!”,मुन्ना ने दबी आवाज में कहा
“पहले मुझे अंदर खींचो फिर बताती हूँ,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने मुन्ना की तरफ हाथ बढाकर कहा
मुन्ना ने गौरी को अंदर खींचा , उसने देखा गौरी ने नाईट ट्रेक सूट पहना है जिसमे वह बिल्कुल छोटी बच्ची लग रही थी
“तुम यहाँ क्यों आयी हो वो भी खिड़की से ?”,मुन्ना ने फिर दबी आवाज में पूछा
“तुमने कहा ना फोन पर कि तुम मुझे मिस कर रहे हो और तुम्हारा दिल कर रहा है मुझे हग करने का तो लो कर लो”,गौरी ने अपने हाथो को हवा में फैलाते हुए कहा
मुन्ना ने उसके हाथो को नीचे किया और कहा,”नहीं हमे ऐसा कुछ नहीं करना , हम बस,,,,,,,,,,,,,हम ठीक है अभी , तुम वापस जाओ , घरवालों ने तुम्हे यहाँ देख लिया तो क्या सोचेंगे ?”,मुन्ना ने कहा
“मान लड़की तुम हो या मैं ? और क्या सोचेंगे घरवाले ? उनको भी पता है हमारी शादी होने वाली है और आज ही हमारी सगाई हुई है , उसके बाद भी मुझे तुम से मिलने के लिये घरवालों की परमिशन लेनी पड़ेगी”,गौरी ने मुन्ना को लगभग डाटते हुए कहा
मुन्ना बेचारा घबराकर पीछे हटा और कहा,”तुम तो अभी से एक पत्नी की तरफ हमे डाट रही हो,,,,,,,,,,!!”
गौरी को अहसास हुआ तो उसने पीछे हटते हुए कहा,”पक्का मैं यहाँ से जाऊ ?”
“हाँ ! हम तुम से कल सुबह मिलते है,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने अपनी सांसो को सामान्य करने की कोशिश करते हुए कहा
“हम्म्म ठीक है,,,,,,,,,,,!!”,कहकर गौरी जाने लगी , मुन्ना के दिल की धड़कने बढ़ी हुई थी , वह समझ नहीं पा रहा था गौरी से क्या कहे क्या नहीं ? जब उसने देखा गौरी जा रही है तो उसने गौरी की बाँह पकड़कर उसे अपनी तरफ किया और अपने सीने से लगा लिया। अब धड़कने बढ़ने की बारी गौरी की थी , वह खामोश हो गयी। मुन्ना उसे गले लगाए रहा और गौरी बस उस अहसास को महसूस करती रही।
“आई ऍम सॉरी,,,,,,,,,,,,मैंने तुम पर गुस्सा किया”,गौरी ने मुन्ना के सीने से लगे हुए कहा
“तुम कर सकती हो , तुम्हे हक़ है”,मुन्ना ने आँखे मूँदे कहा वह इस वक्त एक पल के लिये भी गौरी को खुद से दूर करना नहीं चाहता था।
“तो क्या मुझे एक हक़ और है ?”,गौरी ने खुश होकर कहा
“तुम्हे सारे हक़ है गौरी,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा
गौरी मुन्ना से दूर हटी और कहा,”अगर ऐसा है तो फिर मुझे किस करो”
“हाँ , क्या ?”,मुन्ना ने चौंककर कहा
“हाँ मुझे किस करो , तुमने कहा ना मुझे सारे हक़ है,,,,,,,,,,,,,और आज तो वैसे भी इतना खास मौका है,,,,,,,,,!!”,गौरी ने चहकते हुए कहा और अपनी आंखे बंद करके अपने चेहरे को मुन्ना के सामने कर दिया जिस से मुन्ना उसके होंठो पर किस कर सके।
ऐसा करते हुए गौरी कुछ ज्यादा ही प्यारी लग रही थी , मुन्ना अपनी सारी परेशानी सारी उलझन भूल गया। गौरी ने अपनी एक आँख खोली कहा,”करो ना प्लीज”
मुन्ना मुस्कुराया और आगे बढ़ा उसने गौरी के चेहरे को अपने हाथो में लिया और अपने होंठो से उसके ललाट को छूकर कहा,”तुम बहुत अच्छी हो गौरी,,,,,,,,,,,!!”
गौरी ने सुना तो खुश हो गयी , मुन्ना ने उसके होंठो पर किस ना करके उसके ललाट पर किस किया और ये जताया कि वह गौरी को कितना चाहता है और उसकी परवाह करता है। मुन्ना ने एक बार फिर गौरी को अपने सीने से लगाया और कहा,”चलो हम तुम्हे घर छोड़ देते है,,,,,,,,!!”
“अह्ह्ह्ह नहीं नहीं मैं खुद चली जाउंगी , बाहर मेरी स्कूटी खड़ी है। तुम मुझे छोड़ने जाओगे तो सबको पता चल जाएगा,,,,,,,,,,,,मैं खुद से चली जाउंगी डोंट वरी,,,,!!”,गौरी ने कहा
“पर तुम अकेले,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने चिंता जताते हुए कहा
“ओह्ह्ह्ह मान ! ये इंदौर है मेरा शहर , अपने ही शहर में कैसा डर हाँ,,,,,,,,,,तुम आराम करो मैं अब चलती हूँ और कल सुबह घर आ रहे हो ना तुम ?”,गौरी ने खिड़की की तरफ जाते हुए कहा
“हाँ !”,मुन्ना ने कहा उसे नहीं पता था गौरी क्या करने वाली है लेकिन गौरी अगले ही पल खिड़की से बाहर कूद गयी। मुन्ना भागकर खिड़की के पास आया लेकिन तब तक गौरी वहा से जा चुकी थी।
सारिका ने नवीन को बात करने के लिये रोक लिया और उसे अपने मुंबई आने के बारे में बताने लगी। सारिका मुंबई आ रही है ये सुनकर नवीन बहुत खुश हुआ। वही मुरारी अनु को मनाने की कोशिश कर रहा था लेकिन अनु मुरारी से कुछ ज्यादा ही नाराज थी इसलिये वह वहा से वही और चली गयी। मुरारी के चेहरे पर उदासी के भाव तैरने लगे। वह उठा और घर से बाहर चला आया। बाहर लॉन में पड़ी बेंच पर आ बैठा और अनु के बारे में सोचने लगा।
ये सच था कि मुन्ना की सगाई में उर्वशी को इन्वाइट मुरारी ने नहीं किया था लेकिन बनारस में उर्वशी को लेकर जो तमाशे हुए थे उसके बाद किसी को इस बात पर यकीन भी नहीं था। मुरारी भले ही सबसे मस्ती मजाक करता था लेकिन अनु के अलावा किसी और के लिये उसके दिल में भावनाये नहीं रही। अनु से मिलने से पहले भले
उसने कितनी भी रंगबाजी की हो लेकिन अनु से शादी होने के बाद उसने सब छोड़ दिया और राजनीती में व्यस्त हो गया पर जब से उसने राजनीती छोड़ी है वह वापस इधर उधर की यारी दोस्ती के चक्कर में हर बार किसी ना किसी मुसीबत में फंस जाता था।
मुरारी अब अनु को छोड़कर अपने राजनीती वाले दिनों को याद करने लगा , क्या भौकाल था उसका बनारस में , जिधर से निकलता सब उसे विधायक जी विधायक जी कहकर पुकारते थे और अब हालात ये थे कि मुरारी सबसे दूर हो गया। शिवम् ने जो शुगर फैक्ट्री मुरारी को दी उसमे भी मुरारी का मन नहीं लगता था क्योकि मुरारी ने भले राजनीती छोड़ दी हो उसका मन अभी भी उसी विधायक ऑफिस में था जहा मुरारी शान से अपनी पार्टी वालो के साथ बैठा करता था।
विधायकी उसको अपने चाचा से विरासत में मिली थी और चाहता था कि उसके बाद मुन्ना इसे सम्हाले लेकिन मुन्ना का तो राजनीती से दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं था हालाँकि कॉलेज में वह हमेशा पार्टी का लीडर रहा।
मुन्ना के कमरे से निकलकर गौरी जैसे ही लॉन से होकर जाने लगी उसकी नजर लॉन की बेंच पर बैठे मुरारी पर चली गयी। मुरारी को किसी गहरी सोच में डूबा देखकर गौरी उसके पास चली आयी और बगल में आ बैठी। मुरारी कुछ ज्यादा ही गहरी सोच में था उसे गौरी के आने का और बगल में बैठने के भी अहसास नहीं हुआ।
गौरी ने मुरारी को हमेशा हँसते मुस्कुराते , हंसी मजाक करते देखा था , इतना गंभीर वह उसे आज पहली बार देख रही थी। काफी देर तक जब मुरारी ने कुछ नहीं कहा तो गौरी ने कहा,”अंकल ! अंकल,,,,,,,,,!”
गौरी की आवाज से मुरारी की तंद्रा टूटी उसने अपने बगल में बैठी गौरी को देखा और हैरानी से कहा,”अरे गौरी बिटिया ! तुमहु हिया और उह भी इति रात मा ?”
“वो मैं मान से,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह मेरा मतलब किसी जरुरी काम से आयी थी,,,,,,,,,,,,,,,पर आप यहाँ ऐसे अकेले क्यों बैठे है ? अनु आंटी से आपका झगड़ा हो गया क्या ? बताईये बताईये शर्माइये मत,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने मुरारी के कंधे को अपने कंधे से टकराकर शरारत से कहा
मुरारी ने सूना तो मुस्कुरा उठा और सामने देखने लगा। गौरी को इतनी भी समझ नहीं थी कि मुरारी उसके होने वाले ससुर है , सगाई होने के बाद भी वह उनसे ऐसे बात कर रही थी जैसे पहली बार बनारस जाने पर की थी काशी के अंकल के रूप में,,,,,,,,,,,,,!!”
“अरे डरिये मत ! आप मुझसे शेयर कर सकते है मैं किसी से नहीं कहूँगी,,,,,,,,,,,,,,मान से भी नहीं”,गौरी ने आंखरी चार शब्द धीमे स्वर में फुसफुसाते हुए कहे तो मुरारी गौरी को देखने लगा।
मुरारी ने महसूस किया गौरी के रूप में वह बहू नहीं बल्कि एक छोटा बच्चा लेकर जा रहे है जो उसके और अनु के जीवन में बेटी की कमी दूर कर देगी और मुन्ना के आने वाले जीवन को खुशियों से भर देगी।
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