Main Teri Heer – 57
वंश निशि से बात करने आया था लेकिन वह निशि से बात कर पाता इस से पहले निशि किसी और लड़के के साथ वंश के सामने से चली गयी। वंश को भला ये बात कहा बर्दास्त होती वह वही खड़ा गुस्से से उस लड़के को देखता रहा। लड़का निशि के साथ आकर एक तरफ चला आया उसने निशि के लिये कुर्सी खींचकर उसे बहुत सलीके से बैठाया भी ये देखकर तो वंश का खून ही जल गया।
देखो लड़के अपनी पसंदीदा लड़की को चाहे जितना परेशान करे , उन पर गुस्सा करे , उनसे झगडे करे उन्हें फर्क नहीं पड़ता लेकिन जब कोई और लड़का उनकी लड़कियों के करीब जाता है तो लड़के तिलमिला जाते है यही वंश के साथ हुआ।
निशि को बैठाकर लड़का खुद भी कुर्सी लेकर उसके बगल में बैठ गया। वंश कुछ देर खड़ा रहा और फिर निशि और उस लड़के की तरफ बढ़ गया। उसने टेबल के पास रखी कुर्सी खिसकाई और बैठ गया।
उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे वह बस निशि को घूर रहा था। लड़के ने निशि से कुछ कहना चाहा लेकिन नजर जब वंश पर पड़ी तो उसने वंश से कहा,”आप ?”
“बात करनी है ना तुमको , बात करो,,,,,,,!!”,वंश ने निशि को घूरते हुए जवाब दिया
लड़का समझ गया वंश निशि का कोई करीबी है इसलिये चुपचाप उठकर वहा से चला गया। निशि ने देखा तो टेबल पर हाथ मारकर धीरे से कहा,”तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है ?”
“तुम हो मेरी प्रॉब्लम,,,,,,जब से मेरी जिंदगी में आयी हो बस गुस्सा लड़ाई झगड़े कलेश,,,,,,,,,,,,,एक्चुली तुम ही हो”,वंश ने भी गुस्से से टेबल पर हाथ मारकर उसी अंदाज में कहा
दोनों एक दूसरे को खा जाने वाली नजरो से देख रहे थे। मुन्ना ने वंश को निशि से प्यार से बात करने भेजा था और यहाँ उलटा हो गया
“ओह्ह्ह रियली ! तो बताओ मैंने अब क्या किया ? मैं यहाँ उसके साथ बैठी थी बीच में तुम आये हो समझे,,,,,,,,,,!!”,निशि ने गुस्से से कहा
“मुझे जलाने के लिये तुम जान बूझकर उसके साथ यहाँ आयी थी,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
“तुम्हे कब से जलन होने लगी ?”,निशि ने कहा
“बस मुझे हो रही है , एक तो तुमने ये साड़ी पहनी है और ऊपर से तुम किसी भी अनजान लड़के के साथ बैठकर बातें कर रही हो,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
“मेरी साड़ी का तुम्हारी जलन से क्या कनेक्शन है ? और वैसे भी वो सिर्फ मेरी साड़ी की तारीफ कर रहा था,,,,,,,,,!”,निशि ने चिढ़ते हुए कहा
“तो वो तो मैं भी कर सकता हूँ ना,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने किसी छोटे बच्चे की तरह मचलते हुए कहा
“तो क्या तुमने की ? और ऐसा कैसे हो सकता है कि तुम द ग्रेट वंश गुप्ता मेरे लिये दो अच्छे शब्द बोल दो,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए निशि उठी और फिर बड़बड़ाई,”पुरे दो घंटे लगे मुझे तैयार होने में पर मजाल है एक बार प्यार से देख ले,,,,,,,,,,,हुंह मैं ही पागल थी जो गौरी के कहने पर ये सब,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह !”
कहते हुए निशि वहा से चली गई
निशि ने आखिर में जो कहा वो वंश को थोड़ी देर से समझ आया , वह उसे रोक पाता इस से पहले निशि वहा से जा चुकी थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
खाना खाने के बाद सभी यहाँ वहा बैठकर आराम फरमा रहे थे। कुछ गप्पे लड़ा रहे थे और कुछ यहाँ वहा घूम रहे थे। सभी मेहमानो के रहने का इंतजाम आज यही था। हॉल के एक कोने में सोफे पर बैठी नंदिता ने शिवम् और मुरारी को आवाज लगाई जो कि कुछ दूर बैठे थे।
“समधी जी क्या थोड़ी देर के लिये आप लोग यहाँ आएंगे,,,,,,,,,,,,!!”,नंदिता ने कहा
“हाँ क्यों नहीं,,,,,,,,चलो मुरारी”,शिवम् ने उठते हुए कहा
मुरारी ने देखा मधुबाला भी वहा है तो उसका दिल धड़कने लगा , साथ ही वह घबरा रहा था कि कही मधुबाला सबके सामने उसके और अपने अतीत के प्रेम की पोल ना खोल दे। मुरारी को सोच में डूबा देखकर शिवम् ने कहा,”चलो मुरारी किस सोच में पड़ गए ?”
“अरे भैया ! आप जाईये ना हम महिलाओ के बीच जाकर का करेंगे ?”,मुरारी ने कहा
“जिंदगीभर महिलाओ से घिरे रहे है आप और आज जे ज्ञान , फिर से कोनो कांड कर दिए का मुरारी ?”,शिवम् ने शकभरे स्वर में पूछा
मुरारी एकदम से उठ खड़ा हुआ और कहा,”का का का मतलब हम साला का पूरी जिंदगी काण्ड ही करते रहेंगे ? और आपको लग रहा है कि हम डर रहे है तो मुरारी मिश्रा नाम है हमारा किसी के बाप से नहीं डरते है हम,,,,,,,,,,,,!!”
“मुरारी , मुरारी का हुआ तुमको ,, बस एक्स्प्रेसन आ रहे है तुम्हरे आवाज काहे नहीं आ रही ?”,शिवम् ने मुरारी की बांह पकड़कर उसे हिलाते हुए कहा
मुरारी होश में आया और कहा,”क क कुछ नहीं भैया , नंदिता जी बुला रही है आईये चलते है,,,,,,,,,,!!”
शिवम् मुरारी के साथ आगे बढ़ गया। आजकल मुरारी को ये नयी बीमारी लगी थी मन ही मन सब पर चिल्लाने की।
शिवम् के साथ मुरारी नंदिता के परिवार वालो के साथ आ बैठा जहा पहले से नंदिता के कुछ घरवाले और मधुबाला मौजूद थी। जैसे ही मुरारी ने मधुबाला को देखा एक प्यारी सी मुस्कान मधुबाला के होंठो पर तैर गयी और मुरारी को अपनी गर्दन पर तलवार नजर आने लगी।
“मुस्कान तो आज भी गजबे ही है इनकी,,,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी की आवाज मुरारी के कानों में पड़ी , मुरारी ने बगल में देखा तो पाया सोफे के हत्थे पर फूफा बैठे है।
“तुम हिया का कर रहे हो फूफा?”,मुरारी ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा
“हमहूँ तो बस तमाशा देखने आये है,,,,,,,,,,,,,,,पुरे बनारस में होशियारी दिखाने वाले मुरारिया का बैंड बजते देखना भी अपने आप में एक ठो अचीवमेंट है मुरारी , का समझे ?”,फूफाजी ने मुरारी को चिढ़ाते हुए कहा
“एक बार हमको हिया से निकलने दो तुम्हरी अचीवनमेंट की बत्ती ना बना दिए ना फूफा तो हमरा नाम भी,,,,,,,,,,!!”,मुरारी इतना ही बोल पाया कि शिवम् ने उसके हाथ पर हाथ रखकर धीरे से कहा,”मुरारी ! हम समझ सकते है मधुबाला के रहते तुम्हरा हिया बैठना कितना मुश्किल हो रहा है , लेकिन उह तुम्हरा अतीत है इसलिए परेशान ना हो”
“आप जानते है ?”,मुरारी ने हैरानी से शिवम् की तरफ देखकर कहा
“मुरारी तुम्हरी नस नस से वाकिफ है हम और जे भी जानते है कब कौनसी नस दबानी है तुम्हारी इसलिये अब शांत बैठो”,शिवम् ने बिना किसी भाव के कहा
अब तक मुरारी सोच रहा था मधुबाला के बारे में सिर्फ फूफा को पता है लेकिन शिवम् भी सब जानता था। मुरारी ने एक गहरी साँस ली और शांति से बैठ गया।
नंदिता ने सारिका और अनु को भी वहा बुला लिया , आई बाबा , राधिका और उनके पति भी शामिल हो गए। सारे लोग हम साथ साथ है का परिवार लग रहे थे।
नंदिता ने सबको बैठने को कहा और खुद उठकर सबके बीच चली आयी और कहने लगी,”मेरे कहने पर आप सभी यहाँ आये उसके लिये आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया। आज मैं बहुत खुश हूँ मेरी बेटी गौरी को इतना अच्छा हमसफ़र मिला है और उसके साथ ही इतना अच्छा परिवार मिला है। इस ख़ुशी के मौके पर आज एक और खुशखबरी मैं आप सबके साथ शेयर करना चाहती हूँ। आप सब भी अब इस परिवार का हिस्सा है।”
“किट्टो,,,,,,,,!!”,नंदिता ने पलटकर अपनी बहन किट्टो से आने का इशारा किया
किट्टो नंदिता के पास चली आयी तो नंदिता आगे कहने लगी,”इनसे आप सब मिल ही चुके है , ये है मेरी छोटी बहन किट्टो , अपने कॉलेज के दिनों में किट्टो एक लड़के को पसंद करती थी लेकिन उस कमीने लड़के ने किट्टो को धोखा दिया,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“हर धोखा देने वाला कमीना नहीं होता है नंदिता जी,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने बीच में कहा
“मुरारी,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने उसे रोका कही भावनाओ में बहकर मुरारी खुद ही अपना रायता ना फैला दे
“अरे समधी जी,,,,,,,,,,,खैर छोड़िये , उसके बाद किट्टो ने जिंदगी में कभी भी शादी ना करने का फैसला कर लिया और कितने ही साल निकाल दिए पर आज किट्टो ने फैसला किया है कि वह भी सब भूलकर अपनी जिंदगी की नयी शुरुआत करना चाहती है।”,नंदिता ने जैसे ही कहा सब ख़ुशी से तालिया बजाने लगे
“असली तमाशा तो अब शुरू होगा मुरारी,,,,,,,,,!!”,फूफा ने मुरारी के कान में धीरे से कहा और यही से मुरारी की धड़कने तेज क्योकि मधुबाला की सिर्फ़ मुरारी पर थी,,,,,,,,,,,,,,!!
नंदिता ने मधुबाला की तरफ देखा और कहा,”किट्टो बताओ आखिर कौन है वो खुशनसीब ?”
किट्टो ने मुरारी को देखा और कहा,”मैं जिस से शादी करना चाहती हूँ वो मुरारी,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
किट्टो ने इतना ही कहा कि मुरारी के सब खानदान वालो की नजरे मुरारी पर जा ठहरी , अनु के चेहरे के तो भाव ही बदल गए और आँखों में बेचैनी के भाव उभर आये। बेचारे मुरारी ने तो ये सुनकर अपने दोनों हाथ ही जोड़ दिये और किट्टो के सामने नतमस्तक हो गया। जिसका डर था वही हुआ और अब उसे किट्टो के रूप में अपनी मौत साक्षात् नजर आ रही थी।
तभी किट्टो ने आगे कहा,”वो मुरारी जी जैसा सीधा , समझदार और साफ़ दिल होना चाहिए ,, अगर ऐसा कोई आप सबकी नजर में है तो मुझे बताये”
मुरारी ने जैसे ही सुना ऐसे लगा जैसे किसी ने उसके प्राण निकालकर उन्हें फिर से सीने में डाल दिया हो।
मुरारी ने हाथ जोड़े जोड़े ही किट्टो की तरफ देखा तो किट्टो ने कहा,”अरे अरे समधी जी आपने क्यों हाथ जोड़ लिये ?”
“आपने हमे इस काबिल समझा सुनकर थोड़ा इमोशनल हो गए हमहू,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने बात सम्हालते हुए कहा
अनु उठकर किट्टो के पास आयी और कहा,”किट्टो जी ये तय रहा आपके लिये लड़का ढूंढने की जिम्मेदारी मेरी , लेकिन हमारे मिश्रा जी जैसा नहीं क्या है कि पुरे बनारस में वो इकलौते पीस है वो,,,,,,,,,,,,,!!
अनु अपनी बात पूरी करती इस से पहले आई बोल पड़ी,”जिसे हमरी अनु ही सम्हाल सकती है।”
आई की बात सुनकर सभी खिलखिलाकर हंस पड़े और फूफाजी का मुंह बन गया क्योकि जो तमाशा देखने वो आये थे वो तो वहा हुआ ही नहीं,,,,,,,,,,,,,!!
शक्ति काशी के साथ खड़ा बाते कर रहा था कि तभी उसका फोन बजा , शक्ति ने देखा मोहसिन का फोन है इसलिए शक्ति साइड में चला आया और फोन उठाकर कहा,”हाँ मोहसिन क्या खबर है ?”
“सर जॉर्डन मिल गया है , मैंने उसे बार में देखा और वो अकेला नहीं है सर उसके साथ एक औरत भी है।”,मोहसिन ने कहा
“औरत ?”,शक्ति ने हैरानी से कहा
“हाँ सर ! मैं ठीक से सब सुन नहीं पाया लेकिन जॉर्डन उस औरत को किसी विक्रम से दूर रहने को कह रहा था।”,मोहसिन ने कहा
“हम जानते थे , विक्रम और जॉर्डन का आपस में कुछ तो कनेक्शन है,,,,,,,,,,,,मोहसिन क्या तुम उस औरत को पहचानते हो ?”,शक्ति ने कहा
“नहीं सर मैं उसे नहीं जानता लेकिन मैंने अपने फोन में उन दोनों की फोटो ली है , मैं आपको भेजता हूँ”,मोहसिन ने कहा
“थैंक्यू मोहसिन,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा
“बस क्या सर ? आपके लिये कुछ भी,,,,,,,,,,,,मैं कल सुबह आपसे मिलता हूँ।”,मोहसिन ने कहा
“हम्म्म जरूर,,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा और फोन काटकर जैसे ही पलटा पीछे खड़ी काशी ने कहा,”शक्ति यहाँ आकर भी तुम ड्यूटी कर रहे हो , अपना फोन इधर दो,,,,,,,,,,,,अब नो कॉल्स नो मैसेज ओनली फॅमिली टाइम,,,,,,,,,,,,,पापा तुम्हे बुला रहे है , हम से कह रहे थे सगाई में आने के बाद शक्ति एक बार हमारे साथ नहीं बैठा चलो आओ”
काशी ने शक्ति का फोन अपने पर्स में रख लिया जिस से शक्ति मोहसिन का मैसेज नहीं देख पाया और काशी के साथ वहा से चला गया।
नशे में धुत्त उर्वशी बार से बाहर आयी। उसने सामने से गुजरते ऑटो को रुकवाया और उसमे आ बैठी। लड़खड़ाती जबान में उसने ऑटोवाले को अपने होटल का नाम बताया और सर पीछे सीट से लगा लिया। विक्रम की बेवफाई और चौहान साहब का धोखा उसकी आँखों के सामने आ रहा था लेकिन अगले ही पल उसे मुन्ना का ख्याल आया और उसके चेहरे पर सुकून के भाव दिखाई देने लगे। मुन्ना से हुई चंद मुलाकातें उर्वशी की आँखों के सामने घूमने लगी।
पहली नजर में ही मुन्ना उर्वशी के दिल को भा गया था लेकिन मुन्ना ने उर्वशी को कभी भाव नहीं दिया ,, हालाँकि जब जब उर्वशी किसी मुसीबत में थी मुन्ना ने उसे आकर बचा लिया। उर्वशी मुन्ना के ख्यालो में खोयी थी। इत्तेफाक से ऑटोवाला उर्वशी को उसी गेस्ट हॉउस के सामने से लेकर आया जहा मुन्ना और गौरी की सगाई हो रही थी और उर्वशी की किस्मत कि ऑटो को भी वही गेट के सामने बंद होना था।
ऑटो ड्राइवर ने ऑटो स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन वो जैसे जाम हो चुका था। उर्वशी ऑटो से नीचे उतर गयी उसने दरवाजे के बाहर लगा नाम देखा और ऑटोवाले से कहा,”यहाँ क्या हो रहा है ?”
“लगता है कोई फ़ंक्शन है”,ऑटोवाले ने कहा
उर्वशी वही खड़ी ऑटो का इंतजार करती रही लेकिन ऑटो स्टार्ट नहीं हुआ।
ऑटोवाला उर्वशी के पास आया और कहा,”मैडम ! लगता है इंजन जाम हो गया है , आप यही रुकिए मैं आपके लिये कोई दुसरा ऑटो कर देता हूँ।”
“ठीक है जल्दी करो,,,,,,,,,,,!!”,उर्वशी ने कहा
ऑटोवाला चला गया और उर्वशी वही खड़ी होकर उसका इंतजार करने लगी लेकिन बार बार उसकी नजरे बोर्ड पर लिखे नाम “मानवेन्द्र मिश्रा और गौरी शर्मा”
पर चली जाती। सहसा ही उर्वशी के कदम गेस्ट हॉउस की तरफ बढ़ गए।
उर्वशी अंदर आयी और गार्डन एरिया में चली आयी जहा मुन्ना गौरी के साथ खड़ा था। उर्वशी की नजर जैसे ही मुन्ना पर पड़ी उसका चेहरा ख़ुशी से खिल उठा और वह मुन्ना की तरफ बढ़ गयी। उर्वशी मुन्ना के सामने आयी और कहा,”व्हाट अ कोइंसिडेंस , मैंने कुछ देर पहले तुम्हे याद किया और तुम मेरी आँखों के सामने हो,,,,,,,,,!!”
मुन्ना ने उर्वशी को वहा देखा तो हैरान रह गया , उर्वशी का यहाँ होना मुन्ना को किसी खतरे का संकेत दे रहा था। मुन्ना ने कुछ नहीं कहा वह खामोश रहा।
उर्वशी ने हाथ मुन्ना के गाल की तरफ बढ़ाया तो मुन्ना ने उसे रोकते हुए कहा,”बी इन योर लिमिट्स आपने शराब पी रखी है”
“मान ! कौन है ये ?”,गौरी ने पूछा
“पापा की मेहमान है,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने उर्वशी की तरफ देखकर कहा
“पापा की ? क्या तुम मुझे नहीं जानते ह्म्म्मम्म,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए उर्वशी ने मुन्ना के सीने पर हाथ रख दिया
गौरी ने देखा तो उसने उर्वशी का हाथ झटक दिया और कहा,”देखिये आप होश में नहीं है , ये मेरे होने वाले पति है और आज हमारी सगाई है,,,,,,,,,,,,,,,मैंने आपको यहाँ आने के लिये इन्विटेशन नहीं दिया है तो आप यहाँ से जा सकती है।”
उर्वशी ने जैसे ही सुना आज मुन्ना की सगाई है उसका दिल टूट गया और गुस्से से भर गया। उसने गुस्से से भरी नजरो से मुन्ना को देखा और कहा,”तुम ऐसा कैसे कर सकते हो , क्या मेरे प्यार की तुम्हारी नजरो में कोई अहमियत नहीं है ? ऐसा क्या है इस लड़की में हाँ ? पर मेरी भी एक बात याद रखना तुम दोनों कभी खुश नहीं रहोगे ? ये शादी कभी नहीं होगी,,,,,,,,,,,,!!”
गौरी ने सुना तो आँखों में आँसू भरकर मुन्ना को देखने लगी , क्या सच में कुछ ऐसा था जो मुन्ना गौरी और बाकी सब से छुपा रहा था ?
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संजना किरोड़ीवाल