Sanjana Kirodiwal

Main Teri Heer – 46

Main Teri Heer – 46

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

वंश बस मुन्ना को चिढ़ाना चाहता था और मुन्ना चिढ गया उसने फोन काट दिया तो गौरी ने कहा,”उसने फ़ोन क्यों काट दिया ?”
“अरे उसे तुम्हारे पास आने की जल्दी होगी , तुम ये खाओ”,वंश ने निवाला तोड़कर गौरी को खिलाते हुए कहा
“हम्म्म थैंक्यू,!!”,गौरी ने खाते हुए कहा

वंश को लगा मुन्ना ने फोन चिढ़कर काट दिया है जबकि ऐसा नहीं था। मुन्ना को विडिओ कॉल पर किसी से बात करते देखकर मुरारी उसके पास आया और कहा,”अरे मुन्ना ! यहाँ का कर रहे हो चलकर बस में बइठो,,,,,,,,,,,,,इंदौर बस आने वाला है।”
मुरारी को अपनी तरफ आते देखकर मुन्ना को फोन काटना पड़ा , उसने अपना फोन जेब में रखा और कहा,”वो बड़े फूफाजी बाथरूम के लिये गए है उन्ही के लिये रुके है,,,,,,,,,,!!”


“हम रुकते है तुम अंदर चलकर बैठो,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
मुन्ना बस की तरफ बढ़ गया। मुरारी ने नजर दौड़ाई तो सामने से आते फूफाजी दिखाई दिए। एक तो मुरारी कल से उनसे परेशान था अब ऊपर से वो बार बार बस को रोक रहे थे। मुरारी को बस के बाहर खड़े देखकर फूफाजी ने कहा,”हिया काहे खड़े हो ?”
“आपका ध्यान रखने के लिये खड़े थे,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने खीजते हुए कहा


“हम का 16 साल की लौंडिया है जो हमरा ध्यान रख रहे थे , अब का मूतने के लिये भी तुमसे परमिशन ले ?”,फूफाजी ने कहा
“हम काहे देंगे परमिशन,,,,,,,,,,,,और सुबह सुबह जे सब का बकैती कर रहे हो फूफा , हम कह रहे इंदौर आने वाला है चलकर बस में बैठो ,, मुन्ना के नाना याने हमारे ससुर इंतजार कर रहे है सबका”,मुरारी ने कहा
“खुश तो ऐसे हो रहे हो मुरारी जैसे ससुर के साथ साली भी बैठी हो तुम्हरे इंतजार में फूल माला लिये,,,,,,,,,!!”,कहते हुए फूफाजी बस की तरफ बढ़ गए


“साला और साली हमरे जीवन में नहीं है , हमरे जीवन मा तो तुम्हरे जैसे असुर है बस,,,,,,,,,,!!”,बड़बड़ाते हुए मुरारी भी बस की तरफ बढ़ गया और अंदर आकर शिवम् के बगल में आ बैठा। बस चल पड़ी

शिवम् को खोया हुआ देखकर मुरारी ने पूछा,”का बात है भैया किस सोच में डूबे है ?”
शिवम् ने मुरारी की तरफ देखा और कहा,”मुरारी जब भी हम इह सहर मा आते है , हमरा अतीत एकदम से हमरी आँखों के सामने आ जाता है ,, तुम तो जानते ही हो मुरारी कितनी मुस्किलो के बाद हम सारिका से मिले थे , वो भी ऐसे हालातो में,,,,,,,,,,,,बस एक बार फिर वही सब याद आ रहा है।”


“अरे भैया , सच कहती है आई आप ना सोचते बहुत है , आप बीते हुए कल के बारे में इतना काहे सोचते है ? उह देखिये आपका आज कितना खूबसूरत है,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने सारिका की तरफ इशारा करके कहा तो शिवम् पीछे अंजलि के साथ बैठी सारिका को देखने लगा।  

अंजलि सारिका से कुछ कह रही थी और सारिका अंजलि की बातें सुनकर मुस्कुरा रही थी , खिड़की से आती सुबह की हल्की धूप सारिका के चेहरे पर पड़ रही थी और सादगी से भरा सारिका का चेहरा इस वक्त और भी ज्यादा मासूम और प्यारा लग रहा था। शिवम् बस एकटक उसे देखते रहा काफी देर तक शिवम् ने मुरारी की बात का कोई जवाब नहीं दिया तो मुरारी ने कहा,”देखा शिवम् भैया , का कहे थे हम ? आपका आज आपके अतीत से कई ज्यादा खूबसूरत है,,,,,,,,,,!!”


“पर कुछ दिन बाद सारिका हम से फिर दूर चली जाएगी,,,,,,,,,,और इस बार जे बनवास कितने वक्त का होगा हम भी नहीं जानते”,शिवम् ने सारिका को देखकर उदासीभरे स्वर में कहा
मुरारी ने सुना तो वह हैरानी से शिवम् की तरफ पलटा,”का ? जे आप का कह रहे है ? कहा चली जायेगी सारिका भाभी और आप उनको जाने देंगे अरे मजाक है का ? हम पहिले ही एक बनवास देख चुके है फिर से दुसरा नहीं देखना हमे,,,,,,,,,,,,!!”


मुरारी को परेशान देखकर शिवम् ने सारिका से नजरे हटाकर सीधे बैठते हुए कहा,”परेसान काहे हो रहे हो मुरारी ?”
“अरे परेसान ना हो तो और का हो ? अभी का कहे आप ? कह दीजिये जे सब मजाक है बस आप मजाक कर रहे थे,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने उदास और मायूसी भरे स्वर में कहा
शिवम् मुरारी की खुशियों में खलल डालना नहीं चाहता था इसलिये कहा,”हाँ मुरारी ! हम बस मजाक कर रहे थे,,,,,,,,वैसे तुमने सारिका के पापा को बताया कि हम पहुँचने वाले है।”


“हाँ हमने फोन कर दिया था अरे उह तो कब से दरवाजे पर खड़े हम सबका इंतजार कर रहे है।”,मुरारी ने कहा
शिवम् मुस्कुराया और कहा,”याद है मुरारी सालों पहले इन्होने ही तुमको घर से जाने को कहा था और आज वही तुम्हरा दरवाजे पर खड़े इंतजार कर रहे है”
“हाँ भैया जे तो , जबसे हमने उनके घर के तूफान को सम्हाला है तबसे ससुराल में इज्जत बढ़ गयी है हमारी”,मुरारी ने फुसफुसा कर कहा तो शिवम् हसने लगा

अधिराज जी का घर , इंदौर
निशि काशी के कमरे में रुकी थी उसका बैग और सामान भी वही था। काशी ने निशि से नहाने को कहा और खुद तैयार होने के लिये शीशे के सामने चली आयी। काशी ने बहुत ही प्यारा अनारकली सूट पहना , बालों को समेटकर जुड़ा बनाया लेकिन वह सब इतनी जल्दी में कर रही थी कि बालों की कुछ लटें उसके चेहरे पर निकल ही आयी।

काशी जल्दी जल्दी तैयार हो रही थी तभी उसका फोन बजा। काशी ने आँखों में काजल लगाते हुए फोन उठाया और स्पीकर पर डाल दिया तो दूसरी तरफ से गौरी ने कहा,”काशी आते हुए तुम टेलर से मेरा लहंगा ले आओगी ?”
“हाँ हम ले आएंगे,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“और मैंने वो सुदीप भैया से चूड़ा बनाने को कहा था उन्होंने कहा था वो घर पर भिजवा देंगे और अब वो फोन नहीं उठा रहे , क्या तुम उनके घर से वो चूड़ा भी ले लोगी प्लीज ?”,गौरी ने फिर कहा


“अह्ह्ह हाँ हम ले लेंगे , अब हम तैयार हो जाये मम्मी पापा आते ही होंगे,,,,,,,!!”,काशी ने कानो में झुमके पहनते हुए कहा
“हाँ बाबा और सुनो,,,,,,,,,!!”,गौरी ने फिर कहा
“अब क्या है ?”,काशी ने झुंझलाकर कहा
“जल्दी आओ मैं तुम्हारा वेट कर रही हूँ”,गौरी ने कहा


“तुम हमे ये आर्डर देना बंद करोगी तभी तो हम आ पाएंगे गौरी,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह लगता है माँ पापा आ गए,,,,,,,,,हम रखते है।”,कहते हुए काशी ने फोन रख दिया और अपना दुपट्टा लेकर कमरे से बाहर चली गयी।

काशी बाहर आयी , अधिराज जी , अम्बिका , नवीन और मेघना बाहर ही खड़े थे। काशी भी ख़ुशी ख़ुशी आकर उनके साथ खड़ी हो गयी। सभी बस से नीचे उतरे। अंजलि ने काशी को देखा तो दूर से ही अपना हाथ हिला दिया। अंजलि को देखते ही काशी का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा वह कितने दिनों बाद उस से मिल रही थी। अधिराज जी और अम्बिका जी एक एक करके सबसे मिले।

शिवम् ने आकर जैसे ही अधिराज जी के पैर छूने चाहे अधिराज जी ने शिवम् को रोकते हुए कहा,”क्या कर रहे है दामाद जी ? आप हमारे पैर छुएंगे,,,,,,,,,!!”
“आप हमारे पिता जैसे है आपके पैर छू सकते है,,,,,,!!”,कहते हुए शिवम् ने अधिराज जी के पैरो को छुआ। सारिका और अनु आकर अधिराज जी और अम्बिका जी से मिली। नवीन को वहा देखकर सारिका उसके पास आयी और कहा,”कैसे हो नवीन ?”


“मैं ठीक हूँ मैडम , आप कैसी है ?”,नवीन ने मुस्कुरा कर कहा
“नवीन हमे ऑफिस छोड़े सालों हो गए हमे मैडम बुलाना बंद कीजिये”,सारिका ने हँसते हुए कहा
“आप हमेशा मेरे लिये मैडम ही रहोगे,,,,,,,,,मेघना से मिलिए”,नवीन ने मेघना की तरफ हाथ करके कहा
सारिका मेघना से मिली ,  अधिराज जी सबसे एक एक करके मिले और उन्हें अंदर चलने को कहा।

काशी शिवम् के पास आयी और शिवम् के सीने से लगकर कहा,”हमने आपको बहुत मिस किया , आपने आने में इतनी देर क्यों की ?”
“हम कुछ दिन यही है तुम्हे जितनी शिकायते करनी हो आराम से करना,,,,,,,,,,,,!!”,शिवम ने प्यार कहा  

शिवम् सारिका भी अंदर चले गए। अंजलि काशी के पास आयी और उस से झूठ मुठ का नाराज होते हुए कहा,”मैं आपसे नाराज हूँ”
“अरे ! लेकिन क्यों हमने क्या किया ?”,काशी ने हैरानी से पूछा
“वही तो आपने कुछ नहीं किया , सगाई के बाद एक बार भी फोन किया आपने मुझे , और मुझसे मिलने भी नहीं आयी,,,,,,,,,,,,!!”,अंजलि ने अपने हाथो को बांधकर मुंह बनाते हुए कहा


“हमे माफ़ करना अंजलि बनारस से वापस आकर हम बिजी हो गए लेकिन मुन्ना भैया और गौरी की सगाई का ये पूरा वक्त हम तुम्हारे साथ बिताने वाले है”,काशी ने कहा तो अंजलि ने खुश होकर उसे गले लगा लिया।

अंदर आकर आधे लोग कमरों में चले गए। बड़े लोग अधिराज जी के साथ आ बैठे। अनु कितने दिनों बाद घर आयी थी इसलिए सबको अपने पापा का घर दिखाने लगी और सारिका अम्बिका के साथ बैठकर बातें करने लगी। बचपन से लेकर जवानी तक सारिका ही थी जो अधिराज जी और अम्बिका के साथ सबसे कम रही थी। मुन्ना नहाने जा रहा था कि तभी उसने काशी को परेशान देखकर कहा,”क्या बात है काशी ? तुम कुछ परेशान नजर आ रही हो,,,,,,,,,!!”


“हाँ मुन्ना भैया ! दरअसल हमे गौरी के घर जाना था और उस से पहले उसने हमे कितने सारे काम बता दिये,,,,,,,,,,,बाहर जाकर देखा तो स्कूटी भी पंचर है और कार नानाजी हमे चलाने नहीं देंगे,,,,,,,,,,,,अब हम बाहर कैसे जाये ? उस पर गौरी हमे कितने फोन कर चुकी है , आप तो जानते है ना कितनी बेसब्र है वो,,,,,,,,!!”,काशी ने एक साँस में सारी कहानी कह सुनाई
“हम नहा ले फिर हम लेकर चलते है,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा


“आर यू स्योर ? माँ बाहर जाने देंगी आपको ?”,काशी ने पूछा
“काशी हमारी सिर्फ सगाई हो रही है शादी नहीं , बाहर क्यों नहीं जा सकते हम,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा
“ठीक है लेकिन नहाने जितना टाइम नहीं है हमारे पास,,,,,,,,,,,,आप ऐसे भी अच्छे लग रहे है , प्लीज चलिए ना”,काशी ने मुन्ना की बाँह थामकर कहा


“मुन्ना भैया मैं भी चलू ? मुझे भी अपनी होने वाली भाभी से मिलना है,,,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह्हह वो कितनी क्यूट है और प्यारी भी प्लीज प्लीज प्लीज”,अंजलि ने आकर मुन्ना की दूसरी बाँह थामते हुए कहा
मुन्ना कुछ कहता इस से पहले ही निशि वहा आयी उसने लॉन्ग कुर्ती और जींस पहनी थी और पोनी टेल में वो बहुत प्यारी लग रही थी। मुन्ना को देखकर उसने कहा,”हाय मुन्ना भैया,,,,,,,,,,!!”


“हेलो,,,,,,,,,,,,,ये दोनों गौरी के घर जा रही है , एक काम करो तुम भी साथ चलो,,,,,,,,,,यहाँ अकेले बोर हो जाओगी,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने अपनेपन से कहा तो निशि उसे मना नहीं कर पायी

मुन्ना ने अधिराज जी से गाड़ी की चाबी ली और तीनो लड़कियों को साथ लेकर जैसे ही बाहर आया , बाहर खड़े मुरारी ने उसे रोकते हुए कहा,”हाँ बेटा ! किधर चली सवारी ? शाम में तुम्हरी सगाई है और तुमहू बाहर जा रहे हो,,,,,,,,,,,,!!”


“अगर हमने कहा हम गौरी के घर जा रहे है तो इनके सवाल जवाब शुरू हो जायेंगे,,,,,,,,,,माफ़ करना महादेव झूठ बोलना पडेगा”,मुन्ना ने मन ही मन खुद से कहा
“का हुआ ? बोलोगे कुछ ?”,मुरारी ने कहा तो मुन्ना की तंद्रा टूटी

“आपने कहा था न दाढ़ी के लिये तो बस हम उसी के लिये जा रहे है और फिर इन सबको भी कुछ काम था तो सोचा जाते हुए इन्हे भी वहा तक छोड़ देंगे”,मुन्ना ने कहा
“हम्म्म ठीक है ध्यान से लेकर जाना बहनो को और जल्दी आना”,मुरारी ने कहा और अंदर चला गया
“मुन्ना भैया आपने मुरारी चाचा से झूठ क्यों कहा ? आपने उन्हें क्यों नहीं बताया कि आप हमे गौरी के घर छोड़ने जा रहे हैं।”,काशी ने पूछा


“काशी तुम जानती नहीं हो आजकल पापा हमारे साथ कुछ ज्यादा ही फ्रेंक होने लगे है , उन्हें अगर ये कहते हम गौरी के घर जा रहे है तो पता नहीं हमे क्या क्या सुनने को मिलता ?”,मुन्ना ने कहा
“ओह्ह्ह मुन्ना भैया आप सच में कितने सीधे है,,,,,,,,चलो चलते है”,काशी ने मुन्ना की बांह पकड़कर आगे बढ़ते हुए कहा

सभी गाड़ी में आ बैठे। अंजलि को तो अपनी पुरानी दोस्त निशि जो मिल गयी थी वह तो उसके साथ पीछे आ बैठी। काशी मुन्ना के साथ आगे बैठ गयी। मुन्ना ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। गौरी को देखने भर के ख्याल से मुन्ना का मन ख़ुशी से भरा जा रहा था लेकिन मुन्ना ने उसे अपने चेहरे पर नहीं आने दिया। काशी ने पहले गौरी का लहंगा लिया और फिर चूड़ा लेकर गाड़ी में आ बैठी। कुछ देर बाद ही गाड़ी गौरी के घर के सामने आकर रुकी मुन्ना सबके साथ नीचे उतरा और सबको अंदर जाने को कहा


“आप अंदर नहीं आएंगे ?”,काशी ने बैग उठाते हुए कहा
“अभी ऐसे अंदर आये तो अच्छा नहीं लगेगा,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा
“क्या आप गौरी से मिलना नहीं चाहेंगे ?”,काशी ने मुन्ना की आँखों में देखकर पूछा जिनमे गौरी से मिलने की तड़प मुन्ना को साफ दिखाई दे रही थी।


मुन्ना खामोश हो गया , हालाँकि वह हमेशा से शांत और शर्मिला था लेकिन आज तो उसे कुछ ज्यादा ही शर्म आ रही थी। अंजलि ने जैसे ही बालकनी की तरफ देखा ख़ुशी से अपना हाथ हिलाया। बालकनी में गौरी खड़ी थी मुन्ना उसकी तरफ पीठ किये खड़ा था इसलिए गौरी ने इशारो इशारो में नीचे आने को कहा और बालकनी से चली गयी।

काशी मुन्ना को अंदर चलने के लिये मना रही थी लेकिन मुन्ना अंदर जाना नहीं चाहता था। बेचारा नहाया भी नहीं था और इस वक्त ऐसे हाल में था कि उसे खुद अंदर जाने में शर्म महसूस हो रही थी। गौरी चुपके से मुन्ना के पीछे आकर खड़ी हो गयी। काशी ने गौरी को वहा देखा तो उसकी आँखे चमक उठी लेकिन उसने गौरी से कहा कुछ नहीं। उसने एक बार फिर मुन्ना से कहा,”मुन्ना भैया ! चलिए ना अंदर , आंटी को अगर पता चला आप यहाँ तक आये और अंदर नहीं आये है तो वो गुस्सा करेंगी”


मुन्ना के पीछे खड़ी गौरी जैसे जानती थी कि इसके बाद मुन्ना क्या कहने वाला है इसलिए मुन्ना जैसे जैसे बोलने लगा पीछे खड़ी गौरी अपनी आँखों को मटकाते और मुंह बनाते हुए उसकी नक़ल करने लगी
निशि और अंजलि ने देखा तो दोनों दबी हंसी हसने लगी


मुन्ना ने धीमे स्वर में कहा,”काशी तुम जानती हो ना अंदर इस वक्त सब मेहमान होंगे ऐसे में सबके बीच इस हाल में जाना अच्छा नहीं लगता और फिर शाम में सगाई है , अभी गौरी से मिले तो वो क्या सोचेगी हमारे बारे में कि हम उस से मिलने के लिये,,,,,,,,,,,,,,तुम सब अंदर जाओ हम अब चलते है।”
कहकर मुन्ना जैसे ही पलटा अपने पीछे हाथ बांधे खड़ी गौरी से टकरा गया।

गौरी को अपने पीछे देखकर मुन्ना हैरान रह गया वह कुछ कहता इस से पहले ही गौरी ने बड़ी सी रहस्य्मयी मुस्कान अपने होंठो पर बिखेरी और जोर से चिल्लाई,”मममममममा !”
अंदर नंदिता ने जैसे ही गौरी के चिल्लाने की आवाज सुनी वे दौड़कर घर के बाहर आयी , उनके पीछे जय , गौरी की नानी , मामा और उसके अंकल भी चले आये। मुन्ना ने सबको बाहर देखा तो मन ही मन अपना सर पीट लिया


“क्या हुआ ? तुम चिल्लाई क्यों ?”,नंदिता ने घबराये स्वर में कहा
गौरी मुस्कुराई और कहा,”मान आया है”
बेचारा मुन्ना उसने गौरी की तरफ देखा और फिर नंदिता की तरफ देखते हुए अपने हाथ जोड़कर कहा,”नमस्ते,,,,,,,,,,,,!!”

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