Main Teri Heer – 21
मुंबई ,वंश का फ्लेट
खटपट की आवाज से वंश की नींद खुली तो उसने देखा मुन्ना नहा धोकर तैयार था। वंश अपनी आँखे मसलते हुए उठा और कहा,”तुम जा रहे हो ?”
“हाँ हमे जाना होगा और फिर कल सब इंदौर के लिये भी निकलने वाले है।”,मुन्ना ने अपना पर्स रखते हुए कहा
“अहहह्म्म अहम्म्म्म ये चेहरे पर ग्लो बनारस जाने का है या गौरी से मिलने का,,,,,,,,,?”,वंश ने मुन्ना को छेड़ते हुए कहा
“दोनों ही हमे अजीज है एक हमारा महबूब शहर है और दूसरी हमारी महबूबा,,,!!”,मुन्ना ने घडी पहनते हुए कहा
“क्या बात है मुन्ना ? जब से गौरी तुम्हारी जिंदगी में आयी है तुम कुछ ज्यादा ही रोमांटिक बातें करने लगे हो,,,,,,,,,सही है ऐसे तो जल्दी ही मुझे चाचू बनने का मौका मिलेगा,,,,,,!!”,वंश ने उठते हुए कहा
“हाँ और मुंबई आकर तुम कुछ ज्यादा ही बेशर्म हो गए हो,,,,,,,,,,अब चलो हमे एयरपोर्ट छोड़ दो हमारी फ्लाइट है।”,मुन्ना ने किचन की तरफ जाते हुए कहा
वंश जब तक फ्रेश होकर आया मुन्ना दोनों के लिये चाय बना चूका था। वंश ने मुंह धोया , ब्रश किया और फिर हॉल में पड़े सोफे पर बैठते हुए कहा,”मुन्ना तुम्हारा बनारस जाना जरुरी है क्या ? तुम हम लोगो के साथ यहाँ से डायरेक्ट इंदौर चलना ना”
“हम ऐसा नहीं कर सकते , पापा को बताया तो गुस्सा हो जायेंगे वो,,,,,,,,,,,वैसे भी हमारे कपडे नहीं आये है हमे वो लेने है और भी कई सारे काम है तुम नहीं समझोगे,,,,,,,,,,,,,तुम मेघना आंटी और नवीन अंकल के साथ परसो शाम तक बनारस पहुँच जाना उसके अगले दिन सगाई है और तुम्हारा वहा होना बहुत जरुरी है,,,,,,,,,,निशि और तुम्हारे बीच सब ठीक है इसलिए उसे भी साथ आने के लिये बोल सकते हो,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने चाय का कप वंश की तरफ बढ़ाते हुए कहा और खुद वंश के सामने पड़े सोफे पर बैठ गया।
“हाँ जरूर,,,,,,,,,पर मैं कल उस से सीरीज के लिये पूछ ही नहीं पाया मुझे नहीं लगता वो मेरे साथ काम करेगी ?”,वंश ने चाय का घूंठ भरकर उदासी भरे स्वर में कहा
“वो जरूर करेगी,,,,,,!!”,मुन्ना ने विश्वास से भरकर कहा
“तुम इतना यकीन के साथ कैसे कह सकते हो ?”,वंश ने पूछा
“क्योकि हम तुम्हारा भविष्य उसके साथ देखते है,,,,,,,,,,,वंश निशि बहुत अच्छी लड़की है उसे थोड़ा कम परेशान किया करो। वो बहुत सेंसेटिव लड़की है अगर तुम उसके साथ प्यार से पेश आओगे तो तुम दोनों का रिश्ता बहुत आगे जायेगा”,मुन्ना ने दार्शनिक अंदाज में कहा
” आह्ह्ह्ह लगता है गौरी के साथ रहकर तुम भी उसके जैसे हो गए हो,,,,,,,,,,,उस निशि से मेरा रिश्ता सीरीज तक ही रहे तो बेहतर है मुन्ना , असल जिंदगी में तो मैं उसे 2 मिनिट नहीं झेल पाऊंगा”,वंश ने मुंह बनाते हुए कहा
मुन्ना वंश की तरफ देखने लगा और मन ही मन कहा,”जिस दिन तुम्हे निशि से सच में प्यार होगा ना वंश उसके बाद तुम निशि के बिना 2 मिनिट भी नहीं रह पाओगे,,,,,,,,,,तुम थोड़े प्रेक्टिकल हो और निशि इमोशनल तुम दोनों का रिश्ता बनने में अभी वक्त लगेगा लेकिन जब बनेगा तो उस से बेहतरीन तुम्हारे जीवन में कुछ नहीं होगा।”
मुन्ना को खोया हुआ देखकर वंश ने कहा,”क्या हुआ कहा खो गए ? तुम मेरी बातो पर ज्यादा ध्यान मत दो मैं बस बकवास कर रहा हूँ।”
“अह्ह्ह नहीं ऐसा कुछ नहीं है,,,,,,,,,,तुम अपने डिरेक्टर से कब मिलने वाले हो ?”,मुन्ना ने कहा
“पहले वो महारानी हाँ तो करे , मैं तो उस से अभी जाकर मिल लूंगा”,वंश ने कहा
“ठीक है फिर चलो,,,,,,!!”,मुन्ना ने खाली कप रख उठते हुए कहा
“कहा ?”,वंश ने भी चाय खत्म कर कप रखते हुए कहा
“तुम्हारी वाइफ को मनाने,,,,,,,,,,,,, आई मीन सीरीज वाली वाइफ को मनाने। निशि एयरपोर्ट आने वाली है हमे अलविदा कहने,,,,,,,,,,तुम चाहो तो वहा निशि से बात कर उसे सीरीज में काम करने के लिये राजी कर सकते हो।”,मुन्ना ने बैग उठाकर अपनी पीठ से लगाते हुए कहा
“तुम्हे लगता है वो मानेगी ?’,वंश ने मुन्ना के साथ आते हुए कहा
“वो तो मान जायेगी लेकिन हम नहीं मानेंगे,,,,,,,,,!!”,मुन्ना वंश की तरफ देखकर कहा
“मतलब ?”,वंश ने फ्लेट से बाहर आकर कहा
“मतलब ये कि क्या तुम इन कपड़ो में हमारे साथ चलने वाले हो ?”,मुन्ना ने वंश को शॉर्ट्स में देखकर कहा
“हाँ इसमें क्या बुराई है ?”,वंश ने कहा
मुन्ना ने देखा उसे देर हो रही है इसलिए उसने कहा,”अह्ह्ह ठीक है चलो”
वंश ने मुन्ना की पीठ से बैग ले लिया और उसके साथ वहा से चला गया।
बनारस , शिवम् का घर
आई और मुरारी पिछले 5 मिनिट से एक दूसरे को घूरते हुए चाय पिये जा रहे थे। आई ने देखा मुरारी कुछ ज्यादा ही खुन्नस से देख रहा है तो उन्होंने चाय का खाली कप डायनिंग पर रख उठते हुए कहा,”देखो देखो कैसे बेशर्मो के जैसे घूरे जा रहा है हमका , अरे तुमरी उम्र मा आदमी लोग तीर्थ पर जाते है लेकिन तुमहू हो के मुँह उठा के चल दिये घाट पर,,,,,,,,,,,,,,,,,
हमका जे बताओ मुरारी उह घाट पर कौनसी नानी रहती है तुम्हरी जो मिलने पहुँच जाते हों,,,,,,,,,,,,,,,, मत भूलो बेटा तुम्हरा हर कांड घाट से ही जुड़ा है,,,,,,,,,,,,अब देख का रहे हो बताओगे हमका का लेने गए थे वहा ? और गए सो गए भांग खायी सो अलग,,,,,,,,अरे अच्छा भला शरीर है काहे भांग के चक्कर मा गलाय रहे हो इका,,,,,,,,,,,,!!”
सारिका ने ये सब सुना तो समझ गयी आई और मुरारी दोनों ही उसकी बात नहीं सुनेंगे इसलिए उठकर वहा से चली गयी।
आई की बातें सुनकर मुरारी ने चिढ़ते हुए कहा,”ए आई ! देखो तुमहू हमका चाहे जितना गरियाओ पर भांग को कुछ ना बोलना,,,,,,,,,,,,अरे काशी मा बाबा भोलेनाथ का प्रसाद है इह तो,,,,,,,,,!!”
“अच्छा ! तो भोलनाथ तो जहर भी पिये थे,,,,,,,,,उह काहे नहीं पीते ?”,आई ने भी चिढ़ते हुए कहा
“तुम्हरी बातें जहर से कुछो कम है का आई ? साला आदमी एक बार को तो जहर से बच जाये पर तुम्हरी जहर जैसी बातों से तो ऑन द स्पॉट मर जाई है।
खुद तो थी हमरी जान की दुश्मन अब अपने जैसी एक ठो और खड़ी कर दी हमरे लिए,,,,,,,,,,,,,,,हाँ वही हमरी फूलन देवी,,,,,,,,,,,,साला जब देखो तब किसी न किसी बात पर उनका मुँह फुला ही रहता है। अरे एक आदमी की जिंदगी में तुम दोनों जैसी महिला हो ना आई तो उसकी अर्थी को चार कंधो की जरूरत ही नहीं है,,,,,,,,,,,,,भांग काहे पी ? भांग काहे पी ? अरे पी ली , अच्छी लगती है हमका , कुछो देर के लिये जे दुनियादारी की परेशानियों से दूर हो जाते है।
जबसे बिधायकी में आये थे अच्छा बनने के चक्कर में जिंदगी जी ही नहीं पाए और अब जो थोड़ी सी जो जी ली तो तुम्हरे कलेजे पर सांप लौट रहे,,,,,,,,,,,,,,हम बता रहे है आई तुम्हरे घर का खाना नहीं ना खाये होते ना तो कबो नहीं आते हिया,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
आई ने देखा पिछले 2 मिनिट से मुरारी कुछ बोल नहीं रहा लेकिन उसके चेहरे पर एक के बाद एक भाव आते जा रहे थे और वह आड़े टेढ़े मुंह बना रहा था।
आई हैरानी से बस उसे देखते रही। इसका मतलब ये था कि मुरारी ने अब तक जो कुछ भी कहा वो बस उसने अपने मन ही मन में कहा आई के सामने नहीं।
आई ने देखा मुरारी कुछ ज्यादा ही अजीब बर्ताव कर रहा है तो उन्होंने मुरारी को एक थप्पड़ मारा और कहा,”अरे का माता वाता आ गयी है का तुम में ? बोल काहे नहीं रहे कुछो तब से बस मुंह ही बनाये जा रहे हो ?”
आई से थप्पड़ खाकर मुरारी होश में आया और कहा,”हाँ हाँ आई आप हिया है ?”
“हम तो यही है मुरारिया पर हमको लगता है तुम अपने ख्याली पुलाव लेकर कही और पहुँच गए हो,,,,,,,,,,,,चलो उठो और घर जाओ , सुबह से अनु बिटिया का 4 बार फोन आ चुका है उह परेशान हो रही है तुम्हरे लिए”
“का ? आपने सब बता दिया का उसको ? अरे आई काहे हमायी खेत जैसी जिंदगी मा चरस बोना चाह रही हो ,, अरे तुम्हरी कड़वी बाते हमहू सुन लेते है का है कि प्यार करते है तुम से पर अनु का गुस्सा तुमहू जानती हो ना,,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं हमहू नहीं जायेंगे पता चले हमरी मय्यत का सामान जमाय के बैठी हो उह,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
“अरे मुरारी का करे हम तुम्हरा,,,,,,,,,,,माँ बहन की गाली भी ना दे सके है तुम्हे ना कपार फोड़ सकी है तुम्हरा,,,,,,,,,,,,,,,तुम का हमको इतना गिरा हुआ समझ लिये हो कि तुम्हरे जे सब कारनामे हम अनु को बताएँगे,,,,,,,,,,,,,,जाओ घर जाओ उह बेचारी तो तुमको घर मा ना पाकर परेशान है,,,,,,,,,!!”,आई ने अपना सर पीटते हुए कहा
मुरारी ने सुना तो झेंपते हुए कहा,”अरे हमे तो पता ही था अनु ऐसा थोड़े करेगी हमरे साथ,,,,,,,,,,,ठीक है हमहू जाते है”,मुरारी ने कहा और जैसे ही दरवाजे की तरफ जाने लगा आई ने आवाज दी,”मुरारी सुनो !”
मुरारी रुक गया कुछ देर बाद आई अचार से भरा एक शीशे का मर्तबान लेकर आयी और मुरारी को थमाते हुए कहा,”जे अनु बिटिया को दे देना उह कह रही थी इंदौर लेकर जायेगी अपने माँ-पिताजी के लिये,,,,,,,,,,,,!!”
“हम्म्म ठीक है”,कहकर मुरारी मर्तबान को सम्हालकर बाहर ले आया।
प्रताप का घर , बनारस
सुबह सुबह घर में शोर शराबा सुनकर राजन अपने कमरे से बाहर आया। उसने बरामदे में आकर नीचे देखा तो पाया प्रताप घर के नोकरो को काम बता रहा था। घर में कुछ पेंट वाले और कुछ कारपेंटर आये हुए थे। राजन को कुछ समझ नहीं आया वह नीचे आया और प्रताप की तरफ आते हुए कहा,”जे सब का है पिताजी ? जे लोग हमरे घर मा का कर रहे है ?”
प्रताप मुस्कुराया और कहा,”अरे कुछो नहीं बेटा कई सालो से घर मा रंग रोगन नहीं हुआ था सोचा करवाय देते है,,,,,,,,,,,,,!!”
“और जे कारपेंटर ? जे किसलिए आये है ?”,राजन ने पूछा
“अच्छा जे , जे तो नया डबल बेड और फर्नीचर बनाने के लिये आये है,,,,,!!”,प्रताप ने कहा
बिरजू तब तक राजन और प्रताप के लिये चाय ले आया दोनों ने अपनी अपनी चाय उठायी। प्रताप तो गर्म चाय को फूंक मारकर पीने लगा लेकिन राजन अभी भी प्रताप की बातो की वजह से उलझन में था इसलिए कहा,”पर नया फ़र्नीचर काहे ? घर में पहिले से इतना सब तो है।”
“तुमहू का चाहते हो नयी दुल्हिन जे घर मा पुरानी चीजें इस्तेमाल करे,,,,,,,,,,,,हमरे होते जे सब ना होगा , अरे इतना सब किसके लिये कमाए है जे मुस्टंडो को पालने के लिये,,,,,,,,!!”,प्रताप ने चाय का बड़ा सा घूंठ भरते हुए कहा
“नयी दुल्हिन ? पिताजी आप जे उम्र मा फिर से सादी कर रहे है ?”,राजन ने एकदम से पूछा
प्रताप के मुँह में भरी चाय पास से गुजरते पेंटर पर जा गिरी तो उसने खा जाने वाली नजरो से प्रताप को देखा तो प्रताप ने गले में पड़े अपने गमछे से उसका मुँह पोछते हुए कहा,”ल्यो सुबह सुबह इलायची वाली चाह से तुम्हरा मुंह धूल गवा अब पूरा दिन महकते रहे हो तुमहू,,,,,,,,,,,,है जाओ जाओ बहुते काम बाकि है जल्दी जल्दी निपटाओ”
बेचारा पेंटर वहा से चला गया तो प्रताप ने राजन की बाँह पकड़ी और उसे साइड में लाकर कहा,”अरे जे का अंट शंट बक रहे हो ,, हाँ , हम काहे सादी करेंगे ? तुम्हरी बुद्धि का घास चरने चली गयी है ? अरे हम तुम्हरी दुल्हन की बात कर रहे है,,,,,,,,,,,,,,!!”
“वो कहा है ?”,राजन ने उलझन भरे स्वर में कहा
“अरे उह तो हम लेकर आएंगे ना तुम्हरे लिए,,,,,,,,,,,ए बेटा देखो किते सालों से जे घर मा किसी महिला की पायल की झंकार सुनने को नाही मिली है। तुम्हायी दुल्हिन आ जाई है तो जे घर भी खिल उठी है”,प्रताप ने राजन को बहलाते हुए कहा
राजन ने सुना तो एकदम से उसके चेहरे से भाव गायब हो गये और उसने कहा,”हमको कोई सादी नहीं करनी है पिताजी,,,,,,,,,!!”
कहकर राजन प्रताप की बात सुने बिना ही वहा से चला गया। बिरजू प्रताप के पास आया तो प्रताप ने कहा,”यार बिरजू जे तो सादी के नाम से ही भाग खड़े हुए”
बिरजू ने प्रताप की तरफ देखा और कहा,”मालिक हो सकता है राजन बबुआ किसी और को पसंद करते हो ?”
बिरजू की बात ने प्रताप को परेशानी ने डाल दिया क्योकि सब जानते थे राजन पुरे बनारस में एक ही लड़की को पसंद करता था और वो लड़की थी “काशी”
मुरारी और आई के अचार का पुराना रिश्ता रहा है। मुरारी के हाथ में अचार का मर्तबान हो और वह ना गिरे ऐसा भला कैसे हो सकता था ? शिवम् बाहर ही खड़ा था और वहा खड़े घर के नोकरो को कुछ काम बता रहा था। मुरारी ने प्यार से शिवम् की तरफ देखा लेकिन शिवम ने उसे कोई भाव नहीं दिया। आई बाहर आयी उसे पूरा पूरा शक था कि मुरारी अचार गिरायेगा इसलिए वह उसे रोकने ही बाहर आयी थी। शिवम् की तरफ देखकर चलते हुए मुरारी जैसे ही लड़खड़ाया आयी की सांसे अटक गयी और उन्होंने कहा,”अरे !”
लेकिन अगले ही पल मुरारी ने खुद को सम्हाल लिया और आई की तरफ देखकर मुस्कुराया और अपनी भंव उचकाई। वह मुस्कुराते हुए अदा से पलटा और जैसे ही आगे बढ़ा सामने से आती बिजली उसे दिखाई दी। बिजली को वहा देखकर मुरारी हैरान था। वह शिवम् की तरफ जाने लगी लेकिन जब उसने मुरारी को देखा तो हाथ जोड़कर मुरारी को नमस्ते करते हुए कहा,“हर हर महादेव बिधायक जी”
“हर हर महादेव”,मुरारी ने खुश होकर अपने हाथ जोड़ते हुए कहा। अब आप समझ ही सकते है मुरारी ने हाथ जोड़े तो क्या हुआ ? उसके हाथ में थमा अचार का मर्तबान नीचे जमीन पर आ गिरा और टूट गया।
मुरारी ने खिंसियाते हुए आई की तरफ देखा तो आई के रूप में उसे साक्षात् यमराज नजर आ रहे थे और आई की आँखों में अपनी मौत,,,,,,,,,,!!”
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संजना किरोड़ीवाल