Love You Zindagi – 86
शीतल ने आख़िरकार अपने दिल की बात सार्थक से कह ही दी और सार्थक ने भी उसे गले लगा लिया। दोनों सब कुछ भूलकर बस एक दूसरे को गले लगाए खड़े रहे ,कुछ देर बाद सार्थक दूर हुआ और शीतल के चेहरे को अपने हाथो में लेकर कहने लगा,”शीतल मैं जानता था एक दिन तुम मेरी फीलिंग्स को जरूर समझोगी मैं तुम्हे बता नहीं सकता , कितना इंतजार किया है मैंने इस पल का , मैं हमेशा तुम्हे ऐसे ही चाहूंगा , तुम्हारा ख्याल रखूंगा , तुम्हे खुश रखूंगा और खुद से कभी दूर जाने नहीं दूंगा”
शीतल ने सूना तो उसकी आँखों में आंसू भर आये और उसने कहा,”मैंने तुम्हे बहुत सताया है सार्थक मैं कभी सही गलत का फैसला कर ही नहीं पाई ,, पर आज कहना जरुरी था , अगर नहीं कहती तो शायद तुम्हारे साथ गलत करती , तुम्हारे प्यार के साथ गलत करती”
“नहीं शीतल तुम गलत नहीं थी , बस वक्त गलत था लेकिन अब कुछ गलत नहीं होगा ! हां मैं तुमसे शादी करूंगा , तुम्हे एक जिंदगी दूंगा जहा तुम्हे किसी से डरकर जीने की जरूरत नहीं है”,सार्थक ने कहा तो शीतल का चेहरा उदासी से घिर गया पर उसने कहा,”लेकिन घरवाले ?”
“उसकी तुम चिंता मत करो , मैं दिल्ली जाकर अपने पापा से बात करूंगा और तुम्हारे भैया से भी बात कर लूंगा। मैं सबके सामने तुम्हे अपनाउंगा पूरी रिस्पेक्ट के साथ”,सार्थक ने विश्वास से भरकर कहा तो शीतल की आँखों में चमक आ गयी
सार्थक ने देखा शीतल की ट्रेन जा चुकी है और दूसरी ट्रेन आने में अभी 2 घंटे थे। सार्थक शीतल के साथ कुछ ही दूर पड़ी बेंच पर आ बैठा दोनों के पास बात करने के लिए अब काफी वक्त था ! दोनों हँसते मुस्कुराते एक दूसरे से बतियाने लगे , प्यार की शुरुआत हो चुकी थी ओर हवाओ में प्यार घुल रहा था।
नैना बस में खिड़की वाली सीट के पास बैठी सो रही थी बगल में विपिन जी बैठे थे। मोंटी कुछ ही सीट पीछे अपने पापा के साथ बैठा बात कर रहा था। दोनों में शादी को लेकर बहस हो रही थी मोंटी चाहता था शादी अगले साल हो और शर्मा जी चाहते थे दिवाली के 11 दिन एकदशी पर शादी हो जाये। दोपहर के खाने के लिए बस एक होटल के सामने रुकी सभी मेहमान निचे उतर आये। विपिन जी ने नैना के सर पर प्यार से हाथ फेरा और उसे उठने को कहा नैना अंगड़ाई लेते हुए उठी और विपिन जी के साथ नीचे आ गयी। विपिन जी ने नैना को हाथ मुंह धोने का इशारा किया और खुद शर्मा जी की और चले गए। नैना वाशबेसिन के सामने आयी और मुंह धोने लगी , नींद अभी उसकी आँखों से उडी नहीं थी। उबासियाँ लेते हुए वह चाय वाले के पास आयी और एक चाय देने को कहा
“हां तो मैडम कोनसी चाय लेंगी आप ? इलायची वाली या अदरक वाली या मग भरकर चाय दे आपको ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नैना के कानो में अवि की आवाज पड़ी उसने हैरानी से सामने देखा कुरता पजामा पहने गले में गमछा ;डाले चाय छानते हुए अवि नैना से कुछ कह रहा था। नैना ने अपनी आँखे मसली ठीक से देखा अवि ही था जो उसकी और चाय का कप बढ़ा रहा था नैना ने जैसे ही चाय का कप लेते हुए उसे छुआ एक खूबसूरत अहसास महसूस किया और उसके मुंह से निकला,”पडोसी तुम यहाँ ?”
“का हुआ दीदी चाय पीजिये ना”,चायवाले लड़के ने नैना को देखकर कहा
नैना ने देखा सामने कोई अवि नहीं था बल्कि चायवाला लड़का था नैना हक्की बक्की थी उसने ना में गर्दन हिला दी और जाने लगी। चलते चलते वह अवि के बारे में ही सोच रही थी। एक खाली टेबल के पास नैना आकर खड़ी हो गयी और कुछ देर पहले जो हुआ उसे समझने की कोशिश करने लगी। पीछे होटल में लगे टीवी में गाना बजने लगा,”मैनु इश्क़ तेरा ले डूबा ,,, हां इश्क़ तेरा ले डूबा !
ऐसा क्यों होता है ? तेरे जाने के बाद
लगता है हाथो में रह गए तेरे हाथ
तू शामिल है मेरे , हसने में रोने में
है क्या कोई कमी , मेरे पागल होने में
मैनु इश्क़ तेरा ले डूबा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हां इश्क़ तेरा ले डूबा !
नैना की मनोस्तिथि भी कुछ ऐसी ही थी , उसे बार बार अवि का ख्याल आ रहा था और वह बस खड़े खड़े खाली आँखों से देखे जा रही थी। उसे ध्यान ही रहा की कब उसके हाथ में पकड़ी चाय का ग्लास उसके हाथ की और झुका और उसके मुंह से एक आह निकली , जलन के मारे नैना ने अपना हाथ झटका। कुछ ही दूर खड़े मोंटी ने देखा तो दौड़कर नैना के पास आया और उसका हाथ देखते हुए कहा,”ध्यान कहा है तेरा ? लगता है अभी भी नींद में है तू ,,, चल आ इधर,,,,,,,,,,,,,,,देख कैसे लाल हो गया हाथ ?”
मोंटी नैना को लेकर टेबल के पास बैठा और उसके हाथ पर ठंडा पानी डालकर उसे साफ करने लगा। नैना बस ख़ामोशी से मोंटी को देखे जा रही थी उसने अपनी पलके बंद की और फिर जब खोली तो पाया सामने अवि बैठा है उसका हाथ थामे हुए और धीरे धीरे उसके हाथ पर फूंक मार रहा है। मोंटी ने जेब से रुमाल निकाला और नैना के हाथ पर लपेट दिया लेकिन नैना को तो अभी भी अवि ही नजर आ रहा था। पीछे गाना अपनी लय में चल रहा था जिसमे नैना खो सी गयी थी – फ़ुरसते कहा आँखों को है मेरी आजकल
ओहो देखने में तुझे सारा दिन जाए निकल
और फिर आहिस्ता से जब छूके तू निकले
तेरी आंच में दिल मेरा धीमे धीमे पिघले
मैनु इश्क़ तेरा ले डूबा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हां इश्क़ तेरा ले डूबा !
मोंटी ने देखा नैना खोयी हुई सी है तो उसने उसके सामने हाथ हिलाकर कहा,”नैना मेरे बच्चे ठीक तो है तू ,, रुक मैं अभी तेरे लिए चाय लेकर आता हूँ”
मोंटी की आवाज से नैना अपने खयालो से बाहर आयी और अपना सर पकड़ते हुए सोचने लगी,”ये सब क्या हो रहा है नैना ? पडोसी क्यों दिखाई दे रहा है हर जगह,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अजीब सा भी लग रहा है , उसकी आँखों का जादू असर कर रहा है शायद,,,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है नैना बेटे होश में आओ ऐसा कुछ भी नहीं है। पडोसी यहाँ नहीं है यह सिर्फ तुम हो एंड तुम ये प्यार व्यार में पड़ने वाली नहीं हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुड़ गुड़ !!”
मोंटी चाय ले आया और नैना के सामने रखते हुए कहा,”ये लो पीओ , और जल्दी से बताओ कहा खोयी हुई हो तुम तबसे ?”
“मैं मैं कही कही भी तो नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,वो तो डेड ने नींद से जगा दिया इसलिए ऐसा लग रहा जैसे दूसरी दुनिया में आ गयी हु मै”,नैना ने चाय का घूंठ भरते हुए कहा
“हां हां हां मुझे लगा कही तू किसी के प्यार में तो नहीं पड़ गयी”,मोंटी ने कहा तो नैना खांसने लगी और कहा,”पहले क्या कम “L” लगे है मेरे जो तू अब ये भी चाहता है”
” मजाक कर रहा हूँ यार , पर सोच तुम जैसी लड़कियों को जब किसी से प्यार होता होगा कितना अलग ही नजारा होता होगा ना”,मोंटी ने कहा
“बेटा तेरी और रुचिका की लाइफ सेट है”,नैना ने कहा
“वो कैसे ?”,मोंटी ने पूछा
“उसे भी दिनभर प्यार प्यार प्यार करने की आदत है और आजकल असर तुम पर भी दिख रहा है !”,नैना ने कहा तो मोंटी ने मुंह बना लिया
“वैसे शादी कब की है ?”,नैना ने चाय ख़त्म करते हुए कहा
“अरे यार शर्मा जी चाहते है इसी साल हो जाये , मैं चाहता हूँ थोड़ा रुक के करू ,, अभी जॉब सेटल करना है लखनऊ में सो मैंने रूचि से बात की उसका भी 4 महीने का जॉब कन्फर्मेशन है।”,मोंटी ने कहा !
“हां वैसे भी तुम दोनों को एक दूसरे को थोड़ा वक्त देना चाहिए”,नैना ने कहा
“तुम्हारे डेड ने बताया तुम्हे लड़के के बारे में ?”,मोंटी ने सवाल किया
“कहा यार ? डेड भी ना इस बार काफी सस्पेंस में चल रहे है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आई हॉप सब सही हो”,नैना ने कहा
“डोंट वरी अंकल तुम्हारी पसंद को अच्छे से जानते है , वो जरूर तुम्हारे लिए बेस्ट ढूंढेंगे”,मोंटी ने कहा तो नैना को थोड़ी तसल्ली मिली कुछ देर बाद खाना आया और दोनों साथ बैठकर ही खाने लगे। खाना खाने के बाद सभी बस में आ बैठे इस बार नैना और मोंटी साथ बैठे थे। मोंटी अपने फ़ोन में लगा हुआ था और नैना उदास नजरो से खिड़की के बाहर देखे जा रही थी। पहली बार वह अपनी मनोस्तिथि से परेशान थी , एक खालीपन सा वह अपने आसपास महसूस कर रही थी , लग रहा था जैसे कुछ छूट रहा हो उस से ! नैना ने सर मोंटी के कंधो पर टिका लिया। देर रात सभी चित्रकूट पहुंचे। सभी काफी थके हुए थे इसलिए
खाना खाकर सो गए।
नैना मोंटी के रूम में सोई। अगली सुबह नैना और उसके मम्मी पापा जल्दी ही लखनऊ के लिए निकल गए। घर पहुँचते पहुँचते 11 बज चुके थे। नैना पूरा वक्त गाड़ी में सोती रही उसका मानना था की सोने से आप दिमाग में चल रहे विचारो से पीछा छुड़ा सकते है। घर आकर विपिन जी नहाने चले गए और आराधना भी घर की सफाई में लग गयी। उबासियाँ लेते हुए नैना अंदर आयी तो स्कूबी उसके सामने आकर पूछ हिलाने लगा। नैना पीछे बरामदे की सीढ़ियों पर आकर बैठ गयी स्कूबी भी उसके पास ही पैरो में लौटने लगा। ऐसा करके वह नैना के लिए अपना प्यार जताने लगा नैना ने देखा तो उसके बालो में हाथ घुमाते हुए कहने लगी,”हे स्कूबी आई नो यू मिस मी अलॉट ,, लेकिन मैं क्या करू यार जाना जरुरी था मोंटी है ना मेरा दोस्त उसकी मेरी रुचिका से इंगेजमेंट थी। दे आर मेड फॉर इच अदर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हां हां तेरे लिए भी कोई ना कोई मिल जाएगी !!”
नैना को स्कूबी से बातें करते देख आराधना ने कहा,”नैना जाकर नहा लो , मैं भी नहाने जा रही हूँ उसके बाद नाश्ता बना देती हूँ”
“मुझे नहीं खाना मॉम”,नैना ने वही फर्श पर लेटते हुए कहा
“ठीक है नहा तो लो”,आराधना जी ने कहा
“बाद में नहा लुंगी ना”,नैना ने उबासी लेते हुए कहा
“कितनी आलसी हो ना तुम नैना , ससुराल जाओगी तब भी क्या ऐसी ही हरकते करोगी ?”,आराधना ने कहा
“झेलने वाले पर डिपेंड करता है मॉम”,नैना ने कहा
“अच्छा ठीक है मैं नहाने जा रही हूँ , दयाल काका को मैंने कुछ सामान लेने भेजा है वो आजाये तो लेकर अंदर रख देना और हां स्कूबी को भी कुछ खाने को दे देना ,,,,, शायद भूखा हो”,कहकर आराधना चली गयी
नैना उठकर बैठ गयी और स्कूबी से कहा,”नूडल्स खाये ?”
जवाब में स्कूबी ने अपना सर हिला दिया ऐसी ही थी नैना , कब उसका मूड स्विंग कर जाये वह खुद नहीं जानती थी। उसने फ़ोन करके पास ही के रेस्टोरेंट से आर्डर किया और हॉल में बैठकर टीवी देखने लगी। कुछ देर बाद नूडल्स आ गए तो नैना ने कुछ अपने लिए निकाले और कुछ लाइट स्कूबी की प्लेट में रख दिए और दोनों मजे से खाने लगे। खाते खाते अचानक नैना की आँखों के आगे वह पल आ गया जब वह अवि से मिली थी , उस दिन भी वह नूडल्स ही खा रही थी। नैना मुस्कुराने लगी , स्कूबी ने अपना खत्म किया और फिर नैना की प्लेट से भी खाने लगा तो नैना ने कहा,”ले तू ही खा ले !”
स्कूबी ने कोई रिएक्शन नहीं दिया और प्लेट को चाटने लगा नैना वहा से उठी और वाशबेसिन के सामने आकर हाथ धोने लगी , हाथ धोकर ब्रश लिया और करते हुए घर में चक्कर लगाने लगी ना चाहते हुए भी अवि का ख्याल बार बार उसके जहन में आ रहा था। ब्रश करने के बाद नैना अपने रूम में चली आयी और रुचिका शीतल को कॉन्फ्रेंस में लेकर बातें करने लगी।
सार्थक बहुत खुश था वह दिल्ली पहुंचा और वापस अपनी जॉब में लग गया। उसने सिर्फ शुभ को अपने और शीतल के बारे में बताया था ,, पापा को मनाना अभी बाकि था। खैर शीतल ने उसके सामने अपना प्यार कन्फेस किया इसी से वह बहुत खुश था। अवि घर पहुंचा लेकिन उदास था इस बार भी वह नैना से कुछ कह नहीं पाया। नैना की आँखों में अपने लिए जो प्यार उसने पहली बार देखा था वह झूठ तो नहीं हो सकता था। अवि दिवाली का इंतजार करने लगा और साथ ही अपने नए ऑफिस में ध्यान देने लगा। रुचिका मोंटी खुश थे , सार्थक शीतल भी खुश थे और कही ना कही अवि नैना भी खुश थे सबको दिवाली के दो दिन बाद का इंतजार था जब वे सब फिर से नैना के घर मिलने वाले थे ,, ये दिवाली उनके लिए कोनसा तोहफा लेकर आने वाली थी ये कोई नहीं जानता था !
दिवाली की सुबह नैना जल्दी उठ गयी और घर को सजाने में विपिन जी और आराधना की मदद करने लगी। घर को बहुत अच्छे से सजाया गया शाम होते होते सारे काम खत्म हो चुके थे। विपिन जी ने नैना के लिए अपनी पसंद का ब्लैक सूट रेड दुपट्टे के साथ खरीदा को की उसे दो दिन बाद उसके बर्थडे पर देने वाले थे। दिवाली की शाम पहनने के लिए नैना ने अपने लिए प्लाजो और टॉप खरीदा। पूजा के बाद वह विपिन जी के साथ मिलकर दिए जला रही थी। नैना को दिए जलाते देख विपिन जी की आँखे नम हो उठी , आराधना ने देखा तो पूछ लिया,”क्या हुआ आपको ?”
“कुछ दिन बाद नैना शादी करके अपने घर चली जाएगी , अपने जिगर के टुकड़े को खुद से दूर करना होगा सोचकर ही मन भारी हो जाता है”,विपिन जी ने अपनी आँख के किनारे को पोछते हुए कहा
“एक ना एक दिन बेटी को अपने घर तो जाना ही होता है”,आराधना ने उनके कंधे पर हाथ रखकर कहा
विपिन जी नैना से बहुत प्यार करते थे और यही वजह थी की आज तक उन्होंने नैना को कभी किसी चीज के लिए नहीं टोका ! नैना ने दीपक जलाये और कहा,”डेड मैं इन्हे छत पर रखकर आती हूँ”
“हां बेटा !”,विपिन जी ने कहा तो नैना दियो की थाली लेकर छत पर चली आयी उसने एक एक करके दिए दिवार पर रखे और खड़े होकर उन्हें देखने लगी। हवा का झौंका जब छूकर गुजरा तो एक पल के लिए नैना की आँखे मूंद गयी जब उसने आँखे खोली तो पाया की दिवार के पास खड़ा अवि एक बुझे हुए दीपक को
जलाने की कोशिश कर रहा है। नैना ने देखा तो उसे यकीन नहीं हुआ और उसने अपनी आँखे मसली लेकिन अवि अभी भी वही था ,, नैना उसके पास आती और कहा,”तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?”
अवि ने कोई जवाब नहीं दिया वह बस दिए को जलाने में व्यस्त था , उन दियो की रौशनी में उसका चेहरा दमक रहा था , उसके सुर्ख होंठ और आँखे रौशनी से चमक रही थी। अवि को खामोश देखकर नैना ने फिर कहा,”ओह्ह मिस्टर पडोसी ,, बहुत हो गया हां तुम तुम कल से मुझे परेशान कर रहे हो ,,, कभी दिखाई देते हो कभी अचानक से गायब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम बताओ मुझे तुम तुम सच में हो ना,,,,,,,,,,,,,,,,या नहीं हो बोलो ना बोलते क्यों नहीं हो ?”
“श्श्श्शश्श्श,,,,,,,,,,,,!”,अवि ने अपनी ऊँगली नैना के होंठो पर रख उसके करीब आते हुए कहा। एक पल को जैसे नैना की धड़कने रुक सी गयी हो , वह आँखे फाडे अवि की आँखों में देखे जा रही थी ,, अवि उसके इतना करीब था की उसकी सांसो की गर्माहट नैना को पिघला रही थी। नैना को खामोश देखकर अवि अवि ने अपनी उंगलियों को उसके गाल से लेकर गर्दन और गर्दन से लेकर कंधे तक छुआ दी ,, उसकी उंगलिया नैना की गोरी मांसल हाथ पर फिसलते हुए उंगलियों तक आयी और अवि ने नैना के हाथ को थाम लिया एक सिहरन सी उसे महसूस हुई। अवि उसकी आँखों में देखे जा रहा था और जैसे ही उसने अपने चेहरे को नैना के चेहरे की और बढ़ाया नैना ने अपनी आँखे मूंद ली। कुछ पल बाद उसने आँखे खोली सामने कोई नहीं था। उसने इधर उधर देखा लेकिन
सिवा उसके उस खाली छत पर कोई नहीं था। नैना बदहवास सी निचे दौड़कर आयी और बरामदे में आकर देखा कोई नहीं था गेट बंद था। नैना अंदर आयी और विपिन जी से पूछा,”डेड कोई आया था क्या ?”
“नहीं तो यहाँ तो कोई नहीं आया लेकिन दो दिन बाद सब आएंगे”,विपिन जी ने कहा
“हम्म्म्म !”,नैना ने सोच में डूबे हुए कहा और वहा से बाहर चली आयी , उसके साथ विपिन जी , आरधना और दयाल काका भी बाहर आँगन में चले आये
सभी ख़ुशी से पटाखे जला रहे थे बस नैना सीढ़ियों पर खामोश बैठी सोच रही थी – इस बार तो तुमसे मिलना ही पडेगा पडोसी , मुझे भी जानना है आखिर ये सब है क्या ? मेरे सवालो का जवाब अब तुम ही दे सकते हो !”
क्रमश – Love You जिंदगी – 87
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