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Love You जिंदगी – 58

Love You Zindagi – 58

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नैना बेपरवाह होकर बच्चों के साथ नाच गा रही थी , गाना भी ऐसा ही था जो की मस्तीभरा था। उसने रुचिका शीतल और सार्थक को भी आने का इशारा किया वे तीनो भी आ गए और नैना के साथ उछलने कूदने लगे सब बच्चो के बिच चारो बच्चे बने हुए थे। शीतल भी आज बहुत खुश थी , अच्छे मूड में थी इसलिए नाच गा रही थी सार्थक इन दिनों शीतल और अपने बिच की उन फीलिंग्स को भूल चुका था या यु कहो अपनी फ्यूचर प्लानिंग के चलते वह कुछ दिन इन सब फीलिंग्स से दूर था लेकिन आज जब शीतल का एक अलग रूप देखा , उसे खुश देखा तो सार्थक के दिल में वो भावनाये फिर से जाग उठी। वह चाहकर भी शीतल के हँसते मुस्कुराते चेहरे से अपनी नजरे नहीं हटा पा रहा था और शीतल इस से बेखबर बस बच्चो के साथ उछल कूद रही थी। नैना की नजर सार्थक पर गयी तो वह उसके पास आयी और अपनी कोहनी उसके कंधे पर रखकर कहा,”क्या शर्मा जी ? काहे घूर रहे है इतना ?”
“मैं मैं कहा घूर रहा हूँ , क्या नैना तुम भी ?”,सार्थक ने साइड में जाते हुए कहा।
कुछ देर बाद सभी बच्चे थक गए और वही बैठ गए। नैना और रुचिका ने मिलकर सबको पेस्ट्री और समोसे दिए सभी वही बैठकर खा रहे थे। घूमते घामते शुभ भी वहा आ पहुंचा और बेल बजा दी। दरवाजा रुचिका ने खोला तो शुभ ने अंदर आते हुए कहा,”सॉरी मैं लेट हो गया”
“कोई ना आजा”,रुचिका उसे साथ लेकर सबके बिच चली आयी उसे भी समोसे और पेस्ट्री मिली। खाते हुए शीतल को याद आया की उसने बच्चो के लिए एक डिश और बनायी थी वह उठी और कहा,”मैं सबके लिए नूडल्स भी लेकर आती हूँ”
शीतल के जाने के बाद नैना ने सार्थक से कहा,”तू क्या यहाँ बैठ के खा रहा है ? जाकर उसकी हेल्प कर”
“लेकिन नैना समोसा,,,,,,,,,,,,,!”,सार्थक ने ललचाई आँखों से अपने छीने गए समोसे को देखकर कहा।
“अबे चौहदवी के चाँद तेरे को समोसे की पड़ी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,यार ये सब लकड़बग्घे मेरी ही किस्मत में लिखे थे। अबे जाओ और जाकर हेल्प करो उसकी”,नैना ने अपने दाँत पिसते हुए कहा
बेचारा सार्थक उठकर चला गया। शीतल किचन में सबके लिए प्लेट्स में नूडल्स रख रही थी सार्थक भी वहा आया तो शीतल ने कहा,”अरे तुम क्यों चले आये ? “वो तुम्हारी हेल्प के लिए लाओ मैं कर देता हूँ।”,सार्थक ने शीतल के हाथ से चम्मच लेकर कहा
“अरे मैं कर लुंगी !”,शीतल ने उसे रोकना चाहा तो सार्थक ने कहा,”इट्स ओके मैं कर देता हूँ” शीतल वही खड़े होकर उसे देखती रही। सार्थक ने प्लेट्स शीतल को दिए तो शीतल उन्हें लेकर आयी और बच्चो के बिच रख दिया सभी ख़ुशी ख़ुशी खा रहे थे। शुभ भी बच्चो में बच्चा बना हुआ था। शीतल वापस गयी तो देखा सार्थक वही प्लेटफॉर्म से पीठ लगाए खड़ा है और कुछ सोच रहा है। शीतल उसके पास आयी और कहा,”क्या सोच रहे हो ?”
“अरे कुछ नहीं बस वो जॉब इंटरव्यू के बारे में”,सार्थक ने शीतल की और पलटकर कहा
“डोंट वरी तुम्हारा सेलेक्शन हो जाएगा , मुझे तुम पर पूरा भरोसा है”,शीतल ने कहा
“तुम मुझपर ट्रस्ट करती हो ?”,सार्थक ने बचकाना सा सवाल किया
“हां करती हूँ , पर तुमने ऐसा कुछ पूछा”,शीतल ने कहा
“क्योकि आज से पहले किसी ने ये नहीं कहा”,सार्थक ने कहा !
“मैं कुछ समझी नहीं ?”,शीतल ने कहा
“पता है मम्मी को लगता है की मैं ये जॉब कर नहीं पाऊंगा , 10 घंटे की जॉब है उसमे इतने सारे टार्गेट्स होते है , प्रेशर बहुत होता है। मैंने कहा मै कर लूंगा लेकिन फिर भी उनको चिंता थी। पापा कुछ सालो में रिटायर हो जायेंगे और चाहते है की मैं उनकी जगह काम करू लेकिन मैं खुद अपने दम पर कुछ करना चाहता हूँ , ज्यादा भी नहीं तो कम से कम एक अच्छा घर मैं उनके लिए खरीदना चाहता हूँ। यहाँ अपार्टमेंट्स में वो कब तक रहेंगे ?”,सार्थक थोड़ा इमोशनल हो गया।
शीतल ने उसके हाथ पर हाथ रखकर कहा,”सार्थक तुम बहुत अच्छे लड़के हो और बहुत मेहनती भी मुझे यकीन है तुम सब कर लोगे , एंड हां जिस भी लड़की से तुम्हारी शादी होगी वो हमेशा तुम्हारे साथ खुश रहेगी”
“अच्छा वो कैसे ?”,सार्थक ने पूछा
“क्योकि तुम बहुत सुलझे हुए इंसान हो।”, शीतल ने मुस्कुरा कर कहा
“फिर भी तुम में उलझा हुआ हूँ”,सार्थक ने अपने मन में कहा और शीतल को देखता रहा। कुछ देर बाद रुचिका आयी और कहा,”शीतल मुझे भी नूडल्स खाने है यार”
“सॉरी वो सब तो खत्म हो गए”,शीतल ने कहा
“अरे कोई बात नहीं , मैं कुछ और खा लेती हूँ और तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो ? चलो उधर सबके बीच”,रुचिका ने शीतल का हाथ पकड़कर उसे वहा से ले गयी सार्थक वही खड़ा रहा शीतल ने पलटकर देखा और अपने हाथ से स्माइल का सिंबल बनाकर सार्थक को मुस्कुराने का इशारा किया।

सार्थक मुस्कुरा उठा भले शीतल को उसका प्यार समझने में देर लग रही थी लेकिन वो सार्थक की एक अच्छी दोस्त तो बन चुकी थी। रुचिका और शीतल वापस सबके बिच चली आयी कुछ देर बाद सभी बच्चे जाने लगे , नैना ने उन्हें कल शाम निचे गार्डन में मिलने को कहा और सबको बाय कह दिया। सभी चले गए बस शुभ ही बैठकर बचे हुए समोसे पेस्ट्री पर हाथ साफ कर रहा था। नैना सार्थक की तरफ आयी तो सार्थक ने कहा,”अच्छा नैना मैं चलता हूँ।”
“ओह्ह भाई उस बैल को भी साथ लेकर जा।”,नैना ने शुभ की और इशारा करके कहा तो सार्थक ने शुभ को आवाज लगाई और उसे लेकर वहा से चला गया। नैना दरवाजे पर आयी सामने देखा अवि के फ्लैट का दरवाजा बंद था नैना कुछ देर देखती रही और फिर वापस गेट बंद करके अंदर चली आयी ! अगले दिन से शुरू हो गयी नैना शीतल और रुचिका की नवरात्री की तैयारिया और ये सब करके उन्हें बहुत मजा आ रहा था। दिन में ऑफिस और शाम को निचे अपार्टमेंट के गार्डन में सबके साथ मिलकर तैयारियां। अपार्टमेंट के लोग जो अब तक उन तीनो को जानते नहीं थे वे भी जानने लगे थे देखते देखते 1 हफ्ता निकल गया इस एक हफ्ते में तीनो ने और अपार्टमेंट के लोगो ने बहुत मेहनत की थी। आशीर्वाद अपार्टमेंट का अलग ही रूप नजर आ रहा था। इन 7 दिनों में नैना का अवि से सामना ही नहीं हो पाया क्योकि अवि सुबह जल्दी अपने फोटोशूट के लिए निकल जाता और रात में देर से आता इस बार के एग्जीबिशन के लिए वह काफी मेहनत कर रहा था। नैना का भी ध्यान इस वक्त किसी और ही काम में था। नवरात्री और माता की मूर्ति की स्थापना में बस अब 3 दिन ही बचे थे। संडे के दिन सुबह सुबह ही पांडाल का सामान आ गया था। मिस्टर मेहता और मिस्टर शर्मा के साथ साथ सभी नैना की हेल्प करने में लगे थे। ये देखकर बाकि सब तो खुश थे बस मिसेज मेहता और मिसेज गुप्ता कुछ खास खुश नहीं थी। खैर नैना को अपने काम से मतलब था गार्डन एरिया में टेंट लगाया गया नैना निचे खड़ी उन्हें बता रही थी की कोनसा टेंट किधर बांधना है। अवि को आज कही नहीं जाना था इसलिए वह देर तक सोना चाहता था लेकिन निचे के शोरगुल से उसकी नींद उड़ गयी उसने बालकनी में आकर देखा निचे सभी लोगो को काम करते देखकर वह निचे चला आया। टेंट वालो को डायरेक्शन बताते हुए नैना की नजर सामने से आती शीतल पर गयी वह शायद पास वाले मंदिर जाकर आयी थी जैसे वह हमेशा करती थी , नैना ने देखा दूसरी तरफ से सार्थक फोन चलाते हुए चला जा रहा है। नैना के दिमाग में खिचड़ी पकने लगी तभी सीधी पर चढ़े लड़के ने कहा,”मैडम ये वाली रस्सी कहा बांधनी है ?’
“छोड़ दे !”,नैना ने सार्थक और शीतल को देखकर कहा जब वे दोनों आमने सामने थे लेकिन एक दूसरे से दूर थे
“क्या मैडम ?”,लड़के ने कहा
“अबे दोनों रस्सी छोड़ दे !”,नैना की नजर अभी भी उन दोनों पर थी
“मैडम इस से छोटा वाला पर्दा गिर जाएगा।”,लड़के ने कहा
“भाई मेरे रिक्वेस्ट है तुझसे छोड़ दे , जो गिरता है गिरने दे बस तू छोड़ दे”,नैना उसके पास आकर बोली तो लड़के ने रस्सी छोड़ दी। टेंट का बड़ा सा पर्दा सार्थक और शीतल पर जा गिरा दोनों आमने सामने ही थे लेकिन उसमे कैद।

नैना ने जैसे ही देखा ख़ुशी से उछल कर पीछे पलटी लेकिन वो कहते है जब हम दुसरो के लिए गड्ढा खोदते है तो सबसे पहले उसमे हम ही गिरते है। नैना जैसे ही पलटी अपने पीछे खड़े अवि से टकराई उसका पैर फिसला और वह उसे साथ लेकर निचे रखी प्लास्टिक वाली रस्सियों में जा गिरी। बेचारा अवि जिसे नैना गलती से छू लेती थी तो अवि खामोश हो जाता था आज नैना उसकी बांहो में थी वो भी उन डोरियों में उलझे हुए। कुछ देर दोनों वैसे ही निचे गिरे हुए एक दूसरे की आँखों में देखते रहे और फिर नैना उठी वापस जा गिरी और उसके मुंह से निकला,”साला किस चू#ये ने ये सब यहाँ रखा है ?”
“भगवान ने तुम्हे जबान के साथ साथ आँखे भी तो दी है देखकर क्यों नहीं चलती तुम ?”,अवि ने उठते हुए कहा लेकिन नैना जैसे ही उसकी और मुड़ी दोनों वापस गिर पड़े नैना को झुंझलाहट हुयी लेकिन कर भी क्या सकती थी अवि के साथ उनमे वह बुरी तरह फंस जो चुकी थी।
यु अचानक पर्दा निचे गिर जाने से सार्थक और शीतल चौंक गए ! सार्थक ने सामने शीतल को देखा उसके पास आया और उसकी और हाथ बढाकर कहा,”चलो बाहर निकलते है।”
शीतल ने सार्थक का हाथ पकड़ा और चलते हुए कहा,”पता नहीं किस बेवकूफ ने ये किया है , जाना किधर है समझ में नहीं आ रहा”
उधर मिस्टर शर्मा और मेहता जी ने देखा तो उन्होंने दो चार लोगो के साथ मिलकर परदे को साइड करना चाहा लेकिन दो ने सामने से पकड़ा और दो ने दूसरी तरफ से और साइड करने के बजाय उसे अपनी और खींचने लगे। बेचारा सार्थक शीतल का हाथ थामे चल ही रहा था की जैसे ही किसी ने पर्दा खींचा वह शीतल को साथ लेकर निचे जा गिरा। बेचारे दोनों कुछ समझ पाते इस से पहले ही दूसरी और से किसी ने उस परदे को खींचा और दोनों उसके साथ पलट गए। इस खिंचा तानी में सार्थक और शीतल एक दूसरे के बहुत करीब थे जिससे सार्थक के दिल की धड़कने सामान्य से तेज थी। खिंचा तानी में शीतल का सर सार्थक के सीने से जा लगा। शीतल उसकी धड़कनो को सुन रही थी और सार्थक परेशान सा वहा से निकलने की कोशिश में लगा था। वो तो भला हो बेचारी रुचिका का जिसने उन सबको एक साइड से फोल्ड करने की सलाह दी और सार्थक शीतल बाहर आ पाए। उधर नैना अवि के साथ उलझी पड़ी थी और बाकि लोगो का उन दोनों पर ध्यान भी नहीं गया। नैना को झुंझलाते देखकर अवि मुस्कुराने लगा दरअसल नैना को इस हाल में देखकर उसे हंसी आ रही थी और उसने बहुत मुश्किल से खुद को रोक रखा था। नैना ने देखा तो कहा,”क्या हंस रहे हो हां ? तुम्हारी वजह से मैं ऐसी चीजों में उलझती हूँ , तुम खुद भी उलझे हो मुझे भी उलझा रखा है अवि ने सूना तो नैना की आँखों में देखते हुए कहा,”मैं बहुत सुलझा हुआ लड़का हूँ नैना , लेकिन तुमसे उलझना चाहता हूँ”

क्रमश – love-you-zindagi-59

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संजना किरोड़ीवाल !

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