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Love You जिंदगी – 53

Love You Zindagi – 53

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अवि नैना को लेकर रूम में आया और उसे लेटा दिया ! शीतल और रुचिका भी उसके पीछे पीछे अंदर चली आयी और रुचिका ने कहा,”क्या हुआ इसे ?”
“पैर में मोच आ गयी है”,अवि ने नैना के पैरो के पास बैठते हुए कहा।
शीतल नैना के पास आकर बैठ गयी अवि ने नैना के पैर को अपने हाथ में लिया तो नैना ने अपना पैर खींचकर कहा,”ये क्या कर रहे हो ?”
“चरण छू रहा हूँ तुम्हारे , इतनी महान जो हो तुम”,अवि ने नैना के पैर को वापस अपनी और करके कहा और उसके पैर को दोनों हाथो से टाइट पकड़ कर एक हल्का सा झटका दिया , कट की आवाज के साथ नैना के मुंह से निकला,”आउच”
“ज्यादा भाग दौड़ नहीं करनी है और हां पैर को थोड़ा रेस्ट देना है , ज्यादा पैन हो तो वहा टेबल के ड्रावर में पैन किलर रखा हुआ है ले लेना”,अवि ने बिना नैना की और देखे कहा।
“तुम क्या कोई डॉक्टर हो जो ये सब लेक्चर दे रहे हो ? और मुझे कोई दवा की जरूरत नहीं है आई ऍम फाइन”,नैना ने कहा और जैसे ही उठकर जमीन पर पेअर रखा दर्द के मारे लड़खड़ाई अवि ने आगे बढ़कर एक बार फिर उसे गिरने से बचा लिया और कहा,”एक काम करना पैर के साथ साथ ना अपने मुंह को भी थोड़ा रेस्ट दे देना , अच्छा रहेगा”
अवि ने इतनी शांति से कहा की नैना चुप हो गयी और उसकी और देखने लगी , अवि ने उसे छोड़ दिया तो नैना बेड पर जा गिरी और अवि वहा से दरवाजे की और बढ़ गया , अवि नैना से दूर जाने की कोशिश कर रहा था पर उन दोनों की किस्मत बार बार उन्हें पास ले आती जैसे ही अवि जाने लगा नैना ने कहा,”ओह्ह हैलो ये मोच भी तुम्हारी वजह से आयी थी , ना तुम मुझे छोड़ते ना मैं गिरती”
“ओह्ह्ह्ह क्रेज़ी गर्ल , क्या होगा तुम्हारा ? इन्फेक्ट कुछ नहीं हो सकता तुम्हारा”,अवि ने पलटकर नैना से कहा और बाहर निकल गया। रुचिका उसके पीछे आयी और उसे रोकते हुए कहा,”अवि , अवि सुनो।”
अवि रुक गया तो रुचिका उसके सामने आयी और कहा,”सॉरी , वो नैना की बात का बुरा मत मानना”
“अरे इट्स ओके तुम सॉरी मत कहो यार , वो लड़की सच में पागल है ,, और मुझे कोई शौक नहीं है उसे गोद में उठाकर यहाँ लाने का लेकिन जब उसे दर्द में देखा तो अच्छा नहीं लगा और,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन उसे इन सबकी कोई कदर नहीं है इन्फेक्ट उसे मेरी भी कदर नहीं है।”,अवि ने कहा
“अवि आई नो वो थोड़ी मूडी है अब उसे समझने में थोड़ा वक्त तो लगेगा ना तुम्हे , और तुम देखना एक दिन उसे तुम्हारी और तुम्हारे प्यार की जरूर कदर होगी। तुम शायद नहीं जानते प्यार की शुरुआत ही झगडे से होती है और तुम दोनों का प्यार तो झगडे में भी दिखता है”,रुचिका ने कहा
“क्या बात है कहा से सीखा ये सब ?”,अवि ने मुस्कुरा कर कहा
“ये सब सिखने की जरूरत नहीं है बल्कि दो महान इंसानो के बिच जो रहती हु जिनमे से एक डीप लवर है तो दूसरी सख्त बंदी , मिक्स अप फीलिंग आती है दोनों के साथ”,रुचिका ने कहा
“लेकिन तुम बहुत क्यूट हो”,अवि ने मुस्कुरा कर कहा
“आई नो मोंटी ने भी यही कहा था ?”,रुचिका जल्दी जल्दी में बोल गयी
“बाय द वे ये मोंटी कौन है ?”,अवि ने पूछा तो रुचिका इधर उधर देखने लगी और फिर कहा,”नैना का बेस्ट फ्रेंड है।”
“ओह्ह्हो कहानी में एक और विलीन , बेस्ट फ्रेंड”,अवि ने सोचते हुए कहा
“एक और मतलब ? पहले कौन था ?”,रुचिका ने कहा
“अरे वो है तुम्हारी दोस्त सबसे बड़ी विलीन तो वो खुद है अपनी कहानी की”,अवि ने नैना को देखते हुए कहा जो की कमरे में धीरे धीरे चलने की कोशिश कर रही थी और जैसे ही उसने अवि को देखा अवि ने नजरे घुमा ली
“क्या यार तुम भी ? वो बहुत अच्छी है”,रुचिका ने कहा तो अवि मुस्कुराने लगा और कहा,”मालूम है लेकिन कभी कभी हर्ट कर देती है यार”
“सो सेड ! थोड़ा सा एडजस्ट कर लो ना , प्यार में इतना तो चलता है”,रुचिका ने कहा
“अच्छा मैं चलता हूँ वरना फिर उसका लेक्चर शुरू हो जाएगा”,कहते हुए अवि वहा से चला गया।

रुचिका कमरे में आयी और नैना से कहा,”तुम तो मोमोज लेने गयी थी ना , कहा है मोमोज ?”
“ओह्ह तेरी ! वो तो निचे सीढ़ियों में ही रह गए मैं लेकर आती हूँ”,नैना ने कहा तो रुचिका ने उसे वापस बैठाते हुए कहा,”बैठो उधर ही , मोच आयी है और कूद फांद करने की पड़ी है तुम्हे ,, रुको मैं आयोडेक्स लगा देती हूँ”
रुचिका ने ड्रावर से आयोडेक्स निकाली और नैना के पैर पर लगाते हुए कहा,”वो बेचारा इतना बुरा भी नहीं है नैना जितना तुम उसे समझती हो”
“मैंने कब कहा वो बुरा इंसान है ?”,नैना ने कहा
“हैं ? क्या सच में ? मतलब तुम्हे वो अच्छा लगता है ?’,शीतल ने पूछा
“बुरा नहीं लगता इसका मतलब ये नहीं है की अच्छा लगता है , और तुम दोनों क्या उसकी मैनेजर हो जो सवाल जवाब कर रही हो ?’,नैना ने कहा
“शीतल रहने दे इस से ना कुछ पूछना ही बेकार है , क्योकि सच बात ये बताती नहीं है और झूठ हमे सुनना नहीं है”,रुचिका ने उठते हुए कहा
“ओह्ह पांडा तुम बता दो फिर सच क्या है ?’,नैना ने कहा रुचिका एकदम से उसके सामने आयी और कहने लगी,”सच ये है मिस नैना बजाज की तुम्हे वो पसंद है लेकिन तुम ये दिखाना नहीं चाहती की तुम उसे पसंद करती हो क्योकि इस से तुम्हारी सख्ती पिघल जाएगी। उस से कितना भी लड़ो झगड़ो , हर्ट करो वो तुम्हारे पास आ ही जाता है। और उस पर ये गुस्सा दिखाकर तुम खुद को बेवकूफ बना सकती हो हमे नहीं”
“ऐसा कुछ भी नहीं है यार।”,नैना ने मायूस होकर कहा
“तो फिर कैसा है ? नहीं तुम बताओ की आखिर ये सब है क्या ? एकदम से तुम उस इंसान के गले लगकर उसे ये उम्मीद दे देती हो की तुम्हारे मन में कुछ है और एकदम से उसे सूना देती हो , गुस्सा करती हो , चिल्लाती हो यहा तक के बेचारे को कितना इग्नोर किया है। यार वो इतना अच्छा बंदा है की इतना सब करने के बाद भी वो हमेशा तुम्हारे लिए मौजूद रहता है। पर तुम्हे तो उसका प्यार दिखता ही नहीं है”,रुचिका ने कहा
रुचिका की बात सुनकर शीतल नैना के पास बैठी और प्यार से कहा,”दुनिया में सारे लड़के एक जैसे नहीं होते है नैना , हर लड़का सचिन नहीं होता , हर लड़का राज नहीं होता कुछ अवि भी होते है जो बिना किसी एक्स्पेक्टिंग के आपसे प्यार करते है।”
“सही कहा शीतल लेकिन इसे समझाना दिवार पर सर टकराने जैसा है ,और अगर हर लड़के को एक ही नजर से देखना है तो आई ऍम सॉरी नैना तुम्हारे पापा भी एक मर्द ही है”,रुचिका ने कहा तो नैना हल्का सा मुस्कुराई और कहने लगी,”तुम लोगो से किसने कहा की मैं हर लड़के को एक नजर से देखती हूँ , क्या मोंटी मेरा दोस्त नहीं है ? , सार्थक मेरा दोस्त नहीं है , वो लड़का जो सिर्फ हमारा पडोसी है मैं उसके फ्लेट में रहने को तैयार क्यों हो गयी ? तुम दोनों इतने दिनों से मेरे साथहो लेकिन आज तक मुझे समझ नहीं पाई। तुम्हारी गलती नहीं है मेरा स्वाभाव ही ऐसा है , पल पल बदलता है तो सामने वाला कन्फ्यूज रहता है की मुझे अच्छा समझे या बुरा”
“सॉरी नैना मेरा वो मतलब नहीं था,,,,,,,,,,,!”,रुचिका ने अपसेट होकर कहा


नैना बिस्तर से उठी उसका पैर अब कुछ ठीक था वह धीरे धीरे चलकर खिड़की के पास आयी और कहने लगी,”पता है रूचि बचपन से मैं अपने डेड के बहुत करीब रही हूँ। उन्होंने मेरी हर सही गलत बात को माना है मुझे कभी ना नहीं कहा , उन्होंने कभी मुझे अपनी बेटी नहीं बल्कि वो हमेशा मुझे बेटा कहकर ही बुलाते है। जब मैं कॉलेज में थी तब मेरे कॉलेज से रोज शिकायत आती थी , आज नैना ने ये किया , आज नैना ने वो किया , आज इसे मारा , आज ये तोड़ा लेकिन डेड हमेशा माफ़ी मांगकर मुझे पनिशमेंट से बचा लेते। घर आकर जब मुझे पूछते की मैंने ऐसा क्यों किया ? और जवाब सुनकर उन्हें अहसास होता था की मैंने गलत नहीं किया था। मेरे रिश्तेदार डेड से हमेशा कहते थे की ‘बेटी को सर चढ़ा रखा है’ ‘इसका गुस्सा इतना है कौन करेगा इस से शादी ?’ ‘खानदान की नाक कटवायेगी ये एक दिन’ और भी बहुत कुछ लेकिन मैंने कभी माइंड नहीं किया। कॉलेज के लास्ट ईयर में एक लड़का बगल वाले घर में अपनी फॅमिली के साथ रहने आया था। डेड की उस से अच्छी बनती थी और धीरे धीरे फॅमिली में भी अच्छी बनने लगी डेड ने उसे अपना दामाद बनाने का फैसला कर लिया था मुझे उस से कभी प्यार नहीं हुआ था लेकिन डेड उसे बहुत पसंद करते थे और चाहते थे मेरी शादी उस से हो , मैंने भी हां कह दिया। एक शाम डिनर पर दोनों फॅमिली मिली किसी बात पर उस लड़के के रिश्तेदार मेरे डेड को नीचा दिखा रहे थे और मैं सुन रही थी जब नहीं कंट्रोल हुआ तो मैंने उनके रिश्तेदार को थप्पड़ मार दिया। उसके बाद लड़के ने कुछ बोला , उसके घरवालों ने बहुत कुछ बोला डेड की परवरिश , संस्कार को बुरा भला और भी ना जाने क्या क्या ? आई डोंट रिमेम्बर मुझे बस अपने डेड का उतरा हुआ चेहरा दिखाई दे रहा था और उसके बाद मैंने उस लड़के को चार थप्पड़ मारे क्योकि उसने मेरे सामने मेरे डेड की परवरिश को गंदा कहा था। लड़के की मॉम ने कहा की मैं किसी से शादी करने लायक नहीं हूँ , अपने गुस्से की वजह से मैं कभी कोई रिश्ता नहीं निभा पाऊँगी डेड बिना कुछ कहे मेरे और मॉम के साथ घर आ गए 4 दिन तक उन्होंने मुझसे कोई बात नहीं की , ना वो मुझसे मिले।
पहली बार मेरे डेड ने मुझसे बात करना बंद कर दिया था , उस दिन मैं लखनऊ छोड़कर कानपूर चली आयी। अकेले रहना सीखा , 10 जॉब छोड़े , छोड़े क्या निकाली गयी और तब समझ आया की उस लड़के की मॉम ने ठीक कहा था , मेरा गुस्सा ही मेरा सबसे बड़ा दुश्मन है। कुछ महीनो बाद डेड का फोन आया उन्होंने घर बुलाया और मुझसे कहा की उस रात मैं सही थी। गलत के लिए आवाज उठाना गलत नहीं है ये मेरे डेड ने कहा और साथ ही ये भी कहा की मैं जैसे चाहु वैसे अपनी जिंदगी जी सकती हूँ जब मन हो तब शादी करू , जिस से मन हो उस से करू। मैंने सब भूलकर अपनी जॉब , फॅमिली पर ध्यान दिया यहाँ लेकिन मेरा गुस्सा , मेरा गुस्सा कम नहीं हुआ। दिल्ली शिफ्ट होकर तुम लोगो से मिली तो जिंदगी का एक नया ही रूप देखने को मिला रिश्ते , प्यार , दोस्ती सब देखा तुम लोगो के साथ रहकर लेकिन मैं डरती हूँ रिश्ते बनाने से , क्योकि कितना भी मजबूत रिश्ता हो मेरे गुस्से के आगे एक दिन टूट ही जाना है। अवि का करीब आना इस डर को और बढ़ा देता है ,, मैं जानती हूँ उसने हम सबकी बहुत हेल्प की है लेकिन जब वो मेरे डेड के करीब आया तो मुझे उसी लड़के की याद आयी और मैं नहीं चाहती थी की कोई भी लड़का उनके करीब आये और उन्हें हर्ट करे सिर्फ इसलिए मैंने उस दिन उसे बुरा भला कहा। किसी लड़के की वजह से मैं एक बार अपने डेड की नजरो में नमी देख चुकी हूँ फिर से ये मौका मैं किसी लड़के को देना नहीं चाहती थी। लड़को से मेरी कभी नहीं बनी है वजह है मेरा ईगो , मेरा ऐटिटूड और मेरा गुस्सा ,, आज अगर मैं किसी लड़के से रिश्ता रख भी लू और कल को वो मेरा गुस्सा नहीं सह पाया तो मुझसे प्यार करने वाला लड़का मुझसे ही नफरत करने लगेगा और उस वक्त ये फीलिंग बहुत बुरी होती है। मैं ऐसे खुश हूँ अकेले , बेपरवाह होकर जीना मेरी आदत है , मैं चीजों को सीरियस लेना नहीं जानती। एक ही तो जिंदगी है यार किस किस के लिए खुद को बदलू ? प्यार , शादी ये सब रिश्ते मेरे लिए नहीं बने है क्योकि इन्हे निभाने के लिए मुझे ऐसे इंसान की जरूरत जो मेरा गुस्सा बर्दास्त कर सके , जो मैं जैसी हूँ वैसी मुझे आफ्ना सके मुझे कभी बदलने को ना कहे। किसी के प्यार के लिए खुद को बदलना मुझे कल भी नहीं आया था आज भी नहीं आया और शायद कभी आएगा भी नहीं। उस से दूर रहना चाहती हूँ क्योकि डरती हूँ मैं उसके करीब होने से , डरती हूँ मैं अपने डेड के हर्ट होने से ,, क्योकि दुनिया में भले आपके पास सब कुछ हो लेकिन जब आपके माँ बाप आपसे बात नहीं करते ना वो जिंदगी की सबसे बुरी फीलिंग होती है।”
कहकर नैना खामोश हो जाती है शीतल और रुचिका को अपनी गलती का अहसास होता है रुचिका आकर उसे पीछे से हग करती है और कहती है,”आई ऍम सॉरी , आई ऍम रियली सॉरी। मैंने तुम्हे ये सब बोला आई ऍम सॉरी”
नैना ने अपनी आँखो के किनारे साफ किये और पलटकर कहा,”इट्स ओके”
“तू रो रही है ?”,रुचिका ने पहली बार नैना की आँखों में नमी देखी शीतल का भी दिल भर आया और वह नैना के पास आकर कहने लगी,”नैना आई ऍम सॉरी ,सच कहा था तुमने हम लोग , हम लोग कभी तुम्हे समझ ही नहीं पाए थे।”
“हे शीतू छोडो यार !”,नैना ने उसे हग करते हुए कहा।
रुचिका ने भी उन दोनों को हग कर लिया पहली बार तीनो की आँखों में नमी थी।

दरवाजे पर खड़े अवि की आँखों में कब नमी आ गयी उसे पता ही नहीं चला , दरअसल वो रुचिका को उसके मोमोज देने आया था लेकिन नैना को बात करते देखकर दरवाजे पर ही रुक गया। पहली बार उसने नैना को ऐसे देखा था थोड़ा सा इमोशनल और ढेर सारा प्यार उसकी आँखों में था अपने डेड के लिए। आज अवि को नैना और ज्यादा अच्छी लगने लगी थी। वह चुपचाप डायनिंग टेबल के पास आया और पैकेट रखकर चला गया।

क्रमश – Love You जिंदगी – 54

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संजना किरोड़ीवाल !!

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