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Love You Zindagi – 22

Love You Zindagi – 22

Love You Zindagi - 1 Season 3
Love You जिंदगी – 1 Season 3

निबी अपने कमरे में आयी उसने देखा बिस्तर पर पड़ा उसका फोन बज रहा था। निबी ने फोन उठाकर देखा तो उस पर अनुराग का नंबर देखकर निबी के चेहरे पर गुस्से के भाव उभर आये उसने फोन उठाकर कान से लगाया और कहा,”आईन्दा मुझे फोन नहीं करना”


कहते हुए निबी ने अनुराग की बात तक नहीं सुनी और गुस्से में अपना फोन दिवार पर दे मारा जिस से फोन टूटकर बिखर गया। निबी बिस्तर पर आ गिरी और फुट फुट कर रोने लगी क्योकि अनुराग से मिले धोखे को वह सह नहीं पा रही थी।

दूसरी तरफ अनुराग ने जब सुना तो गुस्से से अपना हाथ गाडी पर दे मारा और खुद में ही बड़बड़ाया,”ये सब उस नैना की वजह से हुआ है , मैं उसे छोडूंगा नहीं बर्बाद कर दूंगा उसे,,,,,,,,,!!”


अनुराग इस वक्त बहुत भयानक गुस्से में था वह गाड़ी में आ बैठा और बार चला आया। वहा बैठकर उसने अपने लिए शराब ऑर्डर की और पीने लगा। अनुराग ने इतनी शराब पी ली कि उसे होश ही नहीं रहा कब रात से सुबह हो गयी। सुबह के चार बजे बार टेंडर ने आकर अनुराग से कहा,”सर बार बंद करने का टाइम हो गया है आपको अब जाना होगा,,,,,,,,,,,!!”


“हाँ , जाना होगा , टाइम क्या हुआ है ?”,अनुराग ने लड़खड़ाती जबान में कहा
“सर 4 बज रहे है,,,,,,,,,,,मैं आपके लिए कैब मंगवा दू ?”,बार अटेंडर ने कहा
अनुराग ने जेब से अपना कार्ड निकालकर उसे दिया और कहा,”अह्ह्ह नहीं इसकी कोई जरूरत नहीं है मेरे पास अपनी गाड़ी है , तुम्हारा बिल”
“स्योर सर,,,,,,,,!!”,लड़के ने बिल लिया और कार्ड अनुराग की तरफ बढ़ा दिया

अनुराग बार से बाहर चला आया। उसने इतनी ज्यादा शराब पी ली थी कि वह लड़खड़ा रहा था और ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। नशे में भी अनुराग को सिर्फ नैना ही याद थी। सड़क के उस पार खड़ी अपनी गाड़ी की तरफ जाते हुए अनुराग को नैना दिखाई देने लगी। वह मुस्कुराते हुए नैना की तरफ बढ़ा और सड़क के बीचोंबीच आकर खड़ा हो गया और बगल से आते ट्रक ने एक जोरदार टक्कर अनुराग को दे मारी। एक चीख के साथ अनुराग का शरीर उछलकर दूर जा गिरा।

एक तेज चीख के साथ नैना बिस्तर पर उठ बैठी , उसने कोई बुरा सपना देखा था। उसके मुंह पर ऑक्सीजन मास्क लगा था और वह बुरी तरह से हांफ रही थी। मशीन पर उसकी धड़कने काफी तेज दिखाई दे रही थी। उसका चेहरा लाल हो चुका था। नर्स ने फोन करके विहान को ICU में आने को कहा तो विहान अपने चैंबर से निकलकर ICU की तरफ भागा। सौंदर्या सोफे से हाथ लगाए सो रही थी लेकिन अवि जगा हुआ था उसने जब विहान को जल्दी में भागते देखा तो उसका दिल बैठ गया और नजर ICU की तरफ चली गयी।

विहान ICU में आया और नैना को सम्हाला। नैना की उखड़ती सांसो को देखकर विहान ने नर्स से इंजेक्शन देने को कहा और नैना को लगा दिया। धीरे धीरे नैना  नींद के आगोश में चली गयी। विहान ने नैना को चेक किया और कुछ ट्रीटमेंट लिखकर नर्स को पकड़ा दी। विहान के चेहरे पर सुकून के भाव थे। वह ICU से बाहर आया। अवि विहान के पास आया और घबराहट भरे स्वर में कहा,”नैना कैसी है ?”


विहान ने अवि के कंधो को थामा और कहा,”नैना अब ठीक है , उसे होश आ गया है वो अब खतरे से बाहर है।”
अवि ने सुना तो उसे राहत महसूस हुई उसके चेहरे से परेशानी के बादल अब छंट चुके थे। विहान ने आगे कहा,”लेकिन तुम नैना को घर नहीं ले जा सकते , फ़िलहाल उसे ट्रीटमेंट की सख्त जरूरत है अवि,,,,,,,,,,!!”
“तुम जब तक चाहो तब तक नैना को यहाँ रख सकते हो , मुझे बस मेरी नैना ठीक चाहिए,,,,,,,,,,,,,,मैं उसे पहले जैसी चाहता हूँ विहान”,कहते हुए अवि भावुक हो गया।


सौंदर्या जाग चुकी थी उसने जब विहान और अवि को ICU के बाहर देखा तो उठकर उनके पास चली आयी। अवि ने सौंदर्या की तरफ देखा और कहा,”नैना को होश आ गया है मॉम”
“भगवान् का लाख लाख शुक्र है,,,,,,,,,,,,विहान क्या मैं नैना से मिल सकती हूँ ?”,सौंदर्या ने पूछा


“अभी नहीं मैंने अभी अभी नैना को इंजेक्शन दिया है उसे आराम की जरूरत है,,,,,,,,,,,,,!!”,विहान ने कहा
“हम्म्म ठीक है,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा
“अवि तुम मेरे साथ आओ,,,,,!!”,विहान ने अवि से कहा और उसे अपने साथ लेकर वहा से चला गया।

जयपुर , रुचिका का घर
सुबह रुचिका उठी और उसने अपना फोन देखा तो उसके होंठो पर मुस्कान तैर गयी। स्क्रीन पर मोंटी के मैसेज का नोटिफिकेशन था जिसे देखकर रुचिका का दिल ख़ुशी से भर गया। उसने जल्दी से मैसेज खोलकर देखा लेकिन अगले ही पल उसकी ख़ुशी दुःख और उदासी में बदल गयी जब उसने पढ़ा


“मेरे घर पर हमारे झगडे के बारे में बताकर तुमने सही नहीं किया रुचिका , तुम जानती भी हो आज तुम्हारी वजह से पापा ने मुझ पर हाथ उठाया,,,,,,,,,,,,यही चाहती थी ना तुम और तुम्हारे डेड , लेकिन याद रखना रुचिका इसका खामियाजा तुम्हे भुगतना पडेगा”


रुचिका ने जैसे ही मोंटी का मैसेज पढ़ा उसका दिल धड़कने लगा। उसकी आँखों में आँसू भर आये उसने कांपती उंगलियों से मोंटी का नंबर डॉयल किया और फोन कान से लगा लिया। एक दो रिंग जाने के बाद जैसे ही फोन उठा रुचिका ने उदासी भरे स्वर में कहा,”मोंटी , मोंटी मैंने पापा से नहीं कहा था वो तुम्हारे पापा से कुछ भी ऐसा कहे और वो तुम्हे गलत समझे,,,,,,,,,,,,,,मैं सच कह रही हूँ मोंटी मुझे ये सब के बारे में कुछ नहीं पता।”


“रूचिका,,,,,,,,,मैं बोल रही हूँ”,मोंटी की जगह किसी महिला की आवाज रुचिका के कानों में पड़ी जिसे रुचिका अच्छे से जानती थी उसने अपनी आँखों में आये आंसुओ को पोछा और कहा,”चरणस्पर्श मम्मी,,,,,,,,!!”
“सौभाग्यवती भवः , ये सब क्या हो रहा है रुचिका ?”,मिसेज शर्मा ने कहा


“सब मेरी गलती है मम्मी , मैं ही मोंटी को लेकर अपने घर आयी थी और मैंने ही पापा को मोंटी की जॉब चले जाने के बारे में बताया था। मैंने ये मोंटी को नीचा दिखाने के लिए नहीं किया था मम्मी मैं बस उसे परेशान नहीं देख पा रही थी लेकिन मोंटी ने गलत समझ लिया और गलतफहमियां बढ़ती चली गयी”,रुचिका ने रोते हुए कहा

मिसेज शर्मा ने रुचिका की बात सुनी और कहा,”चुप हो जाओ रुचिका ! अरे वो तो है ही गधा , जरा सा किसी ने कुछ कहा नहीं कि उछलकर दूर भागेगा,,,,,,,,मैं जानती हूँ तुम दोनों का रिश्ता इतना कमजोर भी नहीं है कि हमे बीच में आना पड़े लेकिन बेटा अगर माँ बाप को तुम लोग अपनी परेशानी नहीं बताओगे तो फिर किसे बताओगे ? मोंटी ने नहीं बताया कि उसकी नौकरी चली गयी है और तुमने भी हमे कुछ नहीं बताया,,,,,,,,,,,,,,तुम दोनों बच्चे घर से दूर रहते हो इसका मतलब ये तो नहीं है न बेटा कि तुम अपनी परेशानिया बताना ही बंद कर दो,,,,,,,,,,,,!!”


“ऐसी बात नहीं है मम्मी हम लोग बस आपको परेशान करना नहीं चाहते थे,,,,,,,,,,मैं घर वापस आना चाहती हूँ मम्मी लेकिन मोंटी मुझसे बहुत नाराज है , वो सोच रहा है मैंने आपको और पापा को फ़ोन करके सब बताया है लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया , वो तो मेरे पापा ने,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते रुचिका फिर भावुक हो गयी।
“मैं जानती हूँ रुचिका लेकिन इस वक्त मोंटी और उसके पापा दोनों ही बहुत गुस्से में है,,,,,,,,,,,,!!”,मिसेज शर्मा ने कहा


“क्या पापा मुझ पर गुस्सा है ?’,रुचिका ने रोआँसा होकर कहा
“अरे नहीं पगली ! वो तो मोंटी पर गुस्सा कर रहे है कि वो तुम्हे ऐसे अकेले तुम्हारे मायके छोड़कर क्यों आया ? पर तुम्हे भी समझने की जरूरत है बेटा अगर मोंटी गुस्से में वहा से चला आया तो तुम्हे भी उसके साथ ही बीकानेर वापस चले आना था। तुमने वहा रूककर गलती,,,,,,,,,,,,!!”


मिसेज शर्मा आगे कह पाती इस से पहले मोंटी ने उसके हाथ से अपना फोन लेकर कहा,”किस से बात कर रही हो मम्मी ?”
कहते हुए मोंटी ने स्क्रीन पर रुचिका का नाम देखा तो उसके चेहरे पर गुस्से के भाव झिलमिलाने लगे और उसने गुस्से से अपनी मम्मी से कहा,”आपको इस से बात करने की जरूरत नहीं है मम्मी , इसका अब इस घर से कोई रिश्ता नहीं है।”


रुचिका ने सुना तो उसका दिल टूट गया और आँखों में आंसू भर आये वही दूसरी तरफ मोंटी की मम्मी ने मोंटी से कहा,”मोंटी ! ये क्या कह रहे हो तुम ? रुचिका इस घर की बहू है उसका इस घर में उतना ही हक़ है जितना तुम्हारा,,,,!!”
“अगर ऐसा है तो फिर मैं यहाँ से चला जाता हूँ रहिये आप अपनी बहू के साथ , पापा के साथ साथ आपको भी मैं ही गलत नजर आ रहा हूँ , उसकी गलती किसी को दिखाई नहीं दे रही,,,,,,,,,,!!”,मोंटी ने गुस्से से कहा


“गलती तुम दोनों की है , तुम दोनों ही बचपना कर रहे हो मोंटी,,,,,,,,,,,,किस पति पत्नी के बीच झगड़ा नहीं होता मोंटी , तो क्या वो अपनी पत्नी को यू अकेला छोड़ आते है ? तुम दोनों के बीच कोई ग़लतफ़हमी थी तो बैठकर उसे सुलझाते गुस्से में फैसला किया और चले गए अपने अपने घर , तुम दोनों ने शादी ब्याह को मजाक समझ रखा है क्या ?”,मिसेज शर्मा ने गुस्से से कहा


रुचिका ख़ामोशी से सब सुन रही थी। मोंटी ने देखा फोन चालू है तो उसने फोन काटा और कहा,”आप पूरी बात नहीं जानती है मम्मी,,,,,,,,,!!!”
“तो मुझे बताओ मोंटी ताकि मुझे पता चले आखिर रुचिका कहा गलत है ?”,मिसेज शर्मा ने हताश होकर कहा तो मोंटी ने उन्हें अपने और रुचिका के झगडे के बारे में सब बताया और कहा,”अब आप बताईये मैंने क्या गलत किया ? वो होते कौन है मुझे नसीहत देने वाले ?”


“वो रुचिका के पिता है बेटा अगर वो अपनी बेटी और दामाद को परेशान देखकर नसीहत देते भी है तो इसमें गलत क्या है ? मोंटी क्या तुम्हारे पापा ने कभी तुम्हे डांट नहीं लगाई , क्या उन्होंने तुम्हे कभी सही गलत नहीं समझाया ? तब तुम अपना घर छोड़कर चले गए थे क्या ? तो फिर तुम रुचिका को उसके घर छोड़कर कैसे आ सकते हो ? तुम्हे अगर उनकी कोई बात बुरी लगी तो तुम उन्हें मना कर सकते थे गुस्से में ऐसा कदम क्यों उठाया ?”


अपनी मम्मी की बात सुनकर धीरे धीरे मोंटी को अपनी गलती का अहसास हो रहा था। उसे समझ आया कि गुस्से और अपने ईगो के चलते उसने रुचिका के साथ गलत किया। छोटी छोटी बातो पर लड़ाई करने के बजाय उसे रुचिका को समझने की जरूरत थी।
अपनी मम्मी की बाते सुनकर मोंटी खामोश हो गया।

मिसेज शर्मा उसके पास आयी और कहने लगी,”गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड का रिश्ता जितना सुलझा हुआ होता है पति पत्नी का रिश्ता उतना ही उलझा हुआ होता है और इसके धागे बहुत नाजुक होते है लेकिन फिर भी दो लोग इसे सुलझाते हुए ख़ुशी ख़ुशी जिंदगी जीते है। अभी भी देर नहीं हुई है मोंटी जो हुआ उसे भूल जाओ और अपने पापा से माफ़ी मांगकर रुचिका को वापस घर ले आओ इसी में सबकी भलाई है वरना दो जिंदगी के साथ दो परिवार भी खराब हो जायेंगे”


मोंटी ने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से सब सुनता रहा। मिसेज शर्मा मोंटी को समझा ही रही थी कि तभी मोंटी के पापा उस तरफ से गुजरे उन्होंने जब अपनी पत्नी को मोंटी से बात करते देखा तो कहा,”तुम क्या वहा खड़ी होकर इसकी सफाई सुन रही हो ,, हमारी नाम तो ये पहले ही कटवा चुका है।”


मिसेज शर्मा अपने पति के पास आयी और कहा,”ऐसी बात नहीं है जी मोंटी और बहु को बस आपस में थोड़ी सी ग़लतफ़हमी हो गयी हैं , आप समधी जी से बात कीजिये ना हम सब मिलकर बात करते है इस बारे में,,,,,,,,,,बच्चो को समझायेंगे तो समझ जायेंगे”


“बच्चे बच्चे बोलकर ही तो इन्हे सर पर चढ़ा रखा है हम लोगो ने,,,,,,,,,,,,,कल सुबह हम लोग जयपुर जा रहे है बहू के घर और अगर वहा इसने कोई हरकत की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,,,,,,,,,,,,!!!”
कहकर शर्मा जी वहा से चले गए , मिसेज शर्मा ने राहत की साँस ली और मोंटी के पास आकर कहा,”अब तुम कोई तमाशा ना करना मोंटी , अगर रुचिका गलत है तो हम सब उसे भी समझायेंगे लेकिन तुम दोनों ऐसे इस रिश्ते को खराब मत करो,,,,,,,,,,,,!!”


मोंटी ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप वहा से चला गया।

क्रमश

संजना किरोड़ीवाल  

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संजना किरोड़ीवाल  

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A Woman by Sanjana Kirodiwal
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