Love You Zindagi – 51
माला को अपनी गलतियों का अहसास हुआ तो वह मोंटी से माफ़ी मांगने उसके फ्लेट पर चली आयी। माला की बातों में सच्चाई और चेहरे पर पश्चाताप के भाव देखकर मोंटी ने भी माला को माफ़ कर दिया। जैसे ही मोंटी ने माला के आँसू पोछे फ्लेट के दरवाजे पर खड़ी रुचिका ने उन दोनों को देख लिया और उसी पल उसका दिल टूट गया। पिछले कुछ दिनों से रुचिका मोंटी और माला की नजदीकियों को लेकर मन ही मन परेशान थी और आज तो उसने मोंटी को रंगे हाथ पकड़ लिया था।
“रुचिका,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,माला ने रुचिका को देखकर धीरे से कहा तो मोंटी ने दरवाजे की तरफ देखा। आँखों में आँसू और चेहरे पर दुःख के भाव लिए रुचिका उसे ही देख रही थी।
“रूचि तुम,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हे,,,,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए मोंटी रुचिका की तरफ आया
“मैं शायद गलत वक्त पर आ गई”,रुचिका ने नफरत भरे स्वर में कहा
“रुचिका तुम जो सोच रही हो वैसा कुछ भी नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,माला यहाँ मुझसे माफ़ी,,,,,,,,,,,,,,,,!”,मोंटी ने कहना चाहा लेकिन रुचिका ने उसकी बात बीच में ही काट दी और तड़पकर कहा,”बस करो मोंटी अपनी कमी छुपाने के लिए और कितना झूठ बोलोगे तुम ?”
“रुचिका एक बार इसकी बात तो सुन लो , तुम मोंटी को गलत समझ रही हो”,माला ने कहा
“तुम तो कुछ बोलो ही मत , एक औरत होकर दूसरी औरत का घर तोड़ते तुम्हे शर्म नहीं आती। तुमसे तो शिकायत भी क्या करनी जब कमी अपनों में है”,रुचिका ने नफरत भरे स्वर में कहा और वहा से जाने लगी।
“रुचिका मेरी बात सुनो”,मोंटी ने रुचिका का हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा
“जस्ट लिव मी , तुम्हे क्या लगता है तुम मेरी पीठ पीछे ये सब करोगे और मुझे पता नहीं चलेगा”,रुचिका ने चिल्लाकर कहा तो आस पास के फ्लेट से लोग बाहर निकल आये
“रुचिका , रुचिका प्लीज मेरी बात सुनो ! सीन क्रिएट मत करो सब देख रहे है। अंदर चलो प्लीज , हम बैठकर बात करते है ना”,मोंटी ने रुचिका से रिक्वेस्ट करते हुए कहा
“मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है मोंटी , जस्ट लिव मी अलोन”,रुचिका ने गुस्से से तेज आवाज में कहा और मोंटी को धक्का देकर वहा से चली गयी।
मोंटी जैसे ही गिरने को हुआ माला ने उसे सम्हाल लिया लेकिन मोंटी को इस वक्त रुचिका की परवाह थी इसलिए वह तुरंत उसके पीछे भागा। वहा खड़े लोग माला को देखकर अजीब मुंह बनाने लगे और आपस में खुसर फुसर करने लगे।
लिफ्ट बंद देखकर मोंटी सीढ़ियों से नींचे चला आया। रुचिका आँसू पोछते हुए लिफ्ट से बाहर आयी। मोंटी भागकर उसके पास आया और उसके सामने आकर कहा,”रुचि मेरी बात सुनो रूचि , ऐसे मत जाओ कम से कम मुझे अपनी बात कहने का मौका तो दो”
“मैंने तुम्हे बहुत बार मौका दिया है मोंटी और शायद यही मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी। मैंने तुम पर इतना भरोसा किया और तुमने उस माला के साथ मिलकर मुझे धोखा दिया। क्या कमी थी मुझमे और मेरे प्यार में जो तुमने ये सब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे अकेला छोड़ दो मोंटी , मुझे तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखनी मुझे यहाँ से जाने दो”,रुचिका ने लगभग रोते हुए कहा
“रूचि ऐसा कुछ नहीं है मैंने तुम्हे कोई धोखा नहीं दिया है। माला सिर्फ मुझसे माफ़ी मांगने आयी थी और वो तुमसे भी माफ़ी मांगना चाहती थी।”,मोंटी ने आसभरे स्वर में कहा
“मेरी गैरमौजूदगी में कौनसी माफ़ी मांगने आयी थी वो हाँ ? तुम्हे क्या मैं बेवकूफ लगती हूँ मोंटी कि तुम जो कहोगे मैं उस पर यकीन कर लुंगी,,,,,,,,,,,,,,सच तो ये है मोंटी की तुम्हारा मुझसे मन भर चुका है,,,,,,,मैं पागल थी जो तुम पर खुद से ज्यादा भरोसा कर बैठी , वो माला तो बहुत पहले तुम्हारी जिंदगी में आ चुकी थी , गोआ में वो तुम्हारे लिए यू ही तो नहीं चली आयी थी। साफ साफ कहो ना की तुम्हे अब माला से प्यार हो गया है”,रुचिका ने गुस्से और नफरत भरे स्वर में कहा
रुचिका की बाते सुनकर मोंटी का सर घूमने लगा वह समझ नहीं पा रहा था कि इस वक्त रुचिका को कैसे समझाए ? उसने अपने हाथो को अपने चेहरे पर फेरकर हताश होकर कहा,”रूचि मैं तुम्हे कैसे समझाऊ ? इस वक्त तुम गुस्से में हो इसलिए तुम्हे मेरी कोई बात समझ नहीं आएगी,,,,,,,,,,,,,,,,माला के साथ मेरा कोई रिश्ता नहीं है रूचि ना ही मैंने कभी उस से कोई रिश्ता रखने का सोचा। प्लीज तुम अंदर चलो , मेरे साथ चलो हम बात करते है ना”
कहते हुए मोंटी ने एक बार फिर रुचिका का हाथ पकड़ा और उसे ले जाने लगा। रुचिका ने अपना हाथ झटका और गुस्से से कहा,”मैं तुम्हारे साथ नहीं जाउंगी मोंटी , मैं इसी वक्त यहाँ से अपने घर जा रही हूँ”
“रूचि पागल मत बनो चलो यहाँ से”,मोंटी ने फिर रुचिका का हाथ पकड़ते हुए कहा
“मोंटी मेरा हाथ छोडो”,रुचिका ने गुस्से से कहा लेकिन मोंटी ने उसका हाथ नहीं छोड़ा और उसे ले जाने लगा
उन दोनों का झगड़ा सुनकर सोसायटी के कुछ लोग वहा जमा हो गए
“रूचि प्लीज मेरी इज्जत का कुछ तो ख्याल करो.,,,,,,,,,,,,,,,,,प्लीज तमाशा मत करो और चलो मेरे साथ”,मोंटी ने इस बार थोड़ा गुस्से से कहा
“उस माला के साथ फ्लेट में रंगरलिया मनाते वक्त तुम्हे अपनी इज्जत का ख्याल नहीं आया ?”,रुचिका ने भी गुस्से से चिल्लाकर कहा
मोंटी माला के ये शब्द बर्दास्त नहीं कर पाया और खींचकर एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीद कर दिया जिसकी गूंज सबके कानों में पड़ी। ऐसा पहली बार था कि मोंटी ने माला पर हाथ उठाया था और ये गुस्से के कारण हुआ। रुचिका फ़टी आँखों से मोंटी को देखे जा रही थी। सोसायटी के लोग एक बार फिर आपस में खुसर फुसर करने लगे। कुछ देर बाद मोंटी को अहसास हुआकि उसने क्या किया ? मोंटी ने अपना सर पकड़ लिया वह ऐसा कुछ करना नहीं चाहता था लेकिन गुस्से और रुचिका की गलत बातो की कारण ऐसा हो गया जिसका उसे अब पछतावा हो रहा था।
“रूचि मैं,,,,,,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए मोंटी जैसे ही रुचिका की तरफ आया रुचिका वहा से चली गयी। मोंटी में अब इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह रुचिका को रोक सके वह वही पड़ी बेंच पर आ बैठा और अपना सर पकड़ लिया
माला बहुत पहले वहा से जा चुकी थी उसे मोंटी के लिए बुरा लग रहा था लेकिन यहाँ रुककर वह मोंटी की परेशानिया और बढ़ाना नहीं चाहती थी। सोसायटी के लोग भी बातें करते हुए वहा से चले गए।
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
मिसेज आहूजा ने अपार्टमेंट क्लब की जो मीटिंग रखी उसमे मिसेज राय और मिसेज शर्मा भीड़ गयी। ये मिसेज आहूजा और मिसेज राय की ही मिली भगत थी कि उन्होंने जानबूझकर शीतल का जिक्र किया और माहौल थोड़ा गरमा गया। अपार्टमेंट के लॉन में जिस वक्त मीटिंग चल रही थी उसी वक्त शीतल का बाहर से आना हुआ। उसके हाथ में एक बैग था जिसे उसने बहुत ही सावधानी से सम्हाला हुआ था और वह तेज कदमो से लिफ्ट की तरफ चली जा रही थी।
मिसेज शर्मा ने देखा तो शीतल को आवाज दी,”शीतल ! ज़रा यहाँ आना”
“ये माँ यहाँ क्या कर रही है ? और अपार्टमेंट की बाकी आंटिया भी है,,,,,,,,,,,,,,,लगता है जरूर मिसेज आहूजा ने फिर कोई ड्रामा क्रिएट किया है। तुम्हे सतर्क रहना होगा शीतल”,शीतल रूककर मन ही मन खुद से कहने लगी
मिसेज शर्मा ने देखा शीतल अभी भी वही खड़ी है तो उन्होंने उसे फिर आवाज दी,”शीतल , मैंने कहा यहाँ आओ”
“जी , जी माँ”,मिसेज शर्मा की आवाज से शीतल की तंद्रा टूटी और वह गार्डन की तरफ चली आयी। शीतल को वहा देखते ही मिसेज आहूजा का तो मुंह बन गया लेकिन ये ही मौका था जब वे शीतल को नीचा दिखा सकती थी।
“कहा से आ रही हो ?”,मिसेज शर्मा ने शीतल से सीधा सवाल किया
“मैं , वो मैं बाहर गयी थी अपनी एक फ्रेंड से मिलने,,,,,,,,,,,,,,,,,,उसी से मिलकर आ रही हूँ”,शीतल ने अटकते हुए कहा
“और ये बैग में क्या है ?”,मिसेज शर्मा ने बैग की तरफ इशारा करके कहा
“बैग ? बैग में कुछ कुछ नहीं है ये तो बस ऐसे ही,,,,,,,,,,,,,,,!”,शीतल ने बैग पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए कहा
“अरे तुम तो ऐसे घबरा रही हो जैसे बैग में कोई कीमती सामान हो,,,,,,,,,,,,!”,मिसेज गुप्ता ने कहा
“कही इसमें तुम्हारा वो डायमंड नेकलेस तो नहीं जिसे लेने तुम बाहर गयी थी ?”,मिसेज आहूजा ने आग में घी डालते हुए कहा
डायमंड नेकलेस का नाम सुनते ही शीतल के चेहरे पर हवईया उड़ने लगी। मिसेज शर्मा ने सूना तो हैरानी से कहा,”डायमंड नेकलेस ? शीतल ये मिसेज आहूजा किस नेकलेस की बात कर रही है ?”
“नेकलेस ? कैसा नेकलेस ? आंटी आप लोग ये सब क्या कह रही है ?”,शीतल ने अपने चेहरे पर आये भावो को छुपाने की कोशिश करते हुए कहा
“ज्यादा भोली मत बनो ! वही नेकलेस जिसके बारे में तुम कल शाम फोन पर बात कर रही थी। अब बता भी दो आखिर हम सब भी तो देखे,,,,,,,,,,,,,,!”,मिसेज गुप्ता ने कहा
मिसेज शर्मा को अंदर ही अंदर शीतल पर गुस्सा आ रहा था कि शीतल ने इतनी बड़ी बात उनसे छुपाई। वे ख़ामोशी से शीतल को देख रही थी और शीतल चुपचाप सबकी बातें सुन रही थी। मिसेज गुप्ता और आहूजा तो मन ही बहुत खुश थी।
“खामोश क्यों हो शीतल जवाब दो ?”,शीतल को खामोश देखकर मिसेज शर्मा ने कहा
“माँ मैं किसी नेकलेस के बारे में नहीं जानती , मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता जानबूझकर नेकलेस झूठी अफवाह फैला रही है।”,शीतल ने कहा
“वाह उलटा चोर कोतवाल को डाटे , मिसेज शर्मा आप ही बताईये क्या आज से पहले हमने कभी आपके घर के मामले में दखल दी ? अरे वो तो जब मैंने शीतल को डायमंड नेकलेस की बात करते सूना तो आपके और मिस्टर शर्मा के बारे में सोचकर बुरा लगा। आप दोनों एक एक पैसा जोड़कर नया घर खरीदने की सोच रहे है और यहाँ आपकी बहू डायमंड नेकलेस पर पैसे उड़ा रही है। आपको तो इस बारे में पता तक नहीं है और आपकी बहू मुझे नहीं लगता ये कभी आपको बताती,,,,,,,,,,,,,,,,इसलिए मैंने सबके सामने नेकलेस की बात कही ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये”,मिसेज आहूजा ने कहा
“अरे मिसेज आहूजा आप क्यों खामखा इनके घर के मसलो में पड़ रही है ? जाने दीजिये ना सास-बहू का मेटर खुद ही निपट लेंगी”,मिसेज राय ने बात को बढ़ाते हुए कहा
“सिर्फ घर का मामला नहीं है ये मिसेज राय , ये इस अपार्टमेंट का मामला है। आज मिसेज शर्मा की बहू ऐसा कर रही है कल आपकी या मिसेज गुप्ता की बहू ऐसा कुछ करेगी तो हम सास लोगो का क्या होगा ? हमारी क्या वेल्यू रह जाएगी फिर,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपार्टमेंट के लोग आखिर एक दूसरे को देखकर ही तो सीखते है।”,मिसेज आहूजा ने कहा
“बस बहुत हो गया ये मामला घर का हो या अपार्टमेंट का आप लोगो की नजर में मेरी बहू गलत है यही कहना चाहती है ना आप सब”,मिसेज शर्मा ने गुस्से से कहा
“अगर इतना ही भरोसा है अपनी बहू पर तो वो सच क्यों नहीं बता रही ? नेकलेस के बारे में तो उसने आपको भी नहीं बताया न मिसेज शर्मा”,मिसेज आहूजा ने इस बार थोड़ा कठोरता से कहा
अपार्टमेंट की महिलाओ ने मिलकर मिसेज शर्मा और शीतल दोनों को एक साथ टारगेट बना लिया और अब तो बात मिसेज शर्मा के आत्मसम्मान पर आ चुकी थी। वे शीतल के पास आयी और कहा,”शीतल दिखाओ इन सबको की आखिर तुम कौनसा नेकलेस लेकर आयी हो ?”
“माँ मेरे पास कोई नेकलेस नहीं है , आप मेरा यकीन कीजिये”,शीतल ने कहा
“अपना बैग दो”,मिसेज शर्मा ने कहा
“मेरे बैग में कुछ नहीं है”,शीतल ने बैग पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए कहा
“शीतल अपना बैग इधर दो”,मिसेज शर्मा ने उसके हाथ से बैग लिया और मिसेज आहूजा की तरफ बढ़ाकर कहा,”लीजिये मिसेज आहूजा कर लीजिये तसल्ली”
“माँ लेकिन,,,,,,,,,,,,,!”,शीतल ने कहना चाहा तो मिसेज शर्मा ने उसके सामने हाथ करके उसे आगे बोलने से रोक दिया।
मिसेज आहूजा जो चाहती थी वो हो चुका था। शीतल का बैग उनके हाथ में था और उनके हिसाब से वो डायमंड का नेकलेस भी उसी बैग में था जिसके लिए शीतल इतना परेशान हो रही थी। मिसेज आहूजा ने मुस्कुराते हुए बैग में नेकलेस ढूंढना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद ही उनके हाथ कुछ लगा और उनकी मुस्कान दुगुनी हो गयी उन्होंने शीतल के बैग से एक बॉक्स बाहर निकाला तो सबकी आँखे हैरानी से फ़ैल गयी। मिसेज आहूजा की बात सच थी ये जानकर मिसेज शर्मा का दिल टूट गया उन्होंने शीतल को देखा तो शीतल ने नजरे झुका ली
मिसेज आहूजा ने ख़ुशी ख़ुशी डिब्बा खोलकर सबके सामने कर दिया एक बार फिर सबकी आँखे हैरानी से फ़ैल गयी। मिसेज शर्मा ने डिब्बे में रखे घुंघरू उठाये और कहा,”मिसेज आहूजा क्या आप इस नेकलेस की बात कर रही थी ?”
मिसेज आहूजा ने डिब्बे में नेकलेस की जगह घुंघरू देखे तो उनकी मुस्कान गायब हो गयी और उन्होंने डिब्बा अपनी तरफ घुमाकर देखा उसमे 2 जोड़ी घुंघरू थे उन्हें देखकर वो हैरान थी।
मिसेज आहूजा ने एक बार फिर शीतल के बैग को खंगाला पर उसमे कुछ मेकअप के सामान और 2 किताबो के आलावा कुछ भी नहीं था। यहाँ तक की उन्होंने बैग को खोलकर उलटा भी कर दिया जिस से किताबे और सारा सामान नीचे जा गिरा लेकिन वो नेकलेस उन्हें नहीं मिला। गुस्से में आकर मिसेज आहूजा ने बैग जमीन पर फेंक दिया और कहा,”जरूर इसने कुछ गड़बड़ की है , ये अपार्टमेंट से बाहर नेकलेस लेने ही गयी थी मिसेज शर्मा”
मिसेज शर्मा ने सूना तो मिसेज आहूजा को देखने लगी उनके चेहरे पर इस वक्त कोई भाव नहीं थे लेकिन आँखों में गुस्सा जरूर था जिसे देखकर मिसेज आहूजा उनके पास आयी और कहा,”मिसेज शर्मा मैं सच कह रही हूँ ये आपकी बहु,,,,,,,,,,,,,,,,,!”
“सटाक,,,,,,,,,,,,,!!”,एक तेज थप्पड़ आकर मिसेज आहूजा के गाल पर पड़ा जो की मिसेज शर्मा ने मारा था। सबके मुंह खुले के खुले रह गए मिसेज गुप्ता तो चुपके से वहा से खिसक गयी। मिसेज आहूजा भी अपना हाथ गाल से लगाए हैरानी और गुस्से से मिसेज शर्मा को देख रही थी। वे कुछ कहती इस से पहले ही मिसेज शर्मा ने कहा,”बस मिसेज आहूजा बहुत हो चुका , मेरी बहू को नीचा दिखाने के लिए आप इतना गिर गयी कि ऐसी घटिया हरकत करने में भी आपको शर्म नहीं आयी। आज तक मैंने हमेशा आपकी बात सुनी , आपकी इज्जत की लेकिन मेरे लिए मेरी बहू की इज्जत पहले है ,खबरदार जो आज के बाद आपने या किसी ने भी शीतल के बारे में गलत बात की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। वीमेन राइट्स की बात करती है आप पहले खुद तो एक वीमेन की इज्जत करना सीखिए”
मिसेज शर्मा की बात सुनकर मिसेज आहूजा और बाकि सब का सर शर्म से झुक गया लेकिन शीतल की आँखों में उनके लिए सम्मान के भाव थे
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