Love You Zindagi – 30
माला गोआ सिर्फ मोंटी के लिए आयी थी जब नैना को ये बात पता चली तो नैना का दिमाग उलझने लगा। एक तरफ सार्थक और शीतल का रिश्ता राज की वजह से टूटने की कगार पर था तो दूसरी तरफ मोंटी और रुचिका के रिश्ते में दरार बनकर माला आ चुकी थी। इन 6 लोगो के चेहरे और बातें नैना की आँखों के सामने घूमने लगे और उसका सर दर्द होने लगा। वह समझ नहीं पा रही थी की इन सबको मुसीबत से कैसे निकाले और सब ठीक कैसे करे ? नैना ने एक गहरी साँस ली और ऊपर आसमान में देखते हुए कहने,”खुश हो अब ? नहीं मल्लब हमायी जिंदगी में भसड़ कम थी जो अब ये चरस और बो दी। नहीं चाहते क्या हो जिंदगीभर हम इन्ही सब में उलझे रहे और अपना माथा पीटते रहे,,,,,,,,,,,,,,,,,इतना ही याद आ रही है हमारी तो बुला लो ना डायरेक्ट ऊपर , ये तिल तिल कर मारना जरुरी है। एक सुकूनभरी शांत जिंदगी मांगे थे आपसे शादी के बाद लेकिन दुनिया भर की टेंशन दे दी है आपने अब या तो इसका सोल्यूशन दो या फिर हमको निपटा दो का है कि बर्दास्त नहीं हो रहा है हम से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सुन रहे हो ?”
खाली पड़े आसमान में चाँद और चंद तारो के अलावा कोई नहीं था जो नैना की बात का जवाब दे। नैना ने एक बार फिर गहरी साँस ली और थके कदमो से रिसोर्ट की तरफ बढ़ गयी। उसके दिमाग में अभी भी माला की कही बातें चल रही थी वह धीमे कदमो से चलकर अपने कमरे में आयी देखा अवि बिस्तर पर रखे कुशन्स को सही कर रहा है। नैना चुपचाप आकर बिस्तर के एक कोने पर आ बैठी। उसे खामोश देखकर अवि उसके पास आया और नीचे जमीन पर उसके सामने बैठकर उसके हाथो को थामकर कहा,”क्या हुआ नैना ? तुम रूचि और मोंटी के बारे में सोच रही हो ?”
“पडोसी ऐसा क्यों होता है कि जब सब सही होने लगता है तो एकदम से कुछ ऐसा हो जाता है जो सम्हालना मुश्किल होता है”,नैना ने दार्शनिक अंदाज में कहा तो अवि उसके चेहरे की तरफ देखने लगा जो की काफी बुझा हुआ और उतरा हुआ नजर आ रहा था
“इन सबको लेकर तुम कुछ ज्यादा ही परेशान हो रही हो नैना , हम सब की शादी हो चुकी है और शादी के बाद जिम्मेदारियां और परेशानिया बढ़ जाती है जिन्हे खुद ही हेंडल करना होता है। वो सब बच्चे नहीं है उन्हें अपने अच्छे बुरे की समझ है नैना और फिर तुम कब तक उन्हें प्रोटेक्ट करोगी नैना वो उनकी लाइफ है उन्हें अपने हिसाब से सब एडजस्ट करने दो”,अवि ने नैना को समझाते हुए कहा
“पडोसी क्या शादी का मतलब सिर्फ एडजस्ट करना होता है ?”,नैना ने अवि की तरफ देखते हुए पूछा
“नहीं ! लेकिन जब चीजे नार्मल ना हो तो उन्हें नार्मल करने के लिए एडजस्ट करना पड़ता है नैना। सार्थक और शीतल के मामले में तुम और मैं बस उन्हें समझा सकते है लेकिन अपनी शादी को आगे लेकर कैसे जाना है ये तो वो दोनों ही तय करेंगे ना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,शीतल के पास्ट को लेकर सार्थक इनसिक्योर है और राज के आने से शीतल परेशान इन दोनों सिचुएशन में प्रॉब्लम सिर्फ एक है और वो है राज,,,,,,,,,,!!”,अवि ने बिना लाग-लपट के कहा
“तो क्या उसे मरवा दे ?”,नैना ने एकदम सस्पेंस से भरकर कहा
नैना के मुंह से ऐसी बात सुनकर अवि उसे घूरने लगा तो नैना ने झेंपते हुए कहा,”मैं बस मजाक कर रही थी। अरे सारी प्रॉब्लम की जड़ तो वो राज ही है ना वो अगर वापस नहीं आता तो ये सब होता ही नहीं,,,,,,,,,,,,,,पता नहीं सार्थक ये सब समझेगा भी या नहीं”,कहते हुए नैना ने एक बार फिर अपना सर पकड़ लिया जो की हल्का हल्का दर्द होने लगा था। अवि ने देखा तो उठकर नैना के पीछे आ बैठा और उसका सर दबाते हुए कहने लगा,”राज नहीं नैना शीतल और सार्थक के बीच सबसे बड़ी समस्या है “ट्रस्ट” उन दोनों को एक दूसरे पर भरोसा नहीं है और उसी का फायदा उठा रहा है राज,,,,,,,,,,,अगर सार्थक शीतल पर भरोसा दिखाए तो राज कुछ नहीं कर पायेगा और हो सकता है धीरे धीरे वो शीतल को भूल भी जाये”
“वाह पडोसी मेरे साथ रहकर तुम कितने स्मार्ट हो गए हो,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने अपनी आँखे मूंदे कहा अवि की उंगलियों का दबाव वह अपने सर पर महसूस कर रही थी साथ ही उसे अब काफी अच्छा लग रहा था
“ओह्ह हेलो मैं आलरेडी स्मार्ट हूँ , मैं तुम्हारी तरह चीजों को उलझाता नहीं बस”,अवि ने कहा तो नैना मुस्कुरा उठी
“इसलिए तो हम साथ है ना पडोसी,,,,,,,,,,,,हम कितना भी झगड़ा करे , बहस करे , एक दूसरे का खून करने का सोच ले लेकिन आखिर में होते तो साथ ही है ना पर ये लोग ये लोग जब से यहाँ आये है तब से बस झगड़ ही रहे है मैंने दो दिन से इन्हे प्यार से बात करते नहीं देखा है। अगर अभी ये हाल है तो बाद में इन सब का क्या होगा ? सोचकर ही दिमाग खराब हो रहा है”,नैना ने हताश होकर कहा
“सब ठीक हो जायेगा नैना,,,,,,,,,,,,,,मैं कल सार्थक से बात करूंगा और तुम शीतल को समझाना मैं चाहता हूँ जिस ख़ुशी के साथ हम लोग गोआ आये थे उसी ख़ुशी के साथ वापस भी जाए”,अवि ने नैना के सर को अपने होंठो से छूकर कहा
“वो तो हम कर लेंगे पडोसी लेकिन उस तोतापरी का क्या ?”,नैना धीमी आवाज में बडबड़ाई
“तोतापरी ? हां याद आया तुम माला से बात करने के लिए रुकी थी क्या कहा उसने ?”,अवि ने एकदम से याद करके कहा
“अगर मैंने पडोसी को सच बता दिया तो ये ज्यादा परेशान हो जाएगा,,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं नहीं मुझे इस माला नाम की भसड़ से अकेले ही निपटना होगा कही उसके चक्कर में अवि मोंटी को फिर से गलत ना समझ ले,,,,,,,,,,,,लेकिन मोंटी इनोसेंट है यार जरूर उस माला ने ही मोंटी को उलझाया होगा”,नैना मन ही मन खुद से कहने लगी
नैना को खामोश देखकर अवि ने कहा,”नैना मैं कुछ पूछ रहा हूँ , माला से क्या बात की तुमने ?”
“बात ? कोई बात नहीं की वो बस सॉरी बोल रही थी”,नैना ने अवि से झूठ कहा हालाँकि ऐसा करते हुए बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी उसे ऐसा करना पड़ा।
“सॉरी ? सॉरी किसलिए ?”,अवि ने हैरानी से कहा
“ओह्ह्ह तुम ये पूछ रहे हो सॉरी किसलिए ? बाबू उसने जो किया है ना उसके बाद तो वो यही डिजर्व करती है खामखा उसने मोंटी और रुचिका के बीच गकतफहमी पैदा कर दी , उसे तो सॉरी बोलना ही था”,नैना ने अवि की तरफ पलटकर कहा जिस से वह अवि के थोड़ा करीब आ गयी। अवि कुछ देर नैना को देखता रहा और फिर कहा,”वैसे तुम्हारा दोस्त भी कुछ कम नहीं है , बेहतर होगा वो माला से दूर ही रहे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,और तुमसे भी”
आखरी शब्द अवि ने धीमी आवाज में कहे लेकिन नैना ने सुन लिया और अवि के बाल सही करते हुए कहा,”वो इतना बुरा भी नहीं है यार”
“हम वापस कब जा रहे है ?”,अवि ने पूछा
“जब तुम कहो वैसे भी ये ट्रिप कुछ ज्यादा ही हेवी हो चुकी है मेरे लिए और मुझे मॉम की भी याद आ रही है,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने अपने बालों को समेटते हुए कहा तो अवि ने उसके हाथ नीचे किये और कहा,”लाओ मैं कर देता हूँ”
नैना एक बार फिर पलट गयी उसकी पीठ अवि के सामने थी और बाल अवि के हाथो में। अवि धीरे धीरे नैना के बालों की चोटी बनाने लगा और कहा,”मैं सोच रहा हूँ कल वापस चलते है , मैं नहीं चाहता हम सब के बीच चीजे अब और बिगड़े,,,,,,,,,,,,,,,,,अपने घर में सब साथ साथ रहेंगे तो हो सकता है वो पहले वाली अंडरस्टैंडिग फिर से बन जाये”
“हम्म्म तुम सही कह रहे हो”,नैना ने एक बार फिर आँखे मूंदते हुए कहा
“इसलिए तुम ज्यादा मत सो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अवि ने जैसे ही कहना चाहा आगे के शब्द उसके गले में ही अटक गए। चोटी बनाते हुए उसके हाथो में नैना के कुछ टूटे हुए बाल थे जो रोजाना से ज्यादा ही थे। किसी अनहोनी के डर से अवि का दिल धड़क उठा
“क्या हुआ तुम चुप क्यों हो गए ? बोलो ना आज तुम्हे सुनना अच्छा लग रहा है”,नैना ने आँखे मूंदे हुए कहा तो अवि की तन्द्रा टूटी उसने नैना के टूटे बालों को समेटकर जल्दी से साइड में रखा और उसके सर को होंठो से छूकर कहा,”मैं बस ये कह रहा हूँ कि सब ठीक हो जाएगा , मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ”
“पडोसी तुम कुछ ज्यादा ही सेंटी हो रहे हो , वैसे आई ऍम सॉरी मुझे आज तुम पर चिल्लाना नहीं चाहिए था लेकिन मैं क्या करू जब तुम मेरे आस पास नहीं होते , मुझसे बात नहीं करते तब मुझे अच्छा नहीं लगता”,नैना ने अपने कंधे पर रखे अवि के हाथ को छूकर कहा।
“इट्स ओके नैना मैं भी तो तुम पर चिल्लाया था वो सब छोडो मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है”,अवि ने एकदम से कहा
“क्या ?”,नैना ने अवि की तरफ पलटकर कहा
“यहाँ नहीं चंडीगढ़ में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अम्म्मम्म सरप्राइज है”,अवि ने कहा
“आह्ह्ह्ह बताओ ना क्या है ?”,नैना ने मचलते हुए कहा
“चंडीगढ़ जाने के बाद , अभी मुझे बहुत नींद आ रही है गुड नाईट,,,,,,,,,,!!”,अवि ने कहा और बिस्तर पर लेट गया
“खड़ूस”,कहते हुए नैना भी अवि से कुछ दूरी बनाकर उसके बगल में लेट गयी और करवट बदलकर मन ही मन सरप्राइज के बारे में सोचने लगी। बिस्तर पर लेते अवि की आँखों में नींद नहीं थी बस जहन में नैना और उसके टूटते बाल चल रहे थे। उसने मन ही मन कुछ फैसला कीया और फिर नैना की तरफ पलटकर उसके करीब आकर सो गया लेकिन तब तक नैना सो चुकी थी।
अगली सुबह मोंटी रुचिका के पीछे घूमते हुए उसे मनाने की नाकाम कोशिश कर रहा था।
“रूचि यार तेरी कसम मैंने उसे ठीक से देखा भी नहीं था”,मोंटी ने रुचिका के पीछे आते हुए कहा
“तो अब क्या तुम उसे देखना भी चाहते हो ?”,रुचिका ने पलटकर गुस्से से कहा
“हाँ,,,,,,,,,,नहीं मेरा मतलब नहीं मैं उसे क्यों देखूंगा यार ?”,मोंटी ने हड़बड़ाहट में कहा
“देखो मोंटी आलरेडी तुम उसे लेकर मुझसे कई झूठ बोल चुके हो और तुम्हे लगता है कि हर बार की तरह तुम इस बार भी मुझे उल्लू बना लोगे तो कान खोलकर सुन लो मैं तुम्हारी बात नहीं सुनने वाली,,,,,,,,,,,समझे तुम ?”,रुचिका ने गुस्से से कहा और वहा से चली गयी
बेचारा मोंटी कल रात से रुचिका को मनाने की नाकाम कोशिश कर रहा था लेकिन रुचिका इस बार उस से कुछ ज्यादा ही नाराज थी। रुचिका मोंटी पर बहुत भरोसा करती थी इसलिए जब उसने मोंटी को माला के साथ देखा तो बर्दास्त नहीं कर पायी। रुचिका के जाने के बाद मोंटी उतरा हुआ चेहरा लिए वही खड़ा रहा। कुछ देर बाद अवि वहा आया और कहा,”दुसरो के लिए गड्ढा खोदने वाले ही सबसे पहले उसमे गिरते है , काश स्कूल में तुमने ये बात पढ़ी होती”
“आ गए मेरे जले पर नमक छिड़कने”,मोंटी ने मुंह बनाकर कहा
“मैं तो बस तुम्हे सच्चाई बता रहा हूँ , आग तो तुमने भी कम नहीं लगाई थी मेरे और नैना के बीच लेकिन नतीजा क्या निकला ? उलटा उस आग की लपटों ने तुम्हे झुलसा दिया”,अवि ने हाथ बांधे हुए दार्शनिक अंदाज में कहा तो मोंटी को अपनी गलती का अहसास हुआ और वह अवि के सामने आकर कहने लगा,”मुझे माफ़ कर दो अवि भाई मैंने बस आपको जलाने के लिए थोड़ा सा,,,,,,,,,,,,,मेरा कोई गलत इरादा नहीं था बल्कि मैंने कभी नैना को उस नजर से देखा ही नहीं। मैं बस मजाक कर रहा था और मेरा मजाक अब मुझ पर ही भारी पड़ रहा है। रुचि मुझ से बहुत नाराज है वापस जाने से पहले मैं उसका और मेरा रिश्ता पहले जैसा ही चाहता हूँ लेकिन वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं है।”
मोंटी की बाते सुनकर अवि को उस पर दया आ गयी
“तुम्हे ये बात समझने की जरूरत है मोंटी की हर कोई तुम्हारी तरह नहीं सोचता , कुछ लोग मेरी तरह सेंसेटिव और इमोशनल भी होते है जिन्हे छोटी छोटी बातो से फर्क पड़ता है। मैं नैना और तुम्हारी दोस्ती के खिलाफ नहीं हूँ लेकिन नैना अब मेरी वाइफ है और उसका हस्बेंड होने के नाते मैं उसके लिए किसी की बदतमीजी तो बिल्कुल बर्दास्त नहीं करूंगा”,अवि ने बड़े प्यार से मोंटी को समझाते हुए कहा मोंटी को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उसने कहा,”आई ऍम रियली सॉरी मैं नैना से भी सॉरी,,,,,,,,,,,,,!!”
“उसकी जरूरत नहीं है पहले रुचिका और तुम्हारे बीच की गलतफहमी दूर होनी जरुरी है नैना तो तुम्हे ऐसे ही माफ़ कर देगी”,अवि ने कहा तो मोंटी को थोड़ा अच्छा लगा कम से कम अवि ने उसे माफ़ तो किया।
“मैं रुचिका से बात करके आता हूँ लेकिन उस से पहले तुम मुझे ये जबान दो कि आज के बाद ये माला का चक्कर तुम छोड दोगे ?”,अवि ने सख्त स्वर में कहा
“अरे माला क्या ? मैं सुमन , किरण , मीना , शीना सब के चक्कर छोड़ दूंगा बस एक बार मेरी रूचि मान जाये”,मोंटी ने हताश होकर कहा
“क्या माला के अलावा ये सब भी है ?”,अवि ने हैरानी से कहा
“क्या यार अवि भाई मैंने बस एग्जाम्पल दिया है,,,,,,,,,,,एक माला के चक्कर में ये हाल हो गया है ये सब होती तो रुचिका और नैना मिलकर मेरा जनाजा निकाल देती”,मोंटी ने चिढ़ते हुए कहा तो अवि को मन ही मन हंसी आ गयी। मोंटी ने अवि को बहुत जलाया था अभी उसकी हालत देखकर अवि को थोड़ा चैन मिला लेकिन बाद में मोंटी का बुरा हाल देखकर दया भी आ गयी इसलिए उसने मोंटी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”अच्छा ठीक है मैं एक कोशिश करके देखता हूँ शायद रूचि मान जाये”
“ऑल द बेस्ट”,मोंटी ने बुझे स्वर में कहा , रुचिका के पीछे घूमते घूमते वह थक जो चुका था
“हे रुचिका”,अवि ने रूचि के पीछे आते हुए कहा। अवि की आवाज सुनकर रुचिका पलटी और कहा,”अवि देखो अगर तुम मोंटी को लेकर मुझसे बात करने आये हो तो मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी , मैं फैसला कर चुकी हूँ कि मैं उसे माफ़ नहीं करने वाली और मुझे उसके साथ नहीं रहना”
“मुझे नैना के बारे में तुमसे बात करनी है”,अवि ने एकदम से कहा
नैना का नाम सुनकर रुचिका थोड़ी सोच में पड़ गयी और फिर अवि के पास आकर कहा,”क्या हुआ नैना को ?”
“बैठकर बात करे ?”,अवि ने कहा तो रुचिका अवि के साथ वही लॉन में पड़ी बेंच पर आ बैठी और कहा,”हाँ अब बताओ क्या बात करनी है तुम्हे वो भी नैना के बारे में ? वो ठीक तो है ना ?”
अवि ने अपने दोनों हाथो को बेंच पर रखा और सर झुकाकर उदास हो गया। उसे ऐसे देखकर रुचिका के मन में घबराहट होने लगी और नैना को लेकर अजीबोगरीब ख्याल भी आने लगे उसने धीरे से अवि के कंधे पर हाथ रखा और पूछा,”अवि क्या हुआ है बोलो ना ?”
“अब मैं तुम्हे क्या बताऊ रूचि,,,,,,,,,,,नैना ?”,अवि ने जान बुझकर बात अधूरी छोड़ दी
“नैना क्या ?”,रुचिका ने घबराये हुए स्वर में पूछा
“मुझे लगता है नैना मुझसे बोर हो चुकी है , शादी के पहले जिस नैना को मैं जानता था शादी के बाद वो नैना बदल चुकी है। वो मेरा ऐसे ख्याल रखती है जैसे मैं कोई बच्चा हूँ। मेरी कॉफी से लेकर मेरे कपड़ो तक का ध्यान रखती है। मैं जब तक घर नहीं आता मेरा वेट करती है लेकिन फोन बिजी आने पर कभी सवाल नहीं करती , वो दूसरी बीवियों की तरह मेरा फोन तक चेक नहीं करती यार। मैं अपने ऑफिस की फीमेल क्लाइंट्स के साथ डिनर पर बाहर जाने की बात करू तो वो ख़ुशी ख़ुशी जाने देती है। देर रात घर आउ तो पूछती तक नहीं मैं कहा था उलटा मेरे लिए खाना लगाती है और साथ बैठकर खाती भी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे लगता है उसे कुछ हो गया है वो बदल गयी है रूचि और यही बात मुझे परेशान कर रही है”,अवि ने हताश होकर कहा
रुचिका ने सूना तो चैन की साँस ली और कहा,”ओह्ह्ह तुमने तो मुझे डरा ही दिया था , मैं तो कुछ और ही सोच रही थी ये इतनी बड़ी बात भी नहीं है अवि उलटा ये तो अच्छी बात है कि नैना तुम पर कितना ट्रस्ट करती है तुमसे कितना प्यार करती है”
“नहीं ना रुचिका अगर प्यार करती तो मुझे मेरे फीमेल्स क्लाइंट्स के साथ बाहर जाने क्यों देती ? मुझे किसी लड़की के साथ देखकर क्या उसे गुस्सा नहीं आना चाहिए जैसे कल रात तुम्हे आया था ?”,अवि ने एकदम से कहा तो रुचिका सोच में पड़ गयी
रुचिका पर अपनी बात का असर होते देखकर अवि ने कहा,”नहीं तुम ही बताओ मुझे,,,,,,,,,,,,कल मोंटी को माला के साथ देखकर तुम्हे बुरा लगा ना तभी तो तुम उस पर गुस्सा हुई क्योकि तुम्हे उस से प्यार था,,,,,,,,,,,,,,,,,,वरना तो तुम्हे भी कोई फर्क नहीं पड़ता नैना की तरह”
रुचिका फिर सोच में पड़ गयी और कुछ देर बाद कहा,”लेकिन नैना ऐसी नहीं है वो तुम से बहुत प्यार करती है इसलिए तो वो तुम पर शक नहीं करती और उसे तुम्हारी लाइफस्टाइल से कोई प्रॉब्लम नहीं है।”
“अगर ऐसा है तो फिर तुमने मोंटी को गलत क्यों समझा ? तुम भी तो उस से प्यार करती हो ना रूचि फिर एक माला के आने से तुम इतनी इनसिक्योर क्यों हो गयी कि मोंटी पर भरोसा नहीं किया ? अब या तो तुम्हारा प्यार सच्चा है या फिर नैना का ?”,अवि ने उठते हुए कहा और रुचिका को उलझन में डालकर चला गया।
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संजना किरोड़ीवाल