Love You Zindagi – 19
नैना को अपनी पीठ पर उठाये अवि गोआ की खाली सड़क पर चले जा रहा था। चांदनी रात थी और बादलों की ओट में छुपा चाँद अपनी दूधिया रौशनी से पुरे गोआ को नहला रहा था। नैना को शराब चढ़ चुकी थी और इस वक्त वह बिल्कुल होश में नहीं थी। अवि की पीठ पर चढ़े , अपनी बाँहो को अवि के गले में डाले , नशे में वह कुछ भी बड़बड़ाये जा रही थी और अवि बस मुस्कुराते हुए उसकी बाते सुन रहा था।
“पडोसी क्या तुम विक्रम हो ?”,नैना ने एकदम से अवि से कहा
“विक्रम ? अब ये विक्रम कौन है ?”,अवि ने हैरानी से पूछा
“आहा मैंने जो पूछा तुम वो बताओ न,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या तुम विक्रम हो ?”,नैना ने उन्मादभरे स्वर में पूछा
“नहीं मैं नहीं हूँ”,अवि ने सहजता से कहा
“तो फिर मुझे वैताल की तरफ अपनी पीठ पर क्यों लाद रखा है ? मुझे नीचे उतारो तुम्हारी पीठ टूट जाएगी”,नैना ने मचलते हुए कहा और अवि की पीठ से उतर गयी।
“नैना तुम होश में नहीं हो,,,,,,,,,,,,ठीक से चल नहीं पाओगी , रिसोर्ट पास में ही है इसलिए मैंने तुम्हे अपनी,,,,,,,,,,,,,,!!”,अवि ने इतना ही कहा नैना ने उसके होंठो पर अपनी ऊँगली रख दी और कहा,”शशशशश पडोसी तुम्हे क्या लगता है मुझे तुम्हारी परवाह नहीं है ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे तुम्हारी बहुत फ़िक्र है बस मैं जता नहीं पाती,,,,,,,,,,,,,,और तुमसे बहुत प्यार भी है लेकिन मुझे दिखाना नहीं आता,,,,,,,,,,,,!”
नैना की बातें सुनकर अवि का दिल धड़क उठा नशे में ही सही नैना एटलीस्ट उसके सामने अपनी भावनाये जाहिर कर रही थी।
अवि ने धीरे से उसकी ऊँगली को अपने होंठो से हटाया और कहा,”मैं जानता हूँ”
“फिर तो तुम ये भी जानते होंगे कि तुम्हारे होंठ,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने अवि के करीब आते हुए कहा और बीच में ही रुक गयी। नैना का यु करीब आना अवि के दिल को धड़का गया उसने धड़कते दिल के साथ कहा,”मेरे होंठ क्या ?”
“तुम्हारे होंठ बिल्कुल स्ट्राबेरी जैसे है”,नैना ने अवि की आँखों में झांकते हुए धीमें स्वर में कहा
नैना का अवि के यू करीब आना और ऐसी बातें करना उसकी धड़कनो को बढ़ा रहा था। उसके होंठ भी लरजने लगे उसे खामोश देखकर नैना ने उसके शर्ट की कॉलर को पकड़ा और करीब आकर कहा,”मुझे तुम्हे किस करना है,,,,,,,,,,,,,,,,अभी,,,,,,,,,,,,,!!”
अवि कुछ बोल ही नहीं पाया और नैना ने अपने होंठ उसके होंठो की तरफ बढ़ा दिए। नैना को करीब आते देखकर अवि ने अपनी आँखे मूँद ली और इंतजार करने लगा लेकिन अगले ही पल उसे नैना सर अपने सीने पर महसूस हुआ और उसकी उन्माद भरी आवाज अवि के कानो में पड़ी,”मुझे बहुत नींद आ रही है पडोसी,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे घर जाना है”
बेचारा अवि उसके सारे अरमान धरे के धरे रह गए
“हम्म्म चलो चलते है”,अवि ने धीमे स्वर में कहा और नैना को लेकर रिसोर्ट की तरफ बढ़ गया। रिसोर्ट के अंदर चलते चलते नैना लड़खड़ाई तो अवि ने उसे अपनी गोद में उठा लिया। नैना की आँखे नशे के उन्माद में बंद हुयी जा रही थी। अवि उसे लेकर कमरे में आया और बिस्तर पर लेटा दिया। अवि जैसे ही उठकर जाने लगा नैना ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया। अवि ने पलटकर नैना को देखा तो नैना उठकर बैठ गयी और कहा,”यहाँ बहुत गर्मी है , मुझे नहाना है”
“बाद में पहले मैं तुम्हारे लिए पीने को कुछ ले आता हूँ”,अवि ने प्यार से नैना का हाथ अपने हाथ से दूर करते हुए कहा
“हम्म्म,,,,,,,,,,,,,,,मेरा सर भी हल्का भारी हो रहा है”,नैना ने अपना सर झुकाते हुए कहा
अवि कमरे से चला गया और कुछ देर बाद निम्बू पानी लेकर कमरे में आया तो देखा नैना बिस्तर पर नहीं थी। उसने नैना को आवाज दी लेकिन नैना ने कोई जवाब नहीं दिया। अवि ने ग्लास टेबल पर रखा और बाथरूम की तरफ आया तो उसे शॉवर की आवाज सुनाई दी और उसने कहा,”नैना तुम ठीक हो न ?”
“हाँ नहाने के बाद अब अच्छा लग रहा है”,नैना ने कहा तो अवि वहा से हटकर बिस्तर पर आ बैठा। उसने अपना फोन देखा कुछ दोस्तों के मेसेज थे और कुछ मेल्स थे अवि उन्हें देखने लगा और फिर फोन में म्यूजिक लगा कर धीमी आवाज में सुनने लगा। दिनभर की भागमभाग में अवि थोड़ा थक चुका था। उसने सर आँखे मूंदी और सर पीछे झुका लिया अगले ही पल उसकी आँखों के सामने वो पल आ गए जब नैना उसके करीब थी। अवि का दिल फिर बैचैन हो उठा साथ ही फोन में चलते गाने ने उसकी बेचैनी को और बढ़ा दिया। अवि ने आँखे खोली और जैसे ही गाना बंद करने के लिए फोन की तरफ हाथ बढ़ाया एकदम से लाइट चली गयी। अवि उठा और कमरे से बाहर आया तो रिसोर्ट का मैनेजर अवि के पास आया और कहा,”सॉरी सर एक्चुअली वो फ्यूज उड़ गया है मैंने लड़के को बुलाया है 10-15 मिनिट में सही हो जाएगा , तब तक थोड़ा एडजस्ट कर लीजिये प्लीज”
“या इट्स ओके”,अवि ने कहा और वही बाहर घूमने लगा। चांदनी रात में वो रिसोर्ट काफी खूबसूरत लग रहा था साथ ही पूल का पानी भी आँखों को ठंडक पहुंचा रहा था।
बाहर मौसम भी काफी अच्छा था। अवि वही घूम रहा था कि उसे एकदम से नैना का ख्याल आया वह जैसे ही वापस कमरे की ओर जाने को हुआ मैनेजर आया और अवि की तरफ एक केंडल ग्लास बढाकर कहा,”सर जब तक लाइट नहीं आती आप ये रखिये”
“थोड़ा जल्दी करवा दीजिये प्लीज”,अवि ने कहा और वहा से चला गया।
“यार ये हम लोगो ने ठीक नहीं किया , हमे नैना को पिलाना नहीं चाहिए था। उसे चढ़ गयी है और अवि भी हम सबसे नाराज है”,रुचिका ने उदासी भरे स्वर में कहा तो मोंटी ने उसके हाथ पर हाथ रखा और उसे ज्यादा माइंड ना करने को कहा।
“एक काम करते है हम सब वापस रिसोर्ट चलते है , वहा चलकर अवि से माफ़ी मांग लेंगे”,मोंटी ने कहा
“हाँ ये सही रहेगा चलो चलते है , वैसे भी खाने का मूड तो अब किसी का है भी नहीं और अगर कुछ खाना हुआ तो रिसोर्ट में मिल जाएगा”,शीतल ने उठते हुए कहा। उसे उठते देखकर रुचिका और मोंटी भी उठ खड़े हुये लेकिन सार्थक वही बैठा रहा। शीतल जैसे ही जाने को हुई सार्थक ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”तुम सब रिसोर्ट क्यों जा रहे हो ? गोआ आने के बाद से ही हम सब साथ साथ है , ऐसे में अवि और नैना को साथ टाइम स्पेंड करने को भी नहीं मिला।”
“तुम क्या कहना चाहते हो हम उन दोनों के बीच आ रहे है ?”,मोंटी ने वापस सार्थक के बगल में बैठते हुए कहा
“नहीं मैं ये कह रहा हूँ क्यों ना आज की रात अवि और नैना को अकेला छोड़ दे,,,,,,,,,,वैसे भी हम लोग वहा गए तो हम सबको देखकर अवि भाई का मूड और खराब हो जायेगा।”,सार्थक ने कहा
“तब तक हम लोग क्या करेंगे ? क्या हम लोग पूरी रात बाहर रहने वाले है ?”,रुचिका ने हैरानी से अपनी आँखे बड़ी करते हुए कहा
“रूचि तुम कभी , समंदर किनारे खुले आसमान के नीचे सोई हो ?”,सार्थक ने उसकी बात का जवाब ना देखकर उस से सवाल करते हुए कहा
“हाँ,,,,,,,,,,,,नहीं कभी नहीं लेकिन अगर ऐसा हुआ तो बहुत एक्साइटिंग होगा न”,रुचिका ने चहकते हुए कहा
“चलो फिर आज कुछ एक्साइटिंग ही करते है , मैं यहाँ एक जगह जानता हु जहा ये सब अरेजमेंट्स मिल जायेंगे”,सार्थक ने उठते हुए कहा
“तुम्हे कैसे पता ? क्या तुम पहले भी गोआ आये हो ?”,मोंटी ने उठते हुए पूछा
“नहीं लेकिन मेरे जैसे मिडिल क्लास लड़के का सपना होता है कि वो अपनी जिंदगी में एक बार तो गोआ जरूर आये,,,,,,,,,,,,,,अब चलो चलते है”,सार्थक ने मोंटी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा और वहा से चला गया।
अवि कमरे में आया , कमरे में फैले अँधेरे को देखते हुए अवि ने उस भारी भरकम केंडल को जलाया और टेबल पर रख दिया फोन में अभी भी कोई गाना बज रहा था जिस पर अवि का ध्यान नहीं गया। उसने खिड़की की तरफ जाते हुए नैना को आवाज देते हुए कहा,”नैना यहाँ लाइट नहीं है , तुम अगर नहा चुकी हो तो बाहर आ जाओ”
“हाँ बस दो मिनिट”,नैना ने अंदर से कहा
अवि ने खिड़की के पास आकर दरवाजे खोल दिए जो की बाहर की तरफ खुल रहे थे। खिड़की से आती चाँद की दूधिया रौशनी से कमरा भर गया साथ ही ठंडी हवा के झोंको ने अवि को राहत पहुंचाई। अब उसे लाइट की कमी महसूस नहीं हो रही थी। खिड़की के पास खड़ा अवि आसमान
में चमकते चाँद को देखते हुए नैना के बारे में सोचने लगा। शादी के बाद अवि को नैना से कोई शिकायत नहीं थी बस नैना ने उस से कुछ वक्त माँगा था और अवि ने कभी उसे ना नहीं कहा। हवा के झोंके अवि के गालों को सहलाने लगे और बाल उड़कर उसके ललाट पर आने लगे। उसने अपने हाथो को बांधा और एकटक चाँद को देखने लगा। सहसा ही उसके कानो में नैना की कही बात गूंजने लगी “,”शशशशश पडोसी तुम्हे क्या लगता है मुझे तुम्हारी परवाह नहीं है ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे तुम्हारी बहुत फ़िक्र है बस मैं जता नहीं पाती,,,,,,,,,,,,,,और तुमसे बहुत प्यार भी है लेकिन मुझे दिखाना नहीं आता,,,,,,,,,,,,!””मुझे तुम्हे किस करना है,,,,,,,,,,,,,,,,अभी,,,,,,,,,,,,,!!”
नैना की कही बातें याद आते ही अवि के होंठो पर प्यारी सी मुस्कान तैर गयी। बाथरूम का गेट खुलने की आवाज से अवि की तंद्रा टूटी और उसने जैसे ही पलकर देखा एक पल के लिए उसके दिल ने जैसे धड़कने से इंकार कर दिया। उसकी आँखे खुली की खुली रह गयी। नैना कुछ ही दूर उसके सामने खड़ी थी उसने अवि का सफ़ेद रंग का शर्ट पहन रखा था सामने से दो बटन खुले और वह शर्ट नैना के घुटने से ऊपर तक आ रही थी। गीले बाल नैना के कंधो पर झूल रहे थे। उसकी आँखे अभी भी नशीली नजर आ रही थी और चेहरे पर एक अलग ही आकर्षण था। अवि खुद को नैना की तरफ जाने से रोक नहीं पाया। वह जैसे ही नैना के पास आया नैना के बालों से रिसते नीचे फर्श पर फैले पानी पर फिसल गया। वह जैसे ही गिरने को हुआ उसने नैना की कमर थाम ली और नैना को लेकर सीधा बिस्तर पर आ गिरा। इसे वक्त की नजाकत कहे या अवि के दिल के हालात बेड के पास रखे फोन में भी इस वक्त माहौल के हिसाब से गाना चल रहा था जो कि बहुत ही खूबसूरत था।
“ज़रा ज़रा बहकता है महकता है आज तो मेरा तन बदन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,खैर ये अवि नैना का पर्सनल मोमेंट है उन्हें डिस्टर्ब ना करते हुए आगे बढ़ते है।
नैना अवि के आगोश में थी और फिर उसकी पनाहों में बहते चली गयी।
चूँकि सार्थक का प्लान था इसलिए मोंटी , रुचिका , शीतल और सार्थक ने वो रात रिसोर्ट के बाहर ही बितायी। चारो रात भर सोये नहीं और बातें करते रहे। सार्थक के इस प्लान ने उनके ट्रिप को और भी खूबसूरत बना दिया था। सुबह चारो ने वही समंदर किनारे सूर्योदय देखा , कुछ तस्वीरें क्लिक की और फिर रिसोर्ट लौट आये। सभी अंदर चले आये नैना और अवि अपने कमरे में थे। शीतल और सार्थक भी फ्रेश होने अपने कमरे में चले गए। रुचिका कमरे में जाने लगी तो मोंटी को पूल साइड रुके देखकर कहा,”क्या हुआ चलो ?”
“तुम चलो मैं एक फ़ोन कॉल करके आता हूँ”,मोंटी ने कहा तो रुचिका मुस्कुरा कर वहा से चली गयी। कल रात से मोंटी के बॉस के 10 कॉल आ चुके थे। मोंटी उन्हें फोन लगाने का सोच ही रहा था कि तभी एक जानी पहचानी आवाज मोंटी के कानो में पड़ी,”तो तुम यहाँ हो मैंने आस पास की सब जगह छान मारी”
मोंटी ने जैसे ही सामने देखा देखकर थोड़ा हैरान रह गया सामने माला खड़ी थी। माला को अचानक से गोआ में देखकर मोंटी को काफी हैरत हुई वह कुछ कहता इस से पहले ही माला मोंटी के पास आयी और कहा,”आई नो मुझे यहाँ देखकर तुम थोड़ा शॉक्ड हो लेकिन मैं मजबुर थी। वो डील इतनी अच्छी थी कि मैं तुम से मिलने से खुद को रोक नहीं पायी। कैसे हो तुम ?”
“मैं मैं ठीक हूँ आप कैसी है ?”,मोंटी ने हिचकिचाते हुए पूछा
“मैं तुम्हारे सामने हूँ”,माला ने अपनी आँखों पर लगे ग्लासेज को उतारते हुए कहा। मोंटी ने देखा जींस टॉप में माला काफी आकर्षक लग रही थी उस पर उसकी प्यारी सी स्माइल और गहरी आँखे उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थी। मोंटी को एकटक अपनी ओर देखते पाकर माला ने उसके सामने हाथ हिलाते हुए कहा,”हेलो कहा खो गए ? क्या मैं इतनी सुंदर लग रही हूँ ?”
“आहहह नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,!”,मोंटी ने नजरे चुराते हुए कहा जैसे माला ने उसकी नजरो की चोरी पकड़ ली हो।
“तो क्या मैं सुन्दर नहीं लग रही ?”,माला ने मोंटी को घूरते हुए कहा
“अरे नहीं ! मेरा वो मतलब नहीं था,,,,,,,,,,,,,,आप बहुत सुंदर है,,,,,,,,,,,,मतलब लग रही है”,मोंटी ने माला की बातो में उलझते हुए कहा।
माला मोंटी के थोड़ा पास आयी और उसकी बांह पर हलके से मारते हुए कहा,”अरे मजाक कर रही हूँ , वैसे तुम गोआ अकेले आये हो या दोस्तों के साथ ?”
मोंटी कुछ कहता इस से पहले ही माला का फोन बजा और वह एक्सक्यूज मी बोलकर साइड चली गयी। मोंटी ने राहत की साँस ली और इधर उधर देखा की किसी ने उसे माला के साथ देखा तो नहीं। मोंटी वही खड़ा इस नयी मुसीबत के बारे में सोच ही रहा था कि तभी पानी में छपाक की आवाज आयी। मोंटी जल्दी से पूल साइड आया तो देखा माला पानी में डूब रही थी। मोंटी को कुछ समझ नहीं आया उसने मदद के लिए इधर उधर देखा लेकिन वहा कोई नहीं था इसलिए जल्दबाजी में वह खुद ही पानी में कूद गया और माला को डूबने से बचाया। हालाँकि पानी मोंटी के कमर से कुछ ऊपर तक ही था लेकिन माला फिर भी उसमे हाथ पैर मार रही थी। मोंटी ने उसे सम्हाला तो माला ने अपने हाथो को मोंटी के गले में डाल लिया और उस से चिपक गयी। बेचारा मोंटी उसकी तो हालत खराब हो गयी उसने देखा माला काफी डरी हुई है तो वह उसे सम्हालकर पानी से बाहर ले आया।
मोंटी को ढूंढते हुए रुचिका कमरे से बाहर आयी। वह जैसे ही पूल साइड आने लगी माला गश खाकर मोंटी की बांहो में गिर गयी। मोंटी माला के यहाँ आने से पहले ही परेशान था अब तो उसकी परेशानी और बढ़ गयी। मोंटी ने माला को गोद में उठाया और जैसे ही जाने लगा उसके कदम ठिठक गए। सामने रुचिका खड़ी थी और गुस्से से मोंटी को देख रही थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,बेचारा मोंटी शब्द उसके गले में ही अटक गए।
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संजना किरोड़ीवाल