Love You Zindagi – 13
झील किनारे अवि के साथ टहलते हुए नैना एकदम से अवि के सामने चली आयी। अवि ने देखा तो अपनी भँवे उचकाई लेकिन नैना ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि वह अवि के थोड़ा करीब आयी। चूँकि उसकी हाइट अवि से जरा सी कम थी इसलिए अपनी पंजों के बल थोड़ा ऊपर उठी और अपने होंठो से अवि के होंठो को छूकर कहा,”तुम बातें करते हुए बहुत खूबसूरत लगते हो”
नैना के इस तरह छूने से अवि को गर्मियों में भी सिहरन का अहसास हुआ वह खामोशी से एकटक नैना को देखने लगा और फिर उसके चेहरे को अपने हाथो में थामकर अपने होंठो को उसके होंठो से लगा दिया। झील किनारे खुले आसमान के निचे , दुनिया से बेखबर दोनों एक दूसरे में डूब गए। नैना और अवि का दिल एक ही लय में धड़क रहा था। ये शाम अवि के लिए अब तक की सबसे हसीन शाम थी। कुछ देर बाद अवि नैना से दूर हटा और नैना के हाथो को थामकर कहा,”Thankyou मुझे यहाँ लाने के लिए”
“अवि तुम ये डिजर्व करते हो , सिर्फ ये सब ही नहीं बल्कि तुम इस दुनिया की सारी खुशिया डिजर्व करते हो। अक्सर मैं ही तुम्हारी फीलिंग्स,,,,,,,,,,,,,”,नैना ने भावुक होते हुए कहा वह आगे कुछ कहती इस से पहले ही अवि ने उसकी बात काटते हुए कहा,”श्श्श्श मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है , तुम जैसी भी हो परफेक्ट हो , मुझे पसंद हो,,,,,,,,,,,,,,,,,बहुत बहुत बहुत ज्यादा पसंद हो”
अवि की बात सुनकर नैना मुस्कुराने लगी दोनों कुछ देर वही रुके और फिर घर जाने के लिए निकल गए। अवि और नैना गाड़ी के पास आये नैना जैसे ही ड्राइवर सीट की तरफ जाने लगी तो अवि ने उसे रोकते हुए कहा,”नैना गाड़ी मैं चला लेता हूँ”
“ठीक है अवि”,कहकर नैना जैसे ही जाने लगी अवि ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”तुमने आज एक बार भी मुझे पडोसी कहकर नहीं पुकारा नैना”
अवि की बात सुनकर नैना हल्का सा मुस्कुराई और उसकी तरफ पलटकर कहा,”मुझे शुरू से ही तुम्हे “अवि” कहकर बुलाना अच्छा नहीं लगता था इसलिए मैं तुम्हे “पडोसी” कहकर बुलाती थी। इस “पडोसी” शब्द में जितना फील है उतना “अवि’ में नहीं और वैसे भी “अवि” तो तुम्हे कोई भी कहकर बुला सकता है लेकिन मुझे लगता लगता है इस “पडोसी” शब्द पर सिर्फ मेरा हक़ है। तुम्हे मेरा पडोसी कहकर बुलाना अच्छा नहीं लगता था इसलिए मैंने तुम्हे अवि कहकर बुलाना शुरू कर दिया जो की मेरे लिए काफी मुश्किल है और फीका भी,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
अवि को अहसास हुआ अनजाने में ही सही उसने नैना का दिल दुखाया है वह नैना के पास आया और कहा,”मुझे पसंद हो या ना हो तुम आज के बाद मुझे सिर्फ पडोसी कहकर ही बुलाओगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे भी मुझे वो नैना ज्यादा पसंद है जो मुझे तंग करती है ये बदली हुई नैना मुझे ख़ुशी तो दे रही है लेकिन कही ना कही कुछ अधूरा लग रहा है। प्लीज वापस पहले जैसी बन जाओ मुझे अच्छा नहीं लग रहा,,,,,,,,,,,,,प्लीज”
“सोच लो,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने चेतावनी भरे स्वर में कहा
“हाँ सोच लिया”,अवि ने कहा बस फिर क्या था नैना ने पल्लू का पिन निकाला साड़ी उतारी। उसने जींस पर साड़ी पहनी थी , ब्लाउज की जगह शार्ट टॉप था उस पर नैना ने गाड़ी की पिछली सीट पर रखी जैकेट उठाकर पहनी और उसके बाजू चढ़ा लिए। खुले बालों को उसने समेटा और जुड़ा बना लिया और हमेशा की तरह आगे के कुछ बाल माथे पर झूलने लगे। अवि हक्का बक्का सा नैना को देखे जा रहा था। नैना फटाफट अपने पहले वाले अवतार में आ गयी और कहा,”चले पडोसी ?”
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं कोई सपना देख रहा हूँ”,अवि ने खोये हुए स्वर में कहा
“अब चलो भी सपने देखने के लिए तुम्हे पहले घर चलकर सोना पडेगा”,नैना ने कहा और गाड़ी का दरवाजा खोलकर अंदर जा बैठी।
“आह्ह कुछ देर पहले ये लड़की मुझे दुनिया की सबसे खूबसूरत और प्यारी लड़की लग रही थी और एकदम से इसने सब बदल दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर तुम्हारा कोई भी रूप हो नैना मुझे सब पसंद है”,अवि खुद में बड़बड़ाया और ड्राइवर सीट पर आ बैठा। उसने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी। नैना सीट पीछे करके सर टिका लिया और पैरो को डेशबोर्ड से लगा लिया। अपनी साइड की खिड़की खोल ली जिस से ठंडी हवा के झोंके उसके गालों को सहला रहे थे। कुछ देर पहले ही नैना ने लजीज डिनर किया था लेकिन उसे फिर भूख सताने लगी उसने यहाँ वहा चेक किया तो पीछे बैग में रखा चिप्स का पैकेट उसे मिल गया। नैना को और क्या चाहिए था उसने दोनों हाथो से पैकेट को खोलने के लिए जैसे ही खींचा वो फट गया और आधे चिप्स बाहर आ गिरे कुछ अवि पर भी। अवि ने नैना की तरफ देखा तो नैना ने अवि के पास गिरे चिप्स को उठाते हुए कहा,”सॉरी,,,,,,,,,,,,तुम खाओगे “
“नो थैंक्यू”,अवि ने सहजता से कहा
नैना ने सर फिर सीट से लगाया और चिप्स खाने लगी अवि ने एक नजर उसे देखा और मुस्कुरा दिया। गाड़ी में फैली ख़ामोशी को तोड़ने के लिए नैना ने म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया। आते वक्त जितना रोमांटिक गाना उसने अवि को सुनाया था वापसी में उसका उलटा हुआ। म्यूजिक सिस्टम पर “उड़ता पंजाब” गाना चलने लगा। गाना चलने तक तो ठीक था लेकिन हमारी नैना तो उस गाने को साथ साथ गा भी रही थी। अवि ने आवाज थोड़ी धीमी की और नैना की तरफ पलटकर कहा,”अभी थोड़ी देर पहले तुम काफी मेच्योर , इनोसेंट और रोमांटिक लग रही थी और अभी एकदम से उसका उलटा,,,,,,,,,,,,,,,सेड से एकदम हैप्पी तुम ये सब कैसे कर लेती हो ? ये करना बहुत मुश्किल है”
“देट्स व्हाई आई ऍम नैना बजाज”,नैना ने बेपरवाही से अवि की तरफ देखते हुए कहा
अवि ने नैना को अपनी तरफ किया और उसका सर चूमकर कहा,”मिसेज नैना अवि चौधरी”
“आई नो शादी नाम की चरस बो रखी है मैंने अपनी जिंदगी में,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने कहा तो अवि ने उसकी बाँह पर हलके हाथ से मारा और कहा,”कुछ भी बोलती हो तुम”
नैना मुस्कुराने लगी और गाने की आवाज को फिर तेज कर दिया।
बीकानेर , राजस्थान
मधु की बातों से हर्ट होकर रुचिका अपने फ्लेट पर चली आयी। रात के 10 बज रहे थे रुचिका ने अपना बैग रखा और फ्रेश होने चली गयी। रुचिका फ्रेश होकर आयी तो उसे भूख सताने लगी। बाहर उसने डिनर भी नहीं किया था इसलिए रुचिका किचन एरिया में चली आयी वहा बस कुछ फ्रूट्स थे और एक पैकेट नूडल्स,,,,,,,,,,,,,,,रुचिका ने मुंह बना लिया लेकिन भूख लगी थी ऐसे में उसे कुछ तो खाना ही था। वह किचन एरिया से बाहर चली आयी और अपना फोन उठाकर ऑनलाइन आर्डर करने लगी लेकिन आर्डर करते वक्त रुचिका ने देखा की उसके अकाउंट में पैसे बिल्कुल भी नहीं है लास्ट शॉपिंग के टाइम उसने सब खर्च कर दिया था। रुचिका ने हताश होकर फोन वापस टेबल पर रख दिया और कुर्सी खिसकाकर उस पर बैठ गयी। वह कुछ देर बैठी फोन को घूरते रही और फिर फोन हाथ में लेकर खुद में ही बड़बड़ाई,”मोंटी को फोन कर देती हूँ वो आते वक्त मेरे लिए खाने को कुछ ले आएगा,,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं मोंटी को फोन करना सही नहीं रहेगा,,,,,,,,,,,,,,वैसे भी वो किसी और के साथ बिजी है,,,,,,,,,,,,,,,पर रुचि क्या तुम्हारा मोंटी पर यू आँख बंद करके भरोसा करना ठीक है ?,,,,,,,,,,,आई मीन है तो वो भी एक लड़का ही ना , कभी ना कभी फिसल ही जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है ये मधु की बातो ने मुझे उलझा दिया है। मोंटी ने कहा था आज शाम वो किसी मीटिंग में जा रहा है हो सकता है वो लड़की भी उसी मीटिंग का हिस्सा हो,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे मोंटी के बारे में ऐसा नहीं सोचना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मुझे अपने बारे में सोचने की जरूरत है , मुझे भूख लगी है और खाने को कुछ भी नहीं,,,,,,,,लगता है आज रात एक पैकेट नूडल से ही काम चलाना पडेगा”
रुचिका हिम्मत करके उठी और किचन एरिया में चली आयी उसने अपने लिए नूडल्स उबाले और साथ में कुछ उबली हुई सब्जिया लेकर वह वापस डायनिंग टेबल पर आ बैठी। रात का खाना रुचिका हमेशा मोंटी के साथ ही खाया करती थी इसलिए आज अकेले खाना उसे थोड़ा अजीब लग रहा था। खाते खाते रुचिका को फिर से होटल पार्किन की याद आ गयी जहा मोंटी उस लड़की के साथ खड़ा था। रुचिका नहीं चाहती थी वह मोंटी के बारे में कुछ भी गलत सोचे लेकिन ये ख्याल उसका पीछा नहीं छोड़ रहे थे। उसने कुछ खाया और बाकी छोड़कर हाथ धोने चली गयी।
11 बजने को आये लेकिन मोंटी अभी तक घर नहीं आया था। रुचिका ने मोंटी को फोन लगाया लेकिन मोंटी ने रुचिका का फोन काट दिया जिस से रुचिका पहले से ज्यादा अपसेट हो गयी। उसने घडी में टाइम देखा और अपना लेपटॉप लेकर सोफे पर आ बैठी। रुचिका ने जैसे ही लेपटॉप खोला बेल बजी। रुचिका ने लेपटॉप साइड में रखा और दरवाजा खोला सामने मोंटी खड़ा था। रुचिका का उतरा हुआ चेहरा देखकर मोंटी ने कहा,”तुम सो रही थी क्या ?”
“नहीं , अंदर आ जाओ”,रुचिका ने साइड होकर कहा। मोंटी अंदर चला आया उसने अपने जूते निकाले और बैग साइड में रखते हुए कहा,”मैं फ्रेश होकर आता हूँ”
रुचिका वापस सोफे पर आ बैठी उसका काम करने का मन नहीं था इसलिए उसने लेपटॉप उठाकर साइड में रख दिया। कुछ देर बाद मोंटी ट्राउजर और टीशर्ट में बाहर आया। डायनिंग के पास से गुजरते हुए उसकी नजर वहा रखे अधूरे खाने पर पड़ी तो उसने रुचिका के पास आकर पूछा,”तुमने अपने लिए नूडल्स बनाये पर तुमने तो कहा था कि तुम मधु के साथ डिनर पर जा रही हो ?”
“हाँ लेकिन मेरा मन नहीं था तो मैं घर चली आयी”,रुचिका ने बुझे स्वर में कहा
मोंटी उसके पास आया और उसका सर छूकर देखते हुए कहा,”क्या हुआ तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना रूचि ? तुम काफी लो साउंड कर रही हो,,,,,,,,,,,,,,तुमने खाना भी नहीं खाया है शायद,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हारे लिए कुछ बना दू:”
“जब हसबेंड का बाहर चक्कर चलने लगे तो उनका प्यार और परवाह वाइफ के लिए एकदम से बढ़ जाती है”,मोंटी को अपनी परवाह करते देखकर रुचिका के जहन में मधु की कही बात कौंधी और उसने मोंटी का हाथ साइड करते हुए कहा,”तुम्हारी मीटिंग कैसी रही ?”
“बहुत अच्छी थी,,,,,,,,,,,,,,,,इन्फेक्ट अब तक की सबसे बेस्ट मीटिंग थी वो”,मोंटी ने खुश होकर कहा
“जिसका डर था वही हुआ रूचि,,,,,,,,,,,,,,,,बेस्ट मीटिंग तो होगी ही वो महारानी जो थी साथ में,,,,,,,,,,,,,,,,अब तो लगता है जैसे कही मधु की बात सच ना हो,,,,,,,ये सब लड़के एक जैसे ही होते है”,रुचिका ने मन ही मन परेशान होते हुए खुद से कहा
“क्या हुआ कहा खोयी हो ? मैं तुम्हारे लिए कुछ बना देता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,एक काम करता हूँ बाहर से आर्डर कर देता हूँ”,मोंटी ने जेब से अपना फोन निकालते हुए कहा
“नहीं रहने दो मुझे भूख नहीं है मोंटी”,रुचिका ने कहा
“अच्छा ठीक है कॉफी पिओगी तुम ? मैं अपने लिए बनाने जा रहा हूँ”,मोंटी ने कहा
“तुम बैठो मैं बना देती हूँ”,रुचिका ने उठते हुए कहा तो मोंटी ने उसके कंधो पर हाथ रखकर उसे वापस बैठाया और कहा,”अरे इट्स ओके मैं बना लेता हूँ वैसे भी तुम्हारा मूड ऑफ है कही तुमने चीनी की जगह उसमे नमक डाल दिया तो खामखा मुझे नमकीन कॉफी पीनी पड़ेगी”
मोंटी ने रुचिका का मूड ठीक करने के लिए जोक मारा लेकिन रुचिका को देखकर कहा,”क्या ये बेड जोक था ?”
“बहुत ही बुरा”,रुचिका ने कहा
“हो सकता है लेकिन मेरी बनाई कॉफी नहीं मैं अभी लेकर आता हूँ”,कहते हुए मोंटी किचन एरिया की तरफ चला गया। रुचिका ने अपना सर पीछे सोफे के हत्थे पर लगा लिया। किचन एरिया में खड़ा मोंटी गुनगुनाते हुए कॉफी बना रहा था आज उसके चेहरे पर एक अलग ही ख़ुशी और आँखों में चमक नजर आ रही थी। मोंटी के गुनगुनाने ने रुचिका का ध्यान अपनी तरफ खींचा तो वह उसे देखने लगी और मन ही मन खुद से कहने लगी,”
हे मातारानी ! मैं जो सोच रही हूँ वैसा कुछ भी ना हो,,,,,,,,,,,लेकिन आज से पहले तो मोंटी को इतना खुश कभी नहीं देखा मैंने , कभी इसे गुनगुनाते हुए भी नहीं सूना,,,,,,,,,,,,,,,,,एक ही मुलाकात में ऐसा क्या जादू कर दिया उस लड़की ने इस पर,,,,,,,,,,,,,,ज़रा देखो इसे कितना चहक रहा है”
“तुम्हारी कॉफी,,,,,,,,,,,,,!”,मोंटी ने रुचिका के सामने कॉफी मग रखते हुए कहा तो रुचिका की तंद्रा टूटी और उसने कप उठाते हुए कहा,”थेंक्यू !”
मोंटी भी उसके सामने पड़े सोफे पर बैठ गया और कॉफी का एक घूंठ भरते हुए कहा,”आज मेरी नैना से बात हुयी थी तुम यकीन नहीं करोगी रूचि वो लड़की सच में बदल गयी है। आज वो अवि के लिए कॉफी बना रही थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो लड़की जो टी लवर है अपने पति के लिए कॉफी बना रही थी। उसे छेड़ने में मुझे बड़ा मजा आया लेकिन”
“वो दोनों है ही इतने प्यारे नैना जितनी बोल्ड और गुस्सैल है अवि बेचारा उतना ही शांत और स्वीट”,रुचिका ने कॉफी पीते हुए कहा
“मुझे उस से मिलना है यार , वो इतनी दूर जाकर बस गयी है ना की मिलना भी पॉसिबल नहीं है”,मोंटी ने कहा
“मिस तो मैं भी बहुत करती हूँ उसे आज ही उस से बात हुई थी मेरी,,,,,,,,,,,,!!”,रुचिका ने कहा
“अच्छा क्या कहा उसने ? पक्का वो अपने पडोसी की शिकायते कर रही होगी तुम से,,,,,,,,,,,,,,,,,गॉसिप करना तो लड़कियों का फेवरेट काम है”,मोंटी ने हँसते हुए कहा लेकिन पता नहीं क्यों रुचिका को ये बात खटक गयी उसने कप टेबल पर रखा और वहा से चली गयी।
“हे रूचि ! अरे मैं बस मजाक कर रहा था,,,,,,,,सुनो तो”,मोंटी ने आवाज दी लेकिन रुचिका ने नहीं सूना और चली गयी
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
शीतल किचन में सुबह का नाश्ता बना रही थी। मिस्टर शर्मा बाहर टहलने गए हुए थे आज उनके ऑफिस की छुट्टी थी और सार्थक अपने ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था। मिसेज शर्मा अभी अभी मंदिर से वापस आयी थी उन्होंने पूजा की टोकरी रखी और सीधे किचन में चली आयी। शीतल पराठे सेंक रही थी मिसेज शर्मा भी उसकी मदद करने लगी और कहा,”तुम ना अच्छे से खाया करो मैंने देखा है तुम ठीक से खाना नहीं खाती हो। आजकल लड़किया फिगर बनाने के चक्कर में कुछ भी नहीं खाती है लेकिन तुमको ऐसा नहीं करना है खूब घी , दूध , दही खाओ अरे तभी ना बच्चा स्वस्थ और तंदुरुस्त पैदा होगा”
मिसेज शर्मा की बात सुनकर शीतल के हाथ रुक गए उसे लगा उस दिन के बाद से मिसेज शर्मा इस बात को भूल गयी है लेकिन आज सुबह सुबह ही उन्होंने फिर से शीतल के सामने इस बात का जिक्र कर दिया।
“अरे बेटा ध्यान कहा है तुम्हारा देखो सारा पराठा जल गया है , तुम एक काम करो तुम बैठो मैं बना देती हूँ”,मिसेज शर्मा ने कहा
“नहीं माँ ठीक है मैं बना लुंगी”,शीतल ने कहा
“अपना ख्याल रखा करो बेटा,,,,,,,,,,,,,,,आजकल तुम कुछ ज्यादा ही सोचने लगी हो। अच्छा शीतल वो मैं तुमसे ये कह रही थी कि कल तुम्हे व्रत रखना होगा तुम रख लोगी ना ?”,मैसज शर्मा ने कहा
“कैसा व्रत माँ ?”,शीतल ने पूछा क्योकि इन दिनों ऐसा कोई व्रत नहीं था जिसकी जानकारी शीतल को ना हो
“अरे ये इच्छापूर्ण माता का व्रत है , इसे करने से संतान प्राप्ति होती है और तो और पहले साल ही बेटा पैदा होता है। हमारे अपार्टमेंट की कितनी ही शादीशुदा लड़किया करेगी इसलिए तुम भी कर लो क्या पता इस साल माँ हमारी प्रार्थना सुन ले और घर में खुशखबरी आये”,मिसेज शर्मा ने कहा
“माँ मैंने आपको बताया ना अभी मैं ये सब जिम्मेदारियां नहीं उठा सकती। मैंने सार्थक से अपनी कत्थक क्लास के बारे में बात की थी और उन्होंने परमिशन भी दे दी ऐसे में बच्चा करना मुझे अभी थोड़ा सही नहीं लग रहा”,शीतल ने पहली बार अपने मन की बात मिसेज शर्मा के सामने रखी लेकिन शीतल की बात सुनते ही मिसेज शर्मा का मुंह बन गया
“मतलब हम सब तो गलत है , देखो बेटा आज कल के माहौल को देखते हुए शादी के तुरंत बाद बच्चा हो जाये तो बेहतर है वरना बाद में सोसायटी में लोग तरह तरह की बातें बनाने लगते है। मैं उम्र में तुम से बड़ी हूँ मैंने तुमसे ज्यादा दुनिया देखी है। शादी के बाद माँ बनना ही हम औरतो के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है , इसी से उसका मान सम्मान है और समाज में इज्जत,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरी बाते ठंडे दिमाग से सोचना और हाँ कल सुबह 5 बजे उठ जाना व्रत के लिए,,,,,,,,,,,,,,मैं ज़रा शर्मा जी को देख लू कहा रह गए अभी तक आये नहीं”,कहते हुए मिसेज शर्मा किचन से बाहर चली गयी।
मिसेज शर्मा की बातो से शीतल का मन उचट गया उसने गैस बंद कर दिया और उनकी कही बातो के बारे में सोचने लगी
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संजना किरोड़ीवाल