Love You Zindagi – 10
बीकानेर , JM कम्पनी
माला को होटल छोड़कर मोंटी बॉस की कार लेकर सीधा ऑफिस चला आया। आज उसका मूड रोजाना से काफी ज्यादा अच्छा था। माला से उसकी पहली मुलाकात भी काफी अच्छी रही। मोंटी ने अपना बैग अपने टेबल पर रखा और सीधा बॉस के केबिन में चला आया। मोंटी ने कार की चाबी उनके सामने रखते हुए कहा,”बॉस मैंने माला जी को होटल छोड़ दिया है और उन्होंने कहा है वो शाम की मीटिंग में आपसे मिलेगी”
“थैंक्यू मानव ! आज तुम काफी एक्टिव लग रहे हो,,,,,,,,,,,,,,,वैरी गुड ऐसे ही रहा करो इस कम्पनी को ऐसे ही लोगो की जरूरत है। रास्ते में कोई तकलीफ तो नहीं हुई ? देखो मिस माला हमारी खास मेहमान है और इस कम्पनी के साथ एक बहुत बड़ी डील करने वाली है सो ध्यान रहे कि उन्हें किसी तरह की तकलीफ बिल्कुल ना हो”,बॉस ने कहा
“ओके बॉस , मैं चलता हूँ”,मोंटी ने कहा और जाने लगा तो बॉस ने कहा,”अच्छा मानव सुनो वो आज शाम की मीटिंग के लिए एक बढ़िया होटल में मीटिंग रूम बुक कर दो , आज शाम की मीटिंग वही रखेंगे”
“लेकिन हमारे पास कम्पनी में बढ़िया मीटिंग रूम है , फिर बाहर क्यों ?”,मोंटी ने हैरानी से कहा
“इस कम्पनी का बॉस कौन है ?”,बॉस ने मोंटी को देखकर पूछा
“आप”,मोंटी ने सहजता से जवाब दिया
“और इस कम्पनी में तुम्हारी पोस्ट क्या है ?”,बॉस ने फिर सवाल किया
“जूनियर मैनेजर”,मोंटी ने इस बार भी सहजता से कहा
“तो तुम बार बार ये क्यों भूल जाते हो कि कम्पनी का बॉस जूनियर मैनेजर से बड़ा होता है , ये कम्पनी तुम्हारी है या मेरी ? तुमसे जितना कहा है उतना करो,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए बॉस हल्का सा चिल्ला उठा
“ओके बॉस,,,,,,,,,,,!!”,कहकर मोंटी जाने लगा तो उन्होंने कहा,”और हां आज की मीटिंग में तुम साथ रहोगे,,,,,,,,,,,,आज क्या अब से एक हफ्ते के लिए सीनियर मैनेजर का काम भी तुम ही सम्हालोगे वो एक हफ्ते के लिए छुट्टी पर है”
“क्या ? ललित जी एक हफ्ते की छुट्टी कैसे ले सकते है ?”,मोंटी ने हैरानी से कहा
“तुम्हे अगर प्रॉब्लम है तो मैं दूसरा सीनियर मैनेजर अपॉइंट कर सकता हूँ , साथ में जूनियर भी,,,,,,,,,,,,!!”,बॉस ने कहा
मोंटी ने सूना तो मन ही मन में बॉस को 100 गालिया दे डाली और बाहर से खुद को शांत रखते हुए कहा,”मैं कर लूंगा सर”
“गुड नाउ यू गो”,बॉस ने कहा और अपने लेपटॉप में लग गए। मोंटी उतरा हुआ चेहरा लिए वापस बाहर चला आया। ऑफिस आने से पहले वह जितना खुश था बॉस की बातें सुनकर वो ख़ुशी दो मिनिट में छू मंतर हो गयी। मोंटी आकर अपनी कुर्सी पर बैठा और अपने लिए एक कप कॉफी आर्डर की। लड़का कॉफी रखकर चला गया। मोंटी ने कप उठाया और पीने लगा कुछ देर बाद ही उसका फोन बजा मोंटी ने देखा फोन रुचिका का है तो उसने फोन उठाकर कान से लगाया और कहा,”हाँ रूचि बोलो”
“तुम ऑफिस आ गए ?”,रुचिका ने पूछा
“हम्म्म ऑफिस में ही हूँ”,मोंटी ने कॉफी पीते हुए कहा
“तुमने ब्रेकफास्ट किया ना ?”,रुचिका ने मोंटी की परवाह जताते हुए कहा तो मोंटी मुस्कुरा उठा उसे अच्छा लगा कि रुचिका को उसकी इतनी फिकर है। उसने कहा,”नहीं अभी कॉफी पी रहा हूँ दोपहर में लंच कर लूंगा।”
“ठीक है शाम में मिलते है”,रुचिका ने कहा
“रूचि मुझे आने में थोड़ी देर हो जाएगी , बॉस ने एक मीटिंग रखी है आज शाम में तो तुम मेरा इतंजार मत करना शायद डिनर में बाहर ही कर लू”,मोंटी ने लगभग अपनी कॉफी खत्म करते हुए कहा
“हाँ हाँ कोई बात नहीं , एन्जॉय”,रुचिका ने कहा और कुछ देर बाद फोन काट दिया। रुचिका से बात करके मोंटी का मूड थोड़ा ठीक हो गया। रुचिका कभी उस से देर से आने के बारे में या ऑफिस से जुड़े ज्यादा सवाल जवाब नहीं करती थी और यही बात मोंटी को पसंद थी। मोंटी ने फोन साइड में रखा और फिर शाम की मीटिंग को लेकर काम करने लगा क्योकि बॉस ने जूनियर मैनेजर के साथ साथ अब सीनियर मैनेजर ललित की जिम्मेदारी भी उस पर डाल दी थी।
चंडीगढ़ , चौधरी हॉउस
नैना ने फोन सामने ड्रेसिंग पर रखा और फिर विपिन जी उसे साड़ी कैसे पहननी है ये सिखाने लगे। जैसे जैसे विपिन जी ने बताया वैसे वैसे नैना साड़ी पहनते गयी। नैना बीच बीच में गड़बड़ करती तो विपिन जी दबी आवाज में उसे डांट भी दे रहे। आख़िरकार जैसे तैसे नैना ने साड़ी पहन ही ली और वो उस साड़ी में बहुत प्यारी लग रही थी। विपिन जी ने देखा तो साड़ी लपेटे हुए फोन के सामने कुर्सी पर आ बैठे और बड़े प्यार से नैना को देखते हुए कहा,”तुम कितनी प्यारी लग रही हो नैना”
“ओह्ह्ह थैंक्यू डेड”,नैना ने भी ड्रेसिंग के सामने बैठते हुए कहा
“तुम्हारी बड़ी याद आ रही है बेटा जी , कितने दिन हो गए तुम मिलने भी नहीं आयी। पता है बेटा जी इस घर में असली रौनक ना तुम्हारे होने से थी अब तो ये घर बस सूना सूना लगता है,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,विपिन जी ने कहा
“आई मिस यू टू डेड , पता है यहा सब अच्छा है पडोसी , उसके मॉम-डेड सब बस आप नहीं हो,,,,,,,,,,,,,,बाय द वे आपको ही मेरी शादी की जल्दी थी”,नैना ने अपने कानों में झुमके पहनते हुए कहा
“हर बाप का सपना होता है उसकी राजकुमारी की शादी हो , मेरा भी था और अवि जैसा दामाद पाकर तो मैं सच में बहुत खुश हूँ वो बहुत अच्छा लड़का है”,विपिन जी ने अवि की तारीफ करते हुए कहा
“लेकिन आपको नहीं पता वो कितना खड़ूस और अजीब है”,नैना ने हाथो में मैचिंग चूडिया पहनते हुए कहा
“ऐसा तुम्हे लगता है नैना जैसे जैसे तुम उसके साथ वक्त बिताओगी वो तुम्हे और ज्यादा पसंद आने लगेगा , इतना कि उसके बिना तुम्हे ये दुनिया बेकार लगेगी”,विपिन जी ने कहा
“ओह्ह्ह कम ऑन डेड अब ये किताबी बातें बंद कीजिये,,,,,,,,,,!!”,नैना ने कहा
“वैसे अजीब तो वो है थोड़ा,,,,,,,,,,,,,जब मैं उसे पहली बार मिला था तब मैंने उसे लड़की पटाने का आइडिआ दिया था और मुझे नहीं पता था वो लड़की तुम हो!!”,विपिन जी ने दबी आवाज में कहा तो नैना हसने लगी लेकिन विपिन जी और नैना दोनों इस बात को एन्जॉय कर पाते इस से पहले ही कमरे में
आराधना जी आयी और विपिन जी को साड़ी में लिपटे देखकर कहा,”ये आप साड़ी पहनकर यहाँ क्या कर रहे है ?”
“हे आरु नैना विडिओ कॉल पर है जरा देखो उसे आज उसने साड़ी पहनी है और वो कितनी ब्यूटीफुल लग रही है”,विपिन जी ने खुश होकर कहा
आराधना खुश होकर विपिन जी के बगल में आ बैठी और नैना को देखकर उसकी बलाये लेते हुए कहा,”सच में तुम बहुत प्यारी लग रही हो नैना लेकिन आज ये सूरज पश्चिम से निकला है क्या ?”
“क्यों मॉम ?”नैना ने अपने बाल बनाते हुए कहा
“तुमने आज साड़ी पहनी है , मुझे तो यकीन नहीं हो रहा। वैसे तुम कही बाहर जा रही हो क्या ?”,आराधना जी ने पूछा
“या मॉम वो पडोसी के साथ,,,,,,,,,,,,,,,,आई मीन अवि के साथ बाहर जाना है”,नैना ने अपनी जबान को लगाम लगाते हुए बहुत ही शालीनता से कहा
“नैना सुधर जाओ,,,,,,,,,,,,,,पति है वो तुम्हारा ये क्या तुम जब देखो तब पडोसी पडोसी कहते रहती हो,,,,,,,,,,,,,,,!!”,आराधना नेनैना को घूरते हुए कहा
नैना तैयार हो चुकी थी उसने घडी में टाइम देखा शाम के 7 बज रहे थे उसे जाना था इसलिए उसने उठते हुए कहा,”ये तो कुछ भी नहीं है मॉम डेड तो कुछ देर पहले उसे अजीब और खड़ूस बोल रहे थे”
“हाँ क्या विपिन जी ये क्या सुन रही हूँ मैं ?”,आराधना ने विपिन जी को घूरते हुए पूछा
“अरे बेटा जी ये क्या मुझे क्यों फंसा रही हो ?”विपिन जी ने कहा तो नैना ने अपना फोन उठाया और हाथ की उंगलियों से दोनों को फ्लयिंग किस देते हुए कहा,”बाय डेड , बाय मॉम एन्जॉय”
नैना ने विडिओ कॉल बंद किया एक नजर शीशे में खुद को देखा आज वह रोजाना से भी ज्यादा प्यारी और खूबसूरत लग रही थी। उसने शीशे में खुद को देखते हुए हवा में एक किस किया और वहा से चली गयी।
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
शीतल किचन में थी , मिस्टर शर्मा और सार्थक दोनों ही अपने ऑफिस से आ चुके थे। दोनों हॉल में थे और मिसेज शर्मा भी हॉल में चली आयी उनकी तबियत में अब सुधार था। शीतल सबके लिए शाम की चाय लेकर आयी। सबने चाय ली और शीतल भी अपना कप लेकर वही बैठ गयी। चाय पीते हुए शर्मा जी ने अपनी जेब से दो कागज निकाले और सार्थक की तरफ बढाकर कहा,”आज ऑफिस की तरफ से ये दो पास मिले थे , अब मैं तो इस उम्र में थियेटर जाने से रहा तो क्यों ना तुम और बहू जाकर आओ। अच्छी फिल्म लगी है”
“लेकिन पापा माँ की ताबियत ठीक नहीं है और फिर मुझे खाना भी बनाना है,,,,,,,,,,,!”,शीतल ने कहा
“उसकी चिंता तुम मत करो मैं अब ठीक हूँ और हम दोनों कितना ही खाएंगे , शर्मा जी है ना ये बना लेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,क्यों शर्मा जी ?”,मिसेज शर्मा ने कहा
“हाँ हाँ बिल्कुल , अरे शीतल बेटा कभी तुम मेरे हाथ का खाना खाकर देखना सब भूल जाओगी”,शर्मा जी ने हँसते हुए कहा तो शीतल मुस्कुरा उठी
“जाओ तुम जाकर तैयार हो जाओ”,मिसेज शर्मा ने कहा तो शीतल ख़ुशी ख़ुशी उठकर अपने कमरे में चली गयी। सार्थक भी चाय पीकर फ्रेश होने चला गया। शो रात 9 बजे का था सार्थक और शीतल तैयार होकर घर से 8 बजे निकल गए। शीतल कॉम्फर्टेबल रहे इसलिए सार्थक ने उस से सूट पहनने को कहा। शीतल ने भी सार्थक की पसंद का सूट पहना और हल्का मेकअप कर लिया
सार्थक शीतल के साथ अपनी बाइक पर फिल्म देखने चल पड़ा। आज कई दिनों बाद दोनों बाहर जा रहे थे। शीतल का एक हाथ सार्थक के कंधे पर था और दूसरे में छोटा पर्स था। शादी के बाद सार्थक ने शीतल की हर इच्छा पूरी की साथ ही शीतल भी समझदार थी इसलिए उसने कभी ऐसी कोई इच्छा जाहिर भी नहीं की जिसे सार्थक पूरी ना कर सके। बाइक चलाते हुए सार्थक ने अपने कंधे पर रखे शीतल के हाथ को थामा और अपनी कमर से लगा लिया। सार्थक की इस हरकत पर शीतल मुस्कुरा उठी। दोनों हँसते मुस्कुराते बाते करते थियेटर पहुंचे। टिकट कन्फर्म की और फिर अंदर जाने लगे तभी सार्थक को कुछ याद आया और उसने शीतल से कहा,”एक मिनिट मैं पॉपकॉर्न लाना तो भूल ही गया , शीतल तुम यही रुको मैं अभी आया”
“हम्म्म जल्दी आना”,शीतल ने मुस्कुरा कर कहा और वही साइड में खड़ी हो गयी। फिल्म शुरू होने वाली थी इसलिए सभी एक एक करके अंदर जाने लगे। शीतल अंदर जाने वाले दरवाजे से लगकर ही खड़ी थी , भीड़ बढ़ने की वजह से वह साइड हो गयी कुछ देर बाद एक लड़का अपना कंधा उसके कंधे से टकरा कर आगे बढ़ गया। शीतल को एक अजीब सा अहसास हुआ , लगा जैसे वह उस लड़के को जानती है। शीतल हैरानी से देखने लगी तो लड़का पीछे पलट गया। अब वह बिल्कुल शीतल के सामने था उसे देखते ही शीतल के चेहरे से ख़ुशी गायब हो गयी और आँखों में डर और बेचैनी के भाव उभर आये। सामने खड़ा लड़का कोई और नहीं बल्कि राज था,,,,,,,,,,,,,,,,शीतल का पुराना प्रेमी।
डर और घबराहट के मारे शीतल का दिल जोरो से धड़कने लगा और माथे पर पसीने की बुँदे उभर आयी। राज ने कुछ नहीं कहा वह बस एकटक शीतल को देखे जा रहा था और शीतल ये सोचकर परेशान हो रही थी कि कही सार्थक राज को यहाँ ना देख ले। शीतल ने साइड में देखा तो उसे दोनों हाथो में पॉपकॉर्न और कोल्ड ड्रिंक केन पकडे सार्थक आता दिखाई दिया। सार्थक को अपनी तरफ आते देखकर शीतल और परेशान हो गयी। सार्थक राज को ना देख ले सोचकर शीतल वहा से हटी और एकदम से सार्थक के सामने आ गयी। शीतल को ऐसे देखकर सार्थक ने मुस्कुराते हुए कहा,”क्या हुआ ? मैं बस आ ही रहा था , लगता है फिल्म शुरू हो गयी है चलो चलते है”
“सार्थक घर चलते है”,शीतल ने एकदम से कहा
“घर ? लेकिन हम दोनों तो यहाँ मूवी देखने आये है ना , घर क्यों जाना है ?”,सार्थक ने पूछा
“वो मुझे यहाँ थोड़ा अजीब सा लग रहा है इसलिए,,,,,,,,,!”,शीतल ने अपने माथे पर आये पसीने को पोछते हुए कहा साथ ही उसने नजरे बचाकर देखा कि राज अभी भी वही है या नहीं। राज वहा नहीं था वह भीड़ के साथ गायब हो चुका था शीतल ने मन ही मन राहत की साँस ली और सार्थक की तरफ पलटी तो सार्थक ने कहा,”शीतल तुम कभी भीड़ वाली जगहों पर नहीं आती ना इसलिए तुम्हे अच्छा लग रहा है। शुभ बता रहा था ये मूवी बहुत अच्छी है हमे देखनी चाहिए लेकिन अगर तुम्हारा मन नहीं है तो हम लोग घर चलते है”
शीतल राज की वजह से वहा से जाना चाहती थी लेकिन वह सार्थक की भावनाओ को हर्ट नहीं करना चाहती थी इसलिए उसकी बांह थामते हुए कहा,”चलो फिर देखते है”
“आर यू स्योर ?”,सार्थक ने पूछा
“अरे बाबा हाँ , तुम नहीं थे तो थोड़ा डर गयी थी मैं अब तुम साथ हो ना तो चलो देखते है”,शीतल ने मुस्कुराते हुए कहा
शीतल को मुस्कुराते देखकर सार्थक भी मुस्कुरा उठा और उसे लेकर थियेटर के अंदर चला आया। फिल्म शुरू हो चुकी थी दोनों अपनी सीटों पर आकर बैठ गए और फिल्म देखने लगे। कुछ देर बाद ही सार्थक ने शीतल का हाथ थाम लिया और शीतल ने भी प्यार से अपना सर उसके कंधे पर रख दिया। सार्थक का साथ पाकर और फिल्म देखते हुए शीतल राज को भूल गई।
फिल्म खत्म होते होते रात के 11.30 हो चुके थे। सार्थक और शीतल थियेटर से बाहर आये दोनों को भूख लगने लगी थी इसलिए सार्थक शीतल के साथ उसी थियेटर के रेस्त्रो में चला आया। उसने अपने और शीतल के लिए खाना आर्डर किया और बैठकर उस से बातें करने लगा। पिछले कुछ दिन से सार्थक राज को लेकर परेशान था लेकिन अब वो परेशानी उसे नहीं थी और वह शीतल के साथ अच्छा वक्त बिता रहा था। शीतल से बातें करते हुए सार्थक कभी उसके हाथ को थामता , कभी उसके बालों की लट को कान के पीछे कर देता जिस पर शीतल का चेहरा शर्म से लाल-गुलाबी हुए जा रहा था। कुछ देर बाद ही वेटर खाना रखकर चला गया सार्थक शीतल को अपने हाथो से खिलाने लगा ये देखकर शीतल भी हँसते मुस्कुराते उसे अपने हाथो से खाना खिलाने लगी। उसी रेस्त्रो के कोने में बैठा राज काफी देर से उन दोनों को देख रहा था।
“बेबी क्या हुआ ? कहा खोये हो तुम ?”,राज के सामने बैठी लड़की ने कहा तो राज की तंद्रा टूटी और उसने लड़की का हाथ अपने हाथो में लेकर रुमानियत भरे स्वर में कहा,”स्वीट हार्ट मैं बस देख रहा था इस रेस्त्रो में तुमसे ज्यादा खूबसूरत कोई है नही”
“तो मिली कोई ?”,लड़की ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
राज ने लड़की का हाथ चूमा और अदा से उसकी तरफ देखते हुए कहा,”वो बिल्कुल मेरे सामने बैठी है”
राज की बात सुनकर लड़की मुस्कुराने लगी और दोनों बातें करते हुए खाना खाने लगे
खाना खाने के बाद सार्थक और शीतल वहा से निकल गए। बाहर लॉबी में चलते हुए अचानक से शीतल की सेंडिल टूट गयी और उसे रुकना पड़ा सार्थक ने देखा तो शीतल के पास आया और कहा,”क्या हुआ ?”
“वो मेरी सेंडिल टूट गयी है”,शीतल ने टूटी हुयी सेंडिल से अपना पैर निकालते हुए कहा
सार्थक ने आस पास देखा और कहा,”यहाँ तो कोई दुकान भी नहीं है और बाइक भी वहा सामने पार्किंग में खड़ी है , तुम वहा तक कैसे जाओगी ?”
“च्चचच्च च्च्च बेचारा,,,,,,,,,,,,,,,,,सस्ते सैंडिल्स का यही हाल होता है”,कुछ ही दूर अपनी गाड़ी से पीठ लगाए खड़े राज ने सार्थक और शीतल की हालत पर अफ़सोस जताते हुए कहा। सार्थक ने सूना तो गुस्से से राज को देखा लेकिन शीतल ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया वह मन ही मन बहुत घबरा रही थी। सार्थक अपने सामने शीतल की इंसल्ट होते तो बिल्कुल नहीं देख सकता था इसलिए उसने अपने जूते निकाले और शीतल से पहनने का इशारा किया।
“लेकिन सार्थक,,,,,,,,,,,,,,!”,शीतल ने इतना ही कहा कि सार्थक नीचे बैठा उसने शीतल के दूसरे पैर से भी सेंडिल निकाली और अपने जूते उसे पहना दिए ये देखकर राज का तो खून ही जल गया लेकिन शीतल मन ही मन मुस्कुरा उठी। सार्थक ने शीतल की सैंडिल्स को अपने हाथो में उठाया और उसे साथ लेकर नंगे पैर ही वहा से चला गया। राज ने गुस्से से अपना पैर पटका तभी उसके साथ वाली लड़की ने राज के पास आकर कहा,”हाउ रोमांटिक वो कपल कितना प्यारा था , उस लड़के ने अपने जूते उस लड़की को दे दिए,,,,,,,,,,,,ही इज सो केयरिंग , बेबी अगर कभी मेरी सेंडिल टूट जाये तो तुम भी ऐसा करोगे ?”
“मैं तुम्हारे लिए पूरी दुकान ही खरीद दूंगा”,राज ने सार्थक और शीतल को देखते हुए कहा लेकिन लड़की ने ध्यान नहीं दिया और खुश होकर राज से लिपट गयी।
Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10Love You Zindagi – 10
क्रमश – Love You Zindagi – 11
Read More – Love You जिंदगी – 9
Follow Me On – instagram | facebook | youtube
संजना किरोड़ीवाल