Lette Hi Neend Aagyi-09
Lette Hi Neend Aagyi-09
क़ब्रिस्तान में सन्नाटा चारों ओर फैला होता है ! शबीना वापस आलती पालती मार कर बैठ अपना अमल पढ़ना शुरू कर देती है ! रमीज़ कुदाल अपने हाथ मे लिये शबीना के पास पहुँचता है !
“चलो अब जल्दी से क़बर खोद कर लड़की की मैय्यत निकालो मुझे अपना काम करना है !” शबीना ने अमल के बीच मे हि रुक कर कहा !
“हाँ करता हूं !” रमीज़ ने मुख्तसर सा कहा !
रमीज़ खामोश खड़ा चारों तरफ पहले देखता है फिर आसमान की तरफ नज़र करता है और अपने दिल ही दिल मे फैसला करने लगता है के आखिर उसे क्या करना चाहिये !
तभी उसके कानों में किसी की धीमी सी आवाज़ पड़ती है !” अपने दिल की सुनो क्यों के तुम्हारा दिल बेहद खूबसूरत और सच्चा है ! किसी बेकसूर को बचाने के लिए लिया गया गलत कदम भी गुनाह नही होता जरा देखो अपने सामने उस बच्ची की रूह को जो तुमसे मदद की उम्मीद लगाये हुए है पूरी करदो उसकी उम्मीद आज़ाद करा दो उसे इस जालिम औरत के क़ैद से !”
रमीज़ इधर उधर देखता है मगर उसे वो शख्स कही नही दिखता जिसकी आवाज़ उसकी कानों में अभी अभी पड़ी थी ! फिर रमीज़ उस लड़की की रूह को देखता है जो अपने ही क़बर के पास बैठी उससे मदद की सदाये लगा रही होती है ! बेचारा उलझनों में फसा रमीज़ खामोश खड़ा रहता है !
काले बादलों से छाये हुए आसमान हल्की हल्की बारिश की बूंदें रमीज़ के चेहरे पर गिराने लगते है ! रमीज़ दिल ही दिल मे खुदा से माफी मांगता है फिर कुदाल उठा कर बिना कुछ सोचे समझे सीधा शबीना के सर पर मार देता है जिससे वो बिना कुछ कहे एक बार मे ही मर जाती है ! उसके मरते ही पूरे क़स्ब्रिस्तान में अजीब_ओ_गरीब आवाज़ चीख़ पुकार फैल जाती है !
“चाचा शुक्रिया आप का इस औरत को मार कर आप ने मुझे ही नही बल्के कई रूहों को बचा लिया जो इसका शिकार बनने वाली थी अब आप इसके जिस्म को उस क़बर में डाल दो जिसे इसने आप से खुदवाया था साथ मे यह सारे इसके अमल के समान भी !” उस लड़की के रूह ने कहा तो रमीज़ जल्दी से शबीना के जिस्म को घसीट कर खाली क़बर में उसके समान के साथ डाल कर कुदाल से मिट्टी डाल देता है और क़बर को अच्छे से मिट्टी से बंद करदेता है !
बारिश जोर पकड़ लेती है साथ साथ बादलों के गरजने की आवाज़ माहौल को ओर भी खौफनाक बना रही होती है ! रमीज़ कुदाल साइड में रख कर थका हारा अपने चारपाई पर जा लेटता है , चारपाई पर लेटते ही उसे नींद अपनी आगोश में ले लती है जहाँ से फिर एक खवाब का सफर शुरू होजाता है ! ख्वाबों का यह सफर आज रमीज़ के लिए लम्बा होने वाला रहता है बहुत सी बातें जिनसे वो बेखबर रहता है आज उसे पता चलने वाली होती है !
”रमीज़ कब तक अपने अम्मा के जाने का गम मनाते रहो गे , एक ना एक दिन हम सब को ही इस दुनियाँ से रुखसत होकर अपने परवरदिगार के पास जाना है ! तो तुम अब यह बच्चो की तरह रोना बंद करो और यह बताओ अपनी अम्मा का वादा कब पूरा हो ?” नरगिस ने रमीज़ के सर को अपने गोद में रख कर सहलाते हुए कहा !
”मैं अपनी अम्मा का वादा भला कैसी भूल सकता हूँ मेरी शादी अगर किसी से होगी तो वो तुम हो नरगिस ?” रमीज़ ने कहा !
”और अगर मुझसे नहीं हुई तो फिर ?” नरगिस ने मोहब्बत से रमीज़ की तरफ देखते हुए कहा !
”अगर मेरी शादी तुमसे नहीं हुई तो फिर मैं पूरी ज़िन्दगी कुवाँरा रह जाऊँगा मगर किसी और कभी तुम्हारी जगह नहीं दूंगा !” रमीज़ ने कहा !
”इतनी मोहब्बत करते हो मुझसे ?” नरगिस ने कहा !
” हाँ बहुत ज्यादा इतना के तुम्हे यक़ीन ना हो वादा करो के तुम कभी मुझे अकेले छोड़ कर नहीं जाओगी ?” रमीज़ ने नरगिस के गोद में लेटे हुए उसके कमर को पकड़ते हुए कहा !
”वादा करती हूँ जीते जी और मरने के बाद भी मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी रहुंगी और तुम्हारे साथ रहूँगी वैसे आज जनाब को इश्क़ फरमाने का इरादा नहीं है किया कई दिन गुज़र गए हम एक दूसरे के करीब नहीं आये है !” नरगिस ने थोड़ा शरारत से कहा !
”चलो तो अभी हो जाते है करीब देर किस बात की भला ऐसे मौके भी कोई आशिक़ छोड़ता है किया ?” रमीज़ ने नरगिस को अपने बाहों में जकड़ते हुए कहा !
फिर दोनों दुनियाँ जहाँ से बेखबर मोहब्बत की दुनियाँ में खो से जाते है जहाँ सिर्फ और सिर्फ उनके एक दूसरे के लिए सच्चे और वफ़ा से भरे जज़्बात होते है !
”मैं सोच रहा हूँ के कुछ दिनों के लिए शहर चला जाऊँ फिर वहाँ से वापस आकर तुम्हारे भाइयों से रिश्ते की बात करूँगा !” रमीज़ ने कुरता पहनते हुए कहा !
”शहर क्यों ? नहीं नहीं तुम्हे जो करना है यही करो मैं तुमसे दूर नहीं रह सकती है एक गांव में रह कर भी कई कई दिन बाद मिलते है हम शहर चले गये पता नहीं कब तुमसे मिलना हो ?” नरगिस ने घबराते हुए रमीज़ के गले लग कर कहा !
”मेरी जान तुम परेशान क्यों होती हो मैं जल्द ही वापस आऊँगा तुम देखना दुल्हन बना तुम्हे अपने घर ले जाऊँगा फिर हमे इसतरह छुप छुप कर एक दूसरे से मिलने की जरूरत नहीं पड़ेगी !” रमीज़ ने नरगिस को गले लगाये हुए कहा !
”वैसे कब जारहे हो तुम शहर ?” नरगिस ने पूछा !
”कल सुबह की बस से ही !” रमीज़ ने कहा !
”क्या ? कल सुबह ही मगर इतनी जल्दी क्यों ? कुछ दिन रुक जाओ फिर चले जाना !” नरगिस ने नम आँखों से कहा !
”जल्दी जाऊँगा तभी तो जल्दी आऊंगा और हाँ शहर से तुम्हारे लिए शादी का जोड़ा लेकर आऊँगा उसे ही पहनना तुम निकाह के वक़्त !” रमीज़ ने कहा !
” मुझे कुछ नहीं चाहिये बस तुम वापस आजाना !” नरगिस ने कहा !
”हाँ आजाऊंगा अब चलो खाना खिला दो भूख लगी है वैसे खाना लेकर आयी हो ना मेरे लिए के भूल गयी !” रमीज़ ने भोवे चढ़ाते हुए नरगिस से कहा !
”हाँ लायी हूँ वो उधर चलो आज अपने हाथों से तुम्हे खिलाऊंगी !” नरगिस ने कहा !
”घर नहीं जाना तुम्हे देर नहीं हो रही ?” रमीज़ ने पूछा !
”जाना है मगर थोड़ा वक़्त और तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ पता नहीं कब वापस आओ तुम तुम्हारे जाना का सुन कर ही मेरा दिल घबरा रहा है !” नरगिस ने रमीज़ को खिलाते हुए कहा !
” बेकार का घबरा रही हो बहुत जल्द वापस आजाऊंगा अच्छा यह बताओ सुबह बस स्टैंड आओगी ना मुझे रुखसत करने के लिए !” रमीज़ ने कहाँ !
”हाँ आजाऊँगी आखिरी बार तुम्हे देख बस !” नरगिस ने कहा !
”नरगिस तुम बहुत ज्यादा बेकार की बातें करती हो क्या आखिरी बार आखिरी बार लगा रखा है कहा ना मैं आऊँगा वापस अब दोबारा कहा तो मैं तुम्हे छोड़ उस बैर वाली जिन से शादी कर लूँगा !” रमीज़ ने नरगिस को छेड़ते हुए कहा !
”खबरदार जो तुमने किसी और का नाम लिया तो मर जाऊँगी मगर तुम्हे किसी और का होते नहीं देख सकती चाहे वो इंसान हो या कोई जादी !” नरगिस ने नाराज़ होते हुए कहा !
”नरगिस मेरी जान भरोसा रखो मुझपर और ख़ुशी ख़ुशी जाने दो जहाँ भी जा रहा हूँ वैसे अम्मा के बाद तुम्ही मेरी सब कुछ हो भाई तो अम्मा के जीते जी ही पराये हो चुके है !” रमीज़ ने कहा !
”कोई साथ दे ना दे मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगी चाहे वक़्त जैसा भी हो !” नरगिस ने रमीज़ का हाथ थामे हुए कहा !
आम के बगीचे में दोनों घंटो एक दूसरे के साथ मोहब्बत , वफ़ा , सुकून वाले पल बिताते है ! नरगिस को बस बार बार ऐसा महसूस हो रहा होता है के रमीज़ के साथ आज उसकी आखिरी मुलाक़ात है ! उसके बरअक्स रमीज़ खुश रहता है के वो शहर से वापस आकर नरगिस को अपनी दुल्हन बनायेगा !
ठीक है अब मैं चलती हूँ तुम अपना ख्याल रखना !” नरगिस ने खड़े होते हुए कहा !
”सुनो मेरे पास आओ जरा !” रमीज़ ने नरगिस का हाथ पकड़ते हुए कहा !
”हाँ कहो !” नरगिस ने कहा ! तो रमीज़ बिना कुछ कहे अपने लबों को नरगिस के लबों से लगा देता है !
”अब जाने दो मुझे शाम हो गयी है मेरे घर वाले ढूंढेंगे मुझे !” नरगिस खुद को रमीज़ के बाहों के गिरफ्त से छुड़वाते हुए कहती है !
“अच्छा ठीक है जाओ बस एक बार और गले लग जाओ पता नही अब कब तुम्हे इस तरह से प्यार करना नसीब हो !” रमीज़ ने इतनी मोहब्बत से यह बात कही के नरगिस रोते हुए उसके गले लग जाती है !
“अपना ख्याल रखना और जल्द वापस आना मैं इनतेज़ार करूँगी तुम्हारा खुदा हाफिज !” नरगिस रमीज़ की पेशानी चुम कर भरे दिल और आँखों के साथ वहाँ से चली जाती है !
नरगिस उसकी जिंदगी का इकलौता सहारा होती है जिससे उसे कुछ दिन के लिए ही सही मगर बिछड़ना पड़ेगा ! उसे जाता देख रमीज़ की आँखे भी नम हो जाती है !
सुबह की बस में बैठ कर रमीज़ शहर के लिए निकल जाता है ! रमीज़ को रुखशत कर नरगिस उदास बोझल क़दमों से अपने घर की तरफ बढ़ती है ! जहाँ उसके भाई उसका इंतज़ार कर रहे होते है !
“आगयी तू कहा गयी थी इतनी सुबह सुबह !”नरगिस के बड़े भाई ने उसे घर मे आते देख पूछा !
“जी.. जी वो भाईजान मैं बस ऐसे ही बाहर टहलने के लिए गयी थी !” नरगिस ने अटकते हुए जवाब दिया !
”तुम्हारे और उस रमीज़ के बीच में किया चल रहा है ,आज ही मुझे मेरे एक दोस्त ने बताया के तुम और वो रमीज़ अक्सर आम के बगीचे में एक दूसरे से मिलने जाते थे !” नरगिस के बड़े भाई रमजान ने गुस्से में आँख बड़ी करते हुए कहा !
”नहीं नहीं भाईजान ऐसी कोई बात नहीं है आप के दोस्त को जरूर कोई गलत फहमी हुई है मैं भला रमीज़ से मिलने क्यों जाउंगी मुझे उससे क्या वास्ता ?” नरगिस घबराते हुए अटकते हुए कहती है !
”मुझे तुम पर यक़ीन है मगर मेरी एक बात याद रखना अगर मुझे जरा सा भी ये लगा के ये सारी बातें सही है उस दिन तुम्हारी खैर नहीं हमे अपनी इज्जत हर चीज़ से अजीज़ है समझी तुम !” नरगिस के भाई ने उसे ऊँगली दिखा कर समझाते हुए कहा !
”जी जी मैं समझ गयी मैं ऐसा कोई भी काम नहीं करुँगी जिससे आप की इज्जत खराब हो !” नरगिस ने धीमे से कहा !
”ठीक अब जाओ और अपना काम करो और हाँ आज के बाद तुम घर से बाहर नहीं जाओगी ये मेरा हुक्म है !” नरगिस के भाई रमजान कहते हुए चले जाते है !
आठ महीने बाद
देख नरगिस हमने किसी तरह इस बात को कई महीनों तक सब से छुपा कर रखा है मगर मुझे नहीं लगता के अब यह बात छुप पायेगी ऊपर से गांव की औरतों का भी घर में आना जाना लगा रहता है खुदा ही जाने अब क्या होगा ?महीने पूरे हो गये है अब तेरे अगर तुम्हारे भाइयों को पता चला के यह बात छुपाने में हमने तुम्हारी मदद की है तो वो तुम्हारे साथ साथ ना जाने हमारा क्या हश्र करेंगे !” नरगिस की बड़ी भाभी ने फिक्र मंद होते हुए कहा !
”भाभी मुझे माफ़ करदो गलती हो गयी मुझसे अब क्या होगा ? मैं और रमीज तो कई बार एक दूसरे के करीब आये मगर कोई भी ऐसी बात नही हुई मगर इस बार उसके जाने से पहले जो रिस्ता बना वो गहरा रंग छोड़ गया! ” नरगिस ने रोते हुए कहा !
“तुझे इन सब बातों का ध्यान रखना चाहिये था क्या जरूरत थी तुझे जिस्मानी रिस्ते बनाने के , इज्जत तो हमारी जायेगी ना !” नरगिस की छोटी भाभी ने नाराज़ होते हुए कहा !
“भाभी इंसान जब इश्क़ में होता है तो उसे कुछ भी सही और गलत समझ नही आता उसे तो बस अपने मोहब्बत का साथ चाहिए होता है , नशा इश्क़ का तब उतरता है जब कोई ग़लती हो कर देर हो जाती है और मुझे भी अब समझ आरही अपनी गलती अब आप ही लोग बताये मैं क्या करूँ ? गलती तो होगयी जिसे मैं आठ महीने से सह रही हूँ! ” नरगिस ने रोते हुए कहा !
“अब जो होगा देखा जायेगा तुम फिल्हाल अपने कमरे मे ही रहो बाहर नही निकलना तब तक जब तक हम मे से कोई एक ना आये तुम्हारे पास ! “नरगिस की बड़ी भाभी कहते हुए चली जाती है!
रात के वक़्त अचनांक नरगिस की तबियत बिगड़ने लगती है और उसे हमल का दर्द शुरू हो जाता है !
क्रमशः lette-hi-neend-aagyi-10
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Written By – Shama Khan
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