Lette Hi Neend Aagyi-07
Lette Hi Neend Aagyi-07
“आज मोहब्बत को किसने मेरे घर का पता दे दिया, जो वो मेहरबान कदमों से चल कर मेरी तरफ आगये !” बेर के पेड़ के नीचे खड़े रमीज़ को देख लाइबा परी ने मुस्कुराते पेड़ के डाल पर बैठे हुए कहती है!
“देखो मैं यहाँ तुमसे कोई मोहब्बत निभाने नही आया हूँ मैंने तुम्हें पहले ही बता दिया था के मेरी मोहब्बत कोई और है मैं तो बस!” रमीज़ कहता हुआ खामोश हो जाता है !
” हम्म.. तो बताओ कैसी मदद चाहिये तुम्हे मुझसे?” लाइबा पेड़ से उतर कर रमीज़ के पास आकर उसके कानों में धीमे से कहा !
“तुम्हे कैसे पता चला के मुझे तुमसे मदद चहिये?” रमीज़ ने फिर सवाल किया !
“तुम्हारे दिल ओ दिमाग मे जो भी बात चल रही मैं सब बता सकती हूँ ! और तुम्हारे यहाँ मेरे पास आने का मक़सद भी अच्छे से पता है मुझे ! खैर यह सब छोड़ो मुझे यह बताओ तुम फल ही बेचने का काम क्यों करना चाहते हो और भी बहुत कुछ है तुम्हारी दुनिया मे करने को , खुद का काम करना ही है तो कुछ बड़ा काम करो वैसे तुम चाहो तो बिना मेहनत के मैं तुम्हे दौलत मंद बना सकती हूँ एक ऐश वाली ज़िन्दगी दे सकती हूँ जिसमे बेसुमार प्यार दौलत सुकून सब होगा !” लाइबा ने मोहब्बत से रमीज़ को देखते हुए कहा उसकी आँखों में रमीज़ खुद के लिए प्यास देख रहा होता है कहा !
“कोई भी काम छोटा नही होता वैसे भी हम तुमलोगों की तरह अच्छी ज़िन्दगी नही जीते हमे ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए मेहनत करनी पड़ती है तुम्हारी तरह नही और हाँ मुझे दौलत की कोई भूख नहीं है और ना ही बिना मेहनत के ऐश वा आराम की मैं तो बस इतना चाहता हूँ के इतना कमा लूँ के अच्छे से गुज़ारा हो जाये!” रमीज़ कहता हुआ रुक जाता है!
“तुम्हे किस ने कह दिया के हमारी ज़िंदगी आसान होती है ? और हम बिना मेहनत के खाते है इस दुनिया में रहने की किमत हर कोई अपने अपने तरिके से अदा कर रहा है!” लाइबा ने घूरते हुए रमीज़ से कहा !
“कौन कहेगा मुझे सब पता है कम से कम तुम भूतों या चुड़ैल की ज़िन्दगी हम इंसानो की तरह संघर्ष से भरी हुई नहीं होती है अब सवाल जवाब ही करोगी या मदद भी करोगी ?” रमीज़ ने कहा !
“पहले तो मैं कोई भूत या चुड़ैल नहीं हूँ मेरा वास्ता जिन्नातों के क़ाबिले से है और मैं एक परी हूँ और मैं भला क्यों करूँ मैं तुम्हारी मदद ? कौन लगते हो तुम मेरे ? वास्ता क्या है मेरा और तुम्हारा ?” लाइबा ने कहा !
“दोस्त लगती हो तुम उस दिन तुमने ही कहा था ना के तुम मुझसे दोस्ती करना चाहती हो और दोस्त तो दोस्त के काम आते है बिना किसी मतलब के हैं ना !” रमीज़ हल्का सा मुस्कुरा कर कहता है!
“कारोबार करने अच्छे से आगया है तुम्हे इसलिए दोस्ती के बदले मदद मांग रहे हो !” लाइबा ने कहा !
“इसमे गलत क्या है ? तुम्हे मेरी दोस्ती चाहिये और मुझे तुम्हारी मदद ! देखो अब और बहस नही मुझे नरगिस से शादी करने के लिये जल्द ही कुछ अच्छा काम शुरू करना होगा वरना उसकी शादी कही और होजायेगी !” रमीज़ ने थोड़ा परेशान होते हुए कहा !
” अच्छा तो मसला यहां दिल का भी है! ठीक है जाओ तुम्हारा काम बन जायेगा मगर हाँ वादा करो के मुझे कभी नही भूलोगे अगर भूले तो मैं सब कुछ वापस ले जाऊंगी तब तुम आज से ज्यादा परेशान रहोगे !” लाइबा ने कहा !
“मैं क्यों भूल जाऊंगा तुम्हे अब यह बताओ तुम मेरी मदद कैसे करोगी ?” रमीज़ ने कहा !
“यह लो और इसे अपने पास संभाल कर रखना सारे काम बनते जायेंगे खुद बा खुद!” लाइबा ने एक कपड़े की पोटली रमीज़ को थमाते हुए कहा!
“इसमे क्या है ? ” कहते हुए रमीज़ उसे खोल कर देखता है !
”तुम्हारे काम की चीज़ है !” लाइबा ने मोहब्बत भरी गहरी नज़र रमीज़ पर डालते हुए कहा !
“बेर के बीज मगर मैं इन बीजों का क्या करूँगा ?” रमीज़ ने कहा !
“बड़े बेसबरे हो तुम, इसे तुम बस अपने पास रखना फायदा तुम्हे खुद ब खुद समझ आजायेगा !” लाइबा ने कहा !
“रमीज़ तू यहाँ क्या कर रहा है मैं ना जाने कब से तुझे तलाश कर रहा हूँ जल्दी घर चल तेरी अम्मा की तबीयत अचानक खराब होगयी है वो तुझे याद कर रही!” रमीज़ का दोस्त असलम दौड़ते हुए रमीज़ के पास आकर कहता है तो रमीज़ उसके साथ घर चल देता है !
“इंसान बड़े अजीब होते है, मतलब ना हो तो हिरे को भी फेंक देते है और मतलब हो तो कोयले को भी जेब मे संभाल कर रख लेते है यह नही जानते कभी कभी बे मतलब की चीज़ें भी सही होती है और कभी कभी मतलब की चेज़ें नुकसान दायक !” लाइबा ने हंसते हुए कहा !
रमीज़ घर पहुँचाता है तो अपनी माँ को अपने मुन्तज़िर पाता है उसके भाई भाभी और अब्बा साइड में खड़े होते है !
“अम्मा क्या होगया आप को यह अचानक से?” रमीज़ अपने अम्मा के पास उनके हाथ पकड़े रोते हुए कहता है!
“मेरे बच्चे मुझे माफ़ करदे मैं इस तरह से तुझे छोड़ कर जा रही हूँ !” अम्मा ने रमीज़ के हाथ को चूमते हुए कहा !
“अम्मा आप ऐसी बातें क्यों कह रही हो ? भला आप क्यों मुझे छोड़ कर जाओगी ? कुछ नही होगा आप को ?” रमीज़ ने कहा !
“मेरे बच्चे एक ना एक दिन सब को इस दुनिया और इस ज़िन्दगी को छोड़ कर जाना पड़ता है सब का एक वक़्त मुक़र्रर है ! मुझे ला इलाज मर्ज है मैंने तुझे नही बताया था क्यों के तू सुन कर सह नही पाता ! मेरे पास अब वक़्त बहुत कम है देख मेरे जाने के बाद अपना ख्याल रखना मेरी दुआ हमेशा तेरे साथ है मेरे बच्चे यह दुनिया की रंगीनियाँ महज़ एक धोखा है मेरे बच्चे तू खुद को इससे महफूज़ रखना यहाँ खुदा के सेवा कोई भी अपना नहीं होता अपना परिवार भी नहीं और हाँ मेहनत कर के कमाना किसी से भी दुश्मनी मत रखना, ना ही कोई गलत काम करना जिससे लोग तुझे गलत कहे एक आखिरी बात उस नरगिस को मेरी बहु जरूर बनाना मुझे वो पसंद है! वादा कर कही बात तू मानेगा और बोल के इस वादे की लाज रखेगा !” अम्मा ने अधूरी साँसे लेते हुए कहा !
“वादा करता हूँ सब कुछ छोड़ दूंगा हर वो काम करूँगा जो आप कहोगी मगर… मगर आप मुझे छोड़ कर मत जाओ आप के बिना बहुत अकेला हो जाऊँगा मैं!” रमीज़ ने रोते हुए कहा मगर उसकी अम्मा तो अब उससे वादा ले कर जा चुकी होती है!
जिस मजबूती के साथ उन्होंने रमीज़ का हाथ थामा था अब उसकी पकड़ ढेली पड़ चुकी होती है और अम्मा का हाथ रमीज़ के हाथों से छूट कर बेजान सा खटिये से लटकने लगता है !
”अम्मा।….. रमीज़ रोते हुए एक जोर दार चींख मारता हुआ उठ बैठता है उसकी आँखों से अब नींद दूर चली जा चुकी होती है पसीने से सरा बोर रमीज़ ऐसा महसूह कर रहा होता है जैसे उसने अभी जो कुछ भी ख्वाब में देखा उसे सच में जिया हो ! अपने चेहरे पर आये पसीने को पूछते हुए वो अपनी अम्मा को याद कर फूट फूट कर रोने लगता है !
भारी मन और नम आँखों के साथ रमीज़ अपनी चारपाई से उठ कर घड़ी में वक़्त देखता है , घड़ी की सुई इस वक़्त उसमे तीन बजा रही होती है ! रमीज़ वज़ू कर तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने बैठ जाता है , तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने के बाद रमीज़ तस्बीह पढ़ते हुए अपने माँ बाप की क़बर के पास जाकर उनके लिए मगफिरत की दुआ करने लगता है ! आज के ख्वाब ने उसके अम्मा के साथ बिताये हुए पल याद दिला देता है ! अभी रमीज़ रो रो कर दुआ पढ़ ही रहा होता है के उसकी नज़र क़ब्रिस्तान के उस छोर की तरफ जाती है जहाँ कल ही उन्होंने उस लड़की को दफनाया था ! उस लड़की के क़बर के पास रमीज़ को वही औरत शबीना दिखती है जो कल उस लड़की के क़ब्र के बारे में पूछ रही थी !
”अब यह क्या माज़रा है यह औरत आधी रात को क़ब्रिस्तान में उस मासूम लड़की के क़बर के पास क्या कर रही है ? होसकता है यह इसकी कोई अपनी हो मगर इस वक़्त यहा ?” रमीज़ खुद में बड़बड़ाता हुआ उस औरत की तरफ बढ़ता है इससे पहले के रमीज़ उस औरत शबीना तक पहुँचता वो उठ कर क़ब्रिस्तान के पिछले दरवाज़े से बाहर निकल जाती है !
रमीज़ वापस अपने कमरे की तरफ मुड़ता है तो उसे सामने नक़ाब पोश खातून खड़ी दिखती है जो अपने बेटे के क़ब्र के पास बैठ रो रही होती है !
”या अल्लाह ये क्या माज़रा है यह औरत क़ब्रिस्तान में ही क्यों आकर रोती है? कुछ दिनों से तो यह गायब थी और आज फिर अचानक !” रमीज़ खुद मे कहता हुआ उस नक़ाब पोश औरत की तरफ बढ़ता है !
”बहुत कुछ घटने वाला है इस क़ब्रिस्तान के दरओदिवार के अंदर अभी तो बहुत कुछ तुम्हे देखना बाकी है !” नक़ाब पोश औरत ने कहा !
”जी मैं समझा नहीं आप क्या कहना चाहती है?” रमीज़ नक़ाब पोश औरत के सामने थोड़ी दुरी पर खड़ा होकर पूछता है!
”समझ जाओगे सब एक दिन! आखिर में सब पता चल जाता है मगर उस वक़्त हम किसी को वो सभी बातें बताने के लायक नहीं रहते है!” नक़ाब पोश औरत ने कहा !
”क़ब्रिस्तान जैसी जगह पर पुर इसरार वाक़ियों का होना आम बात है मुझे इन सब की आदत है अब तो !” रमीज़ ने कहा !
”सही कहा तुमने क़ब्रिस्तान में नाजाने कौन कौन से राज दफन हो और ना जाने कितने राज दफन होने वाले है खैर आज तुम्हारी अम्मा की बरसी है जाओ उनके लिए दुआ करो आज भी फिक्र मंद है वो तुम्हारे लिए!” नक़ाब पोश औरत ने कहा!
”जी मुझे याद नहीं था तभी मैं सोचूँ आज अम्मा ख्वाब में क्यों आयी?” रमीज़ ने कहा !
”ख्वाब हकीकत का आईना होते है रमीज़ ख्वाबों पर गौर किया करो के वो किया समझाना चाहते है सायेद तुम्हे तुम्हारे सवालों का जवाब मिल जाये !” नक़ाब पोश औरत ने कहा !
”मगर आप को मेरी अम्मा के बरसी के बारे में कैसे पता है मैं तो आप को जानता भी नहीं और आप को कैसे पता चला के वो मरने के बाद मेरे लिए फिक्र मंद है भला मरने के बाद किसे दुनिया के लोगों की फिक्र होती है सब अपने अपने आमाल का हिसाब देने में मसगूल होजाते है उनकी रूहे क़यामत तक आलम बरजख में चली जाती है!” रमीज़ ने हैरान होते हुए कहा !
”कभी कभी कुछ बातें किसी के बिना बताये ही हमें मालूम होजाती है , इसमें हैरत करने वाली कोई बात नहीं है तुमने सही कहा के मरने के बाद इंसान की रूह आलम बरजख में चली जाती है तब तक के लिए जब तक क़यामत ना क़ायम होजाये मगर कुछ रूहे वापस आती है अपने अपनों के लिए अपने अधूरे वादों के लिए , अपने अधूरे काम को अंजाम देने के लिए!” नक़ाब पोश औरत ने कहा !
”आप की बातें सही है खातून मगर आप को इस वक़्त यहाँ नहीं होना चाहिये आप दिन के उजाले में आया करे मुझे मालूम है के आप को अपने बेटे से बहुत मोहब्बत है फिर भी रात का वक़्त आप के लिए सही नहीं है आप को पता है ना यहाँ आये दिन कई क़तल हो रहे है !” रमीज़ ने समझाते हुए कहा !
” दिन के उजालों में आउंगी तो लोग बातें बनायेंगे इसलिए रात का आखिरी पहर बहतर समझती हूँ और मैं सिर्फ अपने बेटे से मिलने नहीं आती हूँ और भी वजह है मेरे यहां आने का जो कभी सही वक़्त आने पर तुम्हे बतादूंगी , रात के सन्नाटे में एक अलग ही सुकून होता है !” नक़ाब पोश औरत ने कहा !
तभी मस्जिद से फज़र की अज़ान की आवाज़ आती है रमीज़ अज़ान की आवाज़ के सिम्त पलट कर देखना है दोबारा जब वो वापस उस नक़ाब पोश औरत की तरफ अपनी गर्दन मोड़ता है वो औरत वहां पर मौजूद नहीं होती है !
क्रमशः lette-hi-neend-aagyi-08
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Written By – Shama Khan
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