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कितनी मोहब्बत है – 60

Kitni Mohabbat Hai - 67

Kitni Mohabbat Hai - 67

Kitni Mohabbat Hai – 60

”कितनी मोहब्बत है – 60”

By- Sanjana Kirodiwal

अक्षत ने एंट्रेस एग्जाम पास कर लिया था ये जानकर सभी घरवाले और अक्षत बहुत खुश था ! वह जीजू के साथ दिल्ली जाने की तैयारी करने लगा उसके दिलो दिमाग में सिर्फ अमर की शर्त को पूरा करने का ख्याल चल रहा था ! दूसरी तरफ मीरा और अमर के बिच एक शीत युद्ध शुरू हो चुका था , अमर मीरा को जितना अक्षत से दूर करने की सोचते मीरा उतना ही अक्षत के करीब होने का अहसास उन्हें दिला रही थी ! उसी शाम अक्षत जीजू के साथ दिल्ली के लिए निकल गया , जीजू साथ में थे इसलिए दोनों का सफर अच्छे से कट रहा था !
भुआ के समझाने के बाद मीरा को उनकी सारी बाते सही लगी और वह सब भूलकर अपने आगे के कामो के बारे में सोचने लगी ! अगली सुबह भुआ अपने घर चली गयी उनके पति की तबियत ख़राब होने से उन्हें अचानक जाना पड़ा मीरा को उनके जाने का दुःख हुआ क्योकि इस घर में एक वही तो थी जिस से मीरा थोड़ी बहुत बाते कर लिया करती थी ! भुआ चली गयी मीरा अब फिर से अकेली हो चुकी थी , उसने अपना सामान , अपने कपडे जमाये और कमरे से बाहर चली आयी ! अमर का शहर में खुद का बिजनेस था लेकिन कुछ दिनों से वह अपने काम को देख नहीं पाए थे , मैनेजर के फोन आने पर अमर ऑफिस जाने के लिए तैयार हुए , मीरा निचे हॉल के सोफे पर बैठी कोई किताब पढ़ने में बिजी थी अमर जैसे ही जाने लगे उनकी नजर मीरा पर पड़ी और उन्होंने नौकर से कहा,”ध्यान रहे ये घर से बाहर ना जाये !”
“चिंता मत कीजिये , हम कही नहीं जायेंगे राजपूत है और जबान दी है आपको ,, बाकि लड़कियों की तरह रोना धोना , खाना ना खाना इस सब में हम अपना वक्त बर्बाद बिल्कुल नहीं करेंगे बल्कि हमे भरोसा है वो हमे लेने जरूर आएंगे ! तब तक हम यही है !”,मीरा ने सहजता से कहा अमर ने सूना तो वहा से चले गए !
अक्षत जीजू के साथ दिल्ली पहुंचा घर पहुंचकर वह तनु और काव्या से मिला , फ्रेश हुआ और जीजू के साथ यूनिवर्सिटी के लिए निकल गया ! यूनिवर्सिटी में आकर अक्षत ने सभी फॉर्मेलिटी पूरी की और एडमिशन लिया वहा अक्षत को पता चला की फीस 3 लाख रूपये है एक पल के लिए वह थोड़ा परेशान हो गया उसे परेशान देखकर जीजू ने कहा,”टेंशन मत लो साले साहब , मैं अपने दोस्त से बात करके करवाता हु कुछ अरेंजमेंट !”
दोनों घर आ गए , अक्षत के पापा के पास पैसो की कमी नहीं थी वह एक फोन करता तो फीस से दुगुनी रकम उसे मिल जाती लेकिन अमर की शर्त के अनुसार उसे किसी की मदद नहीं लेनी थी ! घर पर जब वह इस बारे में सोच ही रहा था तो जीजू उसके पास आये और कहा,”आशु तुम्हारी फीस का इंतजाम मैंने कर दिया है , कल कॉलेज जाकर जमा करवा देना !”
“नहीं जीजू मैं आपसे पैसे नहीं ले सकता !”,अक्षत ने कहा
“लेकिन क्यों ? और हमारे बिच तेरा मेरा कबसे होने लगा ?”,जीजू ने थोड़ा नाराज होकर कहा !
“आप तो जानते है ना मीरा के पापा ने क्या कहा था ? ऐसे आपसे पैसे लिए तो धोखा हुआ ना !”,अक्षत ने कहा
“अरे पर वो कोनसा देखने आ रहे है तुम्हे ? दो दिन बाद से क्लासे शुरू होने वाली है तुम्हे इसकी जरूरत है आशु ! थोड़ा प्रेक्टिकली सोचो ना”,जीजू ने कहा
“जीजू मुझे ये सब अपनी मेहनत से करना है , किसी की मदद लेकर मैंने अगर उनकी शर्त को पूरा किया तो मीरा से नजर नहीं मिला पाऊंगा !”,अक्षत ने वहा से उठते हुए कहा ! जीजू को अक्षत का उदास चेहरा बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था उन्होंने अपने दोस्त को फोन किया और उसे सारी बात बताई !
“तू कल मुझे उसके साथ कॉलेज के ऑफिस में मिल मैं करता हु कुछ !”,कहकर जीजू के दोस्त ने फोन काट दिया !
रात के समय भी अक्षत चुपचाप था तो तनु ने कहा,”आशु जब इतना सब हो ही चुका है तो पीछे मत हटना , हम सब तुम्हारे साथ है !”
“और मैं भी आपके साथ हु मामू !”,छोटी काव्या ने प्यार से अक्षत से कहा !
काव्या को देखकर अक्षत मुस्कुरा उठा और उसे अपनी गोद में बैठा लिया ! अक्षत की गोद में आकर काव्या ने अक्षत के गाल खींचते हुए कहा,”मामू आप ऐसे सेड से अच्छे नहीं लगते , मुझे आपकी स्माइल पसंद है !”
अक्षत ने काव्या के गाल पर किस किया और कहा,”और मुझे तुम , चलो अब खाना खाते है !”
तनु ने सबको खाना परोसा और फिर सभी साथ मिलकर खाने लगे ! देर रात तक जीजू और तनु अक्षत के कमरे में बैठकर बाते करते रहे और उसे समझाते रहे की उसे ये तीन साल कैसे निकालने है ? अक्षत उनकी बाते सुनते सुनते ही सो गया , तनु ने उसके सर के निचे तकिया लगाया , उसे कम्बल ओढ़ाया और कमरे की लाइट बंद करके सोमित के साथ बाहर चली आयी ! दोनों अपने कमरे में आये काव्या सो चुकी थी उसकी कम्बल साइड में थी तनु ने उसे ओढ़ाया तो नजर सोमित पर चली गयी जो की किसी सोच में डूबा हुआ था ! उसे सोच में डूबा देखकर तनु ने कहा,”क्या बात है सोमित , कुछ परेशान हो ?”
“तनु ऐसा क्यों होता है की दो प्यार करने वाले दुनिया कुछ नहीं मांगते सिवाय एक दूसरे के साथ के फिर भी उनके एक होने पर इतनी परेशानिया क्यों ? अक्षत एक होनहार , जिम्मेदार और अपनों की परवाह करने वाला लड़का फिर भी हर बार उसे किसी ना किसी से गहरी चोट मिलती है , मीरा , अगर मैं कहु वो दुनिया सबसे अच्छी लड़की है तो शायद गलत नहीं होगा , वो हर इंसान का भला सोचती है उनका भी जिन्होंने उसके साथ गलत किया , लेकिन फिर भी कोई न कोई उसकी आँखों में आंसू दे जाता है !”,जीजू ने इमोशनल होकर कहा
तनु सोमित के पास आयी और उसका हाथ अपने हाथो में लेकर कहा,”क्योकि सच्चे प्यार में अक्सर यही होता है सोमित , उनका साथ होना किसी को गवारा नहीं होता !”
“लेकिन मीरा और अक्षत को मिलना होगा तनु , इन दोनों ने एक दूसरे के लिए जितना दर्द सहा है उसके बाद भी अगर ये नहीं मिले तो मैं समझूंगा मोहब्बत नाम की चीज होती ही नहीं है , वो लैला मजनू , हीर राँझा सब झूठ है फ़रेब है”,जीजू ने कहा !
“वो दोनों एक ही है सोमित , और तुम देखना सोमित बहुत जल्द ये सारी परेशानिया ख़त्म हो जाएगी !”,तनु ने कहा
“हां , अक्षत को जब परेशान देखता हु तो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता , वो सिर्फ तुम्हारा भाई नहीं बल्कि मेरा दोस्त भी है , मेरा बच्चा भी है ! मैं उसे हारने नहीं दूंगा तनु !”,सोमित ने कहा
“मुझे आप पर पूरा भरोसा है”,तनु ने कहा
“थैंक्यू तनु , तुम थक गयी होगी , चलो सो जाओ !”,जीजू ने कहा !
तनु और सोमित दोनों सोने चले गए ! अगली सुबह अक्षत उठा और यूनिवर्सिटी जाने के लिए तैयार हुआ , जीजू भी तैयार थे अक्षत उनके साथ यूनिवर्सिटी के लिए निकल गया ! जीजू का दोस्त उसी यूनिवर्सिटी में केशियर था जीजू अक्षत के साथ उस से मिले ! दोनों उसके ऑफिस में थे , सामने बैठा वह आदमी जिसका नाम प्रणव सिन्हा था अपने कम्प्यूटर पर कुछ काम कर रहा था ! उसने कुछ देर बाद अक्षत की और मुखातिब होकर कहा,”मिस्टर अक्षत व्यास फर्स्ट कॉन्ग्रैचुलेशन की तुमने इंट्रेस में टॉप किया !”
“थैंक्यू सर !”,अक्षत ने सहज भाव से कहा
“उसकी वजह से यूनिवर्सिटी वालो ने तुम्हारी फीस का 50% माफ़ कर दिया है !”,प्रणव ने कहा
अक्षत ने सूना तो ख़ुश हो गया उसकी आधी परेशानी वही ख़त्म हो गयी उसने जीजू की और देखा तो जीजू मुस्कुरा दिए ! प्रणव ने आगे कहा,”बची आधी फीस तो सोमित के रेफरेंस से पेंडिंग में डाल दी है तुम धीरे धीरे करके वो दे सकते हो ,, यूनिवर्सिटी वालो से मैं बात कर लूंगा !”
“थैंक्यू सो मच सर आप नहीं जानते अपने मेरी कितनी बड़ी हेल्प की है थैंक्यू सो मच !”,अक्षत ने कहा !
“अब अच्छे से पढाई करना , तुम्हारी किस्मत बहुत अच्छी है”, प्रणव ने कहा और कुछ पेपर्स अक्षत को थमाकर आगे कहा,”ये कॉलेज के रूल्स और रेगुलेशन है इन्हे पढ़ लेना और सिग्नेचर करके रूम नंबर 106 में जमा करवा देना , वहा से तुम्हे तुम्हारा आई डी कार्ड मिल जायेगा ,, वेल कम इन द यूनिवर्सिटी !”
अक्षत ने पेपर लिए और प्रणव से हाथ मिलाकर कहा,”थैंक्यू सो मच सर !”
“आशु तुम चलो , मैं आता हु !”,जीजू ने अक्षत से कहा तो अक्षत बाहर चला आया और वहा पड़ी बेंच पर बैठकर पेपर्स पढ़ने लगा ! प्रणव उठा और जीजू के पास आया तो उन्होंने एक लिफाफा निकालकर उसे देते हुए कहा,”थैंक्स यार तूने मेरे लिए ये सब किया !”
“दोस्त भी मानता है और थैंक्यू भी बोलता है !”,प्रणव ने लिफाफा लेकर ड्रावर में रखते हुए कहा !
“तूने अपने रिस्क पर जो किया है वो बहुत बड़ा काम है , अब अक्षत आराम से अपना सपना पूरा कर पायेगा !”,जीजू ने कहा
“मैंने क्या किया भाई , मुझे तो फीस के पुरे 3 लाख मिले है बस एक छोटा सा झूठ ही तो कहा है मैंने वो भी तुम्हारे कहने पर ,, पर एक बात समझ नहीं आयी तू ये पैसे उसे भी तो दे सकता था ना !
“अगर मैं सामने से उसकी मदद करता तो वो कभी नहीं लेता इसलिए मुझे ये सब करना पड़ा , और प्लीज भूल से भी उसके सामने सच नहीं आना चाहिए”,जीजू ने कहा
“डोंट वरी यार मैं ध्यान रखूंगा ! पर तू अपने रिश्तेदार के लिए इतना सब क्यों कर रहा है ?”,प्रणव ने कहा
“रिश्तेदार नहीं बेटा है वो मेरा !”,जीजू ने विश्वास भरे शब्दों में कहा तो प्रणव झेंप गया और कहा,”अच्छा मैं चलता हु मुझे प्रिंसिपल ने बुलाया है !”
जीजू ने प्रणव से हाथ मिलाया और बाहर आ गए , बाहर अक्षत बेंच पर बैठा पेपर्स में नजरे गड़ाए बैठा था , जीजू उसकी बगल में आकर बैठे और कहा,”खुश हो !”
“ह्म्म्मम्म”,अक्षत ने कहा
“तो फिर चलो आई डी कार्ड लो अपना !”,जीजू ने कहा
अक्षत और जीजू रूम नंबर 106 के सामने आये और अक्षत अंदर जाकर अपना आई डी कार्ड और टाइम टेबल ले आया ! अगले दिन सुबह 8 बजे से उसकी क्लास स्टार्ट थी ! दोनों कॉलेज से बाहर आये उनके बाहर निकलते ही गेट पर खड़े आदमी ने फोन किया और कहा,”सर उसने कॉलेज में एडमिशन ले लिया है और पता चला है की उसकी आधी फीस यूनिवर्सिटी वालो ने माफ़ कर दी है !”
“ठीक है !”,सामने वाले आदमी ने जवाब दिया और फोन काट दिया !
जीजू ने अक्षत को घर छोड़ा और खुद अपने ऑफिस के लिए निकल गए ! घर आकर अक्षत ने खाना खाया और बैठकर अख़बार देखने लगा , अख़बार में एक ऐड पर अक्षत की नजर रुक गयी जिसमे लिखा था “डोमिनोज में काम करने के लिए अर्जेन्ट लड़के की जरूरत” निचे उस जगह का एड्रेस लिखा था ! अक्षत सोचने लगा – यहाँ मुझे 3 साल रुकना है और ऐसे में अपने निजी खर्चे के लिए मैं दी और जीजू को कैसे परेशान कर सकता हु , आई थिंक मुझे ये जॉब देखना चाहिए ,, प्रणव सर को बाकि की फीस भी देनी है पापा से हेल्प ले नहीं सकता , पढाई के साथ साथ पार्ट टाइम जॉब भी कर लूंगा !!”
अक्षत ये सब सोच ही रहा था की तभी उसका फोन बजने लगा , उसने देखा घर से था दिल्ली आने के बाद अक्षत ने घरवालों से बात ही नहीं की थी उसने फोन उठाया और सबसे बात की , उसे अच्छा महसूस हो रहा था पापा ने उस से पैसे भेजने के बारे में पूछा तो अक्षत ने मना कर दिया !! उनसे बात करके अक्षत तनु को बोलकर बाहर चला गया !! अक्षत के हाथ में वो पेपर वाला एड्रेस था अक्षत ने ऑटो वाले से उस एड्रेस पर चलने को कहा ! जैसे ही ऑटो उस जगह पहुंचा अक्षत थोड़ा हैरान हुआ क्योकि ये जगह उसके कॉलेज से कुछ ही दूर पहले थी ! अक्षत ने ऑटो वाले को पैसे दिए और पिज़्ज़ा सेंटर पहुंचा अंदर आकर रिसेप्शन पर पूछ -ताछ करके ऑफिस के सामने आया वहा दो लड़के पहले से बैठे थे हाथ में कुछ फाइल लेकर , अक्षत को याद आया वह कुछ लाया ही नहीं ! खैर खाली जगह देखकर वह भी सोफे को कोने पर बैठ गया ! वेटर पानी लेकर लेकर आया लेकिन अक्षत की नजर उसके हाथ पर गयी जिस से उसने चार ग्लास एक साथ पकडे थे और उंगलिया पानी में थी ! अक्षत ने ये देखकर ना में गर्दन हिला दी !
वेटर चला गया दोनों लड़के बारी बारी अंदर गए और वापस आकर वहा से चले गए अक्षत की बारी आयी तो वह चला आया ! उसे खाली हाथ देखकर सामने बैठे आदमी ने जो की उस रेस्त्रो का मालिक था ने अक्षत से कहा,”रेज्यूम नहीं लाये तुम ?”
“पढ़े लिखे होने के बावजूद भी अगर रेस्त्रो ने नौकरी करनी पड़े तो , डिग्री और रेज्यूम किस काम के सर ?”,अक्षत ने सहजता से कहा
“बाते अच्छी करते हो , नाम क्या है तुम्हारा ?”,आदमी ने अक्षत से इम्प्रेस होकर कहा
“अक्षत व्यास , इंदौर से”,अक्षत ने कहा
“बैठो ! (उसने अक्षत से बैठने को कहा और फिर अगला सवाल किया) इंदौर से यहां नौकरी के लिए आये हो ?”,उसने कहा
“जी नहीं मैं लॉ स्टूडेण्ट हु और पढाई के साथ साथ अगर पार्ट टाइम जॉब भी कर सकू तो सही रहेगा !”,अक्षत ने कहा
आदमी कुछ देर एकटक अक्षत को देखता रहा और फिर कहा,”देखने में तो अच्छे घर के लगते हो , खैर मुझे तुम पसंद आये तुम चाहो तो कल से ही ज्वाइन कर सकते हो”
“सर सुबह 8-2 मेरा कॉलेज है , मैं उसके बाद ही आ सकता हु !”,अक्षत ने कहा
“कोई बात नहीं सुबह वाले टाइमिंग में हमारे पास लड़के है तुम चाहो तो शाम 3 से 8 आ सकते हो , सेलेरी 12000 है , रेस्त्रो की और से यहाँ के लोगो का एप्रिन मिलेगा जिसे ड्यूटी टाइम में पहनना जरुरी है ,, तुम्हारा काम आर्डर लेना और तैयार आर्डर को कस्टमर की टेबल तक पहुंचाना है ,, कर पाओगे !”
अक्षत सोचने खामोश होकर लगा उसे यहाँ एक वेटर की तरह काम करना था , अक्षत मुस्कुरा उठा तो सामने बैठे आदमी ने कहा,”क्या हुआ इरादा बदल गया ?”
अक्षत उठा और कहा,”नहीं सर जीने का तरिका बदलना पडेगा , आई विल मीट यू टोमोरो”
“बेस्ट ऑफ़ लक !”,आदमी ने कहा और अपने काम में लग गया ! अक्षत की नजर टेबल पर रखे नेम प्लेट पर पड़ी जिस पर उन सज्जन का नाम लिखा था – “चेतन माथुर”
अक्षत वहा से बाहर आ गया , वह खुश था की अब तक किस्मत उसका साथ दे रही थी , अक्षत सड़क पार कर दूसरी साइड आया वह ऑटो का इंतजार कर ही रहा था की एक बच्चा आकर उस से पैसे मांगने लगा , अक्षत ने देखा बच्चे की हालत बहुत दयनीय थी उसने जेब से पर्स निकाला और एक नोट निकालकर बच्चे को पकड़ा दिया ! बच्चे को पैसे देकर अक्षत ने जैसे ही पर्स वापस रखने के लिए हाथ आगे बढ़ाया एक जेबकतरा उसका पर्स लेकर भाग गया , अक्षत उसके पीछे भी गया लेकिन तब तक वह आँखों से ओझल हो चुका था ! उसके पर्स में 4000-5000 रूपये थे , पर्स के साथ साथ वो सब भी चले गए उसने जेब चेक की लेकिन उनमे कुछ भी नहीं था ! अक्षत हंस पड़ा और खुद से ही कहा,”बड़ा भरोसा था अपनी किस्मत पर इम्तिहान तो अब शुरू हुआ है !”
अक्षत पैदल ही घर की और चल पड़ा ! चलते चलते वह महसूस कर रहा था की रास्ते सच में कितने लम्बे होते है ! धुप की वजह से गर्मी लगने लगी थी तो उसने शर्ट की बाजु मोड़कर कोहनी तक चढ़ा ली ! अक्षत घर पहुंचा और चुपचाप अपने कमरे में चला आया तनु को उसने इस बारे में कुछ नहीं बताया क्योकि वह जानता था अगर घर में पता चला तो तनु और जीजू उसे जॉब करने नहीं देंगे !!
अमर के जाने के बाद मीरा कुछ देर तक किताब पढ़ती रही पर इतने बड़े घर में वह अकेले क्या करती ? जब किताब पढ़ते पढ़ते ऊब गयी तो उठी और बाहर लॉन में आ गयी ! मीरा ने देखा वहा ढेर सारे अलग अलग पौधे थे , मीरा को करने के लिए काम मिल गया था उसने अपने बालो को समेटकर जुड़ा बनाया और उन पोधो को साफ करने लगी , जिन पोधो की पत्तिया और फूल ख़राब हो चुके थे उन्हें तोड़कर अलग करने लगी ! नोकरो ने देखा तो उनमे से दो नौकर दौड़ते हुए आये और एक ने कहा,”मैडम आप ये सब रहने दीजिये , मुझे बताईये मैं कर देता हु !”
“नहीं हमे ये सब करना अच्छा लगता है हम कर लेंगे , आप जाईये !”,मीरा ने बिना उन लोगो की और देखे कहा तो बेचारे चुपचाप वहा से चले गए पर साथ ही डर भी रहे थे कही अमर ने ये सब देखा तो उनकी खैर नहीं ! मीरा दिनभर लॉन में काम करती रही कुछ काम उसने नोकरो से भी करवाया , उसे वक्त का पता ही नहीं चला और कब दिन ढल गया ! मीरा ने अपने हाथ पांव धोये और अंदर चली आयी ,, अंदर आकर वह बालकनी के पास खड़ी हो गयी और डूबते हुए सूरज को देखने लगी , मीरा को दिन का ये पहर बहुत अच्छा लगता था , लेकिन आज इस पहर में उसका चेहरा उदासी से घिर गया , उसे अक्षत की याद आने लगी थी , वो तो ये भी नहीं जानती थी की अक्षत को वापस आने में कितना समय लगेगा ! उसे बस इंतजार करना था एक लंबा इंतजार
मीरा वहा खड़े अक्षत के बारे में सोच ही रही थी की तभी नौकर ने आकर कहा,”मैडम रात के खाने में क्या खाएंगी आप ?”
“जो सबके लिए बनता है हम भी वही खा लेंगे !”,मीरा ने सहजता से कहा
“साहब तो हमेशा अपना खाना बाहर से मंगवाते है , बाकि हम लोगो का खाना पीछे सर्वेंट हॉउस में बनता है !”,नौकर ने कहा
“बाहर से क्यों ?”,मीरा ने कहा
“साहब को घर का खाना पसंद नहीं है , आप बता दीजिये आप क्या खाएंगी मैं रसोईये से कहकर बनवा देता हु !”,नौकर ने कहा
“चावल , मुंग की दाल और चपाती खा लेंगे हम !”,मीरा ने कहा
“जी मेडम ठीक है !”,कहकर नौकर वहा से चला गया !
मीरा अपने कमरे में चली आयी , रात के खाने के वक्त वह निचे चली आयी उसने देखा बड़ी सी डायनिंग टेबल जिसकी एक कुर्सी पर अमर बैठे हुए थे और उनके ठीक सामने जाकर मीरा बैठ गयी ! नौकर ने दोनों के लिए खाना परोसा और हाथ बांधकर एक और खड़ा हो गया मीरा ने अमर की थाली की और देखा जिसमे बाहर से आया खाना परोसा गया था उसने अमर से कहा,”आप बाहर से लाया खाना क्यों खा रहे है ? घर पर बना क्यों नहीं खा रहे ?”
अमर ने मीरा की और देखा और फिर अपनी प्लेट से टुकड़ा उठाकर खाते हुए कहा,”घर का खाना तभी अच्छा लगता है जब वो घर के सदस्य ने बनाया हो”
अमर के जवाब से मीरा खामोश हो गयी और अमर के चेहरे की और देखती रही मीरा ने महसूस किया की खाते वक्त अमर के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे , ऐसा लग रहा था जैसे बस वो खुद को जिन्दा रखने के लिए खाते हो , मीरा को अपनी और देखता पाकर अमर ने कहा,”खाना खाइये मीरा , ठंडा हो रहा है !”
मीरा झेंप गयी और गर्दन झुकाकर खाने लगी ! खाने के बाद जब वह अपनी प्लेट उठाकर ले जाने लगी तो अमर ने कहा,”मीरा आप रहने दीजिये , वह उठा लेगा”
“अपना काम खुद ही को साजे , ऐसा हमने हमारी माँ से सीखा है”,कहते हुए मीरा अपनी प्लेट लेकर वहा से चली गयी ! अमर ने मन ही मन खुद से कहा,”तुमने हमारी बेटी को बहुत अच्छे संस्कार दिए है , सावित्री !”
खाना खाने के बाद अमर उठकर बाहर टहलने लगे , मीरा फिर से अपने कमरे में आकर लेट गयी कानो में अमर के कहे शब्द गूंज रहे थे और इसी सोच विचार में वह नींद के आगोश में चली गई ! सुबह मीरा जल्दी ही उठ गयी और किचन में चली आयी घर के सभी नौकर अभी तक सो रहे थे , अमर भी अपने कमरे में सो रहे थे ! मीरा ने सुबह का नाश्ता बनाया और लाकर डायनिंग पर ढककर रख दिया , अमर जब निचे आये तो नौकर ने कहा,”सर नाश्ता तैयार है”
“नाश्ता ? पर हमने नाश्ता बनाने के लिए कब कहा ? तुम्हे पता है हम सुबह का नाश्ता अपने ऑफिस में करते है”,अमर ने कहा
“सर , आज का नाश्ता मीरा मैडम ने बनाया है !”,नौकर ने सर झुकाकर हाथ बांधे हुए कहा ये सुनकर अमर को बहुत हैरानी हुई और वह डायनिंग टेबल की और चले आये और आकर कुर्सी पर बैठ गए ! मीरा वही खड़ी थी अमर के आने के बाद उसने नौकर से जाने का इशारा किया और प्लेट अमर के सामने रखते हुए कहा,”खाने में आपकी पसंद नापंसद के बारे में हम नहीं जानते इसलिए अपने हिसाब से ही सब बनाया है !”
अमर ने कुछ नहीं कहा बस चुपचाप प्लेट की और देखा जा रहा था , मीरा ने उसमे नाश्ता परोसा और कहा,”आज के बाद इस घर में बाहर का खाना नहीं आएगा , हम भी इस घर सदस्य है दो लोगो के लिए खाना हम बना सकते है !”
अमर ने खाना शुरू किया जैसे ही उसने एक निवाला चखा , उसे वह स्वाद सावित्री के हाथो बने खाने जैसा ही लगा था ! वह मीरा की और देखने लगे और फिर अगला निवाला खाते हुए कहा,”अच्छा बना है !”
मीरा मुस्कुरा दी !! अमर ने नाश्ता किया और फिर ऑफिस के लिए निकल गए मीरा का मन खुश था की अमर ने उसका बनाया खाना खा लिया ! गाड़ी में पिछली सीट पर बैठा अमर बार बार मुस्कुरा रहा था तो ड्राइवर ने पूछ लिया,”साहब बुरा ना माने तो आपसे एक बात पूछे !”
“हां पूछो !”,अमर ने कहा
“इतने सालो से मैं आपके लिए गाड़ी चला रहा हु पर आज पहली बार आपको मुस्कुराते हुए देखा है , आज कुछ खास है क्या ?”,ड्राइवर ने डरते डरते कहा
“हा हम खुश है क्योकि आज हमारी बेटी ने हमारे लिए खाना बनाया !”,अमर ने ख़ुशी से भरकर कहा
“बेटिया होती ही देवी का रूप है साहब जी , और मीरा बिटिया तो साक्षात देवी है !”,ड्राइवर ने कहा !
अमर खिड़की के बाहर देखते हुए सोचने लगा,”हां वो साक्षात् देवी ही है पर उस देवी का बहुत दिल दुखाया है हमने !”
सुबह सुबह अक्षत सोकर उठा और जल्दी जल्दी तैयार होकर नाश्ता करने कमरे से बाहर आया , उसने नाश्ता किया और अपना बैग लेकर जैसे ही जाने लगा जीजू ने कहा,”आशु रुक मैं छोड़ देता हु कॉलेज तक !”
“इट्स ओके जीजू रोज रोज आप थोड़े जाओगे , मैं चला जाऊंगा !”,अक्षत ने कहा !
“ओके अपना ख्याल रखना !”,जीजू ने कहा
“हां , बाय !”,कहकर अक्षत वहा से निकल गया ! घर से बाहर आकर अक्षत पैदल ही कॉलेज के लिए चल पड़ा ! कॉलेज पहुंचा क्लासे अटेंड की और कॉलेज की छुट्टी होने के बाद वह एक घंटा कॉलेज के ही लॉन में बैठा रहा ! 3 बजे उसे डोमिनोज भी जाना था जैसे ही वक्त हुआ अक्षत पैदल ही रेस्त्रो की और चल पड़ा ! वहा पहुंचकर वह चेतन से मिला और अपना काम समझकर स्टाफ की तरफ आ गया ! उसके साथ वहा 3 लड़के और 2 लड़किया और थी , लड़कियों ने अक्षत को देखा तो दोनों उस पर से अपनी नजरे तक नहीं हटा रही थी और लड़के उसे देखकर जल भून रहे थे ,, उन्होंने अक्षत के आने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई अक्षत ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया और एक साइड खड़ा हो गया ! उसे बहुत अजीब लग रहा था लेकिन उसे ये करना ही था ! कस्टमर आया तो आर्डर लेने उसे ही भेजा टेबल नंबर 2 पर दो लड़किया थी अक्षत को उनका आर्डर लेना था ! अक्षत आर्डर बुक और पेन लेकर आया और कहा,”मेम आर्डर प्लीज़ !”
लड़कियों ने अक्षत को देखा तो बस देखती ही रह गयी , अक्षत ने फिर से आर्डर के लिए कहा तो उनमे से एक ने कहा,”वन वेजिटेबल पिज्जा विथ एक्स्ट्रा चीज ! एंड 2 कॉक्स !”
अक्षत ने आर्डर लिखा और जाने लगा तो दूसरी लड़की ने कहा,”यार डोमिनोज में इतने हॉट वेटर भी होते है !”
वेटर नाम अक्षत को कही खटका वह चलते चलते रुका और एक नजर लड़कियों की और देखकर वहा से चला गया ! कुछ ही देर बाद अक्षत उनका आर्डर लेकर आया और टेबल पर रखकर चला गया , लड़किया खा कम रही थी और अक्षत को ज्यादा ताड रही थी ! खाने के बाद उन्होंने बिल मांगा इस बार अक्षत की जगह दुसरा लड़का बिल रखकर गया तो दोनों अक्षत को ढूंढने लगी वह किसी और का आर्डर लेने में बिजी था !! लड़कियों ने बिल पे किया और उनमे से अक्षत के पास चली आयी जो की कोउन्टर के पास खड़ा था उनमे से एक ने अक्षत से कहा,”एक्सक्यूज मी , क्या मुझे तुम्हारा नंबर मिल सकता है ?”
अक्षत हल्का सा मुस्कुराया और कहा,”सॉरी , आई ऍम अ वेटर नॉट योर टाइप !!”

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