Kitni mohabbat hai – 57
“कितनी मोहब्बत है”
By Sanjana Kirodiwal
Kitni mohabbat hai – 57
अक्षत और मीरा की जिंदगी में एक भयंकर तूफान आ चुका था ! जहा एक और मीरा को अपना परिवार मिला वही वह अक्षत से दूर हो गयी , लेकिन अक्षत से दूर जाने की वजह क्या थी ये सिर्फ मीरा जानती थी ! अक्षत जेल में था और मीरा अमर के घर में थी , मीरा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था वह क्या करे ? बंद कमरे में दरवाजे से पीठ लगाए वह आँखों में आंसू लिए खड़ी थी ! बाहर खड़े सभी लोग हैरान थे की आखिर मीरा उन्हें देखकर खुश क्यों नहीं है ? अमर ने सबको वहा से जाने के लिए कहा और खुद मीरा से कहने लगे,”मीरा दरवाजा खोलिए , हमे आपसे बात करनी है !”
अमर की आवाज सुनकर मीरा ने दरवाजा खोल दिया
अमर अंदर आये मीरा एक तरफ खड़ी हो गयी तो अमर कहने लगा,”हम जानते है आपके मन में अभी ढेर सारे सवाल चल रहे होंगे , आपकी माँ ने आपको क्या कहानी सुनाई और आप उसे किस नजरिये से देखती है हम नहीं जानते , पर हम चाहते है की आप उस कहानी का दूसरा पहलू भी जाने !”
मीरा ने सूना तो वह अमर की और देखने लगी अमर ने सामने पड़े सोफे की और इशारा करके कहा,”बैठो !”
मीरा सोफे पर आकर बैठ गयी अमर उसकी बगल में पड़ी कुर्सी पर आ बैठे और कहने लगे,”हम जानते है आप हमसे नफरत करती है हमे पसंद नहीं करती है ! शादी के बाद हम और आपकी माँ साथ साथ खुश थे ! लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था हमने एक मजबूर औरत की मदद की और फिर उसके जाल में फसते चले गए ! ये सच था की हम उनकी मदद कर रहे थे लेकिन हमारे और उनके बिच कोई गलत रिश्ता नहीं था ! किसी को हमारी बातो पर यकीन नहीं हुआ तब उसी औरत ने हमारा साथ दिया , सहानुभूति दी और धीरे धीरे वो हमे गलत संगतो में डालने लगी जिस से हम शराब के आदि हो चुके थे ! सावित्री जब माँ बनने वाली हमे उनसे बहुत प्यार था जब हमने ये बात उस औरत को बताई तो उसने दवा के नाम पर हमे गर्भ गिराने की गलत दवा दे दी , जिस से हर बार सावित्री का गर्भ गिरता रहा ,, तब तक हमे नशे में रहने की आदत हो चुकी थी !! बिना सच जाने हम सावित्री को वो दवा खिलाते रहे क्योकि वो औरत नहीं चाहती थी हमे सावित्री से कोई संतान हो क्योकि उसकी नजर हमारी दौलत और राजपुताना हवेली पर थी जिसके इकलौते वारिश हम थे !! हम उस वक्त कुछ समझ नहीं पाए और हमारी आँखों के सामने ही सब ख़त्म होने लगा ,, पिताजी का स्वस्थ्य खराब होने की वजह से वो अब बिस्तर पर आ चुके थे और एक दिन सावित्री ने वो दवा नहीं खाई और आप बच गयी , आप इस दुनिया में आयी जिसकी ख़ुशी उस वक्त हमे सबसे ज्यादा हुई थी लेकिन तब तक हम सबकी नजरो में गिर चुके थे और इसी वजह से आपके दादाजी ने हमारे हिस्से की जायदाद आपके नाम कर दी ! हम सावित्री को सच बता पाते इस से पहले ही वो आपको अपने साथ लेकर जा चुकी थी ,, हम इतने बदकिस्मत थे की आपको एक बार अपनी गोद में भी नहीं ले पाए थे !! आपको और सावित्री को ढूंढने की बहुत कोशिश की लेकिन आप दोनों नहीं मिली !!”
“आप हमे सिर्फ उस जायदाद के लिए ढूंढ रहे थे !”,मीरा ने नफरत भरे लहजे में कहा
अमर मुस्कुराने लगा और कहा,”अगर हमे आपकी जायदाद ही चाहिए होती तो हम आपको कबका खत्म करवा सकते थे , यहां लेकर नहीं आते ! पिताजी जा चुके थे , हमारी बुरी आदतों की वजह से बड़े भाई साहब और उनका परिवार हमेशा के लिए भारत से बाहर चला गया , छोटा भाई भी उस हवेली को छोड़कर अपने परिवार के साथ जा चुका था ! सौंदर्या भी अपने बच्चो के साथ चली गयी कोई नहीं था हमारे पास उस हवेली में कोई बचा था तो वो था सिर्फ मैं , हम पल पल पश्चाताप की आग में जल रहे थे की हम अपने ही हाथो अपना सब बर्बाद कर चुके थे !! वो हवेली छोड़े हमे सालो हो चुके है हमने अपनी मेहनत से ये सब हासिल किया है मीरा हमे आपकी या अपने पिता की जायदाद की ना कल जरूरत थी न ही आज है !!”
अमर की बातो में मीरा को थोड़ी सच्चाई नजर आ रही थी तो उसने कहा,”अगर ये सच था तो आप माँ से मिले क्यों नहीं ? कितने साल उन्होंने आपके बिना गुजारे है , स्कूल में सबके पापा आते थे लेकिन हमारे पास पापा नहीं थे ,, हमे जब आपकी जरूरत थी तब आप हमारे साथ नहीं थे फिर आज क्यों ? क्यों वापस आये है आप हमारी जिंदगी में ?”
मीरा के इस सवाल पर अमर कुछ देर खमोश रहा और फिर कहने लगा,”एक पिता होने का फर्ज हमे खिंच लाया मरने से पहले अपने हाथो से आपका कन्यादान करना चाहते है , शायद इस से हमारे किये पाप कम हो जाये ! बेटिया नसीबवालों के घर में जन्म लेती है पर हम बदनसीब थे जो आपको पिता होने का सुख नहीं दे पाए ! कुछ ही वक्त है हमारे पास मीरा और उस से पहले हम आपको शादी के जोड़े में देखना चाहते है , एक पिता की तरह आपका विवाह सम्पन करना चाहते है और आपका कन्यादान करना चाहते है ,, ये हक़ हमसे मत छीनिये मीरा !!
कहते हुए उनकी आँखे छलक आयी पर उन्होंने खुद को सम्हाल लिया !
मीरा बस ख़ामोशी से सब सुन रही थी ! उसे चुप देखकर अमर कहने लगे,”हम जानते है जाने अनजाने में हमने आपको बहुत तकलीफ पहुंचाई है और इसके लिए हम आपसे माफ़ी भी मांग रहे है !! आज जो आपका परिवार यहाँ मौजूद है ये हमारे लिए बल्कि आपके लिए यहाँ आये है , आपसे मिलने ! सब आपसे बहुत स्नेह करते है मीरा हो सके तो कुछ वक्त उनके साथ बिताइए क्योकि कुछ दिन बाद ये सब भी यहाँ से चले जायेंगे !”
अमर उठे और कमरे से बाहर निकल गए मीरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह उन पर भरोसा करे या ना करे ? पर अमर पर भरोसा करने की एक मजबूत वजह ये भी थी की उन्होंने मीरा को अभी तक कोई नुकसान नहीं पहुंचाया था ! वह मीरा को वो सब देने की कोशिश में लगे थे जो आज तक उसे नहीं मिला ! मीरा सोच में डूबी हुई थी की कुछ देर बाद ही कमरे में ताईजी , चाची और सौंदर्या भुआ आयी ! वे तीनो मीरा के आस पास आ बैठी और मीरा से बाते करने लगी ! मीरा ने सहज होकर सबसे बाते की लेकिन उसका मन कही और था उसके चेहरे के सामने बार बार अक्षत का चेहरा आ रहा था ! रात के खाने में मीरा की आवभगत होती रही , उसके साथ किसी राजकुमारी की तरह व्यवहार किया जा रहा था और मीरा ख़ामोशी से बस सब देखते जा रही थी !! देर रात मीरा अपने कमरे में आयी उसने कमरे में रखे फोन से निधि का नंबर डॉयल किया ! उधर से निधि ने फोन उठाकर कहा,”हेलो कौन ?”
“निधि हम बोल रहे है , मीरा
“अब तो खुश हो न तुम मीरा , तुमने ये सब करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा ! जाना था तो चली जाती कोई नहीं रोकता तुम्हे लेकिन अक्षत भाई का दिल क्यों तोडा तुमने ? जानती हो आज तुम्हारी वजह से वो जेल में है ,, घर में सब दुखी है वो तुम्हारी वजह से ! सबकी फ़िक्र करती थी न तुम , फिर आज ऐसा क्यों किया सबके साथ (कहते हुए निधि लगभग रो पड़ी)
“निधि एक बार हमारी बात तो सुनो , हमने जो कुछ भी किया
“कुछ नहीं सुनना मुझे मीरा , तुम झूठी हो तुमने झूठा वादा किया मुझसे ,, मेरी ही गलती थी जो मैंने तुम्हे अपनी दोस्त से बढ़कर समझा और तुम्हे अपने घर में लेकर आयी ,, पर मैं कहा जानती थी तुम हम सबका दिल तोड़कर जाओगी !
“हम मजबूर है निधि , तुम हमारी दोस्त हो कम से कम तुम तो हमे समझो (मीरा की आँखों से आंसू बहने लगे)
“कैसी मज़बूरी मीरा ? बच्ची नहीं हो तुम जो किसी ने आकर तुमसे कुछ कहा और तुम चल पड़ी उसके साथ ,, माँ पापा भाई सबने कितना प्यार दिया था तुम्हे और आज वो सब इस हालत में है , ऐसा क्यों किया मीरा ?
“अक्षत जी कैसे है ?
“तुम्हे फर्क पड़ता भी है भाई की हालत से , वो रो रहे थे तुम्हारे , तुमसे ना जाने की भीख मांग रहे थे , तुम्हारी आँखों के सामने उन्हें जलील किया जा रहा था उन्हें मारा जा रहा था पर तुमने एक बार उनकी तरफ देखा तक नहीं ,, क्या यही था तुम्हारा प्यार ? भाई की एक आह पर तुम्हारी आँखों से आंसू निकल आते थे फिर आज तुम्हारा इतना पत्थर कैसे हो गया मीरा ?
मीरा ने कुछ नहीं कहा उसकी आँखों से आंसू बहकर गालो पर आ गए ! उधर निधि भी बस सिसकते जा रही थी एक तरफ उसकी दोस्त थी और दूसरी तरफ उसका भाई जो इस वक्त दर्द में था निधि कुछ देर खामोश रही और फिर कहा,”आज के बाद मुझसे बात मत करना मीरा , आज तुमने जो किया है वो करके तुमने मुझे और मेरे घरवालों को बहुत ठेस पहुंचाई है , अच्छी दोस्ती निभाई है तुमने मीरा !” निधि एक बार हमारी बात तो सुनो
निधि ने मीरा की बात सुने बिना ही फोन काट दिया ! मीरा ने फोन निचे रख दिया उसका मन बहुत बेचैनी से घिरा हुआ था
उसकी आँखे आंसुओ से भरी हुई थी और मन बहुत उदास था ! वह खिड़की के पास आकर खड़ी हो गयी और आसमान में खिले उस अधूरे चाँद को देखने लगी ! हां वो अधूरी थी अक्षत के बिना !! सारी रात मीरा ने जागकर गुजार दी , उधर अक्षत हवालात में था गुस्सा अब दर्द में बदल चुका था उसे ना अपनी परवाह थी ना ही घरवालों की वह बस उसे फ़िक्र थी तो सिर्फ मीरा की ,, रातभर वह सोया नहीं , जिस्म मार से दर्द कर रहा था पर उस से भी ज्यादा दर्द मीरा से दूर होने का था ! अर्जुन ने बहुत कोशिश की लेकिन वह अक्षत को छुड़ा नहीं पाया ऊपर से रात हो चुकी थी और ऐसे में अक्षत का छूटना पॉसिबल नहीं था ! मीरा के पिता की शहर में बहुत धाक थी ऐसे में इंस्पेक्टर भी उन्ही के इशारो पर चल रहा था ! जीजू को जब इस बारे में पता चला तो वह भी अगले दिन इंदौर आ पहुंचे !! सोमित जीजू को देखकर अर्जुन को थोड़ी हिम्मत मिली और सुबह सुबह ही दोनों पुलिस स्टेशन जा पहुंचे , अक्षत हवालात के एक कोने में मायूस सा बैठा था उसकी आँखे देखकर लग रहा था जैसे वह रातभर सोया नहीं है ! जीजू ने इंस्पेक्टर से बात की लेकिन इंस्पेक्टर किसी भी हाल में अक्षत को छोड़ने को तैयार नहीं था उसने उसके खिलाफ बहुत मजबूत केस बनाया था ! जीजू और अर्जुन दोनों ही परेशान थे की आखिर अक्षत को कैसे छुड़ाया जाये ? तभी जीजू को मीरा का ख्याल आया और वह अर्जुन को लेकर बाहर आये उन्होंने अर्जुन से कहा,”साले साहब , मीरा से बात हुई आप लोगो की ? एक वो ही है जो इस वक्त अपने पापा से बात करके अक्षत को छुड़वा सकती है !”
“नहीं जीजू मीरा से कोई बात नहीं हो पाई , उसका फोन भी अपने घर में ही है !”,अर्जुंन ने हताश होकर कहा
“तुम घबराओ मत मैं कुछ करता हु !”,जीजू ने अर्जुन को हिम्मत दी इसके बाद दोनों अक्षत को वहा से निकालने की कोशिश में जुट गए ! सुबह से दोपहर होने को आयी लेकिन ना जीजू कुछ कर पाए ना ही अर्जुन उन्होंने अक्षत के लिए जो वकील किया वो भी अमर का नाम सुनकर पीछे हट गया ! जीजू पुलिस स्टेशन में ही थे तभी इन्स्पेक्टर के पास फोन आया और कुछ देर बात करने के बाद उसने कॉन्स्टेबल से कहा,”कॉन्स्टेबल , छोड़ दो उसे !”
अर्जुन और जीजू ने सूना तो उन्होंने थोड़ी राहत की साँस ली ! इंस्पेक्टर उसकी और पलटा और कहा,”वार्निंग देकर छोड़ रहा हु , इस बार कुछ नाटक किया तो ऐसा केस बनाऊंगा जिंदगी भर जेल में सड़ेगा !”
“थैंक्यू इंस्पेक्टर मैं ख्याल रखूंगा अक्षत ऐसा कुछ ना करे जिस से किसी को भी परेशानी हो !”,जीजू ने कहा कुछ देर बाद अक्षत उनके सामने था जीजू और अर्जुन उसे लेकर बाहर आये और घर निकल गए ! कुछ ही देर बाद सभी घर पहुंचे राधा का तो रो रोकर बुरा हाल हो चुका था उन्होंने जैसे ही अक्षत को उस हालत में देखा उसे सीने से लगाकर फफक पड़ी !! अक्षत को सभी उदास थे आज से पहले किसी ने उसे इस हाल में नहीं देखा था , राधा उसे लेकर अंदर आयी और उसकी मरहम पट्टी करने लगी ,, दर्द और थकान की वजह से अक्षत वही हॉल में ही सो गया , राधा ने उसे कम्बल ओढ़ाई और वही बैठकर उसका सर सहलाने लगी , उसकी आँखों से आंसू बहते रहे विजय ने देखा तो उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”राधा हमारा बेटा घर आ चुका है , दिल छोटा मत करो !”
“मुझसे इसकी ये हालत देखी नहीं जा रही है , कितना मारा है इसे उन लोगो ने ,, इसने किसी का क्या बिगाड़ा था जो आज इसके साथ ये सब हो रहा है”,राधा रोते हुए विजय के सीने से जा लगी ! वे उसका सर सहलाकर उसे चुप कराने लगे और नीता को अपने पास बुलाकर राधा को वहा से ले जाने को कहा नीता राधा को लेकर उनके कमरे में आ गई !
अक्षत शाम तक सोता रहा जैसे ही उसकी आँख खुली वह उठकर मीरा को ढूंढने लगा और फिर उसे याद आया की मीरा को उसके पापा ले जा चुके है ! उसके हाथ और कंधे में बहुत दर्द था लेकिन अक्षत घर से बाहर आया बाइक स्टार्ट की और वहा से निकल गया ! नीता ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन अक्षत बिना सुने वहा से निकल गया ! एक घंटे की भाग दौड़ में आखिर उसे अमर के घर का पता मिल ही गया ! अक्षत गुस्से से फुल स्पीड में वहा से निकला ! नीता ने जब घरवालों को अक्षत के जाने के बारे में बताया तो सभी फिर से परेशान हो गए ! जीजू और अर्जुन गाड़ी लेकर निकले नीता और दादी माँ ने राधा को सम्हाला ,, दादाजी विजय को हिम्मत दे रहे थे !!
उधर मीरा ख़ामोशी से सब घरवालों के बिच बैठी थी उसे देखने कोई लड़का आया था , लड़के ने मीरा को देखते ही पसंद भी कर लिया और रिश्ता तय हो गया , पर मीरा ने कुछ नहीं कहा उसकी ख़ामोशी के पीछे की वजह कोई नहीं जानता था ! अक्षत जैसे ही बंगले के मैन गेट पर पहुंचा गार्ड्स ने उसे रोक लिया ! अक्षत अंदर जाने की जिद करने लगा और इस वजह से बाहर काफी शोर शराबा हो रहा था ! अमर और बाकि सब बाहर चले आये लेकिन मीरा वही बैठी रही ! अमर ने जैसे ही अक्षत को वहा देखा उसका गुस्सा सांतवे आसमान पर चढ़ गया उन्होंने गार्ड्स से कहा,”उठा के बाहर फेंक दो इसे !”
“मैं मीरा को लेने आया हु , और उसे अपने साथ लेकर जाऊंगा ! कोई रोक नहीं सकता मुझे !”,अक्षत ने चिल्लाकर कहा जिसकी आवाज मीरा के कानो में भी जा गिरी लेकिन वह खुद को मजबूत बनाये वही बैठी रही ! वह नहीं चाहती थी वह अक्षत के सामने जाये और कमजोर पड़ जाये !
अक्षत की बातो से अमर को और गुस्सा आ गया तो उन्होंने गार्ड्स से कहा,”इसके हाथ पैर तोड़कर बाहर फेंक दो इसे !”
गार्ड्स ने अक्षत को पीटना शुरू किया , अक्षत पहले से घायल था और ऐसे में खुद को बचाना काफी मुश्किल हो रहा था ,, दो तीन घुसो के बाद वह निचे जा गिरा , उसकी दर्दभरी आह निकली और उसने लगभग बेहोशी की हालत में कहा,”वो मेरी है , उसे मुझसे दूर मत कीजिये ,, मीरा को मेरे साथ जाने दीजिये !! मीरा ने खुद को बहुत रोकने की कोशिश की लेकिन अक्षत की आह ने उसे बैचैन कर दिया और वह बाहर आयी , अक्षत ने अधखुली आँखों से मीरा को देखा मीरा ने जैसे ही उसकी और जाना चाहा अमर ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया ! मीरा ने भीगी आँखों से उनकी और देखा और कहा,”हमे जाने दीजिये , वो मर जायेंगे ,, प्लीज हमे जाने दीजिये”
“आपको अपना वादा याद है मीरा”,अमर ने सख्त स्वर में कहा तो मीरा के कदम वही रुक गए !! ना जाने कहा से उस वक्त अक्षत में जान आयी वह उठा और मीरा की और आने की कोशिश की लेकिन गार्ड्स ने उसे फिर से पकड़ लिया और घसीटते हुए ले जाने लगे ,
अक्षत चीखता रहा चिल्लाता रहा पर मीरा जैसे पत्थर बन चुकी थी उसके सामने उसने कुछ नहीं कहा ! गार्ड्स ने अक्षत को ले जाकर सड़क के उस और फेंक दिया ! मीरा ये सब देखकर दौड़ते हुए अंदर चली आयी ! बाकि सब घरवाले ये देखकर हैरान थे पर कीसी में भी अमर से पूछने की हिम्मत नहीं थी ! अमर जैसे ही अंदर आया मीरा ने तड़पकर कहा,”जब हम आपकी हर बात मानने को तैयार है तो फिर क्यों कर रहे है आप ये सब ?
“बदला ले रहे है हम उस औरत से जिसने हमे हमारी पत्नी और बेटी से दूर रखा !”,अमर ने कठोरता से कहा
“पर इन सब में अक्षत जी की कोई गलती नहीं है , ना ही राधा माँ ने कुछ गलत किया ! आप इतने पत्थर दिल कैसे हो सकते है ?”,मीरा ने आँखों में आंसू भरकर कहा
“हम पत्थर दिल नहीं है मीरा पर राधा को हम कभी माफ़ नहीं करेंगे !”,कहते हुए अमर वहा से चला गया ! मीरा बेड के किनारे घुटने टेक कर गिर पड़ी और फुट फुट कर रोने लगी ! आज जो कुछ हो रहा था उसके लिए वह खुद को जिम्मेदार मान रही थी ! अक्षत बुरी तरह हार चुका था वह होश में नहीं था किसी तरह वह उठा , अर्जुन और जीजू उसे ढूंढते हुए वहा आ पहुंचे !! उन्होंने अक्षत को सम्हाला और जीजू उसे अपने साथ लेकर पिछली सीट पर बैठ गए ! तीनो घर पहुंचे उसके होंठ से खून बह रहा था ! शर्ट गंदी हो चुकी थी , बाल बिखरे और आँखे लाल आंसुओ से भरी ! जीजू और अर्जुन किसी तरह उसे सम्हाल कर उसके कमरे तक लेकर आये , जैसे ही अक्षत को होश आया वह वापस मीरा के लिए जाने लगा जीजू ने उसे रोका तो उसने सबको साइड धक्का देकर कहा,”ऐसे कैसे कर सकती है वो ? कैसे जा सकती है वो मुझे छोड़कर !”
उसे दर्द में देखकर हर किसी की आँखे नम थी ! विजय से ये सब देखा नहीं गया तो वह निचे चले आये और दादू के पास आ कर फफक पड़े ! कोई भी पिता अपने बच्चे को ऐसी हालत में नहीं देखना चाहेगा जिस हालत में अक्षत था ! जीजू ने अक्षत को सम्हाला तो अक्षत वही घुटनो के बल गिरकर रोते हुए कहने लगा,”उसने कहा था वो हमेशा मेरे साथ रहेगी , खुश रहेगी फिर क्यों चली गयी वो ? उसने एक बार मेरी और देखा तक नहीं !!”
जीजू की आँखे भी नम हो गयी उन्होंने उसे कसकर अपने सीने से लगा लिया उनसे कुछ बोला नहीं जा रहा था ! अक्षत इस वक्त बच्चो की तरह रो रहा था अर्जुन उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”सब ठीक हो जायेगा आशु तू ऐसे हिम्मत मत हार !”
अक्षत गुस्से से जीजू से दूर हुआ और कहा,”कुछ ठीक नहीं होगा , उसने कहा था मुझसे शादी करने के लिए मैंने ही उसकी बात नहीं सुनी ,, झूठ कहती है वो की प्रार्थना करने से सब सही हो जाता है ,, फिर आज क्यों नहीं है वो मेरे पास ? क्यों चली वो ऐसे ?”
जीजू ने उसे सम्हालने को कोशिश की लेकिन उसका गुस्सा और दर्द दोनों बहुत ज्यादा थे और ऐसे में अक्षत को सम्हालना बहुत मुश्किल हो रहा था ! अक्षत ने अपने आंसू पोछे उसका चेहरा लाल हो चुका था , आँखे रोने की वजह से सूज चुकी थी वह जीजू के पास आया और बदहवास सा कहने लगा,”जीजू , जीजू आपको तो पता है ना वो मुझसे कितना प्यार करती है , आप बोलोगे तो वो आपकी बात जरूर सुनेगी , चलिए उसे लेकर आते है ,, उसके बिना कुछ अच्छा नहीं लग रहा है ! मुझे मीरा चाहिए , वो सिर्फ मेरी है वो किसी और की नहीं हो सकती वो मेरे लिए बनी है ,, उसने वादा किया था वो मुझे छोड़कर कभी नहीं जाएगी ! चलो उसे लेकर आते है मैं जानता हु वो खुश नहीं है
जीजू ने उसे कसकर गले लगा लिया और कहने लगे,”शांत हो जाओ आशु मीरा कही नहीं गयी , हम लोग उसे वापस ले आएंगे ! तुम चिंता मत करो हम सब है ना तुम्हारे साथ !” जीजू ने निधि की और इशारा किया तो निधि वहा से चली गयी और कुछ देर बाद जूस लेकर आयी और जीजू को दे दिया ! जीजू ने वह मुश्किल से अक्षत को पिलाया और उसे कमरे में उसके बेड पर लेटा दिया ! अक्षत कुछ ही देर बाद गहरी नींद में सो गया राधा उसका सर सहलाती रही ! उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था की आखिर हो क्या रहा है ? वह बस लगातार भगवान से सब ठीक हो जाने की प्रार्थना कर रही थी ! जीजू सबको लेकर निचे आ गए और बताया की उन्होंने अक्षत के जूस में नींद की दवा मिलायी है अगर वह देर तक सोता रहे तो घबराये नहीं ! अर्जुन ने ये सूना तो जीजू से कहा,”ये आपने क्या किया जीजू ?”
“तो और मैं क्या करता ? उसकी हालत देख रहे हो , मर जाएगा ऐसे वो ,, उसके दिमाग का इस वक्त शांत होना बहुत जरुरी है !”,जीजू ने थोड़ा गुस्से से कहा
अर्जुन सहम गया और फिर कहा,”लेकिन ‘
जीजू उसके पास आये और उसके कंधे पकड़कर आराम से कहने लगे,”देखो अर्जुन अक्षत सिर्फ मेरा साला नहीं है वो मेरा अच्छा दोस्त भी है और मेरे जैसा भी ,, उसे इतने दर्द में आज से पहले मैंने कभी नहीं देखा है , मैं मानता हु मैंने जो किया वो एक हद तक सही नहीं है लेकिन इस वक्त उसका सोना बहुत जरुरी है , जिस दौर से वो गुजर रहा है वो उसके और तुम सबके लिए हानिकारक है !! भरोसा रखो उसे कुछ नहीं होगा !”
अर्जुन जीजू के गले आ लगा और कहने लगा,”वो मीरा से बहुत प्यार करता है जीजू वो उसके बिना नहीं जी पायेगा !”
“जानता हु अर्जुन पर इस वक्त हम लोगो के हाथ में कुछ नही है , मीरा की ख़ामोशी के सामने हमारी आवाज कुछ नहीं कर पायेगी !”,जीजू ने कहा !
“मुझे मेरे दोनों बच्चे सही सलामत चाहिए”,कहते हुए राधा फफक पड़ी , जीजू ने उन्हें सम्हाला और सबको मुश्किल से खाना खिलाया , ऐसे माहौल में भला किसी को भूख कहा लगती , सबको सोने भेजकर जीजू ने तनु से बात की , उसे सब बताया तो तनु भी वहा आने के लिए बोलने लगी लेकिन जीजू ने उसे वही काव्या के साथ रुकने को कहा ! तनु को अपना और काव्या का ख्याल रखने को बोलकर जीजू ने फोन रख दिया !
जीजू ने मीरा से मिलने की बहुत कोशिश की लेकिन ना वो मीरा से मिल पाए ना उस से कोई बात कर पाए , अगला दिन उदासी और गमगीन गुजरा ! विजय , अर्जुन , जीजू सभी घर पर ही थे ! पुरे 36 घंटे बाद अक्षत को होश आया और वह नीद से जगा ! जैसे ही उठा उसने महसूस किया उसका बदन दर्द से टूट रहा है अक्षत ने घड़ी मे देखा सुबह के 8 बज रहे थे उसे याद आया की उसे ऑफिस जाना है ! वह उठा और और कबर्ड से ब्लेक शर्ट और जींस निकालकर रख दी और नहाने चला गया ! ये वही शर्ट थी जो मीरा ने पहनी थी और उसके बाद से अक्षत ने इसे बहुत सम्हालकर रखा था ! अक्षत नहाकर आया कपडे पहने और निचे चला आया , जीजू को हॉल में बैठा देखकर अक्षत थोड़ा हैरान हुआ और कहा,”अरे जीजू आप कब आये ?”
“बस कुछ देर पहले ही !”,जीजू ने कहा
अक्षत नाश्ते की टेबल पर आ बैठा और आवाज लगाई,”मीरा मेरी चाय कहा है ?”
अक्षत के मुंह से मीरा का नाम सुनकर सब एक दूसरे की तरफ देखने लगे शायद दवा का असर था की अक्षत को अभी कुछ याद नहीं था ! कुछ देर बाद ही नीता उसके लिए चाय नाश्ता ले आयी उसे देखकर अक्षत ने कहा,”भाभी आप चाय लेकर आयी है मीरा कहा है ? वो आज उठी नहीं क्या ? उसे पता है ना मुझे ऑफिस जाना होता है !”
अक्षत की बाते सुनकर नीता खामोश रही ऐसे में वह उसे क्या जवाब दे ! अक्षत ने नीता को चुप देखा तो चाय उठायी और पिने लगा ! रघु सामने से अख़बार हाथ में लिए आया और डायनिग पर रखकर चला गया , अक्षत ने अख़बार उठाया और जैसे ही उसके पहले पन्ने पर छपी खबर पढ़ी उसके होश उड़ गए और बीते दो दिनों की बाते उसे याद आ गयी ! अख़बार में शाम को होने वाली मीरा की शादी के बारे में लिखा था ! अक्षत ने जैसे ही पढ़ा उसका दिल टूटकर बिखर चुका था , अक्षत उठा अख़बार वही डायनिंग पर फेंका और वापस अपने कमरे की और चला गया ! वह नहीं जानता था ये गुस्सा था या डर पर उसकी आँखों के आगे मीरा के साथ बिताया एक एक पल आ रहा था ! अक्षत अपने कमरे में आया उसने शीशे में खुद को देखा और शीशे में ही मीरा के साथ बिताये पलो की यादे उभर कर सामने आने लगी , अक्षत ने एक हाथ जोर से शीशे पर दे मारा , इसके बाद गुस्से और मीरा को खो देने के दर्द में उसे कुछ याद नहीं रहा वह कमरे में रखी चीजों को फेंकने लगा , दिवार पर लगी अपनी और मीरा की तस्वीर को फेंक दिया , कमरे में लगे परदे उखाड़ दिए ! ये सब करते हुए बार बार उसकी आँखों के सामने मीरा का चेहरा आ रहा था , उसका अक्षत की परवाह करना , उसकी आँखों में देखना , उसके साथ हंसना , परेशान करना , सब किसी फिल्म की तरह उसकी आँखों के सामने चल रहा था , जो शर्ट उसने पहना हुआ था उसने वह भी उतार कर फेंक दिया ,, अक्षत इस वक्त जो महसूस कर रहा था वह नहीं समझ पा रहा था ! लेकिन गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ था उसने ड्रावर में पड़ी लाइटर निकालकर शर्ट जला दी और लाइटर जोर से फेंक दिया जो की खिड़की के शीशे से टकराकर निचे जा गिरा ! निचे बैठे लोगो को किसी अनहोनी का अहसास हुआ तो सभी भागते हुए ऊपर आये लेकिन अक्षत के कमरे का दरवाजा बंद था ! सभी उसे दरवाजा खोलने को बोल रहे थे अक्षत ने चिल्लाकर सबको वहा से जाने को कहा और आकर पीठ के बल अपने बिस्तर पर जा गिरा , गुस्से से उसके हाथ कांप रहे थे ! आँखों के सामने अभी भी मीरा का चेहरा था गुस्सा अब दर्द का रूप ले चुका था उसकी आँखों से आंसू बहकर कनपटी से होते हुए बेडशीट को भीगा रहे थे और अक्षत निढाल पड़ा रहा कानो में अब कोई शोर नहीं था थी तो बस उसकी सांसो की आवाज जो अब धीमी पड़ने लगी थी !!
क्रमश – kitni-mohabbat-hai-58
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