Kitni Mohabbat Hai – 34
मीरा इमरजेंसी वार्ड में थी और अमर बाहर बैठे थे ! हॉस्पिटल के इंचार्ज ने पुलिस को इन्फॉर्म किया ! कुछ ही देर बाद उस इलाके की पुलिस वहा आ पहुंची इंचार्ज ने उन्हें केस के बारे में बताया !
“पेशेंट कहा है ?”,इंस्पेक्टर ने सवाल किया
“पेशेंट अभी एमेर्जेंसी में है उनका इलाज चल रहा है ! “,इंचार्ज ने कहा !
“ठीक है उनके होश में आने के बाद ही उनका बयान लिया जाएगा ! वह गाड़ी किसकी थी ? उसके बारे में कोई जानकारी है आपके पास !”,इंस्पेक्टर ने कहा
“हां सर जिस गाड़ी से एक्सीडेंट हुआ है उस गाड़ी का मालिक यही है , वही उसे हॉस्पिटल लेकर आया था !”,इंचार्ज ने कहा
“इस वक्त वो कहा है ?”,इंस्पेक्टर ने कहा
“वहा सामने कॉरिडोर में सर !”,इंचार्ज ने कहा
“थैंक्यू !”,कहकर इंस्पेक्टर कॉरिडोर की और बढ़ गया ! अमर के सामने आकर उसने कहा,”आपकी ही गाड़ी से ये एक्सीडेंट हुआ था ?”
“जी
क्या आप मुझे डिटेल्स में कुछ बता सकते है ?
“हम दूसरे शहर से लौट रहे थे , गाड़ी सामान्य स्पीड पर थी की अचानक से वो लड़की भागते हुए गाड़ी के सामने आ गयी , हम ब्रेक लगाते इस से पहले ही वो गाड़ी से टकराकर दूर जा गिरी ! हमने उसे सम्हाला तब तक वो बेहोश हो चुकी थी !”,
अच्छी कहानी बनाई है
“कहानी होती तो हम खुद उसे यहाँ लेकर नहीं आते (अमर ने इंस्पेक्टर को घूरते हुए कहा)
चलो मान लिया की आप जो कह रहे है सच है , लेकिन अगर विक्टिम अपने बयान में कहे की गलती आपकी है तो आप पर केस दर्ज हो सकता है , और आपको जेल भी जाना पड़ सकता है !”
“उसके लिए आपके पास सबूत होना जरुरी है , इंस्पेक्टर !!
वैसे थैंक्यू , इन्सानियत दिखाते हुए आपने लड़की को बचाया , आपका नाम जान सकता हु ?
“हमारा नाम सुनने के बाद आप यहाँ खड़े नहीं रहेंगे”
मतलब ?
“अमर प्रताप सिंह , राजपुताना इंडस्ट्री का मालिक
अमर का नाम सुनकर इंस्पेक्टर के चेहरे का रंग उड़ गया , उसकी जबान हकलाने लगी और उसने लड़खड़ाती जबान में कहा,”अमर प्रताप सिंह , अजमेर के राजपुताना पैलेस के बड़े वारिस आप ही है ?
“जी हां !”,अमर ने सहजता से कहा
“आई ऍम सो सॉरी , मुझे नहीं पता था जिस से मैं सवाल कर रहा हु वो इतनी बड़ी शख्सियत है , माफ़ कर दीजिये सर आज से पहले इंदौर में सिर्फ आपका नाम सूना था , देखा नहीं था इसलिए अनजाने में भूल हो गयी सर !”,इंस्पेक्टर ने मरे हुए स्वर में कहा
” कभी किसी को उसकी बातो से छोटा मत समझो”,अमर ने रौब से कहां
इंस्पेक्टर उनके सामने हाथ बांधकर खड़ा हो गया और कहा,”आप कुछ लेंगे सर , चाय कॉफी ? आप यहा से जा सकते है सर मैं सब सम्हाल लूंगा केस भी दर्ज नहीं होगा !”
“नहीं इंस्पेक्टर , सबसे पहले लड़की के बारे में पता लगाओ जब तक उसके घर से कोई आ नहीं जाता मैं यही रुकूंगा !”,अमर ने कहा
“जी सर !”,कहते हुए इंस्पेक्टर वहा से चला गया और रिसेप्शन पर आकर मीरा के बारे में पूछताछ करने लगा तभी कॉन्स्टेबल आया और अपना फोन इंस्पेक्टर को दिखाते हुए कहा,”सर नेशनल कॉलेज वाले इलाके के थाने से ये एक तस्वीर आयी है , ये कोई मीरा नाम की लड़की है जो शाम से ही लापता है , कोइंसिडेंस ये है की ये इसी इलाके की रहने वाली है सर !”
“हम्म्म , इसकी बाकि डिटेल्स मंगवाओ और ये फोटो थाने के कम्प्यूटर पर मेल करके उन्हें इन्फॉर्म कर दो !”,इंस्पेक्टर ने कहा !
रात के 2 बजे मीरा को होश आया उसके सर पर चोट लगी थी , हाथ पर चूड़ी चुभने से जो घाव हुआ था वहा डॉक्टर ने पट्टी बांध दी थी ! हलकी सी खरोंचे उसके कंधे और हाथ के बाजु पर आयी थी जो की गिरने की वजह से लग गयी थी ! बाकी मीरा ठीक थी ! मीरा के होश में आते ही डॉक्टर ने बाहर आकर इंस्पेक्टर से कहा,”इंस्पेक्टर पेशेंट को होश आ गया है , आप अपना बयान ले सकते है !”
“थैंक्यू डॉक्टर !”,कहकर इंस्पेक्टर कॉन्स्टेबल के साथ मीरा की और चला गया ! अंदर आकर वह साइड में रखी कुर्सी पर बैठा और मीरा से कहा,”आप ठीक है ?”
“हम्म्म जी सर”,मीरा ने धीरे से कहा
“आपका नाम ?”, इंस्पेक्टर ने कॉन्स्टेबल से लिखने को कहा
“मीरा राजपूत !”,मीरा ने कहा
“मीरा जी क्या आप बताएंगी ये हादसा आपके साथ कैसे हुआ ?”
हमारा किडनेप हुआ था सर
“व्हाट ? किसने किया ? आप शुरू से बताईये क्या हुआ था ?
हम अपना पेपर देने नेशनल कॉलेज गए थे , जब वापस आये तो अर्जुन जी को ढूंढने निकल गए तभी किसी ने हमारे मुंह पर कुछ रखा और हम बेहोश हो गए ! होश में आये तब हम एक अँधेरी जगह पर थे जहा कुछ लोगो के बाते करने की आवाज आ रही थी , हम किसी तरह वहा से निकले तो वो लोग हमारे पीछे चले आये ! भागते भागते हम सड़क पर आये लेकिन तभी सामने से आती गाड़ी से टकरा गए उसके बाद हमे कुछ याद नहीं”
“आपने उन लोगो का चेहरा देखा था ? उन्हें जानती है आप ?
नहीं सर अँधेरे की वजह से हम उनका चेहरा नहीं देख पाए थे
“आप किसी अर्जुन के बारे में बात कर रही थी , कौन है वो ?
हमारी दोस्त के भाई है , हम उन्ही के घर में रहते है
“आपको किसी पर शक है ?
नहीं सर , हमारा तो कभी किसी से झगड़ा भी नहीं हुआ है , पर कुछ दिनों से हमे कुछ पेपर मिल रहे है
“कैसे पेपर ? (इंस्पेक्टर की आँखे चमक उठी !)
सर पता नहीं कौन है वो लेकिन वो हमे चिट्ठी भेज रहा है , (और मीरा ने उसके बाद तीनो हादसों के बारे में इंस्पेक्टर को बता दिया !)
“आप बिल्कुल मत घबराईये , वो आखरी चिट्ठी कहा है ? मुझे मिल सकती है , शायद उस से कुछ क्लू मिले !
वो तो मेरे बैग में है सर
“कहा है आपका बैग ?
सर वो वही गिर गया था जहा हम बेहोश हुए थे !
“वो हम ढूंढ लेंगे , थैंक्स फॉर कॉपरेट ,, आप आराम कीजिये “,कहकर इंस्पेक्टर बाहर निकल गया
बाहर आकर वह सीधा अमर के पास आया और कहा,”आई ऍम सॉरी सर विक्टिम ने आपके खिलाफ कोई बयान नहीं दिया है , आपको असुविधा हुई उसके लिए माफ़ी चाहता हु !”
“इट्स ओके इंस्पेक्टर , क्या हम एक बार उनसे मिल सकते है !”,अमर ने कहा !
“जी सर , वो वहा है रूम नंबर 201 में !”,इंस्पेक्टर ने कहा और कॉन्सटेबल के साथ वहा से निकल गया !
अमर मीरा के कमरे में आया ! मीरा के सामने आकर उसने धीरे से कहा,”अब कैसी है आप ?
मीरा ने अमर की तरफ देखा तो हैरान रह गयी सामने खड़े शख्स से वह पहले मिल चुकी थी मीरा उन्हें देखकर उठकर बैठने लगी तो अमर ने कहा,”अरे नहीं नहीं बेटा रहो ! हम यहा सिर्फ आपको देखने आये है दरअसल हमारी ही गाड़ी थी जिसके सामने आप आयी थी !”
“उसमे आपकी कोई गलती नहीं है सर , हमारे पीछे कुछ लोग पड़े थे और उन्ही बचने के लिए हम भाग रहे थे !”,मीरा ने कहा
“घबराईये मत , हमारी इंस्पेक्टर से बात हो गयी है , आप अपना ख्याल रखे !”,अमर ने कहा
“थैंक्यू सर , आपने हमारी मदद की !”,मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा !
अमर मीरा के पास आये और उसके सर पर हाथ रखते हुए प्यार से कहा,”आपको देखकर लगा जैसे हमारी बेटी हमारे सामने है , बहुत रात हो गयी हमे चलना चाहिए , इंस्पेक्टर ने आपके घरवालों को फोन कर दिया है वे आते ही होंगे !”
“हम्म्म , जी !”,मीरा ने कहा और अमर कमरे से बाहर निकल गया !! इन्पेकटर को मीरा की जानकारी मिल चुकी थी और उन्होंने विजय को फोन भी कर दिया था ! विजय , अर्जुन और राधा तीनो तुरंत हॉस्पिटल चले आये ! सीढ़ियों से उतरते हुए अमर जब बाहर जा रहा था उसी वक्त राधा विजय और अर्जुन के साथ अंदर आ रही थी लेकिन दोनों ने एक दूसरे को देखा नहीं अंदर आकर विजय ने मीरा के बारे में पूछा और उसके कमरे की और बढ़ गए ! पुलिस को वहा देखकर राधा को शक हुआ तो उसने इंस्पेक्टर से पूछा
इंस्पेक्टर ने राधा को सारी बाते बता दी !! बाहर गाड़ी के पास आकर अमर को याद आया वो अपनी चाबी अंदर काउंटर पर ही भूल आये है !! अमर जैसे ही रिसेप्शन पर आया इंस्पेक्टर ने राधा से कहा,”यही है जो मीरा को हॉस्पिटल लेकर आये थे मिस्टर अमर प्रताप सिंह !”
राधा ने जैसे ही अमर को अपने सामने देखा उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी ! राधा को अपने सामने देखकर अमर भी एक पल को हैरान रह गया और कहा,”मीरा ?
अमर आगे बोलता इस से पहले ही राधा बोल पड़ी,”मीरा मेरी बेटी है !” उसकी आवाज में घबराहट साफ नजर आ रही थी ! अमर ने कुछ नहीं कहा और काउंटर से चाबी लेकर चला गया राधा उसके पीछे पीछे आयी और कहा,”अमर !
अमर पलटा तो राधा ने कहा,”थैंक्यू !!”
“हम्म्म्म !”,कहकर अमर वहा से चला गया ! राधा मीरा के पास आयी ,, उसके सर और हाथ पर पट्टी बंधी देखकर राधा की आँखों में आंसू आ गए वह उसके पास आयी और उसके गले लगकर रोते हुए कहा,”मुझी माफ़ कर दो बेटा !
“अरे आंटी आप क्यों माफ़ी मांग रही है ? हम ठीक है , देखिये !!”,मीरा ने कहा
“हां बेटा पर ये सब हुआ कैसे ?”,विजय ने पूछा तो मीरा ने सारी बाते उन्हें बता दी ! अर्जुन को सब सुनकर बहुत गुस्सा आया उसने कहा,”वो जो भी है उसे मैं छोडूंगा नहीं , उसकी हिम्मत कैसे हुई ये सब करने की ?”
“अर्जुन शांत हो जाओ , मीरा अभी ठीक है पर उसे ख़तरा है ,, आज के बाद इसे अकेले कही नहीं जाने देना है , मैं जरा इंस्पेक्टर से मिलकर आता हु !!”,कहकर विजय कमरे से बाहर निकल गए !
अर्जुन आकर मीरा की बगल में बैठ गया और कहा,”मुझे माफ़ कर दो मीरा , मेरी वजह से ये सब हो गया”
“अर्जुन जी , हम ठीक है , बस भूख लगी है बहुत जोरो से !”,मीरा ने मासूम सी शक्ल बनाकर कहा तो अर्जुन हसने लगा और कहा,”ठहरो मैं अभी तुम्हारे लिए कुछ लेकर आता हु !”
“चार प्लेट !”,मीरा ने कहा
“इतनी भूख लगी है क्या ?”,अर्जुन ने हैरानी से कहा
“नहीं हम तो एक प्लेट ही खाएंगे बाकि 3 आप लोगो के लिए , हम जानते है आप लोगो ने भी खाना नहीं खाया होगा !!”,मीरा ने कहा
‘हम्म्म ठीक है मैं लेकर आता हु !”,अर्जुन ने कहा और बाहर चला गया अर्जुन के जाते ही राधा ने मीरा का हाथ अपने हाथो में लेकर कहा,”मीरा क्या तुम जानती हो ये सब कौन कर रहा है ?”
“नहीं आंटी , जिस दिन वो पार्सल मिला था उसके बाद से ही हमे वो चिट्टिया मिल रही है “,मीरा ने कहा
“किसी से कोई झगड़ा हुआ है ? कॉलेज या घर के बाहर ?”,राधा ने पूछा
“नहीं आंटी कॉलेज में सब अच्छे दोस्त है हमारे ! हां कुछ दिन पहले मोना से थोड़ी झड़प हुयी थी हमारी !”,मीरा ने कहा
“तो क्या मोना ये सब ?”,राधा ने कहा
“हमे नहीं लगता आंटी वो ऐसा कुछ करेगी , हमारी वजह से आप सब लोगो को परेशानी हो रही है हमे अच्छा नहीं लग रहा !”,मीरा कहते कहते उदास हो गयी !
“कैसी बात कर रही हो ? तुम मेरी जिम्मेदारी हो मीरा , जिसने भी ये किया है वो ज्यादा दिन छुपकर नहीं रह सकता उसका पता मैं लगाकर रहूंगी !”,राधा ने कहा तो मीरा ने अपना सर उनके कंधे पर टिका दिया ! राधा मीरा का सर सहलाते हुए सोचने लगी,”मुझे अमर पर शक था लेकिन अमर अगर ने ये सब किया होता तो वह मीरा को यहाँ लेकर नहीं आता फिर कौन हो सकता है ? जो मीरा को नुकसान पहुंचाने का सोच सकता है , मुझे पता लगाना ही होगा !!”
कुछ देर बाद अर्जुन खाना ले आया ! विजय भी रूम में चले आये राधा ने चार प्लेटो में खाना लगाया और मीरा को अपने हाथ से खिलाने के लिए जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया मीरा ने उनका हाथ उनकी और बढाकर कहा,”पहले आप खाइये , शाम से कुछ नहीं खाया होगा न आपने !”
मीरा ने दुसरा टुकड़ा तोड़ा और विजय की और बढ़ाया तो उन्होंने कहा,”मैंने आज तक तुम्हारे जितनी पागल लड़की नहीं देखी है , ऐसी हालत में भी तुम हम लोगो के बारे में सोच रही हो !”
“अंकल जी , आप लोगो की वजह से ही तो हम सुरक्षित है ना , अब खाइये जल्दी !”,मीरा ने उन्हें खिलाते हुए कहा
खाना खाने के बाद मीरा ने कहा,”आंटी आप और अंकल जी अभी घर जाईये”
“नहीं बेटा तुम्हे यहाँ अकेला छोड़कर हम लोग कैसे जा सकते है ?”,राधा ने कहा
“हमारे पास अर्जुन जी है ना , आप रातभर यहाँ परेशान हों ये हम नहीं चाहते और सुनिए निधि से बात करवा दीजियेगा हमारी !!”,मीरा ने कहा
राधा के बार बार कहने के बाद भी मीरा ने उन्हें वहा रुकने नहीं दिया और घर भेज दिया ! अर्जुन वही सोफे पर बैठ गया और कहा,”सो मिस मीरा जी क्या सुन्ना पसंद करेंगी आप ?”
“अभी तक आपने हमे अपनी और उनकी प्रेम कहानी नहीं सुनाई !”,मीरा ने कहा
“चलो सुना देता हु फिर तुम भी क्या याद रखोगी ?”, अर्जुन ने कहा ताकि वह मीरा को दूसरी बातो में उलझा सके और वह अपने साथ हुए हादसे के बारे में ना सोचे !
राधा और विजय घर पहुंचे निधि तब तक सो चुकी थी उसे सुबह बताने का सोचकर वे दोनों भी अपने कमरे में चले आये ! विजय को थकान की वजह से नींद आ गयी लेकिन राधा रात भर जगती रही !!
उधर दिल्ली में बुरा सपना देखने की वजह से अक्षत जोर से “मिराआआआ” चिल्लाते हुए उठा दूसरे कमरे से सोमित और तनु भागकर आये ! सर्दी में भी अक्षत के माथे पर पसीने की बुँदे झिलमिला उठी तनु ने उसे पानी पिलाया और कहा,”क्या हुआ आशु ? कोई बुरा सपना देखा क्या तुमने ?
“हां दी , लेकिन मन बहुत बैचैन है मीरा को लेकर ,, ऐसा लग रहा है जैसे वो किसी बड़ी मुसीबत में है !”,अक्षत ने बैचैन होकर कहा
“तुम टेंशन मत लो अक्षत , सपने की वजह से तुम्हे ऐसा लग रहा होगा !”,सोमित ने कहा
“नहीं जीजू , आज से पहले इतना बुरा सपना मैंने कभी नहीं देखा , मैं मीरा से बात करके आता हु !”,अक्षत ने उठते हुए कहा तो तनु ने उसका हाथ पकड़कर उसे वापस बैठाते हुए कहा,”आशु रात के 2 बज रहे है इस वक्त फ़ोन करोगे तो वह परेशान होगी , सुबह कर लेना !!”
अक्षत ने घडी की और देखा जो की रात के 2 बजा रही थी ! उसने तनु से कहा,”ठीक है दी आप जाकर सो जाईये !
सोमित और तनु के जाने के बाद अक्षत लेट गया जहन में बार बार मीरा का ख्याल आ रहा था ! उधर मीरा अर्जुन की कहानी सुनते सुनते सो गई !! अर्जुन उठा उसने मीरा कम्बल ओढ़ाई और खुद जागकर उसकी ड्रिप का ध्यान रखने लगा सुबह होते होते वह भी सोफे पर ही सो गया !! अक्षत सारी रात सो नहीं पाया बस सुबह का इंतजार करता रहा लेकिन कुछ पल के लिए उसकी भी आँखे बंद हो ही गयी ! तनु उसके कमरे में चाय लेकर आयी तो अक्षत को प्यार से उठाते हुए कहा,”आशु , क्लास नहीं जाना आज ! देखो सुबह हो गयी है”
अक्षत एकदम से उठ बैठा और अपना फोन ढूंढने लगा लेकिन जैसे ही उसे फोन मिला उसने देखा वो बंद है , अक्षत को खुद पर ही गुस्सा आ रहा था की वो इतना लापरवाह क्यों है ?
उसे परेशान देखकर तनु ने कहा,”आशु रिलेक्स लाओ मुझे दो मैं इसे चार्जिंग पर लगा देती हु तब तक तुम चाय पीओ !”
अक्षत के हाथ में चाय पकड़ाकर तनु ने उसका फोन चार्जिंग पॉइंट पर लगा दिया ! अक्षत ने जल्दी जल्दी चाय ख़त्म की और फोन ऑन करके घर पर फोन किया ! रिंग जाती रही लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया !
अक्षत ने निधि के फोन पर ट्राय किया लेकिन वो भी बंद था ! अक्षत ने अर्जुन का फोन लगाया लेकिन साइलेंट होने की वजह से अर्जुन भी उसकी कॉल अटेंड नहीं कर पाया ! गुस्से में अक्षत ने टेबल पर फोन पटक दिया और आकर बेड पर बैठ गया उसे गुस्सा आ रहा था की आखिर उसने मीरा का नंबर क्यों नहीं लिया है ? ना ही कोई उसका फोन उठा रहा है , अक्षत कुछ देर बैठा रहा और वापस टेबल के पास आया उसने फोन उठाकर देखा जिसकी स्क्रीन टूट चुकी थी पर वह काम कर रहा था
अक्षत ने एक बार फिर घर का नंबर डॉयल किया इस बार दो रिंग में ही फोन उठा लिया तो अक्षत ने कहा,”कहा है सब मेरा फोन क्यों नहीं उठा रहा कोई ?”
“अक्षत बाबा हम बोल रहे है रघु !”,फ़ोन रघु ने उठाया था !
“अरे रघु ! घरवाले कहा है ?”,अक्षत ने कहा
“बाबा घर के सब लोग तो अस्पताल गए है”,रघु ने कहा
“अस्पताल ? लेकिन क्यों ? सब ठीक तो न ?”,अक्षत को चिंता होने लगी
“अक्षत बाबा वो कल रात मीरा दीदी का एक्सीडेंट हो गया था ना इसलिए वो अस्पताल में भर्ती है ! माँ जी बता रही थी की बहुत चोट आयी है उनको ! हेलो अक्षत बाबा , हेलो , हेलो , अक्षत बाबा सुन रहे है ना आप !”,रघु ने कहा
मीरा के एक्सीडेंट की बात सुनकर अक्षत के हाथ से फोन छूटकर निचे जा गिरा और उसकी बची खुची स्क्रीन भी टूट गयी ! फोन बंद हो चुका था अक्षत ने जल्दी से अपना पर्स और जैकेट उठाया और कमरे से बाहर निकला !
तनु और सोमित हॉल में ही बैठे थे उन्होंने जब अक्षत को इस हालत में देखा तो उसके पास आकर कहा,”क्या बात अक्षत ? इतने परेशान क्यों हो ? और ऐसे इतनी जल्दी में कहा जा रहे हो तुम ?”
“मुझे अभी इंदौर के लिए निकलना है जीजू !”,अक्षत ने कहा
“लेकिन आज तो तुम्हारी क्लास है न आशु ?”,तनु ने कहा
“मेरा वहा जाना क्लास से भी ज्यादा जरुरी है !”,अक्षत ने कहा
“आशु , तुम ये क्या कर रहे हो ? वैसे भी एक हफ्ता रह गया है तुम्हारी एंट्रेस एग्जाम में ऐसे जाओगे तो तुम्हे नुकसान होगा !”,तनु ने समझाते हुए कहा
“होता है तो हो जाये नुकसान मुझे फर्क नहीं पड़ता , मीरा वह हॉस्पिटल में है , पता नहीं कैसी होगी किस हाल होगी ? मुझे मत रोकिये दी प्लीज़”,गुस्से में चिल्ला पड़ा अक्षत ! अक्षत का गुस्सा देखकर तनु सहम गयी तो जीजू ने तनु का हाथ पकड़कर धीरे से कहा,”इसे जाने दो अभी ये किसी की नहीं सुनेगा क्योकि बात मीरा की है !”
“हम्म्म्म , ध्यान से जाना !”,तनु ने कहा तो अक्षत वहा से चला गया !
अक्षत जल्दी से घर से निकला जीजू भी उसके पीछे पीछे आये और कहा,”मैं छोड़ देता हु !”
अक्षत उनके साथ गाड़ी में आ बैठा अक्षत को परेशान देखकर जीजू ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा,”तुम्हारी मीरा को कुछ नहीं होगा !!”
अक्षत ने सर सीट से लगा दिया उसकी आँखों में आंसू भर आये उसने कहा,”किसी ने मुझे बताया भी नहीं की वो इतने दर्द में है !”
जीजू ने अक्षत की हालत देखते हुए गाड़ी स्टेशन की बजाय एयरपोर्ट की और मोड़ दी ! जैसे ही गाड़ी एयरपोर्ट पहुंची अक्षत ने कहा,”जीजू यहाँ ?”
“ट्रेन से जाते तो टाइम ज्यादा लगता प्लेन से जल्दी पहुंचोगे !”,सोमित ने कहा !
दोनों अंदर आये सोमित अक्षत को वेटिंग एरिया में छोड़कर खुद टिकट कन्फर्म करने चला गया ! तत्काल में उसने अक्षत के लिए टिकट ली जिसके उन्हें दुगनी रकम देनी पड़ी लेकिन अक्षत के लिए उन्होंने इन सब पर ध्यान नहीं दिया और वापस आये
टिकट अक्षत को दी फ्लाइट आधे घंटे बाद की थी जीजू अक्षत के लिए कुछ खाने को ले आये ! मुश्किल से उन्होंने अक्षत को सेंडविच खिलाया कोफ़ी पिलाई ! फ्लाइट का वक्त हो चुका था अक्षत जैसे ही जाने लगा जीजू भागकर उसके पास आये और अपना फोन उसे देकर कहा,”तुमने तो अपना फोन तोड़ दिया होगा गुस्से में , ये रखो काम आएगा ,, और सुनो वहा पहुंचते ही कॉल करना ! मीरा को कुछ नहीं होगा उसके पास इतना प्यार करने वाला बंदा जो है , ख्याल रखना अपना ,, क्लास के लिए मैं बात कर लूंगा !!”
कहकर जीजू ने अपना फोन अक्षत की जेब में रखा और जाने लगे ! अक्षत को अपनी गलती का अहसास हुआ तो वहा उनके पीछे आया और उन्हें अपनी तरफ करके उनके गले लगते हुए कहा,”आई ऍम सो सॉरी जीजू मैं डर गया था , मैंने आप पर और दी पर गुस्सा किया !”
“इट्स ओके सडु , अब जल्दी जाओ फ्लाइट निकल जाएगी !”,जीजू ने कहा तो अक्षत वहा से चला गया ! प्लेन में आकर वह अपनी सीट पर बैठ गया ! उसके दिमाग में बस मीरा चल रही थी !!
उधर मीरा हॉस्पिटल में सबके साथ थी निधि तो उसका हाथ तक छोड़ने को तैयार नहीं थी !! विजय ने डॉक्टर से बात की तो उन्होंने कहा की कुछ देर में मीरा को डिस्चार्ज कर देंगे ! विजय डिस्चार्ज के पेपर बनाने चले गए ! अर्जुन भी बाहर निकल गया राधा मीरा के लिए फल काटने लगी तभी कमरे का दरवाजा खुला सामने हाथ में बुके लिए मोना खड़ी थी ! निधि ने जब उसे देखा तो उसका खून खोल गया वह जैसे ही उठने को हुई मीरा ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया और उसे कुछ ना करने का इशारा किया !
निधि अंदर ही अंदर अपना गुस्सा निगल गयी !! मोना मीरा के पास आयी और बुके उसकी और बढाकर कहा,”ओह्ह्ह बहुत बुरा हुआ ना तुम्हारे साथ , सो सेड !!
मीरा ने बुके लेकर साइड में रख दिया और कहा,”तुम्हे मेरे लिए परेशान या सेड होने की जरूरत नहीं है मोना !!”
“ओह्ह्ह आई सी तुम्हारे लिए परेशान होने वाले आलरेडी बहुत लोग है यहाँ !”,मोना ने कहा
“ये बहुत लोग हमारे अपने है !”,मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा !
“देखते है कब तक साथ देते है तुम्हारा तुम्हारे ये अपने !”,मोना ने कहा और वहा से चली गयी !! जाते जाते वह मीरा को धमकी देकर गयी या चेतावनी ये तो बस मोना ही जानती थी !
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संजना किरोड़ीवाल