Sanjana Kirodiwal

कितनी मोहब्बत है – 23

Kitni mohabbat hai – 23

“कितनी मोहब्बत है”

By Sanjana Kirodiwal

Kitni mohabbat hai – 23

अक्षत और मीरा भोपाल के लिए निकल गए ! मीरा को खामोश देखकर अक्षत ने कहा,”तुमने अचानक से भोपाल जाने का प्लान बनाया , सब ठीक तो है न ?”
मीरा ने खामोश नजरो से अक्षत को देखा और फिर पलके झुकाकर कहने लगी,”भोपाल में हमसे जुड़े बहुत से सच है जो हम जानना चाहते है , ऐसे सच जिन्हे माँ ने हमसे हेशा छुपाकर रखा ! वही जानने के जा रहे है !”
“कैसा सच ?”,अक्षत ने पूछा !
“आप सुनेंगे !”,मीरा ने अक्षत की और देखते हुए कहा
“तुम चाहो तो , वैसे भी सफर लंबा है ख़ामोशी से बेहतर है मैं तुम्हारा सच ही सुन लू , कम से कम कुछ ना कुछ बोलती रहोगी तुम !”,अक्षत ने प्यार से कहा !
मीरा ने एक बार फिर पलके झुकाई और कहने लगी,”हमारा जन्म भोपाल में हुआ था , जन्म के बाद से ही हमने आस पास सिर्फ एक माँ को देखा था ! उन्होंने बड़े प्यार से हमारा नाम मीरा रखा था लेकिन हमारे नाम के आगे लगा “राजपूत” हमेशा हमारे लिए उलझनभरा ही रहा ! हमारी माँ ब्राह्मण परीवार से थी और हम राजपूत !! कुछ समझ नहीं आता था जब भी हमने माँ से पूछा की ऐसा क्यों है ? तो उन्होंने हमेशा हमसे एक ही बात कही – वक्त आने पर सब बता देंगी !! पर वो वक्त कभी आया ही नहीं , हमे पालने के लिए वो घर में सिलाई का काम करती थी , बच्चो को ट्यूशन पढ़ाया करती थी ! हमारे घर से बाहर निकलने पर मनाही थी , ना किसी से बात करने दिया जाता ना ही बाहर निकलने ,, माँ हमेशा हमे अपनी आँखों के सामने रखती थी !! जैसे जैसे बड़े हुए स्कूल जाने लगे तो हमने देखा हमारे सब दोस्तों के पापा है ! माँ से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा की वो इस दुनिया में नहीं है पर वो हमेशा अपनी मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र पहनती थी !! और वो ऐसा क्यों करती थी ये उनसे पूछने की हमारी हिम्मत कभी नहीं हुई !! स्कूल के इंटरसखत्म होने के बाद उन्होंने हमे इंदौर भेज दिया कॉलेज के लिए , यहाँ हम हॉस्टल में रहकर पढाई करने लगे ! और फिर माँ हमे छोड़कर चली गयी
उनके साथ साथ हमारे सवालों का जवाब भी चला गया और साथ ही चला गया हर वो राज !! हम वापस लौट आये इंदौर और निधि के साथ रहने लगे ! पर कुछ दिनों पहले हमे माँ का लिखा खत मिला जिसमे लिखा था हमारे सवालों का जवाब हमे भोपाल जाकर ही मिलेगा !!”

इतना कहकर मीरा चुप हो गयी ! अक्षत के चेहरे पर उदासी घिर आयी उसने महसूस किया मीरा की जिंदगी में बहुत गम थे ! ऐसे घाव जिन्हे छुपाकर वह हमेशा सबकी ख़ुशी देखती रहती थी ! अक्षत ने गाड़ी थोड़े धीमी कर दी और मीरा की और देखकर पूछा,”तुमसे एक बात पुछु !
“हम्म्म्म !”,मीरा ने कहा !
“इतना दर्द होने के बाद भी तुम सबके सामने कैसे मुस्कुरा लेती हो ?”,अक्षत ने कहा
“वैसे ही जैसे इतनी घुटन के बाद भी आप सबके सामने ठीक रहने का दिखावा कर लेते है !”,मीरा ने पलके उठाकर अक्षत की और देखते हुए कहा !
“ऐसा कुछ नहीं है !”,अक्षत ने मीरा से नजरे चुराते हुए कहा !
“तो फिर जब मोना आपके साथ होती है तो आपका चेहरा बजाय ख़ुशी के उदासी से क्यों भर जाता है ? जब भी कोई उसका नाम लेता है तो आपको गुस्सा आता है , उनके और आपके बिच जो रिश्ता है वो प्यार का नहीं हो सकता है लगता है जैसे बहुत बड़ा दर्द छुपा रखा हो आपने !”,मीरा ने बैचैन होकर कहा !
मीरा की बात सुनकर अक्षत हैरान था आज से पहले उसकी ख़ुशी के पीछे का दर्द किसी ने नहीं देखा था ! उसकी ख़ामोशी के पीछे की चीखे शायद किसी ने नहीं सुनी थी , उसकी हंसी के पीछे के आंसू किसी ने नहीं देखे थे पर मीरा ने सब देखा था !! अक्षत कुछ देर खामोश रहा और फिर कहने लगा,”सही कहा तुमने हमारे बिच प्यार का रिश्ता नहीं है मजबूरी का रिश्ता है !! एक ऐसी मज़बूरी जिसके बोझ को जिंदगीभर मुझे अपने कंधो पर लेकर चलना है !!”
“कैसी मज़बूरी ?”,मीरा ने कहा
अक्षत मुस्कुराया और कहने लगा,”हर इंसान का एक अतीत होता है जिसे जिंदगीभर साथ लेकर चलना पड़ता है !! जैसे तुम्हारा अतीत है मेरा भी एक अतीत है मीरा और वो अतीत है मोनालिसा ! मोना मेरे साथ कॉलेज में थी , शुरू से ही मैं बहुत कम बोलने वाला , अपने आप तक सिमित रहने वाला लड़का रहा हु ,, मैं , मेरे सपने , मेरी फॅमिली और शुभ बस यही मेरी दुनिया थी !
कॉलेज के शुरू से ही मोना का मुझमे इंट्रेस्ट बढ़ता जा रहा था ! पर उसकी लाइफ स्टाइल और बात करने का तरिका मुझे कभी पसंद नहीं आया ! मोना एक जिद्दी लड़की है जो किसी चीज को पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है ! कॉलेज ख़त्म होने के बाद सभी दोस्तों ने पार्टी रखी जिसमे मैं भी शामिल हुआ था ! सभी के साथ मैं भी पार्टी एन्जॉय कर रहा था क्योकि उस रात के बाद सभी दोस्त दूर होने वाले थे और अपनी अपनी लाइफ में बीजी होने वाले थे !! शुभ भी मेरे साथ ही था लेकिन मैंने सोचा नहीं था वो रात वो मेरी जिंदगी की सबसे काली रात होगी !!”
कहते कहते अक्षत की आवाज में एक दर्द समा गया ! मीरा ने महसूस किया तो उसने अपना नाजुक हाथ अक्षत के हाथ पर रख दिया ! मीरा की छुअन ने उसे एक पॉजिटिव अहसास दिलाया तो अक्षत ने आगे बोलना शुरू किया,”मोना मुझे चाहती थी और ये बात पूरा कॉलेज जानता था पर मैं उसे पसंद नहीं करता था ! उसका दिल ना टूटे इसलिए मैंने उस से दोस्ती रखी लेकिन उस रात वो एक बहुत बड़ा फैसला करके आयी थी ! पार्टी के वक्त उसने मेरी ड्रिंक में पता नहीं क्या मिलाया और उसे पीते ही मेरा सर चकराने लगा ! रेस्ट के बहाने वो मुझे ऊपर कमरे में लेकर गयी ! सर दर्द से फटा जा रहा था और सब धुंधला होने लगा ! मोना वही थी और उसके बाद क्या हुआ कुछ याद नहीं !! अगली सुबह मैं शुभ के घर था उनसे बताया की ड्रिंक की वजह से मैं ओवर होकर सो गया था ! एक हफ्ते बाद मोना घर आयी और सबसे कहा की वो मेरी गर्लफ्रेंड है घर पर किसी को भरोसा नहीं हुआ मैंने जब उस से कुछ कहना चाहा तो उसने अपना फोन मेरे आगे कर दिया जिसमे उसकी और मेरी इंटिमेंट सीन्स की कुछ बेहूदा तस्वीरें थी !! मैं कुछ नहीं बोल पाया मुझे नहीं समझ आया की ये सब कब हुआ ? कैसे हुआ ? बस उसने एक जाल बिछाया और मैं उसमे फंसता चला गया !! उसे अपनाने के अलावा मेरे पास और कोई ऑप्शन नहीं था मुझे लगा नशे में मुझसे ये सब हो गया होगा !!”
अक्षत आगे बोलने की स्तिथि में नहीं था उसने गाड़ी रोक दी ! और बाहर निकल कर खड़ा हो गया गुस्सा और बेबसी उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी !!

मीरा भी गाड़ी से निचे उतरी इस वक्त दोनों शहर के ऊँचे पूल पर खड़े थे जहा से बहुत कम गाड़िया गुजर रही थी !! मीरा अक्षत के पास आयी जैसे ही उसने अक्षत के कंधे पर हाथ रखा अक्षत गुस्से से पलटा और कहने लगा,”मैं कैसे कर सकता हु किसी लड़की के साथ ये सब , उस दिन के बाद से खुद से नफरत सी होने लगी है ! मैं सबके साथ होता हु पर मेरा दिमाग मेरा मन हर वक्त मुझे इस मायाजाल में फंसाये रखता है की मैं कितना गिरा हुआ इंसान हु ! मोना भले दोस्त थी पर मुझे अपनी हद में रहना था !!”
“आपने उसके साथ ऐसा कुछ नहीं किया है !”,मीरा ने कहा
“तुम ये इतने यकींन से कैसे कह सकती हो ?”,अक्षत ने शांत भाव से उसकी और देखकर कहा !
“अगर आप गलत इंसान होते तो आंटी हमे आपके साथ कभी नहीं भेजती ! पुरे घर में उन्होंने आपको ही क्यों कहा ? जबकि अर्जुन भैया और पापा घर ही थे आज ! क्योकि आंटी पर बहुत भरोसा करती है !”,मीरा ने प्यार से कहा !
अक्षत ने पीठ गाड़ी में लगा ली और मीरा की और देखकर कहा,”और तुम !”
“इसका जवाब आपके सामने है , भरोसा करते है तभी तो कल रात सुकून से सो रहे थे !”,मीरा ने कहा
“मतलब !”,अक्षत ने हैरानी से कहा
“थैंक्यू !!”,मीरा ने कहा
“अब थैंक्यू किसलिए ?”,अक्षत की हैरानी बढ़ती जा रही थी
“कल रातभर जागकर आपने हमारे सर पर पट्टिया जो रखी थी !”,मीरा ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा !
“ये तुमसे किसने कहा ?”,अक्षत झेंप गया
“सुबह निधि ने बताया ! जब आप इतने स्वीट है तो फिर सडु बनकर क्यों रहते है ?”,मीरा ने कहा
अक्षत ने कुछ नहीं कहा तो मीरा ने कहा,”अपना हाथ दीजिये !
अक्षत ने अपना हाथ मीरा की और बढ़ा दिया मीरा ने अक्षत का हाथ थामा और कहा,”अपनी आंखे बंद कीजिये और हमारे साथ गहरी साँस लीजिये !”
अक्षत ने वैसा ही किया उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था ! उसने दो तीन बार ऐसा किया तो पाया की उसका गुस्सा लगभग कम हो गया है ! अक्षत ने अपनी आँखे खोली और मीरा की और देखकर कहा,”भाई तुम्हारे बारे में सही कहते है”
“क्या कहते है ?”,मीरा ने अक्षत की आँखों में देखते हुए कहा
“यही की तुम बहुत अच्छी हो , बहुत मतलब बहुत बहुत बहुत !”,अक्षत ने ख़ुशी से
मीरा हसने लगी और फिर अक्षत का हाथ छोड़कर कहा,”अब चलिए देर हो रही है हमे !”
“हम्म्म , बैठो !”,अक्षत ने कहा !
दोनों गाड़ी में आ बैठे और अक्षत ने गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी ! मीरा को अपना अतीत बताकर अक्षत काफी अच्छा महसूस कर रहा था अब उसका मूड बिल्कुल ठीक था उसने म्यूजिक ऑन कर दिया ! गाना बजने लगा जो की उस सफर को और भी खूबसूरत बना रहा था
-: पल भर ठहर जाओ दिल ये सम्हल जाये
ऐसे तुम्हे रोका करू !!
मेरी तरफ आता , हर गम फिसल जाये
आँखों में तुमको भरु
बिन बोले बातें तुमसे करू , अगर तुम साथ हो ,, अगर तुम साथ हो !
तेरी नजरो में है मेरे सपने , मेरे सपनो में है नाराजी
मुझे लगता है के बातें दिल की , होती लफ्जो की धोखे बाजी
तुम साथ हो या ना हो क्या फर्क है
बेदर्द थी जिंदगी , बेदर्द है !!! अगर तुम साथ हो !!

गाना अक्षत का पसंदीदा था इसलिए वह साथ साथ गुनगुना भी रहा था लेकिन मीरा को आखरी लाइन कुछ खास पसंद नहीं आयी तो उसने गाना बदल दिया दुसरा गाना बजने लगा लेकिन ये पुराना गाना था और अक्षत मीरा दोनों को ही पुराने गाने पसंद थे !! गाना बजने लगा – पल पल दिल के पास , तुम रहती हो
जीवन मीठी प्यास , ये कहती हो !
पल पल दिल के पास , तुम रहती हो !!
अक्षत ने जैसे ही गाना सूना उसके होंठो पर मुस्कान फ़ैल गई और उसने कहा,”तुम्हारी पसंद बहुत अच्छी है !”
“जानते है !”,मीरा ने कहा और उसके बाद दोनों ही ख़ामोशी से उस गाने को सुनने लगे ! अक्षत का मन बहुत शांत था अब मीरा के बारे में सोचते हुए वह गाड़ी चलाता रहा ! दो घंटे बाद दोनों आष्टा शहर पहुंचे ! अक्षत ने गाड़ी साइड में लगाई ! दोनों निचे उतरे और सामने बने एक ढाबे पर आये ! अक्षत ने दोनों के लिए चाय आर्डर की और फिर आकर एक बेंच पर बैठ गए ! दोनों बेंच के किनारो पर बैठे थे ! अक्षत चाहता था मीरा उसके पास आकर बैठे लेकिन ना वो उसे कह सकता था ना खुद उसके करीब जाकर बैठ सकता था ! लड़का चाय ले आया उसने मीरा और अक्षत को चाय दी और चला गया ! मीरा अपनी चाय पिने लगी अक्षत चाय का ग्लास हाथ में थामे बस उसे देखता रहा ! एक इंसान एक वक्त पर मासूम और इतना खूबसूरत कैसे हो सकता ? अक्षत बस यही सोच रहा था की तभी दो लोगो ने आकर कहा,”भाई ज़रा उधर खिसकना !!”
अक्षत मन ही मन खुश हो गया और जल्दी सी मीरा की तरफ खिसक गया ! मीरा का ध्यान कही और ही था अक्षत ने देखा सामने दो छोटे बच्चे जिनके जिस्म पर कपड़ो के नाम पर सिर्फ कटे फ़टे कपडे थे ! जिनका सूखा हुआ चेहरा और बुझी हुई आँखे बता रही थी की उन्होंने कितने दिनों से कुछ खाया नहीं है ! दोनों बच्चे बड़ी आस से आस पास बैठे लोगो को देख रहे थे की कोई उन्हें कुछ खाने को दे दे ! उनके चेहरे का दर्द मीरा के चेहरे पर उत्तर आया था ! वह अपनी चाय पीना भूल चुकी थी अक्षत ने देखा तो उसने दोनों को अपने पास आने का इशारा किया ! दोनों अक्षत के पास चले आये तो अक्षत ने पूछा,”नाम क्या है तुम दोनों का ?”
“इसका राजू और मेरा मुनिया !”,छोटे मेले बालो वाली उस बच्ची ने कहा !
“भूख लगी है ?”,अक्षत ने पूछा
अक्षत के इस सवाल पर दोनों बच्चे एक दूसरे को देखने लगे ! उन्हें चुप देखकर अक्षत ने कहा,”तुम्हारा घर कहा है ?”
“वो उधर उस गुमठी के पीछे !”,राजू ने दूर गुमठी की और इशारा करके कहा !
“आप दोनों यहाँ क्या कर रहे हो ?”,इस बार सवाल मीरा ने किया
“खाने के लिए आये है !”,मुनिया ने कहा
“पैसे है तुम लोगो के पास “,अक्षत ने सवाल किया और इस बिच उसकी चाय लगभग ठंडी हो चुकी थी !
“पैसे तो नहीं है !”,मुनिया ने मासूमियत से कहा
“फिर खाना कैसे मिलेगा ? आप लोगो को !”,मीरा ने प्यार से कहा !
“ये जो साहब लोग खा रहे है , इनके खाने के बाद जो बचेगा वो होटल का मालिक हम लोगो को दे देगा !”,मासूम से राजू ने आसभरे शब्दों में कहा !
उसकी बात सुनकर मीरा की आँखे भर आयी ! उसे उन दोनों बच्चो के लिए बहुत बुरा लग रहा था उसने दोनों के गालो को छूकर कहा,”आप दोनों बैठो हम मंगवाते है !” कहकर जैसे ही उसने अपनी बगल में देखा अक्षत वहा नहीं था ! उसने इधर उधर नजर दौड़ाई सामने से अक्षत हाथ में ढेर सारा खाने का सामान लेकर आ रहा था ! उसने सब टेबल पर रखा और दोनों बच्चो से कहा,”चलो आ जाओ !!”
दोनों बच्चे आकर कुर्सियों पर बैठ गए ! अक्षत ने उनके सामने सब खाने का सामान रखा दोनों खाने लगे ! खाते हुए जो ख़ुशी उनके चेहरे से झलक रही थी उसे अक्षत ने अपने फोन के कैमरे में कैद कर लिया था !

वह वापस मीरा के पास और कहा,”खुश हो ना !”
“ह्म्म्मम्म , ऐसा क्यों होता है ? छोटे छोटे बच्चे दुसरो के जूठे खाने पर निर्भर रहते है , क्या ईश्वर को इन बच्चो पर दया नहीं आती !”,मीरा ने भावुक होकर कहा
“ये कुदरत का नियम है मीरा इस दुनिया में कोई भी बराबर नहीं है कोई कम तो कोई ज्यादा !”,अक्षत ने दोनों बच्चो को देखते हुए कहा
“हम नहीं मानते ऐसे नियमो को , अगर हमारे पास बहुत सारा पैसा होता ना तो हम इनके लिए वो सब करते जो ये डिजर्व करते है !”,मीरा ने कहा
“चलो बैंक लुटते है !”,अक्षत ने मीरा की और देखकर कहा
“क्या ?”,मीरा ने हैरानी से अक्षत की और देखा
“बैंक लुटते है , अब इतना पैसा तो बैंक में ही मिल सकता है !”,अक्षत ने कहा
“टांग खिंच रहे है आप हमारी !”,मीरा ने अक्षत को घूरते हुए कहा
“मीरा , जिंदगी में सबको सबकुछ नहीं मिलता , कोई एक ना एक चीज छुटती ही है !! तो बेहतर है ना जो सामने है उसे बेहतर बनाये !”,अक्षत ने कहा
“मतलब ?”,मीरा ने कहा
अक्षत ने मीरा का हाथ पकड़कर उसे वहा से उठाते हुए कहा,” चलो खुशिया बांटते है !” अक्षत मीरा को लेकर उन बच्चो के पास आया ! दोनों उनके साथ बैठकर खाने लगे , साथ ही उन्हें भी अपने हाथो से खिला रहे थे और ऐसा करते हुए उन्हें बहुत ख़ुशी हो रही थी ! ! जब दोनों ने खा लिया तो अक्षत और मीरा ने उनके साथ अपनी कुछ तस्वीरें ली और फिर उन दोनों के लिए कुछ सामान खरीद कर उन्हें दे दिया ! अक्षत ने घडी में टाइम देखा भोपाल पहुंचने में अभी 2-3 घंटे लगने बाकि थे उसने मीरा से चलने को कहा ! दोनों आकर गाड़ी में बैठ गए ! अक्षत ने अपना सीट बेल्ट लगाया और मीरा से लगाने को कहा जब उस से नही लगा तो अक्षत उसकी और झुका और खुद लगाने लगा मीरा ने धीरे से कहा,”आप इतने सडु भी नहीं है जितने दीखते है !”
जैसे ही मीरा ने कहा अक्षत उसकी और देखने लगा दोनों के चेहरो के बिच थोड़ा सा ही फासला था खिड़की से आती हवा से बाल उड़कर मीरा के चेहरे पर आने लगे तो अक्षत ने उसकी आँखो में देखते हुए उन्हें अपनी उंगलियों से हटा दिया और कहा,”अभी तुमने मेरा असली रूप देखा ही कहा है !”
अक्षत इतना कहकर मीरा से दूर हो गया पर अपनी कही आखरी बात से उसने मीरा के दिल की धड़कने जरूर बढ़ा दी थी ! उसके चेहरे पर आये भावो को अक्षत पहचान ना ले सोचकर वह खिड़की के बाहर देखने लगी ! अक्षत ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी !! मीरा ख़ामोशी से गाड़ी के शीशे से अपना सर लगाए रास्ते को देखती रही और अक्षत गाड़ी चलाता रहा ! एक लम्बे सफर के बाद दोनों भोपाल पहुंचे ! भोपाल की गलियों में जैसे जैसे गाड़ी आगे बढ़ती जा रही थी मीरा का दिल बैठा जा रहा था ! अपने अतीत के सच के वह धीरे धीरे करीब जाती जा रही थी ! वह अक्षत को रास्ता बताते रही अक्षत वैसे वैसे गाड़ी को टर्न करता रहा ! गालिया बहुत सकरी होने की वजह से अक्षत गाड़ी धीरे धीरे आगे बढ़ा रहा था और आख़िरकार गाड़ी मीरा के घर के सामने पहुंची !!
मीरा धड़कते दिल के साथ निचे उतरी उसे देखकर आस पास के लोग उसके पास चले आये और उसका हाल चाल पूछने लगे ! मीरा ने सबसे बात की और अक्षत का परिचय भी करवाया ! तभी भीड़ में से एक आदमी आया और बिना कुछ बोले मीरा को चाबियों का गुच्छा थमाकर चला गया ! मीरा उस से कुछ पूछ पाती इस से पहले ही वह आदमी वहा से चला गया ! सभी लोग भी एक एक करके चले गए ! अक्षत बस चुपचाप खड़ा सब देख रहा था ! सबके जाने के बाद मीरा ने बैग से घर की चाबी निकाली और दरवाजा खोलकर अंदर धकेल दिया ! उसने अक्षत से अंदर चलने को कहा ! अंदर आकर अक्षत ने देखा घर बहुत खूबसूरत था एक एक चीज सलीके से जमी हुई थी ! मीरा ने आँगन में पड़ी कुर्सी को पोछा और अक्षत को बैठने को कहा ! अक्षत बैठ गया और घर को देखने लगा ! मीरा ने अक्षत के पीछे लगे उस बड़े से दरवाजे को खोल दिया जिस से सारा आंगन रौशनी से भर गया ! अक्षत को सारी चीजे अब और साफ साफ दिखाई दे रही थी ! मीरा दरवाजे से पीछे चली गयी उसने देखा पानी नहीं था ! होता भी कहा से उसने यहाँ से जाने के बाद कभी आकर देखा ही नहीं वह वापस अंदर आयी और किचन में पड़ी खाली स्टील की मटकी उठाई और जैसे ही जाने लगी अक्षत ने टोक दिया,”ये सब लेकर कहा ?”
“घर में पानी नहीं है वही लेने जा रहे है , आप बैठिये ना !”,मीरा ने कहा और बाहर निकल गयी ! बाहर आकर उसने पास ही लगे मोहल्ले के नल से पानी भरा जब तक पानी भरा तब तक मीरा ने दुपट्टे को कंधे से लेकर कमर पर बांध लिया ! उसने मटकी उठायी और उसे कमर पर रखकर अंदर ले आयी ! बालो की बड़ी सी लट उसके गालो पर झूल रही थी ! कमर पर मटकी रखे वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी बिल्कुल गांव की लड़कियों जैसे ! अक्षत ने देखा तो बस देखता ही रह गया ! वह मीरा के पास आया और कहा,”लाओ मैं रख देता हु !”
अक्षत ने पानी का बर्तन रखा तब तक मीरा भी वहा आ गयी और ग्लास में पानी निकालकर अक्षत को देते हुए कहा,”फ़िल्टर नहीं है !”
“चलेगा !”,कहते हुए अक्षत ने गिलास मीरा के हाथ से लिया और एक साँस में पूरा पि लिया ! उसने पानी पीकर मीरा की और बढ़ा दिया और कहा,”तुम्हारा घर बहुत अच्छा है ! एक सुकून सा है यहाँ !”
“हमारी माँ भी यही कहती थी , कभी कभी आप बिल्कुल उनकी तरह बात करते है !”,मीरा ने अक्षत की और प्यार से देखते हुए कहा !
“हां मैं जरा पुराने ख़यालात का हु !”,अक्षत ने मुस्कुराते हुए कहा ! उसकी बात पर मीरा भी मुस्कुराने लगी तो अक्षत ने कहा,”अपना घर नहीं दिखाओगी ?
“हम्म्म , चलिए !”,कहते हुए मीरा आगे आगे चलने लगी और अक्षत उसके पीछे पीछे ! मीरा ने घर में बना एक बड़ा कमरा दिखाया जो उसकी माँ का था जिसकी दिवार पर मीरा के बचपन की बहुत सारी तस्वीरें लगी थी ! ! एक बड़ा सा बेड जो की बहुत सुन्दर था ! एक बड़ी कपडे रखने की लकड़ी की अलमारी जिस पर पुराने ज़माने का कोई डिजाइन बना हुआ था !! कमरे के एक कोने में ढेर सारी किताबे थी अक्षत ने एक किताब उठाकर देखी जिस पर लिखा था “राजपूती वंश !” उसने किताब मीरा को दिखाकर कहा,”इन्हे कौन पढता था ?”
“हमारी माँ ! उन्हें ये किताबे पढ़ना बहुत पसंद था !”,मीरा ने कहा !
अक्षत उसके पीछे पीछे बाहर आया तो मीरा उसे घर के पीछे बने उस छोटे से बगीचे में ले आयी जहा एक बड़ा पेड़ था जो बगीचे से होकर आधा छत पर लहरा रहा था ! उसके निचे एक बेंच थी जिस पर सिर्फ दो लोग आसानी से बैठ सकते थे ! अक्षत बीच पर आ बैठा एक बहुत अच्छी महक ने उसके नाक को छुआ तो उसने कहा,”ये खुशबु ?”
“लेवेंडर की है , वो देखिये वहा कोने में !! इसकी खुशबु हमे बहुत पसंद है जब भी हम यहाँ आते थे तो रोज कुछ वक्त यहाँ बिताते थे !”,मीरा ने कहा तो अक्षत ने उसे अपने पास आकर बैठने को कहा मीरा उसके बगल में आ कर बैठ गयी ! दोनों साथ साथ बैठकर उस खुशबु को महसूस करने लगे ! कुछ देर बाद मीरा ने कहा,”चले !
“हम्म्म !”, अक्षत उठकर जैसे ही चलने लगा लड़खड़ा गया गिरने को हुआ तो मीरा ने उसके हाथ को थामकर उसे गिरने से बचा लिया !! दोनों अंदर आये जो चाबियां मीरा को मिली थी उन्हें लेकर मीरा सावित्री के बने उस खास कमरे के सामने आयी जिसमे जाने की मीरा को कभी मंजूरी नहीं मिली थी ! उसने दरवाजा खोला और अंदर आयी छोटे से कमरे में एक बड़ा सा बक्सा रखा था जो की बहुत खूबसूरत था ! मीरा ने धड़कते दिल के साथ उस बक्से को खोला खोलते ही सबसे ऊपर उसे कुछ पेपर्स मिले मीरा ने उन्हें उठाकर देखा और जैसे ही पढ़ा उसका दिल धक् से रह गया !! उसे खामोश देखकर अक्षत ने उस से वो कागज लिए और देखने लगा जैसे ही अक्षत ने उन्हें देखा एक पल के लिए उसका कलेजा भी धक् से रह गया फिर उसने खुद को कंट्रोल किया और हैरान होकर कहा – तुम तो बहुत अमीर निकली मीरा !!

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क्रमश – Kitni mohabbat hai – 23

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संजना किरोड़ीवाल

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