Kitni mohabbat hai – 11
“कितनी मोहब्बत है”
By Sanjana Kirodiwal
कितनी मोहब्बत है – 11
दादू सही सलामत घर आ चुके थे ! अक्षत आज कई दिनों बाद खुश था , परिवार के साथ वक्त बिताना और उनकी खुशियों में शामिल होना कितना सुकूनभरा होता है ये उसने आज देखा ! मीरा अक्षत को वही छोड़कर ऊपर चली आयी ! आईने के सामने खड़ी जब वह अपने बाल बना रही थी अक्षत का ख्याल बार बार उसके दिमाग में आ रहा था ! अक्षत के बारे में सोचते हुए उसके होंठो पर एक प्यारी सी मुस्कान तैर गयी ! मीरा ने घड़ी की और देखा कॉलेज जाने का समय हो चुका था ! उसने निधि से जल्दी तैयार होने को कहा और खुद भी जल्दी जल्दी बाल बनाकर , बुक्स लेकर कमरे से निकली ! कमरे से निकलते हुए उसे ध्यान नहीं रहा और वह सामने से आते अक्षत से टकरा गयी ! लेकिन अक्षत तो अक्षत है कॉम्प्लिकेटेड कब उसका मूड स्विंग हो जाये कोई नहीं जानता ! उसने मीरा को देखा और अपने कमरे की और चला गया ! मीरा निचे बैठकर अपनी बुक्स उठाने लगी और साथ ही बड़बड़ने भी लगी,”सडु कही के , ये नहीं के बुक्स उठा दे !”
मीरा ने किताबे उठायी और निचे चली आयी ! निधि भी आ गयी और दोनों कॉलेज के लिए निकल गयी ! राधा ने घर का काम निपटाया और दादाजी को दवाईया देने उनके कमरे में आयी ! दादाजी उस वक्त अकेले थे और कोई किताब पढ़ रहे थे ! दादी माँ बाहर रघु से बगीचे में पेड़ पोधो की सफाई करवा रही थी ! राधा को देखते ही दादाजी ने अपनी किताब साइड में रखी और कहा,”अरे राधा ! आओ बैठो”
“पापा आपकी दवाईया लेकर आई हु !”,राधा ने सामने पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा !
“ये किसलिए मैं बिल्कुल ठीक हु , डॉक्टर ने खामखा ये सब दे दिया !”,दादाजी ने खांसते हुए कहा !
“हां पता है मुझे आप ठीक है फिर भी आपको इनकी जरूरत है !”,राधा ने एक टेबलेट निकलकर उनकी और बढ़ाते हुए कहा !
दादाजी ने दवा ली और सर दिवार से लगा लिया ! उन्हें सोचता देखकर राधा ने कहा,”क्या सोच रहे है पापा ?
दादू – अक्षत के बारे में सोच रहा हु बहु !
राधा – क्या ?
दादू – मोनालिसा उसके लिए सही नहीं है राधा , अक्षत को जब उसके साथ देखता हु तो अच्छा नहीं लगता ! इस बच्चे के साथ ही ऐसा क्यों हुआ ?”
राधा – उसने अक्षत को फंसाया है पापा , और उसमे निकलने का कोई रास्ता भी नहीं है !
दादू – कल रात मैं इसी बारे में सोच रहा था और फिर सीने में दर्द होने लगा !!
राधा – पापा आप इस बारे में इतना सब मत सोचा कीजिये ! मुझसे भी एक गलती हो गयी !
दादू – क्या गलती ?
राधा – बातो ही बातो में मुझसे मीरा की माँ का जिक्र हो गया !
दादू – उसे तुम पर शक तो नहीं हुआ ?
राधा – नहीं पापा , मैंने बातो बातो में टाल दिया !
दादू फिर सोच में पड़ गए और फिर कहा,”राधा मीरा से सच कब तक छुपाओगी !”
राधा – जब तक सब ठीक नहीं हो जाता पापा , जब उसे मुझपर पूरा भरोसा हो जाएगा मैं उसे सारी सच्चाई बता दूंगी ! फ़िक्र तो मुझे आशु की हो रही है मोनालिसा की वजह से कैसे वह हमसे दूर हो चुका है , उसका गुस्सा , उसकी फ्रस्ट्रेशन बढ़ने लगी है पापा !! काश कोई इसे सम्हाल पाती !” कहते हुए राधा की आवाज थोड़ी नम हो गयी तो दादू ने प्यार से कहा,’चिंता मत करो , उसे सम्हालने वाली इस घर में आ चुकी है !”
राधा – मतलब ?
दादू – मीरा
राधा – मैं कुछ समझी नहीं पापा
दादू – मीरा ही वो लड़की है जो अक्षत की जिंदगी में सब सही कर सकती है !
राधा – लेकिन आशु ? मुझे नहीं लगता वो मीरा को या मीरा उसे समझ पायेगी , दोनों की सोच अलग है , दोनों का नजरिया अलग है , मीरा राजपूत है और हम ब्राह्मण !
दादू – राधा तुम किस जमाने की बात कर रही हो ? जात पात हमारे ज़माने में देखा जाता था , रही बात समझने की तो जल्दी क्या है धीरे धीरे दोनों एक दूसरे को समझ जायेंगे ! लेकिन तब तक ये बात सिर्फ हमारे बिच रहनी चाहिए !
“कोनसी बात ?”,दादी माँ ने अंदर आते हुए कहा ! दादू और राधा दोनों चौंक गए और फिर दादू ने बात सम्हालते हुए कहा,”अर्जुन के लिए रिश्ता आया है उसी के बारे में चर्चा कर रहे है ?
“अर्जुन के लिए रिश्ता आया है मुझे क्यों नहीं बताया ?”,दादी ने नाराज होते हुए कहा
“माँ जी पापा मजाक कर रहे है !”,राधा ने कहा
“नहीं मैं बिल्कुल मजाक नहीं कर रहा ! आई ऍम सीरियस दो दिन पहले ही मेरे दोस्त “किशनलाल शर्मा” का फोन आया था उन्होंने अपनी पोती के लिए अर्जुन को पसंद किया है और इस हफ्ते वो अर्जुन को देखने आ रहे है !”,दादू ने कहा
“किशनलाल वो आपके कॉलेज वाला दोस्त !”,दादी ने पुरानी यादो को याद करते हुए कहा !
“हां वही ! उसने कहा इसी बहाने सबसे मिलना भी हो जाएगा !”,दादू ने कहा
“ये तो अच्छी बात है पापा , कब आ रहे है वो लोग ?”,राधा ने ख़ुशी से कहा !
“विजय से बात कर लू एक बार उसके बाद अगले संडे को बुला लेते है !”,दादू ने कहा !
“ये तो खुशखबरी है , कबसे अर्जुन की शादी का सपना देख रही थी ! अब तो उसकी शादी में मैं अपनी सारी सहेलियों को एक हफ्ते पहले ही बुला लुंगी !”,दादी ने ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा !
“अरे भाग्यवान ! बिल्कुल बस एक बार अर्जुन को पल्ल्वी पसंद आ जाये !”,दादू ने कहा !
“पल्ल्वी , नाम तो अच्छा है पापा !”,राधा ने कहा
“लड़की भी अच्छी है किशनलाल बता रहा था इंजीनियरिंग की है उसने , घर के कामो में भी निपूर्ण है और साथ ही नॉएडा में कम्पनी में काम भी करती है ! एक बड़ा भाई है उसके और एक वो छोटा सा परिवार है ,, बाकि सब ग्वालियर में रहते है !”,दादू ने लड़की के बारे में जानकारी देते हुए कहा !
“ये तो और भी अच्छा है पापा शादी के बाद अर्जुन के साथ यहाँ बिजनेस भी सम्हाल लेगी “,राधा ने कहा !
“ठीक है फिर आज शाम विजय से बात करता हु !”,दादू ने कहा !
“पापा आप आराम कीजिये !”,राधा ने कहा और कमरे से बाहर निकल गयी !!
रात के खाने पर सभी साथ थे ! दादू ने जैसे ही अर्जुन के रिश्ते की बात की अर्जुन एकदम से उदास हो गया ! मीरा ने जैसे ही सूना अर्जुन की और देखा और अपना हाथ धीरे से अर्जुन के हाथ पर रखकर पलके झपकाकर उसे हिम्मत दी ! अक्षत उन दोनों के बिल्कुल सामने ही बैठा था ! उसने हाथ में पकड़ा चम्मच प्लेट में थोड़ी तेज आवाज के साथ रखा और उठकर चला गया ! “इसे क्या हुआ ?”,विजय ने कहा
“पापा आप अर्जुन भैया की शादी पहले कर रहे है ना इसलिए बुरा लग रहा होगा उन्हें !”,निधि ने हँसते हुए कहा लेकिन निधि के इस बेवकूफी भरे मजाक पर किसी को हंसी नहीं आई उलटा मीरा ने धीरे से कहा,”निधि किस वक्त क्या बोलना चाहिए समझ नहीं है ना तुम में !”
“सॉरी !”,निधि ने भी धीरे से कहा !
“हां तो पापा कब आ रहे है आपके दोस्त ?”,विजय ने खाते हुए पूछा !
“तुम बताओ , अगर तुम्हे ऐतराज नहीं हो तो इस संडे को बुला लेते है !”,दादाजी ने कहा
“हां जैसा आपको ठीक लगे !”,विजय ने कहा !
दादा , दादी , राधा और निधि सबके चेहरे पर मुस्कान तैर गयी बस अर्जुन का चेहरा उतरा हुआ था और मीरा भी खामोश थी ! अर्जुन ने हिम्मत करके कहा,”पापा क्या अभी शादी करना जरुरी है ?”
विजय ने अर्जुन की और देखे बिना ही कहा,”हां शादी के लिए ये उम्र सही है , मेरी शादी भी इसी उम्र में हुई थी !”
“पापा मैं किसी को पसंद करता हु !”,अर्जुन ने बड़ी मुश्किल से कहा
विजय ने हाथ में पकड़ा चम्मच प्लेट में रख दिया और अर्जुन की तरफ देखकर कहा,”अर्जुन मैंने कभी तुम लोगो पर किसी भी चीज के लिए कोई दबाव नहीं डाला है लेकिन तुम सबकी शादी मेरा सपना है , और वो मैं तय करूंगा !”
“पापा एक बार आप लोग नीता से मिल लीजिये , वो बहुत अच्छी है !”, अर्जुन ने कहा !
“तुम्हारी बहन ने अपनी पसंद से शादी की थी आखिर क्या मिला उसे ? बेहतर होगा हम लोग इस बारे में बात ना करे ! शादी वही होगी जहा मैं चाहूंगा , संडे तक खुद को तैयार कर लो !”,विजय ने कहा और वहा से उठकर चले गए ! अर्जुन ने इसके बाद कुछ नहीं कहा और उठकर चला गया ! दादाजी और राधा एक दूसरे की और देख रहे थे ! मीरा ने खाना खाया और निधि को लेकर ऊपर आयी !
उसने कमरे में आते ही निधि से सवाल किया,”तुम सबकी एक बहन और है ?”
“शशशशश धीरे बोलो उनके बारे में इस घर में कोई बात नहीं करता !”,निधि ने धीरे से कहा
“पर क्यों ?”,मीरा काफी उलझन में थी !
“आओ बैठो बताती हु !”,कहते हुए निधि मीरा का हाथ पकड़कर बेड के पास ले आयी और बैठाते हुए कहा,”उनका नाम कुसुम है ! कुसुम दीदी और अर्जुन भैया जुड़वाँ थे ! कुसुम दी पड़ोस में रहने वाले एक लड़के से प्यार करती थी ! दी उनसे शादी करना चाहती थी ! पर कुछ समय बाद पापा को पता चला की वो लड़का अच्छा नहीं है ! पापा ने दी को बहुत समझाया लेकिन दी ने उनकी एक बात नहीं सुनी और उस लड़के के साथ कोर्ट मैरिज कर ली ! पापा को बहुत बुरा लगा ! जब उन्होंने दी से इस बारे में बात की तो दी घर छोड़कर उस लड़के के साथ चली गयी ! और कुछ महीनो बाद खबर मिली की दी ने सुसाइड कर लिया ! दी के एक गलत फैसले ने दी की जान ले ली ! तबसे पापा उनसे बहुत नफरत करते है और इस घर में कोई उनके बारे में बात नहीं करता ! पापा को लव मैरिज से प्रॉब्लम नहीं है मीरा लेकिन इसी लव मैरिज ने दी की जान ले ली सोचकर पापा अब किसी को इसकी परमिशन नहीं देंगे !!”
निधि की बात सुनकर मीरा हैरान थी ! आज से पहले उसने कभी इस घर में कुसुम का नाम नहीं सूना था ! लेकिन अब सब क्लियर था उसे अर्जुन की फ़िक्र हो रही थी ! विजय थोड़े कठोर स्वभाव के है मीरा ये जानती थी इसलिए ऐसे वक्त में उनसे बात करना शायद सही नहीं होता ! निधि अपने लेपटॉप पर मूवी देख रही थी ! मीरा उठी और कमरे से बाहर आ गयी ! अर्जुन के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था मीरा के कदम उस और बढ़ गए ! दरवाजे पर आकर मीरा ने कहा,”क्या हम अंदर आ सकते है ?”
“मीरा , आओ ना पूछ क्यों रही हो ?”,अर्जुन ने उदास स्वर में कहा !
मीरा अंदर चली आयी तो अर्जुन ने उसे सामने पड़ी कुर्सी पर बैठने का इशारा किया ! मीरा बैठ गयी कुछ देर दोनों के बिच ख़ामोशी रही और फिर मीरा ने कहा,”निधि ने मुझे कुसुम दी के बारे में बताया , उनके साथ अच्छा नहीं हुआ ! लेकिन उन्होंने जो किया उसकी सजा आप सबको मिले ये भी तो सही नहीं है ना !”
“कुसुम ने कुछ गलत नहीं किया !”,अर्जुन ने शांत भाव से जमीन को तांकते हुए कहा !
“मतलब ?”,मीरा एक बार फिर उलझन में थी !
“कुसुम ने जिस लड़के से प्यार किया वो मेरा बहुत अच्छा दोस्त था लेकिन पापा ने किसी और के कहने पर उसे गलत समझ लिया और नफरत करने लगे ! कुसुम उस से बहुत प्यार करती थी मैंने ही उन दोनों को कोर्ट मैरिज की सलाह दी लगा इसके बाद सब ठीक हो जाएगा लेकिन पापा ने कुसुम को घर से निकाल दिया ! वो लड़का बहुत मेहनती था उसने मेहनत करके कुसुम को वो सब दिया जो उसे खुश कर सके लेकिन एक कमी उसे हमेशा खलती रही , वो पापा को हमेशा मिस करती थी ! घर में उसकी सिर्फ मुझसे बात होती थी वो भी सबसे छुपकर ! उसने कई बार पापा से माफ़ी मांगी लेकिन पापा तो जैसे हमेशा के लिए मुंह फेर चुके थे ! कुसुम तनाव में रहने लगी थी और फिर एक दिन उसने फांसी लगा ली ! वो हम सबको छोड़कर चली गयी ! उसके मरने की वजह पापा का गुस्सा उनकी नफरत था ! लेकिन पापा को लगता है वो शादी के बाद उस लड़के से खुश नहीं थी और इसलिए उसने सुसाइड कर लिया और आज भी उन्हें यही लगता है ! वो सच नहीं जानते मीरा और मैं चाहकर भी उन्हें सच नहीं बता सकता !!”,कहते कहते अर्जुन का गला रुंध गया !
मीरा ख़ामोशी से सब सुनती रही ! कितना दर्द था इन सबके दिलो में मीरा ने आज देखा ! इन हँसते चेहरों के पीछे का सच वो शायद जान ही नहीं पाई ! मीरा ने अपना हाथ अर्जुन के कंधे पर रखा और कहा,”आपको अंकल को सच बता देना चाहिए !”
“ऐसा नहीं कर सकता मीरा , नहीं चाहता पापा कुसुम की मौत का जिम्मेदार खुद को समझे ! बहन को खो चुका हु पापा को खोना नहीं चाहता !”,अर्जुन की आवाज में नमी साफ झलकने लगी थी !
“हम्म्म्म ! ये मुश्किल घडी है आपको हिम्मत से काम लेना चाहिए !”,मीरा ने कहा !
“तुम बहुत समझदार हो मीरा , नीता का प्यार मेरे लिए जरुरी है लेकिन पापा की ख़ुशी से बढ़कर नहीं है !”,अर्जुन ने कहा !
“आप हमसे भी ज्यादा समझदार है , अर्जुन जी !”,मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा लेकिन उसके दिमाग में कोई और ही खिचड़ी पक रही थी !
“तुम मुझे सिर्फ अर्जुन बुला सकती हो !”,अर्जुन ने कहा !
“हम्म्म्म ! , अभी हम चलते है !”,मीरा ने उठते हुए कहा और अर्जुन के कमरे से बाहर निकल गयी ! अपने कमरे की और जाते हुए उसकी नजर सामने बालकनी में खड़े अक्षत पर गयी जो की सिगरेट पि रहा था ! मीरा को बहुत बुरा लगा और उसने मन ही मन कहा,”आप कभी नहीं सुधरेंगे !” मीरा अपने कमरे में आ गयी और अर्जुन और नीता के बारे में सोचने लगी ! आखिर कैसे वह इन दोनों का प्यार सही साबित करे ? इन सब बातो में मीरा अपने आने वाले एग्जाम्स और पढाई के बारे में भी लगभग भूल चुकी थी ! बिस्तर पर लेटे उसकी आँखे भले बंद थी पर उन आँखों में सेंकडो सपने तैर रहे थे जो मीरा जगी आँखों से देख रही थी !
सुबह मीरा देर से उठी ! घडी में समय देखा तो जल्दी जल्दी तैयार होकर निचे आयी ! आज नाश्ते की टेबल पर अक्षत नहीं था ! हर सुबह उस जगह अक्षत को बैठे देखने की मीरा को आदत हो चुकी थी ! उसने ऊपर देखा लेकिन अक्षत नहीं दिखाई दिया ! कॉलेज जाने के लिए लेट हो रहा था इसलिए मीरा ने बैठकर जल्दी जल्दी नाश्ता किया और निधि के साथ कॉलेज के लिए निकल गयी ! दिनभर थका देने वाली क्लासो के साथ मीरा और निधि कॉलेज से बाहर आयी ! दोनों साथ साथ चलने लगी मीरा को खामोश देखकर निधि ने कहा,”क्या बात है आज बड़ी चुप चुप हो तुम ?”
“कुछ नहीं बस ऐसे ही !”,मीरा ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा
“मैं तो अर्जुन भैया की शादी को लेकर बहुत एक्साइटेड हु !”,निधि ने चहकते हुए कहा !
“तुमसे एक बात पूछे ?”,मीरा ने कहा
“हां !”,निधि ने चलते हुए कहा !
“मान लो आगे चलकर तुम्हे किसी से प्यार हो गया और अंकल नहीं माने तो तुम क्या करोगी ?”,मीरा ने कहा
“पापा को मनाने की कोशिश करुँगी !”,निधि ने मासूमियत से कहा
क्यों ? छोड़ भी तो सकती हो अपने प्यार को !”,मीरा ने कहा
“जिस से प्यार करते है उसे छोड़ना इतना आसान होता है क्या मीरा ? फॅमिली के लिए उसे छोड़ भी दिया तो क्या जिंदगी भर वो ख्याल मन में रहेगा की मैंने धोखा किया !”,निधि ने सोचते हुए कहा
“यही तो हम तुम्हे समझाना चाह रहे है ! अर्जुन जी भी कीसी को पसंद करते है तो फिर वो किसी और से शादी कैसे करेंगे ?”,मीरा ने कहा
“क्या अर्जुन भैया तुम्हे पसंद करते है ?”,निधि ने कहा
“तुम पागल हो निधि , वो किसी नीता से प्यार करते है हम सिर्फ उनकी दोस्त है !”,मीरा ने झुंझलाकर कहा !
“अच्छा ठीक है !”,निधि ने कहा
“अंकल का गुस्सा अपनी जगह ठीक है लेकिन वो अर्जुन जी की पसंद ना पसंद भी नहीं जान रहे ये गलत है !”,मीरा ने कहा
“मीरा पापा से इस बारे में बात करना टाइम वेस्ट करना है ! एक बार उन्होंने जो कह दिया उसे बदलना बहुत मुश्किल है !”, निधि ने कहा और सामने से आते ऑटो को रोककर मीरा से बैठने का इशारा किया ! दोनों ऑटो में आकर बैठ गयी तो निधि ने ऑटो वाले से मार्किट चलने को कहा !
“मार्किट क्यों ?”, मीरा ने कहा
“अरे वो मुझे कुछ लेना था ! बस 10 मिनिट में हो जाएगा !”,निधि ने कहा !
ऑटो सड़क पर दौड़े जा रहा था ! मीरा एक बार फिर अर्जुन के बारे में सोचकर उलझती जा रही थी ! अर्जुन कुछ बोलेगा नहीं मीरा जानती थी और कह भी दे तो विजय जी उस बात को समझेंगे नहीं ! दोनों मार्किट पहुंची निधि ने अपनी जरूरत का सामान ख़रीदा मीरा चुपचाप खड़ी बस देख रही थी थी उसका मन कही और ही था ! तभी उसकी नजर सामने मंदिर पर गयी ! “निधि हम मंदिर होकर आते है , तब तक तुम देखो !”,मीरा ने कहा
“हम्म्म ठीक है जल्दी आना !”,निधि ने कहा !
मीरा मंदिर चली आयी भगवान की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गयी और मन ही मन कहने लगी,”निधि का परिवार बहुत अच्छा है , उस पर आने वाली सभी परेशानिया दूर कर दीजिये !! अर्जुन जी बहुत अच्छे इंसान है उनका प्यार उन्हें दे दीजिये ! हम मन्नत मांगते है की पुरे 101 लड्डू खुद अपने हाथो से बनाकर आपके यहाँ भोग लगाएंगे ! बस उन दो प्यार करने वालो को मिला दीजिये !”
पंडित जी ने आकर सर पर हाथ रखा तो मीरा ने अपनी आँखे खोली ! मीरा उन्हें देखकर ख़ामोशी से खड़ी रही तो उन्होंने मौली का एक धागा मीरा को देकर कहा,”तुम बड़ी परेशान दिख रही हो , ये धागा अपने दाहिने हाथ में पहन लेना , मन को शांति मिलेगी !!”
“शुक्रिया !”,कहकर मीरा ने उनसे वो धागा ले लिया और मंदिर से बाहर आ गयी ! मंदिर आकर मीरा का मन काफी हल्का हो गया था ! जैसे ही वह बाहर आयी एक छोटा बच्चा धागे से बने कुछ लॉकेट दिखाते हुए कहने लगा,”दीदी ले लो ना दीदी
“नहीं चाहिए भैया !”
“अरे ले लो ना दीदी , बहुत सस्ता है , लेलो ना !”
“नहीं भैया हमे नहीं चाहिए !”
लड़का थोड़ा मायूस हो जाता है और कहता है,”ले लीजिये ना सुबह से एक भी नहीं बिका है !”
मीरा को उस पर दया आ गयी उसने बुक खोलकर देखा एक आखरी का सौ का नोट बचा था जो उसने अपनी किताब के बिच दबा रखा था ! मीरा को अपनी मज़बूरी का अहसास हुआ और उसने कहा,”सॉरी भैया हम नहीं ले सकते !”
“ले लो ना दीदी , कम पैसे लगा लूंगा सिर्फ 50 रूपये का है आप भले 40 दे देना !”,लड़के ने मायूसी से कहा
मीरा ने भी उसी मायूसी से गर्दन हिला दी तो लड़का उदास होकर जाने लगा ! मीरा को बहुत बुरा लग रहा था वह दौड़कर लड़के के पास गयी और उसे रोकते हुए कहा,”अच्छा एक दे दीजिये !”
लड़का खुश हो गया और कहा,”किस नाम का दू दीदी ?”
मीरा सोचने लगी और फिर कहा,”A नाम से कोई हो तो दे दीजिये !”
लड़के ने ढूंढकर दे दिया मीरा ने 100 रूपये उसे दे दिए लड़का 60 रूपये वापस देने लगा तो मीरा ने प्यार से उसके गाल को छूकर कहा,”रख लो तुम्हारी जरूरते हमसे ज्यादा है !”
लड़का ख़ुशी ख़ुशी वहा से चला गया ! मीरा वही खड़े उसे जाते हुए देखती रही तभी निधि ने आकर कहा,”चले !
“ह्म्म्मम्म !”,मीरा ने कहा और दोनों घर के लिए निकल गयी !
घर पहुंचकर मीरा ने कपडे बदले , खाना खाया और फिर अपने कमरे में चली आयी उसने बैग में रखे उस लॉकेट को निकाला और मुस्कुराते हुए देखने लगी ! “A” उस एक अक्षर को देखकर मीरा सब भूल गयी ! बीते दिनों की परेशानिया , अपना अतीत और शायद खुद को भी ! अपनी बदलती भावनाओ को मीरा खुद भी नहीं समझ पा रही थी पर कुछ तो था जो उसे अक्षत की और खिंच रहा था ! मीरा उसे पसंद करने लगी थी ! उसकी परवाह करना उसके बारे में सोचना , उसे देखना मीरा की आदतों में शामिल हो चुका था ! लेकिन इन भावनाओ को अभी तक वह कोई नाम नहीं दे पाई थी ! अक्षत को समझना उसके लिए इतना सीधा भी नहीं था ! मीरा उस लॉकेट को हाथ में लेकर मुस्कुराती रही तभी निधि के आने से उसने जल्दी से उसे मुट्ठी में छुपा लिया ताकि निधि ना देख सके और चुपके से अपने बैग में रख दिया ! रात के खाने पर भी अक्षत नहीं आया ! आज सुबह से मीरा ने अक्षत को नहीं देखा था ! विजय ने राधा से पूछ लिया,”अक्षत कहा ?”
“अपने कमरे में !”,राधा ने कहा !
“खाना नहीं खाना उसे ?”,विजय ने सवाल किया !
“वो पहले ही खा चुका है ! आप सब लोग खाइये !”,राधा ने परोसते हुए कहा !
मीरा ये सुनकर थोड़ा उदास हो गयी और खाना खाने लगी !
आज खाना उसके गले के निचे नहीं उतर रहा था ! एक ही घर में होते हुए भी अक्षत को देख पाना मुश्किल हो रहा था ! खाना खाकर मीरा ऊपर चली आई लेकिन अक्षत नहीं दिखा उसके कमरे का दरवाजा बंद था ! मीरा अंदर से अपनी बुक ले आयी और घूमते हुए अक्षत के बाहर आने का इंतजार करने लगी ! पहली बार उसकी नजरे किताब में कम और अक्षत के कमरे के दरवाजे पर ज्यादा थी !! निधि कमरे में थी ! लम्बे इंतजार के बाद भी जब अक्षत नहीं आया तो मीरा अपने कमरे में चली आयी ! पढ़ते पढ़ते ही उसे नींद आ गयी ! सुबह उठी तो एक अलग ही नजारा देखने को मिला ! जो लॉकेट मीरा अक्षत के लिए लेकर आयी थी वो निधि के हाथो में झूल रहा था ! “ये तुम्हारे हाथ में क्या कर रहा है ?”,मीरा ने तेजी से बेड से उठकर निधि की और लपकते हुए कहा !
“क्या बात है ? तोहफे सोहफे , हम्म्म्म मुझे तो पहले ही शक था कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है !”,निधि ने लॉकेट मीरा के सामने झुलाते हुए कहा
“निधि इधर दो ये ! तुमने हमसे पूछे बिना क्यों निकाला इसे ?”,मीरा ने इधर उधर दौड़ते हुए कहा !
“मैंने जब पूछा तब कहा हम सिर्फ दोस्त है अब ये क्या है ? बोलो ‘A’ मतलब अर्जुन भैया ही ना ! अब तो मैं सबको बताने वाली हु घर में !”,निधि ने कहा और दरवाजे के बाहर निकल गयी ! आगे आगे निधि और पीछे मीरा भागते हुए दोनों अक्षत के रूम की तरफ आ गयी ! निधि भागते हुए अक्षत से टकराई तो अक्षत ने उसे रोककर कहा,”क्या हो गया ? क्यों भाग रही हो ऐसे ?”
मीरा ने अक्षत को देखा तो बस नजरे उस पर जम सी गयी ! अक्षत अभी अभी उठकर बाहर आया था बिखरे बाल , खामोश आँखे और चेहरे से मासूमियत टपक रही थी ! उसने मीरा की तरफ एक बार भी नहीं देखा और मीरा बस उसी प्यार से उसे देख रही थी जैसे उसे वो चेहरा दोबारा देखने को मिलेगा ही नहीं ! “भाई वो मीरा ही सुबह से मेरे पीछे पड़ी है !”,निधि ने कहा
“क्यों ?”,अक्षत ने कहा
“इसके लिए !”,निधि वो लॉकेट अक्षत के सामने कर दिया !
अक्षत ने लॉकेट हाथ में ले लिया और देखने लगा तो निधि वहा से चली गई मीरा वही रुक गयी ! ‘A’ देखकर अक्षत को लगा शायद ये अर्जुन के लिए हो सोचकर उसने वह मीरा की और बढ़ा दिया ! “रख लीजिये , आपके लिए ही है !”,मीरा ने कहा
अक्षत उसके सामने आया उसका हाथ पकड़ा और लॉकेट हथेली पर रखते हुए कहा,”मैं ये सब नहीं पहनता !”
कहकर अक्षत जैसे ही जाने लगा मीरा ने उसे टेबल पर रखा और कहा,”जब आपका मन हो तब पहन लीजियेगा !”
अक्षत पलटा तब तक मीरा जा चुकी थी ! अक्षत ने उसे उठाया और देखते हुए सोचने लगा,” अक्षत या फिर अर्जुन ?”
क्रमश -: कितनी मोहब्बत है – 12
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संजना किरोड़ीवाल