Sanjana Kirodiwal

“इश्क़” एक जूनून – 7

Ishq – ak junoon

Ishq - ak junoon - 7
ishq-ak-junoon-7

वैदेही से मिलने का समय ख़त्म हो चुका था सत्या बाहर आ गया , बाहर प्यारे मोहन , माया , वैष्णव और इंस्पेक्टर सब खड़े थे प्यारेमोहन के कहने पर इंस्पेक्टर ने इन्वेस्टिगेशन शुरू कर दी , एंजेलस होम को सीज कर दिया गया और वहा के सभी बच्चो को पुणे के अनाथाश्रम भेज दिया ,, सत्या ने कुछ दिनों बाद प्यारेमोहन और माया को घर जाने को कहा और कहा की वैदेही की देखभाल करने के लिए वो यहाँ है ,, एक हफ्ता निकल गया लेकिन ना इंस्पेक्टर को कुछ पता चला ना ही सत्या हो पुलिस ने वैदेही के होश में आ जाने तक केस बंद कर दिया क्योकि सिर्फ वैदेही ही जानती थी उस रात क्या हुआ था
सत्या का सारा समय वैदेही के पास ही गुजरता था , वो घंटो उसके पास बैठा उसे देखता रहता डॉक्टर्स उसे घर जाने के लिए कहते पर सत्या नहीं सुनता कमरे से बाहर निकालने पर हॉस्पिटल के वेटिंग एरिया में आकर बैठ जाता ,, वैदेही के केस को बंद करने की खबर अखबार में आ चूकी थी ,,, शहर के बीचोबीच बनी शानदार बिल्डिंग के 10 वे मंजिल पर बने ऑफिस में वह शख्स आता है और टेबल पर पड़ा न्यूज़ पेपर उठाकर देखता है , एक रहस्य्मयी मुस्कान उसके चेहरे पर आ जाती है और फिर वह खिड़की पर खड़े होकर सिगरेट जला लेता है और वही खड़ा बाहर की और देखता रहता है
दूसरी तरफ सत्या केस बंद होने से बहुत गुस्सा होता है और फिर बिना पुलिस को बताये खुद ही सच्चाई जानने के लिए रात में एंजेल्स होम जाता है , सत्या वैदेही के कमरे में जाता है और छानबीन करने लगता है पर उसे कुछ नहीं मिलता ,, तभ उसकी नजर बालकनी में जाती है जहा उसे सिगरेट के टुकड़े मिलते है सत्या उन्हें उठाकर गौर से देखता है और पाता है की वो सिगरेट बहुत ही महंगी थी जिसे बहुत कम लोग पिते है सत्या वापस हॉस्पिटल आ गया … वैदेही के बारे में जानकर सभी बहुत दुखी थे पर कोई और भी था जो अंदर ही अंदर ये सब जानकर आत्मग्लानि से झुंझ रहा था ,, सारी रात वह वैदेही के बारे में ही सोचती रही
अगली सूबह सत्या के पास एक अनजान नंबर से फोन आया सत्या ने फोन उठाया दूसरी तरफ से किसी महिला की आवाज उभरी – हैलो , मैं डॉक्टर नीतू बोल रही हु मुझे आपसे वैदेही के बारे में कुछ जरूरी बात करनी है
सत्या – हाँ कहो
नीतू – कुछ दिन पहले वैदेही मेरे हॉस्पिटल आयी थी उसके साथ बहुत गलत हुआ है सर
सत्या – क्या हुआ था वैदेही के साथ
नीतू – वैदेही के साथ जबरदस्ती की गयी थी , मैं उस वक्त मजबूर थी इसलिए सच नहीं बोल पायी पर कल जब पता चला की मेरे सच्चाई छुपाने से वो जिंदगी और मौत के बिच झुंझ रही है तो मुझे बहुत दुख हुआ
नीतू की बात सुनकर सत्या के हाथ से फोन गिरते गिरते बचा उस नीतू से कहा – क्या आप जानती है इस सब के पीछे किसका हाथ है
“मैं ये सब आपको फोन पर नहीं बता सकती आप मेरे हॉस्पिटल आ जाईये मैं आपको सब बट दूंगी – कहकर नीतू ने फोन काट दिया …
सत्या तुरंत वहा से नीतू के हॉस्पिटल के लिए निकल गया , नीतू भी घर से निकली और गाड़ी हॉस्पिटल की तरफ बढ़ा दी पर वो ये नहीं जानती थी की कोई है जो उसका पीछा कर रहा है नीतू तेजी से हॉस्पिटल के दूसरे माले पर बने अपने केबिन में गयी अंदर घुसते ही उसने देखा एक शख्स उसकी तरफ पीठ किये बैठा है , नीतू के आने की आहट सुनकर वह चौकन्ना हो गया वह नीतू की तरफ पलटा उस देखते ही नीतू घबरा गयी और कहा – तुम यहाँ नीतू आ कुछ कहती सामने वाले सख्स ने चाकू उसकी गर्दन पर चला दिया नीतू निचे गिरकर तड़पने लगी तभी दरवाजे पर किसी के आने की आहाट हुयी और वो सख्स दूसरे रास्ते से वहा से तेजी से निकल गया , सत्या दरवाजा खोलकर जैसे ही अंदर गया उसकी आँखे खुली की खुली रह गयी सामने फर्श पर नीतू लहूलुहान गीरी हुयी थी , सत्या उसके पास गया और उसका हाथ छूकर देखा नीतू मर चूकी थी सत्या ने यहाँ वहा देखा पर उसे कोई नजर नहीं आया ,, तभी पीछे से आती हुयी नर्स की चींख निकल गयी सत्या ने ु रोककर सच्चाई बतानी चाही इस से पहले ही वह वहा से निचे भाग गयी , सत्या निचे आया उसने सब को समझाने की कोशिश की पर उसकी किसी ने नहीं सुनी और कुछ देर बाद पुलिस की गाड़ी आयी , पुलिस ने सत्या को शक की बिनाह पर गिरफ्तार किया और थाने ले आयी … ये वही इंस्पेक्टर था जो वैदेही का केस भी देख रहा था l उसने सत्या को हवालात में बंद कर दिया फाइल बनाने लगा सत्या कहता रहा की उसने नीतू का खून नहीं किया है पर इंस्पेक्टर ने उसकी एक नहीं सुनी वह वैदेही के केस और नीतू के मर्डर को मिलाने लगा और सत्या को इन सबके लिए जिम्मेदार मान लिया
सत्या वैदेही को चाहता था पर वैदेही के इंकार करने पर पहले उसने वैदेही के साथ जबरदस्ती की और फिर वैदेही के साथ नीतू के पास गया , वैदेही जब बस से बाहर हो गयी तो उसे मारने की कोशिश की और फिर जब नीतू को सच्चाई पता चली तो उसे भी ख़त्म कर दिया – ऐसा इंपेक्टर ने सोचा …
सारी रात सत्या हवालात में रहा ,, उसे समझ नहीं आ रहा था आखिर कौन है जो ये सब कर रहा है ,,, सुबह कुमार सत्या से मिलने आया कुमार को सिर्फ 10 मिनिट का समय मिला कुमार सत्या के पास आया और कहा – ये सब क्या है सत्या तू नीतू के पास किसलिए गया था ?
“कुमार तू मेरा यकींन कर मैंने नीतू को नहीं मारा है , मुझे फसाया गया है – सत्या ने अपना हाथ जोर स सलाखों पर मारते हुए कहा
“मैं जानता हु तूने ऐसा कुछ नहीं किया , पर तू वहा गया क्यों था ? – कुमार ने कहा
“कुमार वैदेही उस दिन सच कह रही थी उसके साथ कुछ हुआ था , वो बार कहती रही और किसी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया मैंने भी नहीं ,, नीतू सच जानती थी और इसलिए उसने मुझे अपने हॉस्पिटल बुलाया था लेकिन मैं जब वहा पहुंचा वो मर चुकी थी l – सत्या ने कहा
कुमार – लेकिन तेरे पास इसका कोई सबुत नहीं है
“कोई तो है जो बहुत शातिर है और इन सबसे जुड़ा हुआ है और ये सब जानने के लिए मेरा यहाँ से बाहर निकलना बहुत जरुरी है – सत्या ने कुछ सोचते हुए कहा
“एक आदमी है जो तुझे यहां से बाहर निकाल सकता है – कुमार की आँखो में चमक आ गयी
कुमार ने सत्या को कुछ देर रुकने को कहा और वहा से निकल गया सत्या दिवार के सहारे बैठकर वैदेही के बारे में सोचने लगा , इन कुछ महीनो में जिंदगी में मची उथल पुथल को समझने की नाकाम कोशिश करने लगा , उस बार बार वैदेही की चिंता सता रही थी , और डर भी था कही उसकी जान को कोई खतरा न हो …
शाम को इंस्पेक्टर के पास फोन आया और उसने सत्या को हवालात से बाहर निकाला सत्या को लगा कुमार ने उसकी जमानत करवाई है जबकि ऐसा नहीं था ,, सत्या के पूछने पर इंस्पेक्टर ने सत्या को जमानत करवाने वाले का एड्रेस देते हुए शहर से बाहर ना जाने की हिदायत दी …. जब तक सत्या आँखों से ओझल नहीं हो गया इंस्पेक्टर उसे घूरता रहा . सत्या पहले हॉस्पिटल गया और वैदेही के बारे में पूछा उसे अभी भी होश नहीं आया था ,, सत्या ने दवाईया और जरुरत का सारा सामान नर्स को दिया और हॉस्पिटल से बाहर आ गया ,उसने इंस्पेक्टर के दिये एड्रेस को देखा और चल पड़ा कुछ देर बाद वह एक बड़ी सी बिल्डिंग के सामने पहुंचा और अंदर दाखिल हुआ उसके अंदर जाते ही वो दो जोड़ी आँखे उसके पीछे लग गयी जिससे सत्या अनजान था , लिफ्ट के सामने जाकर सत्या वेट करने लगा उसने बटन दबाया और अंदर दाखिल हुआ लिफ्ट दसवे माले पर आकर रुकी सत्या बाहर आया और सामने बने केबिन की तरफ बढ़ गया ,, केबिन में खिड़की की तरफ मुंह किये वो शख्स सिगरेट फूंक रहा था सत्या अंदर जाकर खड़े हो गया और कहा,”इंस्पेक्टर ने कहा आपन मेरी जमानत करवाई है , उसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया सर

सत्या की बात सुनकर वह शख्स पलटा तो सत्या की आँखे फ़ैल गयी सामने वैष्णव खड़ा था उसने बची हुई सिगरेट को डस्टबिन में फेंका और सत्या से बैठने को कहा सत्या पास रखी कुर्सी पर बैठ गया तभी वैष्णव ने कहा – हाँ तुम्हारी जमानत मैंने ही करवाई है , मैं जानता था की डॉक्टर नीतू का खून तुमने नहीं किया l
“पर आपको कैसे पता की उनका खून मैंने नहीं किया – सत्या ने चौंकते हुए कहा
“सत्या , तुम आम खाओ पेड़ मत गिनो , क्यों किसलिए ये जानने से ज्यादा जरुरी था तुम्हारा बाहर आना , बहुत सूना है तुम्हारे बारे में पर आज जाकर तुमसे सही से मुलाकात हुयी है – वैष्णव ने मुस्कुराते हुए कहा
“सूना तो मैंने भी बहुत कुछ है खैर जाने दीजिये – सत्या ने कहा
“वैदेही के साथ जो कुछ भी हुआ उसका बहुत दुःख है मुझे – वैष्णव ने सत्या की तरफ देखते हुए कहा
“वैदेही की ये हालत करने वाला अगर पाताल में भी छुप जाये तो मैं उसे नहीं छोड़ूगा – सत्या की आँखों में गुस्सा उतर आया वैष्णव – प्यार का मामला लगता है
“हां मैं उस से बहुत प्यार करता हु , इतना के उसके लिए अपनी जान दे भी सकता हु और किसीकी जान ले भी सकता हु
वैष्णव के चेहरे पर एक रहस्य्मयी मुस्कान आ गयी उसने कहा – विष्णु को क्यों ढूंढ रहे हो तुम ?
वैष्णव के मुंह से विष्णु का नाम सुनकर सत्या की आँखों में खून उतर आया उसने वैष्णव को घूरते हुए कहा – क्या तूम विष्णु को जानते हो ?
“रिलैक्स सत्या , बैठो – वैष्णव ने कहा और पास रखी सिगरेट सत्या की तरफ बढ़ा दी सिगरेट देखकर सत्या के दिमाग में कुछ चलने लगा पर उसने खुद को शांत रखा और सिगरेट के लिए मना कर दिया , सत्या ने अपना सवाल फिर दोहराया तो वैष्णव ने कहा – ” नहीं मैं नहीं जानता एक बार तुम्हारे मुंह से ही सुना था वैसे तुम उसे ढूंढ क्यों रहे हो मुझे बताओ शायद मैं तुम्हारी मदद कर पाउ !!
“जान से मारने के लिए – सत्या ने दाँत पिसते हुए कहा तो वैष्णव दूसरी तरफ देखने लगा ,, कुछ देर बाद सत्या ने वैष्णव का एक बार फिर शुक्रिया अदा किया और जाने लगा गेट की तरफ जाते हुए उसकी नजर सोफे की तरफ गयी वहा सफेद रंग का दुपट्टा पड़ा था जो की वैदेही का था , सत्या सोफे के पास गया और दुपट्टे को हाथ में उठाकर देखने लगा हां वो वैदेही का ही दुपट्टा था सत्या दुपट्टा लेकर वैष्णव के सामने गया और कहा – ये वैदेही का दुपट्टा है जो कपडे उसने रात पहने थे ये यहाँ तुम्हारे पास कैसे आया ?
सत्या की बात सुनकर वैष्णव मुस्कुराने लगा और सिगरेट जलाकर मुंह में रख ली
सत्या गुस्से में वैष्णव को घूरे जा रहा था वैष्णव कहने लगा – “पता नहीं कितने खून और लिखे है मेरे हाथो
कहकर वैष्णव ने बन्दुक सत्या की तरफ तान दी सत्या भोचक्का सा उसे देखता रह गया लेकिन अगले ही पल सत्या ने अपने पैर से वैष्णव के हाथ पर वार किया और बन्दुक नीच गिरा दी , वैष्णव उठा पाता इससे पहले ही सत्या ने उसे तेजी से एक घुसा मारा और वैष्णव दूर जा गिरा , वैष्णव ने जब तक खुद को सम्हाला तब तक सत्या ने गन उठाकर अपने हाथ में ले ली और वैष्णव की कनपटी पर लगाकर कहा – कौन है तू ? और ये सब क्यों किया तूने ?
“इश्क़ ………….. इश्क़ के जूनून में – वैष्णव ने खुद को सम्हालते हुए कहा सत्या ने उसे कुर्सी खींची और उस पर बैठ गया गन अभी भी उसने वैष्णव पर तान रखी थी दो आँखे उन दोनों को छुपकर देख रही थी वैष्णव जमीन पर बैठा सत्या की तरफ देख रहा था सत्या ने कहा – कैसा जुनुन ?

वैष्णव पहले मुस्कुराया और फिर कहने लगा -:
” नासिक में मैंने पहली बार वैदेही को रेलवे स्टेशन पर देखा था और देखता ही रह गया , वो मेरी आँखों में बस सी गयी उसका चेहरा मेरे दिल में उतर गया उसकी काली गहरी आँखे , उसके रसीले होंठ , उसकी गोरी मांसल बांहे , उसका उभरता बदन एक बार कोई उसे देखे तो बस देखता ही रह जाये !! (वैष्णव मुस्कुराने लगा) मैं अगर किसी को एक बार चाहने लगु तो उसे अपना बनाकर छोड़ता हु मुझे वैदेही चाहिए थी मैंने अपने आदमियों से उसे लाने को कहा , वो वैदेही के पीछे गए लेकिन वो ट्रेन में चढ़ गयी और वहा तुमसे मिली , मेरे आदमी ने फोन करके बताया की वो किसी लड़के के साथ है , और वो तुम थे मैंने अपने आदमियों से वापस आने को कहा और रेलवे इंक्वारी में जाकर वैदेही के बारे में पता किया वहा से जानकारी मिली की वैदेही पुणे जा रही है ! पुणे आने के बाद में अपने काम में बिजी हो गया पर एक शाम मैंने तुम्हे रेस्टोरेंट में देखा और अपने आदमियों से तुम्हे ख़त्म करने को कहा क्योकि मैं नहीं चाहता था को वैदेही के आस पास भी रहे वो सिर्फ मेरी थी लेकिन वहा भी किस्मत ने तुम्हारा साथ दिया और तुम बच निकले ,, तुम एक एक कर मेरे आदमियों को मारते गए !!
वैदेही अगर मेरी सच्चाई जानती तो मुझसे कभी प्यार नहीं करती इसलिए उसके सामने मैंने अच्छा बनने का नाटक किया और पैन्टिन्ग कॉम्पिटिशन में राघव को पहला इनाम देकर में उसकी नजर में आ गया और जब उसने मुझसे हाथ मिलाया था जो मुझे 440 वाल्ट का झटका महसूस हुआ , पहले मैं उसे सिर्फ एक रात के लिए उसे अपने बिस्तर पर ले जाना चाहता था पर जब मैंने उसे करिब से देखा तो उसके साथ अपनी आने वाली सारी राते रंगीन करने के ख्वाब देखने लगा ll मैंने वैदेही के बारे में जानकारी निकलवाई तो एंजेलस होम के बारे में पता चला , यही से मुझे वैदेही के करिब जाने की शुरुआत करनी थी मैंने वैदेही से मिलकर एंजेल्स होम का मेंबर बन गया ताकि उसके करीब रह सकू पर वहा जाकर पता चला की अमित भी वैदेही को चाहता है , मेरा गुस्सा चढ़ गया तुम क्या कम थे जो अब अमित भी आ गया ,,
वैदेही के जन्मदिन के दिन जब तुम आये तभी मैंने तुम्हे ख़त्म करने की सोच ली थी पर जब तुम्हे अमित से बात करते देखा तो मुझे लगा मेर रास्ते का एक रोड़ा तो खुद ही हट गया है , तुम्हे वैदेही से प्यार नहीं था l मैं बहुत खुश था लेकिन अमित अभी भी बचा हुआ था ,, इसी बिच तुम पुरे शहर में मुन्ना को ढूंढने में लगे थे मैं नहीं जानता था तुम मुन्ना को क्यों ढूंढ रहे हो फिर भी मैं कोई रिस्क लेना नहीं चाहता था इसलिए मैंने एक बार फिर तुम्हे मारने की साजिश की और आदमी भेजे लेकिन तूम बच निकले !!
वैदेही को पाना अब मेरा जूनून बन चूका था एक दिन जब मैं वैदेही से मिलने पंहुचा और वो अमित को किसी बात पर डांट रही थी और फिर उसने मुझे बताया की अमित उस से प्यार करता है लेकिन वैदेही अमित को नहीं चाहती थी मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ उस दिन मैं पूरा दिन वैदेही के साथ ही था और उसे अमित से दूर रहन और ज्यादा ना सोचने की सलाह देता रहा ,, शाम को मैं अपना फोन वहा ऑफिस में ही भूल गया था रात में जब याद आया तो लेने वापस एंजेलस होम आया यहाँ आकर मैं जैसे ही ऑफिस की तरफ बढ़ने लगा तो मैंने ददु और अमित की आवाज सुनी मैं पास की झाड़ियों में छुपकर दोनों की बाते सुनने लगा , ददु की असलियत जानकर मुझे बहुत बुरा लगा लेकिन जब उन्होंने कहा की वो जल्दी ही वैदेही को ख़त्म कर देंगे तो मेरा खून खोल उठा (वैष्णव के चेहरे पर गुस्से के भाव उभर आये) वो लोग मेरी वैदेही को मारना चाहते थे मुझसे छीनना चाहते थे ,, ये मैं कैसे होने देता l अमित की गन मुझे वही झाड़ियों में पड़ी मिल गयी अमित के वहा से जाते ही मैंने ददु को गोली मार दी , मैं अमित को भी उसी रात मार डालता लेकि तब तक सभी आ चुके थे ,, मैं छुपकर वहा से निकल गया और अगले दिन शाम को आकर वैदेही से अनजान बनकर मिला ताकि किसी को मुझपर शक ना हो ,, ददु के कत्ल के इल्जाम में पुलिस ने अमित को गिरफ्तार कर लिया और मेरे रास्ते का कांटा हमेशा हमेशा के लिए निकल गया ….
इतना सब होने के बाद वैदेही को जरुरत थी एक सहारे की लेकिन तुमने उस से मुंह मोड लिया वैदेही को खुद पर भरोसा दिलाने का यही सही वक्त था , मैं उसके साथ रहने लगा , उसकी मदद करने लगा और फिर एक दिन मौका देखकर मैंने वैदेही से अपने प्यार का इजहार भी कर दिया ,, वैदेही ने उसे मान लिया और वो मुझसे शादी करने के लिए तैयार हो गयी पर इसी बिच मेरे पास खबर आयी की किसी ने मुन्ना को मार डाला l मुन्ना की मौत मेरे लिए बहुत शॉकिंग थी फिर भी वैदेही का प्यार मुझपर हावी था क्योकि मैं जानता था जिसने मुन्ना को मारा है वो विष्णु तक कभी नहीं पहुंच पायेगा !!
मैं सबकुछ छोड़कर सिर्फ वैदेही पर ध्यान देना चाहता था और इसी बिच मेरी वैदेही से सगाई हो गयी अब मैं निश्चिन्त था की वैदेही मेरी हो चुकी है ,, मैं उसे पाने के लिए तड़पने लगा था और उस शाम मैं उसके कमरे में जा पहुंचा वो बाथरूम से नहाकर निकली थी उसे देखकर मेरे अंदर का प्यार जग उठा और मैंने उसे अपनी बांहो में भर लिया लेकिन वो तो सती सावित्री निकली और मुझे ही जलील करके वहा से निकल जाने को कहा यहाँ तक के सगाई की अंगूठी निकालकर मेरे मुंह पर मार दी.गुस्से में बौखलाया मैं वहा से अपने घर आया और बैठकर शराब पिने लगा शराब के नशे में वैदेही का रूप मेरी आँखों में आगे घूमने लगा और एक बार फिर मैं एंजेलस होम आया वैदेही सो रही थी ,, सोते हुए वह और भी खूबसूरत लग रही थी मैंने उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगाया और फिर सारी रात उसके जिस से अपनी भूख मिटाता रहा ,,
वैष्णव की बात सुनकर सत्या का खून खौल गया उसने वैष्णव के मुंह पर एक घुसा मारकर कहा – एक लड़की के साथ ये सब करने से पहले तुझे जरा भी शर्म नहीं आयी
वैष्णव हसने लगा और कहा – शर्म कैसी शर्म प्यार में कोई शर्म नहीं होती है
“ये तेरा प्यार नहीं है तू सिर्फ उसके शरीर से प्यार करता था – सत्या ने गुस्से में कहा तो वैष्णव कहने लगा

“हां करता था मैं उसके जिस्म से प्यार तो क्या गलत किया मैं हमेशा उसके करीब रहना चाहता था , जब भी उसके पास आने की कोशीश करता वो दूर चली जाती ,, उस रात मैं वैदेही के होश में आने से पहले ही वहा से चला गया था ,, पर उस वैदेही ने अगले दिन सबके सामने तमाशा खड़ा कर दिया मेरा सच सामने ना आ जाये इसलिए मैं खुद वैदेही को लेकर डॉक्टर नीतू के पास गया , नीतू ने जब वैदेही का चेकअप किया तो वो जान गयी वैदेही के साथ जबरदस्ती हुयी है वो वैदेही को सच्चाई बता पाती इस से पहले ही मैंने नीतू को फोन करके रिपोर्ट बदलने की धमकी दी और वैदेही से झूठ बोलने को कहा डॉक्टर ने वही किया और वैदेही को मेंटली डिसऑर्डर बताकर कन्फयूज कर दिया l हॉस्पिटल से बाहर आने पर अमित वैदेही से मिला पर वो उसे सच बताता उस से पहले वो वहा से भाग गया और सामने से आते ट्रक से टकरा गया … एंजेल्स होम आकर मैंने सबको समझा दिया की वैदेही को किसी बात का सदमा लगा है इसलिए वो इतना परेशान है , सबने मेरी बात मान ली लेकिंन जब तुम वहा आये तो मुझे मेरी चाल नाकामयाब होती लगी पर उस दिन जल्दी में होने के कारण तुम वहा से निकल गए l
वैदेही को जितना बेवकूफ मैंने समझा था उतनी बेवकूफ वो थी नही ,, मेरे बने बनाये खेल को बिगाड़ना चाहती थी और इसलिए उसने अकेले ही सच जानने की कोशिश की और किस्मत ने उसका साथ दिया उसे मेरी घडी मिल गयी जो उस रात वहा छूट गयी थी , मैंने ज अपने हाथ से घडी गायब देखि तो वही लेने मैं अगली रात फिर उसके कमरे में गया or घडी ढूंढने लगा लेकिन वैदेही जाग गयी और मैं पकड़ा गए , वो चिल्लाती इस से पहले ही मैंने पास रखा पॉट उसके सर पर दे मारा और खिड़की से उसे निचे गिरा दिया ताकि तुम सबको लगे उसने सुसाइड किया है यकीन के लिए मैंने उसकी हैंडराइटिंग म लिखा सुसाइड नोट भी छोड़ दिया ताकी किसी को मुझपर शक ना हो l पर वैदेही की किस्मत अच्छी थी की वो ज़िंदा बच गयी ,, मैं घबरा गया लेकिन फिर जब डॉक्टर्स ने कहा वो कोमा में चली गयी है तब मैंने राहत की साँस ली l मैं उसके साथ अपनी राते रंगीन करना चाहता था और उसने क्या किया उसने मेर ही मुंह पर तमाचा मार दिया ,,
मैं खुश था , लेकिन अभी भी मैं इन सबको लेकर चौकन्ना था और वही हुआ जिसका मुझे डर था उस नीतू ने तुम्हे वैदेही के बारे में बता दिया जब वो घर से निकली तो मेरे आदमी ने उसका पीछा किया और फोन पर मुझे जानकारी दी मैं हॉस्पिटल पहुंचा और …………………..
“और तुमने उसे मार दिया – सत्या ने कहा
“करेक्ट ,, सत्या तुम जितने नादान लगते हो उतने हो नहीं – वैष्णव ने मुस्कुराते हुए कहा
सत्या ने गुस्से में उसकी तरफ देखा और कहा – तुमने अपनी हवस की खातिर कितने मासूम लोग की जान ले ली तुम्हे अंदाजा भी है इस बात का !
वैष्णव ने सत्या के हाथ पर वार किया और बंदूक निचे गई गयी जिस वैष्णव ने उठा लिया और पासा पलट गया वैष्णव ने सत्या की तरफ गन पॉइंट करते हुए कहा – डोंट मूव मिस्टर सत्या , मैं वैदेही से प्यार करता था उसे पाने का जूनून सवार था मुझपे , नीतू को मारने के बाद तुमने वहा पहुंचकर मेरा काम और आसान कर दिया और नीतू के इल्जाम में तुम पकड़े गए
“तो फिर तुमने मेरी जमानत क्यों करवाई ? – सत्या ने घूरकर कहा
“जब मेरे आदमियों ने बताया की मुन्ना को मारने वाले तुम थे और तुम विष्णु को ढूंढ रह थे तो मुझे तुम्हे जेल से बाहर निकालना पड़ा ताकी मैं जान पाऊ की आखिर तुम कौन हो और विष्णु से मिलना क्यों चाहते हो ? – वैष्णव ने कहा और सिगरेट जला ली l

वैष्णव इत्मीनान से सिगरेट पि रहा था , पर्दे के पीछे छिपी वो दो आँखे अभी सारी सच्चाई चुपचाप सुन रही थी ,, सत्या वैष्णव को घूरे जा रहा था और फिर कहा – तो ये है तुम्हारा सच , जो की इतना घिनोना है
“जब तुम इतना सब जान ही गए हो तो क्यों न तुम्हे मैं एक सच्चाई और बता दू वैसे भी कुछ देर बाद तुम्हे मेरे हाथो मरना है और मरने से पहले तुम्हारी आंखरी इच्छा मैं जरूर पूरी करूंगा सत्या” – वैष्णव ने सिगरेट फेंककर कहा
“कैसा सच – सत्या की आँखे फेल गयी
वैष्णव ने अपने चेहरे से चमड़ेनुमा मास्क हटाया और अपना असली चेहरा सत्या को दिखाया सत्या ने उसका चेहरा गौर से देखा तो उसकी आँखों में खून उतर आया वो चेहरा सत्या की आँखों में चुभने लगा सत्या ने पहचान लिया वो कोई और नहीं बल्कि विष्णु ही था उसकी आँखों के निचे बना गहरे कट का निशान सत्या को अभी भी याद था , तभी वैष्णव उसके करीब आया और उसकी आँखों में आँखे डालकर कहा – देख देख इस चेहरे को मैं हु विष्णु जिसे तू इतने सालो से ढूंढ रहा है लेकिन मैं ये नहीं जानता की तू है कौन और मुझे क्यों ढूंढ रहा है सत्या तेजी से उठा और एक ही पल में वैष्णव को घुसा मारा जिससे वैष्णव खुद को सम्हाल नहीं पाया और बंदूक उसके हाथ से दूर जा गिरी सत्या ने उसे दो तीन घुसे और मारे उसके मुंह से खून आने लगा तो उसने दर्द से तड़पते हुए कहा – आखिर तू है कौन ?
“बाबू —————– सत्या ने चिल्लाकर कहा बाबू नाम सुनकर वैष्णव को अतीत याद आया तो वो पागलो की तरह जोर जोर से हंसने लगा और कहा – ओह्ह्ह तो चूजा इतना बड़ा हो गया है , वैसे कमाल की किस्मत है मेरी बाप मेरे हाथो मरा और अब बेटा भी यहा मरने चला आया ,, आधा तो मैं तुझे पहले ही मार चूका हु तुझसे वैदेही को दूर करके , तू उसे कभी नहीं पा सकता वो सिर्फ मेरी है ,,,
सत्या ने उसका सर पकड़कर जोर से दिवार से दे मारा वैष्णव के सर से खून निकलने लगा पर उसके चेहरे पर डर का कोई भाव नहीं था सत्या ने गन उठायी और जैसे ही उसने गोली चलाने की कोशिश की कही से एक गोली तेजी से आकर सत्या के हाथ पर लगी और बन्दुक निचे गिर गयी तभी परदे से निकलकर इंस्पेक्टर बाहर आया और सत्या की तरफ बन्दुक तानकर कहा – कानून को अपने हाथ में मत लो सत्या , मैंने सारी बाते सुन ली है कानून इसे अपने आप सजा देगा इस मारकर तुम अपने हाथ गंदे मत करो”
” कानून कोनसा कानून वो कानून जिसने 12 साल मुझे अपने ही माँ बाप के कत्ल के झूठे इल्जाम में जेल में बंद रखा , वो कानून जिसे इस जैसे लोग पेसो से जब चाहे तब खरीद सकते है , या फिर वो कानून जिसके सामने ही ऐसे लोग अपने पैसे और ताकत के बल पर उसी कानून की धज्जिया उडा देते है ,, नहीं सर मैं इसे कानून के हवाले नहीं करूँगा इसके किये की सजा सिर्फ मैं इसे दूंगा और मेरी अदालत में इसकी एक ही सजा है वो है मौत ,, इसे मरना ही होगा सर – सत्या ने गुस्से में कहा l
“नहीं सत्या तुम ऐसा नहीं करोगे – इंपेक्टर ने सत्या को चेतावनी देते हुए कहा
इंस्पेक्टर आगे बढ़कर सत्या को रोक पाता इस से पहले ही सत्या ने वैष्णव की गर्दन पकड़ी और उसके साथ ही सामने बड़ी कांच की खिड़की के सामने दौड़ा और कांच तोड़ते हुए 10 वे माले से निचे कूद गया , जो खौफ जो डर वो वैष्णव की आँखों में देखना चाहता था वो सत्या को अब दिखाई दे रहा था , इसंपेक्टर दौड़कर खिड़की के पास आया तब तक वैष्णव की लाश निचे जमीन पर गिरी हुयी थी !! कुछ देर बाद इंस्पेक्टर निचे आया भीड़ जमा थी लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और वैष्णव की मौत को सुसाइड करार देकर केस बंद कर दिया गया !!
कुमार को जब इस बारे में पता चला तो वो एकदम से टूट गया इतनी कोशिशों के बाद भी वो सत्या को वैदेही से नहीं मिलवा पाया , वैदेही को अभी तक होश नही आया था सत्या ने जाने से पहले कुमार को वैदेही का ख्याल रखने को कहा था , कुमार ने इसे सत्या की आखरी इच्छा मान लिया और वैदेही की सेवा करने लगा ,,
4 महीने बाद -:
बाबू……….. चिल्लाकर वैदेही उठी …
डॉक्टर ने देखा वो कोमा से बाहर आ चुकी है ,, पर अगले ही पल सबकी ख़ुशी निराशा में बदल गयी वैदेही को कुछ याद नहीं था ना ही वो किसी को पहचान रही थी ,, उसकी बिगड़ती हालत देखकर डॉ ने उसे रेस्ट करने को कहा और बाकी सबको अपने केबिन में बुलाकर बताया – वैदेही की यादाश्त जा चुकी है उसे कुछ भी याद नहीं है , उसकी बीती जिंदगी में क्या हुआ उसे कुछ याद नहीं वो बार बार किसी बाबू के बारे में बात कर रही है
डॉक्टर के मुंह से बाबू का नाम सुनकर कुमार और प्यारेमोहन जी एक दूसरे की तरफ देखने लगे दोनों ही जानते थे की सत्या ही बाबू था लेकिन वो अब इस दुनिया में नहीं है , डॉक्टर के समझाने पर वैदेही प्यारे मोहन जी के साथ जाने के लिए तैयार हो गयी दो दिन बाद वैदेही को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया , प्यारेमोहन वैदेही के साथ रेलवे स्टेशन आ गए , कुमार भी उन्हें छोड़ने के लिए स्टेशन आया तीनो बैठकर ट्रेन के आने का इन्तजार कर रहे थे तभी वैदेही ने प्यारेमोहन से कहा – क्या मैं कभी बाबू से मिल पाऊँगी

वैदेही की बात सुनकर प्यारेमोहन की आँखों में नमी तैर गयी वो कैसे कहते वैदेही से की वो जिसका इन्तजार कर रही है वो अब इस दुनिया में नहीं है , कुमार पानी की बोतल लेने के बहाने वहा से चला गया , प्यारेमोहन भी ट्रेन का पता करने काउंटर की तरफ बढ़ गये वैदेही उदास सी बैठी सामने सुनी पड़ी पटरियों को ताक रही थी तभी सामने से एक लड़का आता हुआ दिखा हट्टा कट्टा गोरा, भूरी आँखे , बिखरे बाल , चेहरे पर सलीके से बनी दाढ़ी , पीठ पर एक बैग टांग रखा था आँखों में चमक थी वैदेही उसको अपलक देखे गयी उस लगा जैसे वह उसे जानती है , वह लड़का आकर वैदेही वाली बैंच पर ही बैठा वैदेही को अपनी और देखता पाकर उसने भी मुस्कुरा दिया ,, वैदेही दूसरी तरफ देखकर बाबू के बारे में सोचने लगी पास बैठे लड़के ने अपने बैग से कुछ निकाला और बेंच प्र रखकर उठकर जाने लगा वैदेही की नजर जैसे ही बेंच पर गयी वो खुशी से उछल पड़ी बेंच पर वो गुड्डे गुड्डी का सेट रखा था जो बचपन में उसे बाबू से मिल था उसने उसे उठाया और देखने लगी उसकी आँखों से आंसुओ की बुँदे गिरने लगी भीगी आँखों से वो इधर उधर देखकर उस अजनबी को ढूंढने लगी ,, कुछ दूरी पर वैदेही को सामने खड़ा वो सख्स मुस्कुराता हुआ दिखाई दिया वो वैदेही की तरफ ही देख रहा था ,, वैदेही उठी और दौड़कर उसके पा गयी उसने उस अजनबी को गले लगा लिया ,, वह शख्स भी वैदेही को अपनी बांहो में लिए आँखे बंद करके खड़ा रहा तभी कुमार की नजर उन दोनों पर पड़ी कुमार उनके पास आया और उस सख्स को वैदेही से अलग करते हुए कहा,”तुम्हारी हिम्मत कैसी हुयी ये सब करने की
“ये बाबू है कुमार जिसे मैं बचपन से ढूंढ रही हु – वैदेही ने उस सख्स के कुछ बोलने से पहले ही कहा
” ये वो नहीं है वैदेही ये कोई बहरूपिया है जो सिर्फ तुम्हारा फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है – कुमार ने बेबसी से कहा (जैस की वो जानता था सत्या ही बाबू था)
वैदेही – ये तुम क्या कह रहे हो मैंने कहा न यही बाबू है , और वैसे भी मैं तुम्हारा विश्वास क्यों करू तुम लगते क्या हो हमारे
वैदेही की बात सुनकर कुमार रोआँसा हो गया फिर भी उसने वैदेही से हिम्मत करके कहा – तुम जिस बाबू की बात कर रही हो वो 4 महीने पहले मर चुका है
कुमार की बात सुनकर वैदेही ने कुमार को एक थप्पड़ मारा और कहा – खबरदार जो तुमने ऐसा कुछ कहा , कहकर वैदेही उस शख्स का हाथ पकड़ कर ट्रेन की तरफ बढ़ गयी , कुमार अपने गाल पर हाथ लगाए हुए आँखों में आंसू लिए उन्हें जाते हुए देखता रहा और रोते हुए कहने लगा – अगर आज सत्या ज़िंदा होता तो वैदेही को इस तरह किसी और के साथ कभी नहीं जाने देता !!
तभी किसी ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखा कुमार ने पलटकर देखा तो पीछे इंस्पेक्टर खड़ा मुस्कुरा रहा था और फिर कहा – जानते हो वो कौन है ?
“हां वो कोई बहरूपिया है जो वैदेही को अपने साथ ले गया – कुमार ने नफरत के भाव से कहा
इंस्पेक्टर मुस्कुराने लगा और कहा – वो कोई बहरूपिया नहीं सत्या है
कुमार को इंस्पेक्टर की बात का यकींन नहीं हुआ तो इंस्पेक्टर ने सिटी बजायी सिटी बजते ही वैदेही के साथ जो सख्श था उसने पलटकर देखा और मुस्कुरा दिया , कुमार को विश्वास हो गया की वो ही सत्या है ,, वैदेही और सत्या ट्रेन में चढ़ गए प्यारमोहन पहले से ट्रेन में दोनों का इंतजार कर रहे थे ,, ट्रेन चली गयी स्टेशन पर कुमार और इंस्पेक्टर दोनों जाती हुयी ट्रेन को देखते रहे कुमार ने इस्पेक्टर से कहा – सर लेकिन आपने तो कहा था सत्या मर चुका है
कुमार को परेशान देखकर इंस्पेक्टर ने कहना शुरू किया – कुमार पहले मुझे भी यही लगा था , वैष्णव ने जब सत्या की जमानत करवाई तो मुझे कुछ गड़बड़ लगी और मैंने सत्या का पीछा किया , सत्या वैष्णव के ऑफिस पहुंचा जहा वैष्णव ने ओवर कॉन्फिडन्स में आकर सारी सच्चाई सत्या को बता दी जिसे मैंने सुन लिया , मैं सत्या को रोक पाता इस से पहले ही सत्या ने वैष्णव के साथ वहा से निचे छलांग लगा दी , मुझे लगा सत्या भी वैष्णव के साथ निचे गिर गया है लेकिन जब मैं खिड़की के पास पहुंचा तो सत्या को खिड़की में लटका पाया , मैंने सत्या को सहारा देकर ऊपर खिंच लिया ,, सत्या ने मुझे अपनी कहानी सुनाई उसकी आँखों में मुझे सच्चाई नजर आयी मैंने उसे एक मौका दिया अपनी नयी जिंदगी शुरू करने का , और उसके बाद वो 4 महीने मेर घर में रहा मेरे और मेरे परिवार के साथ और उन चार महीनो में मैंने जाना की सत्या कितना अच्छा इंसान है l जब वैदेही को होश आया तो डॉक्टर ने सबसे पहले मुझे बताया पर जब पता चला की वैदेही सब भूल चुकी है तो मुझे लगा सत्या का वैदेही बनाकर जाना बेकार है लेकिन मैंने एक आखरी कोशिश की डी प्यार करने वालो को मिलाने की और कामयाब रहा !!
“सर पुलिस वाले होकर आपने सत्या के लिए इतना सब किया – कुमार ने न आँखों से देखते हुए कहा
इसंपेक्टर कुमार की बात से हसने लगा और फिर मुस्कुराते हुए कहा – अरे भाई ! पुलिस वाले है तो क्या हुआ दिल तो हमारे पास भी है
इंस्पेक्टर की बात सुनकर कुमार मुस्कुराने लगा और फिर दोनों स्टेशन से बाहर जाने वाले रास्ते की तरफ बढ़ गए !!

!! समाप्त !!

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संजना किरोड़ीवाल

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