Tere Ishq Me – 19
साहिबा पार्थ और अपने बीच के रिश्ते को एक्सेप्ट कर चुकी थी। जो भावनाये उसने अपने मन में दबा रखी थी वह आज इतने सालो बाद बाहर आ गयी। साहिबा और पार्थ एक दूसरे को गले लगाए खड़े रहे , बाकी सब उनकी तरफ चले आये। साहिबा पार्थ से दूर हटी और अपने पास खड़ी प्रिया के गले लगते हुए कहा,”थैंक्यू , थैंक्यू सो मच”
“अच्छा अब दोस्त को थैंक्यू बोलेगी , साहिबा भले मैं तेरी जिंदगी में कभी पल्लवी नहीं बन सकती लेकिन अपनी दोस्ती तो निभा सकती हूँ ना”,प्रिया ने कहा तो साहिबा एक बार फिर उसके गले आ लगी। रुबीना ने साहिबा की पीठ सहलाते हुए कहा,”दोस्त कितने भी कमीने हो पर अपने दोस्त के दिल की बात जान लेते है”
साहिबा पलटकर रुबीना के गले लगी और कहने लगी,”इतने दिन तुम सबसे दूर रहकर मैंने तुम सबको बहुत हर्ट किया है , आई ऍम सॉरी”
“इट्स ओके साहिबा और हाँ अब कभी हम सबको छोड़कर मत जाना”,रुबीना ने उसका सर सहलाते हुए कहा
मेहुल ने सबको हॉल में बैठने को कहा। सभी हॉल में आ बैठे पार्थ साहिबा का हाथ थामे उसकी बगल में बैठा था। वह एक पल के लिए भी साहिबा को खुद से दूर करना नहीं चाहता था। लक्ष्य और रुबीना सबके लिए कॉफी बनाने किचन की तरफ चले गए। कॉफी बनाते हुए लक्ष्य रुबीना को तंग कर रहा था और साहिबा उन्हें देख रही थी। पार्थ ने साहिबा को खोया हुआ देखा तो इशारे में पूछा और साहिबा ने मुस्कुराते हुए ना में अपनी गर्दन हिला दी और कहा,”पता है तुम में और पल्लवी में एक बात कॉमन है”
“क्या ?”,पार्थ ने पूछा
“जब मैं पल्लवी के साथ होती थी तो वो भी ऐसे ही मेरे हाथ को थामकर रखती थी , वो ऐसा क्यों करती थी मुझे आज तक समझ नहीं आया ?”,साहिबा ने पार्थ की आँखों में देखते हुए कहा तो पार्थ ने अपने हाथ में थामे साहिबा के हाथ को अपने होंठो से छुआ और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”मैं जानता हूँ”
“क्यों ?”,साहिबा ने कहा
“क्योकि हम दोनों (पल्लवी और पार्थ) ही तुम्हे खोने से डरते है”,पार्थ ने साहिबा की आँखों मे देखते हुए उदास स्वर में कहा
“गाइज कॉफी”,साहिबा कुछ कहती इस से पहले ही रुबीना ने कॉफी लाकर उन दोनों को दे दी। साहिबा और पार्थ अपनी अपनी कॉफी लेकर पीने लगे। कॉफी पीते हुए पार्थ की नजर साहिबा पर चली गयी। वह कॉफी को ठंडा करने के लिए फूक मार रही थी , ऐसा करते हुए वह बहुत मासूम लग रही थी। पार्थ ने उसके चेहरे पर आये बालो को कान के पीछे कर दिया। साहिबा ने पार्थ की तरफ देखा तो पार्थ ने उस से अपना कप देने को कहा। साहिबा ने अपना कप पार्थ की तरफ बढ़ा दिया
पार्थ ने अपने और साहिबा के कप की कॉफी को मिक्स किया और उसे ठंडा करने लगा। थोड़ी ठंडी होने के बाद आधी कॉफी साहिबा की तरफ बढ़ा दी।
“सो आगे का क्या सोचा है ?”,मेहुल ने कहा
“साहिबा मेरे साथ रहेगी यही दिल्ली में”,पार्थ ने कहा
“और तुम्हारे घरवाले ? आई मीन उन्हें इस रिश्ते से परेशानी नहीं है”.मेहुल ने कहा
“होगी तो मैं मना लूंगा , माँ को सब पता है बस पापा को बताना है और मुझे यकीन है वो मान जायेंगे”,पार्थ ने कहा
“कोई माने या न माने हम सब तुम दोनों के साथ है”,रुबीना ने कहा तो सबने हामी में गर्दन हिला दी
“मेहुल जीजू -प्रिया दी थैंक्यू सो मच ये सब आप दोनों की वजह से हुआ है , आप दोनों अपना हनीमून छोड़कर,,,,,,,,,,,,,,!!”,पार्थ ने कहा तो प्रिया ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा,”ओह्ह कम ऑन पार्थ घरवालों की नजर में हम दोनों अभी भी हनीमून पर ही है ,, वैसे भी कल सुबह हम दोनों वापस मनाली जा रहे है अपने हनीमून के लिए”
“हां पार्थ और ये सबके लिए तुम्हे और साहिबा को हमसे थैंक्यू कहने की जरूरत नहीं है”,मेहुल ने कहा तो पार्थ ने हामी में गर्दन हिला दी।
“मैं सबके लिए खाना आर्डर कर देती हूँ”,प्रिया ने अपना फोन उठाते हुए कहा और वहा से चली गयी। साहिबा उठी और वाशरूम चली गयी उसने हाथ मुंह धोये और बाहर चली आयी। उसने हॉल में नजर दौड़ाई पार्थ वहा नहीं था। साहिबा की नजर बालकनी की तरफ चली गयी जहा पार्थ किसी से फोन पर बात कर रहा था। साहिबा हॉल में चली आयी। कुछ देर बाद बेल बजी लक्ष्य के दोस्त ने साहिबा का बैग भिजवाया था। साहिबा उसे लेकर कमरे में चली आयी उसने उसमे से कपड़ निकाले और बदलकर बालकनी की तरफ चली आयी। ठण्ड में भी पार्थ सिर्फ शर्ट में बालकनी में खड़ा था। साहिबा ने रुबीना से शॉल मांगा रुबीना अपने कमरे में रखा शॉल साहिबा को दे दिया। साहिबा बालकनी में चली आयी पार्थ अभी भी फ़ोन पर किसी को कुछ समझा रहा था। साहिबा ने चुपचाप जाकर उसे पीछे से शॉल ओढ़ा दी। पार्थ ने देखा तो साहिबा को हाथ पकड़कर रोक लिया और फोन पर कहा,”सुबह हो जाएगा ना ?”
“जी सर”,दूसरी और से किसी ने कहा तो पार्थ ने फोन काट दिया और साहिबा को अपने सामने लाकर कहा,”कल सुबह हमारी शादी है”
“इतनी जल्दी”,साहिबा ने थोड़ा अपसेट होकर कहा
“मैं तुम्हे फिर से खोना नहीं चाहता साहिबा , तुम्हारे बिना वो पाँच भी मेरे लिए मरने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,पार्थ ने जैसे ही कहना चाहा साहिबा ने उसके होंठो पर अपना हाथ रख दिया और कहा,”शशशशश हम शादी कर रहे है , कल ही”
पार्थ ने सूना तो साहिबा के हाथो अपने होंठो से हटाया और उसे अपने सीने से लगाकर शॉल को अपने और साहिबा के चारो तरफ लपेट लिया। हॉल में खड़े मेहुल , प्रिया , लक्ष्य और रुबीना उन दोनों को साथ देखकर मुस्कुरा दिए।
आर्डर किया हुआ खाना आ चुका था प्रिया और लक्ष्य ने मिलकर उसे टेबल पर लगाया। सभी खाना खाने के लिए आ बैठे , रुबीना ने साहिबा और पार्थ को भी बुला लिया। दोनों खाना खाने के लिए आ बैठे यहाँ भी पार्थ ने साहिबा के हाथ को अपने हाथ में थामा हुआ था। रुबीना ने सबकी प्लेटो में खाना परोसा और सब खाने लगे। साहिबा चम्मच से दाल चावल खाने लगी तो पार्थ ने उसके हाथ से चम्मच ली और साइड में रखकर अपने हाथ से चावल-दाल मिक्स किया और एक निवाला साहिबा की तरफ बढ़ा दिया। ये देखकर साहिबा की आँखों में नमी उतर आयी वह एकटक पार्थ को देखने लगी तो पार्थ ने कहा,”जिंदगी भर तुम्हारा ऐसे ही ख्याल रखूंगा , खाओ”
साहिबा ने पार्थ के हाथ से वो निवाला खा लिया। सभी बातें करते हुए खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद प्रिया और रुबीना साहिबा को लेकर रुबीना के कमरे में चली आयी। कमरे में आते हुए प्रिया की नजर साहिबा के बैग में रखे गिफ्ट पर गयी उसने उसे उठाते हुए कहा,”ये किसने दिया ?”
“पल्लवी ने”,साहिबा ने कहा
“खोलकर देख लू ?”,प्रिया ने पूछा
“हां प्लीज”,साहिबा ने मुस्कुरा कर कहा तो प्रिया उसके बगल में आकर बैठ गयी और पल्लवी का दिया गिफ्ट खोलने लगी। प्रिया ने गिफ्ट खोला तो उसमे एक बहुत ही सुन्दर लाल बॉर्डर वाली क्रीम कलर की बनारसी साड़ी थी। साथ में एक लेटर भी रखा था। पल्लवी ने उसे उठाया और साहिबा को दे दिया। साहिबा ने उसे खोला और पढ़ने लगी
“प्रिय साहिबा ,
5 बाद तुमसे मिलूंगी सोचा नहीं था लेकिन जब मिली तो उस वक्त मुझे तुम्हे अपने सामने देखकर कितनी ख़ुशी हुई ये मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। मैंने तुम्हे बहुत हर्ट किया , बहुत तकलीफ पहुंचाई लेकिन यकीन मानो ऐसा करने के बाद मैं कभी चैन से सो नहीं पाई। मुझे हमेशा तुम्हारी कमी खलती रही एक दोस्त के रूप में। कहने को मेरे पास सबकुछ था लेकिन तुम नहीं थी।
उम्मीद करती हूँ की तुमने मुझे माफ़ कर दिया होगा ,, पहले की तरह तुम पर हक़ जता सकू ऐसा शायद अब नहीं है लेकिन फिर भी तुमसे एक रिक्वेसट है “शादी कर लो साहिबा” ये तोहफा मैंने तुम्हे इसीलिए दिया है। मुझे अपनी फॅमिली कहती थी ना तुम तो समझो तुम्हारी बड़ी बहन ने तुम्हे ये तोहफा शादी के जोड़े रूप में दिया है। मुझे यकीन है तुम मेरी ये आखरी ख्वाहिश पूरी करोगी।
तुम्हारी पल्लवी”
साहिबा ने खत पढ़ा तो आँखों से आंसू निकलकर उस खत पर आ गिरे। पास बैठी प्रिया ने साहिबा के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”पल्लवी सही कह रही है साहिबा , सिर्फ पल्लवी ही नहीं हम सब भी चाहते है की तुम अपनी जिंदगी में आगे बढ़ो , खुश रहो,,,,,,,,,,,,शादी कर लो”
“हाँ साहिबा अगर तुमने हमारी ये बात मान ली तो मैं तुम्हारी हर बात मानूंगी पक्का”,रुबीना ने कहा
“अब तो पल्लवी भी यही चाहती है ना की तुम शादी कर लो”,प्रिया ने कहा
“उसे मेरे और पार्थ के बारे में पता चला तो वो हम दोनों को कभी माफ़ नहीं करेगी”,साहिबा ने कहा
“पल्लवी को हम सब समझायेंगे , जब उसे पता चलेगा की पार्थ भी तुमसे उतना ही प्यार करता है तो वो मान जाएगी ,, वो इतनी बुरी भी नहीं है साहिबा की अपनी दोस्त की खुशियों में शामिल ना हो”,प्रिया ने कहा
“हां साहिबा जितना प्यार तुम पल्लवी से करती हो उतना प्यार वो भी तुमसे करती है , 5 साल पहले भले वो तुम्हारे और पार्थ की नजदीकियों से घबरा गयी हो लेकिन आज वो मेच्योर हो चुकी है उन्हें तुम दोनों का प्यार जरूर समझ आएगा”,रुबीना ने कहा
“हम्म्म !”,साहिबा ने कहा और साड़ी को हाथ से छूकर देखने लगी।
“तो कल है तुम्हारी और पार्थ की शादी”,रुबीना ने ख़ुशी से कूदते हुए कहा
साहिबा ने सूना तो मुस्कुराने लगी। तीनो एक दूसरे के गले आ लगी बस कमी थी पल्लवी की।
अगली सुबह सभी तैयार हो गए। रुबीना और प्रिया साहिबा को तैयार करने में लगी हुई थी। पार्थ ने जींस और सफ़ेद शर्ट पहना हुआ था। कलाई में साहिबा की दी हुई घडी आज भी थी , पिछले 5 सालो में पार्थ ने कभी इस घडी को अपनी कलाई से जुदा नहीं किया था। लक्ष्य और मेहुल भी तैयार होकर चले आये। पार्थ ने अपना फोन निकाला और अश्विनी को मैसेज कर दिया की वह साहिबा से शादी करने जा रहा है। अश्विनी ने मैसेज देखा तो बहुत खुश हुआ और पार्थ और साहिबा को विश भी कर दिया। पल्लवी ये मैसेज ना देख ले सोचकर अश्विनी ने उसे डिलीट कर दिया। मेहुल और लक्ष्य के साथ खड़ा पार्थ साहिबा को देखने के लिए बैचैन हो रहा था। कुछ देर बाद रुबीना के कमरे का दरवाजा खुला साड़ी में लिपटी साहिबा बाहर आयी। पार्थ ने उसे देखा तो नजरे बस उसी पर जम सी गयी। लाल बॉर्डर की साड़ी , सिंपल मेकअप , आँखों में काजल , होंठो पर लाल लिपस्टिक , ललाट पर छोटी सी लाल बिंदी , बालो को गूंथकर चोटी बनाई हुई थी , हाथो की उंगलियों और हथेली में अलता लगा था जो की उसके हाथो को और खूबसूरत बना रहा था। लाल चूड़ा उसके हाथो में खूब जच रहा था। पार्थ साहिबा के पास आया तो देखा कानो में साहिबा ने आज भी वही पुराने झुमके पहने है तो उसने कहा,”आज भी तुमने इन्हे ही क्यों पहना ?”
“क्योकि ये तुम्हारी दी अमानत है , 5 साल इन्हे ही देखकर निकाले है मैंने ,, आज इन्हे अकेला कैसे छोड़ देती”,कहते हुए साहिबा की आँखों में नमी और होंठो पर मुस्कान तैर गयी। पार्थ ने सूना तो उसकी भी आँखों में नमी उतर आयी ,, एक ख्वाब जो उसने देखा था आज वो हकीकत बनने जा रहा था। उसने एक बार फिर साहिबा के हाथ को अपने हाथ में थाम लिया।
“चले ?”,मेहुल ने पूछा
“पल्लवी को फोन कर सकती हूँ ?”,साहिबा ने पार्थ की तरफ देखकर कहा
“साहिबा अगर पल्लवी को पता चलेगा तो हो सकता है अभी वो सब एक्सेप्ट ही ना कर पाए , हम लोग उसे शादी के बाद बता देंगे”,प्रिया ने कहा
“उसे बताये बिना मैं ये शादी नहीं कर सकती , मैंने कभी उस से कोई बात नहीं छुपाई है”,साहिबा ने एक बार फिर पार्थ की तरफ देखकर कहा तो पार्थ ने उसे फ़ोन करने को कहा। साहिबा ने काँपते हाथो से पल्लवी को फोन लगाया पार्थ ने देखा तो उसके हाथ को कसकर थाम लिया और उसकी आँखों में देखकर उसे अहसास दिलाया की वह उसके साथ है। साहिबा ने पल्लवी का नंबर डॉयल किया एक रिंग के बाद ही पल्लवी ने फोन उठा लिया और कहा,”हैलो”
“पल्लवी , मैं शादी कर रही हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,पार्थ से”,साहिबा ने सर्द आवाज में कहा
दूसरी तरफ से पल्लवी की कोई आवाज नहीं आयी वह साहिबा की बात सुनकर खामोश हो गयी और कुछ देर बाद उसने फोन काट दिया। जैसे ही फोन कटा साहिबा की आँख में रुका आंसू उसके गाल पर लुढ़क आया। साहिबा ने फोन प्रिया की तरफ बढ़ा दिया और अपने आंसू पोछकर पार्थ से कहा,”चले ?”
“हम्म्म !”,पार्थ ने कहा और साहिबा के साथ आगे बढ़ गया। बाकि सब भी उनके साथ चल पड़े और चारो समझ गए की पल्लवी इस शादी से खुश नहीं है।
साहिबा का हाथ थामे पार्थ और बाकि सब नीचे चले आये। लक्ष्य ने जीप स्टार्ट की और सभी उसमे आकर बैठ गए। पार्थ ने मजबूती से साहिबा के हाथ को थाम रखा था। सभी मैरिज रजिस्ट्रार के यहाँ पहुंचे। पार्थ चाहता था एक बार उसकी और साहिबा की शादी हो जाये उसके बाद वह घरवालों और पल्लवी को मना लेगा और इसके लिए वह साहिबा को लेकर मैरिज रजिस्ट्रार आया था। जीप पार्किंग में खड़ी कर सभी मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस के बाहर आकर खड़े हो गए। पार्थ और साहिबा का नंबर आने में अभी थोड़ा वक्त था। सभी बाहर खड़े होकर इंतजार करने लगे। पार्थ की नजरे सिर्फ साहिबा पर थी कुछ देर बाद साहिबा हमेशा हमेशा के लिए उसकी होने वाली थी सोचकर पार्थ बहुत खुश था।
साहिबा खुश थी लेकिन कही ना कही सबके होते हुए भी उसे पल्लवी का वहा ना होना खल रहा था। कुछ देर पार्थ और साहिबा का नंबर आया तो दोनों ऑफिस की तरफ बढ़ गए। अभी दो कदम ही चले थे की साहिबा के कानो में पल्लवी की आवाज पड़ी – साहिबा
साहिबा ने सूना तो पलटकर देखा सड़क के उस पार पल्लवी खड़ी थी। साहिबा को देखकर पल्लवी ने जोर से कहा,”मुझे माफ़ कर दो साहिबा , मैं तुम्हारे प्यार को नहीं समझ पाई,,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी”
पल्लवी ने जैसे ही कहा साहिबा की आँखों में आंसू भर आये। पल्लवी को वहा देखकर पार्थ के हाथ की पकड़ साहिबा के हाथ पर मजबूत हो गयी। साहिबा ने पार्थ की तरफ देखा और कहा,”मैं उसे लेकर आती हूँ , उसके बिना ये शादी बेकार है पार्थ”
पार्थ ने साहिबा की आँखों में देखा उन आँखों में पल्लवी के लिए प्यार और परवाह अभी भी झलक रही थी। पार्थ ने साहिबा का हाथ छोड़ दिया। साहिबा ने सामने खड़ी पल्लवी को वही रुकने का इशारा किया और उसकी तरफ बढ़ गयी। पल्लवी को वहा देखकर सभी खुश थे। साहिबा पल्लवी को देखते हुए आगे बढ़ती जा रही थी की तभी सड़क पर आते ट्रक ने उसे जोरदार टक्कर मारी और साहिबा कुछ दूर जा गिरी।
“साहिबा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सबकी आवाजे एक साथ निकली और सब उस तरफ दौड़ पड़े।
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क्रमश – Tere Ishq Me – 20
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संजना किरोड़ीवाल