Haan Ye Mohabbat Hai – 49
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Haan Ye Mohabbat Hai – 49
मीरा बाथरूम से निकलकर कमरे में आयी तो सौंदर्या को वहा अपने फोन पर किसी से बात करते देखकर कहा,”किसका फोन था भुआजी ?”
तब तक सौंदर्या फोन काट चुकी थी और मीरा की तरफ देखकर कहा,”अरे ये बैंक वाले इस वक्त भी लोन देने की बात कर रहे थे , मैं तुम्हारे लिए ये दूध लेकर आयी थी तुमने ठीक से खाना भी नहीं खाया चलो ये पी लो बाद में दवाई भी लेनी है”
“भुआजी आप हमारे लिए इतना परेशान मत होईये”,मीरा ने कहा
“इसमें परेशानी की क्या बात है मीरा , ऐसे वक्त में अपने ही तो काम आते है,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे तुम्हारी बहुत परवाह है इसलिए तो मैं दौड़ी चली आयी ताकि तुम्हे यहाँ भाभी की कमी महसूस ना हो,,,,,,,,,,,लो दवा खा लो”,सौंदर्या ने दवा निकालकर मीरा के हाथ पर रखते हुए कहा
“भुजा जी हम एक बार उनसे बात कर लेते है , शाम से ही मन में अजीब ख्याल आ रहे है,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसा महसूस हो रहा है जैसे अक्षत जी बहुत तकलीफ में है। हमारा फोन दीजिये हम उन्हें फोन कर लेते है”,मीरा ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
“कोई जरूरत नहीं है मीरा , तुम यहाँ चली आयी और जमाई सा ने तुम्हे एक बार रोका तक नहीं। यहाँ आने के बाद तुमसे मिलना तो दूर उन्होंने तुम्हे एक फोन तक नहीं किया और तुम्हे उनकी परवाह हो रही है। जमाई सा के लिए तुम्हारा प्यार समझ सकती हूँ मीरा पर हमेशा तुम ही समझो ये जरुरी तो नहीं , जमाई सा को भी तो अहसास होना चाहिए कि वो गलत है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे इस वक्त मेरी बातें गलत लग सकती है मीरा पर मुझे नहीं लगता तुम्हे उन्हें फोन करना चाहिए बाकि तुम्हारी मर्जी”,कहते हुए सौंदर्या ने मीरा का फोन उसके सामने रखा और उठकर जाने लगी।
दरवाजे के पास जाकर सौंदर्या रुकी और पलटकर कहा,”रिश्ते में कोशिशे दोनों तरफ से हो तो वो रिश्ता मजबूत बनता है मीरा , एक तरफ से की गयी कोशिशे आखिर में बस समझौता बनकर रह जाती है”
कहकर सौंदर्या वहा से चली गयी उनकी कही बातें मीरा के दिमाग में घूमने लगी और बार बार उसके कानो में गूंजने लगी “”रिश्ते में कोशिशे दोनों तरफ से हो तो वो रिश्ता मजबूत बनता है मीरा , एक तरफ से की गयी कोशिशे आखिर में बस समझौता बनकर रह जाती है””
अक्षत जल्दी से घर पहुंचा। गाड़ी साइड में लगाकर वह सीधा अंदर चला आया। सभी घरवाले डायनिंग के इर्द गिर्द बैठे थे। अक्षत को आते देखकर अर्जुन ने आवाज दी,”आशु आ खाना खा ले”
“मुझे भूख नही है”,कहते हुए अक्षत आगे बढ़ गया
“ये क्या बात हुई यहाँ सब घरवाले तेरा ही इंतजार कर रहे है , चल आजा”,अर्जुन ने कहा
“मैंने कहा ना मुझे भूख नहीं है , और कोई जरूरत नहीं है मेरा इंतजार करने की सब मेरे बिना भी खा सकते है,,,,,,!!”,अक्षत ने गुस्से से थोड़ी तेज आवाज में कहा तो सब चुप हो गए गनीमत था उस वक्त वहा विजय जी नहीं थे। अक्षत ने एक नजर उन सबको देखा और वहा से चला गया
“मैंने तो बस उसे,,,,,,,,!”,अर्जुन ने बुझे स्वर में कहा तो सोमित जीजू ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा,”वो इस वक्त थोड़ा परेशान है अर्जुन”
“हम्म्म”,अर्जुन ने कहा
“आप सब खाना खाइये”,राधा ने अक्षत को ऊपर जाते देखकर बाकी सब से कहा
अक्षत ऊपर अपने कमरे में आया लेपटॉप ऑन किया और उस पर आया नवीन का मेल देखा जिसमे वो सभी डिटेल्स थी जो अक्षत ने उस से मांगी थी। साथ ही गाड़ी के मालिक का नाम और एड्रेस भी था। अक्षत ने मेल देखने के बाद लेपटॉप बंद किया और खुद में ही बड़बड़ाने लगा,”वर्धनगर ? ये जगह तो इंदौर से 200 किलोमीटर दूर है। आज से पहले मैं कभी वर्धनगर नहीं गया , वहा रहने वाला कोई इंसान मेरा दुश्मन कैसे हो सकता है ?
मुझे वहा जाना होगा हो सकता है वहा से कुछ जानकारी मिले और मैं उस इंसान को ढूंढ सकू। घरवालों को मुझे इन सब बातो से दूर रखना होगा मैं फिर से किसी को मुसीबत में नहीं डाल सकता लेकिन मीरा,,,,,,,,,,,,,वो यहाँ नहीं लेकिन मैं उसे भी किसी मुसीबत में नहीं डाल सकता घरवालों के साथ साथ मुझे मीरा का भी ख्याल रखना होगा। वो मुझसे मिलना नहीं चाहती मुझसे बात करना नहीं चाहती लेकिन मुझे उसका ख्याल रखना होगा। वो मेरी वाइफ है मैंने उस से वादा किया है मैं हमेशा उसका ख्याल रखूंगा,,,,,,,,,,,,,,!!”
अक्षत बिस्तर पर लेट गया नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी। राधा उसके लिए खाना लेकर ऊपर आयी लेकिन कमरे की लाइट और दरवाजा बंद देखकर वापस चली गयी। व्यास हॉउस में आये इस तूफान ने सबके होंठो की हंसी और चेहरे की ख़ुशी छीन ली थी। अब इस घर में पहले की तरह हंसी मजाक नहीं होता था , घरवाले साथ बैठकर खाना नहीं खाते थे , ना ही चीकू काव्या शैतानी करते थे बस सब खामोशी से जी रहे थे।
अगली सुबह अक्षत सो रहा था फोन की रिंग से उसकी तंद्रा टूटी। अक्षत ने अपना फोन देखा तो पाया की फोन माथुर साहब का था। अक्षत उठकर बैठ गया और फोन कान से लगाते हुए कहा,”हेलो सर”
“अक्षत मैंने तुम्हे ये याद दिलाने के लिए फोन किया है की आज कोर्ट में बार एसोशिएशन के साथ तुम्हारी मीटिंग है। तुम्हे लेकर बहुत सी कम्प्लेंट्स आयी हैं और इस वक्त बहुत से लोग तुम्हारे खिलाफ है। तूम कोर्ट आ जाओ तुम्हारा इस मीटिंग में आना बहुत जरुरी है”,माथुर साहब ने निराशा भरे स्वर में कहा
“हम्म्म्म”,अक्षत ने धीमी आवाज में कहा
“तुम ठीक हो ना ?”,माथुर साहब ने चिंता जताते हुए कहा
“मैं वक्त से आ जाऊंगा सर”,अक्षत ने कहा और फोन काट दिया उसने माथुर साहब के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया वह उनसे झूठ बोलना नहीं चाहता था कि वह ठीक है। अक्षत ने फोन साइड में रखा और उठकर कबर्ड की तरफ आया।
उसने कबर्ड खोला तो सहसा ही उसे मीरा का ख्याल आ गया और कानो में मीरा की कही बात गूंजने लगी,”आपकी कुछ आदतें कभी नहीं बदलेगी जैसे की ये कि आपका हम से हर रोज ये पूछना कि आज क्या पहनना है ?”
वो पल याद आते ही अक्षत की आँखों में आँसुओ की बुँदे झिलमिलाने लगी। वह खुद को कितना भी कठोर बनाये लेकिन मीरा के लिए हमेशा पिघल जाया करता था। अक्षत ने रॉ में लगे कपडे निकाले और बिस्तर पर रखकर नहाने चला गया। अक्षत नहाकर आया , कपडे बदले , बाल बनाये और अपना जरुरी सामान लेकर जैसे ही शीशे के सामने से गुजरा उसकी नजर शीशे पर चली गयी
अक्षत ने खुद को देखा वह पहले से काफी बदल चुका था। बढ़ी हुई दाढ़ी , रूखे बाल , मुरझाया चेहरा , रोने और ठीक से ना सो पाने की वजह से आँखों के नीचे डार्क सर्कल हो गए थे। अक्षत ने नजर घुमा ली और वहा से आगे बढ़ गया।
अक्षत कोर्ट के लिए निकल गया। छवि दीक्षित केस के बाद अक्षत आज कोर्ट जा रहा था इस बीच कोर्ट में क्या हुआ उसे कुछ पता नहीं था ?
“तुम्हे पूरा यकीन है सर आज कोर्ट आएंगे ?”,चित्रा ने बारमदे में चक्कर काटते हुए सचिन से पूछा
“बार एसोसिएशन की तरफ से अक्षत सर को नोटिस भेजा गया है उन्हें आना ही होगा अगर वो नहीं आते है तो बड़ी मुसीबत में फंस सकते है”,सचिन ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“क्या हुआ अक्षत आया कि नहीं ?”,माथुर साहब ने उन दोनों के पास आते हुए कहा
“नहीं सर वो अभी तक नहीं आये है”,चित्रा ने कहा
“मीटिंग का समय हो गया है उसे फोन करो और जल्दी आने को कहो ,, मैं वही जा रहा हूँ वो जैसे ही आये उसे तुरंत भेजो”,कहते हुए माथुर साहब वहा से चले गए सचिन ने अक्षत को फोन मिलाया तो अक्षत की गाड़ी कोर्ट के अंदर आती दिखाई दी उसने फोन काट दिया और चित्रा से कहा,”सर आ गए है”
अक्षत जैसे ही कोर्ट आया मीडिआ के लोगो ने उसे घेर लिया और सवालों की बौछार कर दी
“मिस्टर व्यास छवि दीक्षित केस के बाद आपने कोर्ट आना बंद क्यों कर दिया ?”
“लोगो का कहना है छवि दीक्षित केस में आपने सिंघानिया जी की मदद की और बदले में उन्होंने आपको एक मोटी रकम दी , क्या ये सच है ?”
“बार एसोसिएशन ने आपके लिए मीटिंग रखी है , क्या आप वकालत छोड़ रहे है ?”
अक्षत खामोश रहा उसने कुछ नहीं कहा लेकिन अगले सवाल ने उसके अंदर बेचैनी बढ़ा दी
“मिस्टर व्यास छवि दीक्षित केस को कमजोर बनाने के लिए आप पर दबाव डाला गया क्या ये सच है ?”
“आपकी बेटी की मौत कैसे हुई ? उसकी किडनेपिंग की आपने कंप्लेंट क्यों नहीं की ? क्या आपकी बेटी की मौत छवि दीक्षित केस से जुडी है ?”
“जवाब दीजिये मिस्टर व्यास ? आपको मिडिया के सवालो का जवाब देना होगा,,,,,,,,,,,,,,,,,!”
“साइड हटिये , साइड हटिये प्लीज,,,,,,,,,,,,,,अक्षत तुम मेरे साथ आओ,,,,,,,,,,,,,,,हटो आप सब , अपने न्यूज चेनल्स की TRP के लिए कुछ भी सवाल मत पूछिए आप सब,,,,,,,,,,,,,हटिये”,भीड़ को साइड करते हुए अखिल आया और अक्षत को वहा से लेकर चला गया।
“मुझे माफ कर दे यार उस वक्त मैं तेरे हालात समझ नहीं पाया और तुझे वो सब बोल दिया। आई ऍम सॉरी”,अखिल ने मीटिंग रूम के सामने आकर कहा
अक्षत ने कुछ नहीं कहा बस उसके कंधे पर हाथ रखा और पलकें झपकाकर अंदर चला गया।
1 घंटे बाद अक्षत माथुर साहब के साथ मीटिंग रूम से बाहर आया। आधे से ज्यादा वकील अक्षत के खिलाफ थे , छवि दीक्षित केस के आखिर में भी अक्षत का व्यवहार गैर-जिम्मेदार रहा। मीटिंग के दौरान अक्षत ने गुस्से में सबके सामने अपने सीनियर चोपड़ा जी की कोलर पकड़ ली। उसके साथ सब गलत हो रहा था जिस पर उसका कोई बस नहीं था। इन्ही सब चीजों को समझते हुए और अक्षत की दिमागी हालत को देखते हुए बार काउन्सिल ने 2 महीने के लिए उसके लाइसेंस को रद्द कर दिया।
अमायरा की मौत के बाद अक्षत को ये दूसरा झटका लगा था। जिस वकालत के लिए अक्षत ने दिन रात मेहनत की थी आज उसी वकालत ने उसे ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया। माथुर साहब को अक्षत के लिए बहुत बुरा लग रहा था लेकिन अक्षत के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे वह ख़ामोशी से धीमी चाल में उनके साथ चल रहा था।
“तुम्हे उनके सामने थोड़ा पोलाइटली पेश आना था अक्षत , उन्होंने तुम्हारा लाइसेंस केंसल कर दिया है बहुत मिन्नतों के बाद उन्होंने इसे परमानेंट ना करके सिर्फ 2 महीने के लिए रखा है और इसके बाद वो तुम में सुधार की उम्मीद करते है। चल क्या रहा है तुम्हारे दिमाग में ? तुम्हे वहा गुस्सा नहीं करना चाहिए था , तुम सुन रहे हो ना मैं क्या कह रहा हूँ ?”,माथुर साहब ने बेचैनी भरे शब्दों में कहा
अक्षत रुका तो माथुर साहब भी रुक गए अक्षत उनकी तरफ पलटा और धीमी आवाज में कहने लगा,”आप चाहते है कि मैं खामोश रहकर उन सभी गलतियों एक्सेप्ट कर लू जो मैंने की ही नहीं। मैंने एक बार खामोश रहकर देखा था क्या हुआ मेरे साथ ? मेरी बेटी को मुझसे छीन लिया गया , मैं उस लड़की को इंसाफ नहीं दिला पाया , लोगो के मन में वकील और कानून को लेकर भरोसा कम हो गया इतना सब होने के बाद भी आपको लगता है मुझे खामोश रहना चाहिए।
सिर्फ मेरा लाइसेंस केंसल हुआ है लेकिन मैं अपना काम नहीं छोडूंगा , ये जो कुछ मेरे साथ हुआ है और हो रहा है मैं उसकी तह तक जाऊंगा और खुद को सही साबित करूंगा।”
“मैं तुम्हारा दुःख समझ सकता हूँ”,माथुर साहब ने अक्षत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
अक्षत ने माथुर साहब की तरफ देखा और उदासी भरे लहजे में कहा,”नहीं सर मेरा दुःख इस वक्त कोई नहीं समझ सकता”
“अक्षत,,,,,,,,,,,अक्षत सुनो,,,,,,,,,,,,,,,,मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ”,माथुर साहब कहते ही रह गए लेकिन अक्षत वहा से निकल गया।
अक्षत अपने केबिन में आया , चित्रा और सचिन वही मौजूद थे अक्षत को देखते ही दोनों अपनी जगह से उठ खड़े हुए। अक्षत अपनी टेबल के पास आया और अपना जरुरी सामान समेटते हुए कहा,”बार काउन्सिल की तरफ से 2 महीने के लिए मेरा लाइसेंस रद्द कर दिया गया है , कल से मैं कोर्ट नहीं आऊंगा इसलिए चित्रा तुम अपनी आगे की प्रेक्टिस किसी दूसरे वकील के साथ रहकर कर सकती हो और सचिन तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,
तुम्हारी प्रेक्टिस काफी अच्छी हो चुकी है तुम अब अकेले मैनेज कर सकते हो मैंने अखिल से बात की है वो तुम्हारे लिए जगह का इंतजाम करवा देगा।”
“मुझे आपके साथ ही काम करना है सर आप मेरे आइडियल है , आपके बिना मैं अकेले ये सब,,,,,,,,,,,,,,!”,सचिन ने कहा तो अक्षत उसके सामने आया और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”सचिन मैं खुद नहीं जानता मुझे अब आगे क्या करना है , तुमने हमेशा अपना बेस्ट दिया , पूरी ईमानदारी से अपना काम किया जाते जाते भी मैं तुम्हारे कंधो पर ये जिम्मेदारियां डालकर जा रहा हूँ , मुझे यकीन है तुम कर लोगे”
“सर,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए सचिन का गला रुंध गया और आँखो में आँसू झिलमिलाने लगे। अक्षत ने उसका कंधा थपथपाया और चित्रा की तरफ आकर कहा,”तुम अपनी प्रेक्टिस जारी रखना और एक काबिल वकील बनना , ऐसी वकील जो सिर्फ सच्चाई का साथ दे”
चित्रा कुछ बोल ही नहीं पायी उसे बस अक्षत के चेहरे पर आये दर्द को देखकर तकलीफ हो रही थी। उसे अक्षत को कही अपनी कड़वी बातो के लिए दुःख था वह अक्षत से कुछ कहती इस से पहले ही अक्षत अपना सामान लेकर वहा से चला गया।
अक्षत ने अपना सामान गाड़ी में रखा और वहा से निकल गया। दोपहर हो चुकी थी अक्षत घर ना जाकर झील किनारे चला आया। गर्मियों के दिन थे और धुप थी फिर भी अक्षत गाड़ी से बाहर निकला और झील किनारे आकर खड़े हो गया ये वही झील थी जिसके दूसरे किनारे के पास अमायरा को दफनाया गया था। अक्षत खामोश खड़ा उस जगह को देखता रहा। उसकी आँखों में आँसू थे और चेहरे पर दर्द लेकिन इस वक्त वो अपना दर्द किसे सुनाये , उसकी तकलीफ सुनने वाला कोई नहीं था।
अक्षत का फोन गाडी में था और वाइब्रेशन मोड़ पर था। मीरा ने उसे दो तीन बार फोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। झील किनारे खड़े अक्षत की आँखों के सामने सब किसी फिल्म की तरह चलने लगा। छवि का केस , कोर्ट रूम , अमायरा की मौत , मीरा का चले जाना और सबसे तकलीफ देह उसके सपनो का टूट जाना। हर कोई जानता था कि वकालत के लिए अक्षत ने कितनी मेहनत की थी , वकालत उसके लिए सिर्फ उसका काम नहीं था बल्कि इसे वो अपना सबसे बड़ा सपना मानता था लेकिन आज उसके सपनो को चकनाचुर कर दिया गया।
आँखों में ठहरे आँसू गालो पर बह गये , गले में एक चुभन का अहसास होने लगा और गला रुंध गया। अक्षत ने अपनी गीली पलकों को झपकाया तो मीरा की कही एक बात फिर उसके जहन में कोंध गयी “हमारे जीवन में घटने वाली हर घटना के पीछे एक वजह होती है और वो वजह हमारे रास्ते तय करती है”
अक्षत ने एक गहरी साँस ली और सर उठाकर आसमान की तरफ देखने लगा। अमायरा उसे छोड़कर जा चुकी थी , मीरा उसके साथ नहीं थी , उसका कोर्ट उस से छीन लिया गया अब बस उसके पास एक ही काम बचा था और वो था अमायरा के कातिल को ढूंढना,,,,,,,,,,,,अक्षत ने अपनी बाँह से अपनी आँखों को पोछा और गाड़ी की तरफ बढ़ गया। उसने गाडी स्टार्ट की और वर्द्धनगर जाने वाले रास्ते की ओर मोड़ दी जहा पहुँचने में उसे 4-5 घंटे लगने वाले थे।
“मैडम बाहर आपसे मिलने कोई आया”,घर के नौकर ने मीरा के कमरे में आकर कहा और चला गया
मीरा ने सूना तो अपने हाथ में पकड़ी अमायरा की तस्वीर को साइड रखा , अपने आँसू पोछे और अपना दुपट्टा सही किये हुए जल्दी से कमरे से बाहर आयी। मीरा को लगा शायद अक्षत उस से मिलने आया है इसलिए वह तेज तेज कदमो से चली आयी लेकिन हॉल में खड़े अखिलेश को देखकर उसकी चाल धीमी पड़ गयी।
उसका चेहरा फिर उदासी से घिर गया और उसने अखिलेश के पास आकर कहा,”आप यहाँ ?”
“हेलो मेडम ! मैं आज सुबह ही गाँव से वापस आया था , आपके बारे में पता चला सुनकर बहुत दुःख हुआ। जो कुछ भी हुआ वो सच में बहुत गलत हुआ आपका दर्द मैं समझ सकता हूँ मेडम इसलिए तो खुद को रोक नहीं पाया और आपसे मिलने चला आया। आप कैसी है मेडम ?”,अखिलेश ने पूछा
“हम ठीक है , आईये बैठिये”,मीरा ने उदासीभरे स्वर में कहा और अखिलेश के साथ सोफे की तरफ चली आयी। अखिलेश आकर सोफे पर बैठा और मीरा उसके सामने पड़े दूसरे सोफे पर आ बैठी। नौकर उनके लिए चाय रखकर चला गया। मीरा ने अखिलेश से चाय लेने को कहा और कहने लगी,”हम कुछ दिनों से चाइल्ड होम नहीं आ सके , हम जल्दी ही चेक भिजवा देंगे”
“मेडम मैं यहाँ आपका मैनेजर होने के नाते नहीं आया हूँ , इंसानियत के नाते बस आपको देखने आया हूँ। मैंने जब सूना तो मुझे बस आपकी परवाह हो रही थी सिर्फ इसलिए,,,,,,,,,,,,,आप मुझे गलत समझ रही है”,अखिलेश ने कहा
“माफ़ करना अखिलेश जी हमे कुछ समझ नहीं आ रहा है , हमने हमारी अमायरा को हमेशा हमेशा के लिए खो दिया , माँ को तो हम सालों पहले ही खो चुके थे और अक्षत जी वो भी हमारे साथ नहीं है,,,,,,,,,,,,,,ये कुछ घाव है जो कभी नहीं भरेंगे,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए मीरा की आँखे डबडबा गयी।
अखिलेश ने देखा तो उसके सीने में एक टीस उठी , मीरा के चेहरे पर आया दर्द और उसके आँसू अखिलेश को तकलीफ पहुंचा रहे थे। उसने चाय का कप रखते हुए कहा,”मेडम सब ठीक हो जाएगा , हम सब हमेशा आपके साथ है। आप बस रोईए मत आप अकेली नहीं है”
कहते हुए एक अजीब सा आकर्षण अखिलेश की आँखों में झिलमिलाने लगा जिसे मीरा नहीं देख पायी।
उसी शाम अक्षत वर्द्धनगर नवीन के बताये एड्रेस पर पहुंचा। नुक्कड़ पर आकर उसने गाडी साइड में लगा दी और वहा से गुजरते एक आदमी से पूछा,”एक्सक्यूज मी ये दिलीप चौरसिया कहा मिलेंगे ?”
“यहाँ से आगे जाकर तीसरे नंबर की गली में , लेकिन वहा आपकी बड़ी गाड़ी नहीं जाएगी आपको पैदल ही जाना पडेगा”,आदमी ने कहा
“थैंक्यू”,अक्षत ने कहा और गाड़ी से नीचे उतर गया। उसने गाड़ी लॉक की और आदमी के बताये एड्रेस की तरफ चला गया। तीसरे नंबर की गली में आकर अक्षत पूछते पाछते आगे बढ़ा। संकरी सी गलियों से होकर अक्षत जैसे ही दिलीप चौरसिया के घर के सामने आया उसके चेहरे के भाव एकदम से बदल गए। घर के बाहर लोगो की भीड़ लगी हुयी थी और घर के अंदर से औरतो के रोने की आवाजें आ रही थी। अक्षत धड़कते दिल के साथ आगे बढ़ा ,
भीड़ से निकलकर वह आगे आया तो देखा घर के बरामदे में सफ़ेद चददर से ढका एक शव रखा था जिसके आस पास कुछ औरते विलाप कर रही थी। अक्षत ने अपने पास खड़े आदमी से पूछा,”दिलीप चौरसिया”
“कुछ देर पहले ही दिलीप भैया ने खुद को फाँसी लगा ली , पिछले कुछ दिनों से वो बहुत टेंशन में थे और आज एकदम से,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए आदमी रो पड़ा
अक्षत ने सुना तो उसका सर घूम गया। वह वहा से निकलकर धीमी चाल चलते हुए अपनी गाड़ी के पास चला आया। वह समझ नहीं पा रहा था कि ये सब क्या हो रहा था ? जिस गाडी का नंबर अक्षत को मिला था वो इसी दिलीप चौरसिया के नाम पर रजिस्टर्ड था , अक्षत उसी से मिलने इतनी दूर आया था लेकिन दिलीप की मौत ने उसे और उलझन में डाल दिया। गाड़ी के पास खड़ा वह सोच में गुम था की उसका फोन बजा। अक्षत ने फोन देखा तो उसका दिल धड़क उठा वो प्राइवेट कॉल था।
अक्षत ने फोन कान से लगा लिया तो दूसरी तरफ से आवाज आयी,”थोड़ा पहले आते तो शायद तुम्हे दिलीप ज़िंदा मिलता और तुम उसके जरिये मुझ तक पहुँच पाते लेकिन अफ़सोस के तुम लेट हो गए मिस्टर अक्षत व्यास,,,,,,,,,,,,,,,!!”
अक्षत ने जैसे ही सूना उसके चेहरे पर गुस्से के भाव उभर आये और उसने कहा,”आखिर तुम चाहते क्या हो ? अगर मुझसे दुश्मनी है तो सामने आकर लड़ो मुझसे,,,,,,,,,,,,,,,,मेरी वजह से तुम आखिर कितने लोगो की जान लोगे ?”
“रिलेक्स मिस्टर व्यास अभी तो खेल शुरू हुआ है और तुमने इतनी जल्दी हार मान ली,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे क्या लगता है एक गाड़ी का नंबर पता लगाने से तुम्हे मुझ तक पहुँच जाओगे,,,,,,,,,,,,तुम्हारी बेटी चली गयी , तुम्हारी बीवी चली गयी और आज तुम्हारी नौकरी भी चली गयी,,,,,,,,,,,,,,,एक ये दिलीप तुम्हारी आखरी उम्मीद था लेकिन ये भी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहकर वो आदमी हसने लगा
“तुम इंसान हो या जानवर आखिर ये सब करके तुम्हे क्या मिलेगा ? तुम इस दुनिया के किसी भी कोने में क्यों ना रहो मैं तुम्हे ढूंढ लूंगा,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने गुस्से से कहा
“बर्बादी,,,,,,,,,,,,,,वो भी तुम्हारी,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हे बर्बाद करना चाहता हूँ मिस्टर व्यास और ये मैं करके रहूंगा , इतना मजबूर कर दूंगा तुम्हे की तुम घुटनो पर गिरकर अपनी मौत की भीख मांगोगे।
तुम मुझे कभी नहीं ढूंढ पाओगे मिस्टर व्यास कभी नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुड बाय”,कहते हुए आदमी ने फोन काट दिया
“हेलो हेलो , हेलो,,,,,,,,,,,,,,आह्ह्ह्ह !!”,कहते हुए अक्षत ने गुस्से में अपना फोन सामने दिवार पर दे मारा जो की टूटकर चूर चूर हो गया। गुस्सा और बेबसी उसकी आँखों में झिलमिलाने लगी
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