Haan Ye Mohabbat Hai – 11
heart a brokenbroken heart a
Haan Ye Mohabbat Hai – 11
अक्षत के बर्ताव से हर्ट होकर चित्रा चेंबर से बाहर निकलकर माथुर साहब के चेंबर में चली आयी। माथुर साहब अपने किसी क्लाइंट के साथ बिजी थे इसलिए उन्होंने चित्रा को बैठने का इशारा किया। चित्रा वहा पड़े सोफे पर आ बैठी। माथुर साहब ने अपने क्लाइंट को फ्री किया और फिर कुर्सी से उठकर चित्रा की तरफ आते हुए कहा,”कहिये मिस चित्रा कैसे आना हुआ ? तुम्हे इस वक्त अक्षत के साथ होना चाहिए क्या तुम्हे पता है आज की हियरिंग में उसने कितने अच्छे से एक मर्डर केस को प्रेजेंट किया,,,,,,,,,,,,,,,,वो सब देखने लायक था , इस लड़के में दम है”
“पर शायद आप ये नहीं जानते की वो बहुत रुड भी है”,चित्रा ने बुझे मन से कहा
चित्रा की बात सुनकर माथुर साहब मुस्कुराने लगे और उसके बगल में बैठते हुए कहा,”चित्रा 4 साल पहले जब अक्षत यहाँ आया था और उसने मेरे साथ प्रेक्टिस शुरू की थी तब मुझे भी लगा था की ये लड़का अपने ऐटिटूड की वजह से दो दिन यहाँ नहीं टिक पायेगा लेकिन मैं गलत था। अक्षत व्यास वो समंदर है जो बाहर से शांत दिखता है लेकिन अंदर से बहुत गहराई लिए है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“और ऐसा क्यों है ?”,चित्रा ने माथुर साहब की बातो में दिलचस्पी दिखाते हुए पूछा
“शायद उसने जिंदगी में हर इमोशन को बहुत करीब से देखा है। कम उम्र में उसने जो मुकाम हासिल किया है वो हर किसी के बस की बात नहीं है,,,,,,,,,,,,उसका ये सख्त रवैया उसके काम की पहचान है। क्रिमिनल लॉयर है ना इसलिए सबसे थोड़ा रूडली ही बात करता है बाकि दिल का बुरा नहीं है। मैंने तुम्हे इस कोर्ट के सबसे बेस्ट लॉयर के यहाँ रिकमेंड किया है। मुझे यकीन है धीरे धीरे तुम उसे समझ जाओगी”,माथुर साहब ने चित्रा को समझाते हुए कहा
माथुर साहब जैसे सीनियर लॉयर के मुंह से अक्षत की तारीफ सुनकर चित्रा के मन में अक्षत को जानने की जिज्ञासा और बढ़ने लगी
चित्रा को खामोश देखकर माथुर साहब ने कहा,”रुको मैं तुम्हारे लिए बढ़िया कॉफी मंगवाता हूँ उसे पीकर तुम अच्छा महसूस करोगी”
माथुर साहब ने दो कॉफी मंगवाई और चित्रा के साथ बात करते हुए कॉफी पीने लगे।
माथुर साहब चित्रा के पिता को जानते थे और यही वजह थी की उन्होंने उसे इंटर्न्स के लिए अपने पास बुला लिया , चित्रा अक्षत से उम्र में ज्यादा छोटी नहीं थी इसलिए उन्होंने उसे अक्षत के साथ बतौर असिस्टेंट काम करने को कहा। कॉफी पीने और माथुर साहब से बात करने के बाद चित्रा को थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा था।
वह उठी और उनके चेंबर से निकल गयी। कोर्ट आते हुए उसे अभी दो दिन ही हुए थे और ऐसे में वह किसी को ज्यादा जानती भी नहीं थी लेकिन उसी के साथ आये कुछ इंटर्न्स से उसने नार्मल बातचीत की और फिर वापस चेंबर में चली आयी। अक्षत वहा नहीं था और सचिन कुछ फाइल्स में काम कर रहा था।
“क्या मैं तुम्हारी कुछ हेल्प करू ?”,चित्रा ने सचिन की टेबल के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा
“हाँ देखो जो जो डेट मैंने यहाँ लिखी उनके साथ साथ ये सब डिटेल्स भरनी है और इन्हे इस फाइल में सेट करना है। सर ये फाइल घर लेकर जायेंगे तो ध्यान रहे पेपर ठीक से लगे हो”,सचिन ने कहा और दुसरा काम करने लगा
चित्रा मन लगाकर अपना काम करने लगी और सचिन भी बीच बीच में उसकी मदद करने लगा।
VS ग्रुप एंड कम्पनीज –
शाम की एक मीटिंग में गौतम सिंघानिया कुछ लोगो के साथ बैठे नए प्रोजेक्ट पर चर्चा कर रहे थे। कम्पनी के मेन गेट से काले रंग की एक गाडी तेजी से अंदर आयी और आकर इंट्रेस के सामने रुकी। गाडी से विक्की नीचे उतरा। उसने जींस शर्ट और ब्लेक रंग का जैकेट पहना था आँखों पर चश्मा लगाया हुआ था। उसकी कलाई में पड़ी महंगी घडी चमचमा रही थी। विक्की दिखने में काफी आकर्षक था लेकिन अपने पापा के पैसो और रुतबे की वजह से काफी घमंड भी था उसमे।
वह अंदर आया उसे देखते ही ऑफिस में काम कर रही लड़किया उसकी तरफ देखने लगी लेकिन विक्की ने किसी पर ध्यान नहीं दिया और वहा खड़े एक स्टाफ से कहा,”डेड कहा है ?”
“सर मीटिंग रूम में है , आप सर के ऑफिस,,,,,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने इतना ही कहा की विक्की बिना उसकी बात सुने आगे बढ़ गया
“सर , विक्की सर , सर रुकिए , सर ने मना किया है,,,,,,,सर मेरी जॉब चली जाएगी”,मिमियाते हुए लड़का विक्की के पीछे आया लेकिन विक्की उसकी बात भला क्यों सुनता ? वह सीधा मीटिंग रूम की तरफ आया और दरवाजा खोलकर अंदर आकर चिढ़ते हुए कहा,”डेड आपने मेरे सारे कार्ड्स ब्लॉक क्यों किये ?”
“एक्सक्यूज मी जेंटलमेन”,कहते हुए सिंघानिया जी विक्की की तरफ आये और उसकी बाँह पकड़कर उसे मीटिंग रूम से बाहर करते हुए कहा,”इस वक्त मैं एक जरुरी मीटिंग में हूँ मेरे केबिन में चलकर बैठो,,,,,,,,,,,!!”
“लेकिन डेड,,,,,,,,,,,!”,विक्की ने उनकी बात काटते हुए कहा
“अगर तुम्हे अपने कार्ड्स अनब्लॉक करवाने है तो,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सिंघानिया जी उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा और वापस अंदर चले गए।
विक्की ने सूना तो झल्लाते हुए वहा से केबिन की तरफ चला गया। चलते चलते विक्की की नजर वहा काम कर रही एक लड़की पर पड़ी जो की बहुत ही सिंपल थी और इत्मीनान से अपने काम में लगी हुई थी। विक्की ने एक नजर उसे देखा और अपने पापा के केबिन में चला गया।
लड़का भी उसके पीछे पीछे चला आया। केबिन में आकर विक्की ने गुस्से से अपना जैकेट निकालकर सिंघानिया जी की कुर्सी पर डाल दिया और शर्ट के उपरी दो बटन खोलकर वही पास पड़े सोफे पर बैठ गया।
“सर आप कुछ लेंगे ?”,लड़के ने डरते डरते पूछा
“एक कॉफी,,,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए विक्की की नजर केबिन के शीशे के पार अपनी कुर्सी पर बैठी उस लड़की पर चली गयी जिसे उसने कुछ देर पहले ही देखा था।
“वो कॉफी उस लड़की को लाने को बोलो”,विक्की ने अपनी गर्दन पीछे टिकाते हुए कहा
“सर उसने पिछले हफ्ते ही ये ऑफिस ज्वाइन किया है , कॉफी मैं ले आता हूँ”,लड़के ने कहा जो की विक्की को अच्छे से जानता था। कॉफी के बहाने विक्की उस लड़की को परेशान करेगा ये बात शायद लड़का जानता था। विक्की ने सूना तो अपनी गर्दन उठाई और कठोरता से लड़के की तरफ देखकर कहा,”जितना कहा है उतना करो,,,,,,,,,,,,,,,,अगले 5 मिनिट में कॉफी यहाँ आ जानी चाहिए समझे”
लड़का चुपचाप वहा से चला गया। उसने विक्की के लिए कॉफी ली और उस लड़की के सामने आकर कहा,”छवि !”
“जी सर”,छवि ने अपनी कुर्सी से उठते हुए कहा क्योकि लड़का उसका सीनियर था
“तुम ये कॉफी विक्की सर को दे आओगी प्लीज”,लड़के ने पूछा
“मैं क्यों सर ? ये काम तो ऑफिस बॉय का है ना वो क्यों नहीं जा रहा ?”,छवि ने हैरानी से कहा
“छवि दरअसल बात ये है की विक्की सर चाहते है तुम ये कॉफी लेकर जाओ,,,,,,,,,,,,,,,प्लीज छवि तुम्हारा सीनियर होने के नाते मैं तुमसे ये रिक्वेस्ट करता हूँ अगर तुम नहीं गयी तो मेरी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी,,,,,,,,,,,,,प्लीज मेरे लिए एक छोटा सा फेवर कर दो”,लड़के ने रोआँसा होकर कहा।
छवि ने सूना तो सोच में पड़ गयी कितनी मुश्किलों के बाद उसे ये जॉब मिली थी वह किसी समस्या में नहीं पड़ना चाहती थी इसलिए कहा,”ठीक है मैं ले जाती हूँ”
“थैंक्यू सो मच छवि”,लड़के ने कप छवि को देकर कहा
छवि ने कप लिया और केबिन की ओर बढ़ गयी। विक्की आँखे मूंदे अपना सर पीछे टीकाकार बैठा था। छवि ने कॉफी कप उसके सामने रखते हुए कहा,”आपकी कॉफी सर”
छवि की आवाज से विक्की की तंद्रा टूटी उसने अपनी गर्दन उठायी और छवि को पैर से लेकर सर तक देखा। छवि इतनी भी सिंपल नहीं थी जितनी पहली नजर में लगी थी। वह खूबसूरत थी , आकर्षक थी। विक्की एकटक उसे देखता रहा जिस से छवि असहज होने लगी और कहा,”मैं चलती हूँ सर”
“सुनो,,,,,,,,,,,,वहा कुर्सी पर मेरा कोट रखा है वो लेकर आओ”,विक्की ने अकड़ भरे स्वर में कहा
छवि किसी तरह का ड्रामा नहीं चाहती थी इसलिए चुपचाप कुर्सी की तरफ गयी और विक्की का कोट उठाकर ले आयी उसने कोट विक्की की तरफ कर दिया। विक्की उठा और अपना कोट पहनकर अपनी जेब से 100 का एक नोट निकालकर छवि की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”ये कॉफी लेकर आने की टिप,,,,,,,,,,,,,!!”
छवि ने सूना तो उसे बहुत बुरा लगा , उसने विक्की के हाथ से नोट लिया और उसके करीब आकर उस नोट को उसी के कोट की जेब में डालते हुए कहा धीमी आवाज में कहा,”जिस दिन 100 रूपये कमाने लायक हो जाओ उस दिन किसी को टिप देना , अपने पापा के पैसो से नहीं बल्कि अपने पैसो से ,, उस दिन मैं आपसे टिप भी लुंगी और आपको थैंक्यू भी कहूँगी”
छवि ने चंद सेकेण्ड में विक्की के घमंड को चकनाचूर कर दिया। गुस्से से उसकी आँखे लाल हो उठी
“यू,,,,,,,,,,,,,!!”,विक्की ने इतना ही कहा की केबिन का दरवाजा खुला और सिंघानिया जी अपने मैनेजर के साथ अंदर चले आये। अपने पापा को वहा देखकर वह पीछे हट गया। छवि ने सिंघानिया जी को देखा और वहा से चली गयी।
“विक्की व्हाट इज दिस विहेवियर ? क्या तूम जानते हो मैं कितनी इम्पोर्टेन्ट मीटिंग में था”,सिंघानिया जी ने विक्की को फटकार लगाते हुए कहा
“ओह्ह कम ऑन डेड आप ये बताईये की आप मेरे कार्ड अनब्लॉक करेंगे या नहीं ?”,विक्की ने झल्लाते हुए कहा
“बिल्कुल नहीं , तुम्हे जो करना है तुम कर सकते हो , मेरे छूट देने का नतीजा है की तुम्हे अपने करियर अपने फ्यूचर की बिल्कुल परवाह नहीं है”,सिंघानिया जी ने भी कठोरता से कहा
विक्की ने सुना तो गुस्से से उन्हें देखा और फिर वहा से चला गया
“सर ये आपने क्या किया ? विक्की सर बहुत गुस्से वाले है आपको उनके साथ थोड़ा नरमी से पेश आना चाहिए”,मैनेजर शांतनु ने कहा
“आई नो शांतनु , बचपन में ही विक्की की घर छोड़कर चली गयी और उसके बाद मैंने ही इसे पाल पोसकर बड़ा किया है। इसकी हर जरूरत हर ख्वाहिश पूरी की लेकिन मेरे लाड प्यार ने इसे जिद्दी बना दिया है। मैंने कभी दूसरी शादी नहीं की ताकि विक्की के लिए मेरा प्यार बंट ना जाये। मैंने जान बूझकर इसके कार्ड्स ब्लॉक किये है ताकि ये अपनी पार्टीज कम करके अपना ध्यान पढ़ी में लगाए”,सिंघानिया जी ने कहा और केबिन की खिड़की के पास आकर बाहर देखने लगे
अपने पापा के बर्ताव से हर्ट होकर विक्की ऑफिस से बाहर आया। गाड़ी स्टार्ट की और गुस्से में ऑफिस के बाहर रखे गमलो को कुचलते हुए वहा से चला गया। ये पूरा नजारा सिंघानिया जी अपने केबिन की खिड़की से देख रहे थे लेकिन वे विक्की को ऐसा करने से रोक नहीं सकते थे।
ऑफिस में अर्जुन का दिन बाकी दिनों के बजाय आज अच्छा गुजरा। पहले उसने मीटिंग में अपने स्टाफ के साथ खुलकर बातचीत की , फिर दोपहर का लंच भी सबके साथ ही खाया। शाम में ऑफिस से निकलते वक्त अर्जुन काफी खुश था इसलिए उसने जीजू को फोन लगा दिया। एक दो रिंग जाने के बाद जीजू ने फोन उठाया तो अर्जुन ने कहा,”हेलो जीजू , कहा हो ?”
“गोआ के बीच पर बैठा ठंडी ठंडी हवा खा रहा हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,इस वक्त मैं कहा हो सकता हूँ ? ऑफिस में हूँ”,जीजू ने चिढ़ते हुए कहा जो की आज सुबह से काम में बिजी थे।
“अच्छा सुनो मिल्टन रोड के बगल में एक नया रेस्त्रो खुला है , मैं अपने ऑफिस से निकल चुका हूँ आप कहे तो आपको पिक कर लू”,अर्जुन ने कहा
“अच्छा ऐसा है क्या ? ठीक है 10 मिनिट में मिलो मैं बहाना बनाकर अभी निकलता हूँ”,खाने के शौकीन जीजू ने कहा
“ओके मैं आशु को फोन लगा लेता हूँ”,कहते हुए अर्जुन ने फोन काट दिया
“दामाद जी आपको बहाना बनाने की जरूरत नहीं है , वैसे भी घर जाने का वक्त हो गया है आप जाईये”,जीजू ने खुश होकर जैसे ही फोन रखा सामने खड़े विजय जी ने कहा
“अरे नहीं नहीं मौसाजी मैं तो बस,,,,,,,,,,,,,!!”, सोमित जीजू ने झेंपते हुए कहा
“कोई बात नहीं , काम के साथ साथ थोड़ा बाहर घूमना भी जरुरी है। आप जाईये मैं थोड़ा देर से घर आऊंगा एक डिलीवरी आनी बाकि है”,विजय जी ने कहा।
सोमित जीजू ने 10 मिनिट के अंदर अपने सभी जरुरी काम खत्म किये और अपना बैग लेकर ऑफिस के बाहर चले आये। कुछ देर बाद अर्जुन अपनी गाड़ी लेकर आ गया। सोमित जीजू उसके बगल में आ बैठे और कहा,”आशु नहीं आ रहा ?”
“उसने कहा है वो हमे वही मिलेगा”,अर्जुन ने गाड़ी आगे बढ़ाते हुए कहा।
दोनों बाते करते हुए मिल्टन रोड के बगल में बने रेस्त्रो में पहुंचे। गाड़ी पार्किंग में लगाकर दोनों अंदर चले आये। रेस्त्रो काफी अच्छा था जिसे देखकर जीजू की तबियत खिल उठी। अर्जुन जीजू के साथ आकर बैठ गया और दोनों अक्षत के आने का इंतजार करने लगे। अर्जुन और जीजू की टेबल से लगकर ही शीशे की दिवार थी जिस से बाहर का नजारा आसानी से देखा जा सकता था।
अर्जुन का फोन आने के बाद अक्षत कोर्ट से निकला गाड़ी लेकर वह जैसे ही सड़क किनारे आया देखा चित्रा खड़ी थी। चित्रा की नजर अक्षत पर पड़ी तो उसने अक्षत से गाडी रोकने का इशारा किया और उसके पास चली आयी। अक्षत ने गाड़ी का शीशा नीचे किया तो चित्रा ने कहा,”सर वो एक्चुअली मेरी स्कूटी खराब हो गयी है तो क्या आप मुझे मिल्टन रोड तक छोड़ देंगे ?”
“तुम ऑटो से जा सकती हो”,अक्षत ने कहा हालाँकि उसे भी मिल्टन रोड ही जाना था
“हां लेकिन आज शायद ऑटो वालो की स्ट्राइक है और उस साइड ऑटो जाएगा भी नहीं,,,,,,,,,,,,,प्लीज सर”,चित्रा ने अपना फोन देखते हुए कहा शायद उसे देर हो रही थी।
“अगर कोई आपसे हेल्प मांगे तो आप अपने ईगो को साइड में रखकर उसकी मदद करेंगे,,,,,,,,,,,,,,करेंगे ना ?”,एकदम से अक्षत के जहन में मीरा की कही बात आ गयी उसने चित्रा की ओर देखकर कहा,”ठीक है बैठो”
“थैंक्यू सर”,चित्रा ने खुश होकर अक्षत के बगल वाले दरवाजे को खोलते हुए कहा
“पीछे बैठो”,अक्षत ने घडी में टाइम देखते हुए कहा
“ओके सर”,चित्रा के चेहरे से ख़ुशी फिर गायब हो गयी। अपने बगल वाली सीट पर अक्षत हमेशा मीरा और सोमित जीजू को ही देखना चाहता था।
चित्रा पीछे आ बैठी और अक्षत ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। कोर्ट से बाहर निकलते हुए अखिल की नजर उन दोनों पर पड़ी तो उसने अपने साथ चलते सचिन से कहा,”लगता है तुम्हारे सर ज्यादा दिन तक इन मैडम की अदाओ से बच नहीं पाएंगे”
सचिन ने कुछ नहीं कहा वह मुस्कुराया और वहा से चला गया
चित्रा ने सोचा वह अक्षत के साथ आयी है इसी बहाने उसे अक्षत से काम के अलावा बात करने का मौका मिल जाएगा लेकिन जैसे ही उसने अक्षत से बात करनी चाही अक्षत का फोन बज उठा। अक्षत ने अपना फोन उठाया और कहा,”मैं बस तुम्हे लेने ही आ रहा था”
“अक्षत जी हम ये कह रहे थे की हम आज घर जल्दी आ गए है तो आप भी सीधा घर आ जाईयेगा”,दुसरी तरफ से मीरा ने कहा
“ओह्ह ऐसा है क्या ? मुझे आने में थोड़ी देर हो जाएगी , भाई और जीजू बाहर है हो सकता है हम सब आज का डिनर बाहर ही कर ले”,अक्षत ने कहा
“जरूर हमे अच्छा लगेगा अगर आप अपने लिए थोड़ा वक्त निकाले , एन्जॉय कीजिये हम माँ से कह देंगे”,मीरा ने प्यार से कहा
“थैंक्यू , मैं जल्दी घर आ जाऊंगा”,कहते हुए अक्षत ने फोन काट दिया।
चित्रा नहीं जानती थी अक्षत शादीशुदा है या नहीं उसकी पर्सनालिटी देखकर वह अभी तक यही समझ रही थी की अक्षत बेचलर है। चित्रा ख़ामोशी से पीछे बैठी इस इंतजार में थी की अक्षत उस से कुछ पूछे और वह बात शुरू करे लेकिन अक्षत एक बार फिर किसी क्लाइंट के साथ फोन में बिजी हो गया
कुछ वक्त बाद अक्षत मिल्टन रोड पहुंचा और कहा,”क्या तुम्हे यही आना था ?”
“हा सर पास ही में मेरा घर है मैं यहाँ से चली जाउंगी,,,,,,,,,,,,थैंक्यू सो मच”,कहकर चित्रा गाड़ी से उतर गयी। अक्षत ने गाड़ी को साइड पार्किंग में लगाया और उतरकर अर्जुन के बताये रेस्टोरेंट में चला आया। जैसे ही वह अंदर आया अर्जुन और जीजू ने एकदम से उसके सामने आकर एक साथ कहा,”वो लड़की कौन थी ?”
अक्षत ने सूना तो हैरानी से दोनों को देखने लगा शायद अर्जुन और जीजू ने चित्रा को गाड़ी से उतरते देख लिया था।
sanjana kirodiwal bookssanjana kirodiwal ranjhana season 2sanjana kirodiwal kitni mohabbat haisanjana kirodiwal manmarjiyan season 3sanjana kirodiwal manmarjiyan season 1
Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11
Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11Haan Ye Mohabbat Hai – 11
क्रमश – Haan Ye Mohabbat Hai – 12
Read More – “हाँ ये मोहब्बत है” – 10
Follow Me On – facebook
संजना किरोड़ीवाल