Haan Ye Mohabbat Hai – 55
अक्षत अपने कमरे में बैठा किसी सोच में डूबा था तभी उसका फोन बजा | अक्षत ने फोन देखा नवीन का कॉल था। अक्षत ने फोन कान से लगाकर कहा,”हेलो ! हाँ नवीन इस वक्त फोन किया,,,,,,,,,,,,सब ठीक है ?”
“कुछ ठीक नहीं है,,,,,,,,,,,,,तू कैसे भूल सकता है आज मेरा बर्थडे है ? एक्स प्लाजा पब में मैंने पार्टी रखी है कॉलेज के सभी दोस्त आ रहे है तू भी आ जा,,,,,,,और मैं कोई बहाना बिल्कुल नहीं सुनूंगा।”,नवीन एक सांस में सब कह गया।
अक्षत ने सुना और कहा,”ठीक है मैं पहुँच जाऊंगा”
“लव यू यार , चल जल्दी आ सब तेरा इंतजार कर रहे है।”,नवीन ने कहा और फोन काट दिया
अक्षत ने कपड़े बदले और कमरे से बाहर चला आया। सीढ़ियों से उतरकर अक्षत जैसे ही दरवाजे की तरफ जाने लगा राधा ने उसे आवाज दी,”आशु ! खाना खाकर जाओ।”
“माँ मुझे किसी जरुरी काम से बाहर जाना है , मैं खाना बाहर ही खा लूंगा”,अक्षत ने कहा और वहा से चला गया
राधा के चेहरे पर उदासी के भाव तैर गए। अर्जुन ने देखा तो राधा को बहलाने के लिये कहा,”माँ थोड़ी सब्जी दीजिये ना , आज खाना बहुत अच्छा बना है।”
“हाँ मौसीजी आपके हाथो में तो जादू है।”,सोमित जीजू ने भी कहा तो राधा मुस्कुरा उठी और खाना परोसने लगी।
शादी के बाद अक्षत का पार्टी करना दोस्तों से मिलना कम हो चूका था। आज भी वह नहीं जाता लेकिन उस पर नवीन के किये इतने अहसान थे कि वह उसे मना नहीं कर पाया। रास्ते में उसने नवीन के लिये तोहफा खरीदा और आगे बढ़ गया। गाड़ी चलाते हुए अक्षत के जहन में बार बार सौंदर्या की कही बाते आ रही थी।
अक्षत इतना तो समझ चुका था कि उसके और मीरा के बीच गलतफहमियां पैदा करने वाला कोई और नहीं बल्कि सौंदर्या भुआ ही थी। ये सब सोचते हुए एकदम से अक्षत को मीरा का ख्याल आ गया। पुरे 6 महीने बाद उसने मीरा के हाथो से बनी चाय पी थी और आज भी चाय फीकी थी लेकिन उस फीकी चाय ने अक्षत के होंठो पर एक मिठास छोड़ दी,,,,,,,,,,,,,,,मिठास मीरा की मोहब्बत की।
गाड़ी एक्स प्लाजा पब के बाहर आकर रुकी। अक्षत ने गाड़ी पार्किंग में लगायी और तोहफा लेकर अंदर चला आया। अंदर आकर अक्षत ने देखा वहा नवीन के साथ साथ कॉलेज के और भी कई दोस्त थे। अक्षत सबसे मिला अक्षत को इस नए लुक में देखकर सभी काफी हैरान थे। कुछ दोस्तों ने तो उसे कॉम्प्लिमेंट तक दे डाले। सभी दोस्तों के आने के बाद नवीन ने केक मंगवाया और सबके साथ मिलकर केक कट किया और सबको खिलाया।
अक्षत को केक का टुकड़ा खिलाते हुए नवीन उसके गले आ लगा और कहा,”थैंक्यू यार ! मुझे लगा हमेशा की तरह तू इस बार भी मना कर देगा।”
“तुम्हारे काफी अहसान है मुझ पर उसके सामने ये कुछ भी नहीं है।”,अक्षत ने नवीन की आँखों में देखते हुए कहा
“मेरी दोस्ती को अहसान का नाम मत दे यार,,,,,,,,,,,,,,,चल आ चलते है।”,नवीन ने अक्षत के कंधो पर हाथ रखते हुए कहा
“कहा ?”,अक्षत ने पूछा
“ऊपर बहुत अच्छा पब है वहा चलकर पार्टी करते है और ड्रिंक्स भी है लेकिन आज तू मुझे मना नहीं करेगा ,, आज तुझे पीनी पड़ेगी क्योकि आज मेरा बर्थडे है।”,नवीन ने साथ चलते हुए कहा
अक्ष समझ गया कि नवीन इतनी आसानी से उसका पीछा नहीं छोड़ेगा इसलिए हामी भर दी और नवीन के साथ ऊपर पब में चला आया।
म्यूजिक के तेज शोर के बीच कई लड़के लड़किया थिरक रहे थे। नवीन के कुछ दोस्त खाने पीने का लुफ्त उठा रहे थे , कुछ म्यूजिक पर थिरकने लगे। नवीन अक्षत के साथ बार काऊंटर की तरफ आया और दो ड्रिंक देने को कहा। लड़के ने दो ड्रिंक बनाकर काऊंटर पर रख दी। नवीन ने एक अक्षत को दिया और दुसरा खुद लेकर अक्षत के गिलास से टकराकर कहा,”चियर्स !!”
अक्षत संकट में फंस गया। उसे ड्रिंक करना बिल्कुल पसंद नहीं था लेकिन नवीन को ना भी नहीं बोल सकता था
उसने देखा नवीन उसे ही देख रहा है तो वह हल्का सा मुस्कुराया और गिलास को होंठो से लगा लिया। अक्षत ड्रिंक पी पाता इस से पहले ही एक लड़की नवीन के पास आयी और उसे हग करते हुए बर्थडे विश किया। मौका देखकर अक्षत ने गिलास में भरी शराब को साइड में पड़े डस्टबिन में डाल दिया।
नवीन अक्षत की तरफ पलटा तब तक अक्षत अपना गिलास खाली कर चुका था।
लड़की नवीन को वहा से ले गयी और अक्षत ने काउंटर के दूसरी तरफ खड़े लड़के से जूस देने को कहा और वही बैठकर पीने लगा। जूस पीते हुए अक्षत की नजरे सामने डांस कर रहे ग्रुप पर थी जिसमे एक लड़का अक्षत को जाना पहचाना दिखाई दे रहा था। अक्षत बस उसे देखते रहा। लड़का नशे और उन्माद में झूम रहा था।
जूस खत्म कर अक्षत वही बैठा रहा। कुछ देर बाद नवीन ने अक्षत से खाना खाकर जाने को कहा और वापस डांस ग्रुप की ओर चला गया। अक्षत का पेट भरा हुआ था। उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। ग्रुप का वो लड़का काऊंटर की तरफ आया और लड़खड़ाती जबान में ड्रिंक देने को कहा। अक्षत उसके बगल में ही बैठा था। लड़का कोई और नहीं विक्की का दोस्त कुमार ही था और ये वही पार्टी थी जिसमे कुमार विक्की को आने के लिये कह रहा था।
कुमार का फोन बजा जैसे ही उसने अपने जेब से फोन निकाला नशे में खुद को सम्हाल नहीं पाया और जेब में रखा पर्स भी नीचे आ गिरा। अक्षत ने देखा तो उसका पर्स और बाकि सामान उठाया और इसी के साथ उसने कुमार की id चुपके से अपनी जेब में रख ली।
अक्षत ने सब सामान कुमार को दिया तो कुमार ने कहा,”थैंक्स ब्रो !”
अक्षत अपना काम कर चुका था इसलिये बिना कुमार से कुछ कहे वहा से चला गया। अक्षत को देखकर कुमार का नशा कुछ कुछ उतर चुका था इसलिये बड़बड़ाया,”इसे मैंने कही देखा है,,,,,,,,,,,,पर कहा याद नहीं आ रहा ?”
अगली सुबह छवि रोजाना की भांति तैयार होकर अपना बैग और टिफिन लेकर ऑफिस जाने के लिये निकल गयी। माधवी भी घर के काम निपटाने लगी साथ ही अगले दिन कोर्ट में होने वाली पेशी को लेकर काफी परेशान भी थी। माधवी जी चाहती थी इस बार छवि को इंसाफ मिल जाये। छवि ऑफिस आयी और अपना काम करने लगी। लंच टाइम में छवि अकेले बैठकर अपना खाना खा रही थी तभी उसके साथ काम करने वाला विष्णु आया और सामने पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा,” छवि मैडम आपका लंच हो गया ?”
“नहीं बस अभी शुरू ही किया है। आपको मुझसे कुछ काम था ?”,छवि ने सीधे सवाल कर लिया
“नहीं नहीं ! मुझे आपसे क्या काम होगा ? वो तो मैंने आपको अकेले खाना खाते देखा तो चला आया।”,विष्णु ने कहा
“क्यों मेरे अकेले खाना खाने से कोई परेशानी है ?’,छवि ने कठोरता से कहा
“नहीं कोई परेशानी नहीं है पर ऐसी सिचुएशन में अकेले बैठकर खाना,,,,,,,,,,,,,,,,कल से मैं आपके साथ लंच करने आ जाया करूंगा।”,विष्णु ने छवि की ओर देखते हुए कहा
“क्या मैंने आपसे कहा ? ये आज आप मेरे साथ इतनी हमदर्दी क्यों दिखा रहे है ?”,छवि ने पूछा
“हमदर्दी नहीं है छवि मैडम ! मैं तो बस आपका ख्याल,,,,,,,,,,,,,,,मेरा मतलब कोई तो होना चाहिए ना आपका ख्याल रखने के लिये”,कहते कहते विष्णु ने अपना हाथ छवि के हाथ पर रख दिया
छवि ने देखा तो उसकी भँवे तन गयी। उसने विष्णु के हाथ को जोर से झटका और गुस्से से उठते हुए कहा,”तुम होते कौन हो मेरा ख्याल रखने वाले ? समझ क्या रखा है मुझे ?
इस हालत में हूँ इसका मतलब ये हो गया कि कोई भी आकर हक़ जताने लगेगा। कान खोलकर सुन लो विष्णु आइंदा से अगर मेरे साथ इस तरह की बात की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,समझे तुम ?”
विष्णु की तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी उसने सोचा नहीं था छवि ऑफिस में सबके सामने इस तरह उसे जवाब दे देगी। ऑफिस का पूरा स्टाफ वहा जमा हो गया और विष्णु शर्मिन्दा होकर वहा से चला गया।
सुबह सुबह चीकू और काव्या के झगड़ने की आवाज से अक्षत की नींद खुली। वह रात में देर से घर आया और ठीक से सो नहीं पाया। सुबह होते होते उसकी आँख लगी तो चीकू काव्या ने उसकी नींद में खलल डाल दिया। अक्षत ने साइड में पड़ा तकिया अपने कान पर रख लिया और सोने की कोशिश करने लगा लेकिन चीकू और काव्या की आवाज वैसे ही आ रही थी। अक्षत गुस्से से उठा और कमरे से बाहर आया देखा किसी किताब को लेकर चीकू और काव्या में झगड़ा चल रहा था।
किताब काव्या के हाथो में थी और चीकू उस किताब को छीनने की नाकाम कोशिश कर रहा था। इसी खींचतान में दोनों चिल्ला भी रहे थे जिस से अक्षत की नींद टूट गयी।
अक्षत गुस्से से काव्या के पास आया और उसके हाथ से किताब छीनते हुए कहा,”ये सब क्या लगा रखा है तुम दोनों ने,,,,,,,,,,,,,,,शोर क्यों कर रहे हो ?”
“चाचू देखिये ना काव्या दी मुझे ये किताब नहीं दे रही है।”,चीकू ने मासूम बनते हुए कहा
“मामू ये मेरी किताब है और ये चीकू हर बार मेरी किताब लेता है और बाद में उसे फाड् देता है। मैं इसे ये नहीं दूंगी”,काव्या ने कहा
“आपने मेरे कॉमिक्स भी तो लिये थे,,,,,,,,!”,चीकू ने तनते हुए कहा
“मैंने तुम्हारी कोई कॉमिक्स नहीं ली उल्टा तुमने मेरी सारी कॉमिक्स चुरा ली,,,,!!”,काव्या ने भी कमर पर हाथ रखते हुए कहा
“काव्या दीदी आप मुझे चोर कह रही हो,,,,,,,,,,,,,,!!”,चीकू ने गुस्से से लाल पीला होते हुए कहा
“हाँ बोल रही हूँ तो क्या तुमने मेरी ये वाली कॉमिक्स नहीं चुराई,,,,,,,,,,?”,काव्या ने गुस्से से थोड़ा तेज आवाज में कहा
अब तक उन दोनों की बहस सुनकर अक्षत का गुस्सा और बढ़ गया और उसने गुस्से से कहा,”शट अप,,,,,,,,,,,,,,,चुप करो दोनों के दोनों , प्रॉब्लम ये है कॉमिक्स है ना एक मिनिट”
कहकर अक्षत ने बिना देर किये उस कॉमिक्स के सारे पेज फाड़े और फेंकते हुए कहा,”ये लो हो गयी प्रॉब्लम सॉल्व,,,,,,,,,,,,,,अब दोनों जाओ यहाँ से,!!”
अक्षत को गुस्से में देखकर चीकू सहम गया और चुपचाप वहा से चला गया लेकिन काव्या की आँखों में आँसू भर आये और उसने कहा,”आपने ऐसा क्यों किया मामू ? आपके लिये बस ये एक कॉमिक्स थी लेकिन मेरे लिये,,,,,,,,,,,,!!”
काव्या आगे कुछ बोल ही नहीं पायी और रोते हुए वहा से चली गयी। अक्षत को अपनी गलती अहसास हुआ , उसकी आँखों के सामने वो पल आ गए जब मीरा इस घर में नयी नयी आयी थी और अक्षत ने ऐसे ही गुस्से में उसकी किताब फाड़ दी थी। अक्षत को काव्या के लिये बुरा लगने लगा तो उसने फाड़े हुए सभी पन्ने उठाये और हॉल में पड़ी टेबल पर रखकर खुद अपने कमरे में चला गया। कुछ देर बाद अक्षत वापस आया उसके हाथ में ग्लू का बोतल था।
अक्षत सोफे पर आ बैठा और कॉमिक्स के पन्नो को एक एक करके चिपकाने लगा। ऐसा करते हुए सहसा ही उसे मीरा की याद आ गयी और उसका मन बेचैनी से भर उठा। अक्षत फिर भी वहा बैठा पन्नो को चिपकाते रहा।
काव्या रोते हुए नीचे आयी और सोमित जीजू को सारी बात बता दी।
सोमित जीजू अक्षत को डांट लगाने के लिये काव्या के साथ ऊपर आये लेकिन जब उन्होंने हॉल में बैठे अक्षत को कॉमिक्स के पन्ने चिपकाते देखा तो उनका गुस्सा गायब हो गया और वे मुस्कुरा उठे। काव्या ने देखा तो वह भी सोमित की तरफ देखकर नम आँखों से मुस्कुरा उठी।
उसी शाम छवि अपना बैग लेकर ऑफिस से बाहर निकल गयी। ऑटो ना मिलने की वजह से वह पैदल ही चल पड़ी। जहन में चल रही थी विष्णु की कही बातें और उसकी गन्दी नियत जिस से छवि अनजान नहीं थी। चलते चलते छवि का सर घूमने लगा और वह चक्कर आकर एकदम से सड़क पर आ गिरी। छवि के गिरते ही वहा लोगो की भीड़ जमा हो गयी लेकिन किसी ने उसे नहीं सम्हाला और ना हॉस्पिटल लेकर गए।
इत्तेफाक से विक्की भी उसी रास्ते से गुजर रहा था जब उसने भीड़ को देखा तो गाड़ी से नीचे उतरा और आगे आया। छवि को नीचे गिरा देखकर विक्की जल्दी से उसके पास आया और उसे सम्हालते हुए कहा,”छवि छवि उठो , छवि क्या हुआ तुम्हे ? छवि,,,,,,,,,,!!”
विक्की ने देखा छवि बेहोश हो चुकी है उसने वहा खड़े लोगो की मदद से छवि को अपनी गाड़ी में बैठाया और खुद ड्राइवर सीट पर आ बैठा। उसने गाड़ी स्टार्ट की और तेजी से वहा से निकल गया।
गाडी चलाते हुए विक्की बार बार परेशान सा अपने बगल में बैठी बेहोश छवि को देख रहा था। ये वही लड़की थी जिसे विक्की कभी देखना नहीं चाहता था , जिस से विक्की को नफरत थी। आज उसी लड़की को इस हाल में देखकर विक्की को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। विक्की छवि को लेकर हॉस्पिटल पहुंचा। स्ट्रक्चर ना मिलने की वजह से विक्की ने उसे अपनी गोद में उठाया और अंदर ले आया।
सामने से वार्ड बॉय स्ट्रेक्चर ले आया विक्की ने छवि को उस पर लेटाया और डॉक्टर से कहा,”सर ये अचानक से बेहोश हो गयी थी , आप प्लीज देखिये इसे क्या हुआ है ?”
“घबराईये मत,,,,,,,,,,,,,नर्स पेशेंट को इमर्जेन्सी वार्ड में लेकर चलो , आप यही रुकिए”,डॉक्टर ने विक्की से कहा और खुद वहा से चला गया
विक्की आँखों में बेचैनी और चेहरे पर परेशानी के भाव लिये जाती हुई छवि को देखता रहा। छवि के लिये ये भाव उसके मन में कब आये वह खुद नहीं जानता था
इमर्जेन्सी वार्ड के बाहर बैठा विक्की छवि के बारे में ही सोच रहा था। छवि को लेकर विक्की का गुस्सा अब कम हो चुका था। उसे अब अपने किये पर पछतावा और छवि के लिये हमदर्दी होने लगी। विक्की का फोन बजा विक्की ने फोन देखा कुमार का कॉल था। विक्की ने कॉल नहीं उठाया और फोन जेब में रख लिया। इस वक्त उसे सिर्फ छवि की परवाह थी वह किसी से बात करना नहीं चाहता था।
कुछ देर बाद डॉक्टर ने बाहर आकर विक्की से कहा,”वो अभी ठीक है , प्रेगनेंसी में ज्यादा स्ट्रेस लेने की वजह से उन्हें चक्कर आ गया था ,, लेकिन अभी वो ठीक है मैंने इंजेक्शन लगा दिया है थोड़ी देर में उन्हें होश आ जाएगा।”
“थैंक्यू डॉक्टर,,,,,!!”,विक्की ने कहा
“वैसे आप उनके क्या लगते है ?”,डॉक्टर ने एकदम से पूछ लिया
विक्की क्या कहता ? छवि के साथ उसका क्या रिश्ता है ये तो वह खुद भी नहीं जानता था वह कुछ देर खामोश रहा और फिर कहा,”फ्रेंड है,,,,,,,,,,,!!”
“ओके ! उनका ख्याल रखिये इस टाइम में उन्हें केयर की बहुत जरूरत है। आप चाहे तो उनसे मिल सकते है।”,डॉक्टर ने कहा और वहा से चले गए
विक्की इमरजेंसी वार्ड का दरवाजा खोलकर अंदर आया देखा सामने बिस्तर पर छवि लेटे हुयी थी।
विक्की उसके पास आया और खड़े होकर उसे देखने लगा। विक्की एकटक छवि के मासूम चेहरे को देखता रहा। छवि को अभी होश नहीं आया था इसलिए उसे विक्की के आने का आभास भी नहीं हुआ। विक्की वही पड़ी कुर्सी लेकर बैठ गया और छवि के होश में आने का इंतजार करने लगा।
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