Haan Ye Mohabbat Hai – 28
निहारिका दिल्ली वापस आ चुकी थी , मायूसी उसके चेहरे से साफ़ झलक रही थी जिस एक्साइटमेंट के साथ वह अक्षत से मिलने गयी थी वापसी में उतनी ही ज्यादा अपसेट थी। हर वक्त वह अपने कमरे में उदास सी बिस्तर पर लेटी रहती थी , अक्षत को उसे इग्नोर करना ना जाने क्यों खल रहा था ? ये जानते हुए भी की अक्षत शादीशुदा है निहारिका उसे पसंद करने लगी थी। सिन्हा जी दो दिन से किसी मीटिंग के सिलसिले में शहर से बाहर थे जब वापस आये तो घर नौकर ने उन्हें निहारिका के बारे में बताया और वे उसके कमरे में चले आये। निहारिका बांहो को समेटे तकिये पर रखे उलटी लेकर किसी सोच में डूबी थी। सिन्हा जी निहारिका के पास आये और उसकी बगल में बैठते हुए कहा,”नेहु , क्या बात है इतनी अपसेट क्यों हो तुम ?”
“डेड आप कब आये ?”,निहारिका ने उठते हुए कहा
“बस अभी कुछ देर पहले ही , सो कैसा रहा इंदौर ट्रिप ?”,सिन्हा जी ने जैसे ही पूछा निहारिका का चेहरा उदासी से घिर गया और उसने कहा,”नोट गुड़”
“क्यों ? मैंने अक्षत से कहा था तुम्हे इंदौर दिखाने के लिए”,सिन्हा जी कहा
“डेड मुझे आपसे कुछ बात करनी है”,निहारिका ने सिन्हा जी के हाथो को अपने हाथो में लेकर कहा
“हां कहो”,सिन्हा जी ने कहा
“मैं आपसे कुछ मांगू तो वो आप मुझे देंगे”,निहारिका ने आस भरी नजरो से अपने पापा को देखते हुए कहा
“मैंने तुम्हे कभी किसी चीज के लिए ना कहा है क्या बेटा ?”,सिन्हा जी ने कहा
“मुझे अक्षत व्यास चाहिए डेड”,निहारिका ने अपनी आँखों में चमक भरते हुए कहा
सिन्हा जी ने सूना तो हैरान रह गए और कहा,”निहारिका आर यू किडिंग विथ मी ? अक्षत व्यास की शादी हो चुकी है मैं उसकी पत्नी से मिला हूँ,,,,,,,,,,,,,,क्या नाम है उसका ?,,,,,,,,,,,हां मीरा , मीरा सिंह राजपूत , तुम्हे शायद पता ना हो पर उनकी लव मैरिज हुई है।”
“आई डोंट केयर डेड शादी तोड़ी भी जा सकती है”,निहारिका ने कहा
“हेव यू लोस्टेड नेहु ? शादी कोई गुड्डे गुड़ियों का खेल नहीं है जिसे जब चाहा खेला और जब चाहा मिटा दिया। मुझे तुम्हारी ये बात बिल्कुल पसंद नहीं आयी।”,सिन्हा जी ने नाराज होकर कहा
“बट आई लाइक हिम डेड , मुझे किसी भी हाल में अक्षत चाहिये”,निहारिका ने भी गुस्से से कहा
“तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है , ये सब मेरे लाड प्यार का नतीजा है नेहू जो आज तुम्हे सही गलत में फर्क समझ नहीं आ रहा। तुम्हारी इस बेवकूफाना हरकत में मैं कभी साथ नहीं दूंगा”,कहते हुए सिन्हा जी उठे और वहा से चले गए। निहारिका गुस्से से उठी और उनके पीछे आते हुए कहा,”आप भले मेरा साथ दे या ना दे मैं उसे हासिल करके रहूंगी” और दरवाजा जोर से बंद कर दिया
अपने कमरे में आकर सिन्हा जी परेशानी में पड़ गए। अक्षत उनकी कम्पनी डायमंड खरीदने का कॉन्ट्रेक्ट करने वाला एक नॉर्मल बिजनेसमैन था , अक्षत शादीशुदा था और ऐसे में निहारिका का उसे पसंद करना उन्हें और परेशान कर गया। सिन्हा जी जानते थे की निहारिका एक बहुत ही जिद्दी लड़की है और अपनी जिद के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है। सिन्हा जी को सोच में डूबा देखकर उनका पी.ए. उनके पास आया और कहने लगा,”सर छोटा मुंह बड़ी बात होगी , क्यों ना आप एक बार अक्षत जी से बात करके उन्हें ये सब बताये”
“तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है , निहारिका क्या चाहती है जानते भी हो तूम ?”,सिन्हा जी ने गुस्से से कहा
“सर मैं कहना चाहता हु की क्यों ना अक्षत जी से इस मामले में हेल्प ली जाये , वो अगर निहारिका बिटिया को समझायेंगे तो शायद वो समझे”,पी.ए. ने डरते डरते कहा
”हां तुम ठीक कह रहे हो”,सिन्हा जी ने कहा और फिर पी.ए. को वहा से जाने को कह दिया और खुद एक बार फिर निहारिका के बारे में सोचने लगे।
अक्षत दिनभर अपने कामो में बिजी रहा शाम में घर आया। आज घर का माहौल कुछ बदला हुआ सा था , चारो और शांति छाई हुई थी चीकू भी कही दिखाई नहीं दे रहा था। अक्षत ऊपर अपने कमरे में चला आया। फ्रेश होकर उसने कपडे बदले , ट्राउजर और हुडी पहन ली। आज ठण्ड थोड़ी ज्यादा थी , अक्षत ने बेड से अपना फोन उठाया और मीरा को फोन लगा दिया , स्क्रीन पर “LifeLine” एक छोटे लाल दिल के साथ देखकर अक्षत मुस्कुरा उठा और फोन कान से लगा लिया। दूसरी और से मीरा ने थोड़ी देर बाद फोन उठाया – हैलो
“मायके जाते ही हमे भूल गयी आप मीरा जी”,अक्षत ने मीरा की तरह बात करते हुए कहा
“ऐसा आपसे किसने कहा ? हमे तो आप हमेशा याद रहते है”,मीरा ने बड़े प्यार से कहा
“अच्छा तो फिर जाने के बाद एक बार भी फोन क्यों नहीं किया ?”,अक्षत ने पूछा
“हमे लगा आप बिजी होंगे , जब फ्री हो जायेंगे तब आप खुद कर लेंगे”,मीरा ने कहा
“हाँ बिजी तो था , आज कोर्ट जाना था ना इसलिए , अच्छा एक मिनिट मैं रूम से बाहर आकर बात करता हूँ यहाँ नेटवर्क नहीं है”,कहते हुए अक्षत कमरे से बाहर आया और हॉल में घूमते हुए मीरा से बात करने लगा।
“जुखाम हुआ है आपको ?”,मीरा ने सवाल किया
“हम्म्म थोड़ा सा”,अक्षत ने कहा
“दवा ली ?”,मीरा ने फिर सवाल किया
“मीरा ठीक हूँ मैं,,,,,,,,,अच्छा ये बताओ वापस कब आ रही हो तुम ? तुम्हारे बिना कुछ अच्छा नहीं लग रहा है”,अक्षत ने उदास होकर कहा
“फ़िलहाल तो हम अपने घर में रहकर सबके साथ मजे कर रहे है , तो अभी नहीं आएंगे”,मीरा ने अक्षत को छेड़ते हुए कहा
“हां हां सही है करो मजे , हमारा क्या है हम रह लेंगे अकेले”,अक्षत ने कहा
“मजाक कर रहे है पापा ने दो दिन बाद कोई पूजा रखवाई है उसके बाद वापस आ जायेंगे , और हां पापा ने कहा है आपको भी पूजा में शामिल होना है”,मीरा ने कहा।
“ठीक है मैं आजाऊंगा , तुम अपना ख्याल रख रही हो ना , दवा टाइम से ले रही हो या नहीं ?”,अक्षत हॉल में घूमते हुए छत की सीढ़ियों की और चला गया और ऊपर छत पर जाने लगा।
“हां समय से ले रहे है बस थोड़ा वोमिटिंग प्रॉब्लम है”,मीरा ने कहा
“शुरू के तीन महीनो में ये होता है , तुम बस अपना ख्याल रखो”,अक्षत ने कहा
“ये सब आपको कैसे पता ?”,मीरा ने शरारत से पूछा तो अक्षत कहने लगा,”देखो मीरा तुम माँ बनने वाली हो और जब कोई लड़की माँ बनती है तो उसके साथ साथ उस बच्चे का फादर भी अपनी जिम्मेदारियां निभाता ही है भले बच्चे को जन्म माँ दे लेकिन फीलिंग्स तो पापा को भी महसूस होती है ना”
“हम्म्म्म , हम जल्दी आएंगे आपके बिना हमे भी यहाँ अच्छा नहीं लग रहा है”,मीरा ने कहा
अक्षत मीरा से बात कर ही रहा था की तभी उसकी नजर छत पर खड़े अर्जुन पर चली गयी। अर्जुन का उदास चेहरा देखकर अक्षत ने कहा,”मीरा मैं थोड़ी देर में फोन करता हूँ , बाय”
अक्षत ने फोन काटकर जेब में रखा और अर्जुन के पास चला आया। अर्जुन को सोच में डूबा देखकर अक्षत ने कहा,”भाई आप ठंड में यहाँ क्यों खड़े है ?”
“तू तू कब आया ?”,अर्जुन ने जैसे नींद से जागते हुए कहा।
“बस अभी आप बताओ आप यहाँ क्या कर रहे हो ?”,अक्षत ने अर्जुन की बगल में खड़े होते हुए कहा
अर्जुन सुबह वाली बात से परेशान था , घर में कोई भी उस से बात नहीं कर रहा था और नीता उस से बात करने का मन अर्जुन का नहीं था। अर्जुन को चुप देखकर अक्षत ने कहा,”भाई सब ठीक है ना , आप कुछ परेशान नजर आ रहे है ?”
अर्जुन ने अक्षत को सारी बातें बता दी अक्षत शांति से सब सुनता रहा और फिर कहने लगा,”देखो भाई शादी के बाद आपकी एक जिम्मेदारी भाभी और चीकू की तरफ भी बनती है। इन कुछ महीनो में काम की वजह से आप भाभी को उतना वक्त नहीं दे पा रहे है उनका शिकायत करना जायज है। पापा ने जो किया वो उनको नहीं करना चाहिए था अमायरा उनका सपना है उस पर उनका हक़ है आपका और मेरा नहीं , आप कहो तो भाभी से मैं बात करता हूँ”
“नहीं आशु नीता से इस वक्त बात करने का कोई फायदा नहीं है , नीता का बिहेवियर इन दिनों काफी बदल चुका है , वो खुद को मीरा से कम्पेयर करने लगी है ,, तुम्हे मुझसे,,,,,,,,,!!!”,अर्जुन ने उदासी भरे स्वर में कहा
“भाई मैं चाहू तब भी आप जैसा नहीं बन सकता , मैं जानता हूँ आपने डेड के साथ मिलकर कितनी मेहनत की है मैंने तो हमेशा अपनी लाइफ इंजॉय की लेकिन आपने अपना सारा वक्त पापा के काम को दिया और रही बात मीरा की तो उसे इस घर में थोड़ा ज्यादा प्यार मिल जाता है लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है की घर में भाभी को कोई चाहता नहीं और चीकू तो इस घर की मेरी जान है ,, मैं कभी नहीं चाहूंगा एक छोटी सी गलतफहमी की वजह से इस घर का बटवारा हो”,अक्षत ने कहा
“बहुत समझदार हो गया है तू काश ये बात नीता को भी समझ आती”,अर्जुन ने अक्षत के गाल को छूकर कहा
“भाई आप सिर्फ मेरे भाई ही नहीं एक दोस्त , एक अडवाइजर और वेलविशर भी है। मैं कभी नहीं चाहूंगा मेरे या मीरा की वजह से भाभी के मन में कोई गलत भावना आये ,, आप दोनों एक काम कीजिये एक हफ्ते के लिए किसी वेकेशन पर चले जाईये। साथ में कुछ वक्त बिताएंगे तो हो सकता है चीजे शार्ट आउट हो”,अक्षत ने कहा
“मुझे भी यही लगता है की मुझे नीता को थोड़ा वक्त देना चाहिए , लेकिन ऑफिस,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने कहा
“वो पापा और जीजू देख लेंगे आप जाओ और सब शार्ट आउट करके आओ , गुड़ नाईट”,कहकर अक्षत चला गया
उसे जाते देखकर अर्जुन मन ही मन कहने लगा,”तेरी जगह कोई और भाई होता तो इस बात को इतना लाइट नहीं लेता आशु , लेकिन तुझे अपनों की और अपनों से जुड़े रिश्तो की फ़िक्र है। तू भले मुझसे छोटा है लेकिन कभी कभी बड़े होने का अहसास दिला जाता है”
अक्षत अपने कमरे में चला आया , उसने अपना लेपटॉप खोला और अर्जुन नीता के लिए एक हफ्ते का वेकेशन बुक कर दिया। अपने भाई के चेहरे पर उदासी वह भला कैसे देख सकता था ? रात बहुत हो चुकी थी इसलिए मीरा को फोन नहीं किया और आकर बिस्तर पर लेट गया। कुछ देर बाद नींद ने उसे अपने आगोश में ले लिया।
सुबह सभी नाश्ते की टेबल पर जमा थे और ख़ामोशी से सब नाश्ता कर रहे थे। तभी अक्षत उठा और चम्मच से अपनी प्लेट बजाते हुए कहा,”हेलो हेलो एवरीवन अटेंशन प्लीज ! मैं देख रहा हूँ कल से घर में कुछ टेंशन का माहौल चल रहा है सो उसे चिल करने के लिए मैंने आज शाम को घर में होम पार्टी ऑर्गनाइज की है सो सबको आना है सिवाय अर्जुन भैया और भाभी के”
“अर्जुन और नीता क्यों नहीं आएंगे ?”,राधा ने पूछा
“इनके जाने की ख़ुशी में ही तो पार्टी दे रहा हूँ मैं”,अक्षत ने अर्जुन की और देखकर कहा तो अर्जुन उसका इशारा नहीं समझा।
“ये कैसी बाते कर रहे हो अक्षत ?”,विजय जी ने कहा
“अरे पापा अर्जुन भैया और भाभी एक हफ्ते के लिए घर से बाहर जा रहे है , मैंने इनके लिए टिकट्स बुक करवा दी है”,कहते हुए अक्षत नीता की और आया और कहने लगा,”भाभी आपकी जगह इस घर में और हम सबके दिलो में हमेशा रहेगी , मीरा अपनी जगह है और आप अपनी जगह आपकी जगह कोई नहीं ले सकता , वी ऑल लव यू भाभी बस कभी खुद को इस घर से अलग समझने की भूल मत करना”
अक्षत की बातें सुनकर नीता रो पड़ी और कहने लगी,”आई ऍम सॉरी मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी , अनजाने में मैंने आप सब लोगो का दिल दुखाया मुझे माफ़ कर दीजिये”
दादू दादी ने सूना तो मुस्कुरा उठे , राधा ने नीता को रोते देखा तो उसका मन भर आया और वह उसके पास आकर उसे चुप कराते हुए कहने लगी,”छुप हो जाओ नीता तुम्हे तुम्हारी गलती का अहसास हो गया यही बहुत है , अब मुस्कुराओ और जाकर अपना सामान पैक करो”
“नहीं आप लोगो को छोड़कर मैं कही नहीं जाउंगी”,नीता ने अपने आंसू पोछते हुए कहा
“अरे तो फिर उन टिकट्स का क्या जो मैंने बुक की है ?”,अक्षत ने एकदम से कहा
“वहा हम चले जायेंगे,,,,,,,,,,,क्यों सुमित्रा जी ?”,दादू ने दादी की और देखकर कहा तो विजय जी ने हैरानी से कहा,”पापा इस उम्र में ?”
“अरे पापा डोंट वरी वैसे भी मैंने केदारनाथ की टिकट्स बुक की है”,अक्षत ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा
“तो फिर तय रहा हम और सुमित्रा जी जा रहे है केदारनाथ”,दादू ने कहा तो विजय जी ने हामी भर दी। अर्जुन खा जाने वाली नजरो से अक्षत को देख रहा था कहा बेचारा गोआ मनाली घूमने के सपने देख रहा था कहा अक्षत ने उसके लिए केदारनाथ की टिकट बुक करवा दी। अर्जुन ने अपने पापा से सॉरी कहा तो विजय जी ने अपना हाथ उसके हाथ पर रखकर कहा,”तुम दोनों को अपनी गलती का अहसास हो गया मेरे लिए इतना ही काफी है , चलो अब नाश्ता करो”
विजय जी ने कहा और फिर नीता की और देखकर कहा,”नीता बेटे नाश्ता परोसो सबके लिए”
“जी पापा जी”,नीता ने खुश होकर कहा , एक बहुत बड़ी गलतफहमी दूर हुई।
क्रमश – Haan Ye Mohabbat Hai-29
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संजना किरोड़ीवाल