Haan Ye Mohabbat Hai – 99
सिगरेट के कश लगाता अक्षत गुस्से से भरी आंखो से शुभ को घूरे जा रहा था जबकि शुभ उतने ही प्यार से अक्षत को देख रहा था। अक्षत ने सिगरेट खत्म की और फेंककर शुभ से कहा,”अमायरा को क्यों मारा ?”
“मैंने सोचा नहीं था तुम इतने बेवकूफ निकलोगे,,,,,,,,,,,,तुम्हे वकील किसने बना दिया यार ?,,,,,,,,,,,,!”,शुभ ने अपने हाथो को नचाते हुए कहा
अक्षत हैरानी से शुभ को देखने लगा , शुभ अपनी कुर्सी से उठा और यहाँ से वहा घूमते हुए कहने लगा,”मीरा के लिये तुमने मुझे जेल भेज दिया , हाँ मानता हूँ लालच के चलते मैंने मीरा के साथ गलत किया लेकिन तूने क्या किया ? तूने दोस्ती ही खत्म कर दी और मुझे अपनी सफाई में कुछ कहने का मौका भी नहीं दिया , अरे मैं माफ़ी मांगता , सुधारता खुद को लेकिन तूने तो सीधा मुझे अपनी जिंदगी से निकाल फेंक दिया वो भी सिर्फ एक लड़की के लिये,,,,,,,,,,,,,,,7 साल पुरे 7 साल मैं जेल की उन चार दीवारों के बीच रहकर आया हूँ।
तुझे याद है हमारा रिश्ता हम सिर्फ दोस्त नहीं बल्कि भाई थे , लेकिन तुमने उस रिश्ते को ही खत्म कर दिया,,,,,,,,,,,,,,,,तुझे याद होगा हमारा वो वकील बनने का सपना जो हमने साथ साथ देखा था लेकिन तुम्हारी वजह से वो सपना अधूरा रह गया,,,,,,,,,,,,मैं अपने माँ-बाप की इकलौती औलाद था और तुम्हारे एक फैसले ने उन्हें अपने बच्चे से दूर कर दिया और एक वक्त के बाद उन्होंने खुदखुशी कर ली,,,,,,,,!!”
कहकर शुभ कुछ देर के लिये खामोश हो गया और फिर आगे कहने लगा,”तुम्हारी वजह से मैंने अपना सब कुछ खो दिया , अपना नाम , अपना सपना , अपना परिवार सब,,,,,,,,,,,,जेल से बाहर आने के बाद मेरी जिंदगी का एक ही मकसद था “अक्षत व्यास” की बर्बादी,,,,,,,,,,,,,,,मैंने पहला वार उस सपने पर ही किया जो हम दोनों ने साथ मिलकर देखा था,,,,,,,,,,,वकालत , बहुत घमंड था ना तुम्हे अपने वकील होने पर तो सबसे पहला वार मैंने उसी पर किया। छवि दीक्षित को एक बार मैंने तुम्हारे साथ देखा था बस वही से लगा कि इस कहानी का बकरा छवि होगी ,
छवि के किडनेप में मैंने विक्की सिंघानिया की मदद की,,,,,,,,,,,हाँ मैंने ही उसका किडनेप किया था। उसके वकील का एक्सीडेंट भी मैंने ही करवाया था क्योकि मैं चाहता था तुम ये केस लड़ो,,,,,,,,,,,,और वही हुआ ,, मैंने दुसरा वार तुम्हारी फॅमिली पर किया “तुम्हारी बेटी” सिंघानिया के साथ डील करके विक्की को बचाने के लिये मैंने तुम्हारी बेटी का किडनेप किया,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो बहुत सुन्दर थी बिल्कुल तुम्हारी तरह,,,,,,,,,,,,,,जिस तरह मुझसे दूर होने का दर्द मेरे माँ बाप ने सहा वही दर्द मैं तुझे और मीरा को देना चाहता था।
हाँ मैंने ही उसका किडनेप किया और तुझे केस में चुप रहने को कहा ताकि तू ये केस हार जाये और छवि की नजरो में गिर जाए। तू ये केस हार गया और कोर्ट ने तेरा लायसेंस भी रद्द कर दिया। तेरा घमंड टूट चुका था और तीसरा वार किया मैंने तेरी मोहब्बत पर,,,,,,,,,,,,जिस मोहब्बत के लिये तूने बरसो की दोस्ती तोड़ दी , तेरी वही मोहब्बत मीरा तुझे छोड़कर चली गयी।
मैंने तुझे वो दर्द दिया जिसकी तूने कभी कल्पना भी नहीं की थीं,,,,,,,,,मुझे ढूंढने के लिये तू दर दर भटकता रहा और आखिर में मुझ तक पहुच भी गया लेकिन तू ये जान पाये तेरे साथ खेलने वाला कौन है इस से पहले मैंने खुद को मारने का दिखावा किया और ट्रेन के सामने आ गया। तूने मान लिया अमायरा का कातिल मर चूका है लेकिन अमायरा का कातिल आज भी हम सबके बीच घूम रहा है।”
“और वो कातिल तू है,,,,,,,,,,,क्यों किया तूने ऐसा ? क्यों मारा तूने उसे आखिर उस मासूम की इन सब में क्या गलती थी ?”,कहते हुए अक्षत उठा और दो तीन घुसे शुभ को जड़ दिए। शुभ भी कहा पीछे रहने वाला था उसने भी जवाब में अक्षत को मारा और उसकी कॉलर पकड़कर गुस्से से कहा,”मैंने उसे नहीं मारा है ,,, मै अपने ही दोस्त की बेटी को कैसे मार सकता हूँ ?”
कहते हुए शुभ ने अक्षत को पीछे धक्का दे दिया अक्षत लड़खड़ाया लेकिन खुद को सम्हाल लिया।
शुभ को गुस्से में देखकर अक्षत खामोश हो गया लेकिन अमायरा को खो देने का दर्द उसके चेहरे से साफ झलक रहा था। शुभ ने होंठ पर लगा खून पोछा और कहा,”नहीं मारा मैंने उसे लेकिन तुझे मौका दिया ना उसे ढूंढने का,,,,,,,,,,,,फिर क्यों नहीं ढूंढ पाया तू उसे , जेल से बाहर आने के बाद मेरा मकसद सिर्फ तुझे बर्बाद करना था लेकिन जब मैं कुछ दिन बाहर रहा तब समझ आया कि सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि तेरे अपने ही तेरे दुश्मन बने बैठे है , तेरे दोस्त , तेरे रिश्तेदार , तेरे करीबी जिन पर तू बहुत भरोसा करता था,,,,,,,,मैं तुझे बर्बाद कर चुका था ,
लेकिन तेरी जिंदगी से जाने से पहले मैं उन सब लोगो का असली चेहरा तेरे सामने लाना चाहता था,,,,,,,,,,,,,अगर मै तुझे ये सब बताता तो तू यकीन करता क्या मेरी बात पर ? बोल करता,,,,,,,,,नहीं करता क्योकि तेरी नजरो मैं पहले ही मुजरिम साबित हो चुका था लेकिन क्या करू ये दिल नहीं माना ,, भाई बोला था ना तुझे तो तुझे मजबूर किया ताकि तू खुद उन लोगो के चेहरों से नकाब उतार सके,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए शुभ हांफने लगा। अक्षत फटी आँखों से शुभ को देखता रहा ,
शुभ ने अक्षत को खामोश देखा तो कहने लगा,”बेटी को खो देने के गम में तू सब भूल चुका था इसलिए छवि दीक्षित केस रीओपन हुआ और मैंने तुझे फिर से परेशान करना शुरू कर दिया जिस से तेरा ध्यान अमायरा से हटकर मुझ पर आ जाये और मुझे ढूंढते हुए तू हर उस धोखे से गुजरे जो तेरे अपने तुझे देना चाहते थे। हाँ मुझसे गलती हुई थी मैंने मीरा की जायदाद के लालच में आकर उसके साथ बुरा बर्ताव किया लेकिन वो गलती उन सब धोखो से बहुत छोटी थी जो तेरे अपनों ने तेरे साथ किये,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“अगर तूने अमायरा को नहीं मारा है तो फिर किसने मारा है ?”,अक्षत ने बदहवास सी हालत में कहा
“तू नहीं जानता,,,,,,,,,अमायरा से जुड़ा सबूत नहीं देख के आया उसके घर पर,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शुभ ने गुस्से से कहा
“मैं जानता हूँ अमायरा को किसने मारा ?”,इंस्पेक्टर कदम्ब ने वहा आते हुए कहा
उनके साथ साथ अर्जुन , विजय जी , सोमित जीजू और राधा भी थे। राधा ने मीरा को बेसुध देखा तो दौड़कर उसकी तरफ गयी और उसे सम्हाला। राधा को वहा देखकर मीरा रो पड़ी और उनके सीने से आ लगी।
अक्षत हैरानी से इंस्पेक्टर कदम्ब को देखने लगा तो उन्होंने पलटकर कहा,”कॉन्स्टेबल ! अंदर लेकर आओ इन्हे,,,,,,,,!!”
कॉन्स्टेबल अमायरा के कातिल को अंदर लेकर आया अक्षत ने जैसे ही उन्हें देखा उसके चेहरे का रंग उड़ गया। अमायरा का कातिल कोई और नहीं बल्कि मोनालिसा की माँ थी।
अर्जुन , सोमित जीजू और राधा को भी अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। किसी ने भी नहीं सोचा था वे ऐसा कुछ करेगी बल्कि किसी के जहन में उनका ख्याल तक नहीं आया था। अक्षत थके कदमो से उनकी तरफ आया और कहा,”क्यों किया आपने ऐसा ? आखिर क्या गलती थी उसकीं ? क्यों मार दिया आपने उसे ?”
कहते हुए अक्षत एकदम से चिल्ला उठा और जैसे ही मोनलिसा की माँ की तरफ बढ़ा
“अक्षत,,,,,,,,,!!”,इंस्पेक्टर कदम्ब ने अक्षत को रोकते हुए कहा तो सोमित जीजू ने अक्षत को पकड़ लिया और कहा,”अक्षत नहीं,,,,,,,,,,,,!!”
“क्यों मार दिया आपने उसे ? आखिर उसने आपका क्या बिगाड़ा था ? आप उसे कैसे मार सकती है ?”,सोमित जीजू की बांहो से छूटने की कोशिश करते हुए अक्षत ने कहा लेकिन सोमित जीजू ने उसे बहुत मजबूती से पकड़ रखा था।
मोनालिसा की माँ चेहरे पर कोई भाव नहीं थे , ना अमायरा को मारने अफ़सोस था ना ही वे अपने किये पर शर्मिन्दा थी। बस बुझी आँखों से अक्षत को देखे जा रही थी।
“कल रात पैसेंजर्स की चेकिंग के बाद वापस एयरपोर्ट गया था। वहा से मैंने लिस्ट निकलवाई तो देखा उसमे इनका भी नाम था ये इंडिआ से बाहर जा रही थी लेकिन पूछताछ के वक्त इन्होने कहा ये अपने किसी रिलेटिव को छोड़ने आयी है बस उसी वक्त से मुझे इन पर शक था।
मैंने तहकीकात की और जब इनके घर की तलाशी ली तो मुझे वहा अमायरा से जुड़ा सामान मिला। मेरा शक यकीन में बदल गया और जब मैंने इनसे पूछताछ की तो इन्होने ये कुबूल किया कि अमायरा को इन्होने मारा है , इन्होने उसे क्यों मारा ये अब ये खुद बताएगी ? क्योकि इतनी छोटी बच्ची से इनकी भला क्या दुश्मनी हो सकती है ? बताओ क्यों मारा तुमने उसे ?,,,,,,,,,,,,,,,!!”,इंस्पेक्टर कदम्ब ने कहा
अक्षत धड़कते दिल के साथ उनके बोलने का इंतजार कर रहा था। मोनालिसा की माँ ने अक्षत को देखा और कहने लगी,”मोनालिसा मेरी इकलौती बेटी थी , बड़े
नाजों से पाला था मैंने उसे ,, उसकी हर ख्वाहिश हर जिद पूरी की लेकिन वो तुम से प्यार कर बैठी और तुम्हे हासिल करने की जिद के चलते उसने खुद को बर्बाद कर लिया,,,,,,,,,,,,,तुम्हारी वजह से सिर्फ तुम्हारी वजह से उसकी जान चली गयी ,, मैंने खुद को बहुत समझाया कि वो सिर्फ एक हादसा था लेकिन माँ हूँ ना एक बेटी को खोने का दर्द क्या होता है मुझसे बेहतर कौन जान सकता है ?
माँ होकर मैं अपनी बेटी के कातिलों से बदला नहीं ले पायी,,,,,,,,,,,,,,मैं लगभग सब भूल चुकी थी लेकिन जब तुम्हारी बेटी को देखा तो मेरे बदले की भावना फिर जाग उठी,,,,,,,,,,,,हाँ मैंने मारा है तुम्हारी बेटी को ताकि अपनी बेटी को खोने का दर्द क्या होता है ये तुम्हे और मीरा को भी महसूस हो,,,,,,,,,,,, अपनी बेटी को खो देने की जिस आग में आज मैं जल रही हूँ , तुम और मीरा भी उस आग में जलो,,,,,,,,,,,तुम भी तड़पते रहो और तुम्हे तड़पता देखकर मेरी बेटी की रूह को सुकून मिलेगा,,,,,,,,,,,,!!”
अक्षत ने सुना तो घुटनो के बल नीचे आ गिरा उसने कभी सोचा नहीं था उसकी वजह से एक दिन उसकी बेटी की जान चली जायेगी। अक्षत ने मोनालिसा की माँ को देखा और नफरत भरे स्वर में कहा,”आपको औरत कहते हुए भी मुझे शर्म आ रही है एक माँ होते हुए भी आप दूसरी माँ से उसकी औलाद कैसे छीन सकती है ? मोनालिसा का जाना एक हादसा ही था मैंने उसे बचाने की हर कोशिश की लेकिन आखरी वक्त में उसने मेरा हाथ छोड़ दिया और वो खाई में जा गिरी।
मैंने उसे नहीं मारा,,,,,,,,,,लेकिन इस बात की सजा आपने मेरी बेटी को क्यों दी ? उसने किसी का क्या बिगाड़ा था ?”
कहकर अक्षत रोने लगा , सच जानकर वह रोने लगा था। कहते है मर्द कभी रोता नहीं लेकिन इस वक्त अक्षत का रोना इतना तकलीफ देह था कि वहा मौजूद सबके चेहरों से दर्द टपकने लगा। अक्षत ने अपना सर झुका लिया , शुभ ने कुछ देर पहले जो बातें कही वो सब सच थी अक्षत के अपनों ने ही उसे सबसे ज्यादा धोखे दिए।
इंस्पेक्टर कदम्ब ने देखा तो अक्षत के पास आया और कहा,”अक्षत सम्हालो अपने आप को सही मायनो में आज तुम्हारी बेटी को इंसाफ मिल गया है। उसके कातिल हमारे सामने है और कानून से उनको सजा जरूर मिलेगी,,,,,,,,,,सम्हालो खुद को,,,,,,,,,,,कॉन्स्टेबल लेकर चलो इन मैडम को थाने और हाँ मिस्टर शुभ शर्मा आप भी बहुत आँख मिचोली खेल ली तुमने कानून के साथ चलो अब हवालात की हवा खिलाता हु”
शुभ ने सुना तो डरने या घबराने के बजाय इंस्पेक्टर कदम्ब की तरफ आया और ख़ुशी ख़ुशी अपने हाथो को उनके सामने करके कहा,”ओह्ह्ह प्लीज इंस्पेकटर मैं भी बाहर रहकर जेल की खिचड़ी को बहुत मिस कर रहा हूँ , वैसे भी इस बाहर की दुनिया में मेरा कोई अपना नहीं है तो जेल ही सही,,,,,,,,,चलो चलते है।”
इंस्पेकटर कदम्ब ने शुभ को गिरफ्तार किया और ले जाने लगे तो शुभ ने कहा,”एक मिनिट”
शुभ अक्षत के सामने आया और कहा,”मैंने तुम्हारे साथ जो किया उसके लिये कोई माफ़ी तो नहीं है फिर मैं तुमसे एक बात कहना चाहूंगा “हर दोस्त दुश्मन नहीं होता” मैं दुआ करूंगा तेरी जिंदगी में फिर से कोई शुभ ना आये,,,,,,,,,,,,चलता हूँ”
कहकर शुभ वहा से चला गया अक्षत का दिल किया जाने से पहले शुभ को रोककर उस से माफ़ी मांग ले लेकिन अक्षत कुछ बोल ही नहीं पाया।
जाते जाते शुभ पलटा और हँसते हुए कहा,”सुन कमीने ! तुझसे किया वादा निभा दिया है मैंने,,,,,,,,,बाहर बोर्ड पर तेरा नाम लिखकर,,,,,,,,!!”
और इस पल अक्षत खुद को रोक नहीं पाया वह दौड़कर शुभ के सामने आया और उसे गले लगाते हुए कहा,”हो सके तो मुझे माफ़ कर देना,,,,,!!”
“नहीं यार मैंने जो किया उसकी सजा मुझे मिलने बहुत जरुरी थी,,,,,,,,,,,मीरा का ख्याल रखना और जो हुआ उसे भूल जाना”,कहते हुए शुभ ने अक्षत की पीठ थपथपाई और इंस्पेकटर कदम्ब के साथ वहा से चला गया।
अक्षत थके कदमो से वापस लौट आया। राधा मीरा को सम्हाले उसे लेकर सबके पास चली आयी। अक्षत का चेहरा , हाथ खून से लथपथ थे। मीरा आँखों में आँसू भरे उसके पास आयी और कहा,”अक्षत जी मुझे माफ़,,,,,,,,,,,,,!!”
मीरा इतना ही कह पायी कि अक्षत ने उसके चेहरे को अपने हाथो में थामा और अपने होंठो को मीरा के होंठो पर रख दिया। उसने मीरा को आगे बोलने का मौका ही नहीं दिया। राधा , विजय जी , सोमित जीजू और अर्जुन घर के बड़े थे और वही मौजूद थे लेकिन अक्षत ने किसी की तरफ ध्यान नहीं दिया बेचारे इन बड़ो को ही अपनी गर्दन घुमानी पड़ी।
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संजना किरोड़ीवाल