Sanjana Kirodiwal

Haan Ye Mohabbat Hai – 88

Haan Ye Mohabbat Hai – 88

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

सौंदर्या और विवान सिंह का असली राज सबके सामने आ चुका था। वरुण ने अपने ही पिता के खिलाफ अक्षत को सबूत देकर मीरा के भाई होने का फर्ज निभाया। इंस्पेक्टर कदम्ब ने विवान सिंह और सौंदर्या के खिलाफ सबूत जमा कर उन्हें हवालात में बंद कर दिया। विजय जी और बाकि सब घरवाले चाहते थे कि मीरा घर आ जाये लेकिन अक्षत से माफ़ी मांगे बिना मीरा घर आना नहीं चाहती थी। वह चाहती थी घर वापस आने से पहले उसके और अक्षत के बीच की सभी गलतफहमियां दूर हो जाये और अक्षत खुद उसे अपने घर जाए।

वही अक्षत पार्टी वाली रात के बाद से घर ही नहीं गया था। अमर जी के घर से निकलकर अक्षत कोर्ट पहुंचा। उसने कुछ जरुरी काम निपटाए और सचिन से कहा,”सचिन मुझे किसी जरुरी काम से बाहर जाना है , हो सकता है कल कोर्ट भी ना आ सकू ,, मैंने स्टडी के लिये कुछ फाइल्स तुम्हारे टेबल पर रखे है उन्हें तैयार करके मेरी टेबल पर रख देना।”
“जी सर”,सचिन ने कहा तो अक्षत जाने लगा
“सर,,,,,,,!!”,सचिन ने कहा
“हाँ,,,,!!”,अक्षत ने पलटकर कहा


“कल छवि दीक्षित केस की आखरी सुनवाई है,,,,,,,,,,,!!”,सचिन ने डरते डरते कहा
“हाँ मैं जानता हूँ,,,,,,,,,,,,लेकिन तुम ये मुझे क्यों बता रहे हो ?”,अक्षत ने कहा
“सर क्या आपको नहीं लगता आपको यहाँ होना चाहिए ? केस रीओपन होने के बाद आप एक बार भी हियरिंग में नहीं आये ,, सर आप कब तक इस गिल्ट में रहेंगे कि आप छवि को इंसाफ नहीं दिला पाए जबकि आप जानते है उस वक्त हालात ऐसे थे कि आपको हारना पड़ा और वैसे भी मुझे नहीं लगता चोपड़ा जी और सूर्या सर मिलकर भी छवि को इंसाफ दिला पाएंगे”,सचिन ने अपने दिल की बात अक्षत के सामने रख दी


अक्षत हल्का सा मुस्कुराया और कहा,”सचिन छवि दीक्षित केस में मैं खामोश इसलिए नहीं रहा था कि मैं मजबूर था बल्कि मैं जानता था विक्की सिंघानिया बेकसूर है। कभी कभी हमारी आँखों के सामने घट रहा सब सच नहीं होता है। मैं अपने हालातो के लिये इस केस को जिम्मेदार नहीं मानता , मैं नहीं तो छवि दीक्षित का केस कोई और लड़ता , मेरी बेटी का इस दुनिया से जाना तय था ये बात समझने में मुझे महीनो लग गए ,, मैं कोई गिल्ट में नहीं जी रहा लेकिन मैं अब किसी को इंसाफ की झूठी उम्मीद भी नहीं दे सकता,,,,,,,,,,,,

छवि को इंसाफ दिलाने वाले चोपड़ा जी और सूर्या नहीं है , छवि को इंसाफ मिलेगा उसकी सच्चाई के कारण , भरोसा रखो सचिन,,,,,,,,मुझे यकींन है कल छवि दीक्षित केस की सुनवाई , आखरी सुनवाई होगी और इस केस को फिर से रीओपन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी,,,,,,,,,,!!”
“सर,,,,,,,,!!”,सचिन ने कहना चाहा लेकिन अक्षत ने उसे रोकते हुए कहा,”मुझे अब चलना चाहिए”
“हम्म्म,,!!”,सचिन आगे कुछ बोल ही नहीं पाया

 अक्षत वहा से चला गया। अपना बैग और कोट लिये वह नीचे आया और माथुर साहब के केबिन में चला आया। अक्षत ने देखा जिस जगह चित्रा बैठती है वो जगह आज खाली थी। न जाने क्यों पर अक्षत के चेहरे पर उदासी आ गयी उसने देखा माथुर साहब वहा नहीं तो वह जाने के लिये पलटा तभी सामने से आते माथुर साहब  दिखाई दिए और कहा,”अरे अक्षत तुम यहाँ ?”
“हाँ सर ! दरअसल मैं किसी जरुरी काम से बाहर जा रहा हूँ ,, सचिन के पास मैंने एक फाइल छोड़ी है अगर वो केस आप उसे समझा दे तो , कल उसके लिए आसान हो जाएगा।”,अक्षत ने कहा


“तो क्या कल तुम कोर्ट नहीं आ रहे ?”,माथुर साहब ने हैरानी से पूछा
“शायद,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने बुझे स्वर में कहा  
“ये जानते हुए भी कि कल छवि दीक्षित केस की लास्ट हियरिंग है , तुम्हे आना चाहिए अक्षत कम से कम तुम्हे ये तो पता चले लास्ट टाइम तुम से कहा भूल हुई ?”,माथुर साहब ने अक्षत को समझाते हुए कहा
“भूल नहीं सर गलती कहिये,,,,,,,,,मैं चलता हूँ सर फिर मिलेंगे”,कहकर अक्षत वहा से निकल गया


“ओह्ह अक्षत ! तुम नहीं जानते तुम कितने काबिल वकील हो लेकिन सिर्फ़ एक हादसे ने तुम्हे पूरा बदल कर रख दिया। आई हॉप कल छवि को इंसाफ मिलने के बाद तुम इस गिल्ट से बाहर निकल जाओ”,अक्षत के जाने के बाद माथुर साहब ने कहा

अक्षत पार्किंग की तरफ आया।  पार्किंग में अखिल उसे मिल गया। अखिल अक्षत के पास आया और कहा,”अक्षत , अक्षत मुझे माफ़ कर दो ,, मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया मुझे ये नहीं करना चाहिए था। तुम्हारे नाजुक हालातो में तुम्हारा साथ देने के बजाय मैंने तुम्हारी पीठ पीछे तुम्हारी ही बुराई की,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी , आई ऍम रियली सॉरी”


अखिल की बात सुनकर अक्षत उसके पास आया और कहा,”तुम्हारे एक सॉरी से वो घाव कभी नहीं भरेंगे जो मेरे दिल पर लगे है। मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं है ,, मेरा ईश्वर जानता है मैं कितना गलत हूँ मुझे खुद के लिये किसी को सफाई देने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। टेक केयर,,,,,,,,,,,!!”

कहते हुए अक्षत ने अखिल का कंधा थपथपाया और वहा से चला गया। अखिल समझ गया कि अक्षत ने उसे माफ़ तो कर दिया है लेकिन वह हमेशा हमेशा के लिये एक अच्छा दोस्त खो चूका है। अखिल का चेहरा उतर गया और अक्षत अपनी गाड़ी लेकर वहा से निकल गया।

व्यास हॉउस में आज सुकून और ख़ुशी का माहौल था। दादू , दादी , विजय जी , राधा , नीता सब हॉल में जमा थे। कुछ देर बाद घर के बाहर गाड़ी आकर रुकी। सबकी नजरे दरवाजे की तरफ चली गयी।
“निधि भुआ,,,,,,!!”,चीकू ने दरवाजे से हनी के साथ अंदर आती निधि को देखकर ख़ुशी से कहा
निधि और हनी को देखकर सबके चेहरे खिल उठे। नक्ष बड़ा हो चुका था और अपने नन्हे नन्हे पैरो पर चलने लगा था। चीकू उसके पास आया और उसे गोद में उठा लिया।

काव्या भी नक्ष को देखकर खुश हो गयी तीनो हॉल से साइड में बालकनी की तरफ पड़े सोफे की और चले गए।
निधि और हनी ने आकर सबके पैर छुए और निधि ने कहा,”क्या बात है माँ ? आप सब लोग इतने खुश क्यों है ? क्या कोई खुशखबरी है ?”
“हाँ निधि खुशखबरी तो है,,,,,,,,,,,,!!”,दादी माँ ने कहा
“दादी माँ , बताईये ना क्या बात है ? वैसे भी कितने दिन हो गए जब से मीरा इस घर से गयी है कुछ अच्छा सुनने को मिला ही नहीं,,,,,,,,,,,,बताईये ना ?”,निधि ने दादी माँ के हाथो को थामकर कहा


दादी माँ ने प्यार से निधि के गाल को छूकर कहा,”तुम्हारी दोस्त मीरा इस घर में वापस आ रही है।”
निधि को जैसे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ। हनी ने सुना तो वह भी मुस्कुरा उठा। निधि ने पलटकर राधा की ओर देखा और कहा,”माँ क्या दादी माँ सच कह रही है ? क्या मीरा इस घर में वापस आ रही है माँ ? अक्षत भाई , क्या उन्होंने मीरा को माफ़ कर दिया ? मुझे यकीन नहीं हो रहा माँ,,,,,,,!!”


कहते हुए निधि की आँखों में आँसू भर आये राधा ने देखा तो उसके पास आयी और उसके चेहरे को हाथो में थामकर कहा,”हाँ निधि मीरा इस घर में वापस आ रही है , और धीरे धीरे सब ठीक हो रहा भाई निधि सब ठीक हो रहा है।”
ये कहते हुए कब राधा की आँखे नम हो गयी उन्हें भी पता नहीं चला। निधि की आँखों में भरे आंसुओ की बुँदे गालों पर लुढ़क आयी।


विजय जी ने निधि की तरफ देखा और कहा,”तुम्हारी माँ सच कह रही है निधि और तुम्हे यकीन क्यों नहीं हो रहा ?”
निधि विजय जी के बगल में आकर बैठी और भर्राये गले से कहा,”उस दिन अक्षत भाई ने जब मीरा को घर से निकाला था तब उनका गुस्सा देखकर हमे लगा वो कभी मीरा को माफ़ नहीं करेंगे और मीरा कभी इस घर में वापस नहीं आएगी,,,,,,,,,,,,,मुझे लगा इसके बाद मीरा मुझे भी कभी माफ़ नहीं करेगी क्योकि उसे इस घर में पहली बार मैं ही लेकर आयी थी ना पापा,,,,,,,,,उस दिन के बाद से मैंने कभी मीरा से बात ही नहीं की , मैं शर्मिन्दा थी पापा कि मैं अपनी दोस्त को इस घर में वापस नहीं ला पायी,,,,,,,,,,,,!!”


कहते हुए निधि रोते हुए विजय जी के सीने से आ लगी। निधि को रोते देखकर हनी भी उदास हो गया। दादू निधि के बगल में ही बैठे थे उन्होंने निधि का सर सहलाते हुए कहा,”निधि बेटा वो बुरा वक्त था टल गया और मीरा तुमसे बिल्कुल नाराज नहीं है,,,,,,,,,,,वो अपनी इतनी प्यारी दोस्त से कभी नाराज हो सकती है भला,,,,,,,,,,,,!!”
“लेकिन दादू मीरा है कहा ? मुझे उस से मिलना है उस से बात करनी है,,,,,,,,,!”,निधि ने अपने आँसू पोछते हुए कहा


“मीरा अपने पापा के साथ है बेटा उसने कहा है वो जल्दी ही वापस आएगी , जब तक वो अक्षत से ना मिल ले , अपनी गलतफहमी दूर ना कर ले वो यहाँ नहीं आना चाहती ,, वो चाहती है अक्षत खुद उसे इस घर में लेकर आये,,,,,,,,,,,,,,!!”,विजय जी ने कहा
“भाई ने जिस तरह से उन्हें इस घर से जाने के लिये कहा था वैसे ही उन्हें मीरा को वापस इस घर में लेकर आना चाहिए,,,,,,,,,,,,,सही किया मीरा ने,,,,,,,,,,!!”,निधि ने कहा


“अरे साले साहब क्यों ? हम सब मिलकर पूरी धूम धाम से मीरा को इस घर में लेकर आयेंगे,,,,,,,,,,,,,क्यों पापा ?”,हनी ने आकर विजय जी की बगल में बैठते हुए कहा
“बिल्कुल दामाद जी लेकिन ये साले साहब अक्षत के सामने मत कहियेगा वरना वो सडु फिर चिढ जाएगा”,विजय जी ने कहा तो सब हंस पड़े। कितने महीनो बाद इस घर में हंसी की आवाज गुंजी थी और ये सब मीरा के लौटने की ख़ुशी में था।


“अरे वाह ! मीरा जी ने आप सबको भी सडु बोलना सीखा दिया,,,,,,,,,,,!!”,हनी ने कहा तो एक बार फिर सब हंस पड़े
“मैं आप सबके लिये चाय ले आती हूँ,,,,!!”,नीता ने मुस्कुरा कर कहा
“भाभी मैं आपके साथ चलती हूँ,,,,,,!!”,कहते हुए निधि नीता के साथ चली गयी और बाकि सब बैठकर बातें करने लगे।

मैनेजर सभी को लेकर एक प्यारे से छोटे से घर के सामने पहुंचा। ये घर अमर जी की ही प्रॉपर्टी में था जिसके बारे में सिर्फ़ अमर जी और मैनेजर जानते थे। सभी गाड़ी से नीचे उतरे। अर्जुन और सोमित जीजू भी वहा पहुँच गए। अर्जुन की मदद से मैनेजर ने अमर जी को गाड़ी से नीचे उतारा और व्हील चेयर पर बैठाया। सभी घर के अंदर चले आये। मीरा ने देखा 2 कमरों का बहुत ही प्यारा सा घर था वो उस घर में दिवार पर सावित्री की एक बड़ी सी तस्वीर लगी थी। मीरा ने देखा तो उस तस्वीर के सामने चली आयी और हैरानी से कहा,”ये तस्वीर यहाँ ?”


मेनेजर मुस्कुराते हुए मीरा की तरफ आया और कहने लगा,”ये घर अमर सर ने बनवाया है अपनी पत्नी की याद में,,,,,,,,,,,,,वो हमेशा कहते थे कि आपकी माँ एक ऐसा घर चाहती थी जो शहर की चकाचोंध से दूर हो। जब भी अमर सर अपनी उस दिखावे वाली जिंदगी से थक जाया करते थे तब कुछ दिन यहाँ बिताया करते थे दिखावे से परे अपने असली अहसासों के साथ ,, कई बार मैंने उन्हें आपकी माँ को याद करके रोते देखा है , बहुत बार उन्हें इस तस्वीर के सामने खड़े होकर भावुक होते देखा है ,

वो जब भी यहाँ आते थे तब यहाँ बैठकर घंटो इस तस्वीर से बातें किया करते थे,,,,,,,,,,वो हमेशा इनसे माफ़ी मांगते थे और ये सब मैं सालों से देखते आ रहा हूँ,,,,,,,,,,आज भी सब वैसा ही है आज सर बोल नहीं सकते , इस तस्वीर को छू नहीं सकते लेकिन मैं जानता हूँ अब तक सर दिल ही दिल में इनसे माफ़ी मांग चुके है ,, इस बार थोड़ा देर से आये ना इसलिए,,,,,,,,,!!”


कहते हुए मैनेजर ने अमर जी की तरफ देखा जिनकी आँखों में भरे आँसू बाहर आने को बेताब थे। मीरा ने अमर जी को देखा तो उसका दिल भर आया। उसे लगता था कि उसके पिता ने कभी उसकी माँ से प्रेम नहीं किया लेकिन आज उसे उसके सारे सवालो का जवाब मिल चुका था।  

 मीरा नम आँखों के साथ अमर जी के पास आयी उनकी व्हील चेयर के हत्थे को पकड़ा और उन्हें अपनी माँ की तस्वीर के सामने ले आयी। उन्होंने धीरे से अपना हाथ उठाया और तस्वीर को छुआ तो उन की आँखों में ठहरे आँसू बह गए और उन्होंने अपनी आँखे मूँद ली। मीरा ने देखा तो व्हील चेयर के हत्थे छोड़कर पीछे से अमर जी को गले लगाकर कहा,”वो आपसे बहुत प्रेम करती थी पापा,,,,,,,,,,,,,उन्होंने हमेशा आपको अपनी यादो में रखा,,,,,,,,,,,,हमे आज समझ आ रहा है क्यों वो घंटो अकेले ख़ामोशी में बिताया करती थी ,,

उन पलों में वो सिर्फ आपको याद किया करती थी पापा,,,,,,,,,हमारी मा आपसे आज भी उतनी ही मोहब्बत करती है। वो जहा भी है सुकून में होगी ये जानकर कि आप उन्हें याद करते है,,,,,,,,,,,!!!”
अमर जी ने सुना तो आँखों में ठहरे आँसू फिर बह गए उन्होंने अपने हाथ से मीरा के सर को छुआ और आंखे बंद कर अपना सर मीरा के गाल से लगा लिया।
वहा मौजूद सब लोगो की आँखों में नमी तैर गयी।

कुछ देर बाद सभी हॉल में चले आये। सुबह से किसी ने कुछ खाया पीया नहीं था इसलिए मैनेजर ने सबके लिये खाना आर्डर कर दिया। मीरा को घर की चाबियां देकर मैनेजर वहा से चला गया और मीरा से जल्दी ही अमर जी का ऑफिस सम्हालने को कहा। खाना खाने के बाद अमर जी को आराम करने के लिये उनके कमरे में लेटा दिया और बाकि सब हॉल में बैठकर बातें करने लगे।  सोमित जीजू ने मीरा को सौंदर्या भुआ के कारनामो के बारे में बताना चाहा तो अर्जुन ने उन्हें रोक दिया।

अर्जुन नहीं चाहता था मीरा के जख्म फिर से हरे हो,,,,,,,,,,,,,,,सभी इधर उधर की बाते करने लगे और बातें करते करते कब उन्हें नींद आ गयी पता  ही नहीं चला और सब हॉल में ही सो गए।

पार्टी वाली रात गुस्से से निकले अखिलेश का कुछ अता पता नहीं था। ना वह अगले दिन चाइल्ड होम आया ना ही मीरा के घर,,,,,,,,,,,,,,रात से उसका फोन भी बंद आ रहा था और कोई नहीं जानता था वह कहा है। अखिलेश का यू अचानक गायब हो जाना सबके लिए चिंता का विषय था क्योकि चोट खाया जानवर अक्सर पहले से भी ज्यादा खतरनाक हो जाया करता है।

रात के लगभग 2 बज रहे थे पूरा शहर आने वाली सुबह के इंतजार में सो रहा था। चोरी करने या किसी और इरादे से एक आदमी दिवार कूदकर एक घर के अंदर आया। दरवाजे बंद थे इसलिए वह दबे पांव पीछे कमरे की खिड़की की तरफ आया और देखा खिड़की खुली है। आदमी का काम आसान हो गया उसने खिड़की का पर्दा हटाया और बहुत ही सावधानी से अंदर कूद गया। कमरे में अन्धेरा था उसने जेब से टोर्च निकाली और उसकी हलकी रौशनी में कुछ ढूंढने लगा जैसे आदमी को पता हो कि उसे वो चाहिए वो यही मिलेगा।

कुछ देर बाद आदमी के हाथ एक लिफाफा लगा जिसे देखकर आदमी की आँखे चमक उठी। लिफाफा लेकर वह जैसे ही पलटा एकदम से कमरे की सभी लाइट्स जल उठी। आदमी की नजर सामने कुर्सी पर बैठे शख्स पर पड़ी तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया। सामने बैठा शख्स कोई और नहीं बल्कि,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!

ये पता चलेगा आपको कल,,,,,,,,,,,!!

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