Haan Ye Mohabbat Hai – 86
अमर जी को साथ लेकर मीरा घर से बाहर चली आयी। रघु और मंजू ने भी मीरा के साथ साथ वो घर छोड़ दिया और बाहर चले आये। वही राजकमल जी और उनकी दोनों बेटियों ने भी सौंदर्या के बजाय राजकमल जी को चुना और बाहर चली आयी। मीरा ने देखा तो प्रत्याशा के पास आकर कहा,”तुम्हे उन्हें इस तरह अकेले नहीं छोड़ना चाहिए”
प्रत्याशा ने नम आँखों से मीरा को देखा और कहा,”ये आप कह रही है दी ,, मम्मा ने आपके साथ इतना सब किया और आपको अभी भी उनकी परवाह हो रही है। मत कीजिये दी , वो आपका प्यार और आपकी केयर कुछ डिजर्व नहीं करती है।”
“ऐसा नहीं कहते प्रत्याशा,,,,,,,,,,,हमने हमारी माँ को बहुत कम उम्र में खोया है , हम कभी उनके साथ ज्यादा वक्त बिता ही नहीं पाये ,, उनके चले जाने के बाद समझ आया उनका होना हमारे जीवन में क्या था ?
जब बच्चे गलती करते है तब माँ बाप उन्हें तुरंत माफ़ कर देते है तो जब माँ बाप गलती करे तो बच्चो को भी उन्हें माफ़ कर देना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,उन्होंने हमारे साथ जो किया वो हम कभी भूल नहीं पाएंगे लेकिन हमारी वजह तुम्हे उन्हें अकेले नहीं छोड़ना चाहिए।”,मीरा ने नम आँखों के साथ कहा
“दी,,,,,,,,,आपको इतना अच्छा नहीं होना चाहिए था”,कहते हुए प्रत्याशा मीरा के गले आ लगी।
मीरा ने उसका सहलाया तभी गाडीयो के रुकने की आवाज आयी। प्रत्याशा मीरा से दूर हटी। मीरा ने देखा चीकू और काव्या को छोड़कर पूरी व्यास फॅमिली वहा आयी है। राधा को देखते ही मीरा की आँखों में आँसू भर आये। दूसरी गाड़ी अमर जी के मैनेजर की थी वह अंदर चला आया।
राधा मीरा के पास आयी तो मीरा बिना कुछ आकर उनसे गले लग गयी और रोने लगी। राधा ने मीरा को रोते हुए देखा तो उसका सर सहलाते हुए कहा,”सोमित जी ने हमे फोन करके पहले ही सब बता दिया था , सोचा नहीं था सौन्दर्या ऐसा करेगी लेकिन कोई बात नहीं तुम ठीक हो , अमर जी ठीक है हमारे लिए इतना ही काफी है। मत रो मीरा मैं हूँ ना तुम्हारे साथ,,,,,,,,,,,हम्म्म्म कुछ नहीं हुआ है , शांत हो जाओ ,, समझो ये बुरे वक्त का आखरी पल था जो अब खत्म हो चुका है।”
मीरा बस रोते जा रही थी विजय और बाकि सबने देखा तो उनका चेहरा भी उदासी से घिर गया। दादी माँ ने देखा तो वे मीरा के पास आयी और कहा,”मीरा , मीरा शांत हो जाओ बच्चे देखो हम सब यहाँ है। तुम्हे इस हाल में देखकर हमे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा , आओ मेरे पास आओ”
दादी माँ ने मीरा को अपने सीने से लगाकर शांत करवाया तो मीरा थोड़ी चुप हुई और विजय जी के सामने आकर कहा,”हमे माफ़ कर दीजिये पापा , हमे उस दिन घर छोड़कर नही आना चाहिए था। हमने बहुत बड़ी गलती की पापा , आप सबको बहुत तकलीफ पहुंचाई हमे माफ़ कर दीजिये”
विजय जी ने सुना तो मीरा को अपने सीने से लगाया और कहा,”कैसी बातें कर रही हो मीरा ? और किसने कहा तुम वो घर छोड़कर आयी थी ? तुम अपने पिता के घर आयी थी बेटा और ये घर भी तो तुम्हारा अपना घर है और रही दिल दुखाने की बात तो वो हम सबका वक्त बुरा था जो कि चला गया है। तुम ठीक हो सही सलामत हो इतना काफी है बच्चे और ये आँसू बहाना बंद करो,,,,,,,,,,,मैं अपनी बहादुर बेटी को ऐसे नहीं देख सकता हम्म्म”
विजय जी की बात सुनकर मीरा नम आँखों से उन्हें देखने लगी। पास ही दादू खड़े थे उन्होंने खाँसने का नाटक कर मीरा का ध्यान अपनी तरफ खींचा। मीरा ने दादू की तरफ देखा तो दादू ने कहा,”घर चलो मीरा , पिछले 7 महीने से किसी ने मेरी डाइट का ख्याल तक नहीं रखा है ,, एक तुम थी मेरा ख्याल रखने वाली वो भी सब छोड़-छाड़ कर चली आयी। तुम्हारे बिना वो घर बिल्कुल अच्छा नहीं लगता घर चलो मीरा,,,,,,,,,,!!”
मीरा ने सुना तो फिर उसकी आँखों में आँसू भर आये। उसे लगा घर में सब उस से नाराज होंगे उस से नफरत करते होंगे लेकिन ऐसा नहीं था व्यास फॅमिली आज भी मीरा से उतना ही प्यार करती थी। मीरा ने दादू के दोनों हाथो को अपने हाथो में थामा और कहा,”हम जल्दी ही वापस आएंगे दादू”
दादू ने हामी में गर्दन हिला दी। दादू के सामने से हटकर मीरा तनु और नीता के पास चली आयी। तनु ने मीरा के गाल को छूकर कहा,”बस अब कोई माफ़ी नहीं सीधा घर चलो”
मीरा मुस्कुरा दी उसने देखा नीता उस से थोड़ी नाराज है। मीरा ने नीता के सामने आकर कहा,”भाभी !”
“बात मत करो मुझसे,,,,,,,,,,झगड़ा तो देवर जी से था ना तो फिर इतने दिनों में मुझसे एक बार भी बात क्यों नहीं की ? पता है रोज याद करती थी तुम्हे लेकिन तुमने , तुमने देवर जी के साथ साथ हम सबको भुला दिया।”,नीता ने रोते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की
मीरा ने देखा जेठानी होकर भी नीता उस से बड़ी बहन की तरह प्यार करती है। मीरा ने कुछ नहीं कहा बस नीता के गले लगते हुए कहा,”हमे माफ़ कर दीजिये , हम थोड़ा भटक गए थे।”
नीता कुछ ज्यादा ही इमोशनल हो गयी तो विजय जी उसके पास आये और उसे चुप कराते हुए कहा,”बस बेटा इतना तो तुम अपने घर से हमारे घर आयी थी तब नहीं रोई जितना अब रो रही हो , चुप हो जाओ”
विजय जी बात सुनकर सब हंस पड़े। राजकमल जी इतनी देर से खामोश खड़े सब देख रहे थे वे विजय जी के पास आये और कहा,”सौंदर्या ने जो किया उसके लिये मैं आप सबसे माफ़ी,,,,,,,,!!”
“अरे नहीं नहीं , ये आप क्या कह रहे है ? आप क्यों माफ़ी मांग रहे है ? लालच में कभी कभी इंसान इतना अंधा हो जाता है कि अपने हाथो बर्बाद होते रिश्तो को भी नहीं देख पाता,,,,,,,,,,,सौंदर्या जी ने जो किया उसकी सजा उन्हें मिल चुकी है बाकि हमे हमारी मीरा मिल गयी हमारे लिए काफी है।”,विजय जी ने राजकमल जी के हाथो को थामते हुए कहा
राजकमल जी ने सुना तो उनकी आँखे नम हो गयी। उन्होंने नम आँखों से सबको देखते हुए कहा,”जिस परिवार में लोगो का दिल इतना बड़ा हो वो परिवार किसी एक सौंदर्या के आने से नहीं टूट सकता , मीरा को मैं आपके हवाले कर रहा हूँ इसका ख्याल रखियेगा।”
मीरा ने सुना तो आकर राजकमल जी के सीने से लगी और कहा,”अनजाने में हमने कभी आपका दिल दुखाया हो तो हमे माफ़ कर दीजियेगा।”
“कैसी बातें करती हो मीरा ? दिल तो हम सबने दुखाया है तुम्हारा मैं ईश्वर से दुआ करूंगा अब तुम्हारी जिंदगी में कोई और तकलीफ ना आये बस खुशिया हो”,राज कमल जी ने मीरा का सर सहलाते हुए कहा
राजकमल जी ने सबसे विदा ली और अपनी दोनों बेटियों के साथ वहा से निकल गए। रघु और मंजू भी अपने घर चले गए उनके साथ साथ घर के सब नोकरो ने और गार्ड्स ने भी नौकरी छोड़ दी। राधा मीरा के पास आयी और कहा,”चलो मीरा , अपने घर चलो”
“नहीं माँ ! जब तक हम उनसे माफ़ी नहीं मांग लेते और वो हमे माफ़ नहीं कर देते हम घर नहीं जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,,सब जानते है हमने सबसे ज्यादा दिल उनका दुखाया है।
एक बार उनसे मिल ले , अपनी गलतियों के लिये उनसे माफ़ी मांग ले फिर हम उस घर में आएंगे,,,,,,,,,,,हम चाहेंगे वो खुद हमे घर लेकर जायेंगे। आप उनसे हमारे लिये बात करेंगी ना माँ ? आप उन्हें हमारे लिये मनायेगी ना माँ ?”,कहते हुए मीरा की आँखों में फिर आँसू भर आये
“ये कैसी जिद है मीरा ? तुम रहोगी कहा ?”,राधा ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
“मैडम और सर ऑफिस के अपार्टमेंट में रहेंगे मैडम,,,,,,,,,,,,वहा उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होगी”,मैनेजर ने कहा
“एक बार फिर सोच लो मीरा , अक्षत कल रात से घर नहीं आया उसने कहा वो किसी जरुरी काम से शहर से बाहर जा रहा है,,,,,,,,,,,,,उसे आने में वक्त भी लग सकता है।”,विजय जी ने कहा
“हम इंतजार कर लेंगे पापा”,मीरा ने कहा
“मीरा अक्षत से मिले बिना तुम व्यास हॉउस नहीं आ सकती , लेकिन हम लोग तो नए अपार्टमेंट में आ सकते है ना ?”,सोमित जीजू ने कहा
“हाँ मौसीजी , हम लोग मीरा के साथ रुक जाते है इस से वो अकेली भी नहीं रहेगी और आपको भी तसल्ली रहेगी”,तनु ने कहा
“हम्म्म ठीक है , लेकिन तुम जल्दी घर आना मीरा,,,,,,,,,,!!”,राधा ने कहा और फिर अमर जी के पास चली आयी। राधा ने अमर जी को देखा वे मुस्कुराते हुए नम आँखों से राधा को देख रहे थे। राधा ने कहा,”बस कुछ दिन और अमर उसके बाद मैं अपनी बहू को ले जाउंगी”
अमर जी ने सुना तो सहमति में अपनी पलकें झपका दी। राधा मुस्कुराई और कहा,”भरोसा रखो अमर , मीरा के साथ मैं हमेशा उसकी माँ बनकर पेश आउंगी सास बनकर नहीं,,,,,,मैंने सावित्री से वादा किया है मरते दम तक निभाऊंगी !!
सभी कुछ देर वहा रुके उसके बाद दादू दादी , विजय जी राधा और नीता घर चले गए। मैनेजर ने अर्जुन की मदद से अमर जी को गाड़ी में बैठाया। पिछली सीट पर मीरा और तनु आ बैठी। अर्जुन के पास अपनी गाड़ी थी इसलिये उसने सोमित जीजू के साथ आने का कहकर मैनेजर से चलने को कहा।
मैनेजर की गाड़ी वहा से निकल गयी और उसी के पीछे अर्जुन की गाड़ी भी थी। मीरा ने पलटकर अमर जी के घर को देखा वो सौंदर्या के मायाजाल से निकल कर दूर जा रही थी।
छवि दीक्षित केस की सुनवाई में एक दिन बचा था उसमे भी आधा दिन जा चुका था लेकिन चोपड़ा जी और सूर्या दोनों ही असली गुनहगार तक नहीं पहुँच पाए। उन्होंने विक्की से भी बात की लेकिन विक्की से भी उन्हें कोई ढंग का क्लू नहीं मिला। चोपड़ा जी , सूर्या और सिंघानिया जी तीनो सिंघानिया जी के घर में बैठे सोच में डूबे थे। इस केस को अंजाम तक कैसे पहुंचाया जाये सोच रहे थे ?
केस की शुरुआत से लेकर अब तक जो जो सुनवाई हुई , जो जो सबूत पेश किये गए , जो चीजे सामने आयी उन बातो पर बार बार डिस्कस करने के बाद भी सूर्या और चोपड़ा जी किसी नतीजे पर नहीं पहुँच सके।
“चोपड़ा जी ! अगर हम अदालत में ये बयान दे दे कि छवि का जिसने किडनेप किया था उसी ने छवि का रेप किया है और कुछ महीनो पहले ही एक एक्सीडेंट में उसकी मौत हो चुकी है तो कैसा रहेगा ?”,सूर्या ने सोचते हुए कहा
“तुम्हे लगता है जज साहब हमारे इस बयान पर यकीन करेंगे ?”,चोपड़ा जी ने कहा
“यकींन करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन हमे इसे सच बनाना होगा इसके अलावा हमारे पास दुसरा कोई रास्ता नहीं है।”,सूर्या ने कहा
सूर्या की बात सुनकर चोपड़ा जी और सिंघानिया जी उसकी ओर देखने लगे। सूर्या ने आगे कहा,”विक्की और रॉबिन कोर्ट में पहले ही निर्दोष साबित हो चुके है।
ऐसे में अगर हम कोर्ट में ये साबित कर दे कि छवि का रेप करने वाला कार एक्सीडेंट में मारा जा चुका है तो उस से छवि को भी तसल्ली मिल जाएगी और ये केस हमेशा के लिये बंद हो जाएगा। एक्सीडेंट की डिटेल्स आप मुझ पर छोड़ दीजिये वो मैं करवा दूंगा बस आपको इसमें मेरा साथ देना होगा।”
“हम्म्म यही सही है वैसे भी एक ऐसा इंसान जिसके बारे में कोई कुछ नहीं जानता उसे हम ढूंढेंगे कहा , सूर्या तुम्हारा आईडिया बेस्ट है लेकिन,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते कहते चोपड़ा जी के चेहरे पर चिंता की लकीरे उभर आयी।
“लेकिन क्या ?”,सूर्या ने पूछा
“जिस आदमी के साथ सिंघानिया जी ने डील करके जमीन अलॉट करवाई थी उस जगह पर “एडवोकेट अक्षत व्यास” के नाम का बोर्ड लगा है। उस आदमी ने ऐसा क्यों किया ?”, चोपड़ा जी ने परेशानी कहा
“ये सोचना आप लोगो का काम है,,,,,,,,,,,,,,कल मिलते है।”,सूर्या ने उठते हुए कहा और वहा से चला गया लेकिन अपने पीछे छोड़ गया परेशान चोपड़ा जी और सिंघानिया जी को,,,,,,,,,,,,!!
अमर जी के घर के हॉल में सौंदर्या बदहवास सी बैठी थी। जो कुछ हुआ वो सब सौंदर्या की आँखों के सामने किसी फिल्म सा चल रहा था। सौंदर्या ने जो जाल मीरा और अक्षत के बिछाया था उस जाल में सौंदर्या आज खुद फंस चुकी थी। उसका सच सबके सामने आ चुका था और साथ ही उसने वो सब भी खो दिया जो उसका अपना था। सौंदर्या ने मीरा और अमर जी का भरोसा खो दिया , राजकमल जी को खो दिया , उनकी दोनों बेटियां उन्हें छोड़कर चली गयी। सौंदर्या के पास अब कुछ नहीं बचा था।
जिस घर को सौंदर्या हासिल करना चाहती थी वो घर आज सौंदर्या के पास था , अमर जी की दौलत , उनका महल सब उनके पास था लेकिन सौंदर्या को अब इनमे से कुछ भी नहीं चाहिए था। उसे अपने किये का पछतावा था और सिवाय आंसू बहाने के वह कुछ कर नहीं सकती थी।
सौंदर्या वहा बैठी ये सब सोच ही रही थी कि तभी कुछ पुलिस वाले और एक लेडी पुलिस के साथ इंस्पेकटर कदम्ब वहा आये और लेडी कॉन्स्टेबल से कहा,”गिरफ्तार कर लो इसे,,,,,,,!!!”
कॉन्स्टेबल ने जैसे ही सौंदर्या के हाथ में हथकड़ी पहनाई सौंदर्या ने घबराकर कहा,”मैंने कुछ नहीं किया है , मैंने अमायरा को नहीं मारा है ,, नहीं मारा है मैंने,,,,,,,,,,इंस्पेकटर मेरी बात सुनिए मैंने कुछ नहीं किया है,,,,,,,,,,,,,आप ऐसे मुझे गिरफ्तार नहीं कर सकते !!”
“आपके खिलाफ अरेस्ट वारंट है , आपने अपने भाई अमर प्रताप सिंह को मारने की साजिश की है। उस रात जिस गाड़ी ने उन्हें टक्कर मारी थी वो गाड़ी आप चला रही थी , उन्हें अगवा कर रखने वाली भी आप ही थी और इसके बाद भी आपने कई बार उनकी जान लेने की कोशिश की है।”,इंस्पेक्टर कदम्ब ने सौंदर्या की आँखों में देखते हुए कहा
सौंदर्या ने घबराह्ट भरे स्वर में कहा,”क्या सबूत है आपके पास ?”
इंस्पेक्टर कदम्ब ने पलटकर दरवाजे की तरफ देखा और कहा,”विवान सिंह जी,,,,,,,,,,,अंदर आईये”
सौंदर्या ने जब अपने भाई विवान सिंह को देखा तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया उसने सपने में भी नहीं सोचा था उसका सगा भाई उसके साथ इतना बड़ा धोखा करेगा।
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