Haan Ye Mohabbat Hai – 79
शहर के सबसे आलिशान रिसोर्ट में अमर जी की कम्पनी के 25 साल पुरे होने की ख़ुशी में एक शानदार पार्टी रखी गयी। ये रिसोर्ट अमर जी के घर से बस 10 मिनिट के रास्ते पर था। सौंदर्या अपनी दोनों बेटियों के साथ सज संवर कर तैयार थी। अपने पापा के बिना प्रत्याशा का मन उस पार्टी में जाने का बिल्कुल नहीं था। अमर जी भी तैयार करके जबरदस्ती व्हील चेयर पर बैठाये गए थे वे मजबूर थे और कुछ ना बोल पाने की स्तिथि में थे। मीरा तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आयी। ब्लेक रंग की साड़ी में मीरा बहुत ही खुबसुरत लग रही थी।
सौंदर्या ने देखा तो मीरा के पास आयी और अपनी आँख के किनारे से काजल निकालकर मीरा के कान के पीछे लगाते हुए कहा,”बहुत प्यारी लग रही हो , किसी की नजर ना लगे”
सौंदर्या भुआ की बातो से मीरा को चापलूसी की बू आ रही थी उसने धीरे से सौंदर्या का हाथ नीचे किया और अमर जी की तरफ चली आयी। मीरा घुटनो पर उनके सामने बैठी और उनका कोट सही करते हुए हुए कहा,”आप बहुत अच्छे लग रहे है , आईये चलते है।”
मीरा ने अमर जी की व्हील चेयर पकड़ी और उन्हें लेकर दरवाजे की तरफ बढ़ गयी।
“दी क्या मैं भी आपके साथ चल सकती हूँ ?”,प्रत्याशा ने कहा
“हम्म्म आ जाओ”,मीरा ने कहा और वहा से चली गयी।
मीरा के इस बर्ताव से सौंदर्या थोड़ा हैरान थी वह वही खड़ी उसे जाते देखते रही तो जिज्ञाषा ने आकर कहा,”मम्मा ! अब क्या सारी रात यही खड़े रहने का इरादा है ? चलिए न देर हो जाएगी,,,,,,,,,,!!”
“हाँ ! हाँ चलो”,सौंदर्या ने कहा और जिज्ञाषा के साथ आगे बढ़ गयी।
रास्तेभर सौंदर्या के दिमाग में बस उथल पुथल चलती रही , आखिर मीरा ने पहली बार सौंदर्या को नजरअंदाज जो किया था। सभी रिसोर्ट पहुंचे काफी लोग वहा आ चुके थे और कुछ लोग आने बाकि थे। मैनेजर ने जब मीरा को देखा तो दौड़कर उसके पास चला आया और उसे सब बताने लगा। सबकी निगाहे आज मीरा पर थी मीरा इतनी सुन्दर जो लग रही थी। बहुत दिनों बाद मीरा अमर जी के ऑफिस वालो से मिल रही थी इसलिए वह सबसे बातें करने लगी।
मैनेजर अमर जी की व्हील चेयर को लेकर उनको सबसे मिलवाने लगा। इतने दिनों बाद सबको देखकर अमर जी का दिल खुश हो गया और आँखों में ख़ुशी के भाव तैरने लगे। सब सही चल रहा था। कुछ देर बाद अर्जुन और सोमित जीजू भी वहा आ पहुंचे। मीरा ने उन्हें देखा तो उनकी तरफ चली आयी।
“अर्जुन भैया सोमित जीजू आप दोनों यहाँ ?”,मीरा ने हैरानी से पूछा
“क्यों मीरा हमे यहाँ देखकर तुम्हे अच्छा नहीं लगा ?”,अर्जुन ने सवाल किया
“ये कैसी बाते कर रहे है आप ? छोड़िये कैसे है आप ?”,मीरा ने अपनेपन से कहा
“मैं ठीक हूँ , तुम कैसी हो ?”,अर्जुन ने कहा
“हम भी ठीक है , राधा माँ कैसी है ? वो साथ नहीं आयी ?”,मीरा ने कहा
“तुमने हम सब को बुलाया ही कहा मीरा ? ये तो तुम्हारे मैनेजर की वजह से हमे इन्विटेशन मिला है।”,सोमित जीजू ने झूठी नाराजगी जताते हुए कहा
मीरा ने सुना तो उदास हो गयी अक्षत का चेहरा एकदम से उसकी आँखों के सामने आ गया और उसने कहा,”जीजू ! आप तो जानते है अक्षत जी,,,,,,,,,,,हम नहीं चाहते हमारा गुस्सा वो आप सब पर निकाले बस इसलिए हमने किसी को,,,,,,,,,,,,,,,वैसे भी ये पार्टी ऑफिस की तरफ से है हम,,,,,,,,,,,!!”
मीरा को उदास देखकर सोमित जीजू ने कहा,”अरे बस बस मीरा मैं तो बस मजाक कर रहा था। वैसे मैंने सुना था साले साहब भी यहाँ आने वाले है,,,,,,,,,,,,,,मीरा आज अच्छा मौका है तुम दोनों को अपनी गलतफहमियां दूर कर लेनी चाहिए।”
बातो बातो में सोमित जीजू ने मीरा के सामने अपने दिल की बात कह दी लेकिन मीरा ने सुना तो सोच में पड़ गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी,”उस से पहले कई सारे राज से पर्दा उठना बाकि है जीजू,,,,,,,,,,,,!!”
“अच्छा मीरा सुनो , मैनेजर ने तुम्हे जो फाइल,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने जैसे ही कहा सौंदर्या भुआ वहा टपक पड़ी और मीरा के कंधे पर हाथ रख कर उसे वहा से ले जाते हुए कहा,”मीरा,,,,,,,,,,,वहा इतने बड़े बड़े लोग तुमसे मिलना चाहते है और तुम यहाँ खड़ी हो , इन लोगो से तो तुम बाद में भी मिल सकती हो,,,,,,,,,,!!”
सोमित जीजू ने सुना तो उनका खून ही खोल गया और उस पर सौंदर्या से तो उन्हें वैसे ही चिढ थी। सोमित जीजू जैसे ही उनके पीछे जाने लगे अर्जुन ने उन्हें रोक लिया और कहा,”जीजू , क्या कर रहे है आप , तमशा सौंदर्या भुआ को करना है हमे नहीं,,,,,,,,कण्ट्रोल कीजिये”
“बस वही नहीं कर पा रहा मैं और ये साले साहब कहा रह गए ? अब तक तो उन्हें आ जाना चाहिए था,,,,,!!”,सोमित जीजू ने इधर उधर देखते हुए कहा लेकिन अक्षत उन्हे कही नजर नहीं आया
सुबह का निकला विक्की रात में घर आया। दिनभर विक्की कहा था ये कोई नहीं जानता था। जैसे ही वह अंदर आया हॉल में बैठे सिंघानिया जी ने कहा,”विक्की ! कहा से आ रहे हो ? और आज पूरा दिन तुम कहा थे ?”
“मैं माँ से मिलने गया था डेड,,,,,,,,,,,,पूरा दिन उन्ही के साथ था।”,विक्की ने बिना किसी भाव के कहा
“व्हाट ? ये क्या बकवास कर रहे हो तुम , तुम उस घटिया औरत से मिलने क्यों गए थे ?”,सिंघानिया जी गुस्से में चिल्ला उठे
“आप उनके लिये ये शब्द इस्तेमाल नहीं कर सकते डेड , घटिया वो नहीं घटिया आप है,,,,,,,,,,!!”,विक्की भी चिल्ला उठा
“हाउ डेयर यू ? तुम मुझसे जुबान लड़ा रहे हो , मुझसे गौतम सिंघानिया से,,,,,,,,,,,,,,,उस बेहूदा औरत ने तुम्हारे दिमाग में ये सब कचरा भरा है मैं जानता हूँ। वो जब से मेरी जिंदगी में आयी है उसने मेरी जिंदगी नर्क बना दी।”,सिंघानिया जी गुस्से से बोखला उठे
“और आपने उनके साथ जो किया वो , क्या आप वो भूल गए डेड ? आपने उन्हें कभी टाइम नहीं दिया , कभी उनकी रेस्पेक्ट नहीं की , कभी उनसे प्यार नहीं किया और जब मन भर गया तो आपने उन्हें घर से निकाल दिया,,,,,,,,,,,,,,,वो दर दर की ठोकरे खाती रही लेकिन आपने कभी उनके बारे में जानने की कोशिश तक नहीं की। मुझसे हमेशा झूठ कहा मेरी माँ बदचलन थी , गलत थी,,,,,,,,,,,,,गलत वो नहीं गलत आप है डेड”,विक्की कहते कहते रोआँसा हो गया
“मैं सोच भी नहीं सकता विक्की उस औरत की बातो में आकर तुम मुझसे ऐसे पेश आओगे,,,,,,,,,,,,,
तुम्हे उस औरत पर भरोसा है तो जा सकते हो तुम उसके पास,,,,,,,,,,,,,लेकिन जाने से पहले मेरी एक बात याद रखना विक्की , मैं अपनी जायदाद में से एक फूटी कौड़ी तुम्हे नहीं दूंगा समझे तुम,,,,,,,,,,,!!”,सिंघानिया जी ने कहा और वहा से चले गए।
“हाँ तो मत दीजिये आपकी दौलत के लिये मैं एक गलत आदमी का साथ हरगिज नहीं दे सकता,,,,,,,,,,,समझे आप !”,विक्की भी गुस्से में चिल्लाया लेकिन तब तक सिंघानिया जी वहा से जा चुके थे।
विक्की भी गुस्से में वहा से चला गया।
विक्की और सिंघानिया जी के बीच जो बातें हुयी उन सब बातो को घर का नौकर बड़े ध्यान से सुन रहा था। वह घर की बालकनी में आया और किसी का नंबर डॉयल करके फोन कान से लगा लिया। कुछ देर बाद दूसरी तरफ से किसी ने फोन उठाया तो नौकर ने कहा,”सर ! विक्की सर घर आ गए है और उनका अभी अभी बड़े साहब से बहुत बड़ा झगड़ा हुआ है। बड़े साहब ने ये तक बोल दिया कि वो विक्की बाबा को एक फूटी कौड़ी तक नहीं देंगे,,,,,,,,,,,,!!”
नौकर सामने वाले का जवाब सुन पाता इस से पहले ही किसी ने पीछे से आकर उसके हाथ से फोन ले लिया। घबराकर नौकर पलटा और देखा उसका फोन लेने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद विक्की ही था। विक्की को वहा देखकर नौकर के चेहरे का रंग उड़ गया। विक्की ने नौकर से चुप रहने का इशारा कीया और फोन कान से लगा लिया।
दूसरी तरफ से एक जानी पहचानी आवाज विक्की के कानो में पड़ी,”ये तुमने अच्छी खबर सुनाई , अब मेरा रास्ता साफ है वो सिंघानिया विक्की को लात मारकर बाहर कर देगा और मैं उस घर में राज करूंगा,,,,,,,,,,,,!!”
विक्की ने कुछ नहीं कहा फोन काट दिया और बुदबुदाया,”कुमार,,,,,,,,,,,,,नहीं कुमार ऐसा नहीं कर सकता लेकिन अगर उसने किया है तो क्यों ? मुझे इसका पता लगाना होगा,,,,,,,,,,,!!”
विक्की ने नौकर का फोन अपनी जेब में रखा और उसकी कॉलर पकड़कर गुस्से से कहा,”मैं जानता हूँ तुम इन सब में शामिल नहीं हो , तुम बस एक मीडियेटर हो इसलिए मैं तुम्हे पुलिस के हवाले करू उस से पहले दफा हो जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,,,,!!”
“आई ऍम सॉरी विक्की बाबा मैंने ये सब बस थोड़े से पैसो के लिए,,,,,,,,,,!!”,नौकर ने हाथ जोड़कर रोते हुए कहा
“आई सेड गेट आउट फ्रॉम हियर,,,,,,,,,,,जाओ”,विक्की ने गुस्से से लेकिन धीमे स्वर में कहा और वहा से चला गया।
अपने कमरे की खिड़की के पास खड़ी छवि किसी सोच में डूबी हुई थी। सुबह विक्की का घर आना और छवि से शादी करने की बात कहना छवि को एकदम से उदास कर गया। छवि विक्की के बारे में सोच रही थी। उस से हुई पहली मुलाकात से लेकर आखरी मुलाकात तक की सब घटनाये छवि की आँखों के सामने चलने लगी। छवि ने महसूस किया विक्की धीरे धीरे बदलने लगा था। विक्की में आया बदलाव सिर्फ छवि देख पा रही थी। अपने साथ हुए हादसे के लिए वह विक्की को कभी माफ़ तो नहीं करती लेकिन हाँ विक्की में आया बदलाव देखकर वह खुश थी।
मौसम काफी अच्छा था और ठंडी हवाएं हवाएं चल रही थी। छवि को वहा खड़े होना अच्छा लग रहा था। उसने अपने हाथो को आपस में बांध लिया और वही खिड़की के पास खड़े होकर चाँद को देखने लगी। कई दिनों बाद छवि का मन आज कुछ शांत था। सहसा ही उसका हाथ अपने बढे हुए पेट पर चला गया और उदासी फिर उसके चेहरे पर घिर आयी। छवि आज भी इंसाफ की उम्मीद थी और उसे यकीन था कि इस बार उसे कानून से इंसाफ जरूर मिलेगा,,,,,,,,छवि को बस उस सुबह का इंतजार था जिस सुबह केस की आखरी सुनवाई होने वाली थी।
विक्की अपने कमरे में आया और सीधा बाथरूम में चला आया। उसने शर्ट उतारी और शॉवर के नीचे खड़े हो गया। पानी की फुहारों ने जैसे ही विक्की के शरीर को छुआ ठंड के कारण एक सिहरन सी हुई। विक्की ने आँखे मुँद ली और सर ऊपर उठा लिया। पानी की फुहारे अब सीधा उसके चेहरे पर गिरने लगी। विक्की के कानो में कुमार की कही बातें गूंजने लगी “यार तेरे बाप के पास बहुत पैसा है , तुझे जिंदगीभर कमाने की जरूरत नहीं” “तू इतने यकीन के साथ कैसे कह सकता है छवि का रेप तूने नहीं किया”
“मैं यहाँ अपनी भाभी के चेकअप के लिये आया था” “छोड़ ना विक्की तुझे कोर्ट से बेल मिल गयी न फिर तू क्यों उस छवि की परवाह कर रहा है”
विक्की ने एकदम से अपनी आँखे खोली और सामने लगे शीशे में खुद को देखते हुए कहा,”क्यों कुमार ? आखिर क्यों ? ये कौनसा घटिया खेल है जो तुम मेरे साथ खेल,,,,,,,,,,,,तुम मेरे इकलौते दोस्त थे जिस पर मैं सबसे ज्यादा भरोसा करता था और तुमने ही मेरी पीठ में छुरा भौंक दिया”
विक्की की आँखों के सामने कुमार के साथ बिताये अच्छे पल आने लगे , वह यकीन ही नहीं कर पा रहा था कि उसके दोस्त ने उसके साथ इतना बड़ा धोखा किया। कुमार विक्की और उसके घरवालों पर नजर क्यों रख रहा था ये तो विक्की नहीं जानता था लेकिन ऐसे बहुत से सवाल थे जिनका जवाब उसे कुमार से लेना था और यही सोचकर विक्की ने शॉवर बंद किया। कपडे बदले और बाथरूम से बाहर आ गया।
विक्की कुमार से मिलने जा रहा था वह उस से आमने सामने बात करके सब क्लियर करना चाहता था इसलिए उसने अपनी गाड़ी की चाबी उठाई और जैसे ही जाने लगा उसका फोन बजा। एक अनजान नंबर से कॉल देखकर विक्की ने फोन उठाया और कहा,”हेलो !”
“कुमार से मिलने जा रहे हो ?”,दूसरी तरफ से आवाज आयी
“तुम्हे कैसे पता ?”,विक्की ने हैरानी से कहा , इस अनजान आदमी से विक्की पहले भी बात कर चुका था।
“अपनों से धोखा मिलने के बाद सबसे पहली गलती यही करता है वह धोखा देने वाले से सवाल करने जाता है कि उसने ऐसा क्यों किया ?”,दूसरी तरफ से किसी ने फिर सधे हुए स्वर में कहा
“मुझे जानना है आखिर कुमार ने ये सब क्यों किया ? और क्या डेड के साथ डील करने वाला इंसान कुमार है ? अगर कुमार वो इंसान है तो फिर उसे पता होगा छवि का रेप किसने किया ? मैं उसे छोडूंगा नहीं दोस्त होकर उसने मेरी पीठ में छुरा घोपा है।”,विक्की ने तड़पकर कहा
“ये वक्त जोश का नहीं होश का विक्की , तुमने वो कहावत नहीं सुनी “घर का भेदी लंका ढाये”,दूसरी तरफ से आदमी की आवाज आयी और विक्की ख़ामोशी से उसकी बात सुनने लगा।
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