Haan Ye Mohabbat Hai – 73
चित्रा ब्रिज पर उस शख़्स के सामने हैरानी से उसे देख रही थी वो शख़्स कोई और नहीं बल्कि अक्षत व्यास था। अक्षत जब भी बहुत उदास होता था इस ब्रिज पर चला आता था। चित्रा को वहा देखकर अक्षत भी थोड़ा हैरान था। चित्रा को खामोश देखकर अक्षत ने कहा,”तुम इस वक्त यहाँ क्या कर रही हो ?”
“क्या अब कही आने जाने के लिए भी मुझे आपसे परमिशन लेनी पड़ेगी ?”,चित्रा ने उखड़े स्वर में कहा
अक्षत ने देखा चित्रा के सूट का गला कुछ बड़ा है और उसका दुपट्टा उसके हाथ में है तो उसने नजरे घुमाकर कहा,”अपना दुपट्टा सही करो।”
चित्रा ने हाथ में पकडे दुपट्टे को सही से लगाया और वहा से जाने लगी तो अक्षत ने कहा,”चित्रा !”
चित्रा रुक गयी उसका दिल धड़क उठा , अक्षत के लिए उसके मन में भावनाये अब भी थी। वह नहीं चाहती थी अक्षत उसकी आँखों में उन भावनाओ को देखे।
“आई ऍम सॉरी”,अक्षत ने कहा
चित्रा हल्का सा मुस्कुराई लेकिन मुस्कुराहट तकलीफ से भरी थी।
चित्रा अक्षत की तरफ पलटी और कहा,”किसी का दिल तोड़कर उसे सॉरी बोल देना आपके लिये तो ये सब बहुत आसान होगा न सर , लेकिन मैं आपसे नाराज नहीं हूँ , मैं आपसे कभी नाराज हो ही नहीं सकती क्योकि मैं तो आपसे,,,,,,,,,,,,,,मैंने सोच समझ कर आपसे प्यार नहीं किया है बस हो गया इस पर मेरा कोई जोर नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,मैं कितना भी समझाने की कोशिश करू लेकिन मैं जो आपके लिये महसूस करने लगी हूँ वो मैं आपको नहीं बता सकती ,, ये ऐसा सच है जिस से आप स्वीकार नहीं कर सकते और मैं दूर भाग नहीं सकती,,,,,,,,,,,,
मुझे समझ नहीं आता आखिर ये मोहब्बत इतनी कॉम्प्लिकेटेड क्यों होती है ? क्यों हम उसे पा नहीं सकते जिसे हम दिल से चाहते है , क्यों वो हर इंसान हमारा दिल तोड़ देता है जो इस दिल के सबसे करीब होता है।”
“क्योकि हम गलत इंसान से मोहब्बत की उम्मीद कर बैठते है।”,अक्षत ने दर्द भरे स्वर में कहा
अक्षत चित्रा की तरफ पलटा और कहा,”तुम्हारी मोहब्बत सही है बस तुम गलत इंसान से कर बैठी हो,,,,,,,,,मेरे बारे में तुम कुछ नहीं जानती बस मुझे देखा , मुझसे मिली , मेरी कुछ बातों से इम्प्रेस होकर तुम मुझे पसंद करने लगी और उसे प्यार का नाम दे दिया। अगर तुम मेरी कहानी जानती तो शायद कभी ये भूल नहीं करती।”
“आप मेरे प्यार को भूल का नाम दे रहे है ?”,चित्रा ने सवाल किया
“नहीं चित्रा , मैं सिर्फ तुम्हे अपनी कहानी सुनाना चाहता हूँ उसे सुनने के बाद शायद तुम अपना फैसला बदल दो,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा
चित्रा ख़ामोशी से अक्षत की तरफ देखने लगी और आँखों ही आँखों में सहमति जताई। अक्षत चित्रा को अपने बारे में बताने लगा। अपने परिवार , अपने कॉलेज , अपने जीने के तरीके के बारे में , उसने बताया कैसे मीरा उसकी जिंदगी में आयी और वह बदलने लगा ,, मीरा और अपने प्यार के बारे में , मीरा से दूर रहकर खुद को काबिल बनाने के बारे में ,
मीरा और अपनी शादी के बारे में , शादी के बाद निहारिका के उनके बीच आने के बारे में , अपनी जिंदगी के सबसे खुबसुरत पल के बारे में जब अमायरा उसके और मीरा की जिंदगी में आयी , अमायरा के साथ बिताये पलों के बारे में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
अक्षत सब बताये जा रहा था और बताने के साथ ही सब उसकी आँखों के सामने स्लाइड शो की तरह चल रहा था। जैसे जैसे अक्षत बताते जा रहा था हंसी , ख़ुशी , उदासी और गुस्से के मिले जुले भाव उसके चेहरे पर आ जा रहे थे। चित्रा ख़ामोशी से सब सुनते रही।
रात हो चुकी थी और आसमान में बादल गरजने लगे। बारिश शुरू हो गयी लेकिन अक्षत चित्रा को अपने बारे में बताने में इतना खोया हुआ था कि उसे बारिश का अहसास भी नहीं हुआ। वह भीगते हुए चित्रा को सब बताता रहा। उसने अमायरा के जाने से लेकर छवि दीक्षित केस के रीओपन होने तक का सब हाल चित्रा के सामने रख दिया।
अक्षत और चित्रा दोनों ही बारिश में बुरी तरह भीग चुके थे। अक्षत ने अपने बालों में से हाथ घुमाया और कहा,”क्या इसके बाद भी तुम इन अहसासों को मोहब्बत का नाम देना चाहोगी चित्रा ? मैं मीरा को नहीं भूल सकता , ना उसे छोड़ सकता हूँ ,, उसकी जगह किसी और को देना तो दूर मैं उसके अलावा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकता। मीरा सिर्फ मेरी पत्नी ही नहीं बल्कि मेरी आत्मा है , इस दुनिया में मेरी माँ के बाद सिर्फ मीरा है जो मुझे सम्हाल सकती है।
मैं तुम्हारी भावनाओ की कदर करता हूँ लेकिन मैं कभी तुम्हे मीरा की जगह नहीं दे सकता,,,,,,,,,,,,,,मैं अपनी बची हुई जिंदगी उसके इंतजार में गुजार सकता है लेकिन उसकी जगह किसी और को नहीं दे सकता इसलिए खुद को हर्ट करना बंद करो। प्यार वो है जो बिना मांगे मिल जाये,,,,,,,,,,,,,,,जिद करके हासिल किया गया प्यार , प्यार नहीं भीख कहलाती है। अब ये तुम्हे तय करना है कि तुम्हे किसी की सच्ची मोहब्बत चाहिए या भीख ?”
कहकर अक्षत खामोश हो गया। बारिश अब भी जारी थी। चित्रा के कपडे भीग चुके थे और बालों से पानी झर रहा था।
अक्षत की कहानी जानकर चित्रा का दिल फिर टूट गया। वह नहीं जानती थी मीरा अक्षत का पहला प्यार है और उसे पाने के लिये अक्षत ने इतना सब अपनी जिंदगी में देखा है। मीरा और अक्षत की मोहब्बत के सामने उसे अब अपनी भावनाये बहुत ही मामूली नजर आने लगी। वह नम आँखों से अक्षत को देखते रही।
अक्षत ने एक गहरी साँस ली और कहने लगा,”मैंने अपनी जिंदगी में अपने गुस्से की वजह से बहुत कुछ खोया है चित्रा , तुम एक बहुत स्ट्रांग लड़की हो मैं नहीं चाहता मेरे लिये तुम खुद को खो दो। तुम्हे अपने सपने पर फोकस करना चाहिए ,, तुम्हे याद होना चाहिए कि तुम्हे इस शहर की सबसे बड़ी क्रिमिनल लॉयर बनना है , अपने पिता की मौत का बदला लेना है और वो तुम कर सकती हो,,,,,,,,,,,,,,,,
इसमें मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ , एक गाइड के रूप में , एक सीनियर के रूप में लेकिन इस से ज्यादा मैं तुम्हे कुछ नहीं दे सकता। मुझे समझने को कोशिश करो , हालातों को मेरे लिये और मुश्किल मत बनाओ ,,,, मुझसे नजदीकियां बढ़ाने वाले हर इंसान को सिर्फ दर्द मिला है मैं नहीं चाहता वो तुम्हे भी मिले,,,,,,,,,!!”
चित्रा ने अपने आँसू पोछे और कहा,”मुझे माफ़ कर दीजिये सर , मैं ये सब नहीं जानती थी,,,,,,,,,,,,,हाँ मैं आपको बहुत पसंद करती हूँ , पहली बार मुझे कोई ऐसा मिला जिसने मुझे पलटकर नहीं देखा और मुझमे किसी तरह की दिलचस्पी नहीं दिखाई और बस मैं आपको पाने के लिये कोशिश करने लगी,,,,,,,,,,मैंने अपने ईगो को प्यार समझ लिया सर,,,,,,,,,लेकिन ये ईगो कब प्यार में बदल गया मैं नहीं जानती ? आप मुझे नहीं मिलेंगे मैं जानती हूँ ,
आप कभी मेरे प्यार को स्वीकार भी नहीं करेंगे मैं ये भी जानती हूँ लेकिन मैं क्या करू सर मैं आपको नहीं भूल सकती , मैं आपसे दूर रहकर भी आपसे इतनी ही मोहब्बत करुँगी और दुआ करुँगी कि आप और मीरा फिर से एक हो जाये,,,,,,,,,,,,,और कभी जुदा ना हो।”
कहते हुए चित्रा की आँखों में फिर आँसू भर आये।
अक्षत ने देखा मौसम काफी खराब हो चुका है तो उसने चित्रा से कहा,”रात काफी हो चुकी है , तुम्हे घर जाना चाहिए। अनजाने में मैंने अगर कुछ गलत कह दिया हो तो मैं माफ़ी चाहूंगा।”
“सर जाने से पहले मैं आपसे कुछ मांगू तो आप देंगे ?”,चित्रा ने कहा
“हम्म्म कहो !”,अक्षत ने कहा
“जाने से पहले क्या मैं एक बार आपको गले लगा सकती हूँ”,चित्रा ने उम्मीद भरे स्वर में कहा
अक्षत चित्रा को मना नहीं कर पाया , बारिश में भीगते हुए उसने अपने हाथो को हवा में फैला दिया। चित्रा आकर अक्षत के गले लग गयी। एक सुकून का अहसास चित्रा को इस वक्त महसूस हो रहा था लेकिन अक्षत के मन में चित्रा के लिये कोई भावनाये नहीं थी उसने अपने हाथो की मुट्ठी बांध ली और चित्रा को छुआ तक नहीं उसके जहन में अब भी सिर्फ मीरा चल रही थी।
अक्षत चित्रा से दूर हटा और उसे घर जाने को कहा। चित्रा अपनी स्कूटी लेकर वहा से चली गयी और अक्षत भी निकल गया। अक्षत और चित्रा की ये मुलाकात क्या रंग लाने वाली थी कोई नहीं जानता था।
देर रात अक्षत घर पहुंचा। रात के 11 बज रहे थे अक्षत बारिश में बुरी तरह भीग चुका था जिसकी वजह से उसे छींके आने लगी थी। अक्षत ने गाड़ी पार्किंग में लगाई और घर के दरवाजे की तरफ चला आया। दरवाजा खुला था अक्षत धीरे से अंदर आया ,, घर की लाइट्स सब बंद थी। अक्षत सीढ़ियों की तरफ जाने लगा तो राधा की आवाज उसके कानो में पड़ी,”आशु !”
अक्षत रुका और पलटा तो राधा उसके पास आयी और हाथ में पकड़ा कप उसकी और बढ़ाकर कहा,”ये पी लो , बारिश में भीगकर आये हो जुखाम हो जाएगा।”
अक्षत ने राधा के हाथ से कप लिया और पी लिया। अक्षत ने कप राधा की तरफ बढ़ाया तो राधा ने कहा,”कपडे बदलकर नीचे आ जाओ मैं खाना गर्म करती हूँ।”
“माँ परेशान मत होईये मैं खुद लेकर खा लूंगा।”,अक्षत ने कहा
“आशु ! ये सब करके मैं कभी परेशान नहीं होती , हाँ तुम्हे खामोश देखती हूँ तब जरूर परेशान हो जाती हूँ।”,राधा ने उदास होकर कहा
“मैं चेंज करके आता हूँ।”,अक्षत ने कहा और वहा से चला गया
किचन में आकर राधा अक्षत के लिये खाना गर्म करने लगी। उन्होंने अक्षत के लिये गरम चपाती बनायीं और लेकर बाहर डायनिंग टेबल के पास चली आयी। बाहर आकर राधा हैरान थी क्योकि सोमित जीजू और अर्जुन वहा पहले से मौजूद थे।
“आप अभी तक सोये नहीं सोमित जी ? और अर्जुन तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?”,राधा ने हैरानी से पूछा
“माँ बारिश हो रही है तो चाय पीने का मन किया तो बस चला आया।”,अर्जुन ने कहा
“और सोमित जी आप ? आपको भी चाय पीनी है ?”,राधा ने पूछा
“मैंने सोचा चाय बनेगी तो साथ में पकोड़े भी बनेंगे ही बस इस लालच में चला आया।”,सोमित जीजू ने खिंसिया कर कहा
“हम्म्म ठीक है , मैं बना देती हूँ।”,राधा ने कहा तो सोमित जीजू उठे और कहा,”अरे नहीं मौसीजी , आप बैठो अपने आशु को खाना खिलाओ चाय पकोड़े मैं बनाता हूँ।”
राधा कुर्सी पर आ बैठी और अक्षत का इंतजार करने लगी। अर्जुन अपने फोन में बिजी था। कुछ देर बाद अक्षत कपडे बदल कर आया और कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए अर्जुन की तरफ देखा। इतनी रात में अर्जुन को वहा देखकर अक्षत थोड़ा सोच में पड़ा लेकिन फिर ध्यान खाने की थाली पर जमा लिया। राधा थाली में
खाना परोस चुकी थी। अक्षत चुपचाप खाना खाने लगा। खाते हुए भी अक्षत सिर्फ मीरा के बारे मे ही सोच रहा था , आज अखिलेश ने जिस तरह से मीरा का हाथ पकड़कर उस पर हक़ जमाया।
मीरा का ख्याल आते ही गले में खाना अटका और वह खाँसने लगा। पास बैठे अर्जुन ने देखा तो उसने अपना फ़ोन साइड में रखा और पानी का गिलास अक्षत की तरफ बढ़ा दिया। अक्षत एकटक अर्जुन को देखता रहा ये वही अर्जुन था जो बीती शाम अक्षत पर गुस्सा कर रहा था और अब एकदम से परवाह दिखा रहा था।
“क्या हुआ ?”,अर्जुन ने गिलास एक बार फिर अक्षत की तरफ करके कहा। अक्षत ने गिलास लिया और पानी पीकर साइड में रख दिया।
“तू फिर से खाते हुए कुछ सोच रहा था ?”,राधा ने सवाल किया
“नहीं माँ , सब्जी थोड़ी तीखी है तो बस गले में लग गयी।”,अक्षत ने कहा और खाना खाने लगा
सोमित जीजू गरमा गर्म पकोड़े प्लेट में रखकर ले आये और टेबल पर रखते हुए कहा,”गरमागरम पकोड़े तैयार है। मौसीजी गैस पर चाय रखी है वो तैयार है क्या आप उसे छान देगी प्लीज ?”
“हाँ ! आप बैठिये मैं लेकर आती हूँ।”,राधा ने कहा और वहा से चली गयी
अक्षत ने प्लेट में रखे पकोड़े देखे और फिर सोमित जीजू की तरफ देखा वह समझ गया कुछ तो बात थी जो अर्जुन और सोमित जीजू इस वक्त भी जाग रहे थे लेकिन वह सीधे सीधे दोनों से कुछ पूछ नहीं पाया।
अर्जुन और जीजू पकोड़े उठाकर खाने लगे। पकोडो की खुशबु ने अक्षत का ध्यान भी अपनी तरफ खींचा लेकिन जीजू बनाकर लाये थे इसलिये उसने नहीं उठाया क्योकि कल शाम के बाद अर्जुन के साथ साथ वह जीजू से भी नाराज था।
अक्षत को खामोश देखकर सोमित जीजू ने कहा,”यार अर्जुन ! इन पकोड़े के साथ धनिया पुदीने की चटनी मिल जाती तो मजा आ जाता नई,,,,,,,,!!”
“हाँ जीजू ! वैसे उसके बिना भी ये काफी टेस्टी बने है ,, ज़रा चाट मसाला तो डालिये इन पर”,अर्जुन ने कहा
“एक मिनिट चाट मसाला के निम्बू भी लेकर आता हूँ,,,,,,,,,,,उस पर लाल मिर्च और लहसुन की चटनी,,,,,,,,,ओहो हो मजा ही आ जाएगा”,सोमित जीजू ने कहा
“असली मजा तो इन पकोड़ो में है आज का खाना वैसे भी बहुत सिंपल बना था,,,,,,!!”,अर्जुन ने कहा तो अक्षत खाते खाते रुक गया और कहा,”आप दोनो यहाँ बैठकर चुपचाप नहीं खा सकते ?”
“तुम्हे क्या परेशानी है ? तुम्हे चाहिए तो हम से मांग लो ना,,,,,,,,,,!”,अर्जुन ने कहा
“नो थैंक्यू ! यू गाईज केरी ऑन”,अक्षत ने कहा
राधा तब तक चाय ले आयी। अपने कमरे से बाहर आते दादू ने कहा,”क्या बात है , पकोड़ो की कितनी अच्छी खुशबु आ रही है।”
“अरे दादू आईये ना बैठिये ये लीजिये”,अर्जुन ने प्लेट दादू के सामने रखते हुए कहा
पकोड़ो की खुशबु पुरे घर में फ़ैल गयी या यू मानो फैला दी गयी। धीरे धीरे दादी माँ , तनु , नीता , काव्या और चीकू भी वहा चले आये। अक्षत खाना खा रहा था और सब घरवाले वहा मौजूद थे। तभी अर्जुन ने साइड वाली कुरसी पर पड़ा पटाखा उठाया और हवा में छुड़ा दिया और सभी एक साथ चिल्लाये,”Happy Birthday”
अक्षत ने हैरानी से सबको देखा और फिर उसकी नजर सामने दिवार पर लगी घडी पर चली गयी जिसमे 12 बजे थे। अक्षत को याद आया आज उस का बर्थडे है
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