Haan Ye Mohabbat Hai – 61
सिरपुर झील के किनारे अपनी गाड़ी के पास खड़ी मीरा फटी आँखों से हाथ में पकडे उस कड़े को देखे जा रही थी। उसके दिल की धड़कने तेज थी और आँखों में आँसू। उसके चेहरे पर हैरानी और बेबसी के भाव थे और जहन में चल रहा था अपने ही पिता का चेहरा,,,,,,,,,,,,,,,,तो क्या सच में अमायरा का कत्ल उसके अपने पिता ने किया था ?
मीरा कड़े को हाथ में पकडे घुटनो के बल नीचे आ बैठी और रोते हुए कहा,”नहीं ! ये नहीं हो सकता , पापा ऐसा नहीं कर सकते , वो हम से हमारी अमायरा को नहीं छीन सकते।
वो इतने निर्दयी नहीं हो सकते कि एक मासूम की जान ले ले,,,,,,,,,,,,,,,पर ये कडा , ये कडा भी तो पापा का ही है , नहीं हम ये हरगिज नहीं मान सकते , हम नहीं मान सकते पापा ने ऐसा किया है।”
रोते हुए मीरा ने अपना सर नीचे झुका लिया और फिर एकदम से सर उठाकर कहने लगी,”हमे माफ़ कर देना बेटा हम तुम्हे नहीं बचा पाए , हम फैसला नहीं कर पा रहे है आखिर सच क्या है ? हम कैसे मान ले आप पर जान लुटाने वाले आपके नाना आपकी जान ले सकते है ? हम कैसे मान ले उन्होंने आपको हम से छीन लिया है ?”
कहते हुए मीरा फूट फूट कर रोने लगी। उसका रोना इतना दर्दभरा था कि किसी का भी सीना चीर दे लेकिन इस वक्त मीरा का विलाप सुनने वाला वहा कोई नहीं था। कुछ देर बाद ही एक गाड़ी वहा आकर रुकी। अखिलेश एक गाड़ी से नीचे उतरा और गाड़ी वाले को पैसे देकर मीरा की तरफ आया। अखिलेश को वहा छोड़कर गाड़ी वहा से जा चुकी थी।
अखिलेश मीरा का पास आया और उसे सम्हालते हुए कहा,”मीरा मैडम ! मीरा मैडम सम्हालिए अपने आप को,,,,,,,,,,,,,,आप इतनी सुबह यहाँ क्या कर रही है ? आप , आप ठीक तो है ना मैडम ?”
मीरा इस वक्त इतने दर्द में थी कि अपनी भावनाओ पर काबू ना पा सकी और रोते हुए अखिलेश के सीने से आ लगी। अखिलेश जड़ हो गया आज से पहले मीरा शायद ही उसके इतना करीब आयी होगी। उसके हाथ हवा में ही रुक गए वह कुछ बोल ही नहीं पाया और मीरा उसके सीने से लगाकर रोते रही।
अमायरा के जाने के जख्म जो भरने लगे थे आज फिर हरे हो गए। मीरा ने अखिलेश की शर्ट को कसकर पकड़ लिया और रोते हुए कहने लगी,”हमे यहाँ से ले चलिए अखिलेश जी , हमे यहाँ से ले चलिए , हम और सच नहीं देख पाएंगे,,,,,,,,,,,,,,,,हमे यहाँ घुटन हो रही है। प्लीज हमे यहाँ से ले जाईये”
मीरा को इस तरह रोते देखकर अखिलेश का भी दिल पसीज गया और उसने मीरा को अपने सीने से लगाते हुए कहा,”हाँ ! मैडम , मैं आपको यहाँ से ले जाऊंगा , आप मत रोईए”
“उसने हम से हमारी बेटी छीन ली , उसने हम से अमायरा को छीन लिया,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा अपना होशो-हवास खो चुकी थी। अखिलेश उसे सम्हलाकर गाड़ी के पास ले आया और उसे अंदर बैठाते हुए कहा,”मीरा मैडम ! सम्हालिए अपने आप को,,,,,!!”
अखिलेश ने दरवाजा बंद किया और खुद ड्राइवर सीट पर आ बैठा। उसने देखा मीरा अभी भी रोये जा रही है तो उसने अपनी जेब से रुमाल निकालकर मीरा की ओर बढ़ाते हुए कहा,”मैडम , प्लीज मैडम शांत हो जाईये।
अमायरा को गुजरे 6 महीने हो चुके है आप अगर रोयेगी तो उसकी आत्मा को बहुत तकलीफ होगी , प्लीज शांत हो जाईये”
मीरा अब थोड़ी थोड़ी सामान्य हो चुकी थी इसलिए उसने अखिलेश के हाथ से रुमाल लिया और अपने आँसू पोछने लगी।
अखिलेश ने गाड़ी में रखी पानी की बोतल मीरा की तरफ बढाकर कहा,”थोड़ा पानी पी लीजिये”
मीरा ने एक घूंठ पीया और बोतल वापस अखिलेश की और बढ़ा दी।
अखिलेश ने गाड़ी स्टार्ट की और मीरा को लेकर वहा से निकल गया। मीरा के हाथ में अभी भी अमर जी का कडा था जिसे वह बुझी आँखों से देखे जा रही थी। मीरा को खामोश देखकर अखिलेश ने कहा,”मैडम ! आप सुबह सुबह यहाँ ऐसे अकेले ?”
“हमे आज सुबह उस शख्स का फोन आया था जिसने अमायरा को किडनेप किया था”,मीरा उदासी भरे स्वर में कहा
अखिलेश ने सूना तो उसके चेहरे पर कई भाव आये और गए उसने खुद को सामान्य रखते हुए कहा,”उसने क्या कहा आपसे ?”
“उसने कहा वो अगर कातिल का नाम जानना है तो हम यहाँ आ जाये”,मीरा ने कहा
अखिलेश के माथे पर पसीने की बुँदे तैरने लगी। वह मीरा के आगे बोलने का इंतजार करने लगा लेकिन मीरा खामोश हो गयी। मीरा को खामोश देखकर अखिलेश ने कहा,”मैडम ! क्या उसने आपको बताया अमायरा का कातिल कौन है ?”
मीरा के हाथ में अमर जी का कडा था जो उसे उस किडनेपर से मिला था लेकिन वह अपने ही पिता को अपनी बच्ची का कातिल कैसे कह देती ? मीरा ने अखिलेश की तरफ देखा और निराशा भरे स्वर में कहा,”नहीं उसने नहीं बताया , वो बस हमारे साथ खेल रहा है।”
अखिलेश ने सुना तो चैन की साँस ली और कहा,”लगता है आपके साथ किसी ने भद्दा मजाक किया है , अमायरा को गुजरे 6 महीने हो चुके है कोई अब उसके कातिल के बारे में भला क्या बताएगा ? आप परेशान मत होईये मैडम , मैं आप साथ हूँ।”
मीरा ने कुछ नहीं कहा और अपना सर सीट से लगा लिया। उसे इस वक्त कुछ समझ नहीं आ रहा। अमायरा के किडनेपर ने एक बार फिर उसके जख्मो को हरा कर दिया था और वार पहले से ज्यादा गहरा था।
सुबह अक्षत उठा तो खुद को हॉल में रखे सोफे पर पाया। उसका सर सोमित जीजू की गोद में था और जीजू भी बेपरवाह सोये हुए थे। अक्षत उठा और सोमित जीजू को उठाते हुए कहा,”जीजू , जीजू , जीजू उठिये”
“हाँ ! हाँ क्या हुआ ? अर्जुन से कहो प्रोजेक्ट फाइल मैंने मैनेजर को भिजवा दी है।”,सोमित जीजू ने हड़बड़ाते हुए कहा
“जीजू आप घर पर है।”,अक्षत ने कहा
जीजू ने अपनी आँखे मसली और उबासी लेते हुए कहा,”मैं जानता हूँ साले साहब ! मैं तो बस ये देख रहा था आप होश में है या नहीं ?”
“होश में ? क्या मैंने कल रात नशा किया था ?”,अक्षत ने हैरानी से पूछा क्योकि अक्षत को भी ठीक से याद नहीं आ रहा था वो हॉल में कैसे सो रहा है ?
“नशा ? ये पूछो साले साहब कौनसा नशा ?”,सोमित जीजू ने अक्षत को और ज्यादा हैरानी में डालते हुए कहा
“कौनसा नशा जीजू ?”,अक्षत ने पूछा
सोमित जीजू अक्षत के थोड़ा पास आये और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”मोहब्बत का नशा , कल रात तुम्हारी बातो से अहसास हुआ आज भी तुम्हारे दिल में मीरा के लिये बेइंतहा मोहब्बत है।”
अक्षत ने सुना तो उसका दिल धड़क उठा लेकिन उसने अपने चेहरे पर कोई भाव आने नहीं दिए और वहा से उठते हुए कहा,”मीरा के लिए इस दिल के दरवाजे हो चुके है।”
अक्षत ने इतना कहा और वहा से चला गया जबकि सच वह भी जानता था। सोमित जीजू ने सुना तो मुस्कुराते हुए कहा,”सिर्फ दिल के दरवाजे बंद हुए है दिल की खिड़की तो अब भी खुली है न , साले साहब”
“डॉक्टर के यहाँ आपका अपॉइंटमेंट फिक्स कर दू ?’,अचानक से तनु की आवाज सोमित जीजू के कानो में पड़ी तो उनकी तंद्रा टूटी
“अपॉइंटमेंट ? डॉक्टर के साथ ? लेकिन मुझे क्या हुआ है ?’,सोमित जीजू ने हैरानी से उठकर तनु की तरफ आते हुए कहा
“अकेले में बैठकर आदमी या तो तब मुस्कुराता है जब वो प्यार में होता है या फिर तब जब उसका मानसिक संतुलन हिल जाता है। जितनी आपकी उम्र है मुझे नहीं लगता आप प्यार में है तो पक्का आपका मानसिक संतुलन हिला है।”,तनु ने कहा
तनु की बात सुनकर सोमित जीजू को याद आया अभी कुछ देर पहले ही वे अक्षत के बारे में सोचकर मुस्कुरा रहे थे लेकिन उन्होंने तनु के पास आकर अपने कंधे से उसके कंधे को टकरा कर कहा,”क्यों ? इस उम्र में प्यार में क्यों नहीं हो सकता मैं ?”
“सुबह सुबह कैसी बाते कर रहे है आप ? नीचे आ जाईये नाश्ता तैयार है।”,कहते हुए तनु वहा से चली गयी
सोमित जीजू का मुंह बन गया और उन्होंने अंगड़ाई लेते हुए कहा,”सच कहा है किसी ने बच्चे होने के बाद बीविया अनरोमांटिक हो जाती है।”
सोमित जीजू नीचे चले आये। सीढ़ियों से उतरते हुए सोमित जीजू की नजर हॉल में बैठे अर्जुन पर पड़ी जो उन्हें मुस्कुरा रहा था। सोमित जीजू को ये बहुत अजीब लगा लेकिन अर्जुन तो जैसे रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। सोमित जीजू अपने कमरे की तरफ जाने लगे लेकिन अर्जुन को कुछ ज्यादा ही मुस्कुराते देखकर पहले उसके पास आये और कहा,”क्या है ? चाय की दुकान पर बैठे छिछोरे लड़के की तरह मुझे देखकर क्यों मुस्कुरा रहे हो ?”
“कुछ नहीं बस आज आप मुझे कुछ बदले बदले नजर आ रहे है।”,अर्जुन ने फिर मुस्कुराते हुए कहा
“बदला बदला नजर आ रहा हूँ ? मेरी क्या पूंछ निकल आयी है या मेरे सर पर सींग निकल आये है ?”,सोमित जीजू ने चिढ़ते हुए कहा
“नहीं लेकिन आज आपके चेहरे से प्यार टपक रहा है , लगता है कल की रात बहुत अच्छी गुजरी है आपकी ?”,अर्जुन ने उन्हें छेड़ते हुए कहा
“अरे कहा ? रातभर मच्छरों ने सोने कहा दिया मुझे,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने उलझन भरे स्वर में कहा
“मच्छर ने या मगरमछ ने ?”,अर्जुन ने खींसे निपोरते हुए कहा
“सुबह सुबह क्या चाहिए तुम्हे ?”,सोमित जीजू ने कहा
“कुछ नहीं आज सुबह मैंने एक बहुत ही रोमांटिक सीन देखा , रुकिए आपको भी दिखाता हूँ सुबह सुबह तबियत खुश हो जाएगी आपकी”,कहते हुए अर्जुन ने
अपने फोन में जीजू को सुबह क्लिक की फोटो दिखाई जिसमे अक्षत सोमित जीजू की गोद में सर रखकर सो रहा था।
सोमित जीजू ने फोटो देखी तो उनकी आँखे खुली की खुली रह गयी उन्होंने हैरानी से अर्जुन की तरफ देखा तो अर्जुन ने फोन उनके सामने से हटाते हुए कहा,”तभी मैं सोचु , अक्षत को मीरा की कमी महसूस क्यों नहीं होती ? उसकी स्टेपनी मीरा आप जो है।”
“छी छी ! कैसी बाते कर रहे हो ? इस तस्वीर को डिलीट करो अभी के अभी घर में किसी ने देखा तो क्या अच्छा लगेगा ?”,सोमित जीजू ने कहा
“हरगिज नहीं ! मैं तो इसे फॅमिली ग्रुप में भेजने वाला हूँ और तनु दी को तो परसनली आखिर वो भी तो जाने उनका प्यार आजकल कहा बंट रहा है।”,अर्जुन ने सोमित जीजू को छेड़ते हुए कहा।
“साले ?,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने अर्जुन को घूरते हुए कहा तो अर्जुन ने जीजू को फोन दिखाया और आँखों से इशारा किया तो सोमित जीजू ने तुरंत अपनी टोन चेंज कर दी और कहा,”मेरा मतलब साले , मेरे लाल मेरे पीले , अपने भाई जैसे जीजू के साथ ऐसा करोगे तुम ? नहीं ना , चलो अब मजाक बहुत हुआ फोटो डिलीट करो।”
“2000 लगेंगे,,,,,,!!”,अर्जुन ने कठोरता से कहा
“क्या क्या क्या पागल हो गए हो ? घर में ही सौदेबाजी कर रहे हो ,, मैं कोई पैसे वैसे नहीं दे रहा।”,सोमित जीजू ने तनते हुए कहा
“ठीक है फिर आज नाश्ते में इडली सांभर के साथ आपके और आपके प्यारे साले साहब के प्यार का तड़का भी टेस्ट करेंगे”,अर्जुन ने जाते हुए कहा
सोमित जीजू ने उसे रोककर पीछे खींचा और मिमियाते हुए कहा,”क्यों मेरी इज्जत का इडली सांभर करने पर तुले हो ,, मांडवली नहीं हो सकती क्या ?”
“ठीक है 3000,,,,,,,!!”,अर्जुन ने फिर कठोरता से कहा
“क्या अभी तो 2000 बोला और अभी सीधा 3000,,,,,,,,,,ये तो चीटिंग है।”,सोमित जीजू ने कहा
“4000,,,,,,,,,,!”,अर्जुन ने बिना किसी भाव के कहा
“अरे लेकिन,,,,,,,!”,सोमित जीजू ने इतना ही कहा कि अर्जुन फिर बोल पड़ा,”5000,,,,,,,,,,!!”
“ओके डील डन,,,,,!!”,अर्जुन कही पैसे और ना बढ़ा दे सोचकर जीजू ने कहा तो अर्जुन ने बड़ी सी स्माइल दी और फोन जीजू की तरफ बढ़ा दिया ताकि वो खुद डिलीट कर दे।
“देखना ये पैसे हजम नहीं होंगे तुमको , इस मोटे गरीब की हाय लगेगी तुम्हे,,,,,,,,,,!”,कहते हुए सोमित जीजू अर्जुन के फोन से अपनी और अक्षत की फोटो डिलीट करने लगे।
उन्हें टाइम लगाते देखकर अर्जुन ने कहा,”एक फोटो डिलीट करने में इतना वक्त लगता है क्या ?”
“ये लो,,,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने मुंह बनाते हुए फोन अर्जुन की तरफ बढ़ा दिया और वहा से चले गए। अर्जुन ने भी फोन जेब में रखा और ख़ुशी ख़ुशी वहा से चला गया
विक्की कुमार के कहने पर उसके साथ छवि के मोहल्ले में आया था लेकिन छवि के मोहल्ले वालो ने उसे गलत समझा और पीट दिया। कोर्ट में तो विक्की को कोई हाथ नहीं लगा सकता था इसलिये आज लोगो को मौका मिला और उन्होंने उस पर हाथ साफ कर लिया। कुछ देर बाद कुमार विक्की के पास आया और उसे उठाते हुए कहा,”हे ! ये क्या हुआ ? किसने किया ?”
“इन लोगो को लगा मैं यहाँ छवि के लिये आया हूँ और इन्होने मेरी बात सुने बिना ही,,,,,,,,,,,,,!!”,विक्की ने अपने होंठ पर लगे खून को साफ करते हुए कहा
“व्हाट ? ये लोग पागल है क्या ? और तूने इन्हे वापस क्यों नहीं मारा तू तो बॉक्सिंग में चैम्पियन है तूने इन लोगो से मार कैसे खा ली ?”,कुमार ने विक्की को सम्हालकर गाड़ी की तरफ लाते हुए कहा
“मैं यहाँ किसी तरह का तमाशा नहीं करना चाहता था। चलो चलते है।”,विक्की ने गाड़ी का दरवाजा खोलकर अंदर बैठते हुए कहा
विक्की को काफी चोट लगी थी वह ड्राइविंग नहीं कर सकता था इसलिये कुमार ड्राइवर सीट पर आ बैठा और गाड़ी स्टार्ट कर वहा से निकल गया।
गनीमत था विक्की को कोई गंभीर चोट नहीं लगी थी। उसने सर सीट से लगाकर अपनी आँखे मूंद ली उसकी आँखों के सामने छवि का चेहरा आ गया जब वह सबके बीच उसे बचाने आयी थी। छवि की आँखों में अपने लिए परवाह देखकर विक्की के दिल को तसल्ली मिली। कानून से पहले विक्की को छवि की नजरो में बेगुनाह साबित होना था और इसकी शुरुआत धीरे धीरे हो चुकी थी।
माधवी जी को छवि का आकर विक्की के बचाव में बोलना अच्छा नहीं लगा। वे छवि का हाथ पकड़कर उसे घर के अंदर लेकर आयी और अपने सामने करते हुए कहा,”मैं जानना चाहती हूँ छवि आखिर एक ही रात में ऐसी क्या हमदर्दी हो गयी तुझे उस आदमी से जो तू उसे बचाने चली आयी।”
“माँ आपने देखा मोहल्ले वाले बेवजह उसे मार रहे थे , आखिर उसकी गलती क्या है ?”,छवि ने कहा
“गलती क्या है ? ये सवाल तुम पूछ रही हो छवि , आज जिस हाल में तुम खड़ी हो क्या ये वजह काफी नहीं है ?”,माधवी जी ने गुस्से से कहा
“माँ ! आज विक्की की कोई गलती नहीं थी मैंने देखा वो अपने दोस्त के साथ यहाँ आया था , उसका दोस्त कुमार जिसका घर यही पास ही में है।”,छवि ने कहा
“मुझे हैरानी हो रही है छवि तुम उस लड़के की साइड ले रही हो जिसने तुम्हारी जिंदगी बर्बाद की , तुम्हारे साथ,,,,,,,,,,,,,,,,वकील साहब सही थे , क्या मैं विक्की सिंघानिया से तुम्हारी बढ़ती नजदीकियों की वजह जान सकती हूँ ?”
“माँ ! ये आप क्या कह रही है ? ऐसा कुछ नहीं है,,,,,,,,,,,,,,!!”,छवि ने तड़पकर कहा वह उस इंसान से नजदीकियां कैसे बढ़ा सकती थी जिसने आज उसे इन हालातोँ में लाकर छोड़ दिया।
“तो फिर उस रात तुम विक्की के साथ हॉस्पिटल के बाहर क्या कर रही थी ?”,माधवी जी ने गुस्से से पूछा लेकिन छवि कुछ बोल पाती इस से पहले ही वह बेहोश होकर गिर पड़ी।
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