Haan Ye Mohabbat Hai – 6
राधा के उठकर जाने के बाद हॉल में एक अजीब सी ख़ामोशी फ़ैल गयी। घर में किसी को भी सौंदर्या की बात का विश्वास नहीं हुआ। सबको खामोश देखकर सौंदर्या ने कहा,”देखिये विजय जी अभी हालात ऐसे बिल्कुल नहीं है कि मीरा को इस घर में भेजा जाये,,,,,,,,,,,दामाद जी और मीरा के बीच गलतफहमियां काफी बढ़ चुकी है ऐसे में एक दूसरे को समझने के बजाय वे एक दूसरे से और ज्यादा नफरत करने लगेंगे।”
“तो आप ही बताये कि क्या किया जाये ? मुझे मेरे दोनों बच्चे अजीज है मैं उन्हें इस तरह अलग होते नहीं देख सकता,,,,,,!”,विजय जी ने कहा
सौंदर्या कुछ देर खामोश रही और फिर कहा,”जब तक सब ठीक नहीं हो जाता मीरा को भाईसाहब के यहाँ ही रहना चाहिए। एक बार मीरा अमायरा की मौत के सदमे से बाहर आ जाये फिर हम सब मिलकर उसे समझायेंगे की जो हुआ वो बस बुरे हालातों की वजह से हुआ। जैसे जैसे वक्त गुजरेगा दामाद जी का गुस्सा भी शांत हो जाएगा और वे अपनी मीरा को वापस घर ले आएंगे।”
सौंदर्या की बातो से दादू को थोड़ी राहत मिली , उन्होंने विजय जी के कंधे पर हाथ रखकर कहा,”ये ठीक कह रही है थोड़े दिनों के लिए अक्षत मीरा का दूर रहना ही बेहतर होगा। उनके भले के लिए ही सही हमे ये करना होगा।”
“लेकिन पापा हम सब इतना बड़ा फैसला कैसे ले सकते है ? ये मीरा और अक्षत की जिंदगी का सवाल है।”,विजय जी ने चिंता भरे स्वर में कहा
“विजय जी ! आप क्यों चिंता करते है ? वो घर भी मीरा का अपना घर है और हम सब है ना उसके साथ,,,,,,,,,,,,,,दादू सही कह रहे है अक्षत मीरा के रिश्ते को बचाने के लिए हमे ये करना ही होगा।”,इस बार सौंदर्या ने विजय जी के हाथ पर अपना हाथ रखकर उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा
विजय जी को सौंदर्या की बातो पर भरोसा होने लगा। व्यास फॅमिली में इन दिनों जो हो रहा था वो सब उलझा हुआ था और विजय जी जल्दबाजी में कोई भी फैसला लेकर हालात और बिगाड़ना नहीं चाहते थे।
सौंदर्या कुछ देर रुकी और फिर अपनी घडी देखते हुए कहा,”ओह्ह्ह काफी वक्त हो चुका है मुझे अब चलना चाहिए , मीरा ने मुझे घर में नहीं देखा तो परेशान हो जाएगी,,,,,,,,,,,!!”
सौंदर्या की बातें सुनकर दादू और विजय उठ खड़े हुए और दादू ने कहा,”मीरा ठीक है न , वो बच्ची बहुत मासूम है उसका ख्याल रखियेगा।”
सौंदर्या मुस्कुराई और कहा,”आप बिल्कुल चिंता मत कीजिये , मैं मीरा की भुआ नहीं बल्कि उसकी माँ हूँ मैं उसका पूरा ख्याल रखूंगी और वो जल्दी ही इस घर में वापस आएगी। अब मुझे जाने की इजाजत दीजिये। नमस्ते , आप सब भी अपना ख्याल रखियेगा,,,,,,,,,,,,,,ईश्वर आप सबको हालातों से लड़ने की हिम्मत दे।”
“आपने कुछ खाया भी नहीं,,,,,,!”,विजय जी ने कहा
“विजय जी मैंने कहा ना हमारे यहाँ बेटियों के ससुराल में पानी भी नहीं पीया जाता,,,,,,,,,,,,,,,अब मुझे इजाजत दीजिये।”,सौंदर्या ने हाथ जोड़ते हुए कहा
“आईये मैं आपको बाहर तक छोड़ देता हूँ।”,कहते हुए विजय जी सौंदर्या को दरवाजे तक छोड़ने उनके साथ चले गए। सौंदर्या अपने गाड़ी में आ बैठी और ड्राइवर सौंदर्या को लेकर वहा से चला गया।
गाड़ी में बैठी सौंदर्या के चेहरे के भाव एकदम से बदल गए और उसने पलटकर व्यास हॉउस को देखते हुए मन ही मन कहा,”मीरा तो क्या मैं उसकी परछाई तक इस घर में नहीं पड़ने दूगी। मेरे लिए वो सिर्फ मीरा नहीं बल्कि सोने का अंडा देने वाली वो मुर्गी है जिसे मैं हमेशा अपने पास रखना चाहूंगी।”
“मैडम क्या हुआ ?”,सौंदर्या को पीछे देखते पाकर ड्राइवर ने पूछा
“कुछ नहीं ! आगे देखकर गाड़ी चलाओ,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने ठीक से बैठते हुए कहा
सावित्री चाइल्ड होम
जबसे अमायरा इस दुनिया से गयी थी तब से ही चाइल्ड होम में ख़ामोशी और उदासी छा गयी। स्टाफ से लेकर वहा रहने बच्चे तक मीरा के साथ हुयी दुर्घटना को लेकर उदास और दुखी थे। अपने चेंबर में बैठा अखिलेश चाइल्ड होम के खर्चे देख रहा था। मीरा ने पहले ही जरूरत की चीजे और पैसे चाइल्ड होम भिजवा दिए थे। काम करते हुए अखिलेश ने जैसे ही अपने टेबल के ड्रावर को खोला उसकी नजरे कुछ देर के लिए वही ठहर गयी।
टेबल के ड्रावर में मीरा की तस्वीर रखी थी जिसमे मीरा मुस्कुरा रही थी। अखिलेश ने उस तस्वीर को उठाया और अपनी आँखों के सामने लाकर उसे ध्यान से देखने लगा। मीरा को देखते ही अखिलेश की आँखों में एक अलग ही चमक आ गयी और चेहरे के भाव भी बदल गए।
अखिलेश ने एक गहरी साँस भरी और कहा,”क्यों मीरा मेम ? आखिर क्यों चुना आपने उस अक्षत को ? उस इंसान को चुनकर आपने अपने लिए सिर्फ तकलीफ और दर्द ही चुना। उस आदमी ने आपको कितना दर्द दिया , कितना रुलाया जब आज भी मैं सोचता हूँ तो मेरा खून खौल उठता है। वो अक्षत व्यास आपके साथ ऐसा कैसे कर सकता है ? पर आप चिंता मत करो मैं हूँ ना,,,,,,,,,,,,,मैं हमेशा आपके साथ हूँ , मैं आपका ख्याल रखूंगा , आपको खुश रखूंगा बस आप मेरी पहले वाली मीरा मेम बन जाईये।”
“अखिलेश जी क्या इस वीक के मील की चार्जशीट,,,,,,,,,,,,,,,!!”,चाइल्ड होम के अकाउंटेंट ने केबिन में आते हुए कहा
अकाउंटेंट को वहा देखकर अखिलेश ने जल्दी से मीरा की फोटो को वापस में ड्रॉवर में रखा और खुद को नार्मल दिखाते हुए कहा,”हाँ मैं वही देख रहा था , मैंने तुम्हे पिछले हफ़्ते के खर्चो की फाइल तैयार करने को कहा था क्या वो तैयार है ?”
“नहीं सर वो आज शाम तक हो जाएगा,,,,,,!!”,अकाउंटेंट ने कहा
“आज शाम तक हो जाएगा मतलब , मैंने तुमसे कहा था कि मुझे ये आज सुबह तैयार चाहिए फिर ये तैयार क्यों नहीं है ? जब से मीरा मैडम ने चाइल्ड होम आना बंद किया है तब से तुम सब लोग अपनी मनमर्जी से काम करने लगे हो। एक काम तक तुम से ठीक से नहीं होता,,,,,,,,,,,मुझे 10 मिनिट के अंदर पूरी फाइल तैयार चाहिये,,,,,,,,,,,,,,,समझे तुम !”,अखिलेश ने चिल्लाते हुए कहा
अखिलेश को गुस्से में देखकर अकाउंटेंट थोड़ा सा घबरा गया और साथ ही अखिलेश के ऐसे बर्ताव से उसे हैरानी भी हुई उसने टेबल पर रखे पेपर्स उठाते हुए कहा,”मैं कर दूंगा सर,,,,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी सर !”
“अब जाओ यहाँ से,,,,,,,!!”,कहकर अखिलेश एक बार फिर अपने काम में लग गया।
अकाउंटेंट उतरा हुआ मुंह लिए अखिलेश के केबिन से बाहर चला आया और अपने डेस्क की तरफ आकर बैठ गया। आज से पहले अखिलेश ने उस से इस तरह से बात कभी नहीं की थी। कुछ देर बाद वह अपनी कुर्सी पर आकर बैठा और काम करने लगा।
सेंट्रल जेल , इंदौर
काले रंग की कार आकर सेंट्रल जेल के बाहर आकर रुकी। ड्राइवर गाडी से नीचे उतरा और पिछली सीट का दरवाजा खोला। गौतम सिंघानिया अपने वकील के साथ गाड़ी से नीचे उतरे और जेल के अंदर चले आये। जेल के अंदर का नजारा देखकर सिंघानिया जी को बहुत बुरा लग रहा था। उनका इकलौता बेटा यहाँ इस जेल में इन लोगो के बीच रह रहा है सोचकर ही उनका दिल बैठा जा रहा था।
“आप यही रुकिए मैं जेलर से विक्की से मिलने की पमिशन लेकर आता हूँ।”,सिंघानिया जी के वकील चोपड़ा जी ने कहा
“हम्म्म ठीक है।”,सिंघानिया जी ने कहा और एक तरफ खड़े हो गए। वे जेल की दीवारो और वहा आस पास घूम रहे केदियो को देखने लगे जिनकी हालत कुछ ज्यादा अच्छा नहीं थी। आज से पहले सिंघानिया जी ने कभी जेल में कदम नहीं रखा था लेकिन विक्की के लिए उन्हें यहाँ तक आना पड़ा। धुप से बचने के लिये उन्होंने आँखों पर धूप वाला चश्मा लगा लिया।
“सर आधे घंटे के लिये विक्की से मिलने की परमिशन मिल गयी है , आप उस से मिल सकते है।”,वकील ने कहा
सिंघानिया जी की आँखे ख़ुशी से चमक उठी क्योकि कोर्ट से विक्की को ले जाने के बाद वो उस से मिल नहीं पाए थे। सिंघानिया जी वकील के पीछे चल पड़े। चोपड़ा जी सिंघानिया जी को लेकर जेल की एक कोठरी के सामने आया जिसमे विक्की बंद था। सिंघानिया जी ने देखा विक्की दिवार से पीठ लगाकर सर झुकाये बैठा है। उसे देखते ही सिंघानिया जी का दिल भर आया और उन्होंने भर्राये गले से कहा,”विक्की ,,,,,,,,,,,,,!!”
सिंघानिया जी की आवाज सुनकर विक्की ने सर उठाया और जब उसने सलाखों के बाहर खड़े सिंघानिया जी को देखकर उठा और उनके पास आकर कहा,”डेड , डेड आप यहाँ , आप यहाँ आये है डेड,,,,,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी , आई ऍम रियली सॉरी डेड ,, मुझे माफ़ कर दीजिये मेरी वजह से ये सब,,,,,,,,,,!!”
सिंघानिया जी ने विक्की के हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा,”विक्की,,,,,,,,,,,,,,बस करो , जो हो गया उसे तो मैं नहीं बदल सकता और तुम से जो गलती हुई है उसकी सजा तुम्हे मिल चुकी है। एक बाप होने के नाते तुम्हे बचाने के लिये मैं जो कर सकता था मैंने किया , मैंने तुम्हे माफ़ किया पर तुम्हे यहाँ ऐसे हाल में देखकर मैं खुद को माफ़ नहीं कर पाऊंगा विक्की,,,,,,,,काश मैं तुम्हे यहाँ से निकाल पाता !!”
“इट्स ओके डेड मैं इसी के लायक हूँ मैंने आपका बहुत दिल दुखाया है मुझे माफ़ कर दीजिये,,,,,,,,,,,,,!!”,विक्की ने आँसू बहाते हुए कहा
सिंघानिया जी ने विक्की को देखा और कहा,”तुम्हे अपनी गलती का अहसास है ये काफी है विक्की , बस कुछ महीने उसके बाद मैं तुम्हे यहाँ से निकाल लूंगा।”
“डेड आपने इस केस में रोबिन को क्यों फंसाया वो तो आपका सबसे वफादार नौकर था फिर उसे,,,,,,,,,,!”, विक्की ने पूछा
“श्श्श्श धीरे बोलो , अगर मैं रोबिन को इसमें शामिल नहीं करता तो किसे करता ? उस गुनाह के लिए तुम्हे उम्रकैद की सजा होने देता,,,,,,,,,!”,सिंघानिया जी ने दबी आवाज में कहा
“पर डेड जो गलती मैंने की ही नहीं उसकी सजा रोबिन को क्यों ? मैं मानता हूँ छवि के साथ गलत हुआ लेकिन मैंने उसका रेप नहीं किया है डेड मैं ऐसा नहीं कर सकता,,,,,,,,,!!”,विक्की ने बैचैन होकर कहा
“विक्की ये रेप तुमने किया या नहीं ये मेटर नहीं करता , रोबिन ये इल्जाम अपने ऊपर ले चुका है और उसी की वजह से तुम्हे इतनी कम सजा मिली है,,,,,,,,,!!”,सिंघानिया जी ने कहा
“डेड लेकिन रोबिन बेकसूर है इस से उसकी पूरी लाइफ खराब हो जाएगी,,,,,,,,,!!”,विक्की ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“ये तुम्हे छवि को किडनेप करने से पहले सोचना चाहिए था विक्की , खैर इन बातो पर बहस करने का अब कोई फायदा नहीं है विक्की कोर्ट अपना फैसला सुना चुकी है और वो केस भी बंद हो चूका है।”,सिंघानिया जी ने विक्की की तरफ देखकर कहा
“और छवि ? क्या वो ठीक है ?”,विक्की ने एकदम से पूछा
सिंघानिया जी ने सूना तो वे विक्की की तरफ देखने लगे और कहा,”तुम्हे उस लड़की की परवाह क्यों हो रही है ? मत भूलो विक्की उस लड़की की वजह से ही तुम आज यहाँ हो,,,,,,,,,,,!!”
“नो डेड ! वो लड़की मेरी वजह से आज इन हालातों में है,,,,,,,,,,!!”,विक्की ने सिंघानिया जी की आँखों में देखते हुए कहा।
सिंघानिया जी एकटक विक्की को देखते रहे पहले बार विक्की की आँखों में उन्हें दया और पश्चाताप के भाव नजर आ रहे थे लेकिन अगले ही पल सिंघानिया जी को अपनी बर्बादी याद आ गयी और कहा,”वो जिन भी हालातों में हो पर मैं उस लड़की की शक्ल दोबारा देखना नहीं चाहूंगा विक्की , मैं उस छवि से सिर्फ नफरत करता हूँ।”
विक्की ने सूना तो खामोश हो गया उसने आगे कुछ नहीं कहा। सिंघानिया जी कुछ देर और विक्की के पास रुके और वहा से चले गए।
रेलवे स्टेशन की बेंच पर अपने मामा कमल और अपनी माँ माधवी के साथ बैठी छवि ट्रेन के आने का इंतजार कर रही थी। ट्रेन आने में अभी थोड़ा वक्त था। कमल जी ने सामने से गुजरते लड़के को रोका और तीन चाय देने को कहा। कमल ने माधवी और छवि को चाय का कप दिया और एक कप खुद लेकर पीने लगा। माधवी और कमल बाते करते हुए चाय पी रहे थे और बेंच के किनारे बैठी छवि चाय का कप हाथो में थामे सामने खाली पड़ी पटरियों को देखते हुए सोच में डूबी थी।
उसकी आँखों के सामने अक्षत आने लगा। वो शाम जब छवि एकदम से अक्षत की गाड़ी के सामने आ गयी थी और अक्षत ने उसके लिए रिक्शा रोका था , वो पल जब अक्षत ने आखरी वक्त पर आकर छवि के वकील की जगह ली थी , वो पल जब अक्षत कोर्ट में हमेशा उसके बगल में खड़ा था और वो पल जब अक्षत ने छवि के सर पर अपना हाथ रखा था तब छवि को लगा था जैसा अक्षत उसका बड़ा भाई हो और उसी विश्वास दिला रहा हो कि वह सब ठीक कर देगा।
ये सब पल एक एक करके छवि की आँखों के सामने आ रहे थे और फिर एकदम से चित्रा की कही बातें उसके कानों में गूंजने लगी
“इन सबके लिए अक्षत सर जिम्मेदार नहीं है। वो तो ये केस लड़ना भी नहीं चाहते थे लेकिन मैंने उनसे जिद की और उन्होंने छवि को इंसाफ दिलाने के लिए पूरी कोशिश की। केस की लास्ट डेट से दो दिन पहले ही उनकी बेटी किडनेप हो गयी लेकिन आखरी वक्त तक उन्होंने छवि को इंसाफ दिलाने की उम्मीद नहीं छोड़ी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जब वो कोर्ट रूम में थे तब उनसे उस केस और उनकी बेटी में से किसी एक को चुनने को कहा,,,,,,,,,,,,,,,आप ही बताईये ऐसे वक्त में आप क्या करती ? मैं मानती हूँ छवि के साथ अन्याय हुआ है और एक बेकसूर को सजा लेकिन इन सब में अक्षत सर को कोई गलती नहीं है। कोई भी इंसान उस वक्त वही करता जो उन्होंने किया।”
“छवि , छवि चलो ट्रेन आ गयी है।”,कमल जी की आवाज छवि के कानों में पड़ी तो उसकी तंद्रा टूटी। उसने उदास होकर कमल जी की तरफ देखा
“ये क्या तुमने चाय भी नहीं पी , कोई बात नहीं इसे मुझे दो और चलो,,,,,,,,,,,!!”,कमल जी ने छवि के हाथ से चाय का कप लेकर कहा
कमल जी और माधवी जी ने बैग उठाये और चलने को हुए तो देखा छवि अभी भी वही बैठी है और खाली आँखों से ट्रेन को देख रही है।
“छवि क्या हुआ बेटा चलो ट्रेन निकल जाएगी,,,,,,,!!”,इस बार माधवी ने छवि के पास आकर कहा
“मैं गांव नहीं जाऊंगी माँ,,,,,,,,,,,!!”,छवि ने कहा
“गाँव नहीं जाओगी मतलब ?”,कमल जी ने पूछा
“मैं यही रहूंगी और अपना केस फिर से रीओपन करुँगी,,,,,,,,,!!”,छवि ने उठकर कमल जी के सामने आते हुए कहा
“छवि तुम होश में तो हो , केस रीओपन करने से कुछ नहीं होगा उलटा तुम पर और ज्यादा कीचड़ उछाला जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,तुम ये सब छोडो और चलो मेरे साथ।”,कमल जी ने परेशान होकर कहा
“नहीं मामा जी मैं ये शहर छोड़कर नहीं जाउंगी,,,,,,,,,,,,,!!”,छवि ने कमल जी की आँखों में देखते हुए कहा और माधवी हैरानी से बस छवि को देखते रही
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