Haan Ye Mohabbat Hain – 58
सूर्या मित्तल ने जैसे ही कहा कि उसके पास सबूत है तो कोर्ट रूम में सब खुसर फुसर करने लगे। जज साहब ने हथोड़ा टेबल पर मारते हुए कहा,”आर्डर आर्डर , कार्यवाही आगे बढ़ाई जाये।”
“थैंक्यू माय लार्ड”,कहते हुए सूर्या मित्तल अपनी टेबल की तरफ आया और फाइल से कुछ कागज निकालकर जज साहब की तरफ आया और कागज जज साहब के बगल में बैठे असिस्टेंट को दे दिए। असिस्टेंट ने वो कागज जज साहब के सामने रख दिए।
जज साहब ने वो कागज देखे और सूर्या की तरफ देखने लगे तो सूर्या ने कहा,”माय लार्ड ये रॉबिन के सेविंग अकाउंट के पेपरस है 6 महीने पहले इनके अकाउंट में एक बड़ा अमाउंट ट्रांसफर हुआ है और हर महीने एक बड़ी रकम आज भी इनके अकाउंट में ट्रांसफर हो रही है। मैं रॉबिन से कुछ सवाल करने की इजाजत चाहता हूँ।”
“इजाजत है”,जज साहब ने कहा
सूर्या रॉबिन के पास आया और कहा,”हाँ तो मिस्टर रॉबिन आप सिंघानिया जी के घर में एक सर्वेंट थे राइट ?”
“जी हाँ”,रॉबिन ने कहा
“आपकी सैलरी कितनी थी ?”,सूर्या ने सवाल किया
“25000,,,,,,,,,,!!”,रॉबिन ने कहा
सूर्या जज साहब की तरफ पलटा और कहा,”पॉइंट टू बी नॉटेड माय लार्ड रॉबिन सिंघानिया जी के घर में एक सर्वेंट था और इसकी महीने की सैलेरी सिर्फ 25000 थी ,, लेकिन 6 महीने पहले ही इनके अकाउंट में सिंघानिया जी के अकाउंट से 10 लाख रूपये ट्रांसफर किये गए है।
एक सर्वेंट को इतनी अमाउंट देना इसका साफ साफ मतलब यही है कि सिंघानिया जी ने विक्की को बचाने के लिये रॉबिन को बलि का बकरा बनाया है। देट्स आल माय लार्ड”
जज साहब के सामने रॉबिन के बैंक ट्रांजेक्शन की जानकारी थी जिस से ये साफ हो चुका था कि रॉबिन को पैसा मिला था लेकिन इस से ये साबित नहीं होता कि छवि का रेप उसने नहीं विक्की ने किया है।
जज साहब ने फाइल में कुछ लिखा और कहा,”मिस्टर चोपड़ा , आप अपने क्लाइंट की सफाई में कुछ कहना चाहेंगे ?”
“यस माय लार्ड एंड थैंक्यू”,कहते हुए चोपड़ा जी अपनी जगह से उठकर सामने आये और कहने लगे,”माय लार्ड मेरे साथी वकील ने बहुत ही सफाई से रॉबिन के खिलाफ एक कहानी बनाकर पेश कर दी कि इन्हे सिंघानिया जी से पैसे मिले है लेकिन इस बात का छवि के रेप से क्या कनेक्शन है ? रॉबिन को पैसे मिले है माय लार्ड लेकिन वो सिर्फ उसकी बीमार माँ के इलाज के लिये मिले है। सिंघानिया जी का दिल बहुत बड़ा है और इसलिए उन्होने रॉबिन के जेल जाने के बाद रॉबिन के घर की जिम्मेदारियों को अपने सर ले लिया। अब आप ही बताईये माय लार्ड क्या ये गलत है ?”
चोपड़ा जी की बात सुनकर जज साहब ने फिर अपनी फाइल में कुछ लिखा। सूर्या मित्तल के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं था लेकिन वह इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं था इसलिए कहा,”माय लार्ड मेरे साथी वकील की बातो से ये भी साबित नहीं होता है रॉबिन ही गुनहगार है और विक्की निर्दोष,,,,,,,,,,!!”
“मिस्टर सूर्या ! क्या आपके पास विक्की के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत है ?”,जज साहब ने पूछा
सूर्या मित्तल खामोश हो गया वह क्या कहता उसके पास कोई सबूत नहीं था जिस से वह ये साबित कर पाए कि ये रेप विक्की ने किया है।
सूर्या मित्तल अपनी टेबल के पास चला आया और जैसे ही उसने फाइल खोली उसमे रखे एक कागज पर उसकी नजर गयी। कागज पर कुछ लिखा था सूर्या ने उसे पढ़ा तो उसकी आँखों में चमक और होंठो पर मुस्कान तैर गयी। सूर्या पलटा उसने देखा जज साहब अपना फैसला सुनाने वाले है तो उसने कहा,”माय लार्ड , फैसला सुनाने से पहले मैं कुछ कहना चाहता हूँ।”
“इजाजत है।”,जज साहब ने कहा
सूर्या ने एक नजर रॉबिन को देखा और फिर चोपड़ा जी को , वह कुछ देर खामोश रहा और फिर कहने लगा,”माय लार्ड मेरे पास विक्की सिंघानिया के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है लेकिन मेरी अदालत से एक रिक्वेस्ट है मैं चाहता हूँ छवि दीक्षित की प्रेग्नेंसी का DNA टेस्ट किया जाये , छवि के साथ साथ रॉबिन और विक्की के DNA टेस्ट की भी इजाजत चाहूंगा माय लार्ड ,, छवि दीक्षित केस में कानून से गलती हुई है माय लार्ड और मैं नहीं चाहता उसकी सजा किसी बेकसूर को मिले। देट्स आल माय लार्ड,,,,,,,,,,!!”
सूर्या की बात सुनकर सब हैरान रह गए। खुद जज साहब भी उसे देखने लगे। चोपड़ा जी का गला सूखने लगा तो वे अपनी टेबल के पास आकर पानी पिने लगे और सिंघानिया जी से कहा,”एक बार DNA रिपोर्ट्स आ गयी तो उसके बाद मैं भी विक्की को नहीं बचा सकता।”
सिंघानिया जी ने सुना तो उनके चेहरे पर परेशानी के भाव तैरने लगे। उन्होंने विक्की की तरफ देखा जिसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे वह बस ख़ामोशी से सामने देख रहा था।
सूर्या मित्तल ने सबके सामने अदालत के फैसले को गलत ठहरा दिया था और ये बात जज साहब को भी आहत कर गयी उन्होंने सूर्या से कहा,”मिस्टर सूर्या आप जानते है आप क्या कह रहे है ? अदालत आपको DNA टेस्ट की मंजूरी देगी लेकिन अगर इसके बाद भी आप ये साबित नहीं कर पाए कि रॉबिन बेकसूर है तो आप जानते है आपका लायसेंस हमेशा हमेशा के लिये रद्द कर दिया जायेगा। आप इस कोर्ट में तो क्या किसी भी कोर्ट में कभी कोई केस नहीं लड़ पाएंगे ,, क्या आपको ये मंजूर है ?”
जज साहब की बात सुनकर सूर्या कुछ देर खामोश रहा और फिर उनकी तरफ देखकर कहा,”मंजूर है सर”
जज साहब ने हामी में गर्दन हिलायी और कहा,”दोनों तरफ की बहस सुनने के बाद अब तक ये साबित नहीं हो पाया है कि इस केस में असली गुनहगार कौन है ? लिहाजा ये अदालत सूर्या मित्तल की प्रार्थना स्वीकार करते हुए इंस्पेक्टर कदम्ब की देख-रेख में छवि दीक्षित , विक्की सिंघानिया और रॉबिन के DNA टेस्ट करवाए जाने का आदेश देती है। इस केस की अगली सुनवाई 7 दिन बाद होगी। आज की कारवाही यही समाप्त होती है”
कहकर जज साहब अपनी जगह से उठे और वहा से चले गए। इंस्पेक्टर कदम्ब ने कॉन्स्टेबल से कहकर रोबिन को ले चलने को कहा और चोपड़ा जी की तरफ आकर कहा,”चोपड़ा जी विक्की सिंघानिया को मेरे साथ हॉस्पिटल आना होगा।”
“ठीक है इंस्पेकटर आप चलिए विक्की अपनी गाड़ी से आ जायेगा”,चोपड़ा जी ने बेपरवाही से कहा
“कानून की नजर में विक्की अब भी एक मुजरिम है , कानून का दामाद नहीं जो अपनी गाड़ी से आएगा। कॉन्स्टेबल इन्हे भी लेकर जाईये”,इंपेक्टर कदम्ब ने चोपड़ा जी को घूरते हुए कहा तो चोपड़ा जी ने कुछ नहीं कहा और वहा से चले गए।
विक्की कॉन्स्टेबल के साथ बाहर चला गया और उसके साथ ही सिंघानिया जी भी निकल गए।
इंस्पेक्टर कदम्ब छवि और माधवी जी के पास आये और छवि से कहा,”छवि अगर तुम पुलिस की जीप में चलने में सहज ना हो तो तुम अपने हिसाब से सिटी हॉस्पिटल आ सकती हो , मैं तुम्हे वही मिलूंगा”
“ओके सर !”,छवि ने कहा
इंस्पेकटर कदम्ब मुस्कुराये और वहा से बाहर निकल गए। छवि माधवी के साथ जाने के लिये मुड़ी तो चित्रा मिल गयी।
चित्रा छवि के सामने आयी और कहा,”मुझे उम्मीद है इस बार तुम्हे इंसाफ मिल जाएगा , मुझे ख़ुशी होती अगर अक्षत सर ने इस केस को लड़ा होता पर खैर जो भी तुम्हारे साथ खड़ा है वो बेहतर ही करेगा।”
“मुझे ख़ुशी होती अगर अक्षत सर भी यहाँ होते,,,,,,,,,,!!”,छवि ने कहा तो चित्रा खामोश हो गयी और वहा से चली गयी। छवि ने माधवी की तरफ देखा और दोनों वहा से निकल गयी।
गुस्से में चित्रा कोर्ट रूम से बाहर आयी वह बड़बड़ाते हुए कॉरिडोर से होते हुए माथुर साहब के केबिन की ओर जाने लगी।
“हाह ! कितनी पागल लड़की हैं , जिसने उसका केस लड़ने से मना कर दिया वह उसी को कोर्ट रूम में देखना चाहती है स्ट्रेंज,,,,,,,,,,,,,,,,अगर उन्हें तुम्हारी इतनी ही परवाह होती छवि दीक्षित तो क्या एक बार वो तुम्हारी सुनवाई में नहीं आते ? जिस अक्षत व्यास को तुम इतना मानती हो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता,,,,,,,,,!!”
चित्रा बड़बड़ाते चले जा रही थी कि सामने से आते अक्षत से टकरा गयी। चित्रा जैसे ही गिरने को हुई अक्षत ने उसे अपनी बांहो में सम्हाल लिया लेकिन चित्रा उसकी आँखों में डूब गयी। जिस अक्षत के लिये वह गुस्से में इतना सब बोले जा रही थी , उसके सामने आते ही शब्द उसके गले में ही अटक गए। अक्षत ने देखा चित्रा एकटक उसे ही देखे जा रही है तो उसने चित्रा से दूर होकर कहा,”तुम्हे देखकर चलना चाहिए तुम एक पब्लिक प्लेस में हो।”
“हाँ ! अह्ह्ह्ह थैंक्यू”,चित्रा ने हड़बड़ाते हुए कहा
अक्षत ने कोई जवाब नहीं दिया और आगे बढ़ गया। चित्रा ने देखा तो वह उसके पीछे पीछे चली आयी और कहा,”आपको आज की सुनवाई में आना चाहिए था , क्या आप जानते है आज सूर्या मित्तल ने लास्ट मोमेंट पर बाजी पलट दी,,,,,,,,,,,,,,मुझे तो लगता था वो बस बड़ी बड़ी बाते करते है लेकिन वो सच में अच्छे वकील है , आज उन्होंने छवि के लिये स्टेण्ड लिया मुझे लगता है जल्दी उसे इंसाफ मिल जाएगा,,,,,,,,,,,, लेकिन मुझे और अच्छा लगता अगर ये आपने छवि के लिये किया होता”
चित्रा की बात सुनकर अक्षत चलते चलते रुक गया और चित्रा की तरफ पलटकर कहा,”मिस चित्रा मुझे आपकी बातें सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं है तो क्या आप मेरे पीछे आना बंद करेगी ?”
“लेकिन मैं तो छवि,,,,,,,,!!”,चित्रा ने कहना चाहा तो अक्षत ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा,”मुझे फर्क नहीं पड़ता,,,,,,,,,,,,नाउ प्लीज डू नॉट फॉलो मी”
अक्षत की बात सुनकर चित्रा खामोश हो गयी। अक्षत वहा से चला गया और इस बार चित्रा ने उसका पीछा नहीं किया। वह वही खड़े अक्षत को जाते हुए देखते रही और कहा,”आखिर कोई इंसान इतना कैसे बदल सकता है ?”
“मोहब्बत में मिली तकलीफ अच्छे से अच्छे से इंसान को बदल सकती है और अक्षत तो मोहब्बत के साथ साथ किस्मत से भी हारा है।”,चित्रा के बगल में खड़े माथुर साहब ने कहा।
चित्रा ने उनकी तरफ देखा तो माथुर साहब चित्रा को देखकर मुस्कुरा दिये एक वही तो थे जो इस वक्त चित्रा के दिल का हाल जानते थे।
सुबह सुबह मीरा चाइल्ड होम चली आयी। आज वह बहुत खुश थी और इसकी वजह थे अमर जी ,, आज मीरा अमर जी को भी वहील चेयर पर अपने साथ लेकर आयी थी। सभी अमर जी से मिलकर बहुत खुश हुए। अमर जी का केयर टेकर उनके साथ आया था कुछ देर बाद वह अमर जी को लेकर चाइल्ड होम के बगीचे में ले आया। मीरा बच्चो से आकर मिली उसने देखा सब बच्चो में सावित्री कही दिखाई नहीं दी। मीरा ने एक बच्चे से पूछा,”सावित्री कहा है ?”
“वो वहा है आम के पेड़ के नीचे”,लड़के ने कहा और बाकी बच्चो के साथ खेलने लगा
मीरा आम के बड़े से पेड़ की तरफ चल पड़ी। मीरा पेड़ के पास आयी और देखा पेड़ के नीचे रखी बेंच पर सावित्री मुंह लटकाये उदास बैठी है। मीरा भी उस से कुछ दूर बनाकर बैठ गयी और कहा,”आज आप हम से मिलने नहीं आयी ?”
सावित्री ने एक नजर मीरा को देखा और चेहरा घुमा लिया। मीरा समझ गयी सावित्री उस से गुस्सा है तो मीरा ने कहा,”हम्म्म्म तो आज आप हम से नाराज है , लेकिन हम से क्या गलती हुई क्या आप हमे बताएंगी,,,,,,,,,,,,,,!!”
सावित्री ने मीरा को गुस्से से देखा और चेहरा घुमा लिया।
“बाप रे ! इतना गुस्सा , अच्छा हम माफ़ी चाहते है शायद हमसे जरूर कोई गलती हुई है , अच्छा देखो हमने अपने कान भी पकड़ लिये अब तो हमे माफ़ कर दो ,,,,,,,प्लीज”,मीरा ने अपने कान पकड़ते हुए कहा
सावित्री ने सूना तो मीरा की तरफ देखा और कहा,”तुम हमेशा अकेले आ जाती हो , राजकुमार को क्यों नहीं लेकर आती ? पता है वो कितना अच्छा है , मुझे उसकी बहुत याद आती हैं। तुम उसे अपने साथ लेकर कब आओगी ?”
मीरा ने सुना तो वह समझ गयी सावित्री अक्षत के बारे में बात कर रही है। वह उदास हो गयी और कहा,”याद तो हमे भी बहुत आती है लेकिन राजकुमार हम से बहुत दूर चले गए है।”
“क्या वो कभी नहीं आएंगे ?”,सावित्री ने उदासी भरे स्वर में पूछा
मीरा नम आँखों के साथ मुस्कुराई और कहा,”आएंगे बहुत जल्दी आएंगे”
“आपने मुझे बुलाया मीरा मैडम,,,,,,,,,!!”,तभी अचानक से अखिलेश ने वहा आते हुए कहा
“अरे अखिलेश जी आप ! नहीं हमने आपको नहीं बुलाया वो तो सावित्री राजकुमार के आने की बात कर रही थी तो बस उसे बहला रहे थे।”,मीरा ने बेंच से उठते हुए कहा
“अरे तो मैं भी राजकुमार जैसा ही हूँ , क्यों सावित्री ?”,अखिलेश ने झुककर कहा
“नहीं आप मेरे राजकुमार नहीं हो,,,,,,,,,,,,,!”,सावित्री ने अखिलेश को धक्का देकर कहा और वहा से भाग गयी
“ये बड़ी शैतान हो गयी है आजकल,,,,,,,!”,अखिलेश ने झेंपते हुए कहा तो मीरा मुस्कुरा दी। मीरा को मुस्कुराते देखकर अखिलेश ने मन ही मन कहा,”सावित्री का नहीं मुझे तो बस आपका राजकुमार बनना है मीरा मैडम”
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