Haan Ye Mohabbat Hai – 28
सोमित जीजू ने अक्षत के लिये प्लेट में खाना रखा और राधा से कहा,”आप अपने कमरे में जाकर आराम कीजिये साले साहब को खाना मैं खिला दूंगा।”
“उनको पता चला तो वो नाराज होंगे , मैं यही बैठकर उसका इंतजार कर लेती हूँ।”,राधा ने कहा
“अच्छा ! आपको लगता है वो नीचे आएगा , मौसीजी आप खामखा परेशान हो रही है आप जाकर आराम कीजिये , मैं अक्षत के लिये खाना लेकर जाता हूँ।”,सोमित जीजू ने कहा और प्लेट लेकर किचन से बाहर निकल गए और राधा भी अपने कमरे की तरफ चली गयी
सोमित जीजू अक्षत के लिये खाना लेकर ऊपर आये देखा हॉल की लाइट जल रही थी और अक्षत के कमरे की भी। अक्षत बालकनी के पास खड़ा आसमान को देख रहा था। हॉल सिगरेट के धुएं से भरा हुआ था। सोमित जीजू अक्षत के पास आये और प्लेट दिवार पर रखते हुए कहा,”सिगरेट से पेट की भूख शांत नहीं होती है , उसके लिये खाना जरुरी है।”
“आप यहाँ क्या कर रहे है ? आपके मौसाजी ने आपको यहाँ देखा तो जायदाद से बेदखल कर देंगे”,अक्षत ने सामने देखते हुए कहा
सोमित जीजू ने ऐसे अपना मुंह बनाया जैसे उनकी चोरी पकड़ी गयी हो। उन्होंने कहा,”तुमने सब सुन लिया था क्या ?”
“हम्म्म,,,,,!!”,अक्षत ने कहा तो जीजू ने एक बार फिर मुंह बनाया और कहा,”अरे वो तो मैं अर्जुन को समझा रहा था कि एक हिस्सा क्या अपने साले साहब के लिये तो मैं ऐसे 100 हिस्से कुर्बान कर सकता हूँ।”
सोमित जीजू की चिकनी चुपड़ी बाते सुनकर अक्षत ने उनकी तरफ देखा तो सोमित जीजू ने खिंसियाकार कहा,”छोडो ये सब मैं तुम्हारे लिये खाना लेकर आया चलो खा लो।”
“नहीं जीजू आप ये खाना वापस ले जाईये,,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने बुझे मन से कहा
“अरे खा लो साले साहब , खाओगे नहीं तो मीरा के आस पास रहने वाले लड़को को थप्पड़ कैसे मारोगे ? उसके लिए ताकत तो चाहिए ना”,सोमित जीजू ने जैसे ही कहा अक्षत ने हैरानी से उनकी ओर देखा।
“मैंने तुम्हे हॉस्पिटल में देख लिया था बस तुमने मुझे नहीं देखा,,,,,,,,,,,,,पर तुम्हे वहा देखकर अच्छा लगा”,सोमित जीजू ने कहा तो अक्षत ने दिवार पर रखी खाने की प्लेट को उठाया और कटोरी में रखी दाल को चावल पर उड़ेलकर खाने लगा। उसने जल्दी जल्दी दो चार निवाले खाये , तो महसूस हुआ कि वह सच में भूखा था बस सोच विचार के कारण उसे भूख का अहसास नहीं हुआ। सोमित जीजू खामोश खड़े अक्षत को खाते हुए देखते रहे।
अक्षत ने दो चार निवाले और खाये और एकदम से खाते खाते रुक गया। उसकी आँखों में आँसू भर आये और आँखों से छनकर आँसू की एक बूंद प्लेट में आ गिरी। कितने दिनों से उसने घर में बैठकर ठीक से खाना तक नहीं खाया था। मीरा जब घर में थी तब वह अक्षत की हर जरूरत का ख्याल रखती थी लेकिन अब तो लगता था जैसे मीरा अपने साथ वो सब जरूरते भी अपने साथ ले गयी।
अक्षत को खामोश देखकर सोमित जीजू ने कहा,”मीरा की याद आ रही है।”
अक्षत ने आंसुओ से भरी आँखों से सोमित जीजू को देखा , सोमित जीजू के शब्दों ने अक्षत के दर्द को और बढ़ा दिया। वह हैरान था आखिर सोमित जीजू को उसके मन का हाल कैसे पता चला ? अक्षत ने कुछ नहीं कहा उसने खाने की प्लेट दिवार पर रखी और तेजी से अपने कमरे की तरफ चला गया। उसने दरवाजा बंद किया और सीधा बाथरूम में चला आया। आँखे अभी भी आंसुओ से भरी हुई थी लेकिन अक्षत नहीं चाहता था वो आँसू बहे।
उसने वाशबेसिन का नल चालू किया और जल्दी जल्दी अपने हाथ धोने लगा। हाथ धोते धोते अक्षत फफक कर रो पड़ा। वह बहुत देर तक अपने उस दर्द को सीने में नहीं रख पाया और वो दर्द आंसुओ के जरिये बहने लगा।
सोमित जीजू अक्षत के कमरे के सामने आये उन्होंने दरवाजा खटखटाने के लिये हाथ उठाया लेकिन फिर रुक गए और वापस नीचे चले आये।
अगली सुबह अखिलेश का फोन बजा। रात में ज्यादा शराब पीने की वजह से अखिलेश अभी तक सोया हुआ था। फ़ोन लगातार बजने से अखिलेश की नींद खुली उसने देखा फ़ोन मीरा के घर से आ रहा है तो उसने जल्दी से फोन उठाया और कहा,”हेलो , हेलो हाँ मीरा मैडम”
“मीरा मैडम नहीं मैं सौंदर्या बात कर रही हूँ।”,दूसरी तरफ से सौंदर्या ने कहा
सौंदर्या की आवाज सुनकर अखिलेश की बची खुची नींद भी उड़ गयी
उसे लगा सौंदर्या उसे फिर किसी बात को लेकर सुनाने वाली है लेकिन आज एकदम उलटा हुआ और सौंदर्या ने अपने शब्दों को चाशनी में लपेटते हुए कहा,”अखिलेश ! क्या तुम अभी घर आ सकते हो ? दरअसल वो क्या है मीरा को भाईसाहब के पास लेकर जाने के लिये ड्राइवर नहीं है तो क्या तुम उसे लेकर हॉस्पिटल चले जाओगे। वैसे मीरा खुद गाडी चला सकती है लेकिन इस वक्त वो बहुत बीमार है और लो फील कर रही है तो मैं नहीं चाहती वो ड्राइव करे,,,,,,,,,,,,,,,मैंने तुम्हे फोन करके डिसट्रब तो नहीं किया न ?”
अखिलेश ने सूना तो उसे अपने कानो पर विश्वास नहीं हुआ वह सौंदर्या जो हमेशा उस से चिढ़ती है खुद उसे घर आने को बोल रही है। अखिलेश ख़ुशी से भर उठा और कहा,”अरे नहीं नहीं मैडम डिस्टर्ब कैसा ? मैं मैं अभी निकलता हूँ।”
“ओह्ह्ह अखिलेश थैंक्यू सो मच , एक तुम ही हो जो मीरा का ख्याल रख सकते हो। मैं तुम्हारा इंतजार करुँगी जल्दी आना”,सौंदया ने कहा और फोन काट दिया। अखिलेश को और क्या चाहिए था
उसने जल्दी जल्दी अपना हुलिया ठीक किया शराब की महक उसके कपड़ो से अब भी आ रही थी इसलिए वह सीधा नहाने चला गया और तैयार होकर मीरा के घर के लिये निकल गया।
सोमित जीजू ने सुबह का नाश्ता किया और अर्जुन के साथ ऑफिस के लिये निकल गये। आगे जाकर सोमित जीजू ने अर्जुन से गाड़ी दूसरे रास्ते पर लेने को कहा
“लेकिन जीजू ये रास्ता तो मीरा के घर की तरफ से जाता है।”,अर्जुन ने गाड़ी आगे बढ़ाते हुए कहा
“हाँ ! कल रात से ही मीरा को लेकर मन बेचैन हो रहा था सोचा जाते जाते उसे देखता चलू”,सोमित जीजू ने कहा
अर्जुन ने भी सोमित जीजू की बात मानी और गाड़ी मीरा के घर जाने वाले रास्ते की और मोड़ दी।
कुछ देर बाद अर्जुन की गाड़ी मीरा के घर से साइड में खड़ी थी। सोमित जीजू ने मीरा के कमरे की खिड़की की तरफ देखा लेकिन खिड़की बंद थी। सोमित जीजू ने अर्जुन से थोड़ी देर वही रुकने को कहा। कुछ ही देर बाद एक गाड़ी मीरा के घर के गेट से अंदर जाने लगी। गाड़ी के अंदर बैठे अखिलेश को देखकर सोमित जीजू ने मन ही मन खुद से कहा,”ये तो वही आदमी है
जिसने कल हॉस्पिटल में अक्षत से थप्पड़ खाया था लेकिन सुबह सुबह ये आदमी मीरा के घर क्या कर रहा है ? जरूर कुछ तो खिचड़ी पक रही है उस चंट लोमड़ी के दिमाग में,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
सोमित जीजू अर्जुन की तरफ पलटे और कहा,”अर्जुन एक काम करो मुझे यही उतार दो और तुम ऑफिस चले जाओ , मैं अपने ऑफिस यहाँ से खुद चला जाऊंगा”
“अरे यहाँ से कैसे जायेंगे ? और यहाँ क्या काम है आपको ?”,अर्जुन ने पूछा
“अह्ह्ह्ह वो मुझे ज़रा अपने किसी दोस्त से मिलना था , तू चल ना मैं आता हूँ।”,सोमित जीजू ने दरवाजा खोलकर उतरते हुए कहा
अर्जुन ने गाड़ी का शीशा नीचे किया और कहा,”दी को पता है आपकी इस दोस्त के बारे में ?”
सोमित जीजू ने सुना तो कहा,”बेशर्म ! तुझे क्या लगता है इस उम्र में मैं लड़कियों से मिलने आऊंगा,,,,,,,,,,,,,जाओ ऑफिस जाओ वरना मौसाजी के लेक्चर सुनने को मिलेंगे”
“हाँ हाँ जा रहा हूँ”,कहकर अर्जुन ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।
अर्जुन के जाने के बाद सोमित जीजू वही घर के पास वाले पेड़ के पास आकर छुप गए।
मीरा तैयार होकर हॉल में आयी। हॉल में अखिलेश को बैठे देखकर मीरा थोड़ा हैरान हुई और कहा,”अखिलेश जी ! आप सुबह सुबह यहाँ ? सब ठीक है ?”
“मीरा अखिलेश को मैंने बुलवाया है।”,सौंदर्या ने हॉल में आते हुए कहा
“आपने , लेकिन किसलिए ?’,मीरा ने पूछा
“मुझे लगा तुम हॉस्पिटल जाओगी भाईसाहब से मिलने तो मैंने ही अखिलेश से कहा कि वो तुम्हे वहा तक छोड़ दे,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा
“भुआ जी , इतनी सी बात के लिये आपने इन्हे परेशान क्यों किया हम खुद ड्राइव करके चले जाते।”,मीरा ने कहा
अखिलेश सोफे से उठा और मीरा के सामने आकर कहा,”मैडम इसमें परेशानी की क्या बात है , वैसे भी मैं किसी काम से इधर आया हुआ था तो इनके कहने पर यहाँ चला आया। क्या मैं आपके लिये इतना भी नहीं कर सकता ?”
“ऐसी बात नहीं है अखिलेश जी , चलिए हमे देर हो रही है।”,मीरा ने कहा
उन दोनों को साथ जाते देखकर सौंदर्या रहसयमयी तरीके से मुस्कुरा उठी अपनी साजिश का जाल बुनना वह शुरू जो कर चुकी थी।
मीरा अखिलेश के साथ आकर गाड़ी में बैठी और गाड़ी घर से बाहर निकल गयी। अखिलेश तो ख़ुशी से फुला नहीं समा रहा था। मीरा उसके बगल में जो बैठी थी। ऐसा मौका अखिलेश को कभी कभी तो नसीब होता था। मीरा के कपड़ो से आती भीनी भीनी महक अखिलेश को उसका दीवाना बना रही थी। गाड़ी घर से जैसे ही बाहर आयी मीरा को याद आया वह अपना फोन और पर्स तो कमरे में ही भूल आयी है।
“अखिलेश जी गाड़ी रोकिये,,,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने कहा
अखिलेश ने गाड़ी रोकी और कहा,”क्या हुआ मैडम ?”
“आप यही रुकिए हम अभी आते है”,कहते हुए मीरा गाड़ी से नीचे उतरी और वापस घर के अंदर चली गयी। अखिलेश गाड़ी में बैठकर मीरा का इंतजार करने लगा। सोमित जीजू ने देखा अखिलेश की गाड़ी घर के बाहर रुकी है और मीरा भी अंदर से वापस बाहर आ रही है तो मौका देखकर जीजू अखिलेश के पास आये और कहा,”सुनिए ! आपकी गाड़ी खाली दिख रही है तो क्या आप मुझे ज़रा आगे तक छोड़ देंगे ?”
अखिलेश ने सोमित जीजू की तरफ ध्यान ही नहीं दिया और कहा,”नहीं नहीं गाडी में जगह नहीं है , किसी और से जाकर लिफ्ट मांगों”
“अरे भाई छोड़ दो ना , मुझे ऑफिस के लिये देर हो रही है।”,सोमित जीजू ने अखिलेश का कंधा हिलाते हुए कहा तब तक मीरा भी वहा आ पहुंची।
मीरा ने सोमित जीजू को देखा तो कहा,”जीजू ! आप यहाँ ?”
सोमित जीजू ने ऐसे दिखाया जैसे गलती से यहाँ आ गए। उन्होंने मीरा की तरफ देखा और कहा,”अरे मीरा ! तुम यहाँ कैसे ? अरे ये तो तुम्हारा ही घर है,,,,,,,,,,,,मेरी गाड़ी को भी तुम्हारे घर के सामने ही ख़राब होना था।”
“आपको कही जाना था ?”,मीरा ने सवाल किया तो सोमित जीजू मीरा की तरफ चले आये और कहा,”हाँ मुझे ऑफिस जाने के लिये हो रही थी , इस बद्तमीज आदमी से लिफ्ट मांगी लेकिन इसने साफ मना कर दिया। ये शायद तुम्हारा ड्राइवर है ,, मीरा अगर तुम्हे परेशानी ना हो तो क्या तुम मुझे थोड़ा आगे तक छोड़ दोगी”
“इसमें पूछना क्या है जीजू ? आईये ना,,,,,!!”,मीरा ने कहा और अपने बैठने के लिये जैसे ही अखिलेश के बगल वाला दरवाजा खोला सोमित जीजू ने लपक कर आगे बैठते हुए कहा,”मैं यहाँ बैठ जाता हूँ , मीरा तुम पीछे बैठ जाओ।”
आखिर हमारे सोमित जीजू अपने साले साहब की अमानत को किसी गैर मर्द के बगल मैं कैसे बैठने दे सकते थे ?
“ठीक है”,मीरा ने कहा और पीछे आ बैठी।
अखिलेश ने मीरा की जगह सोमित जीजू को अपने बगल में बैठे देखा तो उसका खून जल गया। सोमित जीजू ने उसकी तरफ देखा और कहा,”चलो ड्राइवर”
अपने लिये ड्राइवर शब्द सुनकर तो अखिलेश का बचा खुचा खून भी जलकर पानी हो गया।
“अरे भाई देख क्या रहे हो चलो ऑफिस के लिये देर हो जाएगी,,,,,,,,,,,,,,मीरा कुछ भी कहो पर तुम्हारा ये ड्राइवर है बहुत बद्तमीज , अरे भाई चलो”,सोमित जीजू ने मुंह बनाते हुए कहा
“जीजू ये अखिलेश जी है हमारे चाइल्ड होम के मैनेजर,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने कहा
“ओह्ह्ह तभी इतना भाव खा रहे है,,,,,,,,,,,,,,,मैनेजर साहब अब चलने की कृपा करेंगे आप”,सोमित जीजू ने पहले धीरे से कहा और फिर अखिलेश से रिक्वेस्ट की तो अखिलेश ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी
सोमित जीजू के आने से अखिलेश का मूड पहले ही खराब हो चुका था इसलिए वह चुपचाप गाड़ी चलाता रहा। रास्तेभर सोमित जीजू मीरा से कुछ ना कुछ बाते करते हुए रहे थे। हॉस्पिटल से कुछ पहले उन्होंने अखिलेश से गाड़ी रोकने को कहा और उतर गए। अखिलेश मीरा को लेकर हॉस्पीटल चला गया। मीरा हॉस्पिटल के बाहर ही उतर गयी और अखिलेश से कहा,”यहाँ तक आने के लिये आपका शुक्रिया , यहाँ से हम चले जायेंगे आप जाईये”
अखिलेश ने सोचा वह कुछ देर मीरा के साथ हॉस्पिटल में रुकेगा लेकिन मीरा ने तो उसे यही से वापस भेज दिया।
“ठीक है मैडम”,अखिलेश ने बुझे मन से कहा और यू टर्न लेकर वापस चला गया। मीरा भी अंदर चली आयी और लिफ्ट में आकर ऊपर चली आयी। ICU के बाहर वरुण बेंच पर बैठा था मीरा उसके पास आयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”रातभर से सोये नहीं न वरुण”
“हाँ वो बार बार डॉक्टर्स आ रहे थे तो मेडिसिन और ट्रीटमेंट के चलते नींद नहीं आयी”,वरुण ने कहा
“ठीक है तुम हाथ मुंह धोकर आओ हम तुम्हारे लिये कॉफी लेकर आते है।”,मीरा ने कहा
“अरे दी मैं ले आता हूँ”,वरुण ने उठते हुए कहा
“बैठो हम ले आते है,,,,!!”,कहते हुए मीरा वहा से चली गयी।
सुबह सुबह मीरा से मिलने के ख्याल से अखिलेश जहा खुश था अब मीरा से मिलने के बाद वह उतना ही गुस्से में था। यू टर्न लेकर अखिलेश उसी रास्ते से वापस जाने लगा।
कुछ ही दूर चला होगा कि जहा उसने सोमित जीजू को छोड़ा था वे वही खड़े थे। सोमित जीजू ने जैसे ही अखिलेश की गाड़ी को देखा तुरंत हाथ बीच में कर उसे रोका। अखिलेश ने गाडी रोकी और कहा,”अब आपको क्या चाहिए ?”
“मुझे लगा नहीं था तुम इतनी जल्दी वापस आओगे ? चलो अब आ ही गए हो तो मुझे ज़रा आगे तक छोड़ दो,,,,!!”,सोमित जीजू ने कहा
“आपने क्या मुझे ड्राइवर समझ रखा है,,,,,,,!!”,अखिलेश ने चिढ़ते हुए कहा
“शक्ल से तो लगते हो बाकि पता नहीं,,,,,,,,,,,,छोड़ दो ना यार तुम्हे कौनसा ऑफिस जाना है ,, चाइल्ड होम जाना है वो तो 24 हॉर्स खुला रहता है।”,सोमित जीजू ने कहा
“और अगर मैं मना कर दू तो ?”,अखिलेश ने गुस्से का घूंठ पीते हुए कहा
“तो फिर मुझे मीरा को फोन करना पड़ेगा , उसके कहने से तो जाओगे ना ?”,सोमित जीजू ने कहा
बेचारा अखिलेश मरता क्या ना करता , उसने गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए कहा,”बैठिये,,,,,!!”
अब सोमित जीजू तो ठहरे सोमित जीजू उन्होंने अखिलेश के बगल वाला दरवाजा बंद किया और पीछे वाली सीट पर आ बैठे। अखिलेश ने पीछे मुड़कर देखा तो सोमित जीजू ने कहा,”मुझे क्या देख रहे हो ? मैं इतना सुन्दर हूँ क्या ? आगे देखो और गाडी चलाओ,,,,,,!!”
झल्लाकर अखिलेश ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी।
छवि अपनी माँ के साथ कोर्ट पहुंची। अक्षत का दिया कार्ड उसके हाथ में था। छवि ने कार्ड पर लिखे नाम के आदमी के बारे में पूछा और कॉरिडोर के आखिर में बने केबिन में चली आयी। छवि को देखकर अंदर बैठे आदमी ने कहा,”जी कहिये,,,,,,!!”
छवि ने अपनी माँ को देखा और हाथ में पकड़ा कार्ड आदमी की तरफ बढ़ाकर कहा,”मुझे अक्षत सर ने भेजा है , उन्होंने कहा मैं कोर्ट आकर आपसे मिळू”
सामने बैठा आदमी कपड़ो से वकील नजर आ रहा था। उसने छवि से कार्ड लिया और उसे देखकर मुस्कुराकर धीरे से कहा,”तुम नहीं सुधरोगे मिस्टर व्यास”
“जी,,,,!!”,छवि ने कहा
“अह्ह्ह्ह कुछ नहीं आप लोग बैठिये प्लीज,,,,,,!!”,आदमी ने कहा और फोन पर किसी का नंबर डॉयल करते हुए साइड में चला गया
छवि की नजर सामने टेबल पर कहे नेम प्लेट पर पड़ी जिस पर लिखा था “एडवोकेट सूर्या मित्तल”
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संजना किरोड़ीवाल
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