Haan Ye Mohabbat Hai – 2
सुबह के 5 बजे अक्षत की गाड़ी व्यास हॉउस के सामने आकर गाड़ी रुकी। रघु भैया उठ चुके थे या यू कहो बाकि घरवालो के साथ वे भी कल रातभर से जाग रहे थे। रघु ने जैसे ही अक्षत की गाड़ी को घर के बाहर देखा तो जल्दी से आकर मेन गेट खोल दिया। अक्षत गाड़ी लेकर अंदर चला आया। अक्षत को देखकर रघु के चेहरे पर सुकून था वह दौड़कर घर के अंदर गया और हॉल में बैठे विजय जी से कहा,”साहब जी ! अक्षत बाबा आ गए”
विजय जी के साथ साथ सोमित जीजू , अर्जुन और दादू भी वही मौजूद थे। अर्जुन ने सूना तो उठकर जल्दी से दरवाजे की तरफ गया। वह बाहर जाता इस से पहले ही अक्षत अंदर आ गया।
“आशु कहा रह गया था तू ? पता है कल रात से सब कितना परेशान हो रहे थे सब घरवाले,,,,,,,,,,,,,,,और तेरा फ़ोन क्यों बंद है ? आशु मैं तुझसे कुछ पूछ रहा हूँ तू जवाब क्यों नहीं दे रहा ?”,अर्जुन ने अक्षत के साथ साथ चलते हुए कहा
“अर्जुन उसे परेशान मत करो तुम देख रहे हो वो परेशान है और कितना थका हुआ है,,,,,,,,,,,,,,,,,आशु तुम ठीक हो ना ?”,सोमित जीजू ने कहा
“तुम रातभर कहा थे बेटा और मीरा कहा है ? वो तुम्हारे साथ ही आयी है क्या ? वो शायद बाहर होगी,,,,,,,,,,,,मैं मैं जाकर उसे देखती हूँ।”,राधा ने कहा और जैसे ही जाने लगी अक्षत ने उनकी कलाई पकड़कर उन्हें रोक लिया
राधा ने पलटकर हैरानी से अक्षत को देखा तो अक्षत ने कहा,”वो अब इस घर में नहीं आएगी माँ,,,,,,,,,,,,!!”
अक्षत की बात सुनकर सब अवाक् रह गए और उसे देखने लगे लेकिन ये कहते हुए अक्षत के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। वह ख़ामोशी से सामने मंदिर में बैठे शिव-पार्वती को देख रहा था।
“ये तुम क्या कह रहे हो ? तुम मीरा को लेने गए थे ना फिर मीरा तुम्हारे साथ क्यों नहीं आयी ? क्या तुम दोनों के बीच कुछ हुआ है ?”,विजय जी ने अक्षत के पास आकर पूछा लेकिन अक्षत ने कोई जवाब नहीं दिया
“पापा आशु और मीरा के बीच क्या बात हुई है मैं नहीं जानता , मैं बस मीरा को लेने जा रहा हूँ। जीजू आप चलिए मेरे साथ , माँ आप भी चलो मैं भी देखता हूँ मीरा इस घर में कैसे नहीं आती है ?”,अर्जुन ने कहा
“हाँ मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ अर्जुन , मीरा मुझे कभी मना नहीं करेगी,,,,,,,,,!!”,कहते हुए राधा ने अक्षत से अपना हाथ छुड़ाया और जैसे ही अर्जुन के साथ आगे बढ़ी अक्षत ने गुस्से से तेज आवाज में कहा,”कोई कही नहीं जाएगा”
अक्षत की आवाज सुनकर राधा और अर्जुन के कदम वही रुक गए। विजय जी ने अक्षत के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”ये सब क्या है बेटा ? मीरा इस घर में क्यों नहीं आ सकती ? वो इस घर की छोटी बहू है , तुम सबकी तरह उसका भी इस घर पर पूरा हक़ है।”
“ये घर और इस घर के लोग अब मीरा के लायक नहीं रहे पापा,,,,,,,,!!”,अक्षत ने तकलीफ भरे स्वर में कहा तो विजय जी उसके चेहरे की तरफ देखने लगे। राधा और अर्जुन भी वापस हॉल में चले आये और जीजू ख़ामोशी से बस अक्षत के चेहरे पर आये दर्द को समझने की कोशिश कर रहे थे।
विजय जी को अपनी ओर देखते पाकर अक्षत कहने लगा,”वो इस घर से कुछ दिन के लिए नहीं बल्कि हमेशा हमेशा के लिए गयी थी पापा , मीरा बदल गयी है पापा उसे सिर्फ अपनी बेटी के जाने का दर्द दिखाई दे रहा है वो दर्द नहीं जो वो हम सबको दे रही है। आपने देखा ना उसने मुझे तलाख के पेपर भेजे , वो मुझसे तलाख लेना चाहती है पापा,,,,,,,,,,,,,,,,,वो मुझसे तलाक़ लेना चाहती है।”
कहते हुए अक्षत टूट गया और फफक कर रो पड़ा। वह घुटनो के बल गिर पड़ा और अपना चेहरा अपने हाथो में छुपाकर रोते हुए कहने लगा,”वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है ? सिर्फ उसने अपनी बेटी को नहीं खोया मैंने भी उसे खोया है। क्या उसे मेरा दर्द दिखाई नहीं देता ? क्या उसे मेरे आँसू मेरी तकलीफ दिखाई नहीं देती ? वो मुझे छोड़कर कैसे जा सकती है ?”
अक्षत को तकलीफ में देखकर राधा दौड़कर उसके पास आयी और उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा,”आशु , आशु सम्हालो खुद को ,, कुछ नहीं हुआ है मीरा कही नहीं गयी है वो आजायेगी बेटा,,,,,,,,,,,,तुम दिल छोटा मत करो , हम सब है ना हम सब उसे वापस लेकर आएंगे,,,,,,,,,,,,,!!”
अक्षत को रोते देखकर अर्जुन को बहुत दुःख हुआ अक्षत था उस से तीन साल छोटा लेकिन उसने हमेशा उसे भाई न समझकर हमेशा दोस्त पहले समझा। अर्जुन जीजू के पास आया और कहा,”जीजू ये सब क्या हो गया , मीरा ऐसा क्यों कर रही है ? वो तो आशु से बहुत प्यार करती है न फिर वो उस से तलाक लेने की बाते कैसे कर सकती है ? उस दिन भी मीरा ने हम लोगो से मिलने से इंकार कर दिया था वो ऐसा कैसे कर सकती है जीजू क्या हम लोग उसके कुछ नहीं लगते ? हमे छोडो वो आशु के साथ ऐसा कैसे कर सकती है ?”
सोमित जीजू ने सूना तो अर्जुन की बाँह पकड़कर उसे साइड में लेकर आये और कहा,”पागल हो गए हो क्या अर्जुन ? अक्षत के सामने ऐसी बाते कर रहे हो ऐसे तो अक्षत के मन में मीरा के लिए गुस्सा और बढ़ेगा और भगवान ना करे ये गुस्सा कभी नफरत में बदले। वहा कहा हुआ है ये हम में से कोई नहीं जानता फिर तुम ये सब कैसे कह सकते हो ? अभी शांत हो जाओ और अक्षत को सम्हालो वो ज्यादा जरुरी है।”
“आई ऍम सॉरी जीजू आप ठीक कह रहे है , पर मुझसे आशु की ये हालत देखी नहीं जाती,,,,,,,,,,,,मैं उसे ऐसे दर्द में नहीं देख पा रहा हूँ। भगवान भी कितने निर्दयी है जिन्होंने इतनी सी उम्र में इसकी जिंदगी में इतने सारे दुःख लिख दिए।”,अर्जुन ने अपनी आँखों की नमी को पोछते हुए कहा
“चलो आओ उसे ऊपर लेकर चलो,,,,,,,,,,!!”,जीजू ने अर्जुन के कंधे पर हाथ रखकर अक्षत की तरफ आते हुए कहा
सोमित जीजू ने अर्जुन की तरफ इशारा किया तो अर्जुन अक्षत के पास बैठा और उसके कंधो पर अपनी बाँह रखते हुए कहा,”कुछ नहीं हुआ है आशु हम सब है ना तेरे साथ और तेरी मीरा को भी कुछ नहीं होगा कही नहीं जाएगी वो,,,,,,,,,,,,,,,चल उठ और मेरे साथ चल , देख क्या हालत बना ली है तूने अपनी , चल उठ ,, जीजू आप मेरी मदद कीजिये।”
अर्जुन ने कहा तो जीजू उसके पास आया दोनों ने अक्षत को वहा से उठाया और उसे लेकर सीढ़ियों की तरफ बढ़ गए। राधा आँखों में आँसू भरे अक्षत को जाते हुए देखते रही। वह रोना चाहती थी लेकिन उनके आँसू जैसे उन दो आँखों में कही ठहर से गए। बहुत कोशिश के बाद भी जब राधा खुद को नहीं रोक पायी तो अपनी साड़ी के पल्लू को मुँह में खोंसकर फफक पड़ी।
विजय जी ने देखा तो राधा के पास आकर कहा,”राधा ! क्या कर रही हो ? ऐसे हालातों में अगर तुम ही कमजोर पड़ जाओगी तो बच्चो को कौन सम्हालेगा ? क्या मेरी राधा सच में इतनी कमजोर है,,,,,,,,,,,,,,नहीं एक आँसू नहीं राधा ये जो कुछ हो रहा है वो बस एक बुरा वक्त है जिसे हमे हिम्मत और एक दूसरे के साथ के सहारे गुजरना है ।”
विजय जी की बातें सुनकर राधा भावुक हो गयी और अपना चेहरा उनके सीने में छुपाकर सिसकने लगी। राधा के दर्द को इस वक्त विजय जी भली भांति समझ सकते थे पर ऐसे हालातों में किसी ना किसी को तो मजबूत रहना ही था।
पास ही खड़े दादू ने राधा को आज ऐसे रोते देखा तो उनका भी मन कचोट गया वे दोनों के पास आये और भर्राये गले से कहा,”आज से पहले इस घर में ऐसा कभी नहीं हुआ पर अब तो लगता है जैसे इस घर की खुशियों को किसी की नजर लग गयी है हर तरफ बस अँधेरा ही नजर आता है , महादेव सबकी रक्षा करे,,,,,,,,,,,!!”
दादू का उतरा हुआ चेहरा देखकर विजय जी कुछ बोल ही नहीं पाए वे बस नम आँखों से दादू को देखते रहे। दादू ने विजय जी का कंधा थपथपाया और धीमे कदमो से वहा से चले गए।
सुबह का समय था और मीरा अपने कमरे में बिस्तर पर गहरी नींद में सो रही थी। कमरे में उसके अलावा कोई नहीं था। गर्मियों के दिन थे कमरे में चलते एसी ने
कमरे को काफी ठंडा बना रखा था। अधखुली खिड़की से आती हवा से कमरे के परदे उड़ रहे थे। नींद में मीरा हल्का सा कुनमुनाई उसके चेहरे पर कई भाव आये और गए जिनमे से सभी भाव उदासी और दर्द से लबरेज थे। सोते हुए मीरा को एकदम से वो पल ख्वाब के रूप में नजर आया जब अक्षत ने कागज के टुकड़े फाड़कर मीरा के सामने हवा में उड़ाते दिए। अक्षत की कही बातें नींद में भी मीरा के कानों में गूंजने लगी थी।
“”मैंने तुमसे मोहब्बत की है मीरा मेरी मोहब्बत इतनी भी कमजोर नहीं जो कागज के इन चंद टुकड़ो से खत्म हो जाये। इस जन्म में तुम सिर्फ मेरी हो और तुम तो क्या कोई भी मुझे तुमसे अलग नहीं कर सकता , ये शहर , इस शहर के लोग , मंडप में तुम्हारे साथ लिए गए वो 7 फेरे इस बात के गवाह है कि मीरा सिंह राजपूत सिर्फ अक्षत व्यास की है ये कागज के टुकड़े हमारी मोहब्बत का फैसला नहीं करेंगे मीरा , अब तक तुमने सिर्फ मेरी मोहब्बत देखी है पर आज के बाद तुम सिर्फ मेरी नफरत देखोगी”
“अक्षत जी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए मीरा एकदम से चिल्लाई और नींद से उठ बैठी
उसकी आँखों में कुछ खो देने का भय साफ दिखाई दे रहा था। चेहरा लाल हो चुका था और ठन्डे कमरे में भी मीरा पसीने से तर बतर हो चुकी थी। उसकी सांसे धौंकनी सी तेज चल रही थी और हाँथ काँप रहे थे। बिस्तर पर बैठी वह अपनी सांसो को दुरुस्त करने की नाकाम कोशिश कर रही थी। अपने अंदर चल रही बेचैनी और घबराहट को वह साफ महसूस कर सकती थी
मीरा की आवाज सुनकर राजकमल जी दौड़े चले आये साथ में घर के कुछ नौकर भी थे । मीरा को घबराया देखकर राजकमल जी उसके पास आये और कहा,”मीरा , मीरा बेटा क्या हुआ आपको ? आप ठीक तो है ना ,, आप इतनी परेशान क्यों है क्या आपने कोई बुरा सपना देखा ?”
राजकमल जी की आवाज से मीरा की तंद्रा टूटी उसने राजकमल जी की तरफ देखा और आँखों में एकदम से आँसू भर आये उसने भर्राये गले से पूछा,”फूफाजी क्या अक्षत जी यहाँ आये थे ? क्या वो मुझसे मिलने घर आये थे ?”
“हाँ मीरा दामाद जी.,,,,,,,,,,,,,,,!!”,राजकमल जी इतना ही कह पाए कि तभी सौंदर्या कमरे में आयी और नौकरो को साइड करके कहा,”मीरा मीरा क्या हुआ तुम इतनी जोर से क्यों चिल्लाई ? जानती हो मेरा मन कितना घबरा गया था , तुम्हारी आवाज सुनकर मैं तो दौड़ी चली आयी , तुम ठीक तो हो न बेटा ?”
कहते हुए सौंदर्या मीरा के पास आ बैठी और उसके काँपते हाथो को अपने हाथों में थाम लिया।
“भुआजी हमने बहुत बुरा सपना देखा , बहुत बुरा ,, आप आप हमे बताये क्या अक्षत जी यहाँ आये थे ? वो यहाँ आये थे ना भुआ जी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमे अहसास है , हमारा दिल कह रहा है कि वो हमसे मिलने यहाँ आये थे।”
सौंदर्या ने मीरा के मुंह से अक्षत का नाम सूना तो उसके कलेजे पर सांप लौट गए फिर भी उसने अपने मन के भावो को चेहरे पर ना आने दिया और चेहरे पर उदासी लाकर कहा,”हाँ मीरा दामाद जी यहाँ आये थे लेकिन,,,,,,,,,,,,,,,!!”
सौंदर्या ने जान बुझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी , पास बैठे राजकमल जी समझ नहीं पा रहे थे समझ नहीं पा रहे थे कि सौंदर्या अब क्या नया नाटक करना चाहती है वे मीरा को सब सच बताना चाहते थे लेकिन सौंदर्या की वजह से खामोश थे। सौंदर्या की अधूरी बात ने मीरा की बेचैनी को और बढ़ा दिया इसलिए उसने कहा,”लेकिन क्या भुआ जी ?
वो यहाँ हमसे मिलने हमे वापस ले जाने आये थे ना , हम जानते है वो हमारे बिना एक पल नहीं रह सकते उन्होंने पापा के साथ हमे यहाँ भेजा तब भी हम जानते है उन्हें बहुत तकलीफ हुई थी लेकिन वो हम से मिले बिना क्यों चले गए ? वो हमे साथ लेकर क्यों नहीं गए ?”
मीरा की बात सुनकर सौंदर्या ने मुंह बना लिया और कहा,”ऐसा कुछ नहीं हुआ है मीरा क्या तुम सच में जानना चाहती हो अक्षत यहाँ क्यों आया था ?”
सौंदर्या भुआ के मुंह से अक्षत के लिए सिर्फ अक्षत सुनकर मीरा को अजीब लगा लेकिन वह हैरानी से सौंदर्या को देखते रही,,,,,,,,,!!
सौंदर्या ने अफ़सोस से अपना सर झटका और कहने लगी,”हाँ अक्षत यहाँ आया था लेकिन तुम्हे साथ ले जाने के लिए नहीं बल्कि हमेशा हमेशा के लिए तुम से रिश्ता ख़त्म करने के लिये”
मीरा ने सूना तो उसका दिल धक् से रह गया उसे सौंदर्या भुआ की बात पर विश्वास ही नहीं हुआ और उसने हैरानी से कहा,”ये आप क्या कह रही है भुआ जी ? अक्षत जी ऐसा नहीं कर सकते , आप लोगो को जरूर कोई गलत फहमी हुई है। अक्षत जी ऐसा सोच भी नहीं सकते”
मीरा को तड़पते देखकर सौंदर्या ने कठोर भाव के साथ कहा,”यही सच है मीरा , क्या तुम्हे याद नहीं कल शाम कैसे अक्षत यहाँ आकर तुम पर चिल्लाया था और तलाक के पेपर तुम्हारे मुँह पर मार दिए। वो लड़का अब वो अक्षत रहा ही नहीं जो तुम से मोहब्बत करता था , कल उसकी आँखों में मैंने तुम्हारे लिए सिर्फ नफरत देखी है मीरा , वो तुम से नफरत करता है।”
“बस कीजिये भुआजी,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने अपने दोनों कानों पर हाथ रखकर दर्दभरे स्वर में कहा
“सौंदर्या ये क्या कर रही हो तुम ? देख रही हो ना मीरा बिटिया परेशान हो रही है उसके बावजूद,,,,,,,,,,,,,,मीरा , मीरा शांत हो जाओ बेटा सौंदर्या ने जो कहा वो सब,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,राज कमल जी ने कहा लेकिन वे आगे कुछ कह पाते इस से पहले ही मीरा बिस्तर से नीचे उतरी और बिस्तर पर रखे अपने दुपट्टे को उठाकर गले में डालते हुए कहा,”हम ये सब नहीं मानते भुआ जी , हम जा रहे है अपने घर हम अक्षत जी से बात करेंगे ऐसे कैसे वो सब खत्म कर सकते है ? , हमे जाना ही होगा।”
“मीरा , मीरा रुको , मीरा तुम कही नहीं जाओगी,,,,,,,,,,,,,भाईसाहब का हुकुम है कि जब तक तुम पूरी तरह ठीक नहीं हो जाती तब तक बाहर जाने ना दिया जाये।”,सौंदर्या भुआ ने मीरा की बांह पकड़ कर उसे रोकते हुए कहा
सौंदर्या के इस बर्ताव पर राजकमल जी को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वे बेबस और लाचार थे , वे उसे नहीं रोक पाए।
मीरा ने आँसुओ से भरी आँखों से सौंदर्या को देखा और उनके हाथ से अपनी बाँह छुड़ाते हुए कहा,”दुनिया का कोई भी हुकुम हमे अक्षत जी से मिलने से नहीं रोक सकता भुआजी,,,,,,,,,,,,,,,,हमे जाने दीजिये ये हमारी जिंदगी का सवाल है , हमारी मोहब्बत का सवाल है , हमारे भरोसे का सवाल है हमे जाने दीजिये।”
मीरा की बातें सुनकर इस बार सौंदर्या भी उसे ना रोक पायी। मीरा की आँखों में अक्षत के लिए बेइंतहा मोहब्बत साफ झलक रही थी। मीरा अपना दुपट्टा सम्हाले कमरे से बाहर चली आयी उसकी आँखों से आँसू लगातार बहते जा रहे थे और उसके नाक-गाल लाल हो चुके थे।
सौंदर्या की तंद्रा टूटी तो वह जल्दी से हॉल की तरफ आयी और एक बार फिर मीरा को रोकते हुए कहा,”मीरा , मीरा बेटा मेरी बात सुनो ऐसी हालत में तुम्हे अकेले बाहर जाना नहीं चाहिए , हम है ना हम अक्षत से बात करेंगे उसे तुम्हारे लिए मनाएंगे और उसे यहाँ लेकर आएंगे ,, अभी तुम अंदर चलो देखो तुम्हारी तबियत बहुत ख़राब है , तुम्हे आराम की बहुत जरूरत है बेटा। क्या तुम्हे हम पर भरोसा नहीं है मीरा ?”
सौंदर्या की बात सुनकर मीरा के कदम ठिठके वह उनकी तरफ देखने लगी तो सौंदर्या भुआ ने अपनी आँखों को नम करते हुए कहा,”क्या हम तुम्हारे कुछ नहीं लगते मीरा ? जब से हम यहाँ आये है हमे बस तुम्हारी ही चिंता सताती है , तुम्हे इस हाल में देखकर हमे कितनी तकलीफ होती है हम तुम्हे बता भी नहीं सकते मीरा,,,,,,,,,,,,तुम्हे ऐसे हाल में देखकर कितनी ही रातों से हमने ना ठीक से कुछ खाया है ना ही सोये है दिन रात बस तुम्हारे ही बारे में सोचते रहे,,,,,,,,,,!!”
मीरा सौंदर्या की बातो में आ गयी और रुक गयी वह समझ नहीं पा रही थी आखिर क्या करे ?
मीरा को उलझन में देखकर सौंदर्या ने अपने आँसू पोछते हुए कहा,”अमायरा को तो हम सब खो चुके है मीरा अब तुम्हे नहीं खोना चाहते,,,,,,,,,,,!!”
अमायरा का नाम सुनते ही मीरा के जख्म फिर से ताजा हो गए , उसके सीने में चुभन का अहसास होने लगा और आँखों से झर झर आँसू बहने लगे। मीरा अमायरा को याद करके फिर रोने लगी उसने अपना चेहरा अपने हाथो में छुपा लिया और फफक पड़ी। मीरा को ऐसे देखकर वहा मौजूद सबकी आँखों में नमी थी सिवाय सौंदर्या के,,,,,,,,,,,,,,,,रोते रोते मीरा को फिर अक्षत का ख्याल आया उसने सौंदर्या की तरफ देखा और रोते हुए कहा,”हमे अक्षत जी के पास जाने दीजिये भुआ जी,,,,,,,,,,,,हमे जाने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते कहते मीरा बेहोश होकर नीचे गिर पड़ी। सभी मीरा की तरफ भागे और सौंदर्या बुत बनी वही खड़ी उसे देखते रही
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