Haan Ye Mohabbat Hai – 14
अपनी माँ को देखकर विक्की हैरान था। आज से पहले उसकी माँ ने कभी उसकी खबर तक नहीं ली थी और आज जेल में,,,,,,,,,,,,,,विक्की ने हाथ में पकड़ा गिलास निचे रखा और सलाखों के पास चला आया। अर्चना प्यार भरी नजरो से विक्की को देखते रही और फिर कहा,”कैसे हो बेटा ?”
“मुझे बेटा कहकर बुलाने का हक़ आप खो चुकी है।”,विक्की ने कठोरता से कहा
सिंघानिया जी की तरह विक्की भी अपनी माँ से बेहद नफरत करता था लेकिन अर्चना का प्यार अपने बेटे के लिये कम नहीं हुआ और उन्होंने कहा,”तुम्हे यहाँ नहीं होना चाहिए था विक्की , मैं जानती हूँ तुम किसी और के किये गुनाह की सजा काट रहे हो।”
“आप यहाँ क्यों आयी है ?”,विक्की ने एक बार फिर कठोरता से पूछा
“क्यों विक्की ? क्या मैं तुम से मिलने नहीं आ सकती ? क्या मैं अपने बेटे से मिलने नहीं आ सकती ?”,कहते हुए अर्चना का गला भर आया और आँखों में नमी तैरने लगी जिसे देखकर विक्की का मन बैचैन हो गया और उसने कहा,”किस रिश्ते की बात कर रही है आप ? बेटा , वो बेटा जिसे बचपन में ही रोता छोड़कर आप अपने आशिक़,,,,,,,,,,,,,,,किस बेटे की बात कर रही है आप ?
बचपन से लेकर अब तक मुझे कभी माँ का प्यार नसीब नहीं हुआ , कभी माँ का साथ नसीब नहीं हुआ , माँ की उस कमी ने मुझे गुस्सैल और बिगड़ैल बना दिया। आज मैं जो कुछ भी हूँ और जहा भी हूँ उन सब में कही ना कही थोड़ा हाथ आपका भी है।”
“विक्की मैं , नहीं मैं कैसे ?”,कहते हुए आगे के शब्द अर्चना के गले में ही अटक गए और आंसुओ के मोटे मोटे धारे गालों पर लुढ़क आये। “आप यहाँ से जा सकती है और आज के बाद यहाँ नहीं आईयेगा।”,कहकर विक्की वहा से चला गया उसने अर्चना को पलटकर भी नहीं देखा और उसकी इस बेरुखी पर अर्चना की रुलाई फुट पड़ी। उसने साड़ी के पल्लू को मुंह में दबाया और रोते हुए वहा से चली गयी। जेल से बाहर आकर अर्चना अपनी गाड़ी में बैठी और ड्राइवर से घर चलने को कहा। ड्राइवर ने भी गाड़ी घर जाने वाले रास्ते की तरफ मोड़ दी।
निधि मीरा को अपने साथ लेकर व्यास हॉउस पहुंची। हनी की गाड़ी देखते ही रघु ने दरवाजा खोल दिया। गाड़ी अंदर चली आयी। मीरा का दिल जोरो से धड़क रहा था उसने कसकर निधि का हाथ अपने हाथ में पकड़ा हुआ था। निधि ने जैसे ही मीरा को देखा मीरा ने आँखों में आँसू भरकर ना में अपनी गर्दन हिलाई। निधि ने अपना दुसरा हाथ मीरा के हाथ पर रखा और कहा,”मीरा मैं हूँ ना तुम्हारे साथ , सब ठीक हो जाएगा।”
“लेकिन अक्षत जी,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,मीरा ने तकलीफ भरे स्वर में कहा उसकी आँखों के सामने अभी भी अक्षत का गुस्सा आ रहा था
“मीरा जी आप परेशान मत होईये , ये घर भी आपका अपना घर है। हम सब आपके साथ है।”,इस बार खामोश बैठे हनी ने पीछे पलटकर कहा
निधि ने दरवाजा खोला और नीचे उतरकर कहा,”बाहर आओ मीरा।”
रघु ने जैसे ही निधि के मुंह से मीरा का नाम सूना ख़ुशी से उसका चेहरा खिल उठा। मीरा गाड़ी से नीचे उतरी रघु ने देखा तो ख़ुशी से भरकर मीरा के पास आया और कहा,”हमे अपने ठाकुर जी पर पूरा भरोसा था मीरा दीदी , हम जानते थे आप जरूर वापस आएँगी , हम अभी जाकर सबको आपके आने की खबर देते है “
“रघु भैया,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने रघु से रुकने को कहा लेकिन रघु तब तक वहा से जा चुका था।
निधि मुस्कुरा उठी और कहा,”आओ मीरा अंदर चलते है , तुम्हे देखकर सब खुश हो जायेंगे।”
निधि के कहने पर मीरा हिम्मत करके निधि और हनी के साथ घर के दरवाजे की तरफ बढ़ गयी , उसके पैर काँप रहे थे और दिल किसी धोकनी सा तेज धड़क रहा था। मीरा मन ही मन सोचे जा रही थी कि वह घरवालों से कैसे सामना करेगी ? इस घर से जाने की जो भूल उसने की थी क्या उसके लिये घरवाले उसे माफ़ करेंगे ?
मीरा निधि को लेकर घर के दरवाजे तक पहुंची तब तक रघु ने अंदर जाकर सबको मीरा के आने की खबर दे दी।
जैसे ही सबने सूना मीरा आयी है तो सबके चेहरे खुशी से खिल उठे। नीता तनु किचन में थी नीता ने जल्दी से हाथ धोते हुए कहा,”दी गैस बंद कर दीजियेगा बाकि काम बाद में देखेंगे , मीरा आयी है।”
“क्या ? मीरा आयी है , रुको मैं भी आती हूँ।”,तनु ने गैस बंद करते हुए कहा और नीता के साथ बाहर चली आयी।
सोमित जीजू , विजय जी , अर्जुन और दादू भी हॉल में जमा हो गए। काव्या चीकू ने जब सूना तो दोनों दौड़कर हॉल में आये और नजरे दरवाजे की तरफ जमा ली।
सब वहा मौजूद थे बस राधा नहीं थी , राधा पूजा घर में थी और पूजा कर रही थी। हालाँकि रघु की बात उन्होंने सुन ली थी लेकिन बिना पूजा किये मंदिर से बाहर आना नहीं चाहती थी। अक्षत अपने कमरे में था उसे मीरा के आने की खबर तक नहीं थी शायद ना ही उसके कमरे तक रघु की आवाज पहुंची। पूजा खत्म कर राधा भी जल्दी से हॉल में आयी अपनी मीरा को देखने के लिये उनकी आँखे बैचैन थी और साथ ही उन आँखों में नमी भी तैर गयी।
निधि मीरा का हाथ थामे उसे लेकर अंदर आयी मीरा को देखते ही सबके होंठो पर मुस्कराहट तैर गयी लेकिन उन्हें खुश देखकर मीरा की आँखों में नमी तैर गयी। मीरा को मन ही मन ये सोचकर तकलीफ होने लगी कि बीते दिनों में उसने इन सबका कितना दिल दुखाया था। मीरा को देखते ही दादी माँ उसके पास आयी और उसका चेहरा अपने हाथो में लेकर उसके माथे को चूमते हुए कहा,”कहा चली गयी थी मीरा ? तुम्हारे जाने से ये घर कितना सूना हो गया था
मीरा ने कुछ नहीं कहा बस नम आँखों से दादी को देखते रही। मीरा ने दादू के पैर छुए तो उन्होंने मीरा के कंधो को थामकर कहा,”तुम ठीक हो ना मीरा ?”
मीरा ने यहाँ भी कुछ नहीं कहा बस हाँ में अपनी गर्दन हिला दी। सभी मीरा के आने से खुश थे और उस से मिल रहे थे , उसका हाल चाल पूछ रहे थे लेकिन मीरा की नजरे किसी को ढूंढ रही थी। कितने दिन हो गए थे उसने जी भरकर अक्षत को देखा तक नहीं था। मीरा को सीढ़ियों की तरफ देखते पाकर सोमित जीजू ने कहा,”आशु शायद अपने कमरे में है , उसे पता नहीं है तुम यहाँ हो पता होता तो उसके पैर जमीन पर पड़ते क्या ?”
मीरा ने सूना तो वह एकटक सोमित जीजू को देखने लगी। मीरा को अपनी ओर देखते पाकर सोमित जीजू ने कहा,”क्या हुआ मीरा ?”
“आप हम से नाराज नहीं है ?”,मीरा ने बुझे स्वर में कहा
“नहीं ! और भला मैं तुम से नाराज क्यों होने लगा , मैं तुम से कभी नाराज हो सकता हूँ क्या मीरा ?”,सोमित जीजू ने प्यार से मीरा के सर पर अपना हाथ रखते हुए कहा तो मीरा की आँखों में ठहरे आँसू गालों पर लुढ़क आये।
सब मीरा से मिले लेकिन राधा एक तरफ खड़े मीरा को देखते रही।
पहली बार राधा मीरा से गुस्सा थी और खामोश थी। मीरा ने देखा राधा एक तरफ खड़ी है तो वह उनके सामने आयी और कहा,”माँ ! क्या आप भी हम से नाराज है ?”
“ऐसे कोई जाता है क्या मीरा ? तुम गयी तो लगा जैसे मेरे सीने से कोई दिल निकालकर ले गया।”,कहते कहते राधा फफक कर रो पड़ी
राधा को रोते देखकर मीरा की आँखों में भी आँसू आ गए उसे अपनी गलती का अहसास हुआ वह राधा को ऐसे रोते हुए नहीं देख सकती थी इसलिए पलट गयी और अपना चेहरा अपने हाथो में छुपाकर रोने लगी
“क्या कर रही हो राधा ? वो इतने दिन बाद घर आयी है और तुम उसे,,,,,,,,,,,,,,मीरा , मीरा बेटा यहाँ आओ , ये घर और इस घर के लोग आज भी तुम्हारे ही है बेटा,,,,,,,,,,हम्म्म्म !”,विजय जी ने मीरा को अपने सीने से लगाते हुए कहा।
अपने कमरे में अक्षत गहरी नींद में सोया था कि एकदम से मीरा का नाम लेकर उठ गया। अक्षत पसीने से तरबतर था और उसकी सांसे बहुत तेज चल रही थी। उसका मन बेचैनी से भर गया। उसने अपनी सांसो को नियंत्रित करने की कोशिश की लेकिन नहीं कर पाया। अक्षत उठा और कमरे में यहाँ वहा कुछ ढूंढने लगा। उसने कबर्ड , ड्रावर , टेबल हर जगह देखा लेकिन उसे जो चाहिए था वो उसे नहीं मिला। अक्षत बिस्तर पर आकर बैठ गया और हाथ साइड में रखा तो हाथ डिब्बे पर जा लगा। यही तो था जिसे अक्षत ढूंढ रहा था।
उसने डिब्बा खोला एक सिगरेट निकाली और अपने होंठो के बीच रख ली। साइड में पड़े लाइटर को उठाया और सिगरेट जला ली। एक दो कश लगाने के बाद उसकी सांसे सामान्य होने लगी। अक्षत उठा और कमरे से बाहर चला आया। मीरा के ख्याल भर से ही अक्षत इन दिनों बैचैन हो जाया करता था।
अक्षत कमरे के बाहर बालकनी में खड़े होकर सिगरेट पीता रहा। कुछ देर बाद उसने खत्म हुई सिगरेट बुझाई और जैसे ही अपने कमरे की तरफ जाने लगा उसकी नजर नीचे हॉल में जमा अपने घरवालों पर चली गयी।
सब घरवालों को साथ देखकर अक्षत को अजीब लगा लेकिन इन दिनों वह अपने घरवालों से दूर रहने लगा था इसलिए उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और कमरे की ओर चला गया तभी रघु की आवाज उसके कानों में पड़ी,”अक्षत बाबा , मीरा दीदी आयी है।”
मीरा का नाम सुनते ही अक्षत की भँवे तन गयी और गुस्से से चेहरा लाल हो गया।
मीरा के लिये अक्षत की मोहब्बत कब गुस्से में बदल गयी अक्षत खुद समझ नहीं पाया। वह गुस्से से पलटा और नीचे जाने के लिये सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। रघु भी अक्षत के साथ नीचे चला आया।
अक्षत को देखकर मीरा का दिल धड़कने लगा वह नम आँखों से अक्षत को देखने लगी लेकिन अक्षत के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। अर्जुन ने अक्षत को वहा देखा तो उसके पास आया और कंधे पर हाथ रखकर कहा,”देखा आशु मैंने कहा था ना , मीरा वापस आ जाएगी ,, देखो तुम्हारी मीरा वापस आ गयी है।”
अक्षत ने अपने कंधे पर रखे अर्जुन के हाथ को नीचे किया और बिना किसी भाव के मीरा की तरफ बढ़ा। अक्षत मीरा के सामने आया और एकटक उसकी आँखों में देखने लगा।
अक्षत का मीरा को यू देखना बैचैन कर रहा था लेकिन वह ख़ामोशी से अक्षत को देखे जा रही थी।
अक्षत ने एक ठंडी साँस ली और मीरा की कलाई थामकर दरवाजे की तरफ बढ़ गया। मीरा समझ नहीं पायी आखिर अक्षत क्या करना चाहता है वह खामोश सी उसके साथ चल पड़ी।
“आशू क्या कर रहा है , उसे रोकिये आप”,राधा ने विजय जी के पास आकर कहा
“ये आशु मीरा को लेकर बाहर क्यों जा रहा है ?”,तनु ने भी परेशानी भरे स्वर में कहा और सबके साथ अक्षत मीरा के पीछे जाने लगी लेकिन सोमित जीजू वही खड़े रहे। वे जानते थे कि अक्षत क्या करने जा रहा है उन्होंने एक ठंडी साँस ली और वहा से चले गए क्योकि वे मीरा के लिये अक्षत की नफरत किसी भी हाल में देखना नहीं चाहते थे।
दरवाजे के पास आकर अक्षत ने मीरा को घर से बाहर कर उसकी कलाई छोड़कर कहा,”इस घर में अब तुम्हारे लिये कोई जगह नहीं है , तुम यहाँ से जा सकती हो।”
अक्षत की बात सुनकर सब हैरान रह गए। अक्षत ये क्या कर रहा था और क्यों कर रहा था कोई समझ नहीं पाया। मीरा ने सूना तो उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था और आँखे जैसे पथरा गयी हो। अक्षत इतना कठोर भी हो सकता है मीरा ने कभी सोचा नहीं था
“आशु ये क्या कर रहा है तू ? मीरा को ऐसे बाहर क्यों निकाल दिया , तू पागल हो गया है क्या ?”,राधा ने मीरा की तरफ जाते हुए जैसे ही कहा अक्षत ने राधा का हाथ पकड़कर उन्हें रोक लिया और कहा,”ये हमारा आपसी मामला है माँ , आप में से कोई हमारे बीच नहीं आएगा।”
“अक्षत जी,,,,,,,,,!!”,मीरा ने अक्षत बांह छूकर रोते हुए कहा तो अक्षत ने जलती आँखों से मीरा को देखा। अक्षत का गुस्सा देख मीरा सहमकर पीछे हट गयी। उसकी आँखों में भरे आँसू गालों पर बहने लगे।
अक्षत को गुस्से में देखकर राधा ने भी अपने कदम पीछे ले लिये।
विजय जी ने सूना तो वे आगे आये और कहा,”आशु ! ये सब क्या है ? किस हक़ से तुमने मीरा को घर से निकाला ? वो इस घर कोई बहु है , उसका भी इस घर में उतना ही हक़ है जितना हम सब का , मैं कहता हूँ मीरा को घर में वापस लाओ।”
अक्षत ने विजय जी की तरफ देखा और कहा,”मीरा इस घर में वापस नहीं आएगी पापा”
“ए आशु ! क्या है ये सब ? तू पापा से आँखे मिलाकर बात कैसे कर सकता है ? मैं कहता हूँ अपनी आँखे नीची कर,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने अक्षत की बाँह पकड़कर उसे अपनी तरफ करके कहा लेकिन अक्षत को जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा उसने धीरे से अर्जुन के हाथ को नीचे किया और कहा,”मैं कुछ गलत नहीं कहा भाई , मीरा इस घर में वापस नहीं आयेगी,,,,,,,,,,,,,!!”
“भाई , भाई आपको क्या हो गया है ? आप ऐसा क्यों कर रहे है ? मीरा इस घर में क्यों नहीं आ सकती है ? वो मेरी भाभी है भाई , इस घर की बहु है आपकी पत्नी है भाई,,,,,,,,,,,,,,आप ये सही नहीं कर रहे है , आप देख रहे है ना उसे कितनी तकलीफ हो रही है ये सब सुन कर”,निधि ने अक्षत के सामने आकर कहा
“अगर किसी को इस घर में उस से ज्यादा हमदर्दी है तो वो भी उसके साथ यहाँ से जा सकता है।”,अक्षत ने निधि से कहा
अपने भाई से निधि को इसकी उम्मीद तो बिल्कुल नहीं थी वह रोते हुए वहा से अंदर चली गयी। निधि के साथ नीता भी अंदर चली गयीं। अक्षत का बदला रूप देखकर हर कोई हैरान था और सबसे ज्यादा हैरान थी मीरा उसने कभी सोचा नहीं था उसे एक दिन अक्षत का ये रूप भी देखने को मिलेगा। मीरा की आँखों से लगातार आँसू बहते रहे लेकिन वह ना अक्षत की बातो का विरोध कर पाई ना ही अपनी सफाई में कुछ कह पायी।
उसे रोते देखकर राधा को बहुत तकलीफ हुई लेकिन वे भी अपनी जगह बस खड़े रह गयी। अक्षत ने मीरा को नजर भरकर देखा तक नहीं।
दादू ने देखा अक्षत किसी की नहीं सुन रहा है तो वे अक्षत के पास आये और कहा,”अभी मैं मरा नहीं हूँ , इतने बड़े फैसले तब करना जब मैं इस घर में ना रहु अभी मैं इस घर में ज़िंदा हूँ और मेरे होते तेरे बाप में भी इतनी हिम्मत नहीं है कि वो कोई फैसला ले पाए। मीरा इस घर की बहु है और उसे पूरा अधिकार है इस घर में आने का,,,,,,,,,,,,,,मैं भी देखता हूँ कौन उसे रोकता है ?”
“ठीक है फिर मैं ही इस घर से चला जाता हूँ हमेशा हमेशा के लिये,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा
मीरा ने सूना तो कहा,”नहीं नहीं दादू , हमारे लिये कुछ मत कहिये आप लोग ,, अगर हमारे यहाँ से चले जाने में ही इनकी ख़ुशी है तो हम यहाँ से चले जाते है। इनकी ख़ुशी से बढ़कर हमारे लिये कुछ भी जरुरी नहीं है। हम कभी नहीं चाहेंगे हमारी वजह से ये अपने घर और आप लोगो से दूर हो। इन्हे आप सबकी जरूरत है दादू ,, हम , हम यहाँ से चले जायेंगे , हमेशा के लिये चले जायेंगे,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते कहते मीरा रो पड़ी ,
राधा से मीरा का रोना नहीं देखा गया तो वे वहा से चली गयी। विजय जी अभी भी वही खड़े मीरा को देखते रहे। अक्षत का ये रूप देखकर अर्जुन भी बहुत हर्ट हुआ वह बिना कुछ कहे वहा से चला गया। दादी माँ और दादू भी वहा से चले गए। अक्षत ने मीरा के सामने ही घर के दरवाजे बंद कर दिये ये देखकर मीरा का बचा हुआ दिल भी टूट गया। वह घुटनो के बल नीचे आ गिरी और अपने हाथो में अपना चेहरा छुपाकर रोने लगी।
जिस घर में वह दुल्हन बन अक्षत का हाथ थामकर आयी थी आज उसी घर के दरवाजे उसके खातिर हमेशा हमेशा के लिये बंद हो चुके थे। मीरा की आँखों के सामने वो सब पल आने लगे जब जब अक्षत उसका हाथ थामकर उसे इस घर में लेकर आया था।
आज सुबह से छवि की तबियत ख़राब थी। उसका सर भारी हो रहा था और साथ ही उसका जी भी मिचला रहा था। माधवी जी छवि के लिये चाय लेकर आयी लेकिन छवि ने जैसे ही एक घूंठ पीया उसे उबकाई आयी। उसने चाय का कप टेबल पर रखा और उठकर बाथरूम की तरफ भागी।
“छवि , छवि क्या हुआ बेटा ? तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना ?”,माधवी ने बाथरूम के बाहर आकर कहा
उलटी करने के बाद छवि मुँह धोकर बाहर आयी और कहा,”नहीं माँ , सुबह से ही मन बहुत अजीब हो रहा है।
उबकाई आ रही है और सर भी भारी लग रहा है।”
“अच्छा , गर्मी बहुत है ना शायद उस से हो रहा होगा और फिर तुम ठीक से खाती-पीती भी तो नहीं हो , कितनी बार कहा है जॉब के लिये इतनी टेंशन मत लिया करो लेकिन नहीं तुम मेरी एक बात नहीं सुनती। चलो यहाँ आकर बैठो मैं तुम्हारे लिये निम्बू पानी ले आती हूँ।”,माधवी जी ने सोफे के कुशन सही से रखते हुए कहा।
छवि सोफे पर आ कर बैठ गयी। ये खुद में अचानक से हो रहे बदलाव को वह समझ नहीं पा रही थी।
छवि ने अपना सर हत्थे से लगा लिया लेकिन वह दो मिनिट भी चैन से बैठ पाती कि इस से पहले ही उसे फिर उबकाई आयी और वह अपना हाथ मुंह पर रखकर बाथरूम की ओर भागी। किचन में खड़ी माधवी ने देखा तो उन्हें छवि की चिंता होने लगी। उन्होंने सब काम छोड़ा और किचन से बाहर आयी।
छवि एक बार फिर हॉल में आयी तो माधवी जी ने कहा,”छवि तुम्हारी तबियत तो बहुत ज्यादा खराब लग रही है , चलो हम हॉस्पिटल चलते है।”
“नहीं माँ मैं ठीक हूँ बस वो उल,,,,,,,,,,,,,,,,!”,कहते कहते छवि गश खाकर जमीन पर गिर पड़ी
“छवि,,,,,,,,,,,!!”,माधवी चिल्लाई छवि को सम्हाला। छवि को बेहोश देखकर माधवी घबरा गयी उसे समझ नहीं आ रहा था वह क्या करे ? उसने छवि को वही छोड़ा और भागकर बाहर आयी। उसने रोते हुए अपने पड़ोसियों से मदद मांगी लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की।
परेशान सी माधवी अपने घर के बगल में रहने वाली मिसेज वर्मा के पास गयी और कहा,”मिसेज वर्मा ! प्लीज मेरी मदद कीजिये , छवि छवि बेहोश हो गयी है पता नहीं उसे क्या हुआ है ? आप ज़रा नीरज से कहिये ना वो अपनी गाड़ी से छवि को हॉस्पिटल ले जाने में मेरी मदद करे।”
मिसेज वर्मा ने सूना तो उन्होंने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा,”नहीं नहीं नीरज कही नहीं जाएगा , उसे बहुत काम है और कही मेरा बेटा किसी केस में फंस जाये। नहीं बहन मुझे माफ़ करो।”
कहते हुए मिसेज वर्मा ने माधवी के मुंह पर ही अपने घर का दरवाजा बंद कर दिया। माधवी ने सूना तो उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा। मिसेज वर्मा के साथ उनके रिश्ते कितने अच्छे थे और उन्होंने आज ऐसी बात कही। माधवी ने साड़ी के पल्लू से अपने आँसू पोछे और किसी और की मदद ना लेने का फैसला कर सड़क किनारे आयी। उन्होंने सामने से आते ऑटो को रुकवाया और ऑटोवाले की मदद से छवि को ऑटो में बैठाया और खुद उसके बगल में बैठकर ऑटोवाले से कहा,”भैया जल्दी से सिटी हॉस्पिटल चलिए।”
माधवी के कहने पर ऑटोवाला आगे बढ़ गया।
हॉस्पिटल पहुंचकर माधवी जी ऑटोवाले की मदद से छवि को इमेरजैंसी वार्ड लेकर आयी। डॉक्टर ने छवि का चेकअप किया और कुछ सेम्पल्स लेकर टेस्ट के लिए भेज दिए। उन्होंने माधवी से बाहर बैठने को कहा और नर्स को कुछ ट्रीटमेंट बताने लगी। ऑटोवाला अपने पैसे लेकर वहा से चला गया और माधवी बाहर बेंच पर बैठी छवि के बारे में सोचने लगी। घंटेभर बाद छवि को होश आया तो नर्स ने माधवी को अंदर बुलाया। माधवी अंदर आकर छवि से मिली और उसका सर चूमकर कहा,”तू ठीक है ना छवि ? पता है कितना घबरा गयी थी मैं।”
“मैं ठीक हूँ माँ,,,,,,!!”,छवि ने कहा
“सुनिए , आपको डॉक्टर ने बुलाया है ?”,नर्स ने माधवी से आकर कहा
“छवि तुम आराम करो मैं अभी आती हूँ।”,माधवी ने कहा
माधवी डॉक्टर के पास आयी तो डॉक्टर ने छवि की फाइल माधवी को देकर कहा,”आज से आपको छवि का बहुत ख्याल रखना है , वक्त पर खाना , दवाये और ढेर सारा आराम,,,,,,,,,,,,!!”
“मैं कुछ समझी नहीं डॉक्टर ?”,माधवी ने उलझन भरे स्वर में कहा
डॉक्टर ने माधवी की तरफ देखा और कहा,”शी इज प्रेग्नेंट !”
माधवी ने सूना तो उनका सर घुमा वे जैसे ही गिरने को हुई उन्होंने कुर्सी पकड़ ली। उसकी हिम्मत जवाब दे चुकी थी।
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संजना किरोड़ीवाल