Haan Ye Mohabbat Hai – 101
छवि से मिलने के बाद विक्की घर पहुंचा सिंघानिया जी इस वक्त अपने कमरे में थे। विक्की उनके पास आया और कहा,”डेड ! मुझे आपसे कुछ बात करनी है,,,,,!!”
“हम्म्म कहो !”,सिंघानिया जी ने कहा
“मैं छवि से शादी करना चाहता हूँ डेड , मेरी वजह से आज वो ऐसे हालात में है , मैं उसे अपनाना चाहता हूँ डेड ! मैं चाहता हूँ आप छवि के घरवालों से बात करे”,विक्की ने सहजता से कहा
सिंघानिया जी ने जैसे ही सुना गुस्से से विक्की की तरफ देखा और कहा,”तुम होश में तो हो ? तुम चाहते हो उस छवि दीक्षित को मैं अपने घर की बहू बनाऊ,,,,,,,,,,,,,,ऐसा हरगिज नहीं होगा समझे तुम।”
“डेड मैं छवि को पसंद करता हूँ और क्यों नहीं कर सकता मैं उस से शादी ? क्या कमी है उसमे ?”,विक्की ने भी थोड़ा गुस्से से कहा
सिंघानिया जी ने जैसे ही सुना दबी आवाज में गुस्से कहने लगे,”ये तुम मुझसे पूछ रहे हो ? क्या तुम नहीं जानते उस लड़की ने क्या किया है उसकी वजह से मेरी इज्जत की धज्जिया उड़ गयी। मेरा काम , मेरा नाम सब मिटटी में मिल गया , क्या वो ये सब लौटा पायेगी मुझे,,,,,,,,,पागल मत बनो विक्की मेरे जीते जी वो लड़की इस घर में नहीं आ सकती,,,,,,,,ये मेरा आखरी फैसला है।”
“क्यों नहीं आ सकती ? आखिर कब तक आप अपने घमंड के चलते अपनों की खुशिया छीनते रहेंगे ?”,एक जानी पहचानी आवाज सिंघानिया जी और विक्की के कानों में पड़ी। दोनों ने पलटकर एक साथ देखा तो पाया घर के दरवाजे से अर्चना अंदर आ रही थी।
अर्चना को वहा देखते ही सिंघानिया की भँवे तन गयी। अर्चना आकर उनके सामने खड़ी हो गयी तो सिंघानिया जी ने कठोरता से कहा,”अब तुम यहाँ क्या लेने आयी हो ? कुमार ने जो किया क्या तुम्हे उसकी खबर नहीं है ?
पैसे के लिये उसने अपने ही पिता और भाई के साथ,,,,,,,,,,,,,,,,चहहहहह मुझे उसे अपनी औलाद कहने में भी शर्म आ रही है। उसकी रगों में खून भले ही मेरा हो लेकिन उसकी परवरिश तुमने की है तुम्हारी परवरिश से और उम्मीद भी क्या की जा सकती थी ?”
सिंघानिया जी के कड़वे शब्द सुनकर अर्चना की आँखों में आँसू भर आये। उसने सिंघानिया जी की तरफ देखा और कहने लगी,”सच कहा आपने मेरी परवरिश में ही शायद कोई कमी रही होगी इसलिए उसने ये सब किया , अगर मैं जानती आप से बदला लेने के लिये कुमार ऐसा कुछ करेगा तो मैं उसे रोक लेती,,,,,,,,,,,,,,अपने स्वार्थ के चलते उसने एक लड़की की जिंदगी ख़राब कर दी जिसकी सजा कानून उसे दे चूका है।
मुझे उसके जेल जाने का दुःख जरूर है लेकिन उस से ज्यादा सुकून इस बात का है कि मेरी गैरमौजूदगी के बाद भी विक्की को अच्छी परवरिश मिली है,,,,,,,,,,,,,सालों पहले जो आपने मेरे साथ किया वो विक्की के साथ मत दोहराईये,,,,,,,,,वो छवि को अपनाना चाहता है उसे मत रोकिये,,,,,,,,,,,इस से शायद छवि के घाव भर जाये और उसे एक अच्छी जिंदगी मिल जाये।”
अर्चना की बात सुनकर विक्की नम आँखों से उनकी तरफ देखने लगा। जिस माँ से वह अब तक नफरत करता था आज वही माँ उसकी ख़ुशी चाहती थी। सिंघानिया जी ने सुना तो गुस्से से कहा,”ये मेरे घर का मामला है अर्चना तुम्हे इस में बोलने की जरूरत नहीं है।”
“डेड ! आप इनसे इस तरह से बात नहीं कर सकते,,,,,,,,,,,सच्चाई क्या है ये आप भी जानते है। बिना सच जाने आपने माँ को घर से , अपनी जिंदगी से निकाल दिया। इतने सालो में आपने कभी इनकी खबर तक नहीं ली,,,,,,,,,इनके साथ तो आपने बुरा किया ही किया लेकिन छवि और अक्षत सर के साथ जो कुछ भी हुआ उसमे कही न कही आप भी जिम्मेदार है।
गलती मेरी थी लेकिन अपनी झूठी शान और अकड़ के चलते आपने छवि को ऑफिस से निकाल दिया , मैंने जब भी कोई गलती की मुझे सजा देने के बजाय आपने उसे नजरअंदाज किया , मुझे सही गलत में फर्क समझाने के बजाय आप मेरी गलतियों पर पर्दा डालते रहे।
क्यों डेड ? क्या आपको नहीं लगता आपने इनके साथ गलत किया है ? कुमार के साथ गलत किया है और छवि के साथ गलत किया है ?”
विक्की की बात सुनकर सिंघानिया जी खामोश हो गए और अपनी नजरे झुका ली। विक्की उनके सामने आया और कहा,”डेड ! मैं आपका ही बेटा हूँ और मेरी रगों में आपका ही खून दौड़ रहा है। आप जिस कम्पनी और बिजनेस में जिस पोजीशन की बात कर रहे है उसे फिर से उंचाईयों पर लेकर मैं आऊंगा डेड और उसके बाद ही मैं छवि को इस घर में लाऊंगा ये मेरा आपसे वादा है।”
कहकर विक्की तेज कदमो से वहा से चला गया। अर्चना ने विक्की को गुस्से में देखा तो कहा,”विक्की , विक्की मेरी बात सुनो”
विक्की वहा से जा चुका था अर्चना ने सिंघानिया जी को देखा और कहा,”अभी भी वक्त है गौतम , अपनी पत्नी और एक बेटे को खो चुके है आप अब विक्की आपको छोड़कर जाये उस से पहले अपनी ये जिद छोड़ दीजिये,,,,,,,,,,!!”
कहकर अर्चना भी वहा से चली गयी। सिंघानिया जी थके कदमो से कुर्सी की तरफ बढ़ गए और उस पर आ बैठे। उन्होंने अपना सर झुका लिया। बीते वक्त की यादें किसी फिल्म की तरह उसकी आँखों के सामने चलने लगी।
विक्की गुस्से में अपने कमरे में आया और बिस्तर पर आकर गिर गया। उसका मूड ऑफ था और आँखों के सामने बस छवि का चेहरा घूम रहा था। विक्की ने अपने कमरे में रखे एलेक्सा से म्यूजिक चलाने को कहा। विक्की के हालात शायद एलेक्सा भी जानती थी। गाना बजने लगा
“महसूस खुद को , तेरे बिना मैंने कभी किया नहीं
तू क्या जाने लम्हा कोई , मैंने कभी जिया नहीं
अब जो मिले है तो शिकवे गीले ना हो
बस इश्क़ हो , बस इश्क़ हो
अब जो हँसे है तो , आँसू कोई ना हो
बस इश्क़ हो , बस इश्क़ हो”
विक्की ने आँखे मूंद ली और गाने को महसूस करने लगा। हाँ ये सच था कि उसे छवि से मोहब्बत हो चुकी थी और उसके लिये वह पूरी दुनिया के खिलाफ जाने को तैयार था। छवि के दिल की बात जानकर विक्की को ये अहसास हो चुका था कि छवि भी उस से उतनी ही मोहब्बत करती है। विक्की आँखे मूंदे छवि के बारे में सोचने लगा।
छवि को विक्की के गले लगे देखकर माधवी जी का खून खौल उठा। वे छवि का हाथ पकड़कर खींचते हुए उसे घर ले आयी। कमल जी भी उनके पीछे पीछे घर चले आये। घर के अंदर आकर माधवी जी ने छवि को गुस्से से अपने सामने कर उसका हाथ छोड़ते हुए कहा,”शर्म नहीं आयी तुम्हे ऐसे उसे सबके सामने गले लगाते हुए,,,,,,,,,,,,,,जिस आदमी ने तुम्हारी जिंदगी बर्बाद कर दी तुम उसके साथ,,,,,,,,,,,हटाओ अपनी मांग से ये सिंदूर और चलो मेरे साथ यहाँ से,,,,,,,,,,,,!!”
“माँ,,,,मैं उस से प्यार करती हूँ,,,,,,!!”,छवि ने आँखों में आँसू भरकर तडपते हुए कहा
“छवि,,,,,,,,,,,,जबान खींच लुंगी तुम्हारी अगर तुमने दोबारा उसका नाम भी लिया,,,,,!!”,माधवी ने छवि को मारने के लिये हवा में अपना हाथ उठाते हुए कहा लेकिन अपना हाथ हवा में ही रोक लिया।
वे छवि पर हाथ उठा पाती इस से पहले ही कमल जी ने उनका हाथ पकड़ लिया और नीचे करते हुए कहा,”क्या कर रही हो माधवी ? वो माँ बनने वाली है , उस पर हाथ उठाओगी तुम,,,,,,,,,,,!!”
“देखिये ना भैया ये लड़की क्या कह रही है ? ये उस आदमी के साथ घर बसाने के सपने देख रही है जिसकी वजह से आज ये इन हालातो में है,,,,,,,,इसे समझाइये , समझाइये इसे ये जो कह रही है वो नहीं हो सकता,,,,,,,मैं इसकी शादी उस विक्की से होने नहीं दूंगी”,गुस्से से कहकर माधवी वहा से चली गयी
छवि ने सुना तो वह फूटफूट कर रोने लगी। कमल जी छवि के पास आये और उसे चुप कराते हुए कहा,”चुप हो जाओ छवि , तुम्हारी माँ अभी गुस्से में है। माधवी विक्की को पसंद नहीं करती है बेटा , वो इस शादी को कभी नहीं मानेंगी”
“उनको मानना पड़ेगा मामाजी , मेरी मांग में भरा ये सिंदूर ये तो झूठा नहीं है न ?
विक्की ने मेरे साथ गलत जरूर किया लेकिन आज वो इस बच्चे को अपनाने को तैयार है। क्या कोई और होगा जो इस बच्चे को अपनायेगा ?”,छवि ने आँखों में आँसू भरकर कहा।
कमल जी ने सुना तो खामोश हो गए छवि की बात का उनके पास कोई जवाब नहीं था। उन्होंने छवि से अपने कमरे में जाने को कहा और खुद सोफे पर आ बैठे। कोर्ट से छवि को इंसाफ मिल चुका था और गुनहगार को सजा भी मिल चुकी थी लेकिन विक्की और छवि की शादी एक नयी समस्या बनकर सबके सामने खड़ी थी।
विक्की ने छवि को अपनाकर सही किया था लेकिन माधवी जी इस बात को मानने को तैयार ही नहीं थी। छवि ने भले ही विक्की को माफ़ कर दिया हो लेकिन माधवी जी विक्की को माफ़ नहीं कर पायी। माधवी जी छवि से नाराज थी और चाहती थी छवि सब छोड़कर उनके साथ यहाँ से चली जाये लेकिन विक्की के साथ साथ छवि भी अपने घरवालों के सामने ये ऐलान कर चुकी थी कि वह विक्की से मोहब्बत करती है और उसकी मांग में भरा सिंदूर इस बात की गवाही दे रहा था।
रात के खाने के समय राधा , अमर जी , अक्षत और मीरा को छोड़कर बाकि सब खाने की टेबल के इर्द गिर्द मौजूद थे। विजय जी ने देखा मीरा और अक्षत दोनों ही नहीं है साथ ही राधा भी नरारद है तो उन्होंने कहा,”राधा कहा है ? अक्षत मीरा भी दिखाई नहीं दे रहे और अमर जी भी नहीं है। क्या वो लोग खाना नहीं खाएंगे ?”
“पापा ! अमर अंकल को खाना तनु दी ने खिला दिया था , वो दवा लेकर अपने कमरे में आराम कर रहे है। माँ मीरा के साथ अपने कमरे में है मीरा की तबियत कुछ ख़राब थी इसलिए माँ ने कहा वे मीरा के साथ ही है।”,अर्जुन ने कहा
“हम्म्म ठीक है और अक्षत , वो कहा है ? क्या वो अभी तक सो रहा है ?”,विजय जी ने पूछा
“वो अपने कमरे में है शायद,,,,,,,,,,,,वो बाद में खा लेना वैसे भी सबके साथ बैठकर खाने की आदत वो कब की छोड़ चूका है।”,इस बार दादू ने कहा
“दादू , जिसको जब खाना होगा खा लेगा ख़ुशी की बात ये है कि अब सब ठीक है और इस घर की खुशिया वापस लौट आयी है।”,सोमित जीजू ने माहौल को हल्का करते हुए कहा
“अरे हाँ सोमित जी ! ये तो मैं भूल ही गया था,,,,,,,,,,,नीता बेटा आज मीठे में मैं पूरा एक लड्डू लूंगा”,दादू ने बच्चो की तरह खुश होकर कहा
“और आपकी शुगर का क्या ?”,विजय जी ने दादू की तरफ देखकर कहा
“अरे कोई शुगर वूगर नहीं है मुझे,,,,,,,,,!!”,दादू ने चिढ़ते हुए कहा
“खाने दीजिये न पापा इतने दिनों बाद घर में खुशिया आयी है और वैसे भी अब तो मीरा इस घर में वापस आ गयी है तो दादू का रूटीन वैसे भी चेंज होने वाला है।”,अर्जुन ने दादू की तरफ देखकर शरारत से मुस्कुराते हुए कहा
अर्जुन की बात सुनकर सब हंसने लगे और दादू का मुँह उतर गया क्योकि इस घर में मीरा ही थी जिसकी बात कभी दादू भी नहीं टालते थे। नीता और तनु ने सबकी थाली में खाना परोसा और सब ख़ुशी ख़ुशी बाते करते हुए खाने लगे। सच कहा था अर्जुन ने आज कितने दिनों बाद व्यास हॉउस में ख़ुशीभरा माहौल था।
अपने कमरे में बिस्तर पर अक्षत बैठा था। कमरे की लाइट जल थी और दरवाजा अंदर से बंद था। अक्षत के हाथ में एक लिफाफा था जिसमे शायद कोई खत रखा था। अक्षत अपने हाथ में पकडे उस खत को बोझल आँखों से बस देखे जा रहा था। आज अक्षत के चेहरे पर चिंता के भाव नहीं थे ना ही उसका मन बैचैन था। वक्त के साथ उसे हर सवाल का जवाब मिल चुका था।
अमायरा का कातिल सामने आ चुका था , सौंदर्य भुआ , विवान सिंह और अखिलेश का सच सामने आ चुका था , छवि को इंसाफ दिलाने में अक्षत कामयाब हो चुका था , कोर्ट में अक्षत को उसका खोया हुआ मान सम्मान मिल वापस चुका था , दोस्त और दुश्मन खुद ब खुद उसके सामने आ चुके थे और सबसे बड़ी कामयाबी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मीरा उसकी जिंदगी में वापस लौट आयी थी।
आज कई दिनों बाद अक्षत के चेहरे पर सुकून के भाव थे। मीरा घर आ चुकी थी लेकिन फिर भी अक्षत की उस से एक बार भी बात नहीं हुई थी। अक्षत जानता था मीरा बीमार है और उसे आराम की बहुत जरूरत है। मीरा से कहने के लिए अक्षत के पास बहुत कुछ था लेकिन अक्षत ने इंतजार करना ठीक समझा लेकिन उस खत को लेकर अक्षत इंतजार ना कर पाया जो उसे अमर जी के घर में मीरा के कमरे से मिला था।
जिसे मीरा ने अक्षत के लिये लिखा था। मीरा का लिखा वो खत इस वक्त अक्षत के हाथो में था। अक्षत से जब रहा नहीं गया तो उसने उस लिफाफे को खोला और उसमें रखा खत निकालकर पढ़ने लगा
प्रिय अक्षत जी ,
जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाये ! हमारी शादी के बाद ये आपका पहला जन्मदिन है जब हम आपके पास नहीं है। हम जानते है आप हम से नाराज है और हम से नाराज होने का आपको पूरा हक़ है। हमने आपके साथ जो किया वो तो कोई अपने दुश्मन के साथ भी नहीं करता,,,,,,,बेटी के मोह में हम इतने अंधे हो गए कि हम ये समझ ही नहीं पाए कि अमायरा सिर्फ हमारी ही नहीं आपकी भी बेटी थी। उसे खोने का जो दर्द हमे था वही दर्द आपको भी हुआ शायद उस से भी ज्यादा,,,,,,,,,,,,,,,,
अपनी गलतियों के लिये हम आपसे जितनी दफा मांफी मांगे कम होगी। हमने आपका बहुत दिल दुखाया है , बहुत तकलीफ दी है आपको , बहुत रुलाया है लेकिन यकीन कीजिये आपको तकलीफ देकर हम कभी सुकून से नहीं रहे , आपको रुलाकर हम कभी खुश नहीं रह पाए , आपको दर्द देकर हम कभी चैन से नहीं सो पाये,,,,,,,,,,,,,,हर पल हर घडी हमने बस आपको याद किया है ,
हर रोज अपने महादेव से आपसे मिलने की दुआ मांगी है , हम समझ ही नहीं पाये कि हमारी असली ख़ुशी आपके साथ है आपसे दूर रहकर,,,,,,,,,,,,हमारी ये मोहब्बत आपके साथ से ज़िंदा है आपके बिना नहीं।
आज आपका जन्मदिन है और हम इतने बदनसीब है कि हम आपसे मिलकर आपको बधाई भी नहीं दे सकते इसलिये ये खत लिख रहे है क्योकि हमे यकीन है एक दिन ये खत आप तक जरूर पहुंचेगा और उस दिन हमारे बीच कि हर दिवार गिर चुकी होगी ,,
हमारे अक्षत जी हमारे साथ होंगे और उनके दिल में हमारे लिये सिर्फ मोहब्बत होगी,,,,,,,,,,,,,नफरत नहीं,,,,,,,,,,,,,क्योकि आपके मुंह से ये सुनना कि आप हम से नफरत करते है इस संसार का सबसे तकलीफदेह अहसास है और हम नहीं चाहते ये अहसास हमारी जिंदगी में फिर से आये।
महादेव से बस यही दुआ है आपका दर्द कम हो जाये और आपको हमारी भी उम्र लग जाये,,,,,,,,,,,,,,,,हम अपनी आखरी साँस तक सिर्फ आपसे मोहब्बत करेंगे,,,,,,,,,,,,हाँ हमे आपसे मोहब्बत है , बेइंतहा मोहब्बत है।”
आपकी मीरा !
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संजना किरोड़ीवाल