Aa Ab Lout Chale – 6
ओल्डएज होंम में सभी मिल जुलकर नवरात्री की तैयारियों में लगे थे और दूसरी तरफ एक भयंकर साजिश की जा रही थी l रवि ओर विकास दोनो बड़ी बहू के भाई निवास की बातों में आ गए , निवास के साथ मिलकर वे लोग घर के कागजात बनवाने लगे l
नवरात्रि का पहला दिन था पूरे रीति रिवाजों के साथ माँ की मूर्ति की स्थापना हुई और धूमधाम से पूजा हुई l जैसा कि सबने सोचा था वैसा ही हुआ आने वाले लोगो ने प्रशाद लिया , दानपात्र में पैसे दिए l असलम के लगाए मनोरंजन वाले स्टाल पर सभी ने टिकट्स खरीदे l भूख लगने पर सभी ने वहां से खरीदकर अपनी पसंद का खाना खाया ,, वहां एक मेले जैसा आयोजन हो गया था l शाम तक भीड़ वैसे ही रही और रात की माँ की पूजा अर्चना के बाद सभी ओल्डएज होंम लौट आये l दो लोग वही माँ के दरबार मे सो गए l
सभी बरामदे में बैठकर सुस्ता रहे थे सुबह से अब उन्हें आराम मिला था l अमर ने पानी पीकर मुंह पोछते हुए कहा – अगर भीड़ ऐसे ही रही तो हम जल्दी ही बाकी के पैसे जमा कर लेंगे l
“हा अंकल आप सबने आज बहुत मेहनत की है , आप लोगो का ये अहसान मैं कभी नही भूलूंगा l”,अनुज ने हाथ जोड़ते हुए कहा
“कैसी बात कर रहे हो बेटा ? हम लोगो ने कोई अहसान नही किया है ,, सुनिधि हमारी बेटी जैसी है और बेटी की गोद भराई का सामान उसके पीहर से आता है बस यही संमझ के इन्हें रख लो “,मोहन ने सारे पैसे अनुज को थमाते हुए कहा
अनुज ने पैसे रख दिये और नोकर से सबके लिए खाना लगाने को कहा l खाने के बाद सभी सोने चले गए लेकिन अमर बाहर बरामदे में सीढ़ियों पर बैठा था ,
सुमित्रा ने देखा तो उसके पास चली आयी और कुछ दूर बैठकर कहा – क्या बात है तुम सोए नही ?
“नींद नही आ रही थी , अनुज ओर सुनिधि के लिए हम सब जीतना करे उतना कम होगा सुमि l इन बच्चों ने हमे बिना किसी स्वार्थ के बहुत कुछ दिया है l”,अमर ने कहा
“हम्म्म्म , तुम चिंता मत करो l यहां आओ”,सुमि ने सीढ़ियों पर पैर सीधे करके कहा
अमर ने उसकी ओर देखा तो सुमि ने उसे अपना सर गोद मे रखने को कहा l अमर झिझका तो सुमि ने कहा – तुम कहते थे ना अमर हर प्रेमिका में एक माँ छुपी होती हैं ,, इस वक्त एक माँ तुम्हे बुला रही है प्रेमिका नही l”
सुमि की बात सुनकर अमर ने अपना सर उसकी गोद मे रख दिया , सुमि उसका सर सहलाने लगी
एक सुखद अनुभूति वैसी ही जैसी वह बचपन मे अपनी माँ की गोद में सर रखकर महसूस किया करता था l अमर कुछ देर शांत रहा और फिर कहने लगा – अपने वक्त में तुम एक बहुत अच्छी माँ रही होगी सुमि l वो बच्चे बदनसीब होंगे जो तुम्हारा निस्वार्थ प्रेम नही देख पाए l””
“बीती बातों को याद करके सिर्फ खुद को तकलीफ पहुँचाई जा सकती हैं अमर , माँ बाप हमेशा बच्चों के लिए जीते है उनका भार अपने कंधों पर उठा लेते है लेकिन जैसे जैसे बच्चे बड़े होते है माँ बाप उनके लिए बोझ बन जाते है l ये ओल्डएज होंम उन्ही बोझ का उदाहरण है !”,सुमि ने कहा
“लेकिन वो ये भुल जाते है कि एक उम्र के बाद उन्हें भी उम्रदराज होना है ,, ओर तब ये सोचकर डर लगता है कि कही उनके बच्चे उनके साथ ऐसा ना करे”,अमर ने कहा
सुमि खामोशी से उसके बालो में उंगलियां फिराती रही l कुछ देर की खामोशी के बाद अमर ने कहा – लेकिन मैं खुश हूं सुमि की मैं यहां आया और मरने से पहले तुमसे ,,,,,,,,,,,,l
“शशशश ऐसी बात मत कहो , अब किसी अपने का जाना देख नही पाऊंगी”,सुमि ने अमर के मुंह पर हाथ रखते हुए कहा
अमर ने उसका हाथ हटाया ओर कहा – मौत तो एक अटल सत्य है सुमि , ओर अब खुशी इस बात की है कि अपनी जिंदगी के आखरी दिनों में मैं तुम्हारे साथ हु l
“ये वक्त हमेशा यादगार रहेगा अमर l”,सुमि ने कहा
“सुमि कुछ सुनाने को कहु तो सुनाओगी”,अमर ने कहा
सुमि मुस्कुराने लगी और कहा – इस उम्र में कहा ये सब
“सुनाओ ना , शायद उस से नींद आ जाये”,अमर ने कहा
सुमि गुनगुनाने लगी – तुम हो कह दो तो आज की रात , चाँद डूबेगा नही
रात को रोक लो ,,
तुम जो कह दो तो आज की रात चाँद डूबेगा नही
रात को रोक लो
आज की रात है और जिंदगी बाकी तो नही l
तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नही , शिकवा नही , शिकवा नही , शिकवा नही
कुछ ही देर में अमर को नींद आ गयी l सुमि ने भी खम्बे से सर लगा लिया ओर अमर के बालों में उंगली घुमाती रही l चाँदनी रात के सन्नाटे में दोनो वही सीढियों पर सो रहे थे l अनुज किसी काम से बाहर आया तो उन्हें वहां देखकर मुस्कुरा उठा l अंदर गया और एक चद्दर लाकर दोनो को ओढा दी पीछे खड़ी सुनिधि सब देख रही थी
अनुज उसके पास आया तो उसने कहा – क्या ये दोनों हमेशा के लिए साथ नही रह सकते ? एक दूसरे का साथ पाकर इनके चेहरे पर जो सुकून है वो आज तक किसी के चेहरे पर नही देखा मैंने ,,दोनो एक दूसरे से बिल्कुल अलग है लेकिन एक दूसरे के साथ है l
“तुम सही कहती हो सुनिधि बस इन दोनों को किसी की नजर ना लगे l”,अनुज ने कहा तो सुनिधि उसके सीने से लगी मुस्कुराती हुई उन दोनों को देखने लगी l l
अमर की सुबह नींद खुली तो खुद को बरामदे में पाया बगल में ही सुमि खम्बे से सर लगाए सो रही थी l अमर ने उसे उठाया और अंदर जाने को कहा l नहा धोकर सभी पंडाल में पहुंचे और फिर अपने अपने कामों में लग गए l आज दूसरा दिन था ओर भीड़ भी पहले दिन से ज्यादा थी l दोपहर तक सभी अपने अपने कामों में लगे रहे l दोपहर बाद सबने खाना खाया सिवाय अमर ओर सुमि के ,,
अमर हिसाब किताब में लगा हुआ था l सुमि ने देखा बर्तनों में सिर्फ एक व्यक्ति के खाने का सामान था l उसने खाना थाली में लगाया तब तक अमर भी हाथ मुंह धोकर आ पहुंचा l सुमि ने उसके सामने खाने की थाली रखी तो अमर ने कहा – तुमने खाया ?
“तुम खाओ , मैं बाद में खा लुंगी l”,सुमि ने कहा
“बाद में क्यों अभी खाओ , जाओ अपने लिए भी थाली ले आओ”,अमर ने निवाला तोड़कर कहां
“वो आज खाना कम बना था”,सुमि ने कहा
“ओर तुमने सारा मेरी थाली में परोस दिया”,अमर के हाथ से निवाला छूट गया l
“मुझे अभी भूख नही है अमर तुम खाओ”,सुमि ने सामने बैठते हुये कहा
अमर ने पास पड़ी खाली थाली में अपनी थाली से आधे चावल निकाले , चार रोटियों में से 2 सुमि के लिए रखी , दाल और सब्जी को भी आधा आधा करके दूसरी थाली में परोस दिया l
थाली सुमि की ओर खिसका कर कहा – जब एक दूसरे का दर्द बांट सकते है तो फिर खाना क्यों नही ? खाओ !”
सुमि की आँखों मे आंसू भर आये लेकिन ये आंसू खुशी के आंसू थे l दोनो ने खाना खाया और फिर अपने अपने कामो में लग गए l दिन गुजरते जा रहे थे और रुपये भी जमा हो रहे थे सभी बहुत खुश थे इन कुछ दिनों में सुमि ओर अमर एक दूसरे का ख्याल रखते रखते ओर करीब आ चुके थे l
अपने अतीत को लेकर अब उनके मन मे कोई दर्द नही था बल्कि वो आने वाले वक़्त की खुशियां देख रहे थे l
नवरात्र की आखरी रात थी , पूजा समाप्ति के बाद खाली पंडाल में बैठे अमर ओर बाकी सब सुस्ता रहे थे l अनुज ओर सुनिधि भी वही थे सभी खुश थे और एक सुकून सबके चेहरे पर मौजूद था l
नवरात्रि समापन के बाद अनुज ने पैसे जोड़े तो वो उनकी सोच से भी ज्यादा थे l अनुज ने जो लोन लिया था उसकी दुगुनी रकम चुकाने के बाद भी उसके पास डेढ़ लाख बचे थे जिनमें से उसने ओल्डएज बुजुर्गों से लिये सभी लोगो के पैसे वापस कर दिये थे l अमर को उसके जमा पैसे 4500 रुपये मिले थे उन्हें लेकर वह पास के ही बाजार आया वहां से उसने सुमि के लिए एक बनारसी साड़ी ओर एक जोडी चांदी की पायल खरीदी l
शाम को घर आया तो बहुत खुश था क्योंकि कुछ दिन बाद ही सुमि का जन्मदिन था और अमर ये उसे तोहफे में देना चाहता था l दो दिन बाद अनुज ने सबको इक्कठा किया और कहा – इस ओल्डएज होंम को बने 5 साल हो चुके है ओर इसी खुशी में कल एक छोटा सा प्रोग्राम है l जिसके मुख्य अतिथि होंगे अमर अंकल ओर सुमित्रा जी”
सभी खुशी से तालिया बजाने लगे l अमर को याद आया कल तो सुमि का जन्म दिन भी है वह बहुत खुश हुआ l अनुज नेओल्डएज होंम में रहने वाले सभी लोगो के घर पर फोन किया और कल के प्रोग्राम में आने को कहा l रवि ओर विकास को न्योता मिला तब बड़ी बहू का भाई भी वही था उसने खुशी से कहा – यही सबसे अच्छा मौका है , कल चलो वहां ओर खत्म कर दो इस कहानी को l
“भैया कुछ होगा तो नही न , कही ये दोनों फंस जाए”,बहन ने कहां
“फसेंगे तब ना जब वो बूढ़ा जिंदा रहेगा , कल का दिन उसकी जिंदगी का आखरी दिन होगा”,उसने अपने नापाक इरादों को भांपते हुए कहा l
अगले दिन ओल्डएज होंम में प्रोग्राम की सारी व्यवस्थाएं हो चुकी थी l अमर ने सुमि को तोहफा दिया सुमि ने वह साड़ी पहन ली l सभी लोगो के घरवाले आ रहै थे उन्हें देखकर सुमि ने अमर से कहा – मुझे नही लगता मेरी बेटी और बेटा आज आएंगे , मैं चलकर अंदर की व्यवस्था देख लेती हूं तुम रुको शायद तुम्हारे बच्चे आ जाये l
सुमि वहां से चली गयी अमर को उसके लिए बहुत दुख हो रहा था l
कुछ देर बाद एक गाड़ी आकर रुकी उसमें से रवि विकास अपनी अपनी पत्नियों के साथ नीचे उतरे l तीनो बच्चे भी साथ थे गाड़ी से उतरते ही तीनो दादाजी दादाजी कहते अमर की ओर दौड़े l अमर भी उनसे लिपट गया और उन्हें गले लगा लिया l
दोनो बेटे और बहू अमर के सामने आए अमर ने उन्हें देखा और जाने लगा तो विकास ने कहा – हम सबको माफ कर दीजिए पाप , मैं जानता हूं हम में से कोई भी आपकी माफी के लायक तो नही है लेकिन फिर भी हम सब अपने किए के लिए शर्मिंदा है l
“क्या फिर से कोई नया ड्रामा है ये”,अमर ने कहा
“नही पापा इस बार कोई ड्रामा नही है हमारी आंखे खुल चुकी है हमने आपको बहुत दुख दिए , बेइज्जत किया लेकिन बदले में आपने हमेशा हम सबको प्यार दिया , बस इसी ने हम सबका दिल पिघला दिया ,, हमे माफ कर दो पापा !”,रवि ने अमर के हाथों को पकड़कर कहा
“हा पापाजी हम सबको माफ कर दीजिये”,दोनो बहुओं ने अमर के पैरो में गिरते हुए कहा
“अरे अरे ये क्या कर रही हो तुम दोनो ? घर की लक्ष्मी ऐसे पैरो में , ना बेटी तुम्हे अपनी गलतियों का अहसास हुआ वही काफी है l मैंने तुम सबको माफ किया l आओ अंदर चलते है l”,अमर ने दोनो बहुओं को उठाते हुए कहा
“पापा ये लो”,विकास ने डिब्बा अमर की ओर बढ़ाकर कहा
“ये क्या है ?”,अमर ने कहा
“आपको माँ के हाथ की बनी खीर बहुत पसंद हैं ना , माँ तो अब नही रही इसलिए हम चारो ने मिलकर इसे आपके लिए बनाया है l”,विकास ने कहा
अमर ने सुना तो उसकी आंखों में आंसू भर आये , उसने सोचा भी नही था बच्चे इतना बदल जाएंगे l उन्होंने मुस्कुराते हुए डिब्बा लिया और खोलकर सूंघते हुए कहा – अहम्म खुशबू तो बहुत अच्छी आ रही है l तुम सब अंदर हॉल में चलो मैं आता हूं l
सभी अंदर चले गए अमर खीर का डिब्बा लेकर ऑफिस की ओर आया और सुमि के पास आकर उसे अपने साथ बाहर बरामदे में ले आया l
“क्या बात है अमर ?”,सुमि ने कहा
“मेरे बच्चे मुझसे मिलने आये है सुमि ओर उन्होंने अपने किये के लिए मुझसे माफी भी मांगी है l ओर ये देखो मेरे लिये अपने हाथों से बनाकर ये खीर भी लाये है”,अमर ने खुशी से भरकर कहा
“मुझे तो कुछ गड़बड़ लग रही है अमर”,सुमि ने सोचते हुए कहा
“कैसी गड़बड़ ?”,अमर ने कहा
“इस तरह अचानक उनका अच्छा बन जाना मेरे मन मे शक पैदा कर रहा है अमर ,, अगर उन्हें अपनी गलती का अहसास होता तो आज तुम यहाँ नही होते l”,सुमित्रा ने कहा
“कैसी बाते कर रही हो सुमि ? बच्चे सच में बदल चुके है ! देखो मेरे लिए खीर लाये है”,अमर ने कहा
“जरूर उन लोगो ने इस खीर में कुछ ना कुछ मिलाया है”,सुमि ने कहा
“बस सुमि बहुत हो गया , तुम उनपे शक करती ही जा रही हो , कोई बच्चा भले अपने पिता के साथ इतना घिनोना काम क्यो करेंगे ?”,अमर ने गुस्से से कहा
“मैं सच कह रही हु अमर , जैसा उन्होंने बर्ताव किया है उसे देखते हुए मैं उन पर भरोसा नही कर सकती l आज से पहले तो वो लोग कभी कुछ नही लेकर आये फिर आज अचानक l”,सुमि ने कहा
“मुझे अपने बच्चों पर भरोसा है”,अमर ने कहा अमर की बात सुनकर सुमि ने उसके हाथ से खीर का डिब्बा लिया और कहा – अगर ऐसा ही है तो फिर इसे मैं खा लेती हूं ,, अगर तुम्हारे बच्चे सच्चे हुए तो मुझे कुछ नही होगा l”
“ये क्या पागलपन है सुमि”,अमर ने उसे रोकना चाहा लेकिन तब तक सुमि खीर के डिब्बे को मुंह से लगा चुकी थी उसने आधी खीर खाई ओर बाकी डिब्बा फेंक दिया ताकि अमर न खा सके l उसकी आंखों में नमी उतर आई तो अमर ने उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर कहा – बच्चे सच मे बदल चुके है सुमि l
सुमि ने अमर की आँखों में देखा और कहा”,अगर वो बदल चुके है तो मुझे तुमसे हारने का जरा भी दुख नही होगा अमर” अमर सुमि को वहां छोडकर अंदर चला गया ओर सुमि की नजर जमीन पर बिखरी खीर पर चली गयी l
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क्रमशः – Aa Ab Lout Chale – 7
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संजना किरोड़ीवाल
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