A Broken Heart – 64
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A Broken Heart – 64
ईशान और डेस्टिनी दोनों उदास और खामोश डिवाइडर पर बैठे आती जाती गाड़ियों को देख रहे थे। ईशान की आँखों के सामने जिया के साथ बिताये पल आने लगे। जिया की नौटंकिया , उसका बचपना , उसका हर बात पर ईशान को चीयर अप करना , हसने रोने वाली शक्ले बनाना , जिया का चीज बन सेंडविच को लेकर पागलपन और वो सारे पल जो ईशान ने जिया के साथ बिताये थे।
उन्हें याद करते हुए ईशान को महसूस हो रहा था कि जिया उसे कितना पसंद करती थी लेकिन उसने कभी ध्यान ही नहीं दिया। ईशान की आँखों में नमी उभर आयी और उसका हाथ सहसा ही डेस्टिनी की पीठ पर चला गया। ईशान डेस्टिनी की पीठ सहलाते हुए कहने लगा,”तुम्हे जिया तो याद होगी ना डेस्टिनी , हाँ वही लड़की जिस के बारे में मैं तुम्हे अक्सर बताया करता था वो कही चली गयी है और मैं उसे ढूंढ नहीं पा रहा हूँ। वो ऐसी बिल्कुल नहीं थी डेस्टिनी , वो बहुत खुशमिजाज और सबसे प्यार करनी वाली लड़की है।
जब मैं दिल्ली से गया था तब बहुत कुछ था जो मैं उसके लिए महसूस करने लगा था और वो सब मैं जिया से कहना चाहता था लेकिन उस वक्त मुझमे ना इतनी हिम्मत थी ना ही वो सही वक्त था। मुझे लगा जिया एक ऐसे लड़के को क्यों अपनाएगी जिसके पास खुद का कुछ भी नहीं है इसलिए मैं पहले बैंगलोर चला गया अपने सपने को पूरा करने और पता है डेस्टिनी मेरा ये सपना सिर्फ और सिर्फ जिया की वजह से पूरा हुआ है। अगर वो मुझे नहीं समझती ,
मुझे सपोर्ट नहीं करती , मुझे और मेरे टूटे दिल को नहीं सम्हालती तो शायद मैं ये कभी कर ही नहीं पाता,,,,,,,,,,,,मैं दिल्ली वापस इस अवार्ड के लिए नहीं बल्कि सिर्फ जिया के लिए आया था ताकि उस से अपने दिल की बात कह सकू,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हालाँकि उसे मनाने में काफी मेहनत करनी पड़ी लेकिन अंत में वो मान गयी। उसकी नाराजगी भी जायज थी डेस्टिनी , बंगलौर जाकर मैंने एक बार भी जिया से बात नहीं कि ऐसा उसे लगता है जबकि मैंने बहुत कोशिश की पर
मैं उस से बात नहीं कर पाया ना ही उस से मिल पाया। आज सुबह वो मेरे साथ थी उसने वही हुडी पहना था जो मेरा था और वह उसमे बहुत प्यारी भी लग रही थी हमेशा की तरह,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह नहीं उस से भी ज्यादा , आज सुबह वो बहुत ज्यादा प्यारी लग रही थी। हम साथ साथ घूमे , शॉपिंग की , साथ में खाना भी खाया और आखिर में उसे घर छोड़ते वक्त मैंने उस से अवार्ड फंक्शन में आने को भी कहा लेकिन वो नहीं आयी,,,,,,,,,,,,,,,,,
वो स्टुपिड देवांश बता रहा था कि जिया कही चली गयी है , शायद ये शहर छोड़कर,,,,,,,,,,, पर मेरा दिल कहता है कि वो नहीं गयी है , वो यही है वो बस मुझ से छुप रही है। सच में वो बहुत अजीब है वो ऐसे ही चुपचाप बिना बताये चली गयी , उसे कम से कम मुझसे बात करनी चाहिए थी , मुझे बताना चाहिए था कि वो मेरी किस बात से हर्ट है लेकिन उसने कुछ नहीं बताया उलटा वो मुझे परेशान करके चली गई।
ओह्ह्ह्ह डेस्टिनी सच में जिया जैसी लड़की को समझना बहुत मुश्किल है,,,,,,,,,,,,,,,,मेरे लिए हर चीज को आसान कर देने वाली वो लड़की अपने लिए सिचुएशन को हर बार इतना मुश्किल क्यों कर लेती है मैं ये कभी नहीं समझ पाया ? तुम बताओ डेस्टिनी उसे जाने की क्या जरूरत थी क्या वो यहाँ नहीं आ सकती थी मेरे पास ? क्या वो मुझसे अपनी परेशानी नहीं शेयर कर सकती ? क्या मैं उसका कुछ नहीं लगता ? उसने तो मुझे एकदम से पराया कर दिया डेस्टिनी,,,,,,,,,,,,,,
मैं सच में बहुत उदास हूँ इसलिए नहीं कि वो मुझसे अपनी परेशानी नहीं बांटना चाहती बल्कि इसलिए कि उसने जो मेरे लिए किया , उसका मैं थोड़ा सा भी जिया के लिए नहीं कर पाया। ओह्ह्ह्ह डेस्टिनी मैं समझ नहीं पा रहा कि इतने बड़े शहर में मैं उसे कहा ढूंढने जाऊ ? मुश्किल से इस शहर में उसके दो ही दोस्त होंगे मैं और सोफी,,,,,,,,,,,,,,,,पर मुझे तो अब वो अपना दोस्त भी नहीं मानती शायद अगर मानती तो ऐसे चुपचाप नहीं जाती,,,,,,,,,,,,,,,,,,
एक बार वो मुझे मिल जाये उसके बाद मैं उसे अपने साथ बांध के रखूंगा , उसे कही जाने नहीं दूंगा अगर वो जाना चाहेगी तब भी नहीं,,,,,,,,,,,,बस एक बार वो मुझे मिल जाये।”
ईशान की बातें सुनकर डेस्टिनी की तंद्रा टूटी उसे अहसास हुआ की अब तक जिया ने जिस लड़के के बारे में डेस्टिनी को बताया वो ईशान था और ईशान ने जिस लड़की की बातें अब तक की वो जिया ही थी। डेस्टिनी ईशान के बगल से उठकर सामने चला आया और अपनी पूछ को जोर जोर से हिलाने लगा जैसे ईशान को कुछ बताना चाह रहा हो
लेकिन ईशान डेस्टिनी के इशारे नहीं समझ पाया वह इस वक्त जिया से दूर जाने के गम में उदास था। डेस्टिनी ने देखा ईशान उस पर ध्यान नही दे रहा है तो उसने ईशान की बाजु को अपने मुंह में पकड़ा और खींचने लगा।
“ओह्ह्ह डेस्टिनी छोडो ये क्या कर रहे हो तुम ? डेस्टिनी क्या हुआ है तुम्हे , तुम एकदम से वॉयलेंट क्यों हो गए मेरी बाजु क्यों खींच रहे हो बोलो ? जवाब दो डेस्टिनी तुम ऐसा क्यों कर रहे हो ?’,ईशान ने थोड़ा ऊँची आवाज में हैरानी से कहा
“हेलो मिस्टर ये एक छोटा पिल्ला है और तुम्हारी जानकारी के लिए बता दू कि ये बोल नहीं सकता,,,,,,,,!!”,पास से गुजरते एक लड़के ने कहा तो ईशान झेंप गया और लड़के को जाने का इशारा किया
डेस्टिनी एक बार फिर ईशान की बाजू खींचने लगा तो ईशान ने धीमी आवाज में कहा,”ये तुम क्या कर रहे हो डेस्टिनी , छोडो इसे ये फट जाएगा,,,,,,,,,,,,,!”
डेस्टिनी ने ईशान की बाजु को छोड़ा और भोंकने लगा ईशान समझ नहीं पा रहा था आखिर डेस्टिनी उसे क्या समझाना चाहता है ? वह बस हैरानी से डेस्टिनी को देखते रहा,,,,,,,,,,,,,,ईशान को हैरान देखकर डेस्टिनी ने एक बार फिर उसकी बाजु पकड़ी और उसे खींचा इस बार ईशान को लगा जैसे डेस्टिनी उसे अपने साथ लेकर कही जाना चाहता है।
ईशान उठा और कहा,”क्या तुम मुझे कही लेकर जाना चाहते हो डेस्टिनी ?”
ईशान की बात सुनकर डेस्टिनी भोंका जिस से ईशान समझ गया कि डेस्टिनी उसे कही लेकर जाना चाहता है।
ईशान ने जिया को लेकर अंदाजा लगाया और कहा,”तो क्या तुम जानते हो जिया इस वक्त कहा है ?”
डेस्टिनी इस बार भी भोंका तो ईशान के चेहरे पर ख़ुशी और हैरानी के मिश्रित भाव दिखाई देने लगे और उसने नम आँखों से खुश होकर कहा,”ओह्ह्ह डेस्टिनी अगर तुम सच में ये जानते हो तो ये मुझ पर तुम्हारा दुसरा अहसान होगा डेस्टिनी , पहला अहसान तुमने मुझ पर उस रोज किया जब मुझे किसी की सबसे ज्यादा जरूरत थी और तुम मेरे साथ थे। तुम्हारा शुक्रिया डेस्टिनी , तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया,,,,,,,,,,,,!!”
ईशान को इमोशनल होते देखकर डेस्टिनी की आँखों में भी नमी उतर आयी लेकिन अगले ही पल उसे याद आया कि उसे ईशान को जिया के पास लेकर जाना है
डेस्टिनी ईशान की पेंट को पकड़कर खींचने लगा तो ईशान डेस्टिनी के पीछे पीछे चल पड़ा। डेस्टिनी ईशान को लेकर चला जा रहा था। आगे आगे डेस्टिनी और उसके पीछे ईशान,,,,,,चलते चलते डेस्टिनी चीज बन सेंडविच शॉप के सामने रुका।
ईशान भी आकर रुक गया उसने इधर उधर देखा जिया उसे कही दिखाई नहीं दी। जब ईशान की नजर सेंडविच शॉप पर पड़ी तो उसे याद आया ये वही फेवरेट शॉप थी जहा से जिया और वह सेंडविच खाया करते थे। शॉप देखते ही ईशान ने कहा,”जिया को चीज बन सेंडविच बहुत पसंद था वह हमेशा इसे खाया करती थी तो क्या तुमने जिया को यहाँ देखा था डेस्टिनी ? क्या वो यहाँ थी ?”
ईशान के सवाल पर डेस्टिनी अपनी पूछ हिलाने लगा जिसे ईशान ने सहमति मानकर आगे कहा,”हाह मैं जानता था
जिया यहाँ जरूर आएगी,,,,,,,,,,,,,,वो इतनी बड़ी फूडी है कि रोते हुए भी चीज बन सेंडविच खा लेगी,,,,,,,,,,,,,,पर जिया तो यहाँ कही दिखाई नहीं दे रही क्या वो यहाँ से चली गयी है डेस्टिनी ? अब हम उसे कहा ढूंढेंगे,,,,,,,,,,,,,,,क्या मैं दुकान वाले से उसके बारे में पूछकर आउ ? शायद वो जिया के बारे में कुछ जानता हो,,,,,,,,,,,!!”
ईशान की बाते सुनकर डेस्टिनी ने आगे की तरफ देखा और एक बार फिर ईशान की पेंट को खींचने लगा।
ईशान एक बार डेस्टिनी के साथ आगे बढ़ गया। घंटेभर बाद डेस्टिनी ईशान को लेकर एक खंडर जैसे जगह पहुंचा जहा आस पास लोग तो क्या कोई जानवर भी नजर नहीं आ रहा था। ईशान ने उस जगह को देखा और कहा,”तुम मुझे यहाँ क्यों लाये हो डेस्टिनी ? क्या जिया यहाँ है,,,,,,,,,,,?”
डेस्टिनी वहा से आगे भागा ईशान भी उसके पीछे चला आया। डेस्टिनी एक जगह आकर रुका ईशान भी डेस्टिनी के पास आकर रुका जैसे ही उसने सामने देखा उसकी आँखों में चमक और होंठो पर मुस्कराहट तैर गयी।
कुछ ही दूर जिया बेंच पर बैठी हाथ जोड़े आँखे मूंदे हाथ अपना सर आसमान की तरफ उठाये धीरे धीरे कुछ बुदबुदा रही थी। ईशान मुस्कुराने लगा उसके लिए यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि जिस लड़की को वह पागलों की तरह ढूंढ रहा था वो अब उसके सामने है। जिया को सही सलामत देखकर डेस्टिनी की आँखों में भी चमक उभर आयी।
ईशान जिया के पास चला आया। वह आकर बिल्कुल जिया के सामने खड़ा हो गया। चाँद की चमकती रौशनी में जिया का मासूम चेहरा इस वक्त और भी प्यारा लग रहा था। उसके सुर्ख लाल होंठ धीमे में कुछ बुदबुदा रहे थे और उसने अपने दोनों हाथो की उंगलियों को आपस में फंसा कर हाथो को बंद किया हुआ था। ईशान एकटक जिया को देखता रहा। कुछ देर बाद जब जिउआ ने आँखे खोली तो ईशान को अपने सामने देखकर हैरान रह गयी। उसका दिल धड़कने लगा
ईशान जिया के सामने खड़ा था। ईशान को वहा देखकर जिया उठ खड़ी हुई और कहा,”तुम ? तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? तुम्हे तो इस वक्त अवार्ड फंक्शन में होना चाहिए था,,,,,,,,,,,,,!!”
“अवार्ड फंक्शन खत्म हो चुका है।”,ईशान ने जिया को देखते हुए सहजता से कहा
“हाँ तो उसके बाद तुम्हे अपने दोस्तों के साथ इसे सेलिब्रेट करना चाहिए”,जिया ने ईशान से नजरे चुराकर कहा
“मेरा कोई दोस्त नहीं है।”,ईशान ने इस बार भी उतनी ही सहजता से कहा तो जिया ने हैरानी से ईशान को देखा। वह अब भी ईशान को अपना दोस्त मानती थी इसलिए कहा,”क्या मैं अब तुम्हारी दोस्त नहीं हूँ ?”
“क्या तुमने कभी मुझे दोस्त समझा है ?”,ईशान जिया को घूरते हुए उसकी तरफ बढ़ा तो जिया ने अपने कदम पीछे बढ़ाते हुए कहा,”हाँ हमेशा !”
“हाँ इसलिए तुम मेरे अवार्ड फंक्शन में नहीं आयी और मुझे बिना बताये ये शहर छोड़कर जा रही थी,,,,,,,,,,,,,,,वाओ कितनी अच्छी दोस्त हो ना तुम जिया।”,ईशान ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा
“ऐसा नहीं है मैं अवार्ड फंक्शन में आयी थी,,,,,,,,,,,,लेकिन फिर,,,,,,,,,,,,,,!!”,जिया कहते कहते रुक गयी
“लेकिन फिर क्या जिया ? बोलो लेकिन फिर क्या ? तुम खुद से कोई भी मनघड़ंत कहानी बना लेती हो और फिर उसमे उलझी रहती हो,,,,,,,,,,,,,अब साफ साफ बताओ कि इस बार तुमने कौनसी गलतफहमी पाली है,,,,,,,,,,,,बोलो मैं तुम्हारे जवाब का इंतजार कर रहा हूँ।”,ईशान ने इस बार गुस्से से कहा तो जिया थोड़ा सहम गयी। वह कुछ देर शांत रही और फिर अवार्ड फंक्शन में माया से हुई सारी बातें ईशान को बता दी।
ईशान ने सूना तो अपना सर पीट लिया और कहा,”ओह्ह्ह तो सिर्फ इसलिए तुम अवार्ड फंक्शन से चली आयी क्योकि मैंने माया की किसी बात पर हाँ कहा,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या तुमने आगे की बातें सुनी ?”
ईशान के सवाल पर जिया ने ना में गर्दन हिला दी तो ईशान ने कहा,”तुम सच में अजीब हो जिया , बिना पूरी बात सुने तुम वहा से क्यों चली आयी और तुमने कैसे सोच लिया मैं और माया फिर से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
माया ने जब मुझसे पूछा तो मैंने कहा हाँ वो मेरी जिंदगी में वापस आ सकती है लेकिन सिर्फ एक दोस्त बनकर,,,,,,,,,,,,तुमने पूरी बात सुने बिना ही अपने मन से कोई भी कहानी बना ली और अब यहाँ अकेले बैठी हो,,,,,,,,,,,,!!”
“पर तुमने जब हाँ कहा तो मुझे अच्छा नहीं लगा इसलिए मैं चली आयी,,,,,,,,,,,,,,!”,जिया ने मासूमियत से कहा
“अच्छा और कहा जाने वाली थी तुम,?”,ईशान ने जिया की तरफ बढ़ते हुए गुस्से से कहा
“मैं कही भी जाऊ तुम्हे उस से क्या ?”,कहते हुए जिया जाने के लिए जैसे ही मुड़ी ईशान ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींचते हुए कहा,”क्या मैं तुम्हारा कुछ नहीं लगता ? हाँ जिया बोलो क्या मैं कुछ भी नहीं हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
जिया ईशान के बहुत करीब थी उसका एक हाथ ईशान के सीने पर था और इस वक्त ईशान की धड़कने किसी धोकनी सी चल रही थी , बहुत तेज।
ईशान बेचैनी से एकटक जिया की आँखों में देखता रहा और जिया भी ख़ामोशी से उसे देख रही थी।
ईशान की आँखों में देखते हुए सहसा ही जिया की आँखों में आँसू भर आये। जिया के उन आंसुओ ने ईशान को और बैचैन कर दिया उसने जिया को खुद से दूर किया और कहा,”जाओ चली जाओ , मैं तुम्हे नहीं रोकूंगा न ही ये पूछूंगा कि तुम कहा जा रही हो,,,,,,,,,,,,,,,,बस जाने से पहले ये देख लो इसे देखने के बाद शायद तुम अपना ख्याल बदल दो।”
जिया ने सूना तो हैरानी से ईशान को देखने लगी
ईशान ने अपना फोन निकाला और उसमे एक लाइव विडिओ ऑन कर फोन जिया कि तरफ बढ़ा दिया। जिया ने ईशान का फोन लिया और नम आँखों से देखने लगी। वो ईशान का लाइव अवार्ड फंक्शन था और ईशान सबके साथ स्टेज पर था। होस्ट ने जब ईशान की तरफ माइक बढाकर कुछ कहने की गुजारिश की तो ईशान ने माइक लिया और मुस्कुराते हुए कहने लगा
“जिया , जिया वो लड़की है जो मेरी जिंदगी में एकदम से आयी। पहली बार मैंने उसे ऐड कम्पनी में देखा था जब मैं अपनी एक दोस्त से मिलने गया था। पहली बार वो मुझे थोड़ी अजीब लगी पर वो अजीब नहीं बाकि सब से अलग थी ये समझने में मुझे थोड़ा वक्त लगा। जिया एक खुशमिजाज और हमेशा हसने मुस्कुराने वाली लड़की है , वो दो मिनिट भी सीरियस नहीं रह सकती। वो एक फ़ूड रेस्त्रो में काम करती है और वो बहुत मेहनत करती है।
हाँ कभी कभी वो थोड़ी गड़बड़ कर देती है लेकिन दिल की बहुत अच्छी है। जिया मेरी जिंदगी में उस वक्त आयी जब मुझे किसी के साथ और प्यार की सबसे ज्यादा जरूरत थी। जब मेरा ब्रेकअप हुआ था और मैं अपने टूटे दिल के साथ खुद भी काफी टूट गया था तब जिया ने मुझे सम्हाला था। उसने हमेशा मेरी मदद की , मेरा साथ दिया , मुझे गलत चीजों से बाहर निकाला और बदले में मुझसे कभी कुछ नहीं मांगा,,,,,,,,,,,,ना कभी कुछ चाहा।
वो बिना कहे मेरे दिल की हर बात समझ लेती थी। वो इतनी इंट्रेस्टिंग है कि मैं क्या बताऊ,,,,,,,,,वो सेल की शॉपिंग से खुश हो जाती है , बड़ी बड़ी कारो का शौक न रख के वो साइकिल पर घूमती है , वो चीज बन सेंडविच खाकर खुश हो जाती है , चॉकलेट डोनट्स से बातें करती है , आधी रात में मेरे लिए राजमा चावल लाती है , पुरे शहर में सिर्फ लिली आंटी की डांट से डरती है , उसके लिए दुनिया बहुत बड़ी नहीं बल्कि बहुत छोटी सी है।
वह अपने आस पास के लोगो को ही अपनी पूरी दुनिया मानती हैं। हंसती है तो लगता है जैसे सब थम गया हो , वो जब रोती है तो दिल में एक टीस उठती है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आप सब सोच रहे होंगे एक लड़की के बारे में मैं आप सबको इतना सब क्यों बता रहा हूँ तो वो इसलिए कि आज मैं सबके सामने कुछ कहना चाहता हूँ। ऐसे नहीं ऐसे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए विडिओ में ईशान एकदम से अपने एक घुटने पर बैठ गया और अपने जेब से डायमंड रिंग निकालकर कहा,”जिया क्या तुम मेरी लाइफ पार्टनर बनोगी ?”
जिया ने सूना तो उसकी आँखों में ठहरे आँसू की एक बूंद फोन की स्क्रीन पर आ गिरी। जिया का दिल धड़कने लगा उसने सामने देखा तो पाया ईशान वैसे ही एक घुटने पर जिया के सामने बैठा था। उसके हाथ में वही डायमंड रिंग चमचमा रही थी जो उसने जिया के साथ खरीदी थी। सहसा ही जिया के कानों में ईशान के कहे शब्द गूंजे “ये किसी खास इंसान के लिए है।”
जिया को अपनी ओर देखता पाकर ईशान ने कहा,”जिया क्या तुम मेरी लाइफ पार्टनर बनोगी ?”
जिया ने सूना तो रोने लगी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जिस लड़के को वह पहले दिन से बहुत ज्यादा पसंद करती थी आज वही लड़का उसे सामने से प्रपोज कर रहा था। जिया को न अपने कानों पर यकीन हो रहा था ना ही अपनी किस्मत पर,,,,,,,,,,,,,,,,उसकी आँखों से बस आँसू बहते जा रहे थे। ईशान ने देखा तो उठ खड़ा हुआ और कहा,”क्या हुआ तुम रो क्यों रही हो ?”
“मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड क्यों नहीं बन सकती ?”,जिया ने रोते हुए कहा
ईशान ने सूना तो मुस्कुराया और उसके पास आते हुए कहा,”क्योकि तुम वाइफ मेटेरियल हो गर्लफ्रेंड मेटेरियल नहीं,,,,,,,,,,,,मुझे गर्लफ्रेंड नहीं चाहिए जो कुछ महीनो बाद मेरा दिल तोड़कर मुझसे ब्रेकअप करके चली जाये , मुझे वाइफ चाहिए जो हमेशा मेरे साथ रहे हर अच्छे बुरे वक्त में,,,,,,,,,,,,,!!”
“लेकिन मैं तुम्हारा दिल नहीं तोड़ सकती,,,,,,,,,,,,,!!”,जिया ने रोते हुए कहा
“लेकिन मैं रिस्क क्यों लू ? चलो अपना हाथ आगे बढ़ाओ,,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए ईशान ने जिया के ठन्डे पड़े हाथ को अपने गर्म हाथो में लिया और वो चमचमाती डायमंड रिंग उसकी ऊँगली में पहनाते हुए कहा,”आज से और अभी से तुम मेरी हो चुकी हो अब तुम जिया नहीं बल्कि जिया ईशान शर्मा हो,,,,,,,,,,,,,,,और खबरदार जो तुमने अब फिर से कही जाने की कोशिश की तो मैं तुम्हे हमेशा हमेशा के लिए भूल,,,,,,,,,,,,,,!!”
ईशान कुछ कहता इस से पहले ही जिया ईशान के गले आ लगी। ईशान ने मुस्कुराते हुए उसे अपनी बांहो में भरा और उसका सर सहलाने लगा। चूँकि जिया की हाइट ईशान से कम थी तो जिया सिर्फ उसके सीने तक ही आ सकती थी। डेस्टिनी ने जब जिया और ईशान को साथ साथ देखा तो ख़ुशी से गोल गोल घूमने लगा।
जिया की नजर जब डेस्टिनी पर पड़ी तो वह दौड़कर उसकी तरफ आयी और कहा,”डेस्टिनी तुम यहाँ कैसे आये ? और तुम इतना खुश क्यों हो ?”
ईशान ने जिया को डेस्टिनी से बात करते देखा तो उसके पास आया और कहा,”तुम्हे इस पिल्ले का नाम कैसे पता क्या तुम इस से पहले मिल चुकी हो ?”
“ओह्ह्ह्ह ये ही तो वो पिल्ला है जिस से मिलने मैं अक्सर विंग रेस्त्रो जाया करती थी और इसे ये नाम भी मैंने ही दिया है। ये बहुत प्यारा है मैं इसे घर ले जाना चाहती हूँ,,,,,,,,,,!!”,जिया ने डेस्टिनी को प्यार करते हुए कहा
ईशान ने सूना तो उसे फिर हैरानी हुई लेकिन अगले ही पल मुस्कुराते हुए नीचे बैठा और डेस्टिनी को देखकर कहा,”मतलब हम दोनों एक ही पिल्ले से अपने दिल की बातें शेयर किया करते थे।”
“ओह्ह्ह तुम इसे पिल्ला बुलाना बंद करो , इसका नाम डेस्टिनी है।”,जिया ने ईशान को घुरते हुए कहा
“हाँ तुमने इसका नाम सही रखा “डेस्टिनी” यानि किस्मत और इस किस्मत ने हमे मिला दिया।”,ईशान ने कहा तो जिया मुस्कुराने लगी और फिर अपनी पलके झपकाकर सहमति दे दी।
ईशान जिया और डेस्टिनी को लेकर उस जगह से बाहर आया जिया ने जैसे ही सामने देखा ख़ुशी से उछल पड़ी सामने उसकी प्यारी साइकिल खड़ी थी और साथ में मोहम्मद भाई खड़े थे। जिया ने ईशान की तरफ देखा तो ईशान ने जिया से साइकिल की तरफ जाने का इशारा किया। जिया दौड़कर अपनी साइकिल के पास आयी और खुश होकर उसे छूकर देखने लगी।
“मुझे माफ़ करना मैंने तुम्हे बहुत परेशान किया ये तुम्हारी साइकिल मैं वापस कर रहा हूँ।”,मोहम्मद भाई ने कहा तो जिया ख़ुशी के मारे उनके गले आ लगी और कहा,”ओह्ह्ह मोहम्मद भाई आप बहुत अच्छे है , मैं आपका ये अहसान कभी नहीं भूलूंगी,,,,,,,,,,,,,,आपका शुक्रिया !”
ईशान ने देखा तो उसे मीठी सी जलन हुई वह जिया के पास आया और जिया को मोहम्मद भाई से दूर करके कहा,”आपका बहुत बहुत शुक्रिया मोहम्मद भाई”
मोहम्मद भाई ईशान और जिया को अलविदा कहकर वहा से चले गये। ईशान साइकिल पर आ बैठा और जिया से बैठने का इशारा किया। जिया पीछे जाने लगी तो ईशान ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने आगे बैठाया। साइकिल की पिछली सीट खाली थी जहा डेस्टिनी आ बैठा। ईशान और जिया ने देखा तो दोनों मुस्कुरा उठे। ईशान ने साइकिल आगे बढ़ा दी और उसके बाद शुरू हुई जिया की ना खत्म होने वाली बातें और ईशान मुस्कुराते हुए उन बातो को सुनता रहा।
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समाप्त
अब आप सोच रहे होंगे की सोफी और देवांश का क्या हुआ ? तो वो उनका मामला है उन्हें अकेला छोड़ दो,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे भी मैं इस कहानी को अब और आगे नहीं खींचना चाहती और इसका 2nd सीजन लिखने का मेरा बिल्कुल इरादा नहीं है क्योकि कभी कभी ये 2nd सीजंस कहानी का चार्म खो देते है। सो बहुत बहुत शुक्रिया अब तक इस कहानी के जरिये साथ बनाये रखने के लिए और उम्मीद है कि आगे भी आप सबका प्यार और साथ यु ही मिलता रहेगा।
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Sanjana Kirodiwal