A Broken Heart – 34
ईशान जिया को लेकर सेंडविच शॉप आया दोनों ने नाश्ता किया और फिर सीधा घर चले आये। लॉरी वाला ईशान के सामान को लेकर वहा पहुँच चुका था। ईशान ने लड़के की मदद से सब सामान उतरवाया और फिर जिया के साथ मिलकर बाहर खड़े होकर घर को देखने लगा।
“हमे सबसे पहले इसे पेंट करने की जरूरत है।”,जिया और ईशान दोनों ने एक साथ एक दूसरे की ओर देखकर कहा। दोनों मुस्कुराये और फिर ईशान ने सामने देखते हुए कहा,”थैंक्यू !!”
“हह थैंक्यू वो किसलिए ?”,जिया ने पूछा
“थैंक्यू ये घर ढूंढ़ने के लिए,,,,,,,,,तुम बहुत अच्छी हो जिया इसलिए नहीं कि तुमने मेरी मदद की बल्कि इसलिए कि तुम हमेशा दिल से बात करती हो।”,ईशान ने जिया की तरफ देखकर कहा
जिया को तो अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ ईशान उसकी तारीफ कर रहा था। वह प्यार से ईशान को देखने लगी और फिर एकदम से कहा,”तुम सच कह रहे हो न ? मतलब मैं अच्छी लड़की हूँ।”
“हाँ ये सच है,,,,,,,,!”,ईशान ने कहा
जिया ने खुश होकर अपना हाथ ईशान की तरफ बढ़ाया और कहा,”फ्रेंड्स ?”
ईशान जिया को देखने लगा अभी कुछ दिन पहले ही एक लड़की ने उसका दिल तोड़ा था और आज एक लड़की फिर उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रही है।
जिया अपना हाथ ईशान की तरफ किये इस इंतजार में थी कि वह उसकी दोस्ती को एक्सेप्ट कर ले। जिया को अपनी तरफ देखते पाकर ईशान ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर जिया से हाथ मिलाते हुए कहा,”सिर्फ दोस्त !”
“हाँ सिर्फ दोस्त,,,,,,,,,,,,,वैसे भी सोफी कहती है दोस्ती सबसे खूबसूरत रिश्ता होता है।”,जिया ने अपने हाथ को थामे ईशान के हाथ को देखते हुए बड़े प्यार से कहा।
ईशान ने जिया से अपना हाथ छुड़ाया और कहा,”चलो अब बाते बहुत हो गयी ये बताओ हमे घर में कौनसा पेंट करना चाहिए ?”
“तुम थोड़े सीरियस टाइप हो तुम्हे कुछ लाइट कलर्स यूज़ करने चाहिए इस से तुम्हारा मूड भी अच्छा रहेगा और तुम्हे गुस्सा भी नहीं आएगा।”,जिया ने कहा
“क्या मैं सच में सीरियस लगता हूँ ?”,ईशान ने जिया की तरफ देखकर पूछा
“हाँ कभी कभी पर वैसे तुम बहुत क्यूट,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह कुछ नहीं चलो हमे देर हो रही है।”,जिया ने एकदम से कहा और फिर ईशान के साथ वहा से चली गयी।
दोनों ने मिलकर घर को पेंट किया और उसके बाद सब सामान शिफ्ट किया। काम करते करते रात हो गयी और अब तक जिया काफी थक चुकी थी। वह बिस्तर पर आ बैठी और थके हुए कहा,”अह्ह्ह्ह आज मैंने बहुत काम किया अब मैं काफी थक चुकी हूँ।”
“तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए कॉफी बनाता हूँ,,,,,,,,,,,,,,सच में तुमने आज बहुत मेहनत का काम किया।”,ईशान ने कहा तो जिया मुस्कुरा दी। ईशान किचन एरिया की तरफ आकर कॉफी बनाने लगा। उसने कॉफी दो कप में छानी और लेकर जैसे ही जिया के पास आया उसने देखा जिया सो चुकी है।
ईशान ने कप साइड में रखे और जिया को उठाने के बारे में सोचने लगा लेकिन जिया गहरी नींद में थी।
ईशान ने जिया को सोने दिया। उसने एक कप उठाया और सोफे पर बैठकर कॉफी पीने लगा। कॉफी पीकर ईशान ने कप रखा तो नजर जिया पर चली गयी उसने अपने जूते भी नहीं निकाले थे। ईशान ने जिया के जूते निकाले उसके पैरो को ऊपर किया और पास पड़ा कंबल उसे ओढ़ा दिया। ईशान को बार जाना था लेकिन वह जिया को भी अकेले नहीं छोड़ सकता था ना ही उसे नींद से उठा सकता था।
ईशान वही रुक गया ईशान ने एक दो बार जिया को उठाने की कोशिश भी लेकिन जिया कुम्भकरण ठहरी वह मस्त कम्बल में लिपटे सोती रही। ईशान जिया को वही छोड़कर बाहर चला आया। अन्धेरा हो चुका था उसने बाहर की लाइट जला दी और सामने पड़ी बेंच पर आकर बैठ गया। ईशान खामोश बैठा आसमान में चमकते चाँद को देखते रहा। बीते दिनों की सारी घटनाये ईशान की आँखों के सामने आने लगी।
उसके पापा का गुस्सा , माया से हुआ ब्रेकअप , ऑडिशन में सेलेक्ट ना हो पाना और दोस्तों की बेपरवाही सब एक एक करके किसी फिल्म की तरह उसके सामने आने लगे। ईशान ने महसूस किया कि वो काफी अकेला हो चुका था इन लोगो में से किसी को उसकी परवाह नहीं थी सिवाय जिया के,,,,,,,,,,,,,,,जिया का ख्याल आते ही ईशान के होंठो पर मुस्कुराहट तैर गयी।
जिया जब जब ईशान से मिली ईशान के होंठो पर एक मुस्कराहट छोड़ गयी। जिया ने बिना किसी स्वार्थ के ईशान की इतनी मदद की और बदले में कभी उस से कुछ नहीं चाहा बस जिया की यही बात बार बार ईशान के दिल को छू रही थी।
देर रात ईशान को भूख का अहसास होने लगा उसने घर से कुछ ही दूर बने दुकान से दो ऑमलेट पैक करवाए और लेकर घर चला आया। जिया अभी भी सो रही थी उसे परेशान ना करके ईशान बाहर बेंच पर बैठ गया। उसने एक ऑमलेट जिया के लिए रख दिया ताकि जब वह उठे तो खा सके और दुसरा लेकर खुद खाने लगा।
खुले आसमान के नीचे बैठकर खाने का अपना अलग ही मजा होता है ये आज ईशान ने महसूस किया। कई दिनों बाद आज वह दिल से खुश था और इस ख़ुशी की वजह थी “जिया”
ईशान ने अभी कुछ ही निवाले खाए थे कि जिया अपनी आँखे मसलते हुए दरवाजे पर आयी और ईशान को खाते देखा तो हैरानी से उसकी आँखे फ़ैल गयी
उसने बाहर आते हुए कहा,”हाह कितने मतलबी हो तुम ? घर की सफाई मुझसे करवाई और जब खाने का वक्त आया तो अकेले खा रहे हो। अकेले अकेले तुम्हारे गले से निवाला उतर भी कैसे सकता है ?”
“मैंने तुम्हारे लिए भी बचा के रखा है , तुम सो रही थी इसलिए मैंने तुम्हे परेशान नहीं किया। तुम ये खा सकती हो।”,ईशान ने जिया की तरफ देखकर कहा
“क्या तुम सच कह रहे हो ? ओह्ह्ह्हह यहाँ तो काफी रात हो चुकी है अब मैं घर कैसे जाउंगी ?”,जिया ने हैरान होते हुए कहा
“यहाँ मतलब ? तुम जहा रहती हो वहा भी इस वक्त यही वक्त हो रहा है।”,ईशान ने जिया की बेवकूफी पर तंज कसते हुए कहा
“हाँ याद आया , कभी कभी मैं बहुत इल्लॉजिकल बाते करती हूँ”,जिया ने ईशान के बगल में बैठते हुए कहा
ईशान ने जिया के लिए रखे ऑमलेट की तरफ किया तो जिया ने उसे उठाया और खाने लगी।
“अहम्म्म्म्म ये काफी टेस्टी है,,,,,,,,,,,वैसे ये तुम्हे कहा से मिला ?”,जिया ने बचा हुआ एक साथ अपने मुँह में ठूसते हुए कहा
“घर से बाहर कुछ ही दूर एक शॉप है वहा से,,,,,,,,,,,!!”,ईशान ने अपना प्लेट साइड में रखते हुए कहा
“हम्म्म हम्म्म ये बहुत अच्छा,,,,,,,,,,,,,,अच्छा,,,,,,,,,,,,,,,खू खू खू”,कहते हुए जिया खांसने लगी।
ईशान ने देखा तो वह उठकर अंदर गया और पानी का ग्लास ले आया उसने ग्लास जिया की तरफ बढ़ाया और कहा,”तुम इसे आराम से भी खा सकती हो।”
जिया ने पानी पिया उसे थोड़ा आराम मिला तो ईशान फिर उसके बगल में आ बैठा। जिया ने गिलास साइड में रखा और कहा,”मैं जब भी टेस्टी खाना देखती हूँ खुद पर कन्ट्रोल नहीं कर पाती , मेरा सपना है मैं एक दिन अपनी सभी पसंदीदा डिश खाऊ,,,,,,,,,,,,,,,और तब तक जब तक मेरा पेट और मन ना भर जाये लेकिन,,,,,,,,,,,,!!”
कहते कहते जिया रुक गयी तो ईशान ने कहा,”लेकिन ?”
“लेकिन उसके लिए बहुत सारे पैसे लगते है और मेरे पास इतने पैसे नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,पर कभी कभी सोचती हूँ काश ये पूरा हो पाता।”,जिया ने आसमना में चमकते चाँद को देखकर हताश होते हुए कहा
ईशान ने महसूस किया जिया के सपने बहुत ही मामूली थे लेकिन इतने कठिन भी नहीं थे कि उन्हें पूरा न किया जा सके।
उसने जिया की तरफ देखा और पूछा,”अच्छा ये बताओ इस शहर में तुम्हारे हिसाब से सबसे ज्यादा अच्छा खाना कहा मिलता है ?”
जिया ने सूना तो ईशान की तरफ पलटकर बैठ गयी और अपनी आँखों में चमक भरते हुए कहा,”वैसे तो बहुत सारी जगह है लेकिन मिस्टर दयाल का रेस्त्रो टेस्ट के मामले में टॉप पर है , वहा काफी टेस्टी डिशेस बनती है और वहा के चॉकलेट डोनट्स तो इतने अच्छे है कि उन्हें देखते ही मुंह में पानी आ जाये।
तुम 10-12 एक साथ भी खा लो तो तुम्हारा मन ना भरे और वहा का स्ट्राबेरी शेक इतना यम्मी है कि महीनो उसका टेस्ट तुम्हारी जबान पर रहेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं वहा काम करती हूँ लेकिन फिर भी वो सब डिशेज नहीं खा सकती क्योकि वो काफी महंगी है और मिस्टर दयाल कहते है कि मैं कभी इतनी महंगी डिशेज नहीं खा सकती,,,,,,,,,,,,,पर वो नहीं जानते कि मैं अपने चीज बन सेंडविच में भी खुश हूँ।”
ईशान एक टक जिया को देखते हुए उसकी कहानी सुनता रहा। जिया के चेहरे से मासूमियत के अलावा इस वक्त कुछ नहीं था उसकी आँखों में सच्चाई थी और होंठो पर मुस्कराहट,,,,,,,,,,,,,,,,,,ईशान को थोड़ी हैरानी भी हो रही थी कि जिस उम्र में लड़किया प्यार मोहब्बत और हुक अप्स की बातो में बिजी रहती है वही जिया मेहनत करके पैसे कमाती है और छोटी छोटी चीजों में खुश रहती है।
ईशान को अपनी ओर देखता पाकर जिया आगे कहने लगी,”तुम्हे याद है वो बारिश वाली रात जब तुम मिस्टर दयाल के रेस्त्रो आये थे उस रात मैंने बहुत डोनट्स खाये थे सच में वो रात कितनी अच्छी थी।”
“हाँ वो रात अच्छी थी। अपने बारे में कुछ बताओ ?”,ईशान ने जिया की बातो में दिलचस्पी दिखाते हुए कहा
ईशान ने जैसे ही पूछा जिया बेंच पर आलथी पालथी मरकर बैठ गयी और ईशान को अपने बारे में बताने लगी।
अपनी मॉम और अपनी बहन के बारे में बताया जो कि किसी गांव में रहती थी। अपने दिल्ली आने के बारे में , सोफी के साथ रहने के बारे में , मिस्टर दयाल के यहाँ नौकरी करने के बारे में और साथ साथ उसे अपने आर्डर के किस्से भी सुनाये जिन्हे सुनकर ईशान हसे बिना ना रह सका।
जिया बोलते रही और ईशान उसके बाते सुनता रहा। दिल्ली आने के बाद ये पहली बार था जब किसी ने ईशान से इतनी बातें की थी। दोनों बातो में इतना गुम हो गए कि उन्हें वक्त का पता ही नहीं चला और रात से सुबह हो गयी। जिया की आँखे अब मूंदने लगी थी। कोई बात कहते कहते उसका असर बेंच पर रखे अपने हाथ से जा लगा और उसकी आँख लग गयी। ईशान के साथ भी यही हुआ। दोनों वही बेंच पर बैठे बैठे सो गये। सुबह की ठंडी ठंडी हवा से दोनों के चेहरे पर राहत थी।
जिया फिर रातभर घर नहीं आयी और इस बार सोफी समझ गयी कि हो न हो जिया जरूर ईशान के साथ है। सुबह भी जब जिया घर नहीं आयी तो सोफी रेस्त्रो जाने के लिए तैयार होने लगी। शीशे के सामने बाल बनाते हुए सोफी बड़बड़ाने लगी,”ये जिया की बच्ची दिन ब दिन बिगड़ते ही जा रही है। उसे अपनी ज़रा भी परवाह नहीं है वो एक लड़के के साथ रातभर कैसे रुक सकती है ? माना कि वो अपनी मर्जी से कुछ भी कर सकती है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि वो मुझे कुछ बताये ही ना,,,,,,,,,,,,,मिलने दो उसे उसकी टाँगे तोड़ती हूँ आज मैं।”
तैयार होकर सोफी रेस्त्रो के लिए निकल गयी। रास्ते में उसे जिया का ख्याल आया तो वह रेस्त्रो ना जाकर पहले ईशान के नए घर के सामने चली आयी। सोफी अंदर आयी उसने देखा बेंच पर बैठे ईशान और जिया आराम से सो रहे है। सोफी उनके सामने आकर खड़ी हो गयी और उन्हें घूरने लगी। कुछ देर बाद जिया की आँख खुली उसने सोफी देखा तो घबराकर चिल्लाते हुए ईशान में जा गिरी। अचानक हुयी हरकत से ईशान भी घबराकर नींद से जागा और चिल्लाया।
“तुम चिल्ला क्यों रहे हो ?”,जिया ने पूछा
“तुम क्यों चिल्लाई ?”,ईशान ने सामने से सवाल किया।
जिया ने ईशान के सवाल का जवाब नहीं दिया वह उठी और सोफी के सामने आकर कहा,”तुम इतनी सुबह यहाँ क्या कर रही हो ?”
सोफी ने एक नजर ईशान को देखा और फिर जिया को साइड में लाकर कहा,”तुम्हे किसी के प्यार में इतना भी अंधा नहीं होना चाहिए कि रात को तुम अपने घर ही ना आओ,,,,,,,,,,,,,,,,क्या मैं जान सकती हूँ ये सब क्या हो रहा है ? तुम यहाँ इस लड़के के साथ कर क्या रही हो ? क्या तुम्हे अपनी ज़रा भी परवाह है ? ऐसे रातभर तुम एक अनजान लड़के के साथ कैसे रह सकती हो ? और तो और तुमने मुझे बताना तक जरुरी नहीं समझा,,,,,,,,,,,,,,,जिया जिया , मैं तुमसे बात कर रही हूँ , जिया।”
सोफी बेचारी कहते ही रह गयी और जिया सामने नल के पास खड़े ईशान को देखते रही जो कि अपना मुँह धो रहा था और सुबह की हल्की धुप में उसका चेहरा चमक रहा था। ईशान इस वक्त बहुत प्यारा लग रहा था और यही वजह थी कि जिया एकटक उसे देखे जा रही थी उसने सोफी की बात भी नहीं सुनी। जिया को ईशान में खोया देखकर सोफी ने जिया का हाथ पकड़ा और उसे खींचते हुए वहा से ले गयी।
दिनभर जिया अपने ऑर्डर्स में लगी रही और शाम में वही मिस्टर के ऑफिस में सो गयी। सोफी और जिया की नाईट शिफ्ट चालू थी। रात के समय सोफी ने जिया को उठाया और कहा,”जिया , जिया उठो ! ये एक आर्डर है मिस्टर दयाल के नए बार से पहले स्टॉप पर क्या तुम वहा चली जाओगी ?”
“हाँ मैं चली जाउंगी !”,जिया ने आँखे मूंदे नींद से त्रस्त होकर कहा
“तो उठो और अपना मुँह धो लो मैं तक तक आर्डर पैक कर देती हूँ।”,सोफी ने कहा और वहा से चली गयी। जिया उठी उसने अपना मुंह धोया और वहा से बाहर चली आयी। रात के 8 बज रहे थे जिया ने पार्सल लिया और रेस्त्रो से बाहर चली आयी। उसने स्कूटर स्टार्ट किया और लेकर निकल गयी। जिया ने आज का आखरी आर्डर समय से पहुंचा दिया उसे इस बात की ख़ुशी थी।
आर्डर देकर जिया जैसे ही वापस जाने लगी उसे ख्याल आया और वह बड़बड़ाई,”ईशान ने बताया था कि वो मिस्टर दयाल के बार में काम करता है , बार यहाँ से कुछ ही दूर है क्या मुझे उसे जाकर देखना चाहिए ?”
“अह्ह्ह्ह नहीं अगर सोफी को पता चला तो वो तो मुझे मार ही देगी,,,,,,,,,,,,,,,नहीं मुझे ये नहीं करना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मैं अपने दिल के हाथो मजबूर हूँ , मेरा मन कर रहा है कि मैं वहा जाऊ,,,,,,,,,,,,,वैसे भी माँ कहती है हमेशा दिल की सुननी चाहिए , और सोफी को बताएगा कौन कि मैं बार गयी थी ,, ये हवा पेड़ पौधे ये तो बताने से रहे और ये मिस्टर दयाल का खटारा स्कूटर मुझे नहीं लगता ये भी कुछ बोल पायेगा,,,,,,,,,,,,,,,मुझे पक्का जाना चाहिए।”
जिया ने फैसला किया और पैदल ही बार की तरफ चल पड़ी। बार में आकर जिया हैरान रह गयी ईशान काउंटर पर ना होकर सामने स्टेज पर था और माइक हाथ में लिए कुछ बोल रहा था। जिया मुस्कुराते हुए सुनने लगी। सब ईशान के लिए तालियां बजाने लगे। ईशान स्टेज से वापस आया लेकिन वह जिया की तरफ आ पाता इस से पहले ही माया ईशान के सामने आयी और कहा,”तुम्हारी औकात बस इतनी ही ईशान कि ऐसे 3rd क्लास बार में तुम सिर्फ स्टेज पर अपनी शायरी सूना रहे हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,और तुम इसे अपना सपना बताते थे।”
माया वहा से जा चुकी थी उसके शब्दों ने ईशान के सीने में खंजर भौंक दिए उसका चेहरा उतर गया और आँखों में नमी उतर आयी। ईशान ने जिया को नहीं देखा और वहा से चला गया। ईशान की आँखों में आँसू देखकर जिया की आँखों में भी आँसू उतर आये। वो उसका दर्द महसूस कर सकती थी।
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