A Broken Heart – 33
A Broken Heart – 33
देवांश को किसी और लड़की के सामने देखकर ईशान हैरान था। देवांश माया को धोखा दे रहा है ये समझते ईशान को देर नहीं लगी। देवांश उस लड़की में खोया हुआ था उसने ईशान को नहीं देखा और लड़की की कमर में बाँह डालकर वहा से चला गया। ईशान एक बार फिर अपने काम में लग गया लेकिन ध्यान बार बार देवांश पर चला जाता। देवांश लड़की के साथ खिलखिला रहा था।
कुछ देर बाद दोनों वहा से निकल गए। ईशान अपनी चेयर पर आ बैठा और अपना काम करने लगा। ईशान को बार बार माया का ख्याल आ रहा था उसने लेपटॉप बंद किया और मन ही खुद से कहा,”देवांश माया को धोखा दे रहा है , माया से सगाई होने के बाद वह किसी लड़की के इतना करीब कैसे जा सकता है ? मुझे माया को ये बात बतानी चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,,कही माया की जिंदगी खराब न हो जाये।”
देर रात अपना काम खत्म करके ईशान घर चला आया। ईशान जैसे ही घर आया देखकर हैरान था घर के बाहर लाइट्स की छोटी छोटी लड़िया लगी थी जिस से पुरे घर में रौशनी फैली थी और वो काफी अच्छी लग रही थी। ईशान हैरानी से वो सब देखते हुए अंदर चला आया। अंदर आकर तो वह और ज्यादा हैरान हुआ पूरा घर एकदम साफ था और बाहर पड़े गमले भी काफी अच्छे से जमे हुए थे। ईशान ने घर का दरवाजा खोला और अंदर आया।
घर भी पहले से काफी साफ सुथरा था और हाल के कोने में एक बिस्तर लगा था साथ में एक तकिया और कम्बल भी रखा था। बगल में पानी का जग और एक जलता लेम्प रखा हुआ था। ईशान ने अपना बैग रखा और बिस्तर पर आ बैठा।
उसने इधर उधर देखा उसके अलावा वहा कोई नहीं था। ईशान ने जग उठाया , पानी पीया और जग को वापस रखते हुए कहा,”ये सब यहाँ किसने किया होगा ? क्या जिया ने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर उसे देखकर लगता नहीं है वो ऐसा कुछ भी कर सकती है।”
थके होने के कारण ईशान बिस्तर पर आ लेटा और उसे नींद आ गयी।
अगली सुबह ईशान देर तक सोते रहा। जिया उस से मिलने आयी थी लेकिन ईशान को सोया देखकर वह बिना उसे परेशान किये वहा से चली गयी। ईशान उठा और देखा सुबह के 11 बज रहे है। वह उठकर फ्रेश हुआ और घर से बाहर लॉन में चला आया। ईशान ने देखा आस पास हरियाली थी और आसमान काफी साफ था।
आस पास कुछ घर थे लेकिन इस एरिया में इतना रश नहीं था खुली जगह थी। ईशान बरामदे की सीढ़ियों पर आकर बैठ गया और खाली आँखों से उन नजारो को देखने लगा। ईशान को ये सब काफी अच्छा लग रहा था। फ्लेट में रहते हुए उसने मुश्किल से सुबह देखी होगी
ईशान उठा और नहाने चला गया। नहाकर वह तैयार हुआ और जिया से मिलने उसके रेस्त्रो चला आया। ईशान अंदर आया जिया रेस्त्रो में नहीं थी वहा बस सोफी और कुछ कस्टमर्स थे। ईशान कुर्सी खिसकाकर आ बैठा। सोफी ने देखा तो वह ईशान के पास चली आयी और कहा,”तुम क्या लेना पसंद करोगे ?”
“जिया कही दिखाई नहीं दे रही है , वो कही गयी है क्या ?”,ईशान की नजरो ने जिया की तलाश में इधर उधर देखते हुए पूछा
“हाँ वो कुछ ऑर्डर्स लेकर बाहर गयी है। उसे आने में देर हो जाएगी,,,,,,,,,,!!”,सोफी ने कहा
“हम्म्म्म क्या मुझे एक कप कॉफी मिल सकती है ?”,ईशान ने सोफी की तरफ देखकर पूछा
“हाँ क्यों नहीं तुम आराम से बैठो मैं अभी भिजवाती हूँ।”,सोफी ने मुस्कुरा कर कहा और वहा से चली गयी जैसा वो हर कस्टमर के साथ पेश आती थी।
सोफी ने वेटर के साथ ईशान के लिए कॉफी भिजवा दी और खुद अपना काम करने लगी। ईशान ने कॉफी उठायी और पीने लगा जैसे ही उसने एक घूंठ भरा सहसा ही उसे वो दिन याद आ गया जब माया ने फर्श पर कॉफी गिराकर ईशान से साफ करने को कहा था और तब जिया ने बीच में आकर उसे ऐसा करने से रोका था। ईशान जिया के बारे में सोचते हुए मुस्कुरा उठा। उसने कॉफी खत्म की और सोफी के पास आकर कहा,”माफ़ करना अभी के लिए मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं है तो क्या तुम,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“चिंता मत करो मिस्टर दयाल ने कहा है कि तुम्हारी सेलेरी आने तक तुम यहाँ खा पी सकते हो , पैसे बाद में चुका देना।”,सोफी ने ईशान की बात काटते हुए कहा
“क्या सच में उन्होंने ऐसा कहा ?”,ईशान ने हैरानी से पूछा क्योकि कोई भी अपने कस्टमर पर इतनी जल्दी भरोसा नहीं करता
“हाँ तुम चाहो तो मिस्टर दयाल से पूछ सकते हो,,,,!!”,सोफी ने कहा
“नहीं इसकी जरूरत नहीं है मैं चलता हूँ।”,ईशान ने कहा और वहा से चला गया।
देखते ही देखते एक हफ्ता गुजर गया ईशान भी अपने काम में बिजी हो गया। उसे बार में काम करना अच्छा नहीं लग रहा था फिर भी वह पूरी मेहनत कर रहा था ताकि जॉब मिलने तक उसके पास कुछ पैसे आ जाये। इस बीच ना जिया ईशान से मिलने आयी ना ही ईशान उस से मिल पाया। एक सुबह ईशान सो रहा था तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया। ईशान आँखे मसलते हुए उठा।
दरवाजा लगातार बजे जा रहा था जिस से ईशान को झुंझलाहट होने लगी और उसने खीजते हुए दरवाजा खोला और ये हुआ कि सामने खड़ी जिया ने दरवाजा समझकर उसका मुंह खटखटा दिया। ईशान ने जिया का हाथ पकड़ा। उसे जिया को वहा ददेखकर ख़ुशी हुई लेकिन उसने अपनी ख़ुशी छुपाकर चिढ़ते हुए कहा,”तुम इतनी सुबह यहाँ क्या कर रही हो ?”
“मेरे साथ चलो मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है।”,जिया ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
“कहा ?”,ईशान ने हैरानी से पूछा
“तुम चलो तो सही,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए जिया ने ईशान की कलाई पकड़ी और उसे घर से बाहर ले आयी। जिया अपनी साइकिल पर आ बैठी और उसे पीछे बैठने को कहा। ईशान जिया के पीछे आ बैठा तो जिया ने साइकिल आगे बढ़ा दी। ईशान बस समझने की कोशिश कर रहा था कि जिया उसे कहा लेकर जा रही है ?
जिया ईशान को लेकर उसकी पुरानी बिल्डिंग के सामने पहुंची और अपनी जेब से कीपेड वाला फोन निकालकर किसी को फोन लगाया और कहा,”हां मैंने जो एड्रेस बताया वहा आ जाओ !!”
“तुम आखिर कर क्या रही हो ?”,ईशान ने जिया के सामने आकर कहा
जिया ने कुछ नहीं कहा बस ईशान को देखकर बड़ी सी स्माइल दे दी। ईशान ने जिया को मुस्कुराते देखा तो शकभरे स्वर में कहा,”तुम जब भी ऐसी स्माइल करती हो कुछ ना कुछ गड़बड़ करती हो।”
“ओह्ह्ह्ह ऐसा कुछ नहीं है , वैसे भी मैं जब से तुम से मिली हूँ मेरे साथ सब अच्छा ही हुआ है,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्हह बस कुछ चीज को छोड़ कर , हम यहाँ क्यों खड़े है चलो अंदर चलते है ?”,जिया ने कहा और बिल्डिंग के अंदर चली आयी। ईशान भी जिया के पीछे चला आया। दोनों लिफ्ट में चले आये और जिया ने ऊपर जाने के लिए बटन दबा दिया। लिफ्ट में खड़ी जिया हिल डुल रही थी। उ
से देखकर ईशान को वो दिन याद आ गया जब वह ऐसे ही एक बार जिया के साथ लिफ्ट में फंस गया था और जिया खुद से बातें कर रही थी। ईशान मुस्कुराने लगा जिया ने देखा तो अपनी भँवे उचकाई और बदले में ईशान ने ना में अपनी गर्दन हिला दी। जिया प्यार भरी नजरो से ईशान को देखते रही , वैसे भी ईशान बहुत कम मुस्कुराया करता था।
लिफ्ट ऊपर आकर रुकी जिया ईशान को लेकर उसके फ्लेट के सामने चली आयी जहा ईशान का लैंडलॉर्ड पहले से खड़ा था। ईशान ने अपने लैंडलॉर्ड को वहा देखा तो हैरान हुआ। जिया लैंडलॉर्ड के पास आयी और अपनी जेब से लिफाफा निकालकर लैंडलॉर्ड की
तरफ बढ़ाकर कहा,”ये लीजिये ये पुरे है , क्या अब आप इसका सामान रिलीज कर सकते है ?”
“जिया ये तुम क्या कर रही हो ? तुम इन्हे पैसे क्यों दे रही हो ? ये मेरा फ्लेट है मैं इसका रेंट चुका दूंगा तुम्हे ये करने की जरूरत नहीं है।”,ईशान ने जिया को रोकते हुए कहा
“हाँ तुम चुका सकते हो लेकिन तब तक बिना सामान के तुम एक महीना कैसे सरवाइव करोगे ? अभी के लिए ये मैं दे देती हूँ तुम मुझे बाद में वापस कर देना,,,,,,,,,,,,,,,,,,अगर तुम वापस नहीं भी करोगे तो चलेगा।”,जिया ने अपनेपन से कहा
ईशान को जिया से इसकी उम्मीद नहीं थी ईशान ने लैंडलॉर्ड की तरफ देखा तो उन्होंने कहा,”तम चाहो तो अपना सामान यहाँ से शिफ्ट कर सकते हो , या चाहो तो यहाँ फिर से रूक सकते हो लेकिन तुम्हे समय से किराया देना होगा।”
लैंडलॉर्ड की बात सुनकर ईशान को वो दिन याद आ गया जब लैंडलॉर्ड ने उसे घर से निकलने को कहा था उसने कहा,”नहीं शुक्रिया मैं अपना सामान यहाँ से शिफ्ट करना पसंद करूंगा।”
“ठीक है मैं चलता हूँ।”,लैंडलॉर्ड ने कहा और लिफाफा लेकर चला गया
ईशान जिया की तरफ पलटा और कहा,”तुमने ये क्यों किया ? तुम आलरेडी मेरे लिए इतना सब कर चुकी हो।”
“मुझे ये करना ठीक लगा , मैंने देखा तुम्हे जमीन पर सोने की आदत नहीं है।”,जिया ने ईशान को देखकर प्यार से कहा
ईशान ने सूना तो खामोश हो गया। उस नए घर में उसके लिए रहना आसान नहीं था।
वहा सुख सुविधा का कोई सामान नहीं था फिर भी ईशान रह रहा था और अपनी परेशानियों के बारे में उसने जिया को नहीं बताया। ईशान को खामोश देखकर जिया ने कहा,”अब यहाँ खड़े होकर समय बर्बाद मत करो जाकर पैकिंग करो लॉरी वाला आता ही होगा।”
“चलो !”,ईशान ने जिया का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ ले जाते हुए कहा
“हे कहा ?”,ईशान ने कहा
“पैकिंग में मेरी हेल्प करने,,,,,,,,,,,,,,!!”,ईशान ने जिया को अंदर लाते हुए कहा
“लेकिन ये तो तुम कर सकते हो ना,,,,,,,,,,,,,मुझे वैसे भी रेस्त्रो जाना है।”,जिया ने बहाना बनाते हुए कहा
“आज रेस्त्रो बंद है मिस्टर दयाल से मुझे इसकी जानकारी पहले ही मिल चुकी है। अब चुपचाप मेरी मदद करो,,,,,,,,,,,,,!!”,ईशान ने कहा
“अह्ह्ह्ह लेकिन मैं तुम्हारी मदद क्यों करू ?”,जिया ने रोआँसा होकर कहा
“मत भूलो तुमने मेरे किचन से बिस्किट चुराकर खाये थे और उनके बदले में तुम ये कर सकती हो।”,ईशान ने कहा
“उन बिस्किट्स के लिए क्या मुझे हमेशा तुम्हारी मदद करनी होगी ?”,जिया ने हैरानी से पूछा
“हाँ शायद,,,,,,,,,,,,,,अब बातें मत करो हमे बहुत सारी पैकिंग करनी है।”,ईशान ने कहा और अपने रूम में चला गया। फ्लेट में ज्यादा सामान ना होने की वजह से जिया और ईशान ने कुछ ही देर में सब सामान पैक कर लिया।
ईशान की वर्क डेस्क का सामान पैक करते हुए जिया की नजर बॉक्स में रखे टूटे लेपटॉप और माइक पर चली गयी। टूटे सामान को भी जिया ने बॉक्स में रखा और फिर सब सामान नीचे लोरी में भरवाने लगी। ईशान नीचे चला आया उसके हाथ में एक बैग था जिसमे माया से जुडी कुछ यादे थी। जिया काफी थकी हुई थी और अपनी साइकिल के पास खड़ी वह हाफ रही थी। ईशान जैसे ही उसके पास आया जिया ने कहा,”अब मैं और कोई काम नहीं करने वाली हूँ , वैसे भी मैंने बस कुछ बिस्किट खाये थे।”
जिया की रोनी सूरत देखकर ईशान ने कहा,”पर मैं तो तुम्हे चीज बन सेंडविच के लिए इन्वाइट करने आया था,,,,,,,,,,,,,,,अब अगर तुम्हारा मन नहीं है तो रहने देते है।”
सेंडविच का नाम सुनते ही जिया के मुंह से लार टपकने लगी और उसने कहा,”किसने कहा मेरा मन नहीं है ? बल्कि मुझे तो बहुत भूख लगी है। मैंने तुम्हारी इतनी हेल्प की बदले में तुम मुझे ये खिला सकते हो।”
“हाँ जरूर,,,,,,,,,,,,चलो चलते है।”,ईशान ने कहा तो जिया अपनी साइकिल का हेंडल पकडे पैदल ही उसके साथ चल पड़ी
“वैसे इस बैग में क्या है ? तुम चाहते तो इसे भी सामान के साथ गाड़ी में रख सकते थे।”,जिया ने कहा
जिया की बात सुनकर ईशान बैग को देखने लगा और कुछ देर बाद कहा,”इसमें मेरा कुछ पर्सनल सामान है। चलो चलते है।”
जिया ईशान के साथ चल पड़ी दोनों ख़ामोशी से सड़क किनारे चले जा रहे थे तभी एक गाड़ी तेजी से जिया के बगल से निकली और ईशान ने जिया को अपनी तरफ खींच लिया। जिया मरते मरते बचा। जिया सहमी सी ईशान के सीने से लगी रही। ईशान ने जाती हुई गाड़ी को देखा वह गाड़ी उसे जानी पहचानी लगी।
“तुम ठीक हो ?”,ईशान ने जिया को खुद से दूर करके पूछा
“हहहहहह आज तो मैं सच में भगवान से मिल लेती और मेरा सपना पूरा हो जाता।”,जिया ने हैरानी से कहा
“तुम कहना चाहती हो कि भगवान से मिलना तुम्हारा सपना है ?”,ईशान ने भी हैरानी से पूछा
“हाँ मुझे मिलना है , मुझे देखना है वो कैसे दिखते है ? हम जैसे या हम लोगो से भी ज्यादा अच्छे,,,,,,,,,,,,!”,जिया ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
ईशान ने सूना तो अफ़सोस भरे स्वर में कहा,”तुम सच में अजीब हो,,,,,,,,,,!!”
ईशान आगे बढ़ गया और जिया उसके पीछे आते हुए चिल्लाई,”मैं सच कह रही हूँ !!!”
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संजना किरोड़ीवाल
ईशान की वर्क डेस्क का सामान पैक करते हुए जिया की नजर बॉक्स में रखे टूटे लेपटॉप और माइक पर चली गयी। टूटे सामान को भी जिया ने बॉक्स में रखा और फिर सब सामान नीचे लोरी में भरवाने लगी। ईशान नीचे चला आया उसके हाथ में एक बैग था जिसमे माया से जुडी कुछ यादे थी। जिया काफी थकी हुई थी और अपनी साइकिल के पास खड़ी वह हाफ रही थी। ईशान जैसे ही उसके पास आया जिया ने कहा,”अब मैं और कोई काम नहीं करने वाली हूँ , वैसे भी मैंने बस कुछ बिस्किट खाये थे।”
ईशान की वर्क डेस्क का सामान पैक करते हुए जिया की नजर बॉक्स में रखे टूटे लेपटॉप और माइक पर चली गयी। टूटे सामान को भी जिया ने बॉक्स में रखा और फिर सब सामान नीचे लोरी में भरवाने लगी। ईशान नीचे चला आया उसके हाथ में एक बैग था जिसमे माया से जुडी कुछ यादे थी। जिया काफी थकी हुई थी और अपनी साइकिल के पास खड़ी वह हाफ रही थी। ईशान जैसे ही उसके पास आया जिया ने कहा,”अब मैं और कोई काम नहीं करने वाली हूँ , वैसे भी मैंने बस कुछ बिस्किट खाये थे।”
ईशान की वर्क डेस्क का सामान पैक करते हुए जिया की नजर बॉक्स में रखे टूटे लेपटॉप और माइक पर चली गयी। टूटे सामान को भी जिया ने बॉक्स में रखा और फिर सब सामान नीचे लोरी में भरवाने लगी। ईशान नीचे चला आया उसके हाथ में एक बैग था जिसमे माया से जुडी कुछ यादे थी। जिया काफी थकी हुई थी और अपनी साइकिल के पास खड़ी वह हाफ रही थी। ईशान जैसे ही उसके पास आया जिया ने कहा,”अब मैं और कोई काम नहीं करने वाली हूँ , वैसे भी मैंने बस कुछ बिस्किट खाये थे।”
ईशान की वर्क डेस्क का सामान पैक करते हुए जिया की नजर बॉक्स में रखे टूटे लेपटॉप और माइक पर चली गयी। टूटे सामान को भी जिया ने बॉक्स में रखा और फिर सब सामान नीचे लोरी में भरवाने लगी। ईशान नीचे चला आया उसके हाथ में एक बैग था जिसमे माया से जुडी कुछ यादे थी। जिया काफी थकी हुई थी और अपनी साइकिल के पास खड़ी वह हाफ रही थी। ईशान जैसे ही उसके पास आया जिया ने कहा,”अब मैं और कोई काम नहीं करने वाली हूँ , वैसे भी मैंने बस कुछ बिस्किट खाये थे।”